"पृष्ठम्:रामायणमञ्जरी.pdf/११" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पुटाग्रः(अव्यचितम्) : | पुटाग्रः(अव्यचितम्) : | ||
पङ्क्तिः १: | पङ्क्तिः १: | ||
{{rh|left|center=काव्यमाला।|right}} |
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पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | ||
पङ्क्तिः १: | पङ्क्तिः १: | ||
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काव्यमाला। |
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गुणाभिरामः श्रीरामो विरामो वैरिसंपदाम् । |
गुणाभिरामः श्रीरामो विरामो वैरिसंपदाम् । |
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जगद्येन हरेर्वक्षः कौस्तुभेनेव राजितम् ॥ १० ॥ |
जगद्येन हरेर्वक्षः कौस्तुभेनेव राजितम् ॥ १० ॥ |
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पङ्क्तिः २६: | पङ्क्तिः २६: | ||
मुनिनाभ्यर्चितस्तत्र पाद्यपूजासनादिभिः । |
मुनिनाभ्यर्चितस्तत्र पाद्यपूजासनादिभिः । |
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सोऽवदत्पुण्यपीयूषं दन्तकान्त्या किरन्निव ॥ २२ ॥ |
सोऽवदत्पुण्यपीयूषं दन्तकान्त्या किरन्निव ॥ २२ ॥ |
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