"अथर्ववेदः/काण्डं ५/सूक्तम् १७" इत्यस्य संस्करणे भेदः

<poem><span style="font-size: 14pt; line-height: 200%">तेऽवदन् प्रथमा ब्रह्मकिल... नवीन पृष्ठं निर्मीत अस्ती
 
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| title = [[अथर्ववेदः]] - [[अथर्ववेदः/काण्डं ५|काण्डं ५]]
| author = मयोभूः
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| section = सूक्तं ५.१७
| previous = [[अथर्ववेदः/काण्डं ५/सूक्तम् १६|सूक्तं ५.१६]]
| next = [[अथर्ववेदः/काण्डं ५/सूक्तम् १८|सूक्तं ५.१८]]
| notes = दे. ब्रह्मजाया। अनुष्टुप्, १-६ त्रिष्टुप्।
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<poem><span style="font-size: 14pt; line-height: 200%">तेऽवदन् प्रथमा ब्रह्मकिल्बिषेऽकूपारः सलिलो मातरिश्वा ।
वीडुहरास्तप उग्रं मयोभूरापो देवीः प्रथमजा ऋतस्य ॥१॥
"https://sa.wikisource.org/wiki/अथर्ववेदः/काण्डं_५/सूक्तम्_१७" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्