"लघुसिद्धान्तकौमुदी/चुरादिप्रकरणम्" इत्यस्य संस्करणे भेदः

चुरादयः
 
(लघु) लघुसिद्धान्तकौमुदी using AWB
पङ्क्तिः १:
{{लघुसिद्धान्तकौमुदी}}
 
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अथ चुरादयः<BR>
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<B>'''चुर</B>''' स्तेये॥ १॥<BR>
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<B>'''सत्यापपाशरूपवीणातूलश्लोकसेनालोमत्वचवर्मवर्णचूर्ण चुरादिभ्यो णिच्॥ लसक_६९७ = पा_२,१.२५॥</B>'''<BR>
एभ्यो णिच् स्यात्। चूर्णान्तेभ्यः ऽप्रातिपदिकाद्धात्वर्थे&८२१७॑ इत्येव सिद्धे तेषामिह ग्रहणं प्रपञ्चार्थम्। चुरादिभ्यस्तु स्वार्थे। पुगन्तेति गुणः। सनाद्यन्ता इति धातुत्वम्। तिप्शबादि। गुणायादेशौ। चोरयति॥<BR>
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<B>'''णिचश्च॥ लसक_६९८ = पा_१,३.७४॥</B>'''<BR>
णिजन्तादात्मनेपदं स्यात्कर्तृगामिनि क्रियाफले। चोरयते। चोरयामास। चोरयिता। चोर्यात्, चोरयिषीष्ट। णिश्रीति चङ्। णौ चङीति ह्रस्वः। चङीति द्वित्वम्। हलादिः शेषः। दीर्घो लघोरित्यभ्यासस्य दीर्घः। अचूचुरत्, अचूचुरत॥ <B>'''कथ</B>''' वाक्यप्रबन्धे॥ २॥ अल्लोपः॥<BR>
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<B>'''अचः परस्मिन्पूर्वविधौ॥ लसक_६९९ = पा_१,१.५७॥</B>'''<BR>
अल्विध्यर्थमिदम्। परनिमित्तो ऽजादेशः स्थानिवत् स्यात्स्थानि भूतादचः पूर्वत्वेन दृष्टस्य विधौ कर्तव्ये। इति स्थानिवत्वान्नोपधावृद्धिः। कथयति। अग्लोपित्वाद्दीर्घसन्वद्भावौ न। अचकथत्॥ <B>'''गण</B>''' संख्याने॥ ३॥ गणयति॥<BR>
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<B>'''ई च गणः॥ लसक_७०० = पा_७,४.९७॥</B>'''<BR>
गणयतेरभ्यासस्य ई स्याच्चङ्परे णौ चादत्। अजीगणत्, अजगणत्॥<BR>
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इति चुरादयः॥<BR>
 
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