अभङ्गपद्यम् ०४
मराठी(मूलम्) | संस्कृतम् |
---|---|
४ भावेंविण भक्ति भक्तिविंण मुक्ति। |
४ भावेन रहिता भक्तिर्मुक्तिर्भक्तिं विना तथा। |
हरिपाठ: ज्ञानेश्वरकृत: मराठी-संस्कृतभाषाभ्याम्
मराठी(मूलम्) | संस्कृतम् |
---|---|
४ भावेंविण भक्ति भक्तिविंण मुक्ति। |
४ भावेन रहिता भक्तिर्मुक्तिर्भक्तिं विना तथा। |
हरिपाठ: ज्ञानेश्वरकृत: मराठी-संस्कृतभाषाभ्याम्