"ऋग्वेदः सूक्तं १.६९" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः ९:
उषो न जारो विभावोस्रः संज्ञातरूपश्चिकेतदस्मै |
तमना वहन्तो दुरो वय रण्वन नवन्त विश्वे सवर्द्र्शीके ||
*[[ऋग्वेद:]]
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