"पृष्ठम्:मृच्छकटिकम्.pdf/८९" इत्यस्य संस्करणे भेदः
→अपरिष्कृतम्: दद् अज्जा । [ आर्यमैत्रेयस्य स्वरसंयोगः श्रूयत... नवीन पृष्ठं निर्मीत अस्ती |
|||
पुटस्थितिः | पुटस्थितिः | ||
- | + | परिष्कृतम् | |
पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | ||
पङ्क्तिः १: | पङ्क्तिः १: | ||
ददु अज्जा । [ आर्यमैत्रेयस्य स्वरसंयोगः श्रूयते । आगत आयचारुदत्तः । |
|||
तद्यावद्द्वारमयोद्धाटयामि । आर्य ! वन्दे । मैत्रेय ! स्वामपि वन्दे । अत्र |
|||
विस्तीर्णसने |
विस्तीर्णसने निषीदतमार्यौ । |
||
{{c|(उभौ नाट्येन प्रविश्योपविशतः )}} |
{{c|(उभौ नाट्येन प्रविश्योपविशतः )}} |
||
{{gap}}'''विदूषकः'''-- |
{{gap}}'''विदूषकः'''--वड्ढमाणअ ! रआणिअं सद्दावेहि पादाइं धोइदुं । |
||
[ वर्धमानक ! |
'''[ वर्धमानक ! रद निकामाकारयपादौ धावितुम् ।]''' |
||
{{gap}}'''चारुदत्तः'''---( सानुकम्पम् ) अलं सुप्तजनं प्रबोधयितुम् । |
{{gap}}'''चारुदत्तः'''---( सानुकम्पम् ) अलं सुप्तजनं प्रबोधयितुम् । |
||
{{gap}}'''चेटः'''---अज्जमित्तेअ ! अहं पाणिगं गेण्हे । |
{{gap}}'''चेटः'''---अज्जमित्तेअ ! अहं पाणिगं गेण्हे । तुमं पादाइं धोवेहि । |
||
[ |
'''[ अर्यमैत्रेय ! अहं पानीयं गृह्णामि । त्वं पादौ धाव ।।''' |
||
{{gap}}'''विदूषकः'''—(सक्रोधम् ) भो वअस्स ! एसो |
{{gap}}'''विदूषकः'''—(सक्रोधम् ) भो वअस्स ! एसो दाणिं दासीए पुत्तो |
||
भविअ |
भविअ पाणिअं गेण्हेदि । मं उण बम्हणं पादाइं धोवावेदि । '''[ भो |
||
वयस्य ! एष इदानीं दास्याः पुत्रो भूत्वा पानीयं गृह्णाति । मां |
वयस्य ! एष इदानीं दास्याः पुत्रो भूत्वा पानीयं गृह्णाति । मां पुनर्ब्राह्मणं |
||
पादौ धावयति । |
पादौ धावयति ।]''' |
||
{{gap}}'''चारुदत्तः'''---- वयस्य मैत्रेय ! त्वमुदकं गृहाण । वर्धमानकः पादौ |
{{gap}}'''चारुदत्तः'''---- वयस्य मैत्रेय ! त्वमुदकं गृहाण । वर्धमानकः पादौ |
||
प्रक्षालयतु । |
|||
अक्षालयतु । |
|||
{{gap}}'''चेटः'''-- |
{{gap}}'''चेटः'''-- अज्ज़मित्तेअ ! देहि उदअं । [ '''आर्यमैत्रेय ! देह्युदकम् ।'''] |
||
( विदूषकस्तथा करोति, चेटश्चारुदत्तस्य पादों प्रक्षाल्यापसरति ) |
( विदूषकस्तथा करोति, चेटश्चारुदत्तस्य पादों प्रक्षाल्यापसरति ) |
||
{{gap}}'''चारुदत्तः'''-- दीयतां ब्राह्मणस्य पादोदकम् । |
{{gap}}'''चारुदत्तः'''-- दीयतां ब्राह्मणस्य पादोदकम् । |
||
{{gap}}'''विदूषकः'''-किं मम पादोदएहिं ।। भूमीए |
{{gap}}'''विदूषकः'''-किं मम पादोदएहिं ।। भूमीए ज्जेव्व मर |
||
ताडिदगद्दहेण विअ पुणो वि लोट्ठिदव्यं । '''[ किं मम पादोदकैः ? । भूम्यामेव मया |
|||
ताडितगर्दभेनेव पुनरपि लोठितव्यम् ।।''' |
|||
{{gap}}'''चेटः'''--- |
{{gap}}'''चेटः'''--- अज्जमित्तेअ ! बम्हणे खु तुमं । '''[ आर्यमैत्रेय ! ब्राह्मणः |
||
खलु |
खलु त्वम् ।]''' |
||
{{gap}}'''विदूषकः'''---- जधी |
{{gap}}'''विदूषकः'''---- जधी सव्वणगाणं मज्झे डुंडुहो, तधा सव्वबम्हणाणं |
||
मज्झे अहं बम्हणो । [यथा सर्वनागानां मध्ये डुण्डुभः, तथा सर्वब्राह्मणानां मध्येऽहं ब्रह्मणः । |
|||
थानां मध्येऽहं आमणः । |