"महाभारतम्-01-आदिपर्व-102" इत्यस्य संस्करणे भेदः

महाभिषगुपाख्यानम्।। १ ।।<br> महाभिषग्गङ्गयोः शाप... नवीन पृष्ठं निर्मीत अस्ती
 
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| section = ''प्रथमपर्व''<br>'''महाभारतम्-01-आदिपर्व-102'''
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{{महाभारतम्}}
महाभिषगुपाख्यानम्।। १ ।।<br>
महाभिषग्गङ्गयोः शापः।। २ ।।<br>
Line ५९ ⟶ ६९:
<tr><td><p> न संपत्स्यति मर्त्येषु पुनस्तस्य तु सन्ततिः।<BR>तस्मादपुत्रः पुत्रस्ते भविष्यति स वीर्यवान्।। <td> 1-102-23a<BR>1-102-23b </p></tr>
<tr><td><p>।। इति श्रीमन्महाभारते आदिप्रवमि संभवपर्वणि द्व्यधिकशततमोऽध्यायः।। 102 ।। </p></tr>
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