"रामायणम्/अयोध्याकाण्डम्/सर्गः ११०" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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{{रामायणम्/अयोध्याकाण्डम्}}
<poem>
<div class="verse">
<pre>
क्रुद्धमाज्ञाय रामं तं वसिष्ठ: प्रत्युवाच ह ।
जाबालिरपि जानीते लोकस्यास्य गतागतिम् ।। २.११०.१ ।।