"लघुसिद्धान्तकौमुदी/दिवादिप्रकरणम्" इत्यस्य संस्करणे भेदः

दिवादिप्रकरणम्
 
(लघु) लघुसिद्धान्तकौमुदी using AWB
पङ्क्तिः १:
{{लघुसिद्धान्तकौमुदी}}
 
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अथ दिवादयः<BR>
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<B>'''दिवु</B>''' क्रीडाविजिगीषाव्यवहारद्युतिस्तुतिमोदमदस्वप्नकान्तिगतिषु॥ १॥<BR>
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<B>'''दिवादिभ्यः श्यन्॥ लसक_६३२ = पा_३,१.६९॥</B>'''<BR>
शपो ऽपवादः। हलि चेति दीर्घः। दीव्यति। दिदेव। देविता। देविष्यति। दीव्यतु। अदीव्यत्। दीव्येत्। दीव्यात्। अदेवीत्। अदेविष्यत्॥ एवं<B>''' षिवु</B>''' तन्तुसन्ताने॥ २॥ <B>'''नृती </B>'''गात्रविक्षेपे॥ ३॥ नृत्यति। ननर्त। नर्तिता॥<BR>
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<B>'''से ऽसिचि कृतचृतच्छृदतृदनृतः॥ लसक_६३३ = पा_७,२.५७॥</B>'''<BR>
एभ्यः परस्य सिज्भिन्नस्य सादेरार्धधातुकस्येड्वा। नर्तिष्यति, नर्त्स्यति। नृत्यतु। अनृत्यत्। नृत्येत्। नृत्यात्। अनर्तीत्। अनर्तिष्यत्, अनर्त्स्यत्॥ <B>'''त्रसी</B>''' उद्वेगे॥ ४॥ वा भ्राशेति श्यन्वा। त्रस्यति, त्रसति। तत्रास॥<BR>
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<B>'''वा जॄभ्रमुत्रसाम्॥ लसक_६३४ = पा_६,४.१२४॥</B>'''<BR>
एषां किति लिटि सेटि थलि च एत्वाभ्यासलोपौ वा। त्रेसतुः, तत्रसतुः। त्रेसिथ, तत्रसिथ। त्रसिता॥ <B>'''शो</B>''' तनूकरणे॥ ५॥<BR>
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<B>'''ओतः श्यनि॥ लसक_६३५ = पा_७,३.७१॥</B>'''<BR>
लोपः स्यात्। श्यति। श्यतः। श्यन्ति। शशौ। शशतुः। शाता। शास्यति॥<BR>
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<B>'''विभाषा घ्राधेट्शाच्छासः॥ लसक_६३६ = पा_२,४.७८॥</B>'''<BR>
&न्ब्स्प्॑ेभ्यस्सिचो लुग्वा स्यात्परस्मैपदे परे। अशात्। अशाताम्। अशुः। इट्सकौ। अशासीत्। अशासिष्टाम्॥ <B>'''छो </B>'''छेदने॥ ६॥ छ्यति॥ <B>'''षो</B>''' ऽन्तकर्मणि॥ ७॥ स्यति। ससौ॥<B>''' दो</B>''' ऽवखण्डने॥ ८॥ द्यति। ददौ। देयात्। अदात्॥ व्यध ताडने॥ ९॥<BR>
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<B>'''ग्रहिज्यावयिव्यधिवष्टिविचतिवृश्चतिपृच्छतिभृञ्जतीनां ङिति च॥ लसक_६३७ = पा_६,१.१६॥</B>'''<BR>
एषां सम्प्रसारणं स्यात्किति ङिति च। विध्यति। विव्याध। विविधतुः। विविधुः। विव्यधिथ, विव्यद्ध। व्यद्धा। व्यत्स्यति। विध्येत्। विध्यात्। अव्यात्सीत्॥ <B>'''पुष</B>''' पुष्टौ॥ १०॥ पुष्यति। पुपोष। पुपोषिथ। पोष्टा। पोक्ष्यति। पुषादीत्यङ्। अपुषत्॥ <B>'''शुष</B>''' शोषणे॥ ११॥ शुष्यति। शुशोष। अशुषत्॥ <B>'''णश</B>''' अदर्शने॥ १२॥ नश्यति। ननाश। नेशतुः॥<BR>
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<B>'''रधादिभ्यश्च॥ लसक_६३८ = पा_७,२.४५॥</B>'''<BR>
रध् नश् तृप् दृप् द्रुह् मुह् ष्णुह् ष्णिह् एभ्यो वलाद्यार्धधातुकस्य वेट् स्यात्। नेशिथ॥<BR>
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<B>'''मस्जिनशोर्झलि॥ लसक_६३९ = पा_७,१.६०॥</B>'''<BR>
नुम् स्यात्। ननंष्ठ। नेशिव, नेश्व। नेशिम, नेश्म। नशिता, नंष्टा। नशिष्यति, नङ्क्ष्यति। नश्यतु। अनश्यत्। नश्येत्। नश्यात्। अनशत्॥ <B>'''षूङ्</B>''' प्राणिप्रसवे॥ १३॥ सूयते। सुषुवे। क्रादिनियमादिट्। सुषुविषे। सुषुविवहे। सुषुविमहे। सविता सोता॥ <B>'''दूङ् </B>'''परितापे॥ १४॥ दूयते॥ <B>'''दीङ्</B>''' क्षये॥ १५॥ दीयते॥<BR>
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<B>'''दीङो युडचि क्ङिति॥ लसक_६४० = पा_६,४.६३॥</B>'''<BR>
दीङः परस्याजादेः क्ङित आर्धधातुकस्य युट्। (<i>''वुग्युटावुवङ्यणोः सिद्धौ वक्तव्यौ</i>'')। दिदीये॥<BR>
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<B>'''मीनातिमिनोतिदीङां ल्यपि च॥ लसक_६४१ = पा_६,१.५०॥</B>'''<BR>
एषामात्वं स्याल्ल्यपि चादशित्येज्निमित्ते। दाता। दास्यति। (स्थाघ्वोरित्त्वे दीङः प्रतिषेधः)। अदास्त॥ <B>'''डीङ्</B>''' विहायसा गतौ॥ १६॥ डीयते। डिड्ये। डयिता॥ <B>'''पीङ्</B>''' पाने॥ १७॥ पीयते। पेता। अपेष्ट॥ <B>'''माङ्</B>''' माने॥ १८॥ मायते। ममे॥ <B>'''जनी</B>''' प्रादुर्भावे॥ १९॥<BR>
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<B>'''ज्ञाजनोर्जा॥ लसक_६४२ = पा_७,३.७९॥</B>'''<BR>
अनयोर्जादेशः स्याच्छिति। जायते। जज्ञे। जनिता। जनिष्यते॥<BR>
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<B>'''दीपजनबुधपूरितायिप्यायिभ्यो ऽन्यरतस्याम्॥ लसक_६४३ = पा_३,१.६१॥</B>'''<BR>
एभ्यश्च्लेश्चिण् वा स्यादेकवचने तशब्दे परे॥<BR>
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<B>'''चिणो लुक्॥ लसक_६४४ = पा_६,४.१०४॥</B>'''<BR>
चिणः परस्य लुक् स्यात्॥<BR>
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<B>'''जनिवध्योश्च॥ लसक_६४५ = पा_७,३.३५॥</B>'''<BR>
अनयोरुपधाया वृद्धिर्न स्याच्चिणि ञ्णिति कृति च। अजनि, अजनिष्ट॥ <B>'''दीपी</B>''' दीप्तौ॥ २०// दीप्यते। दिदीपे। अदीपि, अदीपिष्ट॥<B>''' पद</B>''' गतौ॥ २१॥ पद्यते। पेदे। पत्ता। पत्सीष्ट॥<BR>
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<B>'''चिण् ते पदः॥ लसक_६४६ = पा_३,१.६०॥</B>'''<BR>
पदश्च्लेश्चिण् स्यात्तशब्दे परे। अपादि। अपत्साताम्। अपत्सत॥ <B>'''विद</B>''' सत्तायाम्॥ २२॥ विद्यते। वेत्ता। अवित्त॥ <B>'''बुध</B>''' अवगमने॥ २३॥ बुध्यते। बोद्धा। भोत्स्यते। भुत्सीष्ट। अबोधि, अबुद्ध। अभुत्साताम्॥ <B>'''युध</B>''' संप्रहारे॥ २४॥ युध्यते। युयुधे। योद्धा। अयुद्ध॥ <B>'''सृज</B>''' विसर्गे॥ २५॥ सृज्यते। ससृजे। ससृजिषे॥<BR>
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<B>'''सृजिदृशोर्झल्यमकिति॥ लसक_६४७ = पा_६,१.५८॥</B>'''<BR>
अनयोरमागमः स्याज्झलादावकिति। स्रष्टा। स्रक्ष्यति। सृक्षीष्ट। असृष्ट। असृक्षाताम्॥ <B>'''मृष</B>''' तितिक्षायाम्॥ २६॥ मृष्यति, मृष्यते॥ ममर्ष। ममर्षिथ। ममृषिषे। मर्षितासि। मर्षिष्यति, मर्षिष्यते॥ <B>'''णह</B>''' बन्धने॥ २७॥ नह्यति, नह्यते। ननाह। नेहिथ, ननद्ध। नेहे। नद्धा। नत्स्यति। अनात्सीत्, अनद्ध॥<BR>
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इति दिवादयः॥ ४॥<BR>
 
[[वर्गः:लघुसिद्धान्तकौमुदी]]