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एष खलु शुष्कवृक्षवाटिकायाम् ।।
एष खलु शुष्कवृक्षवाटिकायाम् ।।


{{gap}}'''वसन्तसेना'''-अज्ज ! का तुम्हाणं सुक्खरुखवाडिआ चुच्चदि है।
{{gap}}'''वसन्तसेना'''-अज्ज ! का तुम्हाणं सुक्खरुखवाडिआ वुच्चदि ?।
[ आर्य ! को युष्माकं शुष्कवृक्षवाटिकोच्यते ?।]
[ आर्य ! को युष्माकं शुष्कवृक्षवाटिकोच्यते ?।]


पङ्क्तिः १४: पङ्क्तिः १४:
{{gap}}'''विदूषकः'''--ता पविसदु भोदी । [ तस्मात्प्रविशतु भवती ।]
{{gap}}'''विदूषकः'''--ता पविसदु भोदी । [ तस्मात्प्रविशतु भवती ।]


{{gap}}'''वसन्तसेना'''----{ जनान्तिकम् ) एत्थ पविसिअ किं मए भणिदब्वं ।।
{{gap}}'''वसन्तसेना'''----{ जनान्तिकम् ) एत्थ पविसिअ किं मए भणिदव्वं ।।
[ अत्र प्रविश्य किं मया भणितव्यम् ?।]
[ अत्र प्रविश्य किं मया भणितव्यम् ?।]


{{gap}}'''चेटी'''---‘जूदिअर | अवि सुहो दे पदोसो ? ति ।[ सूतकर ! अपि
{{gap}}'''चेटी'''---‘जूदिअर | अवि सुहो दे पदोसो ? ति ।[ द्यूतकर ! अपि
सुखस्ते प्रदोषः ?' इति ।
सुखस्ते प्रदोषः ?' इति ।


पङ्क्तिः २४: पङ्क्तिः २४:
{{gap}}'''चेटी'''–अवसरो जेव्व पारइस्सदि । [ अवसर एव पारयिष्यति ।]
{{gap}}'''चेटी'''–अवसरो जेव्व पारइस्सदि । [ अवसर एव पारयिष्यति ।]


{{gap}}'''विदूषकः'''--पक्सिदु भोदी । [प्रविशतु भवती ।]
{{gap}}'''विदूषकः'''--पविसदु भोदी । [प्रविशतु भवती ।]


{{gap}}'''वसन्तसेना'''—(प्रविश्योपसृत्य च, पुष्पैस्ताडयन्ती ) अइ जूदिअर !
{{gap}}'''वसन्तसेना'''—(प्रविश्योपसृत्य च, पुष्पैस्ताडयन्ती ) अइ जूदिअर !
अवि सुहो दे पदोसो ? । [ अयि द्यूतकर ! अपि सुखस्ते प्रदोषः ? । ]
अवि सुहो दे पदोसो ? । [ अयि द्यूतकर ! अपि सुखस्ते प्रदोषः ? । ]


{{gap}}'''चारुदत्तः'''---( अवलोक्य ) अये, वसन्तसेना प्राप्ता । (सहर्षभुत्थाय )
{{gap}}'''चारुदत्तः'''---( अवलोक्य ) अये, वसन्तसेना प्राप्ता । (सहर्षमुत्थाय )
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