"पृष्ठम्:साङ्ख्यतत्त्वकौमुदी.djvu/१३" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | ||
पङ्क्तिः ३३: | पङ्क्तिः ३३: | ||
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(१)तदभिघातके-इति माठरवृत्तिकृतां संमतःपाठः ।<br/> |
(१)तदभिघातके-इति माठरवृत्तिकृतां संमतःपाठः ।<br/> |
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(२)अविशुद्धः-इति माठ० वृ० पाठः ।<br/> |
(२)अविशुद्धः-इति माठ० वृ० पाठः ।<br/> |
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पङ्क्तिः ४१: | पङ्क्तिः ३८: | ||
(४)तदुपलब्धिः -इति माठ० पाठः ।।<br/> |
(४)तदुपलब्धिः -इति माठ० पाठः ।।<br/> |
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(५)प्रकृतिविरूप सरूपं च-इति माठ० पा० । |
(५)प्रकृतिविरूप सरूपं च-इति माठ० पा० । |
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