"अग्निपुराणम्/अध्यायः १" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः १:
===ग्रन्थप्रस्तावना===
<poem>
पङ्क्तिः ३३:
ऋग्वेदाद्यपरं ब्रह्म सर्वदेवसुखावहम् ।। ९ ।।
अग्निनोक्तं पुराणं यदाग्नेयं ब्रह्मसम्मितम्
भुक्तिमुक्तिप्रदं दिव्यं पठतां श्रृण्वतां नृणाम् ।। ११।। वसिष्ठ उवाच
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