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श्री

कादम्बरीकथासङ्ग्रहस्थ

श्लोकानुक्रमणिका

सर्गः श्लोकः          सर्ग: श्लोकः

१.अकष्टका ....  ११५ | २०. अत्यायासित....  
२.अकसाजनुषां...... ४ २९ | २१. अत्र यत्प्राप्तकालं  ६३
३. अकृत्रिम ....  ९२ | २२. अत्रान्तरे ....  १०  ८३
४. अगादियं ....  २३ | २३. अथ क्षणात् ....   ९३
५. अग्रे मघोनः...  ८८ | २४. अथ तस्य ....   
६. अग्रेसरः .... ११ ६१ | २५. अथ तद्वचनं ....   
७. अहुरत्तार ....  ३ | २६. अथ त प्रणतं....   ६७
८. असे दधाना ...  २३ | २७. अथ दिविजयाशेसी ६ १०
९. अवन्त....  ५७ | २८. अथ दुःसह ...  
१०. अर्पणात् .... १२ २४ | २९. अथ देवी ....  ३८
११. अङ्गुल्यम ....  २३ | ३०. अथ देव्या ....  
१२. अचिरेणैव ....  १४ । ३१. अथ प्रयाते .... ११ १२
१३. अच्छोदतीरे... ११ ८ । ३२. अथ प्रते ....   ७६
१४. अच्छोदनान्नः...  ८७ । ३३. अथ मृत्युनिभे   
१५. अच्छोदं नाम....  ३१ | ३४. अथ रोमोद्गमः .... १० ३९
१६. अज्ञातरति ....  ७३ | ३५. अथ वरतनु ... १० ११७
१७.अज्जलि....   ७६ ।३६. अथ सा हंसगमना    २७
१८. अतः परं ...  १०७ | ३७. अथ संरम्भसहित    ३५
१९. अतिक्रान्ते ..    ४२| ३८. अथ ननाय ..    ४८