"छान्दोग्योपनिषद्/अध्यायः २" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः २५२:
तस्मा आदित्याश्च विश्वे च देवास्तृतीयसवनँसंप्रयच्छन्त्येष ह वै यज्ञस्य मात्रां वेद य एवं वेद य एवं वेद ॥ १६ ॥
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{{टिप्पणी|
वासवं(लोकद्वारं साम)
सहस्रारं प्राकृतघ्नं लोकद्वारं महौजसम्
नामानि विष्णुचक्रस्य पर्यायेण निबोध मे।। पद्मपुराणम् [https://sa.wikisource.org/s/xzr ६.२२४.६३]
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==संबंधित कड़ियाँ==
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