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वेदान्तसारः

प्राणान् गृहीत्वा, २१२ बृ. उ. २-१-१८.
प्राणोऽनूत्क्रामति, २२९ , , ४-४-२ .
प्राणोऽस्मि प्रज्ञात्मा, ५६ कौ. उ. ३-२.
प्रायश्चित्तं न पश्यामि, ३५९, ३६० अ. पु. १६५-२३.


बहुदायी, १०९ छा. उ. ४-१-१.
बहुधा जायमानः, ८३ मु. उ. २-२-६.
बहु स्यां प्रजायेयेति, ३४१ तै. उ. १-२-६-२.
बुद्धेरात्मा महान् परः, १२० कठ. उ. १-३-२०.
ब्रह्म गमयति, ३९४, ३९५, ३९८ छान्दो. उ. ४-१५-६.
ब्रह्म ज्येष्ठा वीर्या ३०१ तै. ब्रा. २-४-७-१०.
ब्रह्मणा सह ते सर्वे ३९५, ३९७ कूर्म. पु. २-१२-२६९.
ब्रह्म ते ब्रवाणि, १२७, बृ. उ. २-१-१.
ब्रह्म दाशा ब्रह्म दासा, १७, २१७ अथवेणब्रह्मसूक्त
ब्रह्मविदाप्नोति परम्, ३३७, ३६६ तै. उ. १-२-१.
ब्रह्माध्यधिष्ठत्, १३५ तै. ब्रा. २-८-९-७६.
ब्रह्म वनं ब्रह्म, ३५ " "
ब्राह्मणा विविदिषन्ति, ३५१ बृ. उ. ४-४-२२.


भूतानां त्रीण्येव बीजानि, २५० छान्दो. उ. ६-३-१.
भूमैव सुखम्, ८६ छान्दो. उ. ७-२-२.
भूयोऽनुष्याख्यास्यामि, ४०१ छान्दो. उ. ७-२-२.


मनः प्राणे, ३७८ छान्दो. उ. ६-८-६.