अभङ्गपद्यम् ०५
मराठी(मूलम्) | संस्कृतम् |
---|---|
५ योगयागविधि येणे नोहे सिद्धि। |
५ न योगविधिना सिद्धिर्न यागविधिनापि वा। |
हरिपाठ: ज्ञानेश्वरकृत: मराठी-संस्कृतभाषाभ्याम्
मराठी(मूलम्) | संस्कृतम् |
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५ योगयागविधि येणे नोहे सिद्धि। |
५ न योगविधिना सिद्धिर्न यागविधिनापि वा। |
हरिपाठ: ज्ञानेश्वरकृत: मराठी-संस्कृतभाषाभ्याम्