"पृष्ठम्:शङ्करविजयः.djvu/१०३" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | ||
पङ्क्तिः १: | पङ्क्तिः १: | ||
{{center|'''<big><big><big>॥ अथ सप्तमस्सर्गः ॥</big></big></big>'''}} |
{{center|'''<big><big><big>॥ अथ सप्तमस्सर्गः ॥</big></big></big>'''}} |
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त्वं नासि देहो घठवद्ध्यनात्मा |
त्वं नासि देहो घठवद्ध्यनात्मा |
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:रूपादिमत्त्वादिह जातिमत्त्वात् । |
:रूपादिमत्त्वादिह जातिमत्त्वात् । |