"महाभारतम्-01-आदिपर्व-111" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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पङ्क्तिः १२:
विचित्रवीर्यमरणम्।। 2 ।।<br>
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<tr><td><p> <B>वैशंपायन उवाच।</B> <td> 1-111-1x </p></tr>
 
<tr><td><p> <B> '''वैशंपायन उवाच।</B>''' <td> 1-111-1x </p></tr>
 
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<tr><td><p> अम्बायां निर्गतायां तु भीष्मः शान्तनवस्तदा।<BR>न्यायेन कारयामास राज्ञो वैवाहिकीं क्रियाम्।। <td> 1-111-1a<BR>1-111-1b </p></tr>
 
<tr><td><p> अम्बायां निर्गतायां तु भीष्मः शान्तनवस्तदा।<BR>न्यायेन कारयामास राज्ञो वैवाहिकीं क्रियाम्।। <td> 1-111-1a<BR>1-111-1b </p></tr>
 
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<tr><td><p> अम्बिकाम्बालिके चैव परिणीयाग्निसंनिधौ।<BR>`तयोः पाणी गृहीत्वा तु कौरव्यो रूपदर्पितः।'<BR>विचित्रवीर्यो धर्मात्मा कामात्मा समपद्यत।। <td> 1-111-2a<BR>1-111-2b<BR>1-111-2c </p></tr>
 
<tr><td><p> अम्बिकाम्बालिके चैव परिणीयाग्निसंनिधौ।<BR>`तयोः पाणी गृहीत्वा तु कौरव्यो रूपदर्पितः।'<BR>विचित्रवीर्यो धर्मात्मा कामात्मा समपद्यत।। <td> 1-111-2a<BR>1-111-2b<BR>1-111-2c </p></tr>
 
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<tr><td><p> ते चापि बृहतीश्यामे नीलकुञ्चितमूर्धजे।<BR>रक्ततुङ्गनखोपेते पीनश्रोणिपयोधऱे।। <td> 1-111-3a<BR>1-111-3b </p></tr>
 
<tr><td><p> ते चापि बृहतीश्यामे नीलकुञ्चितमूर्धजे।<BR>रक्ततुङ्गनखोपेते पीनश्रोणिपयोधऱे।। <td> 1-111-3a<BR>1-111-3b </p></tr>
 
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<tr><td><p> आत्मनः प्रतिरूपोऽसौ लब्धः पतिरिति स्थिते।<BR>विचित्रवीर्यं कल्याण्यौ पूजयामासतुः शुभे।। <td> 1-111-4a<BR>1-111-4b </p></tr>
 
<tr><td><p> आत्मनः प्रतिरूपोऽसौ लब्धः पतिरिति स्थिते।<BR>विचित्रवीर्यं कल्याण्यौ पूजयामासतुः शुभे।। <td> 1-111-4a<BR>1-111-4b </p></tr>
 
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<tr><td><p> `अन्योन्यं प्रति सक्ते च एकभावे इव स्थिते।'<BR>स चाश्विरूपसदृशो देवतुल्यपराक्रमः।<BR>सर्वासामेव नारीणां चित्तप्रमथनो रहः।। <td> 1-111-5a<BR>1-111-5b<BR>1-111-5c </p></tr>
 
<tr><td><p> `अन्योन्यं प्रति सक्ते च एकभावे इव स्थिते।'<BR>स चाश्विरूपसदृशो देवतुल्यपराक्रमः।<BR>सर्वासामेव नारीणां चित्तप्रमथनो रहः।। <td> 1-111-5a<BR>1-111-5b<BR>1-111-5c </p></tr>
 
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<tr><td><p> ताभ्यां सह समाः सप्त विहरन्पृथिवीपतिः।<BR>विचित्रवीर्यस्तरुणो यक्ष्मणा समगृह्यत।। <td> 1-111-6a<BR>1-111-6b </p></tr>
 
<tr><td><p> ताभ्यां सह समाः सप्त विहरन्पृथिवीपतिः।<BR>विचित्रवीर्यस्तरुणो यक्ष्मणा समगृह्यत।। <td> 1-111-6a<BR>1-111-6b </p></tr>
 
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<tr><td><p> सुहृदां यतमानानामाप्तैः सह चिकित्सकैः।<BR>जगामास्तमिवादित्यः कौरव्यो यमसादनम्।। <td> 1-111-7a<BR>1-111-7b </p></tr>
 
<tr><td><p> सुहृदां यतमानानामाप्तैः सह चिकित्सकैः।<BR>जगामास्तमिवादित्यः कौरव्यो यमसादनम्।। <td> 1-111-7a<BR>1-111-7b </p></tr>
 
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<tr><td><p> धर्मात्मा स तु गाङ्गेयः चिन्ताशोकपरायणः।<BR>प्रेतकार्याणि सर्वाणि तस्य सम्यगकारयत्।। <td> 1-111-8a<BR>1-111-8b </p></tr>
 
<tr><td><p> धर्मात्मा स तु गाङ्गेयः चिन्ताशोकपरायणः।<BR>प्रेतकार्याणि सर्वाणि तस्य सम्यगकारयत्।। <td> 1-111-8a<BR>1-111-8b </p></tr>
 
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<tr><td><p> राज्ञो विचित्रवीर्यस्य सत्यवत्या मते स्थितः।<BR>ऋत्विग्बिः सहितो भीष्मः सर्वैश्च कुरुपुङ्गवैः।।<BR>प्रसीद यज्ञसेनेह गतिर्मे भव सोमक।। <td> 1-111-9a<BR>1-111-9b<BR><BR>1-110-11b </p></tr></table>
 
<tr><td><p> राज्ञो विचित्रवीर्यस्य सत्यवत्या मते स्थितः।<BR>ऋत्विग्बिः सहितो भीष्मः सर्वैश्च कुरुपुङ्गवैः।।<BR>प्रसीद यज्ञसेनेह गतिर्मे भव सोमक।। <td> 1-111-9a<BR>1-111-9b<BR><BR>1-110-11b </p></tr></table>
 
1-110-11b
 
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1-111-3 बृहतीश्यामे बृहतीपुष्पद्रक्तश्यामे।।
1-111-4 प्रतिरूपः अनुरूपः।।
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