"ऋग्वेदः सूक्तं १.१११" इत्यस्य संस्करणे भेदः
Content deleted Content added
(लघु) ऋग्वेद: सूक्तं 1.111 moved to ऋग्वेद: सूक्तं १.१११ |
(लघु) Yannf : replace |
||
पङ्क्तिः १:
तक्षन रथं सुव्र्तं विदम्नापसस्तक्षन हरी इन्द्रवाहा वर्षण्वसू |
तक्षन पित्र्भ्यां रभवो युवद वयस्तक्षन्वत्साय मातरं सचाभुवम
आ नो यज्ञाय तक्षत रभुमद वयः करत्वे दक्षाय सुप्रजावतीमिषम |
यथा कषयाम सर्ववीरया विशा तन नःशर्धाय धासथा सविन्द्रियम
आ तक्षत सातिमस्मभ्यं रभवः सातिं रथाय सातिमर्वते नरः |
सातिं नो जैत्रीं सं महेत विश्वहा जामिमजामिं पर्तनासु सक्षणिम
रभुक्षणमिन्द्रमा हुव ऊतय रभून वाजान मरुतः सोमपीतये |
उभा मित्रावरुणा नूनमश्विना ते नो हिन्वन्तु सातये धिये जिषे
रभुर्भराय सं शिशातु सातिं समर्यजिद वाजो अस्मानविष्टु |
तन नो ...
|