"पृष्ठम्:भामहालङ्कारः.pdf/२५" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | ||
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'''" तृतीयः परिच्छेदः । अस्मिन् जहीहि सुहृदि प्रणयाभ्यसूया''' |
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'''माश्लिष्यं गाढममुमानतमादरेण । । विन्ध्यं महानिव घनः समयेऽभिवर्ष''' |
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'''ज्ञानन्दजैनयनाभिरुक्षतु त्वाम् ॥ ५६ ॥ मदान्धमातङ्गविभिन्नसाला ।''' |
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'''हतप्रवीरा द्रुतभीतपौराः । त्वत्तेजसा दग्धसमस्तशोभा | हिषां पुरः पश्यतु राजलोकः ॥ १७ ॥ गिरामलङ्कारविधिः सविस्तरः | स्वयं विनिश्चित्य धिया मयादितः । अनेन वागर्थविदामलङ्कृता''' |
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'''विभाति नारीव विदग्धमण्डना ॥ ५८ ॥ इति भामहालङ्कारे तृतीयः परिच्छेदः ॥''' |
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पुटतलम् (अव्यचितम्) : | पुटतलम् (अव्यचितम्) : | ||
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अस्य अपरं नाम काव्यालङ्कारः इति। |