"महाभारतम्-01-आदिपर्व-243" इत्यस्य संस्करणे भेदः

कृष्णरथमास्थाय सुभद्रयासह अर्जुनस्य खाण्डवप्... नवीन पृष्ठं निर्मीत अस्ती
 
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{{महाभारतम्}}
 
कृष्णरथमास्थाय सुभद्रयासह अर्जुनस्य खाण्डवप्रस्थं गन्तुं यत्नः।। 1 ।।<table>
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<tr><td><p> क्षोभयित्वा पुरश्रेष्ठं गरुत्मानिव सागरम्।<BR>प्रेक्षन्रैवकतद्वारं निर्ययौ भरतर्षभः।। <td> 1-243-38a<BR>1-243-38b </p></tr>
<tr><td><p> ।। इति श्रीमन्महाभारते आदिपर्वणि <br>सुभद्राहरणपर्वणि<br> त्रिचत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः।। 243 ।। <td> </p></tr></table>
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