"ऋग्वेदः सूक्तं १.१२" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः १:
अग्निं दूतं वर्णीमहे होतारं विश्ववेदसम | ▼
अस्य यज्ञस्य सुक्रतुम || ▼
<pre style="background: #ffffff; border: 0px; line-height: 150%; padding-left: 2em; margin: 0em;">
अग्निम-अग्निं हवीमभिः सदा हवन्त विश्पतिम | ▼
हव्यवाहं पुरुप्रियम || ▼
अग्ने देवानिहा वह जज्ञानो वर्क्तबर्हिषे | ▼
असि होता न ईड्यः || ▼
तानुशतो वि बोधय यदग्ने यासि दूत्यम | ▼
देवैरा सत्सि बर्हिषि || ▼
घर्ताहवन दीदिवः परति षम रिषतो दह | ▼
अग्ने तवं रक्षस्विनः || ▼
अग्निनाग्निः समिध्यते कविर्ग्र्हपतिर्युवा | ▼
हव्यवाड जुह्वास्यः || ▼
कविमग्निमुप सतुहि सत्यधर्माणमध्वरे | ▼
देवममीवचातनम || ▼
यस्त्वामग्ने हविष्पतिर्दूतं देव सपर्यति | ▼
तस्य सम पराविता भव || ▼
यो अग्निं देववीतये हविष्मानाविवासति | ▼
तस्मै पावक मर्ळय || ▼
स नः पावक दीदिवो.अग्ने देवानिहा वह | ▼
उप यज्ञं हविश्च नः || ▼
स न सतवान आ भर गायत्रेण नवीयसा | ▼
रयिं वीरवतीमिषम || ▼
अग्ने शुक्रेण शोचिषा विश्वाभिर्देवहूतिभिः | ▼
इमं सतोमं जुषस्व नः ||▼
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*[[ऋग्वेद:]]
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