"रामायणम्/अरण्यकाण्डम्/सर्गः ५२" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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[[File:Kanda 3 ARK-052-Sitaa Vilapaha.ogg|thumb|द्विपञ्चाशः सर्गः श्रूयताम्|center]]
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अपश्यती राघव लक्ष्मणाउ उभौविवर्ण वक्त्रा भय भार पीडिता ॥३-५२-४४॥
'''इति वाल्मीकि रामायणे आदि काव्ये अरण्यकाण्डे द्विपञ्चाशः सर्गः ॥३-५२॥'''▼
==स्रोतः==
पाठकौ घनपाठी वि.श्रीरामः, घनपाठी हरिसीताराममूर्तिः च । [https://sanskrit.github.io/groups/dyuganga/projects/audio/ramayana-audio/index.html अत्र]
▲'''इति वाल्मीकि रामायणे आदि काव्ये अरण्यकाण्डे द्विपञ्चाशः सर्गः ॥३-५२॥'''
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