"यजुर्वेदभाष्यम् (दयानन्दसरस्वतीविरचितम्)/अध्यायः १/मन्त्रः ११" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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पङ्क्तिः १४:
'''यज्ञशालादिगृहाणि कीदृशानि रचनीयानीत्युपदिश्यते॥<span lang="EN-GB"></span>'''
 
उन यज्ञशाला आदिक घर कैसे बनाने चाहिये, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है॥<span lang="EN-GB"></span>

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'''भू॒ताय॑ त्वा॒ नारा॑तये॒ स्व᳖रभि॒विख्ये॑षं॒ दृꣳह॑न्तां॒ दुर्याः॑ पृथि॒व्यामु॒र्व᳕᳕न्तरि॑क्ष॒मन्वे॑मि।<span lang="EN-GB"></span>'''