"ऋग्वेदः सूक्तं ८.७३" इत्यस्य संस्करणे भेदः
Content deleted Content added
No edit summary |
(लघु) Yann ८, ॥ : replace |
||
पङ्क्तिः १:
उदीराथां रतायते युञ्जाथामश्विना रथम |
अन्ति षद्भूतु वामवः
निमिषश्चिज्जवीयसा रथेना यातमश्विना |
अन्ति षद .. .
उप सत्र्णीतमत्रये हिमेन घर्ममश्विना |
अन्ति षद ...
कुह सथः कुह जग्मथुः कुह शयेनेव पेतथुः |
अन्ति षद...
यदद्य कर्हि कर्हि चिच्छुश्रूयातमिमं हवम |
अन्ति षद ...
अश्विना यामहूतमा नेदिष्ठं याम्याप्यम |
अन्ति षद ...
अवन्तमत्रये गर्हं कर्णुतं युवमश्विना |
अन्ति षद ...
वरेथे अग्निमातपो वदते वल्ग्वत्रये |
अनति षद ...
पर सप्तवध्रिराशसा धारामग्नेरशायत |
अन्ति षद...
इहा गतं वर्षण्वसू शर्णुतं म इमं हवम |
अन्ति षद .. .
किमिदं वां पुराणवज्जरतोरिव शस्यते |
अन्ति षद ...
समानं वां सजात्यं समानो बन्धुरश्विना |
अन्ति षद...
यो वां रजांस्यश्विना रथो वियाति रोदसी |
अन्ति षद . ..
आ नो गव्येभिरश्व्यैः सहस्रैरुप गछतम |
अन्ति षद .. .
मा नो गव्येभिरश्व्यैः सहस्रेभिरति खयतम |
अन्ति षद...
अरुणप्सुरुषा अभूदकर्ज्योतिरतावरी |
अन्ति षद ...
अश्विना सु विचाकशद वर्क्षं परशुमानिव |
अन्ति षद ...
पुरं न धर्ष्णवा रुज कर्ष्णया बाधितो विशा |
अन्ति षद ...
|