"लघुसिद्धान्तकौमुदी/यङन्तप्रक्रिया" इत्यस्य संस्करणे भेदः

यङन्त प्रक्रिया
 
(लघु) लघुसिद्धान्तकौमुदी using AWB
पङ्क्तिः १:
{{लघुसिद्धान्तकौमुदी}}
 
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अथ यङन्तप्रक्रिया<BR>
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<B>'''धातोरेकाचो हलादेः क्रियासमभिहारे यङ्॥ लसक_७१४ = पा_३,१.२२॥</B>'''<BR>
पौनःपुन्ये भृशार्थे च द्योत्ये धातोरेकाचो हलादेर्यङ् स्यात्॥<BR>
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<B>'''गुणो यङ्लुकोः॥ लसक_७१५ = पा_७,४.८२॥</B>'''<BR>
अभ्यासस्य गुणो यङि यङ्लुकि च परतः। ङिदन्तत्वादात्मनेपदम्। पुनः पुनरतिशयेन वा भवति बोभूयते। बोभूयाञ्चक्रे। अबोभूयिष्ट॥<BR>
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<B>'''नित्यं कौटिल्ये गतौ॥ लसक_७१६ = पा_३,१.२३॥</B>'''<BR>
गत्यर्थात्कौटिल्य एव यङ् स्यान्न तु क्रियासमभिहारे॥<BR>
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<B>'''दीर्घो ऽकितः॥ लसक_७१७ = पा_७,४.८३॥</B>'''<BR>
अकितो ऽभ्यासस्य दीर्घो यङ्यङ्लुकोः। कुटिलं व्रजति वाव्रज्यते॥<BR>
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<B>'''यस्य हलः॥ लसक_७१८ = पा_६,४.४९॥</B>'''<BR>
यस्येति संघातग्रहणम्। हलः परस्य यशब्दस्य लोप आर्धधातुके। आदेः परस्य। अतो लोपः। वाव्रजाञ्चक्रे। वाव्रजिता॥<BR>
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<B>'''रीगृदुपधस्य च॥ लसक_७१९ = पा_७,४.९०॥</B>'''<BR>
ऋदुपधस्य धातोरभ्यासस्य रीगागमो यङ्यङ्लुकोः। वरीवृत्यते। वरीवृताञ्चक्रे। वरीवर्तिता॥<BR>
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<B>'''क्षुभ्नादिषु च॥ लसक_७२० = पा_८,४.३९॥</B>'''<BR>
णत्वं न। नरीनृत्यते। जरीगृह्यते॥<BR>
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इति यङन्त प्रक्रिया॥<BR>
 
[[वर्गः:लघुसिद्धान्तकौमुदी]]