पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९७०

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नवनवतितमोऽध्यायः क्षुद्रकात्क्षुलिको भाव्यः क्षुलिकात्सुरथः स्मृतः । सुमित्र: सुरथस्यापि अन्त्यश्च भवति नृपः एत ऐक्ष्वाकवाः प्रोक्ता भवितारः कलौ युगे । बृहद्वलान्वये जाता भवितारः कलौ युगे ॥ शराच कृतविद्याश्च सत्यसंधा जितेन्द्रियाः ६४६ ॥२६० ॥२६१ ॥२६२ ॥२६३ ॥२६४ ॥२६५ ॥२६६ अत्रानुवंशश्लोकोऽयं भविष्यज्ञैरुदाहृतः । इक्ष्वाकूणासयं वंशः सुमित्रान्तो भविष्यति सुमित्रं प्राप्य राजानं संस्थां प्राप्स्यति वै कलौ । इत्येतन्मानवं क्षत्रमैलं च समुदाहृतम् अत ऊर्ध्वं प्रवक्ष्यामि मागधेयान्बृहद्रथान् । जरासंधस्य ये वंशे सहदेवान्वये नृपाः अतोता वर्तमानाश्च भविष्याश्च तथा पुनः । प्राधान्यतः प्रवक्ष्यामि गदतो मे निबोधत सङ्ग्रामे भारते तस्मिन्सहदेवो निपातितः । सोमाधिस्तस्य तनयो राजर्षिः स गिरिव्रजे पश्चाशतं तथाऽष्टी च समा राज्यमकारयत् । श्रुतश्रवाश्चतुःषष्टिसमास्तस्य सुतोऽभवत् अयुतायुस्तु षड्विंशं राज्यं वर्षाण्यकारयत् । समाः शतं निरामित्रो महीं भुक्त्वा दिवं गतः पञ्चाशतं समाः षट् च सुकृत्तः प्राप्तवान्महीम् | त्रयोविंशं बृहत्कर्मा राज्यं वर्षाण्यकारयत् ॥२६६ ॥२६७ ॥२६८ होगा | सुरथ का पुत्र सुमित्र इस वंश का अन्तिम राजा होगा | कलियुग में ये उपर्युक्त इक्ष्वाकुवंशीय राजा लोग कहे गये हैं, वृहद्वल के यंश में कलियुग में इतने हो राजा उत्पन्न होंगे, ये सव शूरवीर, विद्वान् सत्यप्रतिज्ञ और जितेन्द्रिय राजा होंगे । २८६-२९१ । भविष्य की कथाओं के जाननेवाले विद्वान्गण इस इक्ष्वाकु- वंश के विषय में एक दलोक गाते हैं, इसका तात्पर्य इस प्रकार है, इक्ष्वाकुवंशीय राजाओं की परम्परा राजा सुमित्र तक चलेगी, कलियुग में सुमित्र राजा के अनन्तर इस वंश की समाप्ति हो जायगी। मनुपुत्र राजा इला के घंध में उत्पन्न होनेवाले क्षत्रिय राजाओं का वर्णन कर चुका |२६२-२६३॥ अब इसके अनन्तर मगधदेशीय वृहद्रथ के वंश में उत्पन्न होनेवाले राजाओं का वर्णन कर रहा हूँ | जरामंध एवं सहदेव के वंश में भूतकालीन, वर्तमानकालीन एवं भविष्यकालीन जो राजा गण उत्पन्न हो गये हैं, वर्तमान हैं, एवं उत्पन्न होंगे, मुख्यतः उन सबों का वर्णन आप लोगों से कर रहा हूँ, सुनिये । उस विख्यात महाभारत में सहदेव का संहार हो गया था, उसका पुत्र राजषि सोमाधि था, वह गिरिव्रज का शासक था ।२६४-२६६। उसने भठायन वर्षो तक राज्य किया | उसका पुत्र श्रुतश्रवा था, जिसने चौसठ वर्षो तक राज्य किया | तदनन्तर अयुतायु नामक राजा हुआ, जिसने छब्बीस वर्षों तक राज्य किया। उसके बाद राजा निरामित्र हुना, जो सौ वर्षो तक पृथ्वी पर शासन करने के उपरान्त स्वगंगामी हुआ |२६७-२६८ | तदनन्तर सुकृत्त ने छप्पन वर्षो तक पृथ्वी पर राज्य किया, फिर वृहत्कर्मा नामक राजा हुआ, उसने तेईस वर्षो तक पृथ्वी पर राज्य