"ऋग्वेदः सूक्तं १.४०" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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पङ्क्तिः १:
उत तिष्ठ बरह्मणस पते देवयन्तस्त्वेमहे |
उप पर यन्तु मरुतः सुदानव इन्द्र पराशूर्भवा सचा ||
तवामिद धि सहसस पुत्र मर्त्य उपब्रूते धने हिते |
सुवीर्यं मरुत आ सवश्व्यं दधीत यो व आचके ||
परैतु बरह्मणस पतिः पर देव्येतु सून्र्ता |
अछा वीरंनर्यं पङकतिराधसं देवा यज्ञं नयन्तु नः ||
यो वाघते ददाति सूनरं वसु स धत्ते अक्षिति शरवः |
तस्मा इळां सुवीरामा यजामहे सुप्रतूर्तिमनेहसम ||
पर नूनं बरह्मणस पतिर्मन्त्रं वदत्युक्थ्यम |
यस्मिन्निन्द्रो वरुणो मित्रो अर्यमा देवा ओकांसि चक्रिरे ||
तमिद वोचेमा विदथेषु शम्भुवं मन्त्रं देवा अनेहसम |
इमां च वाचं परतिहर्यथा नरो विश्वेद वामा वो अश्नवत ||
को देवयन्तमश्नवज्जनं को वर्क्तबर्हिषम |
पर-पर दाश्वान पस्त्याभिरस्थितान्तर्वावत कषयं दधे ||
उप कष्स्त्रं पर्ञ्चीत हन्ति राजभिर्भये चित सुक्षितिं दधे |
नास्य वर्ता न तरुता महाधने नार्भे अस्ति वज्रिणः ||
 
*[[ऋग्वेद:]]
"https://sa.wikisource.org/wiki/ऋग्वेदः_सूक्तं_१.४०" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्