"ऋग्वेदः सूक्तं १.३" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः २३:
महो अर्णः सरस्वती पर चेतयति केतुना |
धियो विश्वा वि राजति ||
*[[ऋग्वेद:]]
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पङ्क्तिः २३:
महो अर्णः सरस्वती पर चेतयति केतुना |
धियो विश्वा वि राजति ||
*[[ऋग्वेद:]]
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