"अग्निपुराणम्/अध्यायः ३८२" इत्यस्य संस्करणे भेदः

No edit summary
No edit summary
पङ्क्तिः १२०:
</poem>
== ==
 
*.३८२.७ जीवात्मा और परमात्मा वस्तुतः अभिन्न हैं, इनमें जो भेद की प्रतीति होती है, उसका निवारण करना ही परम कल्याण का हेतु है- यह ब्रह्माजी का सिद्धान्त है।
 
[[वर्गः:अग्निपुराणम्]]
"https://sa.wikisource.org/wiki/अग्निपुराणम्/अध्यायः_३८२" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्