"पृष्ठम्:मृच्छकटिकम्.pdf/१४६" इत्यस्य संस्करणे भेदः
पुटस्थितिः | पुटस्थितिः | ||
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पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | ||
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{{gap}}'''विदूषकः'''---(स्वगतम् ) किं दाणि एत्थ कहिस्सं १ । ( विचिन्त्य ) |
{{gap}}'''विदूषकः'''---(स्वगतम् ) किं दाणि एत्थ कहिस्सं १ । ( विचिन्त्य ) |
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भोदु, चारुदत्तं गदुञ पुच्छिस्सं । ( प्रकाशम् ) अरे, मुहुत्तअं चिट्ठ । |
भोदु, चारुदत्तं गदुञ पुच्छिस्सं । ( प्रकाशम् ) अरे, मुहुत्तअं चिट्ठ । |
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(चारुदत्तमुपसृत्य ) भो |
(चारुदत्तमुपसृत्य ) भो वअस्स ! पुच्छिस्सं दाव, कस्सि काले चूआ |
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मोलेंति ? [ किमिदानीमत्र कथयिष्यामि ।। भवतु, चारुदतं गत्वा प्रक्ष्या- |
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मि। अरे, मुहूर्तकं तिष्ठ । भो वयस्य ! प्रक्ष्यामि तावत्, कस्मिन्काले चूता |
मि। अरे, मुहूर्तकं तिष्ठ । भो वयस्य ! प्रक्ष्यामि तावत्, कस्मिन्काले चूता |
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मुकुलिता भवन्ति ?। |
मुकुलिता भवन्ति ?। |
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पङ्क्तिः १३: | पङ्क्तिः १३: | ||
{{gap}}'''चेटः'''---दुदिअं दे पण्हं दैइ । शुशमिद्धाणं गामाणं का |
{{gap}}'''चेटः'''---दुदिअं दे पण्हं दैइ । शुशमिद्धाणं गामाणं का |
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लक्खों कलेदि |
लक्खों कलेदि । [द्वितीयं ते प्रश्नं दास्यामि । सुसमृद्धानां ग्रामाणाम् |
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का रक्षां करोति ? ।] |
का रक्षां करोति ? ।] |
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{{gap}}'''विदूषकः'''--अरे, रच्छा । [ अरे, रथ्या । |
{{gap}}'''विदूषकः'''--अरे, रच्छा । [ अरे, रथ्या । |
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{{gap}}'''चेटः'''-- (सहासम् ) अले, णहि |
{{gap}}'''चेटः'''-- (सहासम् ) अले, णहि णहि । [ अरे, नहि नहि ।] |
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{{gap}}'''विदूषकः'''---भोदु, संसए पडिदम्हि । ( विचिन्त्य ) भोदु, |
{{gap}}'''विदूषकः'''---भोदु, संसए पडिदम्हि । ( विचिन्त्य ) भोदु, |
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पङ्क्तिः २९: | पङ्क्तिः २९: | ||
दास्याःपुत्र ! सेना ।] |
दास्याःपुत्र ! सेना ।] |
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{{gap}}'''चेटः'''---अले दुवे वि एक्काश्शिं कडुअ शिग्धं |
{{gap}}'''चेटः'''---अले दुवे वि एक्काश्शिं कडुअ शिग्धं भणाहि । [ अरे, द्वे |
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अप्येकस्मिन् कृत्वा शीघ्रं भण।] |
अप्येकस्मिन् कृत्वा शीघ्रं भण।] |
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{{gap}}'''विदूषकः''' |
{{gap}}'''विदूषकः'''–सेणावसंते । [ सेनावसन्ते ।] |