"पृष्ठम्:सिद्धान्तकौमुदी (बालमनोरमा पूर्व १-२).djvu/१२३" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पुटस्थितिः | पुटस्थितिः | ||
- | + | परिष्कृतम् | |
पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | ||
पङ्क्तिः ३: | पङ्क्तिः ३: | ||
{{c|'''||अथ हलन्तस्त्रीलिङ्गे चकारान्तप्रकरणम् ||'''}} |
{{c|'''||अथ हलन्तस्त्रीलिङ्गे चकारान्तप्रकरणम् ||'''}} |
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वाक्-, वाचौ, |
वाक्-वाग्, वाचौ, |
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वाचः । वाग्भ्याम् । वाक्षु । |
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{{c|'''इति चान्ता ।'''}} |
{{c|'''इति चान्ता ।'''}} |
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पङ्क्तिः १०: | पङ्क्तिः १०: | ||
{{c|'''॥ अथ हलन्तस्त्रीलिङ्गे पकारान्तप्रकरणम् ॥'''}} |
{{c|'''॥ अथ हलन्तस्त्रीलिङ्गे पकारान्तप्रकरणम् ॥'''}} |
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सद्धान्तकौमुदीसहिता |
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{{c|'''॥ अथ हलन्तस्त्रीलिङ्गे पकारान्तप्रकरणम् ॥'''}} |
{{c|'''॥ अथ हलन्तस्त्रीलिङ्गे पकारान्तप्रकरणम् ॥'''}} |
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अापः । अपः । |
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अप्शब्दो नित्यं बहुवचनान्त . । * अप्तृन्-' (सू २७७) इति दीर्घ । |
अप्शब्दो नित्यं बहुवचनान्त . । * अप्तृन्-' (सू २७७) इति दीर्घ । |
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आपः। अपः। |
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[हलन्तस्त्रीलिङ्गे |
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{{c|'''इति पान्ता ।'''}} |
{{c|'''इति पान्ता ।'''}} |
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{{c|'''॥ अथ हलन्तस्त्रीलिङ्गे |
{{c|'''॥ अथ हलन्तस्त्रीलिङ्गे शकारान्तप्रकरणम् ॥'''}} |
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दिक्-दिग्, |
दिक्-दिग्, दिशौ, दिश । दिग्भ्याम् । दिक्षु । “त्यदादिषु |
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अथ चकारान्ता निरूप्यन्ते ॥ वागिति ॥ वचे * किब्वचि' इत्यादिना |
अथ चकारान्ता निरूप्यन्ते ॥ वागिति ॥ वचे * किब्वचि' इत्यादिना के्विप्, |
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दीर्घश्च, “वचिस्वपि' इति सम्प्रसारणाभावश्व, वाचू इात रूपम् । सुलोप, चो कु, |
दीर्घश्च, “वचिस्वपि' इति सम्प्रसारणाभावश्व, वाचू इात रूपम् । सुलोप, चो कु, जश्त्वचर्त्वे |
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इति भाव । |
इति भाव । |
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