"महाभारतम्-01-आदिपर्व-258" इत्यस्य संस्करणे भेदः

जरितार्यादीनां चतुर्णां शार्ङ्गकाणां परस्परं ... नवीन पृष्ठं निर्मीत अस्ती
 
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{{महाभारतम्}}
 
जरितार्यादीनां चतुर्णां शार्ङ्गकाणां परस्परं संवादः।। 1 ।।<br>
Line ७७ ⟶ ८७:
<tr><td><p> तथा तत्कृतवानग्निरभ्यनुज्ञाय शार्ङ्गकान्।<BR>ददाह खाण्डवं दावं समिद्धो जनमेजय।। <td> 1-258-25a<BR>1-258-25b </p></tr>
<tr><td><p> ।। इति श्रीमन्महाभारते आदिपर्वणि <br>मयदर्शनपर्वणि <br>अष्टपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः।। 258 ।। <td> </p></tr></table>
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