"मत्स्यपुराणम्/अध्यायः २८०" इत्यस्य संस्करणे भेदः

(लघु) मत्स्यपुराणम् using AWB
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पङ्क्तिः १:
{{मत्स्यपुराणम्}}
 
<poem>
हिरण्याश्वमहादानविधिवर्णनम्।
 
मत्स्य उवाच।
<poem><span style="font-size: 14pt; line-height: 200%">मत्स्य उवाच।
 
अथात संप्रवक्ष्यामि हिरण्याश्वविधिं परम्।
पङ्क्तिः ४९:
यो वा श्रृणोति पुरुषोऽल्पधनः स्मरेद्वा हेमाश्वदानमभिनन्दयतीह लोके।
सोऽपि प्रयाति हतकल्मषशुद्धदेहः स्थानं पुरन्दरमहेश्वरदेवजुष्टम् ।। २८०.१५
</span></poem>
 
</poem>
 
[[वर्गः:मत्स्यपुराणम्]]
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