"पृष्ठम्:शङ्कराचार्यविरचितानि स्तोत्राणि (द्वितीयः भागः).pdf/४" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | पुटाङ्गम् (उपयोगार्थम्) : | ||
पङ्क्तिः ४: | पङ्क्तिः ४: | ||
समुद्र्य प्रथम जगद्गुरुपद भक्त्या मयाद्यार्पिता |
समुद्र्य प्रथम जगद्गुरुपद भक्त्या मयाद्यार्पिता |
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{{gap}}स्वीकृत्योपह्ऱुति करातु गुरुराड् ध य तथेम जनम् ॥ |
{{gap}}स्वीकृत्योपह्ऱुति करातु गुरुराड् ध य तथेम जनम् ॥ |
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श्रीमच्छकरदेशिकेन्द्ररचितान्सवान्प्रबन्धा मुदा |
श्रीमच्छकरदेशिकेन्द्ररचितान्सवान्प्रबन्धा मुदा |
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{{gap}}तत्प्रीत्यै परिशाध्य पुस्तकचयै समुद्र्य साक बुधै । |
{{gap}}तत्प्रीत्यै परिशाध्य पुस्तकचयै समुद्र्य साक बुधै । |