"रामायणम्/अयोध्याकाण्डम्/सर्गः ११४" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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{{रामायणम्/अयोध्याकाण्डम्}}
<poem>
<div class="verse">
<pre>
 
स्त्रिग्धगम्भीरघोषेण स्यन्दनेनोपयान् प्रभु: ।
अयोध्यां भरत: क्षिप्रं प्रविवेश महायशा: ।। २.११४.१ ।।