२४ अग्निपुराणे
बभूव स्वस्थ देवाना पश्यता प्रीतिवर्द्धनम् |
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twise पाण्डव सैन्य दशाहोभिन्यपातयम ॥ ७ ॥
दशमे ह्यर्जुनो बाणैर्भीक वीर ववर्ष ह ।
शिखण्डी द्रुपदोक्तोऽस्त्र वैवर्ष जलदो यथा ।
हस्त्यश्वरथपादातमन्योन्यास्वनिपातितम् |
भीम स्वच्छन्दमृत्युश्च युद्धमार्ग प्रदर्श्य च ॥ 2 ॥
वसूक्तो वसुलोकाय शरशय्यागत स्थित
उत्तरायणमीक्षश्च ध्यायन विष्णुस्तुवन स्थित ॥ १० ॥
दुर्योवने तु शोका द्रोण सेनापतिस्त्वभूत |
पाण्डवे हर्षित सैन्ये धृष्टद्युम्पति ॥ ११ ॥
तयोर्युद्ध वभूवोग्र यमराष्ट्रविवर्धनम |
विराट द्रुपदायास निमग्ना द्रोणसागरे ॥ १२ ॥
दौर्योधनी महासेना हस्ववरथपत्तिनो ।
धृष्टद्यन्नाधिपतिता द्रोण काल इवाबभौ ॥ १३ ॥
इतोऽश्वत्थामा चेत्यक्ते द्रोण शस्त्राणि चात्यजत
धृष्टयम्नशराकान्त पतित स महोतले ॥ १४ ॥
पञ्चमेऽहनि दुद्धर्ष सर्वक्षत्र प्रमध्य च ।
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दुर्योधने तु शाका कर्ण मेनापतिस्त्वभूत ॥ १५ ॥
अर्जुन पाण्डवानाञ्च तयोर्युड बभूव ह ।
शस्त्रास्त्र महारौद्र देवासुररणोपमम ॥ १६ ॥
कर्णार्जु नाख्ये सङ्कामे कर्णोऽनबधीच्छरे ।
हितोयेऽहनि कस्तु अर्जुनन निपातित ॥ १७ ॥
शष्यो दिनाई युयुधे बधीत्त युधिष्ठिर ।
युयुधे भीमसेनेन हतसैन्य, सुयोधन. ॥ १८ ॥