"लघुसिद्धान्तकौमुदी/त्वतलाधिकारप्रकरणम्" इत्यस्य संस्करणे भेदः

त्वतलाधिकारप्रकरणम्
 
(लघु) लघुसिद्धान्तकौमुदी using AWB
पङ्क्तिः १:
{{लघुसिद्धान्तकौमुदी}}
 
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अथ त्वतलोरधिकारः<BR>
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<B>'''तेन तुल्यं क्रिया चेद्वतिः॥ लसक_११५४ = पा_५,१.११५॥</B>'''<BR>
ब्राह्मणेन तुल्यं ब्राह्मणवत् अधीते। क्रिया चेदिति किम् ? गुणतुल्ये मा भूत्। पुत्रेण तुल्यः स्थूलः॥<BR>
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<B>'''तत्र तस्येव॥ लसक_११५५ = पा_५,१.११६॥</B>'''<BR>
मथुरायामिव मथुरावत् स्रुग्ध्ने प्रकारः। चैत्रस्येव चैत्रवन्मैत्रस्य गावः॥<BR>
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<B>'''तस्य भावस्त्वतलौ॥ लसक_११५६ = पा_५,१.११९॥</B>'''<BR>
प्रकृतिजन्यबोधे प्रकारो भावः। गोर्भावो गोत्वम्। गोता। त्वान्तं क्लीबम्॥<BR>
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<B>'''आ च त्वात्॥ लसक_११५७ = पा_५,१.१२०॥</B>'''<BR>
ब्रह्मणस्त्व इत्यतः प्राक् त्वतलावधिक्रियेते। अपवादैः सह समावेशार्थमिदम्। चकारो नञ्स्नञ्भ्यामपि समावेशार्थः। स्त्रिया भावः - स्त्रैणम्। स्त्रीत्वम्। स्त्रीता। पौस्नम्। पुंस्त्वम्। पुंस्ता॥<BR>
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<B>'''पृथ्वादिभ्य इमनिज्वा॥ लसक_११५८ = पा_५,१.१२२॥</B>'''<BR>
वावचनमणादिसमावेशार्थम्॥<BR>
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<B>'''र ऋतो हलादेर्लघोः॥ लसक_११५९ = पा_६,४.१६१॥</B>'''<BR>
हलादेर्लघोरृकारस्य रः स्यादिष्ठेयस्सु परतः। पृथुमृदुभृशकृशदृढपरिवृढा नामेव रत्वम्॥<BR>
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<B>'''टेः॥ लसक_११६० = पा_६,४.१५५॥</B>'''<BR>
भस्य टेर्लोप इष्ठेमेयस्सु। पृथोर्भावः प्रथिमा - .<BR>
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<B>'''इगन्ताच्च लघुपूर्वात्॥ लसक_११६१ = पा_५,१.१३१॥</B>'''<BR>
इगन्ताल्लघुपूर्वात् प्रातिपदिकाद्भावे ऽण् प्रत्ययः। पार्थवम्। म्रदिमा, मार्दवम्॥<BR>
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<B>'''वर्णदृढादिभ्यः ष्यञ्च॥ लसक_११६२ = पा_५,१.१२३॥</B>'''<BR>
चादिमनिच्। शौक्ल्यम्। शुक्लिमा। दार्ढ्यम्। द्रढिमा॥<BR>
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<B>'''गुणवचनब्राह्मणादिभ्यः कर्मणि च॥ लसक_११६३ = पा_५,१.१२४॥</B>'''<BR>
चाद्भावे। जडस्य भावः कर्म वा जाड्यम्। मूढस्य भावः कर्म वा मौढ्यम्। ब्राह्मण्यम्। आकृतिगणो ऽयम्॥<BR>
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<B>'''सख्युर्यः॥ लसक_११६४ = पा_५,१.१२६॥</B>'''<BR>
सख्युर्भावः कर्म वा सख्यम्॥<BR>
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<B>'''कपिज्ञात्योर्ढक्॥ लसक_११६५ = पा_५,१.१२७॥</B>'''<BR>
कापेयम्। ज्ञातेयम्।<BR>
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<B>'''पत्यन्तपुरोहितादिभ्यो यक्॥ लसक_११६६ = पा_५,१.१२८॥</B>'''<BR>
सैनापत्यम्। पौरोहित्यम्॥<BR>
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इति त्वतलोरधिकारः॥ ११॥<BR>
 
[[वर्गः:लघुसिद्धान्तकौमुदी]]