"कथासरित्सागरः/लम्बकः १" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः १:
तरङ्गः १
मंगलाचरण ३; प्रस्तावना ३; शिव और पार्वती का संवाद ५; पार्वती के पूर्वजन्म की संक्षिप्त कथा ७; पार्वती का प्रणय-कोप ९; पुनः कथा का उपक्रम ९; पुष्पदन्त और माल्यवान् को पार्वती का शाप ११; शापान्त की घोषणा ११ ।।
तरङ्गः २
वररुचि (पुष्पदन्त) की कथा १३; वररुचि की जन्म-कथा १७; व्याडि की कथा १९; वर्ष का चरित्र १९ ॥
[https://sa.wikisource.org/s/939 तरङ्गः ३]
पाटलिपुत्न के निर्माण की कथा २५; राजा ब्रह्मदत्त की कथा २९ ।।
[https://sa.wikisource.org/s/92p तरङ्गः ४]
उपकोशा की कथा ३७; पाणिनि की कथा ३९; उपकोशा की कथा (क्रमागत) ४१; वररुचि का प्रत्यागमन ४९ ।।
[https://sa.wikisource.org/s/93z तरङ्गः ५]
वररुचि की कथा (क्रमश:) : बररुचि का वैराग्य ५५, राजा योगनन्द का अन्तःपुर : मरी मछली का हँसना ५७; सुन्दर कौन ? ६१; राजा श्रादित्यवर्मा और मन्त्री शिववर्मा की कथा ६३; मित्रद्रोह का फल ६५; वररुचि का वैराग्य और महाप्रस्थान ६९; चाणक्य की कथा ६९; शाहकारी मुनि की कथा ७३ ।।
[https://sa.wikisource.org/s/938 तरङ्गः ६]
गुणाढ्य की कथा ७५; चूहे से धनी बने सेठ की कथा ७७; मूर्ख सामवेदी ब्राह्मण की कथा ८१; देवी-उद्यान की कथा ८३; राजा सातवाहन की कथा ८७ ।।
[https://sa.wikisource.org/s/945 तरङ्गः ७]
शर्ववर्मा की कथा (कातन्त्र-कालापक व्याकरण की उत्पत्ति) ९७; पुष्पदन्त की पूर्वकथा १०३; राजा शिबि की कथा १०९; माल्यवान् की पूर्वकथा १११ ।।
[https://sa.wikisource.org/s/946 तरङ्गः ८]
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