"गोपालतापिन्युपनिषत्" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः ३६८:
बालस्वरूपमित्यन्तं मनश्चक्रं निगद्यते ॥ २५॥
आद्या माया
आद्या विद्या गदा वेद्या सर्वदा मे करे स्थिता ॥ २६॥
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पङ्क्तिः ३६८:
बालस्वरूपमित्यन्तं मनश्चक्रं निगद्यते ॥ २५॥
आद्या माया
आद्या विद्या गदा वेद्या सर्वदा मे करे स्थिता ॥ २६॥
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