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ठञधिकारप्रकरणम्
 
(लघु) लघुसिद्धान्तकौमुदी using AWB
पङ्क्तिः १:
{{लघुसिद्धान्तकौमुदी}}
 
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अथ ठञधिकारः<BR>
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<B>'''प्राग्वतेष्ठञ्॥ लसक_११४६ = पा_५,१.१८॥</B>'''<BR>
तेन तुल्यमिति वतिं वक्ष्यति, ततः प्राक् ठञधिक्रियते॥<BR>
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<B>'''तेन क्रीतम्॥ लसक_११४७ = पा_५,१.३७॥</B>'''<BR>
सप्तत्या क्रीतं साप्ततिकम्। प्रास्थिकम्॥<BR>
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<B>'''सर्वभूमिपृथिवीभ्यामणञौ॥ लसक_११४८ = पा_५,१.४१॥</B>'''<BR>
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<B>'''तस्येश्वरः॥ लसक_११४९ = पा_५,१.४२॥</B>'''<BR>
सर्वभूमिपृथिवीभ्यामणञौ स्तः। अनुशतिकादीनां च। सर्वभूमेरीश्वरः सार्वभौमः। पार्थिवः॥<BR>
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<B>'''पङ्क्तिविंशतित्रिंशच्चत्वारिंशत्पञ्चाशत्षष्टिसप्तत्यशीतिनवतिशतम्॥ लसक_११५० = पा_५,१.५९॥</B>'''<BR>
एते रूढिशब्दा निपात्यन्ते॥<BR>
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<B>'''तदर्हति॥ लसक_११५१ = पा_५,१.६३॥</B>'''<BR>
लब्धुं योग्यो भवतीत्यर्थे द्वितीयान्ताट्ठञादयः स्युः। श्वेतच्छत्रमर्हति श्वैतच्छत्रिकः॥<BR>
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<B>'''दण्डादिभ्यो यत्॥ लसक_११५२ = पा_५,१.६६॥</B>'''<BR>
एभ्यो यत् स्यात्। दण्डमर्हति दण्ड्यः। अर्घ्यः। वध्यः॥<BR>
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<B>'''तेन निर्वृत्तम्॥ लसक_११५३ = पा_५,१.७९॥</B>'''<BR>
अह्ना निर्वृत्तम् आह्निकम्॥<BR>
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इति ठञो ऽवधिः। (प्राग्वतीयाः)॥ १०॥<BR>
 
[[वर्गः:लघुसिद्धान्तकौमुदी]]