"ऋग्वेदः सूक्तं १०.१९" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः १:
नि वर्तध्वं मानु गातास्मान सिषक्त रेवतीः |
अग्नीषोमापुनर्वसू अस्मे धारयतं रयिम
पुनरेना नि वर्तय पुनरेना नया कुरु |
इन्द्र एणा नियछत्वग्निरेना उपाजतु
पुनरेता नि वर्तन्तामस्मिन पुष्यन्तु गोपतौ |
इहैवाग्नेनि धारयेह तिष्ठतु या रयिः
यन नियानं नययनं संज्ञानं यत परायणम |
आवर्तनं निवर्तनं यो गोपा अपि तं हुवे
य उदानड वययनं य उदानट परायणम |
आवर्तनंनिवर्तनमपि गोपा नि वर्तताम
आ निवर्त नि वर्तय पुनर्न इन्द्र गा देहि |
जीवाभिर्भुनजामहै
परि वो विश्वतो दध ऊर्जा घर्तेन पयसा |
ये देवाः केच यज्ञियास्ते रय्या सं सर्जन्तु नः
आ निवर्तन वर्तय नि निवर्तन वर्तय |
भूम्याश्चतस्रःप्रदिशस्ताभ्य एना नि वर्तय
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