"रामायणम्/अयोध्याकाण्डम्/सर्गः १०६" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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{{रामायणम्/अयोध्याकाण्डम्}}
<poem>
<div class="verse">
<pre>
एवमुक्त्वा तु विरते रामे वचनमर्थवत् ।
ततो मन्दाकिनीतीरे रामं प्रकृतिवत्सलम् ।