"पृष्ठम्:शिवगीता.djvu/15" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | ||
पङ्क्तिः ४: | पङ्क्तिः ४: | ||
{{bold|किमर्थमागतोऽगस्त्यो रामचन्द्रस्य संनिधिम् । |
{{bold|किमर्थमागतोऽगस्त्यो रामचन्द्रस्य संनिधिम् । |
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कथं वा विरजां दीक्षां कारयामास राघवम् ॥ १ ॥ |
कथं वा विरजां दीक्षां कारयामास राघवम् ॥ १ ॥ |
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ततः किमाप्तवान्-रामः फलं तद्वक्त्तुमर्हसि । |
ततः किमाप्तवान्-रामः फलं तद्वक्त्तुमर्हसि ।}} |
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{{gap}}{{gap}}{{gap}}'''सूत उवाच ।''' |
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{{bold|रावणेन यदा सीतापहृता जनकात्मजा ।। |
{{bold|रावणेन यदा सीतापहृता जनकात्मजा ।। |
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तदा वियोगदु:खेन विलपन्नास राघवः ॥ २ ॥ |
तदा वियोगदु:खेन विलपन्नास राघवः ॥ २ ॥ |