पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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अलङ्कारमणिहारे
द्विचतुष्कबन्धः
प्रकारान्तरेण गोमूत्रिका.
ता | गौ | का | श्री | यो | ति | द्ध | स्स्से |
रा | रा | रा | रा | रा | रा | रा | रा |
सा | जा | ध्या | त्स्फा | ही | ध | क | धा |
यथावा--
व्यालाद्रीलादोलालीलालोलाचलाचलाबाला । श्रीलाऽवेलाम्मे लातीलामालाङ्खिलाखिलाश्लीला ॥ २३६९ ॥