"अग्निपुराणम्/अध्यायः १८९" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः १:
{{अग्निपुराणम्}}
; श्रवणद्वादशीव्रतम्▼
▲श्रवणद्वादशीव्रतम्
<poem><span style="font-size: 14pt; line-height: 200%">अग्निरुवाच
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वामनाय नमो गन्धं होमोऽनेनाष्टकं शतं ॥१८९.००७
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<small><small>टिप्पणी
१ श्रवणेन समायुक्तेति घ..
२ द्वादशद्वादशीफलमिति ख.. , ग.. , घ.. , ङ.. , छ.. , ञ.. च
३ शुद्धैर्हरिमिति ग.. , ट.. च
४ मुदार्चित इति ग..</small></small>
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ओं नमो वासुदेवाय शिरः सम्पूजयेद्धरेः ।१८९.००८
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इत्याग्नेये महापुराणे श्रवणद्वादशीव्रतं नामैकोननवत्यधिकशतत्मोऽध्यायः ॥
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<small><small>टिप्पणी
१ त्रैलोक्यजननायेति झ.. , ञ.. च । त्रैलोक्यजनकायेति ङ.. , ट.. च</small></small>
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