"महाभारतम्-01-आदिपर्व-238" इत्यस्य संस्करणे भेदः

अर्जुनस्य प्रभासतीर्थगमनम्।। 1 ।।<br> तत्र स्मृति... नवीन पृष्ठं निर्मीत अस्ती
 
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| section = ''प्रथमपर्व''<br>'''महाभारतम्-01-आदिपर्व-238'''
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{{महाभारतम्}}
अर्जुनस्य प्रभासतीर्थगमनम्।। 1 ।।<br>
तत्र स्मृतिपथागतसुभद्रारूपलावण्यादिकं चिन्तयतोऽर्जुनस्य परिव्राजकवेषस्वीकारेण तस्या हरणे निश्चयः।। 2 ।।<br>
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1-238-42 कृष्णस्य भवने रम्ये रत्नभोज्यसमावृते। उवास सह कृष्णेन बहुलास्तत्र शर्वरीः।। इति च, ज, झ, ञ, ड, पाठः।।
अष्टत्रिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः।। 238 ।।
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