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मण्डलम्-१०
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-ऋ. वे. ७:५/२९-
(ऋ. वे. १०,१)
अग्ने | बृहन् | उषसाम् | ऊर्ध्वः | अस्थात् | निः-जगन्वान् | तमसः | ज्योतिषा | आ | अगात् | अग्निः | भानुना | रुशता | सु-अङ्गः | आ | जातः | विश्वा | सद्मानि | अप्राः // ऋ. वे. १०,१.१ //
सः | जातः | गर्भः | असि | रोदस्योः | अग्ने | चारुः | वि-भृतः | ओषधीषु | चित्रः | शिशुः | परि | तमांसि | अक्तून् | प्र | मातृ-भ्यः | अधि | कनिक्रदत् | गाः // ऋ. वे. १०,१.२ //
विष्णुः | इत्था | परमम् | अस्य | विद्वान् | जातः | बृहन् | अभि | पाति | तृतीयम् | आसा | यत् | अस्य | पयः | अक्रत | स्वम् | स-चेतसः | अभि | अर्चन्ति | अत्र // ऋ. वे. १०,१.३ //
अतः | ॐ इति | त्वा | पितु-भृतः | जनित्रीः | अन्न-वृधम् | प्रति | चरन्ति | अन्नैः | ताः | ईम् | प्रति | एषि | पुनः | अन्य-रूपाः | असि | त्वम् | विक्षु | मानुषीषु | होता // ऋ. वे. १०,१.४ //
होतारम् | चित्र-रथम् | अध्वरस्य | यज्ञस्य-यज्ञस्य | केतुम् | रुशन्तम् | प्रति-अर्धिम् | देवस्य-देवस्य | मह्ना | श्रिया | त्वम् | अग्निम् | अतिथिम् | जनानाम् // ऋ. वे. १०,१.५ //
सः | तु | वस्त्राणि | अध | पेशनानि | वसानः | अग्निः | नाभा | पृथिव्याः | अरुषः | जातः | पदे | इऌआयाः | पुरः-हितः | राजन् | यक्षि | इह | देवान् // ऋ. वे. १०,१.६ //
आ | हि | द्यावापृथिवी इति | अग्ने | उभे इति | सदा | पुत्रः | न | मातरा | ततन्थ | प्र | याहि | अच्छ | उशतः | यविष्ठ | अथ | आ | वह | सहस्य | इह | देवान् // ऋ. वे. १०,१.७ //
//२९//.

-ऋ. वे. ७:५/३०-
(ऋ. वे. १०,२)
पिप्रीहि | देवान् | उशतः | यविष्ठ | विद्वान् | ऋतून् | ऋतु-पते | यज | इह | ये | दैव्याः | ऋत्विजः | तेभिः | अग्ने | त्वम् | होतृॠणाम् | असि | आयजिष्ठः // ऋ. वे. १०,२.१ //
वेषि | होत्रम् | उत | पोत्रम् | जनानाम् | मन्धाता | असि | द्रविणः-दाः | ऋत-वा | स्वाहा | वयम् | कृणवाम | हवींषि | देवः | देवान् | यजतु | अग्निः | अर्हन् // ऋ. वे. १०,२.२ //
आ | देवानाम् | अपि | पन्थाम् | अगन्म | यत् | शक्नवाम | तत् | अनु | प्र-वोऌहुम् | अग्निः | विद्वान् | सः | यजत् | सः | इत् | ॐ इति | होता | सः | अध्वरान् | सः | ऋतून् | कल्पयाति // ऋ. वे. १०,२.३ //
तत् | वः | वयम् | प्र-मिनाम | व्रतानि | विदुषाम् | देवाः | अविदुः-तरासः | अग्निः | तत् | विश्वम् | आ | पृणाति | विद्वान् | येभिः | देवान् | ऋतु-भिः | कल्पयाति // ऋ. वे. १०,२.४ //
यत् | पाक-त्रा | मनसा | दीन-दक्षाः | न | यज्ञस्य | मन्वते | मर्त्यासः | अग्निः | तत् | होता | क्रतु-वित् | वि-जानन् | यजिष्ठः | देवान् | ऋतु-शः | यजाति // ऋ. वे. १०,२.५ //
विश्वेषाम् | हि | अध्वराणाम् | अनीकम् | चित्रम् | केतुम् | जनिता | त्वा | जजान | सः | आ | यजस्व | नृ-वतीः | अनु | क्षाः | स्पार्हाः | इषः | क्षु-मतीः | विस्व-जन्याः // ऋ. वे. १०,२.६ //
यम् | त्वा | द्यावापृथिवी इति | यम् | त्वा | आपः | त्वष्टा | यम् | त्वा | सु-जमिमा | जजान | पन्थाम् | अनु | प्र-विद्वान् | पितृ-यानम् | द्यु-मत् | अग्ने | सम्-इधानः | वि | भाहि // ऋ. वे. १०,२.७ //
//३०//.

-ऋ. वे. ७:५/३१-
(ऋ. वे. १०,३)
इनः | राजन् | अरतिः | सम्-इद्धः | रौद्रः | दक्षाय | सुसु-मान् | अदर्शि | चिकित् | वि | भाति | बृहता | असिक्नीम् | एति | रुशतीम् | अप-अजन् // ऋ. वे. १०,३.१ //
कृष्णाम् | यत् | एनीम् | अभि | वर्पसा | भूत् | जनयन् | योषाम् | बृहतः | पितुः | जाम् | ऊर्ध्वम् | भानुम् | सूर्यस्य | स्तभायन् | दिवः | वसु-भिः | अरतिः | वि | भाति // ऋ. वे. १०,३.२ //
भद्रः | भद्रया | सचमानः | आ | अगात् | स्वसारम् | जारः | अभि | एति | पश्चात् | सु-प्रकेतैः | द्यु-भिः | अग्निः | वि-तिष्ठन् | रुशत्-भिः | वर्णैः | अभि | रामम् | अस्थात् // ऋ. वे. १०,३.३ //
अस्य | यामासः | बृहतः | न | वग्नून् | इन्धानाः | अग्नेः | सख्युः | शिवस्य | ईड्यस्य | वृष्णः | बृहतः | सु-आसः | भामासः | यामन् | अक्तवः | चिकित्रे // ऋ. वे. १०,३.४ //
स्वनाः | न | यस्य | भामासः | पवन्ते | रोचमानस्य | बृहतः | सु-दिवः | ज्येष्ठेभिः | यः | तेजिष्ठैः | क्रीऌउमत्-भिः | वर्षिष्ठेभिः | भानु-भिः | नक्षति | द्याम् // ऋ. वे. १०,३.५ //
अस्य | शुष्मासः | ददृशान-पवेः | जेहमानस्य | स्वनयन् | नियुत्-भिः | प्रत्नेभिः | यः | रुशत्-भिः | देव-तमः | वि | रेभत्-भिः | अरतिः | भाति | व् इ-भ्वा // ऋ. वे. १०,३.६ //
सः | आ | वक्षि | महि | नः | आ | च | सत्सि | दिवःपृथिव्योः | अरतिः | युवत्योः | अग्निः | सु-तुकः | सुत्-उकेभिः | अश्वैः | रभस्वत्-भिः | रभस्वान् | आ | इह | गम्याः // ऋ. वे. १०,३.७ //
//३१//.

-ऋ. वे. ७:५/३२-
(ऋ. वे. १०,४)
प्र | ते | यक्षि | प्र | ते | इयर्मि | मन्म | भुवः | यथा | वन्द्यः | नः | हवेषु | धन्वन्-इव | प्र-पा | असि | त्वम् | अग्ने | इयक्षवे | पूरवे | प्रत्न | राजन् // ऋ. वे. १०,४.१ //
यम् | त्वा | जनासः | अभि | सम्-चरन्ति | गावः | उष्णम्-इव | व्रजम् | यविष्ठ | दूतः | देवानाम् | असि | मर्त्यानाम् | अन्तः | महान् | चरसि | रोचनेन // ऋ. वे. १०,४.२ //
शिशुम् | न | त्वा | जेन्यम् | वर्धयन्ती | माता | बिभर्ति | सचनस्यमाना | धनोः | अधि | प्र-वता | यासि | हर्यम् | जगीषसे | पशुः-इव | अव-सृष्टः // ऋ. वे. १०,४.३ //
मूराः | अमूर | न | वयम् | चिकित्वः | महि-त्वम् | अग्ने | त्वम् | अङ्ग | वित्से | शये | वव्रिः | चरति | जिह्वया | अदन् | रेरिह्यते | युवतिम् | विश्पतिः | सन् // ऋ. वे. १०,४.४ //
कू-चित् | जायते | सनयासु | नव्यः | वने | तस्थौ | पलितः | धूम-केतुः | अस्नाता | आपः | वृषभः | न | प्र | वेति | स-चेतसः | यम् | प्र-नयन्त | मतार्ः // ऋ. वे. १०,४.५ //
तनूत्यजाइव | तस्करा | वनर्गू इति | रशनाभिः | दश-भिः | अभि | अधीताम् | इयम् | ते | अग्ने | नव्यसी | मनीषा | युक्ष्व | रथम् | न | शुचयत्-भिः | अङ्गैः // ऋ. वे. १०,४.६ //
ब्रह्म | च | ते | जात-वेदः | नमः | च | इयम् | च | गीः | सदम् | इत् | वर्धनी | भूत् | रक्ष | नः | अग्ने | तनयानि | तोका | रक्ष | उत | नः | तन्वः | अप्र-युच्छन् // ऋ. वे. १०,४.७ //
//३२//.

-ऋ. वे. ७:५/३३-
(ऋ. वे. १०,५)
एकः | समुद्रः | धरुणः | रयीणाम् | अस्मत् | हृदः | भूरि-जन्मा | वि | चष्टे | सि सक्ति | ऊधः | निण्योः | उप-स्थे | उत्सस्य | मध्ये | नि-हितम् | पदम् | वेरितिवेः // ऋ. वे. १०,५.१ //
समानम् | नीऌअम् | वृषणः | वसानाः | सम् | जग्मिरे | महिषाः | अर्वतीभिः | ऋतस्य | पदम् | कवयः | नि | पान्ति | गुहा | नामानि | दधिरे | पराणि // ऋ. वे. १०,५.२ //
ऋतयिनी इत्य् ऋऋत-यिनी | मायिनी इति | सम् | दधातेइति | मित्वा | शिशुम् | जज्ञतुः | वर्धयन्ती इति | विश्वस्य | नाभिम् | चरतः | ध्रुवस्य | कवेः | चित् | तन्तुम् | मनसा | वि-यन्तः // ऋ. वे. १०,५.३ //
ऋतस्य | हि | वर्तनयः | सु-जातम् | इषः | वाजाय | प्र-दिवः | सचन्ते | अधीवासम् | रोदसी इति | ववसाने इति | घृतैः | अन्नैः | ववृधातेइति | मधूनाम् // ऋ. वे. १०,५.४ //
सप्त | स्वसृॠः | अरुषीः | वावशानः | विद्वान् | मध्वः | उत् | जभार | दृशे | कम् | अन्तः | येमे | अन्तरिक्षे | पुराजाः | इच्छन् | वव्रिम् | अविदत् | पूषणस्य // ऋ. वे. १०,५.५ //
सप्त | मर्यादाः | कवयः | ततक्षुः | तासाम् | एकाम् | इत् | अभि | अंहुरः | गात् | आयोः | ह | स्कम्भः | उप-मस्य | नीऌए | पथाम् | वि-सर्गे | धरुणेषु | तस्थौ // ऋ. वे. १०,५.६ //
असत् | च | सत् | च | परमे | वि-ओमन् | दक्षस्य | जन्मन् | अदितेः | उप-स्थे | अग्निः | ह | नः | प्रथम-जाः | ऋतस्य | पूर्वे | आयुनि | वृषभः | च | धेनुः // ऋ. वे. १०,५.७ //
//३३//.




-ऋ. वे. ७:६/१-
(ऋ. वे. १०,६)
अयम् | सः | यस्य | शर्मन् | अवः-भिः | अग्नेः | एधते | जरिता | अभिष्टौ | ज्येष्ठेभिः | यः | भानु-भिः | ऋषूणाम् | परि-एति | परि-वीतः | विभावा // ऋ. वे. १०,६.१ //
यः | भानु-भिः | विभावा | वि-भाति | अग्निः | देवेभिः | ऋत-वा | अजस्रः | आ | यः | विवाय | सख्या | सखि-भ्यः | परि-ह्वृतः | अत्यः | न | सप्तिः // ऋ. वे. १०,६.२ //
ईशे | यः | विश्वस्याः | देव-वीतेः | ईशे | विश्व-आयुः | उषसः | वि-उष्टौ | आ | यस्मिन् | मना | हवींषि | अग्नौ | अरिष्ट-रथः | स्कभ्नाति | शूषैः // ऋ. वे. १०,६.३ //
शूषेभिः | वृधः | जुषाणः | अर्कैः | देवान् | अच्छ | रघु-पत्वा | जगाति | मन्द्रः | होता | सः | जुह्वा | यजिष्ठः | सम्-मिश्लः | अग्निः | आ | जिघर्ति | देवान् // ऋ. वे. १०,६.४ //
तम् | उस्राम् | इन्द्रम् | न | रेजमानम् | अग्निम् | गीः-भिः | नमः-भिः | आ | कृणुध्वम् | आ | यम् | विप्रासः | मति-भिः | गृणन्ति | जात-वेदसम् | जुह्वम् | सहानाम् // ऋ. वे. १०,६.५ //
सम् | यस्मिन् | विश्वा | वसूनि | जग्मुः | वाजे | न | अश्वाः | सप्ति-वन्तः | एवैः | अस्मे इति | ऊतीः | इन्द्रवात-तमाः | अर्वाचीनाः | अग्ने | आ | कृणुष्व // ऋ. वे. १०,६.६ //
अध | हि | अग्ने | मह्ना | नि-सद्य | सद्यः | जज्ञानः | हव्यः | बभूथ | तम् | ते | देवासः | अनु | केतम् | आयन् | अध | अवर्धन्त | प्रथमासः | ऊमाः // ऋ. वे. १०,६.७ //
//१//.

-ऋ. वे. ७:६/२-
(ऋ. वे. १०,७)
स्वस्ति | नः | दिवः | अग्ने | पृथिव्याः | विश्व-आयुः | धेहि | यजथाय | देव | सचेमहि | तव | दस्म | प्र-केतैः | उरुष्य | नः | उरु-भिः | देव | शंसैः // ऋ. वे. १०,७.१ //
इमाः | अग्ने | मतयः | तुभ्यम् | जाताः | गोभिः | अश्वैः | अभि | गृणन्ति | राधः | यदा | ते | मर्तः | अनु | भोगम् | आनट् | वसो इति | दधानः | मति-भिः | सु-जात // ऋ. वे. १०,७.२ //
अग्निम् | मन्ये | पितरम् | अग्निम् | आपिम् | अग्निम् | भ्रातरम् | सदम् | इत् | सखायम् | अग्नेः | अनीकम् | बृहतः | सपर्यन् | दिवि | शुक्रम् | यजतम् | सूर्यस्य // ऋ. वे. १०,७.३ //
सिध्राः | अग्ने | धियः | अस्मे इति | सनुत्रीः | यम् | त्रायसे | दमे | आ | नित्य-होता | ऋत-वा | सः | रोहित्-अश्वः | पुरु-क्षुः | द्यु-भिः | अस्मै | अह-भिः | वामम् | अस्तु // ऋ. वे. १०,७.४ //
द्यु-भिः | हितम् | मित्रम्-इव | प्र-योगम् | प्रत्नम् | ऋत्विजम् | अध्वरस्य | जारम् | बाहु-भ्याम् | अग्निम् | आयवः | अजनन्त | विक्षु | होतारम् | नि | असादयन्त // ऋ. वे. १०,७.५ //
स्वयम् | यजस्व | दिवि | देव | देवान् | किम् | ते | पाकः | कृणवत् | अप्र-चेताः | यथा | अयजः | ऋतु-भिः | देव | देवान् | एव | यजस्व | तन्वम् | सु-जात // ऋ. वे. १०,७.६ //
भव | नः | अग्ने | अविता | उत | गोपाः | भव | वयः-कृत् | उत | नः | वयः-धाः | रास्व | च | नः | सु-महः | हव्य-दातिम् | त्रास्व | उत | नः | तन्वः | अप्र-युच्छन् // ऋ. वे. १०,७.७ //
//२//.

-ऋ. वे. ७:६/३-
(ऋ. वे. १०,८)
प्र | केतुना | बृहता | याति | अग्निः | आ | रोदसी इति | वृषभः | रोरवीति | दिवः | चित् | अन्तान् | उप-मान् | उत् | आनट् | अपाम् | उप-स्थे | महिषः | ववर्ध // ऋ. वे. १०,८.१ //
मुमोद | गर्भः | वृषभः | ककुत्-मान् | अस्रेमा | वत्सः | शिमी-वान् | अरावीत् | सः | देव-ताति | उत्-यतानि | कृण्वन् | स्वेषु | क्षयेषु | प्रथमः | जिगाति // ऋ. वे. १०,८.२ //
आ | यः | मूर्धानम् | पित्रोः | अरब्ध | नि | अध्वरे | दधिरे | सूरः | अर्णः | अस्य | पत्मन् | अरुषीः | अश्व-बुध्नाः | ऋतस्य | योनौ | तन्वः | जुषन्त // ऋ. वे. १०,८.३ //
उषः-उषः | हि | वसो इति | अग्रम् | एषि | त्वम् | यमयोः | अभवः | विभावा | ऋताय | सप्त | दधिषे | पदानि | जनयन् | मित्रम् | तन्वे | स्वायै // ऋ. वे. १०,८.४ //
भुवः | चक्षुः | महः | ऋतस्य | गोपाः | भुवः | वरुणः | यत् | ऋताय | वेषि | भुवः | अपाम् | नपात् | जात-वेदः | भुवः | दूतः | यस्य | हव्यम् | जुजोषः // ऋ. वे. १०,८.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ७:६/४-
भुवः | यज्ञस्य | रजसः | च | नेता | यत्र | नियुत्-भिः | सचसे | शिवाभिः | द् इवि | मूर्धानम् | दधिषे | स्वः-साम् | जिह्वाम् | अग्ने | चकृषे | हव्य-वाहम् // ऋ. वे. १०,८.६ //
अस्य | त्रितः | क्रतुना | वव्रे | अन्तः | इच्छन् | धीतिम् | पितुः | एवैः | परस्य | सचस्यमानः | पित्रोः | उप-स्थे | जामि | ब्रुवाणः | आयुधानि | वेति // ऋ. वे. १०,८.७ //
सः | पित्र्याणि | आयुधानि | विद्वान् | इन्द्र-इषितः | आप्त्यः | अभि | अयुध्यत् | त्रि-शीर्षाणम् | सप्त-रश्मिम् | जघन्वान् | त्वाष्ट्रस्य | चित् | निः | ससृजे | त्रितः | गाः // ऋ. वे. १०,८.८ //
भूरि | इत् | इन्द्रः | उत्-इनक्षन्तम् | ओजः | अव | अभिनत् | सत्-पतिः | मन्यमानम् | त्वाष्ट्रस्य | चित् | विश्व-रूपस्य | गोनाम् | आचक्राणः | त्रीणि | शीर्षा | परा | वर्क // ऋ. वे. १०,८.९ //
//४//.

-ऋ. वे. ७:६/५-
(ऋ. वे. १०,९)
आपः | हि | स्थ | मयः-भुवः | ताः | नः | ऊर्जे | दधातन | महे | रणाय | चक्षसे // ऋ. वे. १०,९.१ //
यः | वः | शिव-तमः | रसः | तस्य | भाजयत | इह | नः | उशतीः-इव | मातरः // ऋ. वे. १०,९.२ //
तस्मै | अरम् | गमाम | वः | यस्य | क्षयाय | जिन्वथ | आपः | जनयथ | च | नः // ऋ. वे. १०,९.३ //
शम् | नः | देवीः | अभिष्टये | आपः | भवन्तु | पीतये | शम् | योः | अभि | स्रवन्तु | नः // ऋ. वे. १०,९.४ //
ईशानाः | वार्याणाम् | क्षयन्तीः | चर्षणीनाम् | अपः | याचामि | भेषजम् // ऋ. वे. १०,९.५ //
अप्-सु | मे | सोमः | अब्रवीत् | अन्तः | विश्वानि | भेषजा | अग्निम् | च | विश्व-शम्भुवम् // ऋ. वे. १०,९.६ //
आपः | पृणीत | भेषजम् | वरूथम् | तन्वे | मम | ज्योक् | च | सूर्यम् | दृशे // ऋ. वे. १०,९.७ //
इदम् | आपः | प्र | वहत | यत् | किम् | च | दुः-इतम् | मयि | यत् | वा | अहम् | अभि--दुद्रोह | यत् | वा | शेपे | उत | अनृतम् // ऋ. वे. १०,९.८ //
आपः | अद्य | अनु | अचारिषम् | रसेन | सम् | अगस्महि | पयस्वान् | अग्ने | आ | गहि | तम् | मा | सम् | सृज | वर्चसा // ऋ. वे. १०,९.९ //
//५//.

-ऋ. वे. ७:६/६-
(ऋ. वे. १०,१०)
ओ इति | चित् | सखायम् | सख्या | ववृत्याम् | तिरः | पुरु | चित् | अर्णवम् | जगन्वान् | पितुः | नपातम् | आ | दधीत | वेधाः | अधि | क्षमि | प्र-तरम् | दीध्यानः // ऋ. वे. १०,१०.१ //
न | ते | सखा | सख्यम् | वष्ति | एतत् | स-लक्ष्मा | यत् | विषु-रूपा | भवाति | महः | पुत्रासः | असुरस्य | वीराः | दिवः | धर्तारः | उर्विया | परि | ख्यन् // ऋ. वे. १०,१०.२ //
उशन्ति | घ | ते | अमृतासः | एतत् | एकस्य | चित् | त्यजसम् | मर्त्यस्य | नि | ते | मनः | मनसि | धायि | अस्मे इति | जन्युः | पतिः | तन्वम् | आ | विविश्याः // ऋ. वे. १०,१०.३ //
न | यत् | पुरा | चकृम | कत् | ह | नूनम् | ऋता | वदन्तः | अनृतम् | रपेम | गन्धर्वः | अप्-सु | अप्या | च | योषा | सा | नः | नाभिः | परमम् | जामि | तत् | नौ // ऋ. वे. १०,१०.४ //
गर्भे | नु | नौ | जनिता | दम्पती इतिदम्-पती | कः | देवः | त्वष्टा | सविता | विश्व-रूपः | नकिः | अस्य | प्र | मिनन्ति | व्रतानि | वेद | नौ | अस्य | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १०,१०.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ७:६/७-
कः | अस्य | वेद | प्रथमस्य | अह्नः | कः | ईम् | दृर्श | कः | इह | प्र | वोचत् | बृहत् | मित्रस्य | वरुणस्य | धाम | कत् | ॐ इति | ब्रवः | आहनः | वीच्या | नॄन् // ऋ. वे. १०,१०.६ //
यमस्य | मा | यम्यम् | कामः | आ | अगन् | समाने | योनौ | सह-शेय्याय | जायाइव | पत्ये | तन्वम् | रिरिच्याम् | वि | चित् | वृहेव | रथ्याइव | चक्रा // ऋ. वे. १०,१०.७ //
न | तिष्ठन्ति | न | नि | मिषन्ति | एते | देवानाम् | स्पशः | इह | ये | चरन्ति | अन्येन | मत् | आहनः | याहि | तूयम् | तेन | वि | वृहेव | रथ्याइव | चक्रा // ऋ. वे. १०,१०.८ //
रात्रीभिः | अस्मै | अह-भिः | दशस्येत् | सूर्यस्य | चक्षुः | मुहुः | उत् | मिमीयात् | दिवा | पृथिव्या | मिथुना | सबन्धूइतिस-बन्धू | यमीः | यमस्य | बिभृयात् | अजामि // ऋ. वे. १०,१०.९ //
आ | घ | ता | गच्छान् | उत्-तरा | युगानि | यत्र | जामयः | कृणवन् | अजामि | उप | बर्बृहि | वृषभाय | बाहुम् | अन्यम् | इच्छस्व | सु-भगे | पतिम् | मत् // ऋ. वे. १०,१०.१० //
//७//.

-ऋ. वे. ७:६/८-
किम् | भ्राता | असत् | यत् | अनाथम् | भवाति | किम् | ॐ इति | स्वसा | यत् | निः-ऋतिः | नि-गच्छात् | काम-मूता | बहु | एतत् | रपामि | तन्वा | मे | तन्वम् | सम् | पिपृग्धि // ऋ. वे. १०,१०.११ //
न | वै | ॐ इति | ते | तन्वा | तन्वम् | सम् | पपृच्याम् | पापम् | आहुः | यः | स्वसारम् | नि-गच्छात् | अन्येन | मत् | प्र-मुदः | कल्पयस्व | न | ते | भ्राता | सु-भगे | वष्टि | एतत् // ऋ. वे. १०,१०.१२ //
बतः | बत | असि | यम | न | एव | ते | मनः | हृदयम् | च | अविदाम | अन्या | क् इल | त्वाम् | कक्ष्याइव | युक्तम् | परि | स्वजाते | लिबुजाइव | वृक्षम् // ऋ. वे. १०,१०.१३ //
अन्यम् | ॐ इति | सु | त्वम् | यमि | अन्यः | ॐ इति | त्वाम् | परि | स्वजाते | लिबुजाइव | वृक्षम् | तस्य | वा | त्वम् | मनः | इच्छा | सः | वा | तव | अध | कृणुष्व | सम्-विदम् | सु-भद्राम् // ऋ. वे. १०,१०.१४ //
//८//.

-ऋ. वे. ७:६/९-
(ऋ. वे. १०,११)
वृषा | वृष्णे | दुदुहे | दोहसा | दिवः | पयांसि | यह्वः | अदितेः | अदाभ्यः | विश्वम् | सः | वेद | वरुणः | यथा | धिया | सः | यज्ञियः | यजतु | यज्ञियान् | ऋतून् // ऋ. वे. १०,११.१ //
रपत् | गन्धर्वीः | अप्या | च | योषणा | नदस्य | नादे | परि | पातु | मे | मनः | इष्टस्य | मध्ये | अदितिः | नि | धातु | नः | भ्राता | नः | ज्येष्ठः | प्रथमः | व् इ | वोचति // ऋ. वे. १०,११.२ //
सो इति | चित् | नु | भद्रा | क्षु-मती | यशस्वती | उषाः | उवास | मनवे | स्वः-वती | यत् | ईम् | उशन्तम् | उशताम् | अनु | ऋतुम् | अग्निम् | होतारम् | विदथाय | जीजनन् // ऋ. वे. १०,११.३ //
अध | त्यम् | द्रप्सम् | विभ्वम् | वि-चक्षणम् | विः | आ | अभरत् | इषितः | श्येनः | अध्वरे | यदि | विशः | वृणते | दस्मम् | आर्याः | अग्निम् | होतारम् | अध | धीः | अजायत // ऋ. वे. १०,११.४ //
सदा | असि | रण्वः | यवसाइव | पुष्यते | होत्राभिः | अग्ने | मनुषः | सु-अध्वरः | विप्रस्य | वा | यत् | शशमानः | उक्थ्यम् | वाजम् | सस-वान् | उप-यासि | भूरि-भिः // ऋ. वे. १०,११.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ७:६/१०-
उत् | ईरय | पितरा | जारः | आ | भगम् | इयक्षति | हर्यतः | हृत्तः | इष्यति | व् इवक्ति | वह्निः | सु-अपस्यते | मखः | तविष्यते | असुरः | वेपते | मती // ऋ. वे. १०,११.६ //
यः | ते | अग्ने | सु-मतिम् | मर्तः | अक्षत् | सहसः | सूनो इति | अति | सः | प्र | शृण्वे | इषम् | दधानः | वहमानः | अश्वैः | आ | सः | द्यु-मान् | अम-वान् | भूषति | द्यून् // ऋ. वे. १०,११.७ //
यत् | अग्ने | एषा | सम्-इतिः | भवाति | देवी | देवेषु | यजता | यजत्र | रत्ना | च | यत् | वि-भजासि | स्वधावः | भागम् | नः | अत्र | वसु-मन्तम् | वीतात् // ऋ. वे. १०,११.८ //
श्रुधि | नः | अग्ने | सदने | सध-स्थे | युक्ष्व | रथम् | अमृतस्य | द्रवित्नुम् | आ | नः | वह | रोदसी इति | देवपुत्रेइतिदेव-पुत्रे | माकिः | देवानाम् | अप | भूः | इह | स्याः // ऋ. वे. १०,११.९ //
//१०//.

-ऋ. वे. ७:६/११-
(ऋ. वे. १०,१२)
द्यावा | ह | क्षामा | प्रथमे इति | ऋतेन | अभि-श्रावे | भवतः | सत्य-वाचा | देवः | यत् | मर्तान् | यजथाय | कृण्वन् | सीदत् | होता | प्रत्यङ् | स्वम् | असुम् | यन् // ऋ. वे. १०,१२.१ //
देवः | देवान् | परि-भूः | ऋतेन | वह | नः | हव्यम् | प्रथमः | चिकित्वान् | धूम-केतुः | सम्-इधा | भाः-ऋजीकः | मन्द्रः | होता | नित्यः | वाचा | यजीयान् // ऋ. वे. १०,१२.२ //
स्वावृक् | देवस्य | अमृतम् | यदि | गोः | अतः | जातासः | धारयन्ते | उर्वी इति | विश्वे | देवाः | अनु | तत् | ते | यजुः | गुः | दुहे | यत् | एनी | दिव्यम् | घृतम् | वारित् इवाः // ऋ. वे. १०,१२.३ //
अर्चामि | वाम् | वर्धाय | अपः | घृतस्नूइतिघृत-स्नू | द्यावाभूमी इति | शृणुतम् | रोदसी इति | मे | अहा | यत् | द्यावः | असु-नीतिम् | अयन् | मध्वा | नः | अत्र | पितरा | शिशीताम् // ऋ. वे. १०,१२.४ //
किम् | स्वित् | नः | राजा | जगृहे | कत् | अस्य | अति | व्रतम् | चकृम | कः | वि | वेद | मि त्रः | चित् | हि | स्म | जुहुराणः | देवान् | श्लोकः | न | याताम् | अपि | वाजः | अस्ति // ऋ. वे. १०,१२.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ७:६/१२-
दुः-मन्तु | अत्र | अमृतस्य | नाम | स-लक्ष्मा | यत् | विषु-रूपा | भवाति | यमस्य | यः | मनवते | सु-मन्तु | अग्ने | तम् | ऋष्व | पाहि | अप्र-युच्छन् // ऋ. वे. १०,१२.६ //
यस्मिन् | देवाः | विदथे | मादयन्ते | विवस्वतः | सदने | धारयन्ते | सूर्ये | ज्योतिः | अदधुः | मासि | अक्तून् | परि | द्योतनिम् | चरतः | अजस्रा // ऋ. वे. १०,१२.७ //
यस्मिन् | देवाः | मन्मनि | सम्-चरन्ति | अपीच्ये | न | वयम् | अस्य | विद्म | मित्रः | नः | अत्र | अदितिः | अनागान् | सविता | देवः | वरुणाय | वोचत् // ऋ. वे. १०,१२.८ //
श्रुधि | नः | अग्ने | सदने | सध-स्थे | युक्ष्व | रथम् | अमृतस्य | द्रवित्नुम् | आ | नः | वह | रोदसी इति | देवपुत्रेइतिदेव-पुत्रे | माकिः | देवानाम् | अप | भूः | इह | स्याः // ऋ. वे. १०,१२.९ //
//१२//.

-ऋ. वे. ७:६/१३-
(ऋ. वे. १०,१३)
युजे | वाम् | ब्रह्म | पूर्व्यम् | नमः-भिः | वि | श्लोकः | एतु | पथ्याइव | सूरेः | शृण्वन्तु | विश्वे | अमृतस्य | पुत्राः | आ | ये | धामानि | दिव्यानि | तस्थुः // ऋ. वे. १०,१३.१ //
यमे इवेतियमे--इव | यतमानेइति | यत् | ऐतम् | प्र | वाम् | भरन् | मानुषाः | देव-यन्तः | आ | सीदतम् | स्वम् | ॐ इति | लोकम् | विदानेइति | स्वासस्थे इतिसु-आसस्थे | भवतम् | इन्दवे | नः // ऋ. वे. १०,१३.२ //
पञ्च | पदानि | रुपः | अनु | अरोहम् | चतुः-पदीम् | अनु | एमि | व्रतेन | अक्षरेण | प्रति | मिमे | एताम् | ऋतस्य | नाभौ | अधि | सम् | पुनामि // ऋ. वे. १०,१३.३ //
देवेभ्यः | कम् | अवृणीत | मृत्युम् | प्र-जायै | कम् | अमृतम् | न | अवृणीत | बृहस्पतिम् | यज्ञम् | अकृण्वत | ऋषिम् | प्रियाम् | यमः | तन्वम् | प्र | अरिरेचीत् // ऋ. वे. १०,१३.४ //
सप्त | क्षरन्ति | शिशवे | मरुत्वते | पित्रे | पुत्रासः | अपि | अवीवतन् | ऋतम् | उभे इति | इत् | अस्य | उभयस्य | राजतः | उभे इति | यतेतेइति | उभयस्य | पुष्यतः // ऋ. वे. १०,१३.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ७:६/१४-
(ऋ. वे. १०,१४)
परेयि-वांसम् | प्र-वतः | महीः | अनु | बहु-भ्यः | पन्थाम् | अनु-पस्पशानम् | वैवस्वतम् | सम्-गमनम् | जनानाम् | यमम् | राजानम् | हविषा | दुवस्य // ऋ. वे. १०,१४.१ //
यमः | नः | गातुम् | प्रथमः | विवेद | न | एषा | गव्यूतिर् अप-भर्तवै | ॐ इति | यत्र | नः | पूर्वे | पितरः | पराईयुः | एना | जज्ञानाः | पथ्याः | अनु | स्वाः // ऋ. वे. १०,१४.२ //
मातली | कव्यैः | यमः | अङ्गिरः-भिः | बृहस्पतिः | ऋक्व-भिः | ववृधानः | यान् | च | देवाः | ववृधुः | ये | च | देवान् | स्वाहा | अन्ये | स्वधया | अन्ये | मदन्ति // ऋ. वे. १०,१४.३ //
इमम् | यम | प्र-स्तरम् | आ | हि | सीद | अङ्गिरः-भिः | पितृ-भिः | सम्-विदानः | आ | त्वा | मन्त्राः | कवि-शस्ताः | वहन्तु | एना | राजन् | हविषा | मादयस्व // ऋ. वे. १०,१४.४ //
अङ्गिरः-भिः | आ | गहि | यज्ञियेभिः | यम | वैरूपैः | इह | मादयस्व | विवस्वन्तम् | हुवे | यः | पिता | ते | अस्मिन् | यज्ञे | बर्हिषि | आ | नि-सद्य // ऋ. वे. १०,१४.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ७:६/१५-
अङ्गिरसः | नः | पितरः | नव-ग्वाः | अथर्वाणः | भृगवः | सोम्यासः | तेषाम् | वयम् | सु-मतौ | यज्ञियानाम् | अपि | भद्रे | सौमनसे | स्याम // ऋ. वे. १०,१४.६ //
प्र | इहि | प्र | इहि | पथि-भिः | पूर्व्येभिः | यत्र | नः | पूर्वे | पितरः | पराईयुः | उभा | राजाना | स्वधया | मदन्ता | यमम् | पश्यासि | वरुणम् | च | देवम् // ऋ. वे. १०,१४.७ //
सम् | गच्छस्व | पितृ-भिः | सम् | यमेन | इष्टापूर्तेन | परमे | वि-ओमन् | ह् इत्वाय | अवद्यम् | पुनः | अस्तम् | आ | इहि | सम् | गच्छस्व | तन्वा | सु-वर्चाः // ऋ. वे. १०,१४.८ //
अप | इत | वि | इत | वि | च | सर्पत | अतः | अस्मै | एतम् | पितरः | लोकम् | अक्रन् | अहः-भिः | अत्-भिः | अक्तु-भिः | वि-अक्तम् | यमः | ददाति | अव-सानम् | अस्मै // ऋ. वे. १०,१४.९ //
अति | द्रव | सारमेयौ | श्वानौ | चतुः-अक्षौ | शबलौ | साधुना | पथा | अथ | पितॄन् | सु-विदत्रान् | उप | इहि | यमेन | ये | सध-मादम् | मदन्ति // ऋ. वे. १०,१४.१० //
//१५//.

-ऋ. वे. ७:६/१६-
यौ | ते | श्वानौ | यम | रक्षितारौ | चतुः-अक्षौ | पथिरक्षी इतिपथि-रक्षी | नृ-चक्षसौ | ताभ्याम् | एनम् | परि | देहि | राजन् | स्वस्ति | च | अस्मै | अनमीवम् | च | धेहि // ऋ. वे. १०,१४.११ //
उरु-नसौ | असु-तृपौ | उदुम्बलौ | यमस्य | दूतौ | चरतः | जनान् | अनु | तौ | अस्मभ्यम् | दृशये | सूर्याय | पुनः | दाताम् | असुम् | अद्य | इह | भद्रम् // ऋ. वे. १०,१४.१२ //
यमाय | सोमम् | सुनुत | यमाय | जुहुत | हविः | यमम् | ह | यज्ञः | गच्छत् इ | अग्नि-दूतः | अरम्-कृतः // ऋ. वे. १०,१४.१३ //
यमाय | घृत-वत् | हविः | जुहोत | प्र | च | तिष्ठत | सः | नः | देवेषु | आ | यमत् | दीर्घम् | आयुः | प्र | जीवसे // ऋ. वे. १०,१४.१४ //
यमाय | मधुमत्-तमम् | राज्ञे | हव्यम् | जुहोतन | इदम् | नमः | ऋषि-भ्यः | पूर्व-जेभ्यः | पूर्वेभ्यः | पथिकृत्-भ्यः // ऋ. वे. १०,१४.१५ //
त्रि-कद्रुकेभिः | पतति | षट् | उर्वीः | एकम् | इत् | बृहत् | त्रि-स्तुप् | गायत्री | छन्दांसि | सर्वा | ता | यमे | आहिता // ऋ. वे. १०,१४.१६ //
//१६//.

-ऋ. वे. ७:६/१७-
(ऋ. वे. १०,१५)
उत् | ईरताम् | अवरे | उत् | परासः | उत् | मध्यमाः | पितरः | सोम्यासः | असुम् | ये | ईयुः | अवृकाः | ऋत-ज्ञाः | ते | नः | अवन्तु | पितरः | हवेषु // ऋ. वे. १०,१५.१ //
इदम् | पितृ-भ्यः | नमः | अस्तु | अद्य | ये | पूर्वासः | ये | उपरासः | ईयुः | ये | पार्थिवे | रजसि | आ | नि-सत्ताः | ये | वा | नूनम् | सु-वृजनासु | विक्षु // ऋ. वे. १०,१५.२ //
आ | अहम् | पितॄन् | सु-विदत्रान् | अवित्सि | नपातम् | च | वि-क्रमणम् | च | विष्णोः | बर्हि-सदः | ये | स्वधया | सुतस्य | भजन्त | पित्वः | ते | इह | आगमिष्ठाः // ऋ. वे. १०,१५.३ //
बर्हि-सदः | पितरः | ऊती | अर्वाक् | इमा | वः | हव्या | चकृम | जुषध्वम् | ते | आ | गत | अवसा | शम्-तमेन | अथ | नः | शम् | योः | अरपः | दधात // ऋ. वे. १०,१५.४ //
उप-हूताः | पितरः | सोम्यासः | बर्हिष्येषु | नि-धिषु | प्रियेषु | ते | आ | गमन्तु | ते | इह | श्रिवन्तु | अधि | ब्रुवन्तु | ते | अवन्तु | अस्मान् // ऋ. वे. १०,१५.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ७:६/१८-
आच्य | जानु | दक्षिणतः | नि-सद्य | इमम् | यज्ञम् | अभि | गृणीत | विश्वे | मा | हि ंसिष्ट | पितरः | केन | चित् | नः | यत् | वः | आगः | पुरुषता | कराम // ऋ. वे. १०,१५.६ //
आसीनासः | अरुणीनाम् | उप-स्थे | रयिम् | धत्त | दाशुषे | मर्त्याय | पुत्रेभ्यः | पितरः | तस्य | वस्वः | प्र | यच्छत | ते | इह | ऊर्जम् | दधात // ऋ. वे. १०,१५.७ //
ये | नः | पूर्वे | पितरः | सोम्यासः | अनु-ऊहिरे | सोम-पीथम् | वसिष्ठाः | तेभिः | यमः | सम्-रराणः | हवींषि | उशन् | एशत्-भिः | प्रति-कामम् | अत्तु // ऋ. वे. १०,१५.८ //
ये | ततृषुः | देवत्रा | जेहमानाः | होत्राविदः | स्तोम-तष्टासः | अर्कैः | आ | अग्ने | याहि | सु-विदत्रेभिः | अर्वाङ् | सत्यैः | कव्यैः | पितृ-भिः | घर्मसत्-भिः // ऋ. वे. १०,१५.९ //
ये | सत्यासः | हविः-अदः | हविः-पाः | इन्द्रेण | देवैः | स-रथम् | दधानाः | आ | अग्ने | याहि | सहस्रम् | देव-वन्दैः | परैः | पूर्वैः | पितृ-भिः | घर्मसत्-भिः // ऋ. वे. १०,१५.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ७:६/१९-
अग्नि-स्वात्ताः | पितरः | आ | इह | गच्छत | सदः-सदः | सदत | सु-प्रनीतयः | अत्त | हवींषि | प्र-यतानि | बर्हिषि | अथ | रयिम् | सर्व-वीरम् | दधातन // ऋ. वे. १०,१५.११ //
त्वम् | अग्ने | ईऌइतः | जात-वेदः | अवाट् | हव्यानि | सुरभीणि | कृत्वी | प्र | अदाः | प् इतृ-भ्यः | स्वधया | ते | अक्षन् | अद्धि | त्वम् | देव | प्र-यता | हवींषि // ऋ. वे. १०,१५.१२ //
ये | च | इह | पितरः | ये | च | न | इह | यान् | च | विद्म | यान् | ॐ इति | च | न | प्र-विद्म | त्वम् | वेत्थ | यति | ते | जात-वेदः | स्वधाभिः | यज्ञम् | सु-कृतम् | जुषस्व // ऋ. वे. १०,१५.१३ //
ये | अग्नि-दग्धाः | ये | अनग्नि-दग्धाः | मध्ये | दिवः | स्वधया | मादयन्ते | तेभिः | स्व-राट् | असु-नीतिम् | एताम् | यथावशम् | तन्वम् | कल्पयस्व // ऋ. वे. १०,१५.१४ //
//१९//.

-ऋ. वे. ७:६/२०-
(ऋ. वे. १०,१६)
मा | एनम् | अग्ने | वि | दहः | मा | अभि | शोचः | मा | अस्य | त्वचम् | चिक्षिपः | मा | शरीरम् | यदा | शृतम् | कृणवः | जात-वेदः | अथ | ईम् | एनम् | प्र | हिणुतात् | पितृ-भ्यः // ऋ. वे. १०,१६.१ //
शृतम् | यदा | करसि | जात-वेदः | अथ | ईम् | एनम् | परि | दत्तात् | पितृ-भ्यः | यदा | गच्छाति | असु-नीतिम् | एताम् | अथ | देवानाम् | वश-नीः | भवाति // ऋ. वे. १०,१६.२ //
सूर्यम् | चक्षुः | गच्छतु | वातम् | आत्मा | द्याम् | च | गच्छ | पृथिवीम् | च | धर्मणा | अपः | वा | गच्छ | यदि | तत्र | ते | हितम् | ओषधीषु | प्रति | तिष्ठ | शरीरैः // ऋ. वे. १०,१६.३ //
अजः | भागः | तपसा | तम् | तपस्व | तम् | ते | शोचिः | तपतु | तम् | ते | अर्चिः | याः | ते | शिवाः | तन्वः | जात-वेदः | ताभिः | वह | एनम् | सु-कृताम् | ॐ इति | लोकम् // ऋ. वे. १०,१६.४ //
अव | सृज | पुनः | अग्ने | पितृ-भ्यः | यः | ते | आहुतः | चरति | स्वधाभिः | आयुः | वसानः | उप | वेतु | शेषः | सम् | गच्छताम् | तन्वा | जात-वेदः // ऋ. वे. १०,१६.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ७:६/२१-
यत् | ते | कृष्णः | शकुनः | आतुतोद | पिपीलः | सर्पः | उत | वा | श्वापदः | अग्निः | तत् | विश्व-अत् | अगदम् | कृणोतु | सोमः | च | यः | ब्राह्मणान् | आविवेश // ऋ. वे. १०,१६.६ //
अग्नेः | वर्म | परि | गोभिः | व्ययस्व | सम् | प्र | ऊणुष्व | पीवसा | मेदसा | च | न | इत् | त्वा | धृष्णुः | हरसा | जर्हृषाणः | दधृक् | वि-धक्ष्यन् | परि-अङ्खयाते // ऋ. वे. १०,१६.७ //
इमम् | अग्ने | चमसम् | मा | वि | जिह्वरः | प्रियः | देवानाम् | उत | सोम्यानाम् | एषः | यः | चमसः | देव-पानः | तस्मिन् | देवाः | अमृताः | मादयन्ते // ऋ. वे. १०,१६.८ //
क्रव्य-अदम् | अग्निम् | प्र | हिणोमि | दूरम् | यम-राज्ञः | गच्छतु | रिप्र-वाहः | इह | एव | अयम् | इतरः | जात-वेदाः | देवेभ्यः | हव्यम् | वहतु | प्र-जानन् // ऋ. वे. १०,१६.९ //
यः | अग्निः | क्रव्य-अत् | प्र-विवेश | वः | गृहम् | इमम् | पश्यन् | इतरम् | जात-वेदसम् | तम् | हरामि | पितृ-यज्ञाय | देवम् | सः | घर्मम् | इन्वात् | परमे | सध-स्थे // ऋ. वे. १०,१६.१० //
//२१//.

-ऋ. वे. ७:६/२२-
यः | अग्निः | क्रव्य-वाहनः | पितॄन् | यक्षत् | ऋत-वृधः | प्र | इत् | ॐ इति | हव्यानि | वोचति | देवेभ्यः | च | पितृ-भ्यः | आ // ऋ. वे. १०,१६.११ //
उशन्तः | त्वा | नि | धीमहि | उशन्तः | सम् | इधीमहि | उशन् | उशतः | आ | वह | पितॄन् | हविषे | अत्तवे // ऋ. वे. १०,१६.१२ //
यम् | त्वम् | अग्ने | सम्-अदहः | तम् | ॐ इति | निः | वापय | पुनरिति | कियाम्बु | अत्र | रोहतु | पाक-दूर्वा | वि-अल्कशा // ऋ. वे. १०,१६.१३ //
शीतिके | शीतिकावति | ह्रादिके | ह्रादिकावति | मण्डूक्या | सु | सम् | गमः | इमम् | सु | अग्निम् | हर्षय // ऋ. वे. १०,१६.१४ //
//२२//.

-ऋ. वे. ७:६/२३-
(ऋ. वे. १०,१७)
त्वष्टा | दुहित्रे | वहतुम् | कृणोति | इति | इदम् | विश्वम् | भुवनम् | सम् | एति | यमस्य | माता | परि-उह्यमाना | महः | जाया | विववस्वतः | ननाश // ऋ. वे. १०,१७.१ //
अप | अगूहन् | अमृताम् | मर्त्येभ्यः | कृत्वी | स-वर्णाम् | अददुः | विवस्वते | उत | अश्विनौ | अभरत् | यत् | तत् | आसीत् | अजहात् | ॐ इति | द्वा | मिथुना | सरण्यूः // ऋ. वे. १०,१७.२ //
पूषा | त्वा | इतः | च्यवयतु | प्र | विद्वान् | अनष्ट-पशुः | भुवनस्य | गोपाः | सः | त्वा | एतेभ्यः | परि | ददत् | पितृ-भ्यः | अग्निः | देवेभ्यः | सु-विदत्र् इयेभ्यः // ऋ. वे. १०,१७.३ //
आयुः | विश्व-आयुः | परि | पासति | त्वा | पूषा | त्वा | पातु | प्र-पथे | पुरस्तात् | यत्र | आसते | सु-कृतः | यत्र | ते | ययुः | तत्र | त्वा | देवः | सविता | दधातु // ऋ. वे. १०,१७.४ //
पूषा | इमाः | आशाः | अनु | वेद | सर्वाः | सः | अस्मान् | अभय-तमेन | नेषत् | स्वस्ति-दाः | आघृणिः | सर्व-वीरः | अप्र-युच्छन् | पुरः | एतु | प्र-जानन् // ऋ. वे. १०,१७.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ७:६/२४-
प्र-पथे | पथाम् | अजनिष्ट | पूषा | प्र-पथे | दिवः | प्र-पथे | पृथिव्याः | उभे इति | अभि | प्रिय-तमे | सध-स्थे | आ | च | परा | च | चरति | प्र-जानन् // ऋ. वे. १०,१७.६ //
सरस्वतीम् | देव-यन्तः | हवन्ते | सरस्वतीम् | अध्वरे | तायमाने | सरस्वतीम् | सु-कृतः | अह्वयन्त | सरस्वती | दाशुषे | वार्यम् | दात् // ऋ. वे. १०,१७.७ //
सरस्वति | या | स-रथम् | ययाथ | स्वधाभिः | देवि | पितृ-भिः | मदन्ती | आसद्य | अस्मिन् | बर्हिषि | मादयस्व | अनमीवाः | इषः | आ | धेहि | अस्मे इति // ऋ. वे. १०,१७.८ //
सरस्वतीम् | याम् | पितरः | हवन्ते | दक्षिणा | यज्ञम् | अभि-नक्षमाणाः | सहस्र-अर्घम् | इऌअः | अत्र | भागम् | रायः | पोषम् | यजमानेषु | धेहि // ऋ. वे. १०,१७.९ //
आपः | अस्मान् | मातरः | शुन्धयन्तु | घृतेन | नः | घृत-प्वः | पुनन्तु | वि श्वम् | हि | रिप्रम् | प्र-वहन्ति | देवीः | उत् | इत् | आभ्यः | शुचिः | आ | पूतः | एमि // ऋ. वे. १०,१७.१० //
//२४//.

-ऋ. वे. ७:६/२५-
द्रप्सः | चस्कन्द | प्रथमाम् | अनु | द्यून् | इमम् | च | योनिम् | अनु | यः | च | पूर्वः | समानम् | योनिम् | अनु | सम्-चरन्तम् | द्रप्सम् | जुहोमि | अनु | सप्त | होत्राः // ऋ. वे. १०,१७.११ //
यः | ते | द्रप्सः | स्कन्दति | यः | ते | अंशुः | बाहु-च्युतः | धिषणायाः | उप-स्थात् | अध्वर्योः | वा | परि | वा | यः | पवित्रात् | तम् | ते | जुहोमि | मनसा | वषट्-कृतम् // ऋ. वे. १०,१७.१२ //
यः | ते | द्रप्सः | स्कन्नः | यः | ते | अंशुः | अवः | च | यः | परः | स्रुचा | अयम् | देवः | बृहस्पतिः | सम् | तम् | सिञ्चतु | राधसे // ऋ. वे. १०,१७.१३ //
पयस्वतीः | ओषधयः | पयस्वत् | मामकम् | वचः | अपाम् | पयस्वत् | इत् | पयः | तेन | मा | सह | शुन्धत // ऋ. वे. १०,१७.१४ //
//२५//.

-ऋ. वे. ७:६/२६-
(ऋ. वे. १०,१८)
परम् | मृत्यो इति | अनु | परा | इहि | पन्थाम् | यः | ते | स्वः | इतरः | देव-यानात् | चक्षुष्मते | शृण्वते | ते | ब्रवीमि | मा | नः | प्र-जाम् | रिरिषः | मा | उत | वीरान् // ऋ. वे. १०,१८.१ //
मृत्योः | पदम् | योपयन्तः | यत् | ऐत | द्राघीयः | आयुः | प्र-तरम् | दधानाः | आप्यायमानाः | प्र-जया | धनेन | शुद्धाः | पूताः | भवत | यज्ञियासः // ऋ. वे. १०,१८.२ //
इमे | जीवाः | वि | मृतैः | आ | अववृत्रन् | अभूत् | भद्रा | देव-हूतिः | नः | अद्य | प्राञ्चः | अगाम | नृतये | हसाय | द्राघीयः | आयुः | प्र-तरम् | दधानाः // ऋ. वे. १०,१८.३ //
इमम् | जीवेभ्यः | परि-धिम् | दाधामि | मा | एषाम् | नु | गात् | अपरः | अर्थम् | एतम् | शतम् | जीवन्तु | शरदः | पुरूचीः | अन्तः | मृत्युम् | दधताम् | पर्वतेन // ऋ. वे. १०,१८.४ //
यथा | अहानि | अनु-पूर्वम् | भवन्ति | यथा | ऋतवः | ऋतु-भिः | यन्ति | साधु | यथा | न | पूर्वम् | अपरः | जहाति | एव | धातः | आयूंषि | कल्पय | एषाम् // ऋ. वे. १०,१८.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ७:६/२७-
आ | रहत | आयुः | जरसम् | वृणानाः | अनु-पूर्वम् | यतमानाः | यति | स्थ | इह | त्वष्टा | सु-जनिमा | स-जोषाः | दीर्घम् | आयुः | करति | जीवसे | वः // ऋ. वे. १०,१८.६ //
इमाः | नारीः | अविधवाः | सु-पत्नीः | आञ्जनेन | सर्पिषा | सम् | विशन्तु | अनश्रवः | अनमीवाः | सु-रत्नाः | आ | रोहन्तु | जनयः | योनिम् | अग्रे // ऋ. वे. १०,१८.७ //
उत् | ईर्ष्व | नारि | अभि | जीव-लोकम् | गत-असुम् | एतम् | उप | शेषे | आ | इहि | हस्त-ग्राभस्य | दिधिषोः | तव | इदम् | पत्युः | जनि-त्वम् | अभि | सम् | बभूथ // ऋ. वे. १०,१८.८ //
धनुः | हस्तात् | आददानः | मृतस्य | अस्मे इति | क्षत्राय | वर्चसे | बलाय | अत्र | एव | त्वम् | इह | वयम् | सु-वीराः | विश्वाः | स्पृधः | अभि-मातीः | जयेम // ऋ. वे. १०,१८.९ //
उप | सर्प | मातरम् | भूमिम् | एताम् | उरु-व्यचसम् | पृथिवीम् | सु-शेवाम् | ऊर्ण-म्रदाः | युवतिः | दक्षिणावते | एषा | त्वा | पातु | निः-ऋतेः | उप-स्थात् // ऋ. वे. १०,१८.१० //
//२७//.

-ऋ. वे. ७:६/२८-
उत् | श्वञ्चस्व | पृथिवि | मा | नि | बाधथाः | सु-उपायना | अस्मै | भव | सु-उपवञ्चना | माता | पुत्रम् | यथा | सिचा | अभि | एनम् | भूमे | ऊर्णुहि // ऋ. वे. १०,१८.११ //
उत्-श्वञ्चमाना | पृथिवी | सु | तिष्ठतु | सहस्रम् | मितः | उप | हि | श्रयन्ताम् | ते | गृहासः | घृत-श्चुतः | भवन्तु | विश्वाहा | अस्मै | शरणाः | सन्तु | अत्र // ऋ. वे. १०,१८.१२ //
उत् | ते | स्तभ्नामि | पृथिवीम् | त्वत् | परि | इमम् | लोगम् | नि-दधत् | मो इति | अहम् | रिषम् | एताम् | स्थूणाम् | पितरः | धारयन्तु | ते | अत्र | यमः | सदना | ते | मिनोतु // ऋ. वे. १०,१८.१३ //
प्रतीचीने | माम् | अहनि | इष्वाः | पर्णम्-इव | आ | दधुः | प्रतीचीम् | जग्रभ | वाचम् | अश्वम् | रशनया | यथा // ऋ. वे. १०,१८.१४ //
//२८//.





-ऋ. वे. ७:७/१-
(ऋ. वे. १०,१९)
नि | वर्तध्वम् | मा | अनु | गात | अस्मान् | सिसक्त | रेवतीः | अग्नीषोमा | पुनर्वसूइतिपुनः-वसू | अस्मे इति | धारयतम् | रयिम् // ऋ. वे. १०,१९.१ //
पुनः | एनाः | नि | वर्तय | पुनः | एनाः | नि | आ | कुरु | इन्द्र | एनाः | नि | यच्छतु | अग्निः | एनाः | उप-आजतु // ऋ. वे. १०,१९.२ //
पुनः | एताः | नि | वर्तन्ताम् | अस्मिन् | पुष्यन्तु | गो--पतौ | इह | एव | अग्ने | नि | धारय | इह | तिष्ठतु | या | रयिः // ऋ. वे. १०,१९.३ //
यत् | नि-यानम् | नि-अयनम् | सम्-ज्ञानम् | यत् | परायनम् | आवर्तनन् | नि-वर्तनम् | यः | गोपाः | अपि | तम् | हुवे // ऋ. वे. १०,१९.४ //
यः | उत्-आनट् | वि-अयनम् | यः | उत्-आनट् | परायनम् | आवर्तनम् | न् इ-वर्तनम् | अपि | गोपाः | नि | वर्तताम् // ऋ. वे. १०,१९.५ //
आ | नि-वर्त | नि | वर्तय | पुनः | नः | इन्द्र | गाः | देहि | जीवाभिः | भुनजामहै // ऋ. वे. १०,१९.६ //
परि | वः | विश्वतः | दधे | ऊर्जा | घृतेन | पयसा | ये | देवाः | के | च | यज्ञियाः | ते | रय्या | सम् | सृजन्तु | नः // ऋ. वे. १०,१९.७ //
आ | नि-वर्तन | वर्तय | नि | नि-वर्तन | वर्तय | भूम्याः | चतस्रः | प्र-दिशः | ताभ्यः | एनाः | नि | वर्तय // ऋ. वे. १०,१९.८ //
//१//.

-ऋ. वे. ७:७/२-
(ऋ. वे. १०,२०)
भद्रम् | नः | अपि | वातय | मनः // ऋ. वे. १०,२०.१ //
अग्निम् | ईऌए | भुजाम् | यविष्ठम् | शासा | मित्रम् | दुः-धरीतुम् | यस्य | धर्मन् | स्वः | एनीः | सपर्यन्ति | मातुः | ऊधः // ऋ. वे. १०,२०.२ //
यम् | आसाः | कृप-नीऌअम् | भासाकेतुम् | वर्धयन्ति | भ्राजते | श्रेणि-दन् // ऋ. वे. १०,२०.३ //
अर्यः | विशाम् | गातुः | एति | प्र | यत् | आनट् | दिवः | अन्तान् | कविः | अभ्रम् | दीद्यानः // ऋ. वे. १०,२०.४ //
जुषत् | हव्या | मानुषस्य | ऊर्ध्वः | तस्थौ | ऋभ्वा | यज्ञे | मिन्वन् | सद्म | पुरः | एति // ऋ. वे. १०,२०.५ //
सः | हि | क्षेमः | हविः | यज्ञः | श्रुष्टी | इत् | अस्य | गातुः | एति | अग्निम् | देवाः | वाशी-मन्तम् // ऋ. वे. १०,२०.६ //
//२//.

-ऋ. वे. ७:७/३-
यज्ञ-सहम् | दुवः | इषे | अग्निम् | पूर्वस्य | शेवस्य | अद्रेः | सूनुम् | आयुम् | आहुः // ऋ. वे. १०,२०.७ //
नरः | ये | के | च | अस्मत् | आ | विश्वा | इत् | ते | वामे | आ | स्युरितिस्युः | अग्निम् | हविषा | वर्धन्तः // ऋ. वे. १०,२०.८ //
कृष्णः | श्वेतः | अरुषः | यामः | अस्य | ब्रध्नः | ऋज्रः | उत | शोणः | यशस्वान् | हिरण्य-रूपम् | जनिता | जजान // ऋ. वे. १०,२०.९ //
एव | ते | अग्ने | वि-मदः | मनीषाम् | ऊर्जः | नपात् | अमृतेभिः | स-जोषाः | गिरः | आ | वक्षत् | सु-मतीः | इयानः | इषम् | ऊर्जम् | सु-क्षितिम् | विश्वम् | आ | अभार् इत्य् अभाः // ऋ. वे. १०,२०.१० //
//३//.

-ऋ. वे. ७:७/४-
(ऋ. वे. १०,२१)
आ | अग्निम् | न | स्ववृक्ति-भिः | होतारम् | त्वा | वृणीमहे | यज्ञाय | स्तीर्ण-बर्हि षे | वि | वः | मदे | शीरम् | पावक-शोचिषम् | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२१.१ //
त्वाम् | ॐ इति | ते | सु-आभुवः | शुम्भन्ति | अश्व-राधसः | वेति | त्वाम् | उप-सेचनी | वि | वः | मदे | ऋजीतिः | अग्ने | आहुतिः | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२१.२ //
त्वे इति | धर्माणः | आसते | जुहूभिः | सिञ्चतीः-इव | कृष्णा | रूपाणि | अर्जुना | वि | वः | मदे | विश्वाः | अधि | श्रियः | धिषे | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२१.३ //
यम् | अग्ने | मन्यसे | रयिम् | सहसावन् | अमर्त्य | तम् | आ | नः | वाज-सातये | वि | वः | मदे | यज्ञेषु | चित्रम् | आ | भर | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२१.४ //
अग्निः | जातः | अथर्वणा | विदत् | विश्वानि | काव्या | भुवत् | दूतः | विवस्वतः | व् इ | वः | मदे | प्रियः | यमस्य | काम्यः | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२१.५ //
//४//.

-ऋ. वे. ७:७/५-
त्वाम् | यज्ञेषु | ईऌअते | अग्ने | प्र-यति | अध्वरे | त्वम् | वसूनि | काम्या | वि | वः | मदे | विश्वा | दधासि | दाशुषे | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२१.६ //
त्वाम् | यज्ञेषु | ऋत्विजम् | चारुम् | अग्ने | नि | सेदिरे | घृत-प्रतीकम् | मनुषः | वि | वः | मदे | शुकम् | चेतिष्ठम् | अक्ष-भिः | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२१.७ //
अग्ने | शुक्रेण | शोचिषा | उरु | प्रथयसे | बृहत् | अभि-क्रन्दन् | वृष-यसे | वि | वः | मदे | गर्भम् | दधासि | जामिषु | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२१.८ //
//५//.

-ऋ. वे. ७:७/६-
(ऋ. वे. १०,२२)
कुह | श्रुतः | इन्द्रः | कस्मिन् | अद्य | जने | मित्रः | न | श्रूयते | ऋषीणाम् | वा | यः | क्षये | गुहा | वा | चर्कृषे | गिरा // ऋ. वे. १०,२२.१ //
इह | श्रुतः | इन्द्रः | अस्मे इति | अद्य | स्तवे | वज्री | ऋचीषमः | मित्रः | न | यः | जनेषु | आ | यशः | चक्रे | असामि | आ // ऋ. वे. १०,२२.२ //
महः | यः | पतिः | शवसः | असामि | आ | महः | नृम्णस्य | तूतुजिः | भर्ता | वज्रस्य | धृष्णोः | पिता | पुत्रम्-इव | प्रियम् // ऋ. वे. १०,२२.३ //
युजानः | अश्वा | वातस्य | धुनी इति | देवः | देवस्य | वज्रि-वः | स्यन्ता | पथा | विरुक्मता | सृजानः | स्तोषि | अध्वनः // ऋ. वे. १०,२२.४ //
त्वम् | त्या | चित् | वातस्य | अश्वा | आ | अगाः | ऋज्रा | त्मना | वहध्यै | ययोः | देवः | न | मर्त्यः | यन्ता | नकिः | विदाय्यः // ऋ. वे. १०,२२.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ७:७/७-
अध | ग्मन्ता | उशना | पृच्छते | वाम् | कत्-अर्था | नः | आ | गृहम् | आ | जग्मथुः | पराकात् | दिवः | च | ग्मः | च | मर्त्यम् // ऋ. वे. १०,२२.६ //
आ | नः | इन्द्र | पृक्षसे | अस्माकम् | ब्रह्म | उत्-यतम् | तत् | त्वा | याचामहे | अवः | शुष्णम् | यत् | हन् | अमानुषम् // ऋ. वे. १०,२२.७ //
अकर्मा | दसुः | अभि | नः | अमन्तुः | अन्य-व्रतः | अमानुषः | त्वम् | तस्य | अमित्र-हन् | वधः | दासस्य | दम्भय // ऋ. वे. १०,२२.८ //
त्वम् | नः | इन्द्र | शूर | शूरैः | उत | त्वाऊतासः | बर्हना | पुरु-त्रा | ते | वि | पूर्तयः | नवन्त | क्षोणयः | यथा // ऋ. वे. १०,२२.९ //
त्वम् | तान् | वृत्र-हत्ये | चोदयः | नॄन् | कार्पाणे | शूर | वज्रि-वः | गुहा | यदि | कवीनाम् | विशाम् | नक्षत्र-शवसाम् // ऋ. वे. १०,२२.१० //
//७//.

-ऋ. वे. ७:७/८-
मक्षु | ता | ते | इन्द्र | दान-अप्नसः | आक्षाणे | शूर | वज्रि-वः | यत् | ह | शुष्णस्य | दम्भयः | जातम् | विश्वम् | सयाव-भिः // ऋ. वे. १०,२२.११ //
मा | अकुध्र्यक् | इन्द्र | शूर | वस्वीः | अस्मे इति | भूवन् | अभिष्टयः | वयम्-वयम् | ते | आसाम् | सुम्ने | स्याम | वज्रि-वः // ऋ. वे. १०,२२.१२ //
अस्मे इति | ता | ते | इन्द्र | सन्तु | सत्या | अहिंसन्तीः | उप-स्पृषः | विद्याम | यासाम् | भुजः | धेनूनाम् | न | वज्रि-वः // ऋ. वे. १०,२२.१३ //
अहस्ता | यत् | अपदी | वर्धत | क्षाः | शचीभिः | वेद्यानाम् | शुष्णम् | परि | प्र-दक्षिणित् | विश्व-आयवे | नि | शिश्नथः // ऋ. वे. १०,२२.१४ //
पिब-पिब | इत् | इन्द्र | शूर | सोमम् | मा | रिषण्यः | वसवान | वसुः | सन् | उत | त्रायस्व | गृणतः | मघोनः | महः | च | रायः | रेवतः | कृधि | नः // ऋ. वे. १०,२२.१५ //
//८//.

-ऋ. वे. ७:७/९-
(ऋ. वे. १०,२३)
यजामहे | इन्द्रम् | वज्र-दक्षिणम् | हरीनाम् | रथ्यम् | वि-व्रतानाम् | प्र | श्मश्रु | दोधुवत् | ऊर्ध्व-था | भूत् | वि | सेनाभिः | दयमानः | वि | राधसा // ऋ. वे. १०,२३.१ //
हरी इति | नु | अस्य | या | वने | विदे | वसु | इन्द्रः | मघैः | मघ-वा | वृत्र-हा | भुवत् | ऋभुः | वाजः | ऋभुक्षाः | पत्यते | शवः | अव | क्ष्णौमि | दासस्य | नाम | च् इत् // ऋ. वे. १०,२३.२ //
यदा | वज्रम् | हिरण्यम् | इत् | अथ | रथम् | हरी इति | यम् | अस्य | वहतः | वि | सूरि-भिः | आ | तिष्ठति | मघ-वा | सन-श्रुतः | इन्द्रः | वाजस्य | दीर्घ-श्रवसः | पतिः // ऋ. वे. १०,२३.३ //
सो इति | चित् | नु | वृष्टिः | यूथ्या | स्वा | सचा | इन्द्रः | श्मश्रूणि | हरिता | अभि | प्रुष्णुते | अव | वेति | सु-क्षयम् | सुते | मधु | उत् | इत् | धूनोति | वातः | यथा | वनम् // ऋ. वे. १०,२३.४ //
यः | वाचा | वि-वाचः | मृध्र-वाचः | पुरु | सहस्रा | असिवा | जघान | तत्-तत् | इत् | अस्य | पैंस्यम् | गृणीमसि | पिताइव | यः | तविषीम् | ववृधे | शवः // ऋ. वे. १०,२३.५ //
स्तोमम् | ते | इन्द्र | वि-मदाः | अजीजनन् | अपूर्व्यम् | पुरु-तमम् | सु-दानवे | विद्म | हि | अस्य | भोजनम् | इनस्य | यत् | आ | पशुम् | न | गोपाः | करामहे // ऋ. वे. १०,२३.६ //
माकिः | नः | एना | सख्या | वि | यौषुः | तव | च | इन्द्र | वि-मदस्य | च | ऋषेः | विद्म | हि | ते | प्र-मतिम् | देव | जामि-वत् | अस्मे इति | ते | सन्तु | सख्या | शिवानि // ऋ. वे. १०,२३.७ //
//९//.

-ऋ. वे. ७:७/१०-
(ऋ. वे. १०,२४)
इन्द्र | सोमम् | इमम् | पिब | मधु-मन्तम् | चमू इति | सुतम् | अस्मे इति | रयिम् | नि | धारय | वि | वः | मदे | सहस्रिणम् | पुरुवसो इतिपुरु-वसो | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२४.१ //
त्वाम् | यज्ञेभिः | उक्थैः | उप | हव्येभिः | ईमहे | शची-पते | शचीनम् | वि | वः | मदे | श्रेष्ठम् | नः | धेहि | वार्यम् | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२४.२ //
यः | पतिम् | वार्याणाम् | असि | रध्रस्य | चोदिता | इन्द्र | स्तोतॄणाम् | अविता | वि | वः | मदे | द्विषः | नः | पाहि | अंहसः | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२४.३ //
युवम् | शक्रा | मायाविना | समीची इतिसम्-ईची | निः | अमन्थतम् | वि-मदेन | यत् | ईऌइता | नासत्या | निर्- अमन्थतम् // ऋ. वे. १०,२४.४ //
विश्वे | देवाः | अकृपन्त | सम्-ईच्योः | निः-पतन्त्योः | नासत्यौ | अब्रुवन् | देवाः | पुनः | आ | वहतात् | इति // ऋ. वे. १०,२४.५ //
मधु-मत् | मे | परायणम् | मधु-मत् | पुनः | आयनम् | ता | नः | देवा | देवतया | युवम् | मधु-मतः | कृतम् // ऋ. वे. १०,२४.६ //
//१०//.

-ऋ. वे. ७:७/११-
(ऋ. वे. १०,२५)
भद्रम् | नः | अपि | वातय | मनः | दक्षम् | उत | क्रतुम् | अध | ते | सख्ये | अन्धसः | वि | वः | मदे | रणन् | गावः | न | यवसे | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.१ //
हृदि-स्पृशः | ते | आसते | विश्वेषु | सोम | धाम-सु | अध | कामाः | इमे | मम | वि | वः | मदे | वि | तिष्ठन्ते | वसु-यवः | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.२ //
उत | व्रतानि | सोम | ते | प्र | अहम् | मिनामि | पाक्या | अध | पिताइव | सूनवे | वि | वः | मदे | मृऌअ | नः | अभि | चित् | वधात् | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.३ //
सम् | ॐ इति | प्र | यन्ति | धीतयः | सर्गासः | अवतान्-इव | क्रतुम् | नः | सोम | जीवसे | वि | वः | मदे | धारय | चमसान्-इव | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.४ //
तव | त्ये | सोम | शक्ति-भिः | नि-कामासः | वि | ऋण्विरे | गृत्सस्य | धीराः | तवसः | वि | वः | मदे | व्रजम् | गो--मन्तम् | अश्विनम् | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ७:७/१२-
पशुम् | नः | सोम | रक्षसि | पुरु-त्रा | वि-स्थितम् | जगत् | सम्-आकृणोषि | जीवसे | वि | वः | मदे | विश्वा | सम्-पश्यन् | भुवना | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.६ //
त्वम् | नः | सोम | विश्वतः | गोपाः | अदाभ्यः | भव | सेध | राजन् | अप | स्रिधः | वि | वः | मदे | मा | नः | दुः-शंसः | ईशत | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.७ //
त्वम् | नः | सोम | सु-क्रतुः | वयः-धेयाय | जागृहि | क्षेत्रवित्-तरः | मनुषः | वि | वः | मदे | द्रुहः | नः | पाहि | अंहसः | / विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.८ //
त्वम् | नः | वृत्रहन्-तम | इन्द्रस्य | इन्दो इति | शिवः | सखा | यत् | सीम् | हवन्ते | सम्-इथे | वि | वः | मदे | युध्यमानाः | तोक-सातौ | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.९ //
अयम् | घ | सः | तुरः | मदः | इन्द्रस्य | वर्धत | प्रियः | अयम् | कक्षीवतः | महः | वि | वः | मदे | मतिम् | विप्रस्य | वर्धयत् | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.१० //
अयम् | विप्राय | दाशुषे | वाजान् | इयर्ति | गो--मतः | अयम् | सप्त-भ्यः | आ | वरम् | वि | वः | मदे | प्र | अन्धम् | श्रोणम् | च | तारिषत् | विवक्षसे // ऋ. वे. १०,२५.११ //
//१२//.

-ऋ. वे. ७:७/१३-
(ऋ. वे. १०,२६)
प्र | हि | अच्छ | मनीषाः | स्पार्हाः | यन्ति | नि-युतः | प्र | दस्रा | नियुत्-रथः | पूषा | अविष्टु | माहिनः // ऋ. वे. १०,२६.१ //
यस्य | त्यत् | महि-त्वम् | वाताप्यम् | अयम् | जनः | विप्रः | आ | वंसत् | धीति-भिः | चिकेत | सु-स्तुतीनाम् // ऋ. वे. १०,२६.२ //
सः | वेद | सु-स्तुतीनाम् | इन्दुः | न | पूषा | वृषा | अभि | प्सुरः | प्रुषायति | व्रजम् | नः | आ | प्रुषायति // ऋ. वे. १०,२६.३ //
मंसीमहि | त्वा | वयम् | अस्माकम् | देव | पूषन् | मतीनाम् | च | साधनम् | विप्राणाम् | च | आधवम् // ऋ. वे. १०,२६.४ //
प्रति-अर्धिः | यज्ञानाम् | अश्व-हयः | रथानाम् | ऋषिः | सः | यः | मनुः-ह् इतः | विप्रस्य | यवयत्-सखः // ऋ. वे. १०,२६.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ७:७/१४-
आधीषमाणायाः | पतिः | शुचायाः | च | शुचस्य | च | वासः-वायः | अवीनाम् | आ | वासांसि | मर्मृजत् // ऋ. वे. १०,२६.६ //
इनः | वाजानाम् | पतिः | इनः | पुष्टीनाम् | सखा | प्र | श्मश्रु | हर्यतः | दूधोत् | वि | वृथा | यः | अदाभ्यः // ऋ. वे. १०,२६.७ //
आ | ते | रथस्य | पूषन् | अजाः | धुरम् | ववृत्युः | विश्वस्य | अर्थिनः | सखा | सनः-जाः | अनप-च्युतः // ऋ. वे. १०,२६.८ //
अस्माकम् | ऊर्जा | रथम् | पूषा | अविष्टु | माहिनः | भुवत् | वाजानाम् | वृधः | इमम् | नः | शृणवत् | हवम् // ऋ. वे. १०,२६.९ //
//१४//.

-ऋ. वे. ७:७/१५-
(ऋ. वे. १०,२७)
असत् | सु | मे | जरितरिति | सः | अभि-वेगः | यत् | सुन्वते | यजमानाय | शिक्षम् | अनाशीः-दाम् | अहम् | अस्मि | प्र-हन्ता | सत्य-ध्वृतम् | वृजिन-यन्तम् | आभुम् // ऋ. वे. १०,२७.१ //
यदि | इत् | अहम् | युधये | सम्-नयानि | अदेव-यून् | तन्वा | शूशुजानान् | अमा | ते | तुम्रम् | वृषभम् | पचानि | तीव्रम् | सुतम् | पञ्च-दशम् | नि | सिञ्चम् // ऋ. वे. १०,२७.२ //
न | अहम् | तम् | वेद | यः | इति | ब्रवीति | अदेव-यून् | सम्-अरणे | जघन्वान् | यदा | अव-अख्यत् | सम्-अरणम् | ऋघावत् | आत् | इत् | ह | मे | वृषभा | प्र | ब्रुवन्त् इ // ऋ. वे. १०,२७.३ //
यत् | अज्ञातेषु | वृजनेषु | आसम् | विश्वे | सतः | मघ-वानः | मे | आसन् | जिनामि | वा | इत् | क्षेमे | आ | सन्तम् | आभुम् | प्र | तम् | क्षिणाम् | पर्वते | पाद-गृह्य // ऋ. वे. १०,२७.४ //
न | वै | ॐ इति | माम् | वृजने | वारयन्ते | न | पर्वतासः | यत् | अहम् | मनस्ये | मम | स्वनात् | कृधु-कर्णः | भयाते | एव | इत् | अनु | द्यून् | किरणः | सम् | एजात् // ऋ. वे. १०,२७.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ७:७/१६-
दर्शन् | नु | अत्र | शृत-पान् | अनिन्द्रान् | बाहु-क्षदः | शरवे | पत्यमानान् | घृषुम् | वा | ये | निनिदुः | सखायम् | अधि | ॐ इति | नु | एषु | पवयः | ववृत्युः // ऋ. वे. १०,२७.६ //
अभूः | ॐ इति | औक्षीः | वि | ॐ इति | आयुः | आनट् | दर्षत् | नु | पूर्वः | अपरः | नु | दर्षत् | द्वे इति | पवस्तेइति | परि | तम् | न | भूतः | यः | अस्य | पारे | रजसः | विवेष // ऋ. वे. १०,२७.७ //
गाव | यवम् | प्र-युताः | अर्यः | अक्षन् | ताः | अपश्यम् | सह-गोपाः | चरन्तीः | हवाः | इत् | अर्यः | अभितः | सम् | आयन् | कियत् | आसु | स्व-पतिः | छन्दयाते // ऋ. वे. १०,२७.८ //
सम् | यत् | वयम् | यवस-अदः | जनानाम् | अहम् | यव-अदः | उरु-अज्रे | अन्तरिति | अत्र | युक्तः | अव-सातारम् | इच्छात् | अथो इति | अयुक्तम् | युनजत् | ववन्वान् // ऋ. वे. १०,२७.९ //
अत्र | इत् | ॐ इति | मे | मंससे | सत्यम् | उक्तम् | द्वि-पात् | च | यत् | चतुः-पात् | सम्-सृजानि | स्त्री-भिः | यः | अत्र | वृषणम् | पृतन्यात् | अयुद्धः | अस्य | वि | भजानि | वेदः // ऋ. वे. १०,२७.१० //
//१६//.

-ऋ. वे. ७:७/१७-
यस्य | अनक्षा | दुहिता | जातु | आस | कः | ताम् | विद्वान् | अभि | मन्याते | अन्धाम् | कतरः | मेनिम् | प्रति | तम् | मुचाते | यः | ईम् | वहाते | यः | ईम् | वा | वरे--यात् // ऋ. वे. १०,२७.११ //
कियती | योषा | मर्यतः | वधू-योः | परि-प्रीता | पन्यसा | वार्येण | भद्रा | वधूः | भवति | यत् | सु-पेशाः | स्वयम् | सा | मित्रम् | वनुतेजनेचित् // ऋ. वे. १०,२७.१२ //
पत्तः | जगार | प्रत्यञ्चम् | अत्ति | शीर्ष्णा | शिरः | प्रति | दधौ | वरूथम् | आसीनः | ऊर्ध्वाम् | उपसि | क्षिणाति | न्यङ् | उत्तानाम् | अनु | एति | भूमिम् // ऋ. वे. १०,२७.१३ //
बृहन् | अच्छायः | अपलाशः | अर्वा | तस्थौ | माता | वि-सितः | अत्ति | गर्भः | अन्यस्याः | वत्सम् | रिहती | मिमाय | कया | भुवा | नि | दधे | धेनुः | ऊधः // ऋ. वे. १०,२७.१४ //
सप्त | वीरासः | अधरात् | उत् | आयन् | अष्ट | उत्तरात्तात् | सम् | अजग्मिरन् | ते | नव | पश्चातात् | स्थिवि-मन्तः | आयन् | दश | प्राक् | सानु | वि | तिरन्ति | अश्नः // ऋ. वे. १०,२७.१५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ७:७/१८-
दशानाम् | एकम् | कपिलम् | समानम् | तम् | हिन्वन्ति | क्रतवे | पार्याय | गभर्म् | माता | सु-धितम् | वक्षणासु | अवेनन्तम् | तुषयन्ती | बिभर्ति // ऋ. वे. १०,२७.१६ //
पीवानम् | मेषम् | अपचन्त | वीराः | नि-उप्ताः | अक्षाः | अनु | दीवे | आसन् | द्वा | धनुम् | बृहतीम् | अप्-सु | अन्तरिति | पवित्र-वन्ता | चरतः | पुनन्ता // ऋ. वे. १०,२७.१७ //
वि | क्रोशनासः | विष्वञ्चः | आयन् | पचाति | नेमः | नहि | पक्षत् | अर्धः | अयम् | मे | देवः | सविता | तत् | आह | द्रु-अन्नः | इत् | वनवत् | सर्पिः-अन्नः // ऋ. वे. १०,२७.१८ //
अपश्यम् | ग्रामम् | वहमानम् | आरात् | अचक्रया | स्वधया | वर्तमानम् | सिसक्ति | अर्यः | प्र | युगा | जनानाम् | सद्यः | शिश्ना | प्र-मिनानः | नवीयान् // ऋ. वे. १०,२७.१९ //
एतौ | मे | गावौ | प्र-मरस्य | युक्तौ | मो इति | सु | प्र | सेधीः | मुहुः | इत् | ममन्धि | आपः | चित् | अस्य | वि | नशन्ति | अथर्म् | सूरः | च | मर्कः | उपरः | बभूवान् // ऋ. वे. १०,२७.२० //
//१८//.

-ऋ. वे. ७:७/१९-
अयम् | यः | वज्रः | पुरुधा | वि-वृत्तः | अवः | सूर्यस्य | बृहतः | पुरीषात् | श्रवः | इत् | एना | परः | अन्यत् | अस्ति | तत् | अव्यथी | जरिमाणः | तरन्ति // ऋ. वे. १०,२७.२१ //
वृक्षे--वृक्षे | नि-यता | मीमयत् | गौः | ततः | वयः | प्र | पतान् | पुरुष-अदः | अथ | इदम् | विश्वम् | भुवनम् | भयाते | इन्द्राय | सुन्वत् | ऋषये | च | शिक्षत् // ऋ. वे. १०,२७.२२ //
देवानाम् | माने | प्रथमाः | अतिष्ठन् | कृन्तत्रात् | एषाम् | उपराः | उत् | आयन् | त्रयः | तपन्ति | पृथिवीम् | अनूपाः | द्वा | बृबूकम् | वहतः | पुरीषम् // ऋ. वे. १०,२७.२३ //
सा | ते | जीवातुः | उत | तस्य | विद्धि | मा | स्म | एतादृक् | अप | गूहः | समर्ये | आविः | स्वर् इतिस्वः | कृणुते | गूहते | बुसम् | सः | पादुः | अस्य | निः-निजः | न | मुच्यते // ऋ. वे. १०,२७.२४ //
//१९//.

-ऋ. वे. ७:७/२०-
(ऋ. वे. १०,२८)
विश्वः | हि | अन्यः | अरिः | आजगाम | मम | इत् | अह | श्वशुरः | न | आ | जगाम | जक्षीयात् | धानाः | उत | सोमम् | पपीयात् | सु-आशितः | पुनः | अस्तम् | जगायात् // ऋ. वे. १०,२८.१ //
सः | रोरुवत् | वृषभः | तिग्म-शृङ्गः | वर्ष्मन् | तस्थौ | वरिमन् | आ | पृथिव्याः | विश्वेषु | एनम् | वृजनेषु | पामि | यः | मे | कुक्षी इति | सुत-सोमः | पृणाति // ऋ. वे. १०,२८.२ //
अद्रिणा | ते | मन्दिनः | इन्द्र | तूयान् | सुन्वन्ति | सोमान् | पिबसि | त्वम् | एषाम् | पचन्ति | ते | वृषभान् | अत्सि | तेषाम् | पृक्षेण | यत् | मघ-वन् | हूयमानः // ऋ. वे. १०,२८.३ //
इदम् | सु | मे | जरितः | आ | चिकिद्धि | प्रति-ईपम् | शापम् | नद्यः | वहन्ति | लोपाशः | सिंहम् | प्रत्यञ्चम् | अत्सारिति | क्रोष्टा | वराहम् | निः | अतक्त | कक्षात् // ऋ. वे. १०,२८.४ //
कथा | ते | एतत् | अहम् | आ | चिकेतम् | गृत्सस्य | पाकः | तवसः | मनीषाम् | त्वम् | नः | विद्वान् | ऋतु-था | वि | वोचः | यम् | अर्धम् | ते | मघ-वन् | क्षेम्या | धूः // ऋ. वे. १०,२८.५ //
एव | हि | माम् | तवसम् | वर्धयन्ति | दिवः | चित् | मे | बृहतः | उत्-तरा | धूः | पुरु | सहस्रा | नि | शिशामि | साकम् | अशत्रुम् | हि | मा | जनिता | जजान // ऋ. वे. १०,२८.६ //
//२०//.

-ऋ. वे. ७:७/२१-
एव | हि | माम् | तवसम् | जज्ञुः | उग्रम् | कर्मन्-कर्मन् | वृषणम् | इन्द्र | देवाः | वधीम् | वृत्रम् | वज्रेण | मन्दसानः | अप | व्रजम् | महिना | दाशुषे | वम् // ऋ. वे. १०,२८.७ //
देवासः | आयन् | परशून् | अबिभ्रन् | वना | वृश्चन्तः | अभि | विट्-भिः | आयन् | नि | सु-द्रम् | दधतः | वक्षणासु | यत्र | कृपीटम् | अनु | तत् | दहन्ति // ऋ. वे. १०,२८.८ //
शशः | क्षुरम् | प्रत्यञ्चम् | जगार | अद्रिम् | लोगेन | वि | अभेदम् | आरात् | बृहन्तम् | चित् | ऋहते | रन्धयानि | वयत् | वत्सः | वृषभम् | शूशुवानः // ऋ. वे. १०,२८.९ //
सु-पर्णः | इत्था | नखम् | आ | सिसाय | अव-रुद्धः | परि-पदम् | न | सिंहः | नि-रुद्धः | चित् | महिषः | तर्ष्यावान् | गोधा | तस्मै | अयथम् | कर्षत् | एतत् // ऋ. वे. १०,२८.१० //
तेभ्यः | गोधाः | अयथम् | कर्षत् | एतत् | ये | ब्रह्मणः | प्रति-पीयन्ति | अन्नैः | सिमः | उक्ष्णः | अव-सृष्टान् | अदन्ति | स्वयम् | बलानि | तन्वः | शृणानाः // ऋ. वे. १०,२८.११ //
एते | शमीभिः | सु-शमी | अभूवन् | ये | हिन्विरे | तन्वः | सोमे | उक्थैः | नृ-वत् | वदन् | उप | नः | माहि | वाजान् | दिवि | श्रवः | दधिषे | नाम | वीरः // ऋ. वे. १०,२८.१२ //
//२१//.

-ऋ. वे. ७:७/२२-
(ऋ. वे. १०,२९)
वने | न | वा | यः | नि | अधायि | चाकन् | शुचिः | वाम् | स्तोमः | भुरणौ | अजीगरिति | यस्य | इत् | इन्द्रः | पुरु-दिनेषु | होता | नृणाम् | नर्यः | नृ-तमः | क्षपावान् // ऋ. वे. १०,२९.१ //
प्र | ते | अस्याः | उषसः | प्र | अपरस्याः | नृतौ | स्याम | नृ-तमस्य | नृणाम् | अनु | त्रि-शोकः | शतम् | आ | अवहन् | नॄन् | कुत्सेन | रथः | यः | असत् | सस-वान् // ऋ. वे. १०,२९.२ //
कः | ते | मदः | इन्द्र | रन्त्यः | भूत् | दुरः | गिरः | अभि | उग्रः | वि | धाव | कत् | वाहः | अर्वाक् | उप | मा | मनीषा | आ | त्वा | शक्याम् | उप-मम् | राधः | अन्नैः // ऋ. वे. १०,२९.३ //
कत् | ॐ इति | द्युम्नम् | इन्द्र | त्वावतः | नॄन् | कया | धिया | करसे | कत् | नः | आ | अगन् | मित्रः | न | सत्यः | उरु-गाय | भृत्यै | अन्ने | समस्य | यत् | असन् | मनीषाः // ऋ. वे. १०,२९.४ //
प्र | ईरय | सूरः | अर्थम् | न | पारम् | ये | अस्य | कामम् | जनिधाः-इव | ग्मन् | गिरः | च | ये | ते | तुवि-जात | पूर्वीः | नरः | इन्द्र | प्रति-शिक्षन्ति | अन्नैः // ऋ. वे. १०,२९.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ७:७/२३-
मात्रेइति | नु | ते | सुमितेइतिसु-मिते | इन्द्र | पूर्वी इति | द्यौः | मज्मना | पृथिवी | काव्येन | वराय | ते | घृत-वन्तः | सुतासः | स्वाद्मन् | भवन्तु | पीतये | मधूनि // ऋ. वे. १०,२९.६ //
आ | मध्वः | अस्मै | असिचन् | अमत्रम् | इन्द्राय | पूर्णम् | सः | हि | सत्य-राधाः | सः | ववृधे | वरिमन् | आ | पृथिव्याः | अभि | क्रत्वा | नर्यः | पैंस्यैः | च // ऋ. वे. १०,२९.७ //
वि | आनट् | इन्द्रः | पृतनाः | सु-ओजाः | आ | अस्मै | यतन्ते | सख्याय | पूर्वीः | आ | स्म | रथम् | न | पृतनासु | तिष्ठ | यम् | भद्रया | सु-मत्या | चोदयासे // ऋ. वे. १०,२९.८ //
//२३//.

-ऋ. वे. ७:७/२४-
(ऋ. वे. १०,३०)
प्र | देव-त्रा | ब्रह्मणे | गातुः | एतु | अपः | अच्छ | मनसः | न | प्र-युक्ति | महीम् | मित्रस्य | वरुणस्य | धासिम् | पृथु-ज्रयसे | रीरध | सु-वृक्तिम् // ऋ. वे. १०,३०.१ //
अध्वर्यवः | हविष्मन्तः | हि | भूत | अच्छ | अपः | इत | उशतीः | उशन्तः | अव | याः | चष्ते | अरुणः | सु-पर्णः | तम् | आ | अस्यध्वम् | ऊर्मिम् | अद्य | सु-हस्ताः // ऋ. वे. १०,३०.२ //
अध्वर्यवः | अपः | इत | समुद्रम् | अपाम् | नपातम् | हविषा | यजध्वम् | सः | वः | ददत् | ऊर्मिम् | अद्य | सु-पूतम् | तस्मै | सोमम् | मधु-मन्तम् | सुनोत // ऋ. वे. १०,३०.३ //
यः | अनिध्मः | दीदयत् | अप्-सु | अन्तः | यम् | विप्रासः | ईऌअते | अध्वरेषु | अपाम् | नपात् | मधु-मतीः | अपः | दाः | याभिः | इन्द्रः | ववृधे | वीर्याय // ऋ. वे. १०,३०.४ //
याभिः | सोमः | मोदते | हर्षते | च | कल्याणीभिः | युवति-भिः | न | मर्यः | ताः | अध्वर्यो इति | अपः | अच्छ | परा | इहि | यत् | आसिञ्चाः | ओषधीभिः | पुनीतात् // ऋ. वे. १०,३०.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ७:७/२५-
एव | इत् | यूने | युवतयः | नमन्त | यत् | ईम् | उशन् | उषतीः | एति | अच्छ | सम् | जानते | मनसा | सम् | चिकित्रे | अध्वर्यवः | धिषणा | आपः | च | देवीः // ऋ. वे. १०,३०.६ //
यः | वः | वृताभ्यः | अकृणोत् | ॐ इति | लोकम् | यः | वः | मह्याः | अभि-शस्तेः | अमुञ्चत् | तस्मै | इन्द्राय | मधु-मन्तम् | ऊर्मिम् | देव-मादनम् | प्र | हिणोतन | आपः // ऋ. वे. १०,३०.७ //
प्र | अस्मै | हिनोत | मधु-मन्तम् | ऊर्मिम् | गर्भः | यः | वः | सिन्धवः | मध्वः | उत्सः | घृत-पृष्ठम् | ईड्यम् | अध्वरेषु | आपः | रेवतीः | शृणुत | हवम् | मे // ऋ. वे. १०,३०.८ //
तम् | सिन्धवः | मत्सरम् | इन्द्र-पानम् | ऊर्मिम् | प्र | हेत | यः | उभे इति | इयर्ति | मद-च्युतम् | औशानम् | नभः-जाम् | परि | त्रि-तन्तुम् | वि-चरन्तम् | उत्सम् // ऋ. वे. १०,३०.९ //
आवर्वृततीः | अध | नु | द्वि-धाराः | गोषु-युधः | न | नि-यवम् | चरन्तीः | ऋषे | जनित्रीः | भुवनस्य | पत्नीः | अपः | वन्दस्व | स-वृधः | स-योनीः // ऋ. वे. १०,३०.१० //
//२५//.

-ऋ. वे. ७:७/२६-
हिनोत | नः | अध्वरम् | देव-यज्या | हिनोत | ब्रह्म | सनये | धनानाम् | ऋतस्य | योगे | वि | स्यध्वम् | ऊधः | श्रुष्टी-वरीः | भूतन | अस्मभ्यम् | आपः // ऋ. वे. १०,३०.११ //
आपः | रेवतीः | क्षयथ | हि | वस्वः | क्रतुम् | च | भद्रम् | बिभृथाम् | ऋतम् | च | रायः | च | स्थ | सु-अपत्यस्य | पत्नीः | सरस्वती | तत् | गृणते | वयः | धात् // ऋ. वे. १०,३०.१२ //
प्रति | यत् | आपः | अदृश्रम् | आयतीः | घृतम् | पयांसि | बिभ्रतीः | मधूनि | अध्वर्यु-भिः | मनसा | सम्-विदानाः | इन्द्राय | सोमम् | सु-सुतम् | भरन्तीः // ऋ. वे. १०,३०.१३ //
आ | इमाः | अग्मन् | रेवतीः | जीव-धन्याः | अध्वर्यवः | सादयत | सखायः | नि | बर्हिषि | धत्तन | सोम्यासः | अपाम् | नप्त्रा | सम्-विदानासः | एनाः // ऋ. वे. १०,३०.१४ //
आ | अग्मन् | आपः | उशतीः | बर्हिः | आ | इदम् | नि | अध्वरे | असदन् | देव-यन्तीः | अध्वर्यवः | सुनुत | इन्द्राय | सोमम् | अभूत् | ॐ इति | वः | सु-शका | देव-यज्या // ऋ. वे. १०,३०.१५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ७:७/२७-
(ऋ. वे. १०,३१)
आ | नः | देवानाम् | उप | वेतु | शंसः | विश्वेभिः | तुरैः | अवसे | यजत्रः | तेभ् इः | वयम् | सु-सखायः | भवेम | तरन्तः | विश्वा | दुः-इता | स्याम // ऋ. वे. १०,३१.१ //
परि | चित् | मर्तः | द्रविणम् | ममन्यात् | ऋतस्य | पथा | नमसा | विवासेत् | उत | स्वेन | क्रतुना | सम् | वदेत | श्रेयांसम् | दक्षम् | मनसा | जगृभ्यात् // ऋ. वे. १०,३१.२ //
अधायि | धीतिः | अससृग्रम् | अंशाः | तीर्थे | न | दस्मम् | उप | यन्ति | ऊमाः | अभि | आनश्म | सुवितस्य | शूषम् | नवेदसः | अमृतानाम् | अभूम // ऋ. वे. १०,३१.३ //
नित्यः | चाकन्यात् | स्व-पतिः | दमूनाः | यस्मै | ॐ इति | देवः | सविता | जजान | भगः | वा | गोभिः | अर्यमा | ईम् | अनज्यात् | सः | अस्मै | चारुः | छदयत् | उत | स्यात् // ऋ. वे. १०,३१.४ //
इयम् | सा | भूयाः | उषसाम्-इव | क्षाः | यत् | ह | क्षु-मन्तः | शवसा | सम्-आयन् | अस्य | स्तुतिम् | जरितुः | भिक्षमाणाः | आ | नः | शग्मासः | उप | यन्तु | वाजाः // ऋ. वे. १०,३१.५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ७:७/२८-
अस्य | इत् | एषा | सु-मतिः | पप्रथाना | अभवत् | पूर्व्या | भूमना | गौः | अस्य | स-नीऌआः | असुरस्य | योनौ | समाने | आ | भरणे | बिभ्रमाणाः // ऋ. वे. १०,३१.६ //
किम् | स्वित् | वनम् | कः | ॐ इति | सः | वृक्षः | आस | यतः | द्यावापृथिवी इति | निः-ततक्षुः | सन्तस्थाने इतिसम्-तस्थाने | अजरेइति | इतऊती इतीतः-ऊती | अहानि | पूर्वीः | उषसः | जरन्त // ऋ. वे. १०,३१.७ //
न | एतावत् | एना | परः | अन्यत् | अस्ति | उक्षा | सः | द्यावापृथिवी इति | बिभर्ति | त्वचम् | पवित्रम् | कृणुत | स्वधावान् | यत् | ईम् | सूर्यम् | न | हरितः | वहन्ति // ऋ. वे. १०,३१.८ //
स्तेगः | न | क्षम् | अति | एति | पृथ्वीम् | मिहम् | न | वातः | वि | ह | वाति | भूम | मित्रः | यत्र | वरुणः | अज्यमानः | अग्निः | वने | न | वि | असृष्ट | शोकम् // ऋ. वे. १०,३१.९ //
स्तरीः | यत् | सूत | सद्यः | अज्यमाना | व्यथिः | अव्यथीः | कृणुत | स्व-गोपा | पुत्रः | यत् | पूर्वः | पित्रोः | जनिष्ट | शम्याम् | गौः | जगार | यत् | ह | पृच्छान् // ऋ. वे. १०,३१.१० //
उत | कण्वम् | नृ-सदः | पुत्रम् | आहुः | उत | श्यावः | धनम् | आ | अदत्त | वाजी | प्र | कृष्णाय | रुशत् | अपिन्वत | ऊधः | ऋतम् | अत्र | नकिः | अस्मै | अपीपेत् // ऋ. वे. १०,३१.११ //
//२८//.

-ऋ. वे. ७:७/२९-
(ऋ. वे. १०,३२)
प्र | सु | ग्मन्ता | धियसानस्य | सक्षणि | वरेभिः | वरान् | अभि | सु | प्र-सीदतः | अस्माकम् | इन्द्रः | उभयम् | जुजोषति | यत् | सोम्यस्य | अन्धसः | बुबोधति // ऋ. वे. १०,३२.१ //
वि | इन्द्र | यासि | दिव्यानि | रोचना | वि | पार्थिवानि | रजसा | पुरु-स्तुत | ये | त्वा | वहन्ति | मुहुः | अध्वरान् | उप | ते | सु | वन्वन्तु | वग्वनान् | अराधसः // ऋ. वे. १०,३२.२ //
तत् | इत् | मे | छन्त्सत् | वपुषः | वपुः-तरम् | पुत्रः | यत् | जानम् | पित्रोः | अधि-इयति | जाया | पतिम् | वहति | वनुना | सु-मत् | पुंसः | इत् | भद्रः | वहतुः | परि-कृतः // ऋ. वे. १०,३२.३ //
तत् | इत् | सध-स्थम् | अभि | चारु | दीधय | गावः | यत् | शासन् | वहतुम् | न | धेनवः | माता | यत् | मन्तुः | यूथस्य | पूर्व्या | अभि | वाणस्य | सप्त-धातुः | इत् | जनः // ऋ. वे. १०,३२.४ //
प्र | वः | अच्छ | रिरिचे | देव-युः | पदम् | एकः | रुद्रेभिः | याति | तुर्वणिः | जरा | वा | येषु | अमृतेषु | दावने | परि | वः | ऊमेभ्यः | सिञ्चत | मधु // ऋ. वे. १०,३२.५ //
//२९//.

-ऋ. वे. ७:७/३०-
नि-धीयमानम् | अप-गूऌहम् | अप्-सु | प्र | मे | देवानाम् | व्रत-पाः | उवाच | इन्द्रः | विद्वान् | अनु | हि | त्वा | चचक्ष | तेन | अहम् | अग्ने | अनु-शिष्टः | आ | अगाम् // ऋ. वे. १०,३२.६ //
अक्षेत्र-वित् | क्षेत्र-विदम् | हि | अप्राट् | सः | प्र | एति | क्षेत्र-विदा | अनु-शिष्टः | एतत् | वै | भद्रम् | अनु-शासनस्य | उत | स्रुतिम् | विन्दति | अञ्जसीनाम् // ऋ. वे. १०,३२.७ //
अद्य | इत् | ॐ इति | प्र | आणीत् | अममन् | इमा | अहा | अपि-वृतः | अधयत् | मातुः | ऊधः | आ | ईम् | एनम् | आप | जरिमा | युवानम् | अहेऌअन् | वसुः | सु-मनाः | बभूव // ऋ. वे. १०,३२.८ //
एतानि | भद्रा | कलश | क्रियाम | कुरु-श्रवण | ददतः | मघानि | दानः | इत् | वः | मघ-वानः | सः | अस्तु | अयम् | च | सोमः | हृदि | यम् | बिभर्मि // ऋ. वे. १०,३२.९ //
//३०//.




-ऋ. वे. ७:८/१-
(ऋ. वे. १०,३३)
प्र | मा | युयुज्रे | प्र-युजः | जनानाम् | वहामि | स्म | पूषणम् | अन्तरेण | वि श्वे | देवासः | अध | माम् | अरक्षन् | दुः-शासुः | आ | अगात् | इति | घोषः | आसीत् // ऋ. वे. १०,३३.१ //
सम् | मा | तपन्ति | अभितः | सपत्नीः-इव | पर्शवः | नि | बाधते | अमतिः | नग्नता | जसुः | वेः | न | वेवीयते | मतिः // ऋ. वे. १०,३३.२ //
मूषः | न | शिश्ना | वि | अदन्ति | मा | आध्यः | स्तोतारम् | ते | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | सकृत् | सु | नः | मघ-वन् | इन्द्र | मृऌअय | अध | पिताइव | नः | भव // ऋ. वे. १०,३३.३ //
कुरु-श्रवणम् | अवृणि | राजानम् | त्रासदस्यवम् | मंहिष्ठम् | वाघताम् | ऋषिः // ऋ. वे. १०,३३.४ //
यस्य | मा | हरितः | रथे | तिस्रः | वहन्ति | साधु-या | स्तवै | सहस्र-दक्षिणे // ऋ. वे. १०,३३.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ७:८/२-
यस्य | प्र-स्वादसः | गिरः | उपम-श्रवसः | पितुः | क्षेत्रम् | न | रण्वम् | ऊचुषे // ऋ. वे. १०,३३.६ //
अधि | पुत्र | उपम-श्रवः | नपात् | मित्र-अतिथेः | इहि | पितुः | ते | अस्मि | वन्द् इता // ऋ. वे. १०,३३.७ //
यत् | ईशीय | अमृतानाम् | उत | वा | मर्त्यानाम् | जीवेत् | इत् | मघ-वा | मम // ऋ. वे. १०,३३.८ //
न | देवानाम् | अति | व्रतम् | शत-आत्मा | चन | जीवति | तथा | युजा | वि | ववृते // ऋ. वे. १०,३३.९ //
//२//.

-ऋ. वे. ७:८/३-
(ऋ. वे. १०,३४)
प्रावेपाः | मा | बृहतः | मादयन्ति | प्रवाते--जाः | इरिणे | वर्वृतानाः | सोमस्य-इव | मौज-वतस्य | भक्षः | वि-भीदकः | जागृविः | मह्यम् | अच्छान् // ऋ. वे. १०,३४.१ //
न | मा | मिमेथ | न | जिहीऌए एषा | शिवा | सखि-भ्यः | उत | मह्यम् | आसीत् | अक्षस्य | अहम् | एक-परस्य | हेतोः | अनु-व्रताम् | अप | जायाम् | अरोधम् // ऋ. वे. १०,३४.२ //
द्वेष्टि | श्वश्रूः | अप | जाया | रुणद्धि | न | नाथितः | विन्दते | मर्डितारम् | अश्वस्य-इव | जरतः | वस्न्यस्य | न | अहम् | विन्दामि | कितवस्य | भोगम् // ऋ. वे. १०,३४.३ //
अन्ये | जायाम् | परि | मृशन्ति | अस्य | यस्य | अगृधत् | वेदने | वाजी | अक्षः | पिता | माता | भ्रातरः | एनम् | आहुः | न | जानीमः | नयत | बद्धम् | एतम् // ऋ. वे. १०,३४.४ //
यत् | आदीध्ये | न | दविषाणि | एभिः | परायत्-भ्यः | अव | हीये | सखि-भ्यः | नि-उप्ताः | च | बभ्रवः | वाचम् | अक्रत | एमि | इत् | एषाम् | निः-कृतम् | जारिणी-इव // ऋ. वे. १०,३४.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ७:८/४-
सभाम् | एति | कितवः | पृच्छमानः | जेष्यामि | इति | तन्वा | शूशुजानः | अक्षासः | अस्य | वि | तिरन्ति | कामम् | प्रति-दीव्ने | दधतः | आ | कृतानि // ऋ. वे. १०,३४.६ //
अक्षासः | इत् | अङ्कुशिनः | नि-तोदिनः | नि-कृत्वानः | तपनाः | तापयिष्णवः | कुमार-देष्णाः | जयतः | पुनः-हनः | मध्वा | सम्-पृक्ताः | कितवस्य | बर्हणा // ऋ. वे. १०,३४.७ //
त्रि-पञ्चाशः | क्रीऌअति | व्रातः | एषाम् | देवः-इव | सविता | सत्य-धर्मा | उग्रस्य | चित् | मन्यवे | न | नमन्ते | राजा | चित् | एभ्यः | नमः | इत् | कृणोमि // ऋ. वे. १०,३४.८ //
नीचाः | वर्तन्ते | उपरि | स्फुरन्ति | अहस्तासः | हस्त-वन्तम् | सहन्ते | दिव्याः | अङ्गाराः | इरिणे | नि-उप्ताः | शीताः | सन्तः | हृदयम् | निः | दहन्ति // ऋ. वे. १०,३४.९ //
जाया | तप्यते | कितवस्य | हीना | माता | पुत्रस्य | चरतः | क्व | स्वित् | ऋण-वा | बिभ्यत् | धनम् | इच्छमानः | अन्येषाम् | अस्तम् | उप | नक्तम् | एति // ऋ. वे. १०,३४.१० //
//४//.

-ऋ. वे. ७:८/५-
स्त्रियम् | दृष्टवाय | कितवम् | तताप | अन्येषाम् | जायाम् | सु-कृतम् | च | योनिम् | पूर्वाह्णे | अश्वान् | युयुजे | हि | बभ्रून् | सः | अग्नेः | अन्ते | वृषलः | पपाद // ऋ. वे. १०,३४.११ //
यः | वः | सेनानीः | महतः | गणस्य | राजा | व्रातस्य | प्रथमः | बभूव | तस्मै | कृणोमि | न | धना | रुणध्मि | दश | अहम् | प्राचीः | तत् | ऋतम् | वदामि // ऋ. वे. १०,३४.१२ //
अक्षैः | मा | दीव्यह् | कृषिम् | इत् | कृषस्व | वित्ते | रमस्व | बहु | मन्यमानः | तत्त्र | गावः | कितव | तत्र | जाया | तत् | मे | वि | चष्टे | सविता | अयम् | अर्यः // ऋ. वे. १०,३४.१३ //
मित्रम् | कृणुध्वम् | खलु | मृऌअत | नः | मा | नः | घोरेण | चरत | अभि | धृष्णु | नि | वः | नु | मन्युः | विशताम् | अरातिः | अन्यः | बभ्रूणाम् | प्र-सितौ | नु | अस्तु // ऋ. वे. १०,३४.१४ //
//५//.

-ऋ. वे. ७:८/६-
(ऋ. वे. १०,३५)
अबुध्रम् | ॐ इति | त्ये | इन्द्र-वन्तः | अग्नयः | ज्योतिः | भरन्तः | उषसः | वि-उष्टिषु | मही इति | द्यावापृथिवी इति | चेतताम् | अपः | अद्य | देवानाम् | अवः | आ | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३५.१ //
दिवःपृथिव्योः | अवः | आ | वृणीमहे | मातॄन् | सिन्धून् | पर्वतान् | शर्यणावतः | अनागाः-त्वम् | सूर्यम् | उषसम् | ईमहे | भद्रम् | सोमः | सुवानः | अद्य | कृणोतु | नः // ऋ. वे. १०,३५.२ //
द्यावा | नः | अद्य | पृथिवी इति | अनागसः | मही इति | त्रायेताम् | सुविताय | मातरा | उषाः | उच्छन्ती | अप | बाधताम् | अघम् | स्वस्ति | अग्निम् | सम्-इधानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,३५.३ //
इयम् | नः | उस्रा | प्रथमा | सु-देव्यम् | रेवत् | सनि-भ्यः | रेवती | वि | उच्छतु | आरे | मन्युम् | दुः-विदत्रस्य | धीमहि | स्वस्ति | अग्निम् | सम्-इधानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,३५.४ //
प्र | याः | सिस्रते | सूर्यस्य | रश्मि-भिः | ज्योतिः | भरन्तीः | उषसः | वि-उष्टिषु | भद्राः | नः | अद्य | श्रवसे | वि | उच्छत | स्वस्ति | अग्निम् | सम्-इधानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,३५.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ७:८/७-
अनमीवाः | उषसः | आ | चरन्तु | नः | उत् | अग्नयः | जिहताम् | ज्योतिषा | बृहत् | अयुक्षाताम् | अश्विना | तूतुजिम् | रथम् | स्वस्ति | अग्निम् | सम्-इधानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,३५.६ //
श्रेष्ठम् | नः | अद्य | सवितः | वरेण्यम् | भागम् | आ | सुव | सः | हि | रत्न-धाः | असि | रायः | जनित्रीन् | धिषणाम् | उप | ब्रुवे | स्वस्ति | अग्निम् | सम्-इधानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,३५.७ //
पिपर्तु | मा | तत् | ऋतस्य | प्र-वाचनम् | देवानाम् | यत् | मनुष्याः | अमन्महि | विश्वाः | इत् | उस्राः | स्पट् | उत् | एति | सूर्यः | स्वस्ति | अग्निम् | सम्-इधानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,३५.८ //
अद्वेषः | अद्य | बर्हिषः | स्तरीमणि | ग्राव्णाम् | योगे | मन्मनः | साधे | ईमहे | आदित्यानाम् | शर्मणि | स्थाः | भुरण्यसि | स्वस्ति | अग्निम् | सम्-इधानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,३५.९ //
आ | नः | बर्हिः | सध-मादे | बृहत् | दिवि | देवान् | ईऌए | सादय | सप्त | होतृॠन् | इन्द्रम् | मित्रम् | वरुणम् | सातये | भगम् | स्वस्ति | अग्निम् | सम्-इधानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,३५.१० //
//७//.

-ऋ. वे. ७:८/८-
ते | आदित्याः | आ | गत | सर्वतातये | वृधे | नः | यज्ञम् | अवत | स-जोषसः | बृहस्पतिम् | पूषणम् | अश्विना | भगम् | स्वस्ति | अग्निम् | सम्-इधानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,३५.११ //
तत् | नः | देवाः | यच्छत | सु-प्रवाचनम् | छर्दिः | आदित्याः | सु-भरम् | नृ-पाय्यम् | पश्वे | तोकाय | तनयाय | जीवसे | स्वस्ति | अग्निम् | सम्-इधानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,३५.१२ //
विश्वे | अद्य | मरुतः | विश्वे | ऊती | विश्वे | भवन्तु | अग्नयः | सम्-इद्धाः | वि श्वे | नः | देवाः | अवसा | आ | गमन्तु | विश्वम् | अस्तु | द्रविणम् | वाजः | अस्मे इति // ऋ. वे. १०,३५.१३ //
यम् | देवासः | अवथ | वाज-सातौ | यम् | त्रायध्वे | यम् | पिपृथ | अति | अंहः | यः | वः | गो--पीथे | न | भयस्य | वेद | ते | स्याम | देव-वीतये | तुरासः // ऋ. वे. १०,३५.१४ //
//८//.

-ऋ. वे. ७:८/९-
(ऋ. वे. १०,३६)
उषसानक्ता | बृहती इति | सु-पेशसा | द्यावाक्षामा | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | इन्द्रम् | हुवे | मरुतः | पर्वतान् | अपः | आदित्यान् | द्यावापृथिवी इति | अपः | स्वर् इति स्वः // ऋ. वे. १०,३६.१ //
द्यौः | च | नः | पृथिवी | च | प्र-चेतसा | ऋतवरी इत्य् ऋत-वरी | रक्षताम् | अंहसः | रिषः | मा | दुः-विदत्रा | न्र्-ऋतिः | नः | ईशत | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.२ //
विश्वस्मात् | नः | अदितिः | पातु | अंहसः | माता | मित्रस्य | वरुणस्य | रेवतः | स्वः-वत् | ज्योतिः | अवृकम् | नशीमहि | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.३ //
ग्रावा | वदन् | अप | रक्षांसि | सेधतु | दुः-स्वप्न्यम् | निः-ऋतिम् | विश्वम् | अत्रिणम् | आदित्यम् | शर्म | मरुताम् | अशीमहि | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.४ //
आ | इन्द्रः | बर्हिः | सीदतु | पिन्वताम् | इऌआ | बृहस्पतिः | साम-भिः | ऋक्वः | अर्चतु | सु-प्रकेतम् | जीवसे | मन्म | धीमहि | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ७:८/१०-
दिवि-स्पृशम् | यज्ञम् | अस्माकम् | अश्विना | जीर-अध्वरम् | कृणुतम् | सुम्नम् | इष्टये | प्राचीन-रश्मिम् | आहुतम् | घृतेन | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.६ //
उप | ह्वये | सु-हवम् | मारुतम् | गणम् | पावकम् | ऋष्वम् | सख्याय | शम्-भुवम् | रायः | पोषम् | सौश्रवसाय | धीमहि | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.७ //
अपाम् | पेरुम् | जीव-धन्यम् | भरामहे | देव-अव्यम् | सु-हवम् | अध्वर-श्रियम् | सु-रश्मिम् | सोमम् | इन्द्रियम् | यमीमहि | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.८ //
सनेम | तत् | सु-सनिता | सनित्व-भिः | वयम् | जीवाः | जीव-पुत्राः | अनागसः | ब्रह्म-द्विषः | विष्वक् | एनः | भरेरत | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.९ //
ये | स्थाः | मनोः | यज्ञियाः | ते | शृणोतन | यत् | वः | देवाः | ईमहे | तत् | ददातन | जैत्रम् | क्रतुम् | रयिमत् | वीर-वत् | यशः | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.१० //
//१०//.

-ऋ. वे. ७:८/११-
महत् | अद्य | महताम् | आ | वृणीमहे | अवः | देवानाम् | बृहताम् | अनर्वणाम् | यथा | वसु | वीर-जातम् | नशामहै | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.११ //
महः | अग्नेः | सम्-इधानस्य | शर्मणि | अनागाः | मित्रे | वरुणे | स्वस्तये | श्रेष्ठे | स्याम | सवितुः | सवीमनि | तत् | देवानाम् | अवः | अद्य | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,३६.१२ //
ये | सवितुः | सत्य-सवस्य | विश्वे | मित्रस्य | व्रते | वरुणस्य | देवाः | ते | सौभगम् | वीर-वत् | गो--मत् | अप्नः | दधातन | द्रविणम् | चित्रम् | अस्मे इति // ऋ. वे. १०,३६.१३ //
सविता | पश्चातात् | सविता | पुरस्तात् | सविता | उत्तरात्तात् | सविता | अधरात्तात् | सव् इता | नः | सुवतु | सर्व-तातिम् | सविता | नः | रासताम् | दीर्घम् | आयुः // ऋ. वे. १०,३६.१४ //
//११//.

-ऋ. वे. ७:८/१२-
(ऋ. वे. १०,३७)
नमः | मित्रस्य | वरुणस्य | चक्षसे | महः | देवाय | तत् | ऋतम् | सपर्यत | दूरे--दृशे | देव-जाताय | केतवे | दिवः | पुत्राय | सूर्याय | शंसत // ऋ. वे. १०,३७.१ //
सा | मा | सत्य-उक्तिः | परि | पातु | विश्वतः | द्यावा | च | यत्र | ततनन् | अहान् इ | च | विश्वम् | अन्यत् | नि | विशते | यत् | एजति | विश्वहा | अपः | विश्वाहा | उत् | एत् इ | सूर्यः // ऋ. वे. १०,३७.२ //
न | ते | अदेवः | प्र-दिवः | नि | वासते | यत् | एतशेभिः | पतरैः | रथर्यसि | प्राचीनम् | अन्यत् | अनु | वर्तते | रजः | उत् | अन्येन | ज्योतिषा | यासि | सूर्य // ऋ. वे. १०,३७.३ //
येन | सूर्य | ज्योतिषा | बाधसे | तमः | जगत् | च | विश्वम् | उत्-इयर्षि | भानुना | तेन | अस्मत् | विश्वाम् | अनिराम् | अनाहुतिम् | अप | अमीवाम् | अप | दुः-स्वप्न्यम् | सुव // ऋ. वे. १०,३७.४ //
विश्वस्य | हि | प्र-इषितः | रक्षसि | व्रतम् | अहेऌअयन् | उत्-चरसि | स्वधाः | अनु | यत् | अद्य | त्वा | सूर्य | उप-ब्रवामहै | तत् | नः | देवाः | अनु | मंसीरत | क्रतुम् // ऋ. वे. १०,३७.५ //
तम् | नः | द्यावापृथिवी इति | तत् | नः | आपः | इन्द्रः | शृण्वन्तु | मरुतः | हवम् | वचः | मा | शूने | भूम | सूर्यस्य | सम्-दृशि | भद्रम् | जीवन्तः | जरणाम् | अशीमहि // ऋ. वे. १०,३७.६ //
//१२//.

-ऋ. वे. ७:८/१३-
विश्वाहा | त्वा | सु-मनसः | सु-चक्षसः | प्रजावन्तः | अनमीवाः | अनागसः | उत्-यन्तम् | त्वा | मित्र-महः | दिवे--दिवे | ज्योक् | जीवाः | प्रति | पश्येम | सूर्य // ऋ. वे. १०,३७.७ //
महि | / ज्योतिः | बिभ्रतम् | त्वा | वि-चक्षण | भास्वन्तम् | चक्षुषे--चक्षुषे | मयः | आरोहन्तम् | बृहतः | पाजसः | परि | वयम् | जीवाः | प्रति | पश्येम | सूर्य // ऋ. वे. १०,३७.८ //
यस्य | ते | विश्वा | भुवनानि | केतुना | प्र | च | ईरते | नि | च | विशन्ते | अक्तु-भिः | अनागाः-त्वेन | हरि-केश | सूर्य | अह्ना अह्ना | नः | वस्यसावस्यसा | उत् | इहि // ऋ. वे. १०,३७.९ //
शम् | नः | भव | चक्षसा | सम् | नः | अह्ना | शम् | भानुना | शम् | हिमाः | शम् | घृणेन | यथा | शम् | अध्वन् | शम् | असत् | दुरोणे | तत् | सूर्य | द्रविणम् | धेहि | चित्रम् // ऋ. वे. १०,३७.१० //
अस्माकम् | देवाः | उभयाय | जन्मने | शर्म | यच्छत | द्वि-पदे | चतुः-पदे | अदत् | पिबत् | ऊर्जयमानम् | आशितम् | तत् | अस्मे इति | शम् | योः | अरपः | दधातन // ऋ. वे. १०,३७.११ //
यत् | वः | देवाः | चकृम | जिह्वया | गुरु | मनसः | वा | प्र-युती | देव-हेऌअनम् | अरावा | यः | नः | अभि | दुच्छुन-यते | तस्मिन् | तत् | एनः | वसवः | नि | धेतन // ऋ. वे. १०,३७.१२ //
//१३//.

-ऋ. वे. ७:८/१४-
(ऋ. वे. १०,३८)
अस्मिन् | नः | इन्द्र | पृत्सुतौ | यशस्वति | शिमी-वति | क्रन्दसि | प्र | अव | सातये | यत्र | गो--साता | धृषितेषु | खादिषु | विष्वक् | पतन्ति | दिद्यवः | नृ-सह्ये // ऋ. वे. १०,३८.१ //
सः | नः | क्षु-मन्तम् | सदने | वि | ऊर्णुहि | गो--अर्णसम् | रयिम् | इन्द्र | श्रवाय्यम् | स्याम | ते | जयतः | शक्र | मेदिनः | यथा | वयम् | उश्मसि | तत् | वसो इति | कृधि // ऋ. वे. १०,३८.२ //
यः | नः | दासः | आर्यः | वा | पुरु-स्तुत | अदेवः | इन्द्र | युधये | चिकेतति | अस्माभिः | ते | सु-सहाः | सन्तु | शत्रवः | त्वया | वयम् | तान् | वनुयाम | सम्-गमे // ऋ. वे. १०,३८.३ //
यः | दभ्रेभिः | हव्यः | यः | च | भूरि-भिः | यः | अभीके | वरिवः-वित् | नृ-सह्ये | तम् | वि-खादे | सस्निम् | अद्य | श्रुतम् | नरम् | अर्वाञ्चम् | इन्द्रम् | अवसे | करामहे // ऋ. वे. १०,३८.४ //
स्व-वृजम् | हि | त्वाम् | अहम् | इन्द्र | शुश्रव | अननु-दम् | वृषभ | रध्र-चोदनम् | प्र | मुञ्चस्व | परि | कुत्सात् | इह | आ | गहि | किम् | ॐ इति | त्वावान् | मुष्कयोः | बद्धः | आसते // ऋ. वे. १०,३८.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ७:८/१५-
(ऋ. वे. १०,३९)
यः | वाम् | परि-ज्मा | सु-वृत् | अश्विना | रथः | दोषाम् | उषसः | हव्यः | हव् इष्मता | शश्वत्-तमासः | तम् | ॐ इति | वाम् | इदम् | वयम् | पितुः | न | नाम | सु-हवम् | हवामहे // ऋ. वे. १०,३९.१ //
चोदयतम् | सूनृताः | पिन्वतम् | धियः | उत् | पुरम्-धीः | ईरयतम् | तत् | उश्मसि | यशसम् | भागम् | कृणुतम् | नः | अश्विना | सोमम् | न | चारुम् | मघवत्-सु | नः | कृतम् // ऋ. वे. १०,३९.२ //
अमाजुरः | चित् | भवथः | युवम् | भगः | अनाशोः | चित् | अवितारा | अपमस्य | चि त् | अन्धस्य | चित् | नासत्या | कृशस्य | चित् | युवाम् | इत् | आहुः | भिषजा | रुतस्य | चि त् // ऋ. वे. १०,३९.३ //
युवम् | च्यवानम् | सनयम् | यथा | रथम् | पुनः | युवानम् | चरथाय | तक्षथुः | निः | तौग्र्यम् | ऊहथुः | अत्-भ्यः | परि | विश्वा | इत् | ता | वाम् | सवनेषु | प्र-वाच्या // ऋ. वे. १०,३९.४ //
पुराणा | वाम् | वीर्या | प्र | ब्रव | जने | अथो इति | ह | आसथुः | भिषजा | मयः-भुवा | ता | वाम् | नु | नव्यौ | / अवसे | करामहे | अयम् | नासत्या | श्रत् | अरिः | यथा | दधत् // ऋ. वे. १०,३९.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ७:८/१६-
इयम् | वाम् | अह्वे | शृणुतम् | मे | अश्विना | पुत्राय-इव | पितरा | मह्यम् | शिक्षतम् | अनापिः | अज्ञाः | असजात्या | अमतिः | पुरा | तस्याः | अभि-शस्तेः | अव | स्पृतम् // ऋ. वे. १०,३९.६ //
युवम् | रथेन | वि-मदाय | शुन्ध्युवम् | नि | ऊहथुः | पुरु-मित्रस्य | योषणम् | युवम् | हवम् | वध्रि-मत्याः | अगच्छतम् | युवम् | सु-सुतिम् | चक्रथुः | पुरम्-धये // ऋ. वे. १०,३९.७ //
युवम् | विप्रस्य | जरणाम् | उप-ईयुषः | पुनरिति | कलेः | अकृणुतम् | युवत् | वयः | युवम् | वन्दनम् | ऋश्य-दात् | उत् | ऊपथुः | युवम् | सद्यः | विश्पलाम् | एतवे | कृथः // ऋ. वे. १०,३९.८ //
युवम् | ह | रेभम् | वृषणा | गुहा | हितम् | उत् | ऐरयतम् | ममृ-वांसम् | अश्विना | युवम् | ऋबीसम् | उत | तप्तम् | अत्रये | ओमन्-वन्तम् | चक्रथुः | सप्त-वध्रये // ऋ. वे. १०,३९.९ //
युवम् | श्वेतम् | पेदवे | अश्विना | अश्वम् | नव-भिः | वाजैः | नवती | च | वाजि नम् | चर्कृत्यम् | ददथुः | द्रवयत्-सखम् | भगम् | न | नृ-भ्यः | हव्यम् | मयः-भुवम् // ऋ. वे. १०,३९.१० //
//१६//.

-ऋ. वे. ७:८/१७-
न | तम् | राजानौ | अदिते | कुतः | चन | न | अंहः | अश्नोति | दुः-इतम् | नकिः | भयम् | यम् | अश्विना | सु-हवा | रुद्रवर्तनी इतिरुद्र-वर्तनी | पुरः-रथम् | कृणुथः | पत्न्या | सह // ऋ. वे. १०,३९.११ //
आ | तेन | यातम् | मनसः | जवीयसा | रथम् | यम् | वाम् | ऋभवः | चक्रुः | अश्वि ना | यस्य | योगे | दुहिता | जायते | दिवः | उभे इति | अहनी इति | सुदिनेइतिसु-दिने | विवस्वतः // ऋ. वे. १०,३९.१२ //
ता | वर्तिः | यातम् | जयुषा | वि | पर्वतम् | अपिन्वतम् | शयवे | धेनुम् | अश्विना | वृकस्य | चित् | वरिकाम् | अन्तः | आस्यात् | युवम् | शचीभिः | ग्रसिताम् | अमुञ्चतम् // ऋ. वे. १०,३९.१३ //
एतम् | वाम् | स्तोमम् | अश्विनौ | अकर्म | अअतक्षाम | भृगवः | न | रथम् | नि | अमृक्षाम | योषणाम् | न | मर्ये | नित्यम् | न | सूनुम् | तनयम् | दधानाः // ऋ. वे. १०,३९.१४ //
//१७//.

-ऋ. वे. ७:८/१८-
(ऋ. वे. १०,४०)
रथम् | यान्तम् | कुह | कः | ह | वाम् | नरा | प्रति | द्यु-मन्तम् | सु-विताय | भूषति | प्रातः-यावाणम् | वि-भ्वम् | विशे--विशे | वस्तोः-वस्तोः | वहमानम् | धिया | शमि // ऋ. वे. १०,४०.१ //
कुह | स्वित् | दोषा | कुह | वस्तोः | अश्विना | कुह | अभि-पित्वम् | करतः | कुह | ऊषतुः | कः | वाम् | शयु-त्रा | विधवाइव | देवरम् | मर्यम् | न | योषा | कृणुते | सध-स्थे | आ // ऋ. वे. १०,४०.२ //
प्रातः | जरेथेइति | जरणाइव | कापया | वस्तोः-वस्तोः | यजता | गच्छथः | गृहम् | कस्य | ध्वस्रा | भवथः | कस्य | वा | नरा | राज-पुत्राइव | सवना | अव | गच्छथः // ऋ. वे. १०,४०.३ //
युवाम् | मृगाइव | वारणा | मृगण्यवः | दोषा | वस्तोः | हविषा | नि | ह्वयामहे | युवम् | होत्राम् | ऋतु-था | जुह्वते | नरा | इषम् | जनाय | वहथः | शुभः | पती इति // ऋ. वे. १०,४०.४ //
युवा | ह | घोषा | परि | अश्विना | यती | राज्ञः | ऊचे | दुहिता | पृच्छे | वाम् | नरा | भूतम् | मे | अह्ने | उत | भूतम् | अक्तवे | अश्व-वते | रथिने | शक्तम् | अर्वते // ऋ. वे. १०,४०.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ७:८/१९-
युवम् | कवी इति | स्थः | परि | अश्विना | रथम् | विशः | न | कुत्सः | जरितुः | नशायथः | युवोः | ह | मक्षा | परि | अश्विना | मधु | आसा | भरत | निः | कृतम् | न | योषणा // ऋ. वे. १०,४०.६ //
युवम् | ह | भुज्युम् | युवम् | अश्विना | वशम् | युवम् | शिञ्जारम् | उशनाम् | उप | आरथुः | युवः | ररावा | परि | सख्यम् | आसते | युवोः | अहम् | अवसा | सुम्नम् | आ | चके // ऋ. वे. १०,४०.७ //
युवम् | ह | कृशम् | युवम् | अश्विना | शयुम् | युवम् | विधन्तम् | विधवाम् | उरुष्यथः | युवम् | सनि-भ्यः | स्तनयन्तम् | अश्विना | अप | व्रजम् | ऊर्णुथः | सप्त-आस्यम् // ऋ. वे. १०,४०.८ //
जनिष्ठ | योषा | पतयत् | कनीनकः | वि | च | अरुहम् | वीरुधः | दंसनाः | अनु | आ | अस्मै | रीयन्ते | निवनाइव | सिन्धवः | अस्मै | अह्ने | भवति | तत् | पति-त्वनम् // ऋ. वे. १०,४०.९ //
जीवम् | रुदन्ति | वि | मयन्ते | अध्वरे | दीर्घाम् | अनु | प्र-सितिम् | दीधियुः | नरः | वामम् | पितृ-भ्यः | ये | इदम् | सम्-एरिरे | मयः | पति-भ्यः | जनयः | परि-स्वजे // ऋ. वे. १०,४०.१० //
//१९//.

-ऋ. वे. ७:८/२०-
न | तस्य | विद्म | तत् | ॐ इति | सु | प्र | वोचत | युवा | ह | यत् | युवत्याः | क्षेति | योनिषु | प्रिय-उस्रियस्य | वृषभस्य | रेतिनः | गृहम् | गमेम | अश्विना | तत् | उश्मसि // ऋ. वे. १०,४०.११ //
आ | वाम् | अगन् | सु-मतिः | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | नि | अश्विना | हृत्-सु | कामाः | अयंसत | अभूतम् | गोपा | मिथुना | शुभः | पती इति | प्रियाः | अर्यम्णः | दुर्यान् | अशीमहि // ऋ. वे. १०,४०.१२ //
ता | मन्दसाना | मनुषः | दुरोणे | आ | धत्तम् | रयिम् | सह-वीरम् | वचस्यवे | कृतम् | तीर्थम् | सु-प्रपानम् | शुभः | पती इति | स्थाणुम् | पथे--स्थाम् | अप | दुः-मतिम् | हतम् // ऋ. वे. १०,४०.१३ //
क्व | स्वित् | अद्य | कतमासु | अश्विना | विक्षु | दस्रा | मादयेतेइति | शुभः | पती इति | कः | ईम् | नि | येमे | कतमस्य | जग्मतुः | विप्रस्य | वा | यजमानस्य | वा | गृहम् // ऋ. वे. १०,४०.१४ //
//२०//.

-ऋ. वे. ७:८/२१-
(ऋ. वे. १०,४१)
समानम् | ॐ इति | त्यम् | पुरु-हूतम् | उक्थ्यम् | रथम् | त्रि-चक्रम् | सवना | गनिग्मतम् | परि-ज्मानम् | विदथ्यम् | सुवृक्ति-भिः | वयम् | वि-उष्टौ | उषसः | हवामहे // ऋ. वे. १०,४१.१ //
प्रातः-युजम् | नासत्या | अधि | तिष्ठथः | प्रातः-यावानम् | मधु-वाहनम् | रथम् | विशः | येन | गच्छतः | यज्वरीः | नरा | कीरेः | चित् | यज्ञम् | होतृ-मन्तम् | अश्विना // ऋ. वे. १०,४१.२ //
अध्वर्युम् | वा | मधु-पाणिम् | सु-हस्त्यम् | अग्निधम् | वा | धृत-दक्षम् | दमूनसम् | विप्रस्य | वा | यत् | सवनानि | गच्छथः | अतः | आ | यातम् | मधु-पेयम् | अश्विन्चा // ऋ. वे. १०,४१.३ //
//२१//.

-ऋ. वे. ७:८/२२-
(ऋ. वे. १०,४२)
अस्ताइव | सु | प्र-तरम् | लायम् | अस्यन् | भूषन्-इव | प्र | भर | स्तोमम् | अस्मै | वाचा | विप्राः | तरत | वाचम् | अर्यः | नि | रमय | जरितरिति | सोमे | इन्द्रम् // ऋ. वे. १०,४२.१ //
दोहेन | गाम् | उप | शिक्ष | सखायम् | प्र | बोधय | जरितः | जारम् | इन्द्रम् | कोशम् | न | पूर्णम् | वसुना | नि-ऋष्टम् | आ | च्यवय | मघ-देयाय | शूरम् // ऋ. वे. १०,४२.२ //
किम् | अङ्ग | त्वा | मघ-वन् | भोजम् | आहुः | शिशीहि | मा | शिशयम् | त्वा | शृणोमि | अप्नस्वती | मम | धीः | अस्तु | शक्र | वसु-विदम् | भगम् | इन्द्र | आ | भर | नः // ऋ. वे. १०,४२.३ //
त्वाम् | जनाः | मम-सत्येषु | इन्द्र | सम्-तस्थानाः | वि | ह्वयन्ते | सम्-ईके | अत्र | युजम् | कृणुते | यः | हविष्मान् | न | असुन्वता | सख्यम् | वष्टि | शूरः // ऋ. वे. १०,४२.४ //
धनम् | न | स्पन्द्रम् | बहुलम् | यः | अस्मै | तीव्रान् | सोमान् | आसुनोति | प्रयस्वान् | तस्मै | शत्रून् | सु-तुकान् | प्रातः | अह्नः | नि | सु-अष्ट्रान् | युवति | हन्ति | वृत्रम् // ऋ. वे. १०,४२.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ७:८/२३-
यस्मिन् | वयम् | दधिम | शंसम् | इन्द्रे | यः | शिश्राय | मघ-वा | कामम् | अस्मे इति | आरात् | चित् | सन् | भयताम् | अस्य | शत्रुः | नि | अस्मै | द्युम्ना | जन्या | नमन्ताम् // ऋ. वे. १०,४२.६ //
आरात् | शत्रुम् | अप | बाधस्व | दूरम् | उग्रः | यः | शम्बः | पुरु-हूत | तेन | अस्मे इति | धेहि | यव-मत् | गो--मत् | इन्द्र | कृधि | धियम् | जरित्रे | वाज-रत्नाम् // ऋ. वे. १०,४२.७ //
प्र | यम् | अन्तः | वृष-सवासः | अग्मन् | तीव्राः | सोमाः | बहुल-अन्तासः | इन्द्रम् | न | अह | दामानम् | मघ-वा | नि | यंसत् | नि | सुन्वते | वहति | भूरि | वामम् // ऋ. वे. १०,४२.८ //
उत | प्र-हाम् | अति-दीव्य | जयाति | कृतम् | यत् | श्व-घ्नी | वि-चिनोति | काले | यः | देव-कामः | न | धना | रुणद्धि | सम् | इत् | तम् | राया | सृजति | स्वधावान् // ऋ. वे. १०,४२.९ //
गोभिः | तरेम | अमतिम् | दुः-एवाम् | यवेन | क्षुधम् | पुरु-हूत | विश्वाम् | वयम् | राज-भिः | प्रथमा | धनानि | अस्माकेन | वृजनेन | जयेम // ऋ. वे. १०,४२.१० //
बृहस्पतिः | नः | परि | पातु | पश्चात् | उत | उत्-तरस्मात् | अधरात् | अघ-योः | इन्द्रः | पुरस्तात् | उत | मध्यतः | नः | सखा | सखि-भ्यः | वरि-वः | कृणोतु // ऋ. वे. १०,४२.११ //
//२३//.

-ऋ. वे. ७:८/२४-
(ऋ. वे. १०,४३)
अच्छ | मे | इन्द्रम् | मतयः | स्वः-विदः | सध्रीचीः | विश्वाः | उशतीः | अनूषत | परि | स्वजन्ते | जनयः | यथा | पतिम् | मर्यम् | न | शुन्ध्युम् | मघ-वानम् | ऊतये // ऋ. वे. १०,४३.१ //
न | घ | त्वद्रिक् | अप | वेति | मे | मनः | त्वे इति | इत् | कामम् | पुरु-हूत | शिश्रय | राजाइव | दस्म | नि | सदः | अधि | बर्हि षि | अस्मिन् | सु | सोमे | अव-पानम् | अस्तु | ते // ऋ. वे. १०,४३.२ //
विषु-वृत् | इन्द्रः | अमतेः | उत् | क्षुधः | सः | इत् | रायः | मघ-वा | वस्वः | ईशते | तस्य | इमे | प्रवणे | सप्त | सिन्धवः | वयः | वर्धन्ति | वृषभस्य | शुष्मिणः // ऋ. वे. १०,४३.३ //
वयः | न | वृक्षम् | सु-पलाशम् | आ | असदन् | सोमासः | इन्द्रम् | मन्दिनः | चमू-सदः | प्र | एषाम् | अनीकम् | शवसा | दविद्युतत् | विदत् | स्वः | मनवे | ज्योतिः | आर्यम् // ऋ. वे. १०,४३.४ //
कृतम् | न | श्व-घ्नी | वि | चिनोति | देवने | सम्-वर्गम् | यत् | मघ-वा | सूर्यम् | जयत् | न | तत् | ते | अन्यः | अनु | वीर्यम् | शकत् | न | पुराणः | मघ-वन् | न | उत | नूतनः // ऋ. वे. १०,४३.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ७:८/२५-
विशम्-विशम् | मघ-वा | परि | अशायत | जनानाम् | धेनाः | अव-चाकशत् | वृषा | यस्य | अह | शक्रः | सवनेषु | रण्यति | सः | तीव्रैः | सोमैः | सहते | पृतन्यतः // ऋ. वे. १०,४३.६ //
आपः | न | सिन्धुम् | अभि | यत् | सम्-अक्षरन् | सोमासः | इन्द्रम् | कुल्याः-इव | ह्रदम् | वर्धन्ति | विप्राः | महः | अस्य | सादने | यवम् | न | वृष्टिः | दिव्येन | दानुना // ऋ. वे. १०,४३.७ //
वृषा | न | क्रुद्धः | पतयत् | रजः-सु | आ | यः | अर्य-पत्नीः | अकृणोत् | इमाः | अपः | सः | सुन्वते | मघ-वा | जीर-दानवे | अविन्दत् | ज्योतिः | मनवे | हविष्मते // ऋ. वे. १०,४३.८ //
उत् | जायताम् | परशुः | ज्योतिषा | सह | भूयाः | ऋतस्य | सु-दुघा | पुराण-वत् | वि | रोचताम् | अरुषः | भानुना | शुचिः | स्वः | ण | शुक्रम् | शुशुचीत | सत्-पतिः // ऋ. वे. १०,४३.९ //
गोभिः | तरेम | अमतिम् | दुः-एवाम् | यवेन | क्षुधम् | पुरु-हूत | विश्वाम् | वयम् | राज-भिः | प्रथमा | धनानि | अस्माकेन | वृजनेन | जयेम // ऋ. वे. १०,४३.१० //
बृहस्पतिः | नः | परि | पातु | पश्चात् | उत | उत्-तरस्मात् | अधरात् | अघ-योः | इन्द्रः | पुरस्तात् | उत | मध्यतः | नः | सखा | सखि-भ्यः | वरि-वः | कृणोतु // ऋ. वे. १०,४३.११ //
//२५//.

-ऋ. वे. ७:८/२६-
(ऋ. वे. १०,४४)
आ | यातु | इन्द्रः | स्व-पतिः | मदाय | यः | धर्मणा | तूतुजानः | तुविष्मान् | प्र-त्वक्षाणः | अति | विश्वा | सहांसि | अपारेण | महता | वृष्ण्येन // ऋ. वे. १०,४४.१ //
सु-स्थामा | रथः | सु-यमा | हरी इति | ते | मिम्यक्ष | वज्रः | नृ-पते | गभस्तौ | शीभम् | राजन् | सु-पथा | आ | याहि | अर्वाङ् | वर्धाम | ते | पपुषः | वृष्ण्यानि // ऋ. वे. १०,४४.२ //
आ | इन्द्र-वाहः | नृ-पतिम् | वज्र-बाहुम् | उग्रम् | उग्रासः | तविषासः | एनम् | प्र-त्वक्षसम् | वृषभम् | सत्य-शुष्मम् | आ | ईम् | अस्म-त्रा | सध-मादः | वहन्तु // ऋ. वे. १०,४४.३ //
एव | पतिम् | द्रोण-साचम् | स-चेतसम् | ऊर्जः | स्कम्भम् | धरुणे | आ | वृष-यसे | ओजः | कृष्व | सम् | गृभाय | त्वे इति | अपि | असः | यथा | के--निपानाम् | इनः | वृधे // ऋ. वे. १०,४४.४ //
गमन् | अस्मे इति | वसूनि | आ | हि | शंसिषम् | सु-आशिषम् | भरम् | आ | याहि | सोमिनः | त्वम् | ईशिषे | सः | अस्मिन् | आ | सत्सि | बर्हिषि | अनाधृष्या | तव | पात्राणि | धर्मणा // ऋ. वे. १०,४४.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ७:८/२७-
पृथक् | प्र | आयन् | प्रथमाः | देव-हूतयः | अकृण्वत | श्रवस्यानि | दुस्तरा | न | ये | शेकुः | यज्ञियाम् | नावम् | आरुहम् | ईर्मा | एव | ते | नि | अविशन्त | केपयः // ऋ. वे. १०,४४.६ //
एव | एव | अपाक् | अपरे | सन्तु | दुः-ध्यः | अश्वाः | येषाम् | दुः-युजः | आयुयुज्रे | इत्था | ये | प्राक् | उपरे | सन्ति | दावने | पुरूणि | यत्र | वयुनानि | भोजना // ऋ. वे. १०,४४.७ //
गिरीन् | अज्रान् | रेजमानान् | अधारयत् | द्यौः | क्रन्दत् | अन्तरिक्षाणि | कोपयत् | समीचीने इतिसम्-ईचीने | धिषणेइति | वि | स्कभायति | वृष्णः | पीत्वा | मदे | उक्थानि | शंसति // ऋ. वे. १०,४४.८ //
इमम् | बिभर्मि | सु-कृतम् | ते | अङ्कुशम् | येन | आरुजासि | मघ-वन् | शफ-आरुजः | अस्मिन् | सु | ते | सवने | अस्तु | ओक्यम् | सुते | इष्टौ | मघ-वन् | बोधि | आभगः // ऋ. वे. १०,४४.९ //
गोभिः | तरेम | अमतिम् | दुः-एवाम् | यवेन | क्षुधम् | पुरु-हूत | विश्वाम् | वयम् | राज-भिः | प्रथमा | धनानि | अस्माकेन | वृजनेन | जयेम // ऋ. वे. १०,४४.१० //
बृहस्पतिः | नः | परि | पातु | पश्चात् | उत | उत्-तरस्मात् | अधरात् | अघ-योः | इन्द्रः | पुरस्तात् | उत | मध्यतः | नः | सखा | सखि-भ्यः | वरि-वः | कृणोतु // ऋ. वे. १०,४४.११ //
//२७//.

-ऋ. वे. ७:८/२८-
(ऋ. वे. १०,४५)
दिवः | परि | प्रथमम् | जज्ञे | अग्निः | अस्मत् | द्वितीयम् | परि | जात-वेदाः | तृतीयम् | अप्-सु | नृ-मनाः | अजस्रम् | इन्धानः | एनम् | जरते | सु-आधीः // ऋ. वे. १०,४५.१ //
विद्म | ते | अग्ने | त्रेधा | त्रयाणि | विद्म | ते | धाम | वि-भृता | पुरु-त्रा | विद्म | ते | नाम | परमम् | गुहा | यत् | विद्म | तम् | उत्सम् | यतः | आजगन्थ // ऋ. वे. १०,४५.२ //
समुद्रे | त्वा | नृ-मनाः | अप्-सु | अन्तः | नृ-चक्षाः | ईधे | दिवः | अग्ने | ऊधन् | तृतीये | त्वा | रजसि | तस्थि-वांसम् | अपाम् | उप-स्थे | महिषाः | अवर्धन् // ऋ. वे. १०,४५.३ //
अक्रन्दत् | अग्निः | स्तनयन्-इव | द्यौः | क्षाम | रेरिहत् | वीरुधः | सम्-अञ्जन् | सद्यः | जज्ञानः | वि | हि | ईम् | इद्धः | अख्यत् | आ | रोदसी इति | भानुना | भाति | अन्तरिति // ऋ. वे. १०,४५.४ //
श्रीणाम् | उत्-आरः | धरुणः | रयीणाम् | मनीषाणाम् | प्र-अर्पणः | सोम-गोपाः | वसुः | सूनुः | सहसः | अप्-सु | राजा | वि | भाति | अग्रे | उषसाम् | इधानः // ऋ. वे. १०,४५.५ //
विश्वस्य | केतुः | भुवनस्य | गर्भः | आ | रोदसी इति | अपृणात् | जायमानः | वीऌउम् | चित् | अद्रिम् | अभिनत् | परायन् | जनाः | यत् | अग्नि म् | अयजन्त | पञ्च // ऋ. वे. १०,४५.६ //
//२८//.

-ऋ. वे. ७:८/२९-
उशिक् | पावकः | अरतिः | सु-मेधाः | मर्तेषु | अग्निः | अमृतः | नि | धायि | इयर्ति | धूमम् | अरुषम् | भरिभ्रत् | उत् | शुक्रेण | शोचिषा | द्याम् | इनक्षन् // ऋ. वे. १०,४५.७ //
दृशानः | रुक्मः | उर्विया | वि | अद्यौत् | दुः-मर्षम् | आयुः | श्रिये | रुचानः | अग्निः | अमृतः | अभवत् | वयः-भिः | यत् | एनम् | द्यौः | जनयत् | सु-रेताः // ऋ. वे. १०,४५.८ //
यः | ते | अद्य | कृणवत् | भद्र-शोचे | अपूपम् | देव | घृत-वन्तम् | अग्ने | प्र | तम् | नय | प्र-तरम् | वस्यः | अच्छ | अभि | सुम्नम् | देव-भक्तम् | यविष्ठ // ऋ. वे. १०,४५.९ //
आ | तम् | भज | सौश्रवसेषु | अग्ने | उक्थे--उक्थे | आ | भज | शस्यमाने | प्रियः | सूर्ये | प्रियः | अग्ना | भवाति | उत् | जातेन | भिनदत् | उत् | जनि-त्वैः // ऋ. वे. १०,४५.१० //
त्वाम् | अग्ने | यजमानाः | अनु | द्यून् | विश्वा | वसु | दधिरे | वार्याणि | त्वया | सह | द्रविणम् | इच्छमानाः | व्रजम् | गो--मन्तम् | उशिजः | वि | वव्रुः // ऋ. वे. १०,४५.११ //
अस्तावि | अग्निः | नराम् | सु-शेवः | वैश्वानरः | ऋषि-भिः | सोम-गोपाः | अद्वेषे | द्यावापृथिवी इति | हुवेम | देवाः | धत्त | रयिम् | अस्मे इति | सु-वीरम् // ऋ. वे. १०,४५.१२ //
//२९//.




-ऋ. वे. ८:१/१-
(ऋ. वे. १०,४६)
प्र | होता | जातः | महान् | नभः-वित् | नृ-सद्वा | सीदत् | अपाम् | उप-स्थेःदधि ःःयःःधायिःसःःतेःवयांसिःयन्ताःवसूनिःविधतेःतनू-पाः // ऋ. वे. १०,४६.१ //
इमम् | विधन्तः | अपाम् | सध-स्थे | पशुम् | न | नष्टम् | पदैः | अनु | ग्मन् | गुहा | चतन्तम् | उशिजः | नमः-भिः | इच्छन्तः | धीराः | भृगवः | अविन्दन् // ऋ. वे. १०,४६.२ //
इमम् | त्रितः | भूरि | अविन्दत् | इच्छन् | वैभु-वसः | मूर्धनि | अघ्न्यायाः | सः | शेवृधः | जातः | आ | हर्म्येषु | नाभिः | युवा | भवति | रोचनस्य // ऋ. वे. १०,४६.३ //
मन्द्रम् | होतारम् | उशिजः | नमः-भिः | प्राञ्चम् | यज्ञम् | नेतारम् | अध्वराणाम् | विशाम् | अकृण्वन् | अरतिम् | पावकम् | हव्य-वाहम् | दधतः | मानुषेषु // ऋ. वे. १०,४६.४ //
प्र | भूः | जयन्तम् | महान् | विपः-धाम् | मूराः | अमूरम् | पुराम् | दर्माणम् | नयन्तः | गर्भम् | वनाम् | धियम् | धुः | हिरि-श्मश्रुम् | न | अर्वाणम् | धन-अर्चम् // ऋ. वे. १०,४६.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ८:१/२-
नि | पस्त्यासु | त्रितः | स्तभु-यन् | परि-वीतः | योनौ | सीदत् | अन्तरिति | अतः | सम्-गृभ्य | विशाम् | दमूना | वि-धर्मणा | अयन्त्रैः | ईयते | नॄन् // ऋ. वे. १०,४६.६ //
अस्य | अजरासः | दमाम् | अरित्राः | अर्चत्-धूमासः | अग्नयः | पावकाः | श्वितीचयः | श्वात्रासः | भुरण्यवः | वन-सदः | वायवः | न | सोमाः // ऋ. वे. १०,४६.७ //
प्र | जिह्वया | भरते | वेपः | अग्निः | प्र | वयुनानि | चेतसा | पृथिव्याः | तम् | आयवः | शुचयन्तम् | पावकम् | मन्द्रम् | होतारम् | दधिरे | यजिष्ठम् // ऋ. वे. १०,४६.८ //
द्यावा | यम् | अग्निम् | पृथिवी इति | जनिष्टाम् | आपः | त्वष्टा | भृगवः | यम् | सहः-भिः | ईऌएन्यम् | प्रथमम् | मातरिश्वा | देवाः | ततक्षुः | मनवे | यजत्रम् // ऋ. वे. १०,४६.९ //
यम् | त्वा | देवाः | दधिरे | हव्य-वाहम् | पुरु-स्पृहः | मानुषासः | यजत्रम् | सः | यामन् | अग्ने | स्तुवते | वयः | धाः | प्र | देव-यन् | यशसः | सम् | हि | पूर्वीः // ऋ. वे. १०,४६.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ८:१/३-
(ऋ. वे. १०,४७)
जगृभ्म | ते | दक्षिणम् | इन्द्र | हस्तम् | वसु-यवः | वसु-पते | वसूनाम् | विद्म | हि | त्वा | गो--पतिम् | शूर | गोनाम् | अस्मभ्यम् | चित्रम् | वृषणम् | रयिम् | दाः // ऋ. वे. १०,४७.१ //
सु-आयुधम् | सु-अवसम् | सु-नीथम् | चतुः-समुद्रम् | धरुणम् | रयीणाम् | चर्कृत्यम् | शंस्यम् | भूरि-वारम् | अस्मभ्यम् | चित्रम् | वृषणम् | रयिम् | दाः // ऋ. वे. १०,४७.२ //
सु-ब्रह्माणम् | देव-वन्तम् | बृहन्तम् | उरुम् | गभीरम् | पृथु-बुध्नम् | इन्द्र | श्रुत-ऋषिम् | उग्रम् | अभिमाति-सहम् | अस्मभ्यम् | चित्रम् | वृषणम् | रयिम् | दाः // ऋ. वे. १०,४७.३ //
सनत्-वाजम् | विप्र-वीरम् | तरुत्रम् | धन-स्पृतम् | शूशु-वांसम् | सु-दक्षम् | दस्युहनम् | पूः-भिदम् | इन्द्र | सत्यम् | अस्मभ्यम् | चित्रम् | वृषणम् | रयिम् | दाः // ऋ. वे. १०,४७.४ //
अश्व-वन्तम् | रथिनम् | सहस्रिणम् | शतिनम् | वाजम् | इन्द्र | भद्र-व्रातम् | विप्र-वीरम् | स्वः-साम् | अस्मभ्यम् | चित्रम् | वृषणम् | रयिम् | दाः // ऋ. वे. १०,४७.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ८:१/४-
प्र | सप्त-गुम् | ऋत-धीतिम् | सु-मेधाम् | बृहस्पतिम् | मतिः | अच्छ | जिगाति | यः | आङ्गिरसः | नमसा | उप-सद्यः | अस्मभ्यम् | चित्रम् | वृषणम् | रयिम् | दाः // ऋ. वे. १०,४७.६ //
वनीवानः | मम | दूतासः | इन्द्रम् | सोमाः | चरन्ति | सु-मतीः | इयानाः | हृदि-स्पृशः | मनसा | वच्यमानाः | अस्मभ्यम् | चित्रम् | वृषणम् | रयिम् | दाः // ऋ. वे. १०,४७.७ //
यत् | त्वा | यामि | दद्धि | तत् | नः | इन्द्र | बृहन्तम् | क्षयम् | असमम् | जनानाम् | अभि | तत् | द्यावापृथिवी इति | गृणीताम् | अस्मभ्यम् | चित्रम् | वृषणम् | रयिम् | दाः // ऋ. वे. १०,४७.८ //
//४//.

-ऋ. वे. ८:१/५-
(ऋ. वे. १०,४८)
अहम् | भुवम् | वसुनः | पूर्व्यः | पतिः | अहम् | धनानि | सम् | जजामि | शश्वतः | माम् | हवन्ते | पितरम् | न | जन्तवः | अहम् | दाशुषे | वि | भजामि | भोजनम् // ऋ. वे. १०,४८.१ //
अहम् | इन्द्रः | रोधः | वक्षः | अथर्वणः | त्रितायः | गाः | अजनयम् | अहेः | अधि | अहम् | दस्यु-भ्यः | परि | नृम्णम् | आ | ददे | गोत्रा | शिक्षन् | दधीचे | मातरिश्वने // ऋ. वे. १०,४८.२ //
मह्यम् | त्वष्टा | वज्रम् | अतक्षत् | आयसम् | मयि | देवासः | अवृजन् | अपि | क्रतुम् | मम | अनीकम् | सूर्यस्य-इव | दुस्तरम् | माम् | आर्यन्ति | कृतेन | कर्त्वेन | च // ऋ. वे. १०,४८.३ //
अहम् | एतम् | गव्ययम् | अश्व्यम् | पशुम् | पुरीषिणम् | सायकेन | हिरण्ययम् | पुरु | सहस्रा | नि | शिशामि | दाशुषे | यत् | मा | सोमासः | उक्थिनः | अमन्दिषुः // ऋ. वे. १०,४८.४ //
अहम् | इन्द्रः | न | परा | जिग्ये | इत् | धनम् | न | मृत्यवे | अव | तस्थे | कदा | चन | सोमम् | इत् | मा | सुन्वन्तः | याचत | वसु | न | मे | पूरवः | सख्ये | रि षाथन // ऋ. वे. १०,४८.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ८:१/६-
अहम् | एतान् | शाश्वसतः | द्वाद्वा | इन्द्रम् | ये | वज्रम् | युधये | अकृण्वत | आह्वयमानान् | अव | हन्मना | अहनम् | दृऌहा | वदन् | अनमस्युः | नमस्विनः // ऋ. वे. १०,४८.६ //
अभि | इदम् | एकम् | एकः | अस्मि | निष्षाट् | अभि | द्वा | किम् | ॐ इति | त्रयः | करन्ति | खले | न | पर्षान् | प्रति | हन्मि | भूरि | किम् | मा | निन्दन्तिशत्रवो--निन्द्राः // ऋ. वे. १०,४८.७ //
अहम् | गुङ्गु-भ्यः | अतिथि-ग्वम् | इष्करम् | इषम् | न | वृत्र-तुरम् | विक्षु | धारयम् | यत् | पर्णय-घ्ने | उत | वा | करञ्ज-हे | प्र | अहम् | महे | वृत्र-हत्ये | अशुश्रवि // ऋ. वे. १०,४८.८ //
प्र | मे | नमी | साप्यः | इषे | भुजे | भूत् | गवाम् | एषे | सख्या | कृणुत | द्विता | दिद्युम् | यत् | अस्य | समिथेषु | मंहयम् | आत् | इत् | एनम् | शंस्यम् | उक्थ्यम् | करम् // ऋ. वे. १०,४८.९ //
प्र | नेमस्मिन् | ददृशे | सोमः | अन्तः | गोपाः | नेमम् | आविः | अस्था | कृणोति | सः | तिग्म-शृङ्गम् | वृषभम् | युयुत्सन् | द्रुहः | तस्थौ | बहुले | बद्धः | अन्तरिति // ऋ. वे. १०,४८.१० //
आदित्यानाम् | वसूनाम् | रुद्रियाणाम् | देवः | देवानाम् | न | मिनामि | धाम | ते | मा | भद्राय | शवसे | ततक्षुः | अपराजितम् | अस्तृतम् | अषाऌहम् // ऋ. वे. १०,४८.११ //
//६//.

-ऋ. वे. ८:१/७-
(ऋ. वे. १०,४९)
अहम् | दाम् | गृणते | पूर्व्यम् | वसु | अहम् | ब्रह्म | कृणवम् | मह्यम् | वधर्नम् | अहम् | भुवम् | यजमानस्य | चोदिता | अयज्वनः | साक्षि | विश्वस्मिन् | भरे // ऋ. वे. १०,४९.१ //
माम् | धुः | इन्द्रम् | नाम | देवता | दिवः | च | ग्मः | च | अपाम् | च | जन्तवः | अहम् | हरी इति | वृषणा | वि-व्रता | रघू इति | अहम् | वज्रम् | शवसे | धृष्णु | आ | ददे // ऋ. वे. १०,४९.२ //
अहम् | अत्कम् | कवये | शिश्नथम् | हथैः | अहम् | कुत्सम् | आवम् | आभिः | ऊति-भिः | अहम् | शुष्णस्य | श्नथिता | वधः | यमम् | न | यः | ररे | आर्यम् | नाम | दस्यवे // ऋ. वे. १०,४९.३ //
अहम् | पिताइव | वेतसून् | अभिष्टये | तुग्रम् | कुत्साय | स्मत्-इभम् | च | रन्धयम् | अहम् | भुवम् | यजमानस्य | राजनि | प्र | यत् | भरे | तुजये | न | प्रिया | आधृषे // ऋ. वे. १०,४९.४ //
अहम् | रधयम् | मृगयम् | श्रुतर्वणे | यत् | मा | अजिहीत | वयुना | चन | आनुषक् | अहम् | वेशम् | नम्रम् | आयवे | अकरम् | अहम् | सव्याय | पट्-गृभिम् | अरन्धयम् // ऋ. वे. १०,४९.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ८:१/८-
अहम् | सः | यः | नव-वास्त्वम् | बृहत्-रथम् | सम् | वृत्राइव | दासम् | वृत्र-हा | अरुजम् | यत् | वर्धयन्तम् | प्रथयन्तम् | आनुषक् | दूरे | पारे | रजसः | रोचना | अकरम् // ऋ. वे. १०,४९.६ //
अहम् | सूर्यस्य | परि | यामि | आशु-भिः | प्र | एतशेभिः | वहमानः | ओजसा | यत् | मा | सावः | मनुषः | आह | निः-निजे | ऋधक् | कृषे | दासम् | कृत्व्यम् | हथैः // ऋ. वे. १०,४९.७ //
अहम् | सप्त-हा | नहुषः | नहुः-तरः | प्र | अश्रवयम् | शवसा | तुर्वशम् | यदुम् | अहम् | नि | अन्यम् | सहसा | सहः | करम् | नव | व्राधतः | नवतिम् | च | वक्षयम् // ऋ. वे. १०,४९.८ //
अहम् | सप्त | स्रवतः | धारयम् | वृषा | द्रवित्न्वः | पृथिव्याम् | सीराः | अधि | अहम् | अर्णांसि | वि | तिरामि | सु-क्रतुः | युधा | विदम् | मनवे | गातुम् | इष्टये // ऋ. वे. १०,४९.९ //
अहम् | तत् | आसु | धारयम् | यत् | आसु | न | देवः | चन | त्वष्टा | अधारयत् | रुशत् | स्पार्हम् | गवाम् | ऊधः-सु | वक्षणासु | आ | मधोः | मधु | श्वात्र्यम् | सोमम् | आशिरम् // ऋ. वे. १०,४९.१० //
एव | देवान् | इन्द्रः | विव्ये | नॄन् | प्र | च्यौत्नेन | मघ-वा | सत्य-राधाः | व् इश्वा | इत् | ता | ते | हरि-वः | शची-वः | अभि | तुरासः | स्व-यशः | गृणन्ति // ऋ. वे. १०,४९.११ //
//८//.

-ऋ. वे. ८:१/९-
(ऋ. वे. १०,५०)
प्र | वः | महे | मन्दमानाय | अन्धसः | अर्च | विश्वानराय | विश्व-भुवे | इन्द्रस्य | यस्य | सु-मखम् | सहः | महि | श्रवः | नृम्णम् | च | रोदसी इति | सपर्यतः // ऋ. वे. १०,५०.१ //
सः | चित् | नु | सख्या | नर्यः | इनः | स्तुतः | चर्कृत्यः | इन्द्रः | मावते | नरे | विश्वासु | धूः-सु | वाज-कृत्येषु | सत्-पते | वृत्रे | वा | अप्-सु | अभि | शूर | मन्दसे // ऋ. वे. १०,५०.२ //
के | ते | नरः | इन्द्र | ये | ते | इषे | ये | ते | सुम्नम् | स-धन्यम् | इयक्षान् | के | ते | वाजाय | असुर्याय | हिन्विरे | के | अप्-सु | स्वासु | उर्वरासु | पैंस्ये // ऋ. वे. १०,५०.३ //
भुवः | त्वम् | इन्द्र | ब्रह्मणा | महान् | भुवः | विश्वेषु | सवनेषु | यज्ञियः | भुवः | नॄन् | च्यौत्नः | विश्वस्मिन् | भरे | ज्येष्ठः | च | मन्त्रः | विश्व-चर्षणे // ऋ. वे. १०,५०.४ //
अव | नु | कम् | ज्यायान् | यज्ञ-वनसः | महीम् | ते | ओमात्राम् | कृष्टयः | विदुः | असः | नु | कम् | अजरः | वर्धाः | च | विश्वा | इत् | एता | सवना | तूतुमा | कृषे // ऋ. वे. १०,५०.५ //
एता | विश्वा | सवना | तूतुमा | कृषे | स्वयम् | सूनो इति | सहसः | यानि | दधिषे | वराय | ते | पात्रम् | धर्मणे | तना | यज्ञः | मन्त्रः | ब्रह्म | उत्-यतम् | वचः // ऋ. वे. १०,५०.६ //
ये | ते | विप्र | ब्रह्म-कृतः | सुते | सचा | वसूनाम् | च | वसुनः | च | दावने | प्र | ते | सुम्नस्य | मनसा | पथा | भुवन् | मदे | सुतस्य | सोम्यस्य | अन्धसः // ऋ. वे. १०,५०.७ //
//९//.

-ऋ. वे. ८:१/१०-
(ऋ. वे. १०,५१)
महत् | तत् | उल्बम् | स्थविरम् | तत् | आसीत् | येन | आविष्टितः | प्र-विवेशिथ | अपः | विश्वाः | अपश्यत् | बहुधा | ते | अग्ने | जात-वेदः | तन्वः | देवः | एकः // ऋ. वे. १०,५१.१ //
कः | मा | दृर्श | कतमः | सः | देवः | यः | मे | तन्वः | बहुधा | परि-अपश्यत् | क्व | अह | मित्रावरुणा | क्षियन्ति | अग्नेः | विश्वाः | सम्-इधः | देव-यानीः // ऋ. वे. १०,५१.२ //
ऐच्छाम | त्वा | बहुधा | जात-वेदः | प्र-विष्टम् | अग्ने | अप्-सु | ओषधीषु | तम् | त्वा | यमः | अच्चिकेत् | चित्रभानो इतिचित्र-भानो | दश-अन्तरुष्यात् | अति-रोचमानम् // ऋ. वे. १०,५१.३ //
होत्रात् | अहम् | वरुण | बिभ्यत् | आयम् | न | इत् | एव | मा | युनजन् | अत्र | देवाः | तस्य | मे | तन्वः | बहुधा | नि-विष्टाः | एतम् | अर्थम् | न | चिकेत | अहम् | अग्नि ः // ऋ. वे. १०,५१.४ //
एहि | मनुः | देव-युः | यज्ञ-कामः | अरम्-कृत्य | तमसि | क्षेषि | अग्ने | सु-गान् | पथः | कृणुहि | देव-यानान् | वह | हव्यानि | सु-मनस्यमानः // ऋ. वे. १०,५१.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ८:१/११-
अग्नेः | पूर्वे | भ्रातरः | अर्थम् | एतम् | रथी-इव | अध्वानम् | अनु | आ | अवरीवुरिति | तस्मात् | भिया | वरुण | दूरम् | आयम् | गौरः | न | क्षेप्नोः | आविजे | ज्यायाः // ऋ. वे. १०,५१.६ //
कुर्मः | ते | आयुः | अजरम् | यत् | अग्ने | यथा | युक्तः | जात-वेदः | न | रिष्याः | अथ | वहासि | सु-मनस्यमानः | भागम् | देवेभ्यः | हविषः | सु-जात // ऋ. वे. १०,५१.७ //
प्र-याजान् | मे | अनु-याजान् | च | केवलान् | ऊर्जस्वन्तम् | हविषः | दत्त | भागम् | घृतम् | च | अपाम् | पुरुषम् | च | ओषधीनाम् | अग्नेः | च | दीर्घम् | आयुः | अस्तु | देवाः // ऋ. वे. १०,५१.८ //
तव | प्र-याजाः | अनु-याजाः | च | केवले | ऊर्जस्वन्तः | हविषः | सन्तु | भागाः | तव | अग्ने | यज्ञः | अयम् | अस्तु | सर्वः | तुभ्यम् | नमन्ताम् | प्र-द् इशः | चतस्रः // ऋ. वे. १०,५१.९ //
//११//.

-ऋ. वे. ८:१/१२-
(ऋ. वे. १०,५२)
विश्वे | देवाः | शास्तन | मा | यथा | इह | होता | वृतः | मनवै | यत् | नि-सद्य | प्र | मे | ब्रूत | भाग-धेयम् | यथा | वः | येन | पथा | हव्यम् | आ | वः | वहानि // ऋ. वे. १०,५२.१ //
अहम् | होता | नि | असीदम् | यजीयान् | विश्वे | देवाः | मरुतः | मा | जुनन्ति | अहः-अहः | अश्विना | आध्वर्यवम् | वाम् | ब्रह्मा | सम्-इत् | भवति | सा | आहुतिः | वाम् // ऋ. वे. १०,५२.२ //
अयम् | यः | होता | किः | ॐ इति | सः | यमस्य | कम् | अपि | ऊहे | यत् | सम्-अञ्जन्ति | देवाः | अहः-अहः | जायते | मासि-मासि | अथ | देवाः | दधिरे | हव्य-वाहम् // ऋ. वे. १०,५२.३ //
माम् | देवाः | दधिरे | हव्य-वाहम् | अप-म्लुक्तम् | बहु | कृच्छ्रा | चरन्तम् | अग्निः | विद्वान् | यज्ञम् | नः | कल्पयाति | पञ्च-यामम् | त्रि-वृतम् | सप्त-तन्तुम् // ऋ. वे. १०,५२.४ //
आ | वः | यक्षि | अमृत-त्वम् | सु-वीरम् | यथा | वः | देवाः | वरिवः | कराणि | आ | बाह्वोः | वज्रम् | इन्द्रस्य | धेयाम् | अथ | इमाः | विश्वाः | पृतनाः | जयाति // ऋ. वे. १०,५२.५ //
त्रीणि | शता | त्री | सहस्राणि | अग्निम् | त्रिंशत् | च | देवाः | नव | च | असपर्यन् | औक्षन् | घृतैः | अस्तृणन् | बर्हिः | अस्मै | आत् | इत् | होतारम् | नि | असादयन्त // ऋ. वे. १०,५२.६ //
//१२//.

-ऋ. वे. ८:१/१३-
(ऋ. वे. १०,५३)
यम् | ऐच्छाम | मनसा | सः | अयम् | आ | अगात् | यज्ञस्य | विद्वान् | परुषः | चिकि त्वान् | सः | नः | यक्षत् | देव-ताता | यजीयान् | नि | हि | सत्सत् | अन्तरः | पूर्वः | अस्मत् // ऋ. वे. १०,५३.१ //
अराधि | होता | नि-सदा | यजीयान् | अभि | प्रयांसि | सु-धितानि | हि | ख्यत् | यजामहै | यज्ञियान् | हन्त | देवान् | ईऌआमहै | ईड्यान् | आज्येन // ऋ. वे. १०,५३.२ //
साध्वीम् | अकः | देव-वीतिम् | नः | अद्य | यज्ञस्य | जिह्वाम् | अविदाम | गुह्याम् | सः | आयुः | आ | अगात् | सुरभिः | वसानः | भद्राम् | अकः | देव-हूतिम् | नः | अद्य // ऋ. वे. १०,५३.३ //
तत् | अद्य | वाच | प्रथमम् | मसीय | येन | असुरान् | अभि | देवाः | असाम | ऊर्ज-अदः | उत | यज्ञियासः | पञ्च | जनाः | मम | होत्रम् | जुषध्वम् // ऋ. वे. १०,५३.४ //
पञ्च | जनाः | मम | होत्रम् | जुषन्ताम् | गो--जाताः | उत | ये | यज्ञियासः | पृथिवी | नः | पार्थिवात् | पातु | अंहसः | अन्तरिक्षम् | दिव्यात् | पातु | अस्मान् // ऋ. वे. १०,५३.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ८:१/१४-
तन्तुम् | तन्वन् | रजसः | भानुम् | अनु | इहि | ज्योतिष्मतः | पथः | रक्ष | धि या | कृतान् | अनुल्बणम् | वयत | जोगुवाम् | अपः | मनुः | भव | जनय | दैव्यम् | जनम् // ऋ. वे. १०,५३.६ //
अक्ष-नहः | नह्यतन | उत | सोम्याः | इष्कृणुध्वम् | रशनाः | आ | उत | पिं शत | अष्टावन्धुरम् | वहत | अभितः | रथम् | येन | देवासः | अनयन् | अभि | प्रियम् // ऋ. वे. १०,५३.७ //
अश्मन्-वती | रीयते | सम् | रभध्वम् | उत् | तिष्ठत | प्र | तरत | सखायः | अत्र | जहाम | ये | असन् | अशेवाः | शिवान् | वयम् | उत् | तरेम | अभि | वाजान् // ऋ. वे. १०,५३.८ //
त्वष्टा | माया | वेत् | अपसाम् | अपः-तमः | बिभ्रत् | पात्रा | देव-पानानि | शम्-तमा | शिशीते | नूनम् | परशुम् | सु-आयसम् | येन | वृश्चात् | एतशः | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. १०,५३.९ //
सतः | नूनम् | कवयः | सम् | शिशीत | वाशीभिः | याभिः | अमृताय | तक्षथ | विद्वांसः | पदा | गुह्यानि | कर्तन | येन | देवासः | अमृत-त्वम् | आनशुः // ऋ. वे. १०,५३.१० //
गर्भे | योषाम् | अदधुः | वत्सम् | आसनि | अपीच्येन | मनसा | उत | जिह्वया | सः | विश्वाहा | सु-मनाः | योग्याः | अभि | ससासनिः | वनते | कारः | इत् | जितिम् // ऋ. वे. १०,५३.११ //
//१४//.

-ऋ. वे. ८:१/१५-
(ऋ. वे. १०,५४)
ताम् | सु | ते | कीर्तिम् | मघ-वन् | महि-त्वा | यत् | त्वा | भीते इति | रोदसी इति | अह्वयेताम् | प्र | आवः | देवान् | आ | अतिरः | दासम् | ओजः | प्र-जायै | त्वस्यै | यत् | अशिक्षः | इन्द्र // ऋ. वे. १०,५४.१ //
यत् | अचरः | तन्वा | ववृधानः | बलानि | इन्द्र | प्र-ब्रुवाणः | जनेषु | माया | इत् | सा | ते | यानि | युद्धानि | आहुः | न | अद्य | शत्रुम् | ननु | पुरा | विवित्से // ऋ. वे. १०,५४.२ //
के | ॐ इति | नु | ते | महिमनः | समस्य | अस्मत् | पूर्वे | ऋषयः | अन्तम् | आपुः | यत् | मातरम् | च | पितरम् | च | साकम् | अजनयथाः | तन्वः | स्वायाः // ऋ. वे. १०,५४.३ //
चत्वारि | ते | असुर्याणि | नाम | अदाभ्यानि | महिषस्य | सन्ति | त्वम् | अङ्ग | तानि | व् इश्वानि | वित्से | येभिः | कर्माणि | मघ-वन् | चकर्थ // ऋ. वे. १०,५४.४ //
त्वम् | विश्वा | दधिषे | केवलानि | यानि | आविः | या | च | गुहा | वसूनि | कामम् | इत् | मे | मघ-वन् | मा | वि | तारीः | त्वम् | आज्ञाता | त्वम् | इन्द्र | असि | दाता // ऋ. वे. १०,५४.५ //
यः | अदधात् | ज्योतिषि | ज्योतिः | अन्तः | यः | असृजत् | मधुना | सम् | मधूनि | अध | प्रियम् | शूषम् | इन्द्राय | मन्म | ब्रह्म-कृतः | बृहत्-उक्थात् | अवाचि // ऋ. वे. १०,५४.६ //
//१५//.

-ऋ. वे. ८:१/१६-
(ऋ. वे. १०,५५)
दूरे | तत् | नाम | गुह्यम् | पराचैः | यत् | त्वा | भीते इति | अह्वयेताम् | वयः-धै | उत् | अस्तभ्नाः | पृथिवीम् | द्याम् | अभीके | भ्रातुः | पुत्रान् | मघ-वन् | तित्विषाणः // ऋ. वे. १०,५५.१ //
महत् | तत् | नाम | गुह्यम् | पुरु-स्पृक् | येन | भूतम् | जनयः | येन | भव्यम् | प्रत्नम् | जातम् | ज्योतिः | यत् | अस्य | प्रियम् | प्रियाः | सम् | अविशन्त | पञ्च // ऋ. वे. १०,५५.२ //
आ | रोदसी इति | अपृणात् | आ | उत | मध्यम् | पञ्च | देवान् | ऋतु-शः | सप्त-सप्त | चतुः-त्रि ंशता | पुरुधा | वि | चष्टे | स-रूपेण | ज्योतिषा | वि-व्रतेन // ऋ. वे. १०,५५.३ //
यत् | उषः | औच्छः | प्रथमा | वि-भानाम् | अजनयः | येन | पुष्टस्य | पुष्टम् | यत् | ते | जामि-त्वम् | अवरम् | परस्याः | महत् | महत्याः | असुर-त्वम् | एकम् // ऋ. वे. १०,५५.४ //
विधुम् | दद्राणम् | समने | बहूनाम् | युवानम् | सन्तम् | पलितः | जगार | देवस्य | पश्य | काव्यम् | महि-त्वा | अद्य | ममार | सः | ह्यः | सम् | आन // ऋ. वे. १०,५५.५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ८:१/१७-
शाक्मना | शाकः | अरुणः | सु-पर्णः | आ | यः | महः | शूरः | सनात् | अनीऌअः | यत् | चिकेत | सत्यम् | इत् | तत् | न | मोघम् | वसु | स्पार्हम् | उत | जेता | उत | दाता // ऋ. वे. १०,५५.६ //
आ | एभिः | ददे | वृष्ण्या | पैंस्यानि | येभिः | औक्षत् | वृत्र-हत्याय | वज्री | ये | कर्मणः | क्रियमाणस्य | मह्ना | ऋते--कर्मम् | उत्-अजायन्त | देवाः // ऋ. वे. १०,५५.७ //
युजा | कर्माणि | जनयन् | विश्वाओजाः | अशस्ति-हा | विश्व-मनाः | तुराषाट् | पीत्वी | सोमस्य | दिवः | आ | वृधानः | शूरः | निः | युधा | अधमत् | दस्यून् // ऋ. वे. १०,५५.८ //
//१७//.

-ऋ. वे. ८:१/१८-
(ऋ. वे. १०,५६)
इदम् | ते | एकम् | परः | ॐ इति | ते | एकम् | तृतीयेन | ज्योतिषा | सम् | विशस्व | सम्-वेशने | तन्वः | चारुः | एधि | प्रियः | देवानाम् | परमे | जनित्रे // ऋ. वे. १०,५६.१ //
तनूः | ते | वाजिन् | तन्वम् | नयन्ती | वामम् | अस्मभ्यम् | धातु | शर्म | तुभ्यम् | अह्रुतः | महः | धरुणाय | देवान् | दिवि-इव | ज्योतिः | स्वम् | आ | मिमीयाः // ऋ. वे. १०,५६.२ //
वाजी | असि | वाजिनेन | सु-वेनीः | सुवितः | स्तोमम् | सुवितः | दिवम् | गाः | सुवितः | धर्म | प्रथमा | अनु | सत्या | सुवितः | देवान् | सुवितः | अनु | पत्म // ऋ. वे. १०,५६.३ //
महिम्नः | एषाम् | पितरः | चन | ईशिरे | देवाः | देवेषु | अदधुः | अपि | क्रतुम् | सम् | अविव्यचुः | उत | यानि | अत्विषुः | आ | एषाम् | तनूषु | नि | विविशुः | पुनरित् इ // ऋ. वे. १०,५६.४ //
सहः-भिः | विश्वम् | परि | चक्रमुः | रजः | पूर्वा | धामानि | अमिता | मिमानाः | तनूषु | विश्वा | भुवना | नि | येमिरे | प्र | असारयन्त | पुरुध | प्र-जाः | अनु // ऋ. वे. १०,५६.५ //
द्विधा | सूनवः | असुरम् | स्वः-विदम् | आ | अस्थापयन्त | तृतीयेन | कर्मणा | स्वाम् | प्र-जाम् | पितरः | पित्र्यम् | सहः | आ | अवरेषु | अदधुः | तन्तुम् | आततम् // ऋ. वे. १०,५६.६ //
नावा | न | क्षोदः | प्र-दिशः | पृथिव्याः | स्वस्ति-भिः | अति | दुः-गानि | विश्वा | स्वाम् | प्र-जाम् | बृहत्-उक्थः | महि-त्वा | अवरेषु | अदधात् | आ | परेषु // ऋ. वे. १०,५६.७ //
//१८//.

-ऋ. वे. ८:१/१९-
(ऋ. वे. १०,५७)
मा | प्र | गाम | पथः | वयम् | मा | यज्ञात् | इन्द्र | सोमिनः | मा | अन्तरिति | स्थुः | नः | अरातयः // ऋ. वे. १०,५७.१ //
यः | यज्ञस्य | प्र-साधनः | तन्तुः | देवेषु | आततः | तम् | आहुतम् | नशीमहि // ऋ. वे. १०,५७.२ //
मनः | नु | आ | हुवामहे | नाराशंसेन | सोमेन | पितॄणाम् | च | मन्म-भिः // ऋ. वे. १०,५७.३ //
आ | ते | एतु | मनः | पुनरिति | क्रत्वे | दक्षाय | जीवसे | ज्योक् | च | सूर्यम् | दृशे // ऋ. वे. १०,५७.४ //
पुनः | नः | पितरः | मनः | ददातु | दैव्यः | जनः | जीवम् | व्रातम् | सचेमहि // ऋ. वे. १०,५७.५ //
वयम् | सोम | व्रते | तव | मनः | तनूषु | बिभ्रतः | प्रजावन्तः | सचेमहि // ऋ. वे. १०,५७.६ //
//१९//.

-ऋ. वे. ८:१/२०-
(ऋ. वे. १०,५८)
यत् | ते | यमम् | वैवस्वतम् | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामसि | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.१ //
यत् | ते | दिवम् | यत् | पृथिवीम् | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामसि | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.२ //
यत् | ते | भूमिम् | चतुः-भृष्टिम् | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामस् इ | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.३ //
यत् | ते | चतस्रः | प्र-दिशः | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामसि | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.४ //
यत् | ते | समुद्रम् | अर्णवम् | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामस् इ | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.५ //
यत् | ते | मरीचीः | प्र-वतः | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामसि | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.६ //
//२०//.

-ऋ. वे. ८:१/२१-
यत् | ते | अपः | यत् | ओषधीः | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामस् इ | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.७ //
यत् | ते | सूर्यम् | यत् | उषसम् | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामसि | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.८ //
यत् | ते | पर्वतान् | बृहतः | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामसि | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.९ //
यत् | ते | विश्वम् | इदम् | जगत् | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामस् इ | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.१० //
यत् | ते | पराः | परावतः | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामसि | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.११ //
यत् | ते | भूतम् च | भव्यम् | च | मनः | जगाम | दूरकम् | तत् | ते | आ | वर्तयामसि | इह | क्षयाय | जीवसे // ऋ. वे. १०,५८.१२ //
//२१//.

-ऋ. वे. ८:१/२२-
(ऋ. वे. १०,५९)
प्र | तारि | आयुः | प्र-तरम् | नवीयः | स्थाताराइव | क्रतु-मता | रथस्य | अध | च्यवानः | उत् | तवीति | अर्थम् | परातरम् | सु | निः-ऋतिः | जिहीताम् // ऋ. वे. १०,५९.१ //
सामन् | नु | राये | निधि-मत् | नु | अन्नम् | करामहे | सु | पुरुध | श्रवांसि | ता | नः | विश्वानि | जरिता | ममत्तु | परातरम् | सु | निः-ऋतिः | जिहीताम् // ऋ. वे. १०,५९.२ //
अभि | सु | अर्यः | पैंस्यैः | भवेम | द्यौः | न | भूमिम् | गिरयः | न | अज्रान् | ता | नः | विश्वानि | जरिता | चिकेत | परातरम् | सु | निः-ऋतिः | जिहीताम् // ऋ. वे. १०,५९.३ //
मो इति | सु | णः | सोम | मृत्यवे | परा | दाः | पश्येम | नु | सूर्यम् | उत्-चरन्तम् | द्यु-भिः | हितः | जरिमा | सु | नः | अस्तु | परातरम् | सु | निः-ऋतिः | जिहीताम् // ऋ. वे. १०,५९.४ //
असु-नीते | मनः | अस्मासु | धारय | जीवातवे | सु | प्र | तिर | नः | आयुः | ररन्धि | नः | सूर्यस्य | सम्-दृशि | घृतेन | त्वम् | तन्वम् | वर्धयस्व // ऋ. वे. १०,५९.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ८:१/२३-
असु-नीते | पुनः | अस्मासु | चक्षुः | पुनरिति | प्राणम् | इह | नः | धेहि | भोगम् | ज्योक् | पश्येम | सूर्यम् | उत्-चरन्तम् | अनु-मते | मृऌअय | नः | स्वस्ति // ऋ. वे. १०,५९.६ //
पुनः | नः | असुम् | पृथिवी | ददातु | पुनः | द्यौः | देवी | पुनः | अन्तरिक्षम् | पुनः | नः | सोमः | तन्वम् | ददातु | पुनरिति | पूषा | पथ्याम् | या | स्वस्तिः // ऋ. वे. १०,५९.७ //
शम् | रोदसी इति | सु-बन्धवे | यह्वी इति | ऋतस्य | मातरा | भरताम् | अप | यत् | रपः | द्यौः | पृथिवि | क्षमा | रपः | मो इति | सु | ते | किम् | चन | आममत् // ऋ. वे. १०,५९.८ //
अव | द्वके इति | अव | त्रिका | दिवः | चरन्ति | भेषजा | क्षमा | चरिष्णुएककम् | भरताम् | अप | यत् | रपः | द्यौः | पृथिवि | क्षमा | रपः | मो इति | सु | ते | किम् | चन | आममत् // ऋ. वे. १०,५९.९ //
सम् | इन्द्र | ईरय | गाम् | अनडवढबदबद्रह्णाहम् | यः | आ | स्वहत् | उशीनराण्याः | अनः | भरताम् | अप | यत् | रपः | द्यौः | पृथिवि | क्षमा | रपः | मो इति | सु | ते | किम् | चन | आममत् // ऋ. वे. १०,५९.१० //
//२३//.

-ऋ. वे. ८:१/२४-
(ऋ. वे. १०,६०)
आ | जनम् | त्वेष-सन्दृशम् | माहीनानाम् | उप-स्तुतम् | अगन्म | बिभ्रतः | नमः // ऋ. वे. १०,६०.१ //
असमातिम् | नि-तोशनम् | त्वेषम् | नि-ययिनम् | रथम् | भजे--रथस्य | सत्-पतिम् // ऋ. वे. १०,६०.२ //
यः | जनान् | महिषान्-इव | अति-तस्थौ | पवीरवान् | उत | अपवीरवान् | युधा // ऋ. वे. १०,६०.३ //
यस्य | इक्ष्वाकुः | उप | व्रते | रेवान् | मरायी | एधते | दिवि-इव | पञ्च | कृष्टयः // ऋ. वे. १०,६०.४ //
इन्द्र | क्षत्रा | असमातिषु | रथ-प्रोष्ठेषु | धारय | दिवि-इव | सूर्यम् | दृशे // ऋ. वे. १०,६०.५ //
अगस्त्यस्य | नत्-भ्यः | सप्ती इति | युनक्षि | रोहिता | पणीन् | नि | अक्रमीः | अभि | विश्वान् | राजन् | अराधसः // ऋ. वे. १०,६०.६ //
//२४//.

-ऋ. वे. ८:१/२५-
अयम् | माता | अयम् | पिता | अयम् | जीवातुः | आ | अगमत् | इदम् | तव | प्र-सर्पणम् | सुबन्धो इतिसु-बन्धो | आ | इहि | निः | इहि // ऋ. वे. १०,६०.७ //
यथा | युगम् | वरत्रया | नह्यन्ति | धरुणाय | कम् | एव | दाधार | ते | मनः | जीवातवे | न | मृत्यवे | अथो इति | अरिष्ट-तातये // ऋ. वे. १०,६०.८ //
यथा | इयम् | पृथिवी | मही | दाधार | इमान् | वनस्पतीन् | एव | दाधार | ते | मनः | जीवातवे | न | मृत्यवे | अथो इति | अरिष्ट-तातये // ऋ. वे. १०,६०.९ //
यमात् | अहम् | वैवस्वतात् | सु-बन्धोः | मनः | आ | अभरम् | जीवातवे | न | मृत्यवे | अथो इति | अरिष्ट-तातये // ऋ. वे. १०,६०.१० //
न्यक् | वातः | अव | वाति | न्यक् | तपति | सूर्यः | नीचीनम् | अघ्न्या | दुहे | न्यक् | भवतु | ते | रपः // ऋ. वे. १०,६०.११ //
अयम् | मे | हस्तः | भग-वान् | अयम् | मे | भगवत्-तरः | अयम् | मे | विश्व-भेषजः | अयम् | शिव-अभिमर्शनः // ऋ. वे. १०,६०.१२ //
//२५//.

-ऋ. वे. ८:१/२६-
(ऋ. वे. १०,६१)
इदम् | इत्था | रौद्रम् | गूर्त-वचाः | ब्रह्म | क्रत्वा | शच्याम् | अन्तः | आजौ | क्राणा | यत् | अस्य | पितरा | मंहने--स्थाः | पर्षत् | पक्थे | अहन् | आ | सप्त | होताऋन् // ऋ. वे. १०,६१.१ //
सः | इत् | दानाय | दभ्याय | वन्वन् | च्यवानः | सूदैः | अमिमीत | वेदिम् | तूवर्याणः | गूर्तवचः-तमः | क्षोदः | न | रेतः | इतः-ऊति | सिञ्चत् // ऋ. वे. १०,६१.२ //
मनः | न | येषु | हवनेषु | तिग्मम् | विपः | शच्या | वनुथः | द्रवन्ता | आ | यः | शर्याभिः | तुवि-नृम्णः | अस्य | अश्रीणीत | आदिशम् | गभस्तौ // ऋ. वे. १०,६१.३ //
कृष्णा | यत् | गोषु | अरुणीषु | सीदत् | दिवः | नपाता | अश्विना | हुवे | वाम् | वीतम् | मे | यज्ञम् | आ | गतम् | मे | अन्नम् | ववन्वांसा | न | इषम् | अस्मृतध्रूइत्य् अस्मृत-ध्रू // ऋ. वे. १०,६१.४ //
प्रथिष्ट | यस्य | वीर-कर्मम् | इष्णत् | अनु-स्थितम् | नु | नर्यः | अप | औहत् | पुनरिति | तत् | आ | वृहति | यत् | कनायाः | दुहितुः | आः | अनु-भृतम् | अनर्वा // ऋ. वे. १०,६१.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ८:१/२७-
मध्या | यत् | कर्त्वम् | अभवत् | अभीके | कामम् | कृण्वाने | पितरि | युवत्याम् | मनानक् | रेतः | जहतुः | वि-यन्ता | सानौ | नि-सिक्तम् | सु-कृतस्य | योनौ // ऋ. वे. १०,६१.६ //
पिता | यत् | स्वाम् | दुहितरम् | अधि-स्कन् | क्ष्मया | रेतः | सम्-जग्मानः | नि | स् इञ्चत् | सु-आध्यः | अजनयन् | ब्रह्म | देवाः | वास्तोः | पतिम् | व्रत-पाम् | नि ः | अतक्षन् // ऋ. वे. १०,६१.७ //
सः | ईम् | वृषा | न | फेनम् | अस्यत् | आजौ | स्मत् | आ | परा | ऐत् | अप | दभ्र-चेताः | सरत् | पदा | न | दक्षिणा | परावृक् | न | ताः | नु | मे | पृशन्यः | जगृभ्रे // ऋ. वे. १०,६१.८ //
मक्षु | न | वह्निः | प्र-जायाः | उपब्दिः | अग्निम् | न | नग्नः | उप | सीदत् | ऊधः | सनिता | इध्मम् | सनिता | उत | वाजम् | सः | धर्ता | जज्ञे | सहसा | यव् इ-युत् // ऋ. वे. १०,६१.९ //
मक्षु | कनायाः | सख्यम् | नव-ग्वाः | ऋतम् | वदन्तः | ऋत-युक्तिम् | अग्मन् | द्वि-बर्हसः | ये | उप | गोपम् | आ | अगुः | अदक्षिणासः | अच्युता | दुदुक्षन् // ऋ. वे. १०,६१.१० //
//२७//.

-ऋ. वे. ८:१/२८-
मक्षु | कनायाः | सख्यम् | नवीयः | राधः | न | रेतः | ऋतम् | इत् | तुरण्यन् | शुचि | यत् | ते | रेक्णः | आ | अयजन्त | सबः-दुघायाः | पयः | उस्रियायाः // ऋ. वे. १०,६१.११ //
पश्वा | यत् | पश्चा | वि-युता | ब्धन्त | इति | ब्रवीति | वक्तरि | रराणः | वसोः | वसु-त्वा | कारवः | अनेहा | विश्वम् | विवेष्टि | द्रविणम् | उप | क्षु // ऋ. वे. १०,६१.१२ //
तत् | इत् | नु | अस्य | परि-सद्वानः | अग्मन् | पुरु | सदन्तः | नार्सदम् | बिभ् इत्सन् | वि | शुष्णस्य | सम्-ग्रथितम् | अनर्वा | विदत् | पुरु-प्रजातस्य | गुहा | यत् // ऋ. वे. १०,६१.१३ //
भर्गः | ह | नाम | उत | यस्य | देवाः | स्वः | न | ये | त्रि-सधस्थे | नि-सेदुः | अग्निः | ह | नाम | उत | जात-वेदाः | श्रुधि | नः | होतः | ऋतस्य | होता | अध्रुक् // ऋ. वे. १०,६१.१४ //
उत | त्या | मे | रौद्रौ | अर्चि-मन्ता | नासत्यौ | इन्द्र | गृतये | यजध्यै | मनुष्वत् | वृक्त-बर्हिषे | रराणा | मन्दू इति | हित-प्रयसा | विक्षु | यज्यूइति // ऋ. वे. १०,६१.१५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ८:१/२९-
अयम् | स्तुतः | राजा | वन्दि | वेधाः | अपः | च | विप्रः | तरति | स्व-सेतुः | सः | कक्षीवन्तम् | रेजयत् | सः | अग्निम् | नेमिम् | न | चक्रम् | अर्वतः | रघु-द्रु // ऋ. वे. १०,६१.१६ //
सः | द्वि-बन्धुः | वैतरणः | यष्टा | सबः-धुम् | धेनुम् | अस्वम् | दुहध्यै | सम् | यत् | मित्रावरुणा | वृञ्जे | उक्थैः | ज्येष्ठेभिः | अर्यमणम् | वरूथैः // ऋ. वे. १०,६१.१७ //
तत्-बन्धुः | सूरिः | दिवि | ते | धियम्-धाः | नाभानेदिष्ठः | रपति | प्र | वेनन् | सा | नः | नाभिः | परमा | अस्य | वा | घ | अहम् | तत् | पश्चा | कतिथः | चित् | आस // ऋ. वे. १०,६१.१८ //
इयम् | मे | नाभिः | इह | मे | सध-स्थम् | इमे | मे | देवाः | अयम् | अस्मि | सर्वः | द्वि-जाः | अह | प्रथम-जाः | ऋतस्य | इदम् | धेनुः | अदुहत् | जायमाना // ऋ. वे. १०,६१.१९ //
अध | आसु | मन्द्रः | अरतिः | विभावा | अव | स्यति | द्वि-वर्तनिः | वनेषाट् | ऊर्ध्वा | यत् | श्रेणिः | न | शिशुः | दन् | मक्षु | स्थिरम् | शे--वृधम् | सूत | माता // ऋ. वे. १०,६१.२० //
//२९//.

-ऋ. वे. ८:१/३०-
अध | गावः | उप-मातिम् | कनायाः | अनु | श्वान्तस्य | कस्य | चित् | परा | ईयुः | श्रुधि | त्वम् | सु-द्रविणः | नः | त्वम् | याट् | आश्व-घ्नस्य | ववृधे | सूनृताभिः // ऋ. वे. १०,६१.२१ //
अध | त्वम् | इन्द्र | विद्धि | अस्मान् | महः | राये | नृ-पते | वज्र-बाहुः | रक्ष | च | नः | मघोनः | पाहि | सूरीन् | अनेहसः | ते | हरि-वः | अभिष्टौ // ऋ. वे. १०,६१.२२ //
अध | यत् | राजाना | गो--इष्टौ | सरत् | सरण्युः | कारवे | जरण्युः | विप्रः | प्रेष्ठः | सः | हि | एषाम् | बभूव | परा | च | वक्षत् | उत | पर्षत् | एनान् // ऋ. वे. १०,६१.२३ //
अध | नु | अस्य | जेन्यस्य | पुष्टौ | वृथा | रेभन्तः | ईमहे | तत् | ॐ इति | नु | सरण्युः | अस्य | सूनुः | अश्वः | विप्रः | च | असि | श्रवसः | च | सातौ // ऋ. वे. १०,६१.२४ //
युवोः | यदि | सख्याय | अस्मे इति | शर्धाय | स्तोमम् | जुजुषे | नमस्वान् | विश्वत्र | यस्मिन् | आ | गिरः | सम्-ईचीः | पूर्वी-इव | गातुः | दाशत् | सूनृतायै // ऋ. वे. १०,६१.२५ //
सः | गृणानः | अत्-भिः | देव-वान् | इति | सु-बन्धुः | नमसा | सु-उक्तैः | वर्धत् | उक्थैः | वचः-भिः | आ | हि | नूनम् | वि | अध्वा | एति | पयसः | उस्रियायाः // ऋ. वे. १०,६१.२६ //
ते | ॐ इति | सु | नः | महः | यजत्राः | भूत | देवासः | ऊतये | स-जोषाः | ये | वाजान् | अनयत | वि-यन्तः | ये | स्थ | नि-चेतारः | अमूराः // ऋ. वे. १०,६१.२७ //
//३०//.



-ऋ. वे. ८:२/१-
(ऋ. वे. १०,६२)
ये | यज्ञेन | दक्षिणया | सम्-अक्ताः | इन्द्रस्य | सख्यम् | अमृत-त्वम् | आनश | तेभ्यः | भद्रम् | अङ्गिरसः | वः | अस्तु | प्रति | गृभ्णीत | मानवम् | सु-मेधसः // ऋ. वे. १०,६२.१ //
ये | उत्-आजन् | पितरः | गो--मयम् | वसु | ऋतेन | अभिन्दन् | परि-वत्सरे | वलम् | दीर्घायु-त्वम् | अङ्गिरसः | वः | अस्तु | प्रति | गृभ्णीत | मानवम् | सु-मेधसः // ऋ. वे. १०,६२.२ //
ये | ऋतेन | सूर्यम् | आ | अरोहयन् | दिवि | अप्रथयन् | पृथिवीम् | मातरम् | वि | सुप्रजाः-त्वम् | अङ्गिरसः | वः | अस्तु | प्रति | गृभ्णीत | मानवम् | सु-मेधसः // ऋ. वे. १०,६२.३ //
अयम् | नाभा | वदति | वल्गु | वः | गृहे | देव-पुत्राः | ऋषयः | तत् | शृणोतन | सु-ब्रह्मण्यम् | अङ्गिरसः | वः | अस्तु | प्रति | गृभ्णीत | मानवम् | सु-मेधसः // ऋ. वे. १०,६२.४ //
वि-रूपासः | इत् | ऋषयः | ते | इत् | गम्भीर-वेपसः | ते | अङ्गिरसः | सूनवः | ते | अग्नेः | परि | जज्ञिरे // ऋ. वे. १०,६२.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ८:२/२-
ये | अग्नेः | परि | जज्ञिरे | वि-रूपासः | दिवः | परि | नव-ग्वः | नु | दश-ग्वः | अङ्गिरः-तमः | सचा | देवेषु | मंहते // ऋ. वे. १०,६२.६ //
इन्द्रेण | युजा | निः | सृजन्त | वाघतः | व्रजम् | गो--मन्तम् | अश्विनम् | सहस्रम् | मे | ददतः | अष्ट-कर्ण्यः | श्रवः | देवेषु | अक्रत // ऋ. वे. १०,६२.७ //
प्र | नूनम् | जायताम् | अयम् | मनुः | तोक्म-इव | रोहतु | यः | सहस्रम् | शत-अश्वम् | सद्यः | दानाय | मंहते // ऋ. वे. १०,६२.८ //
न | तम् | अश्नोति | कः | चन | दिवः-इव | सानु | आरभम् | सावर्ण्यस्य | दक्षिणा | वि | सिन्धुः-इव | पप्रथे // ऋ. वे. १०,६२.९ //
उत | दासा | परि-विषे | स्मद्दिष्टी इतिस्मत्-दिष्टी | गो--परीणसा | यदुः | तुर्वः | च | मामहे // ऋ. वे. १०,६२.१० //
सहस्र-दाः | ग्राम-नीः | मा | रिषत् | मनुः | सूर्येण | अस्य | यतमाना | एतु | दक्षिणा | सावर्णेः | देवाः | प्र | तिरन्तु | आयुः | यस्मिन् | अस्रान्ताः | असनाम | वाजम् // ऋ. वे. १०,६२.११ //
//२//.

-ऋ. वे. ८:२/३-
(ऋ. वे. १०,६३)
परावतः | ये | दिधिषन्ते | आप्यम् | मनु-प्रीतासः | जनिम | विवस्वतः | ययातेः | ये | नहुष्यस्य | बर्हिषि | देवाः | आसते | ते | अधि | ब्रुवन्तु | नः // ऋ. वे. १०,६३.१ //
विश्वा | हि | वः | नमस्यानि | वन्द्या | नामानि | देवाः | उत | यज्ञियानि | वः | ये | स्थ | जाताः | अदितेः | अत्-भ्यः | परि | ये | पृथिव्याः | ते | मे | इह | श्रुत | हवम् // ऋ. वे. १०,६३.२ //
येभ्यः | माता | मधु-मत् | पिन्वते | पयः | पीयूषम् | द्यौः | अदितिः | अद्रि-बर्हाः | उक्थ-शुष्मान् | वृष-भरान् | स्वप्नसः | तान् | आदित्यान् | अनु | मद | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.३ //
नृ-चक्षसः | अनि-मिषन्तः | अर्हणा | बृहत् | देवासः | अमृत-त्वम् | आनशुः | ज्योतिः-रथाः | अहि-मायाः | अनागसः | दिवः | वर्ष्माणम् | वसते | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.४ //
सम्-राजः | ये | सु-वृधः | यज्ञम् | आययुः | अपरि-ह्वृताः | दधिरे | दिवि | क्षयम् | तान् | आ | विवास | नमसा | सुवृक्ति-भिः | महः | आदित्यान् | अदितिम् | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ८:२/४-
कः | वः | स्तोमम् | राधति | यम् | जुजोषथ | विश्वे | देवासः | मनुषः | यति | स्थन | कः | वः | अध्वरम् | तुवि-जाताः | अरम् | करत् | यः | नः | पर्षत् | अत् इ | अंहः | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.६ //
येभ्यः | होत्राम् | प्रथमाम् | आयेजे | मनुः | समिद्ध-अग्निः | मनसा | सप्त | होतृ-भिः | ते | आदित्याः | अभयम् | शर्म | यच्छत | सु-गा | नः | कर्त | सु-पथा | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.७ //
ये | ईशिरे | भुवनस्य | प्र-चेतसः | विश्वस्य | स्थातुः | जगतः | च | मन्तवः | ते | नः | कृतात् | अकृतात् एनसः | परि | अद्य | देवासः | पिपृत | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.८ //
भरेषु | इन्द्रम् | सु-हवम् | हवामहे | अंहः-मुचम् | सु-कृतम् | दैव्यम् | जनम् | अग्निम् | मित्रम् | वरुणम् | सातये | भगम् | द्यावापृथिवी इति | मरुतः | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.९ //
सु-त्रामाणम् | पृथिवीम् | द्याम् | अनेहसम् | सु-शर्माणम् | अदितिम् | सु-प्रनीतिम् | दैवीम् | नावम् | सु-अरित्राम् | अनागसम् | अस्रवन्तीम् | आ | रुहेम | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.१० //
//४//.

-ऋ. वे. ८:२/५-
विश्वे | यजत्राः | अधि | वोचत | ऊतये | त्रायध्वम् | नः | दुः-एवायाः | अभि-ह्रुतः | सत्यया | वः | देव-हूत्या | हुवेम | शृण्वतः | देवाः | अवसे | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.११ //
अप | अमीवाम् | अप | विश्वाम् | अनाहुतिम् | अप | अरातिम् | दुः-विदत्राम् | अघ-यतः | आरे | देवाः | द्वेषः | अस्मत् | युयोतन | उरु | नः | शर्म | यच्छत | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.१२ //
अरिष्टः | सः | मर्तः | विश्वः | एधते | प्र | प्र-जाभिः | जायते | धर्मणः | परि | यम् | आदित्यासः | नयथ | सुनीति-भिः | अति | विश्वानि | दुः-इता | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.१३ //
यम् | देवासः | अवथ | वाज-सातौ | यम् | शूर-साता | मरुतः | हिते | धने | प्रातः-यावानम् | रथम् | इन्द्र | सानसिम् | अरिष्यन्तम् | आ | रुहेम | स्वस्तये // ऋ. वे. १०,६३.१४ //
स्वस्ति | नः | पथ्यासु | धन्व-सु | स्वस्ति | अप्-सु | वृजने | स्वः-वति | स्वस्ति | नः | पुत्र-कृथेषु | योनिषु | स्वस्ति | राये | मरुतः | दधातन // ऋ. वे. १०,६३.१५ //
स्वस्तिः | इत् | हि | प्र-पथे | श्रेष्ठा | रेक्णस्वती | अभि | या | वामम् | एति | सा | नः | अमा | सो इति | अरणे | नि | पातु | सु-आवेशा | भवतु | देव-गोपा // ऋ. वे. १०,६३.१६ //
एव | प्लतेः | सूनुः | अवीवृधत् | वः | विश्वे | आदित्याः | अदिते | मनीषी | ईशानासः | नरः | अमर्त्येन | अस्तावि | जनः | दिव्यः | गयेन // ऋ. वे. १०,६३.१७ //
//५//.

-ऋ. वे. ८:२/६-
(ऋ. वे. १०,६४)
कथा | देवानाम् | कतमस्य | यामनि | सु-मन्तु | नाम | शृण्वताम् | मनामहे | कः | मृऌआति | कतमः | नः | मयः | करत् | कतमः | ऊती | अभि | आ | ववर्तति // ऋ. वे. १०,६४.१ //
ऋतु-यन्ति | क्रतवः | हृत्-सु | धीतयः | वेनन्ति | वेनाः | पतयन्ति | आ | दिशः | न | मर्डिता | विद्यते | अन्यः | एभ्यः | देवेषु | मे | अधि | कामाः | अयंसत // ऋ. वे. १०,६४.२ //
नराशंसम् | वा | पूषणम् | अगोह्यम् | अग्निम् | देव-इद्धम् | अभि | अर्चसे | गिरा | सूर्यामासा | चन्द्रमसा | यमम् | दिवि | त्रितम् | वातम् | उषसम् | अक्तुम् | अश्विना // ऋ. वे. १०,६४.३ //
कथा | कविः | तुवि-रवान् | कया | गिरा | बृहस्पतिः | ववृधते | सुवृक्ति-भिः | अजः | एक-पात् | सु-हवेभिः | ऋक्व-भिः | अहिः | शृणोतु | बुध्न्यः | हवीमनि // ऋ. वे. १०,६४.४ //
दक्षस्य | वा | अदिते | जन्मनि | व्रते | राजाना | मित्रावरुणा | विवाससि | अतूर्त-पन्थाः | पुरु-रथः | अर्यमा | सप्त-होता | विषु-रूपेषु | जन्म-सु // ऋ. वे. १०,६४.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ८:२/७-
ते | नः | अर्वन्तः | हवन-श्रुतः | हवम् | विश्वे | शृण्वन्तु | वाजिनः | मि त-द्रवः | सहस्र-साः | मेधसातौ-इव | त्मना | महः | ये | धनम् | सम्-इथेषु | जभ्रिरे // ऋ. वे. १०,६४.६ //
प्र | वः | वायुम् | रथ-युजम् | पुरम्-धिम् | स्तोमैः | कृणुध्वम् | सख्याय | पूषणम् | ते | हि | देवस्य | सवितुः | सवीमनि | क्रतुम् | सचन्ते | स-चितः | स-चेतसः // ऋ. वे. १०,६४.७ //
त्रिः | सप्त | सस्राः | नद्यः | महीः | अपः | वनस्पतीन् | पर्वतान् | अग्निम् | ऊतये | कृशानुम् | अस्तृॠन् | तिष्यम् | सध-स्थे | आ | रुद्रम् | रुद्रेषु | रुद्रियम् | हवामहे // ऋ. वे. १०,६४.८ //
सरस्वती | सरयुः | सिन्धुः | ऊर्मि-भिः | महः | महीः | अवसा | यन्तु | वक्षणीः | देवीः | आपः | मातरः | सूदयित्न्वः | घृत-वत् | पयः | मधु-मत् | नः | अर्चत // ऋ. वे. १०,६४.९ //
उत | माता | बृहत्-दिवा | शृणोतु | नः | त्वष्टा | देवेभिः | जनि-भिः | पिता | वचः | ऋभुक्षाः | वाजः | रथः-पतिः | भगः | रण्वः | शंसः | शशमानस्य | पातु | नः // ऋ. वे. १०,६४.१० //
//७//.

-ऋ. वे. ८:२/८-
रण्वः | सम्-दृष्टौ | पितुमान्-इव | क्षयः | भद्रा | रुद्राणाम् | मरुताम् | उप-स्तुतिः | गोभिः | स्याम | यशसः | जनेषु | आ | सदा | देवासः | इऌअया | सचेमहि // ऋ. वे. १०,६४.११ //
यम् | मे | धियम् | मरुतः | इन्द्र | देवाः | अददात | वरुण | मित्र | यूयम् | ताम् | पीपयत | पयसाइव | धेनुम् | कुवित् | गिरः | अधि | रथे | वहाथ // ऋ. वे. १०,६४.१२ //
कुवित् | अङ्ग | प्रति | यथा | चित् | अस्य | नः | स-जात्यस्य | मरुतः | बुबोधथ | नाभा | यत्र | प्रथमम् | सम्-नसामहे | तत्र | जामि-त्वम् | अदितिः | दधातु | नः // ऋ. वे. १०,६४.१३ //
ते | हि | द्यावापृथिवी इति | मातरा | मही | देवी | देवान् | जन्मना | यज्ञियेइति | इतः | उभे इति | बिभृतः | उभयम् | भरीम-भिः | पुरु | रेतांसि | पितृ-भिः | च | सिञ्चतः // ऋ. वे. १०,६४.१४ //
वि | सा | होत्रा | विश्वम् | अश्नोति | वार्यम् | बृहस्पतिः | अरमतिः | पनीयसी | ग्रावा | यत्र | मधु-सुत् | उच्यते | बृहत् | अवीवशन्त | मति-भिः | मनीषिणः // ऋ. वे. १०,६४.१५ //
एव | कविः | तुवि-रवान् | ऋत-ज्ञाः | द्रविणस्युः | द्रविणसः | चकानः | उक्थेभिः | अत्र | मति-भिः | च | विप्रः | अपीपयत् | गयः | दिव्यानि | जन्म // ऋ. वे. १०,६४.१६ //
एव | प्लतेः | सूनुः | अवीवृधत् | वः | विश्वे | आदित्याः | अदिते | मनीषी | ईशानासः | नरः | अमर्त्येन | अस्तावि | जनः | दिव्यः | गयेन // ऋ. वे. १०,६४.१७ //
//८//.

-ऋ. वे. ८:२/९-
(ऋ. वे. १०,६५)
अग्निः | इन्द्रः | वरुणः | मित्रः | आर्यमा | वायुः | पूषा | सरस्वती | स-जोषसः | आदित्याः | विष्णुः | मरुतः | स्वः | बृहत् | सोमः | रुद्रः | अदितिः | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. १०,६५.१ //
इन्द्राग्नी इति | वृत्र-हत्येषु | सत्पती इतिसत्-पती | मिथः | हिन्वाना | तन्वा | सम्-ओकसा | अन्तरिक्षम् | महि | आ | पप्रुः | ओजसा | सोमः | घृत-श्रीः | महिमानम् | ईरयन् // ऋ. वे. १०,६५.२ //
तेषाम् | हि | मह्ना | माहताम् | अनर्वणाम् | स्तोमान् | इयर्मि | ऋत-ज्ञाः | ऋत-वृधाम् | ये | अप्सवम् | अर्णवम् | चित्र-राधसः | ते | नः | रासन्ताम् | महये | सु-मित्र्याः // ऋ. वे. १०,६५.३ //
स्वः-नरम् | अन्तरिक्षाणि | रोचना | द्यावाभूमी इति | पृथिवीम् | स्कम्भुः | ओजसा | पृक्षाः-इव | महयन्तः | सु-रातयः | देवाः | स्तवन्ते | मनुषाय | सूरयः // ऋ. वे. १०,६५.४ //
मित्राय | शिक्ष | वरुणाय | दाशुषे | या | सम्-राजा | मनसा | न | प्र-युच्छतः | ययोः | धाम | धर्मणा | रोचते | बृहत् | ययोः | उभे इति | रोदसी
इति | नाधसी इति | वृतौ // ऋ. वे. १०,६५.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ८:२/१०-
या | गौः | वर्तनिम् | परि-एति | निः-कृतम् | पयः | दुहाना | व्रत-नीः | अवारतः | सा | प्र-ब्रुवाणा | वरुणाय | दाशुषे | देवेभ्यः | दाशत् | हविषा | विवस्वते // ऋ. वे. १०,६५.६ //
दिवक्षसः | अग्नि-जिह्वाः | ऋत-वृधः | ऋतस्य | योनिम् | वि-मृशन्तः | आसते | द्याम् | स्कभित्वी | अपः | आ | चक्रुः | ओजसा | यज्ञम् | जनित्वी | तन्वि | नि | ममृजुः // ऋ. वे. १०,६५.७ //
परि-क्षिता | पितरा | पूर्वजावरी इतिपूर्व-जावरी | ऋतस्य | योना | क्षयतः | सम्-ओकसा | द्यावापृथिवी इति | वरुणाय | सव्रतेइतिस-व्रते | घृत-वत् | पयः | महिषाय | पिन्वतः // ऋ. वे. १०,६५.८ //
पर्जन्यावाता | वृषभा | पुरीषिणा | इन्द्रवायू इति | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | देवान् | आदित्यान् | अदितिम् | हवामहे | ये | पार्थिवासः | दिव्यासः | अप्-सु | ये // ऋ. वे. १०,६५.९ //
त्वष्टारम् | वायुम् | ऋभवः | यः | ओहते | दैव्या | होतारौ | उषसम् | स्वस्तये | बृहस्पतिम् | वृत्र-खादम् | सु-मेधसम् | इन्द्रियम् | सोमम् | धन-साः | ॐ इति | ईमहे // ऋ. वे. १०,६५.१० //
//१०//.

-ऋ. वे. ८:२/११-
ब्रह्म | गाम् | अश्वम् | जनयन्तः | ओषधीः | वनस्पतीन् | पृथिवीम् | पर्वतान् | अपः | सूर्य | दिवि | रोहयन्तः | सु-दानवः | आर्या | व्रता | वि-सृजन्तः | अधि | क्षमि // ऋ. वे. १०,६५.११ //
भुज्युम् | अंहसः | पिपृथः | निः | अश्विना | श्यावम् | पुत्रम् | वध्रि-मत्याः | अजिन्वतम् | कम-द्युवम् | वि-मदाय | ऊहथुः | युवम् | विष्णाप्वम् | विश्वकाय | अव | सृजथः // ऋ. वे. १०,६५.१२ //
पावीरवी | तन्यतुः | एक-पात् | अजः | दिवः | धर्ता | सिन्धुः | आपः | समुद्रियः | विश्वे | देवासः | शृणवन् | वचांसि | मे | सरस्वती | सह | धीभिः | पुरम्-ध्या // ऋ. वे. १०,६५.१३ //
विश्वे | देवाः | सह | धीभिः | पुरम्-ध्या | मनोः | यजत्राः | अमृताः | ऋत-ज्ञाः | राति-साचः | अभि-साचः | स्वः-विदः स्वः | गिरः | ब्रह्म | सु-उक्तम् | जुषेरत // ऋ. वे. १०,६५.१४ //
देवान् | वसिष्ठः | अमृतान् | ववन्दे | ये | विश्वा | भुवना | अभि | प्र-तस्थुः | ते | नः | रासन्ताम् | उरु-गायम् | अद्य | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. १०,६५.१५ //
//११//.

-ऋ. वे. ८:२/१२-
(ऋ. वे. १०,६६)
देवान् | हुवे | बृहत्-श्रवसः | स्वस्तये | ज्योतिः-कृतः | अध्वरस्य | प्र-चेतसः | ये | ववृधुः | प्र-तरम् | विश्व-वेदसः | इन्द्र-ज्येष्ठासः | अमृताः | ऋत-वृधः // ऋ. वे. १०,६६.१ //
इन्द्र-प्रसूताः | वरुण-प्रशिष्टाः | ये | सूर्यस्य | ज्योतिषः | भागम् | आनशुः | मरुत्-गणे | वृजने | मन्म | धीमहि | माघोने | यज्ञम् | जनयन्त | सूरयः // ऋ. वे. १०,६६.२ //
इन्द्रः | वसु-भिः | परि | पातु | नः | गयम् | आदित्यैः | नः | अदितिः | शर्म | यच्छतु | रुद्रः | रुद्रेभिः | देवः | मृऌअयाति | नः | त्वष्टा | नः | ग्नाभिः | सुविताय | जिन्वतु // ऋ. वे. १०,६६.३ //
अदितिः | द्यावापृथिवी इति | ऋतम् | महत् | इन्द्राविष्णूइति | मरुतः | स्वः | बृहत् | देवान् | आदित्यान् | अवसे | हवामहे | वसून् | रुद्रान् | सवितारम् | सु-दंससम् // ऋ. वे. १०,६६.४ //
सरस्वान् | धीभिः | वरुणः | धृत-व्रतः | पूषा | विष्णुः | महिमा | वायुः | अश्विना | ब्रह्म-कृतः | अमृताः | विश्व-वेदसः | शर्म | नः | यंसन् | त्रि-वरूथम् | अंहसः // ऋ. वे. १०,६६.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ८:२/१३-
वृषा | यज्ञः | वृषणः | सन्तु | यज्ञियाः | वृषणः | देवाः | वृषणः | हविः-कृतः | वृषणा | द्यावापृथिवी इति | ऋत-वरी इत्य् ऋत-वरी | वृषा | पर्जन्यः | वृषणः | वृष-स्तुभः // ऋ. वे. १०,६६.६ //
अग्नीषोमा | वृषणा | वाज-सातये | पुरु-प्रशस्ता | वृषणौ | उप | ब्रुवे | यौ | ईजिरे | वृषणः | देव-यज्यया | ता | नः | शर्म | त्रि-वरूथम् | वि | यांसतः // ऋ. वे. १०,६६.७ //
धृत-व्रताः | क्षत्रियाः | यज्ञनिः-कृतः | बृहत्-दिवाः | अध्वराणाम् | अभि-श्रि यः | अग्नि-हाओतारः | ऋत-सापः | अद्रुहः | अपः | असृजन् | अनु | वृत्र-तूयेर् // ऋ. वे. १०,६६.८ //
द्यावापृथिवी इति | जनयन् | अभि | व्रता | आपः | ओषधीः | वनिनानि | यज्ञिया | अन्तरिक्षम् | स्वः | आ | पप्रुः | ऊतये | वशम् | देवासः | तन्वि | नि | ममृजुः // ऋ. वे. १०,६६.९ //
धर्तारः | दिवः | ऋभवः | सु-हस्ताः | वातापर्जन्या | महिषस्य | तन्यतोः | आपः | ओषधीः | प्र | तिरन्तु | नः | गिरः | भगः | रातिः | वाजिनः | यन्तु | मे | हवम् // ऋ. वे. १०,६६.१० //
//१३//.

-ऋ. वे. ८:२/१४-
समुद्रः | सिन्धुः | रजः | अन्तरिक्षम् | अजः | एक-पात् | तनयित्नुः | अर्णवः | अहिः | बुध्न्यः | शृणवत् | वचांसि | मे | विश्वे | देवासः | उत | सूरयः | मम // ऋ. वे. १०,६६.११ //
स्याम | वः | मनवः | देव-वीतये | प्राञ्चम् | नः | यज्ञम् | प्र | नयत | साधु-या | आदीत्याः | रुद्राः | वसवः | सु-दानवः | इमा | ब्रह्म | शस्यमानानि | जिन्वत // ऋ. वे. १०,६६.१२ //
दैव्याः | होतारा | प्रथमा | पुरः-हिता | ऋतस्य | पन्थाम् | अनु | एमि | साधु-या | क्षेत्रस्य | पतिम् | प्रति-वेशम् | ईमहे | विश्वान् | देवान् | अमृतान् | अप्र-युच्छतः // ऋ. वे. १०,६६.१३ //
वसिष्ठासः | पितृ-वत् | वाचम् | अक्रत | देवान् | ईऌआनाः | ऋषि-वत् | स्वस्तये | प्रीताः-इव | ज्ञातयः | कामम् | आइत्य | अस्मे इति | देवासः | अव | धूनुत | वसु // ऋ. वे. १०,६६.१४ //
देवान् | वसिष्ठः | अमृतान् | ववन्दे | ये | विश्वा | भुवना | अभि | प्र-तस्थुः | ते | नः | रासन्ताम् | उरु-गायम् | अद्य | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. १०,६६.१५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ८:२/१५-
(ऋ. वे. १०,६७)
इमाम् | धियम् | सप्त-शीर्ष्णीम् | पिता | नः | ऋत-प्रजाताम् | बृहतीम् | अविन्दत् | तुरीयम् | स्वित् | जनयत् | विश्व-जन्यः | अयास्यः | उक्थम् | इन्द्राय | शंसन् // ऋ. वे. १०,६७.१ //
ऋतम् | शंसन्तः | ऋजु | दीध्यानाः | दिवः | पुत्रासः | असुरस्य | वीराः | विप्रम् | पदम् | अङ्गिरसः | दधानाः | यज्ञस्य | धाम | प्रथमम् | मनन्त // ऋ. वे. १०,६७.२ //
हंसैः-इव | सखि-भिः | वावदत्-भिः | अश्मन्-मयानि | नहना | वि-अस्यन् | बृहस्पतिः | अभि-कनिक्रदत् | गाः | उत | प्र | अस्तौत् | उत् | च | विद्वान् | अगायत् // ऋ. वे. १०,६७.३ //
अवः | द्वाभ्याम् | परः | एकया | गाः | गुहा | तिष्ठन्तीः | अनृतस्य | सेतौ | बृहस्पतिः | तमसि | ज्योतिः | इच्छन् | उत् उस्राः | आ | अकः | वि | हि | तिश्रः | आवर् इत्य् आवः // ऋ. वे. १०,६७.४ //
वि-भिद्य | पुरम् | शयथा | ईम् | अपाचीम् | निः | त्रीणि | साकम् | उद-धेः | अकृन्तत् | बृहस्पतिः | उषसम् | सूर्यम् | गाम् | अर्कम् | विवेद | स्तनयन्-इव | द्यौः // ऋ. वे. १०,६७.५ //
इन्द्रः | वलम् | रक्षितारम् | दुघानाम् | करेण-इव | वि | चकर्त | रवेण | स्वेदाञ्जि-भिः | आशिरम् | इच्छमानः | अरोदयत् | पणिम् | आ | गाः | अमुष्णात् // ऋ. वे. १०,६७.६ //
//१५//.

-ऋ. वे. ८:२/१६-
सः | ईम् | सत्येभिः | सखि-भिः | शुचत्-भिः | गो--धायसम् | वि | धन-सैः | अदर्दर् इत्य् अदर्दः | ब्रह्मणः | पतिः | वृष-भिः | वराहैः | घर्म-स्वेदेभिः | द्रविणम् | वि | आनट् // ऋ. वे. १०,६७.७ //
ते | सत्येन | मनसा | गो--पतिम् | गाः | इयानासः | इषणयन्त | धीभिः | बृहस्पतिः | मिथः-अवद्यपेभिः | उत् | उस्रियाः | असृजत | स्वयुक्-भिः // ऋ. वे. १०,६७.८ //
तम् | वर्धयन्तः | मति-भिः | शिवाभिः | सिंहम्-इव | नानदतम् | सध-स्थे | बृहस्पतिम् | वृषणम् | शूर-सातौ | भरे--भरे | अनु | मदेम | जिष्णुम् // ऋ. वे. १०,६७.९ //
यदा | वाजम् | असनत् | विश्व-रूपम् | आ | द्याम् | अरुक्षत् | उत्-तराणि | सद्म | बृहस्पतिम् | वृषणम् | वर्धयन्तः | नाना | सन्तः | बिभ्रतः | ज्योतिः | आसा // ऋ. वे. १०,६७.१० //
सत्याम् | आशिषम् | कृणुत | वयः-धै | कीरिम् | चित् | हि | अवथ | स्वेभिः | एवैः | पश्चा | मृधः | अप | भवन्तु | विश्वाः | तत् | रोदसी इति | शृणुतम् | विश्वमिन्वे इतिविश्वम्-इन्वे // ऋ. वे. १०,६७.११ //
इन्द्रः | मह्ना | महतः | अर्णवस्य | वि | मूर्धानम् | अभिनत् | अर्बुदस्य | अहन् | अहिम् | अरिणात् | सप्त | सिन्धून् | देवैः | द्यावापृथिवी इति | प्र | अवतम् | नः // ऋ. वे. १०,६७.१२ //
//१६//.

-ऋ. वे. ८:२/१७-
(ऋ. वे. १०,६८)
उद-प्रुतः | न | वयः | रक्षमाणाः | वावदतः | अभ्रियस्य-इव | घोषाः | गिरि-भ्रजः | न | ऊर्मयः | मदन्तः | बृहस्पतिम् | अभि | अर्काः | अनावन् // ऋ. वे. १०,६८.१ //
सम् | गोभिः | आङ्गिरसः | नक्षमाणः | भगः-इव | इत् | अर्यमणम् | निनाय | जने | मित्रः | न | दम्पती इतिदम्-पती | अनक्ति | बृहस्पते | वाजय | आशून्-इव | आजौ // ऋ. वे. १०,६८.२ //
साधु-अर्याः | अतिथिनीः | इषिराः | स्पार्हाः | सु-वर्णाः | अनवद्य-रूपाः | बृहस्पतिः | पर्वतेभ्यः | वि-तूर्य | निः | गाः | ऊपे | यवम्-इव | स्थिवि-भ्यः // ऋ. वे. १०,६८.३ //
आप्रुषायन् | मधुना | ऋतस्य | योनिम् | अव-क्षिपन् | अर्कः | उल्काम्-इव | द्योः | बृहस्पतिः | उद्धरन् | अश्मनः | गाः | भूम्याः | उद्नाइव | वि | त्वचम् | बिभेद // ऋ. वे. १०,६८.४ //
अप | ज्योतिषा | तमः | अन्तरिक्षात् | उद्नः | शीपालम्-इव | वातः | आजत् | बृहस्पतिः | अनु-मृश्य | वलस्य | अभ्रम्-इव | वातः | आ | चक्रे | आ | गाः // ऋ. वे. १०,६८.५ //
यदा | वलस्य | पीयतः | जसुम् | भेत् | बृहस्पतिः | अग्नितपः-भिः | अर्कैः | दत्-भिः | न | जिह्वा | परि-विष्टम् | आदत् | आविः | निधीन् | अकृणोत् | उस्रियाणाम् // ऋ. वे. १०,६८.६ //
//१७//.

-ऋ. वे. ८:२/१८-
बृहस्पतिः | अमत | हि | त्यत् | आसाम् | नाम | स्वरीणाम् | सदने | गुहा | यत् | आण्डाइव | भित्त्वा | शकुनस्य | गर्भम् | उत् | उस्रियाः | पर्वतस्य | त्मना | आजत् // ऋ. वे. १०,६८.७ //
अश्ना | अपि-नद्धम् | मधु | परि | अपश्यत् | मत्स्यम् | न | दीने | उदनि | क्षियन्तम् | निः | तत् | जभार | चमसम् | न | वृक्षात् | बृहस्पतिः | वि-रवेण | वि-कृत्य // ऋ. वे. १०,६८.८ //
सः | उषाम् | अविन्दत् | सः | स्वर् इति स्वः | सः | अग्निम् | सः | अर्केण | वि | बबाधे | तमांसि | बृहस्पतिः | गो--वपुषः | वलस्य | निः | मज्जानम् | न | पर्वणः | जभार // ऋ. वे. १०,६८.९ //
हिमाइव | पर्णा | मुषिता | वनानि | बृहस्पतिना | अकृपयत् | वलः | गाः | अननु-कृत्यम् | अपुनरिति | चकार | यात् | सूर्यामासा | मिथः | उत्-चरातः // ऋ. वे. १०,६८.१० //
अभि | श्यावम् | न | कृशनेभिः | अश्वम् | नक्षत्रेभिः | पितरः | द्याम् | अपिंशन् | रात्र्याम् | तमः | अदधुः | ज्योतिः | अहन् | बृहस्पतिः | भिनत् | अद्रिम् | विदत् | गाः // ऋ. वे. १०,६८.११ //
इदम् | अकर्म | नमः | अभ्रियाय | यः | पूर्वीः | अनु | आनोनवीति | बृहस्पतिः | सः | हि | गोभिः | सः | अश्वः | सः | वीरेभिः | सः | नृ-भिः | नः | वयः | धात् // ऋ. वे. १०,६८.१२ //
//१८//.

-ऋ. वे. ८:२/१९-
(ऋ. वे. १०,६९)
भद्राः | अग्नेः | वध्रि-अश्वस्य | सम्-दृशः | वामी | प्र-णीतिः | सु-रणाः | उप-इतयः | यत् | ईम् | सु-मित्राः | विशः | अग्रे | इन्धते | घृतेन | आहुतः | जरते | दविद्युतत् // ऋ. वे. १०,६९.१ //
घृतम् | अग्नेः | वध्रि-अश्वस्य | वर्धनम् | घृतम् | अन्नम् | घृतम् | ॐ इति | अस्य | भेदनम् | घृतेन | आहुतः | उर्विया | वि | पप्रथे | सूर्यः-इव | रोचते | सर्पिः-आसुतिः // ऋ. वे. १०,६९.२ //
यत् | ते | मनुः | यत् | अनीकम् | सु-मित्रः | सम्-ईधे | अग्ने | तत् | इदम् | नवीयः | सः | रेवत् | शोच | सः | गिरः | जुषस्व | सः | वाजम् | दर्षि | सः | इह | श्रवः | धाः // ऋ. वे. १०,६९.३ //
यम् | त्वा | पूर्वम् | ईऌइतः | वध्रि-अश्वः | सम्-ईधे | अग्ने | सः | इदम् | जुषस्व | सः | नः | स्ति-पाः | उत | भव | तनू-पाः | दात्रम् | रक्षस्व | यत् | इदम् | ते | अस्मे इति // ऋ. वे. १०,६९.४ //
भव | द्युम्नी | वाध्रि-अश्व | उत | गोपाः | मा | त्वा | तारीत् | अभि-मातिः | जनानाम् | शूरः-इव | घृष्णुः | च्यवनः | सु-मित्रः | प्र | नु | वोचम् | वाध्रि-अश्वस्य | नाम // ऋ. वे. १०,६९.५ //
सम् | अज्र्या | पर्वत्या | वसूनि | दासा | वृत्राणि | आर्या | जिगेथ | शूरः-इव | घृष्णुः | च्यवनः | जनानाम् | त्वम् | अग्ने | पृतनायून् | अभि | स्याः // ऋ. वे. १०,६९.६ //
//१९//.

-ऋ. वे. ८:२/२०-
दीर्घ-तन्तुः | बृहत्-उक्षा | अयम् | अग्निः | सहस्र-स्तरीः | शत-नीथः | ऋभ्वा | द्यु-मान् | द्युमत्-सु | नृ-भिः | मृज्यमानः | सु-मित्रेषु | दीदयः | देवयत्-सु // ऋ. वे. १०,६९.७ //
त्वे इति | धेनुः | सु-दुघा | जातवेदः | असश्चताइव | समना | सबः-धुक् | त्वम् | नृ-भिः | दक्षिणावत्-भिः | अग्ने | सु-मित्रेभिः | इध्यसे | देवयत्-भिः // ऋ. वे. १०,६९.८ //
देवाः | चित् | ते | अमृताः | जात-वेदः | महिमानम् | वाधि-अश्व | प्र | वोचन् | यत् | सम्-पृच्छम् | मानुषीः | विशः | आयन् | त्वम् | नृ-भिः | अजयः | त्वावृधेभिः // ऋ. वे. १०,६९.९ //
पिताइव | पुत्रम् | अभिभः | उप-स्थे | त्वाम् | अग्ने | वध्रि-अश्वः | सपर्यन् | जुषाणः | अस्य | सम्-इधम् | यविष्ठ | उत | पूर्वान् | अवनोः | व्राधतः | चित् // ऋ. वे. १०,६९.१० //
शश्वत् | अग्निः | वध्रि-अश्वस्य | शत्रून् | नृ-भिः | जिगाय | सुतसोमवत्-भिः | समनम् | चित् | अदहः | चित्रभानो इतिचित्र-भानो | अव | व्राधन्तम् | अभिनत् | वृधः | चित् // ऋ. वे. १०,६९.११ //
अयम् | अग्निः | वध्रि-अश्वस्य | वृत्र-हा | सनकात् | प्र-इद्धः | नमसा | उप-वाक्यः | सः | नः | अजामीन् | उत | वा | वि-जामीन् | अभि | तिष्ठ | शर्धतः | वाध्रि-अश्व // ऋ. वे. १०,६९.१२ //
//२०//.

-ऋ. वे. ८:२/२१-
(ऋ. वे. १०,७०)
इमाम् | मे | अग्ने | सम्-इधम् | जुषस्व | इऌअः | पदे | प्रति | हर्य | घृताचीम् | वर्ष्मन् | पृथिव्याः | सुदिन-त्वे | अह्नाम् | ऊर्ध्वः | भव | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | देव-यज्या // ऋ. वे. १०,७०.१ //
आ | देवानाम् | अग्र-यावा | इह | यातु | नराशंसः | विश्व-रूपेभिः | अश्वैः | ऋतस्य | पथा | नमसा | मियेधः | देवेभ्यः | देव-तमः | सुसूदत् // ऋ. वे. १०,७०.२ //
शश्वत्-तमम् | ईऌअते | दूत्याय | हविष्मन्तः | मनुष्यासः | अग्निम् | वहिष्ठैः | अश्वैः | सु-वृता | रथेन | आ | देवान् | वक्षि | नि | सद | इह | होता // ऋ. वे. १०,७०.३ //
वि | प्रथताम् | देव-जुष्टम् | तिरश्चा | दीर्घम् | द्राघ्मा | सुरभि | भूतु | अस्मे इति | अहेऌअत | मनसा | देव | बर्हिः | इन्द्र-ज्येष्ठान् | उशतः | यक्षि | देवान् // ऋ. वे. १०,७०.४ //
दिवः | वा | सानु | स्पृशत | वरीयः | पृथिव्या | वा | मात्रया | वि | श्रयध्वम् | उशतीः | द्वारः | महिना | महत्-भिः | देवम् | रथम् | रथ-युः | धारयध्वम् // ऋ. वे. १०,७०.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ८:२/२२-
देवी इति | दिवः | दुहितरा | सुशिल्पे इतिसु-शिल्पे | उषसानक्ता | सदताम् | नि | योनौ | आ | वाम् | देवासः | उशती इति | उशन्तः | उरौ | सीदन्तु | सुभगेइतिसु-भगे | उप-स्थे // ऋ. वे. १०,७०.६ //
ऊर्ध्वः | ग्रावा | बृहत् | अग्निः | सम्-इद्धः | प्रिया | धामानि | अदितेः | उप-स्थे | पुरः-हितौ | ऋत्विजा | यज्ञे | अस्मिन् | विदुः-तरा | द्रविणम् | आ | यजेथाम् // ऋ. वे. १०,७०.७ //
तिस्रः | देवीः | बर्हिः | इदम् | वरीयः | आ | सीदत | चकृम | वः | स्योनम् | मनुष्वत् | यज्ञम् | सु-धिता | हवींषि | इऌआ | देवी | घृत-पदी | जुषन्त // ऋ. वे. १०,७०.८ //
देव | त्वष्टः | यत् | ह | चारु-त्वम् | आनट् | यत् | अङ्गिरसाम् | अभवः | सचाभूः | सः | देवानाम् | पाथः | उप | प्र | विद्वान् | उशन् | यक्षि | द्रविणः-दः | सु-रत्नः // ऋ. वे. १०,७०.९ //
वनस्पते | रशनया | नि-यूय | देवानाम् | पाथः | उप | वक्षि | विद्वान् | स्वदाति | देवः | कृणवत् | हवींषि | अवताम् | द्यावापृथिवी इति | हवम् | मे // ऋ. वे. १०,७०.१० //
आ | अग्ने | वह | वरुणम् | इष्टये | नः | इन्द्रम् | दिवः | मरुतः | अन्तरिक्षात् | सीदन्तु | बर्हिः | विश्वे | आ | यजत्राः | स्वाहा | देवाः | अमृताः | मादयन्ताम् // ऋ. वे. १०,७०.११ //
//२२//.

-ऋ. वे. ८:२/२३-
(ऋ. वे. १०,७१)
बृहस्पते | प्रथमम् | वाचः | अग्रम् | यत् | प्र | ऐरत | नाम-धेयम् | दधानाः | यत् | एषाम् | श्रेष्ठम् | यत् | अरिप्रम् | आसीत् | प्रेणा | तत् | एषाम् | नि-हितम् | गुहा | आविः // ऋ. वे. १०,७१.१ //
सक्तुम्-इव | तित-उना | पुनन्तः | यत्र | धीराः | मनसा | वाचम् | अक्रत | अत्र | सखायः | सख्यानि | जानते | भद्रा | एषाम् | लक्ष्मीः | निहिता | अधि | वाचि // ऋ. वे. १०,७१.२ //
यज्ञेन | वाचः | पद-वीयम् | आयन् | ताम् | अनु | अविन्दन् | ऋषिषु | प्र-विष्टाम् | ताम् | आभृत्य | वि | अदधुः | पुरु-त्रा | ताम् | सप्त | रेभाः | अभि | सम् | नवन्ते // ऋ. वे. १०,७१.३ //
उत | त्वः | पश्यन् | न | ददर्श | वाचम् | उत | त्वः | शृण्वन् | न | शृणोति | एनाम् | उतो इति | त्वस्मै | तन्वम् | वि | सस्रे | जायाइव | पत्ये | उशती | सु-वासाः // ऋ. वे. १०,७१.४ //
उत | त्वम् | सख्ये | स्थिर-पीतम् | आहुः | न | एनम् | हिन्वन्ति | अपि | वाजिनेषु | अधेन्वा | चरति | मायया | एषः | वाचम् | शुश्रु-वान् | अफलाम् | आपुष्पाम् // ऋ. वे. १०,७१.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ८:२/२४-
यः | तित्याज | सचि-विदम् | सखायम् | न | तस्य | वाचि | अपि | भागः | अस्ति | यत् | ईम् | शृणोति | अलकम् | शृणोति | नहि | प्र-वेद | सु-कृतस्य | पन्थाम् // ऋ. वे. १०,७१.६ //
अक्षण्-वन्तः | कर्ण-वन्तः | सखायः | मनः-जवेषु | असमाः | बभूवुः | आदघ्नासः | उप-कक्षासः | ॐ इति | त्वे | ह्रदाः-इव | स्नात्वाः | ॐ इति | त्वे | ददृश्रे // ऋ. वे. १०,७१.७ //
हृदा | तष्टेषु | मनसः | जवेषु | यत् | ब्राह्मणाः | सम्-यजन्ते | सखायः | अत्र | अह | त्वम् | वि | जहुः | वेद्याभिः | ओह-ब्रह्माणः | वि | चरन्ति | ॐ इति | त्वे // ऋ. वे. १०,७१.८ //
इमे | ये | न | अर्वाक् | न | परः | चरन्ति | न | ब्राह्मणासः | न | सुते--करासः | ते | एते | वाचम् | अभि-पद्य | पापया | सिरीः | तन्त्रम् | तन्वते | अप्र-जज्ञयः // ऋ. वे. १०,७१.९ //
सर्वे | नन्दन्ति | यशसा | आगतेन | सभासाहेन | सख्या | सखायः | किल्बिष-स्पृत् | पितु-सणिः | हि | एषाम् | अरम् | हितः | भवति | वाजिनाय // ऋ. वे. १०,७१.१० //
ऋचाम् | त्वः | पोषम् | आस्ते | पुपुष्वान् | गायत्रम् | त्वः | गायति | शक्वरीषु | ब्रह्मा | त्वः | वदति | जात-विद्याम् | यज्ञस्य | मात्राम् | वि | मिमीते | ॐ इति | त्वः // ऋ. वे. १०,७१.११ //
//२४//.




-ऋ. वे. ८:३/१-
(ऋ. वे. १०,७२)
देवानाम् | नु | वयम् | जाना | प्र | वोचाम | विपन्यया | उक्थेषु | शस्यमानेषु | यः | पश्यात् | उत्-तरे | युगे // ऋ. वे. १०,७२.१ //
ब्रह्मणः | पतिः | एता | सम् | कर्मारः-इव | अधमत् | देवानाम् | पूर्व्ये | युगे | असतः | सत् | अजायत // ऋ. वे. १०,७२.२ //
देवानाम् | पूर्व्ये | युगे | असतः | सत् | अजायत | तत् | आशाः | अनु | अजायन्त | तत् | उत्तान-पदः | परि // ऋ. वे. १०,७२.३ //
भूः | जज्ञे | उत्तान-पदः | भुवः | आशाः | अजायन्त | अदितेः | दक्षः | अजायत | दक्षात् | ॐ इति | अदितिः | परि // ऋ. वे. १०,७२.४ //
अदितिः | हि | अजनिष्ट | दक्ष | या | दुहिता | तव | ताम् | देवाः | अनु | अजायन्त | भद्राः | अमृत-बन्धवः // ऋ. वे. १०,७२.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ८:३/२-
यत् | देवाः | अदः | सलिले | सु-संरब्धाः | अतिष्ठत | अत्र | वः | नृत्यताम्-इव | तीव्रः | रेणुः | अप | आयत // ऋ. वे. १०,७२.६ //
यत् | देवाः | यतयः | यथा | भुवनानि | अपिन्वत | अत्र | समुद्रे | आ | गूऌहम् | आ | सूर्यम् | अजभर्तन // ऋ. वे. १०,७२.७ //
अष्टौ | पुत्रासः | अदितेः | ये | जाताः | तन्वः | परि | देवान् | उप | प्र | ऐत् | सप्त-भिः | परा | मार्ताण्डम् | आस्यत् // ऋ. वे. १०,७२.८ //
सप्त-भिः | पुत्रैः | अदितिः | उप | प्र | ऐत् | पूर्व्यम् | युगम् | प्र-जायै | मृत्यवे | त्वत् | पुनः | मार्ताण्डम् | आ | अभरत् // ऋ. वे. १०,७२.९ //
//२//.

-ऋ. वे. ८:३/३-
(ऋ. वे. १०,७३)
जनिष्ठाः | उग्रः | सहसे | तुराय | मन्द्रः | ओजिष्ठः | बहुल-अभिमानः | अवर्धन् | इन्द्रम् | मरुतः | चित् | अत्र | माता | यत् | वीरम् | दधनत् | धनिष्ठा // ऋ. वे. १०,७३.१ //
द्रुहः | नि-सत्ता | पृशनी | चित् | एवैः | पुरु | शंसेन | ववृधुः | ते | इन्द्रम् | अभिवृताइव | ता | महापदेन | ध्वान्तात् | प्र-पित्वात् | उत् | अरन्त | गर्भाः // ऋ. वे. १०,७३.२ //
ऋष्वा | ते | पादा | प्र | यत् | जिगासि | अवर्धन् | वाजाः | उत | ये | चित् | अत्र | त्वम् | इन्द्र | सालावृकान् | सहस्रम् | आसन् | दधिषे | अश्विना | आ | ववृत्याः // ऋ. वे. १०,७३.३ //
समना | तूर्णिः | उप | यासि | यज्ञम् | आ | नासत्या | सख्याय | वक्षि | वसाव्याम् | इन्द्र | धारयः | सहस्रा | अश्विना | शूर | ददतुः | मघानि // ऋ. वे. १०,७३.४ //
मन्दमानः | ऋतात् | अधि | प्र-जायै | सखि-भिः | इन्द्रः | इषिरेभिः | अर्थम् | आभिः | हि | मायाः | उप | दस्युम् | आ | अगात् | मिहः | प्र | तम्राः | अवपत् | तमांसि // ऋ. वे. १०,७३.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ८:३/४-
स-नामाना | चित् | ध्वसयः | नि | अस्मै | अव | अहन् | इन्द्रः | उषसः | यथा | अनः | ऋष्वैः | अगच्छः | सखि-भिः | नि-कामैः | साकम् | प्रति-स्था | हृद्या | जघन्थ // ऋ. वे. १०,७३.६ //
त्वम् | जाघन्थ | नमुचिम् | मखस्युम् | दासम् | कृण्वानः | ऋषये | वि-मायम् | त्वम् | चकर्थ | मनवे | स्योनान् | पथः | देव-त्रा | अञ्जसाइव | यानान् // ऋ. वे. १०,७३.७ //
त्वम् | एतानि | पप्रिषे | वि | नाम | ईशानः | इन्द्र | दधिषे | गभस्तौ | अनु | त्वा | देवाः | शवसा | मदन्ति | उपरि-बुध्नान् | वनिनः | चकर्थ // ऋ. वे. १०,७३.८ //
चक्रम् | यत् | अस्य | अप्-सु | आ | नि-सत्तम् | उतो इति | तत् | अस्मै | मधु | इत् | चच्छद्यात् | पृथिव्याम् | अति-सितम् | यत् | ऊधः | पयः | गोषु | अदधाः | ओषधीषु // ऋ. वे. १०,७३.९ //
अश्वात् | इयाय | इति | यत् | वदन्ति | ओजसः | जातम् | उत | मन्ये | एनम् | मन्योः | इयाय | हर्म्येषु | तस्थौ | यतः | प्र-जज्ञे | इन्द्रः | अस्य | वेद // ऋ. वे. १०,७३.१० //
वयः | सु-पर्णाः | उप | सेदुः | इन्द्रम् | प्रिय-मेधाः | ऋषयः | नाधमानाः | अप | ध्वान्तम् | ऊर्णुहि | पूर्धि | चक्षुः | मुमुग्धि | अस्मान् | निधयाइव | बद्धान् // ऋ. वे. १०,७३.११ //
//४//.

-ऋ. वे. ८:३/५-
(ऋ. वे. १०,७४)
वसूनाम् | वा | चर्कृषे | इयक्षन् | धिया | वा | यज्ञैः | वा | रोदस्योः | अर्वन्तः | वा | ये | रयि-मन्तः | सातौ | वनुम् | वा | ये | सु-श्रुणम् | सु-श्रुतः | धुरितिधुः // ऋ. वे. १०,७४.१ //
हवः | एषाम् | असुरः | नक्षत | द्याम् | श्रवस्यता | मनसा | निंसत | क्षाम् | चक्षाणाः | यत्र | सुविताय | देवाः | द्यौः | न | वारेभिः | कृणवन्त | स्वैः // ऋ. वे. १०,७४.२ //
इयम् | एषाम् | अमृतानाम् | गीः | सर्व-ताता | ये | कृपणन्त | रत्नम् | धियम् | च | यज्ञम् | च | साधन्तः | ते | नः | धान्तु | वसव्यम् | असामि // ऋ. वे. १०,७४.३ //
आ | तत् | ते | इन्द्र | आयवः | पनन्त | अभि | ये | ऊर्वम् | गो--मन्तम् | तितृत्सान् | सकृत्-स्वम् | ये | पुरु-पुत्राम् | महीम् | सहस्र-धाराम् | बृहतीम् | दुधुक्षन् // ऋ. वे. १०,७४.४ //
शची-वः | इन्द्रम् | अवसे | कृणुध्वम् | अनानतम् | दमयन्तम् | पृतन्यून् | ऋभुक्षणम् | मघ-वानम् | सु-वृक्तिम् | भर्ता | यः | वज्रम् | नर्यम् | पुरु-क्षुः // ऋ. वे. १०,७४.५ //
यत् | ववान | पुरु-तमम् | पुराषाट् | आ | वृत्र-हा | इन्द्रः | नामानि | अप्राः | अचेति | प्र-सहः | पतिः | तुविष्मान् | यत् | ईम् | उश्मसि | कर्तवे | करत् | तत् // ऋ. वे. १०,७४.६ //
//५//.

-ऋ. वे. ८:३/६-
(ऋ. वे. १०,७५)
प्र | सु | वः | आपः | महिमानम् | उत्-तमम् | कारुः | वोचाति | सदने | विवस्वतः | प्र | सप्त-सप्त | त्रेधा | हि | चक्रमुः | प्र | सृत्वरीणाम् | अति | सिन्धुः | ओजसा // ऋ. वे. १०,७५.१ //
प्र | ते | अरदत् | वरुणः | यातवे | पथः | सिन्धो इति | यत् | वाजान् | अभि | अद्रवः | त्वम् | भूम्याः | अधि | प्र-वता | यासि | सानुना | यत् | एषाम् | अग्रम् | जगताम् | इरज्यसि // ऋ. वे. १०,७५.२ //
दिवि | स्वनः | यतते | भूम्या | उपरि | अनन्तम् | शुष्मम् | उत् | इयर्ति | भानुना | अभ्रात्-इव | प्र | स्तनयन्ति | वृष्टयः | सिन्धुः | यत् | एति | वृषभः | न | रोरुवत् // ऋ. वे. १०,७५.३ //
अभि | त्वा | सिन्धो इति | शिशुम् | इत् | न | मातरः | वाश्राः | अर्षन्ति | पयसाइव | धेनवः | राजाइव | युध्वा | नयसि | त्वम् | इत् | सिचौ | यत् | आसाम् | अग्रम् | प्र-वताम् | इनक्षसि // ऋ. वे. १०,७५.४ //
इमम् | मे | गङ्गे | यमुने | सरस्वति | शुतुद्रि | स्तोमम् | सचत | परुष्णि | आ | असिक्न्या | मरुत्-वृधे | वितस्तया | आज्र्जीकीये | शृणुहि | आ | सु-सोमया // ऋ. वे. १०,७५.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ८:३/७-
तृष्ट-अमया | प्रथमम् | यातवे | स-जूः | सु-सर्त्वा | रसया | श्वेत्या | त्या | त्वम् | सिन्धो इति | कुभया | गो--मतीम् | क्रुमुम् | मेहत्न्वा | स-रथम् | याभिः | ईयसे // ऋ. वे. १०,७५.६ //
ऋजीती | एनी | रुशती | महि-त्वा | परि | ज्रयांसि | भरते | रजांसि | अदब्धा | सिन्धुः | अपसाम् | अपः-तमा | अश्वा | न | चित्रा | वपुषी-इव | दर्शता // ऋ. वे. १०,७५.७ //
सु-अश्वा | सिन्धुः | सु-रथा | सु-वासाः | हिरण्ययी | सु-कृता | वाजिनी-वती | ऊर्णावती | युवतिः | सीलमावती | उत | अधि | वस्ते | सु-भगा | मधु-वृधम् // ऋ. वे. १०,७५.८ //
सुखम् | रथम् | युयुजे | सिन्धुः | अश्विनम् | तेन | वाजम् | सनिषत् | अस्मिन् | आजौ | महान् | हि | अस्य | महिमा | पनस्यते | अदब्धस्य | स्व-यशसः | वि-रप्शिनः // ऋ. वे. १०,७५.९ //
//७//.

-ऋ. वे. ८:३/८-
(ऋ. वे. १०,७६)
आ | वः | ऋञ्जसे | ऊर्जाम् | वि-उष्टिषु | इन्द्रम् | मरुतः | रोदसी इति | अनक्तन | उभे इति | यथा | नः | अहनी इति | सचाभुवा | सदः-सदः | वरिवस्यातः | उत्-भिदा // ऋ. वे. १०,७६.१ //
तत् | ॐ इति | श्रेष्ठम् | सवनम् | सुनोतन | अत्यः | न | हस्त-यतः | अद्रिः | सोतर् इ | विदत् | हि | अर्यः | अभि-भूति | पैंस्यम् | महः | राये | चित् | तरुते | यत् | अर्वतः // ऋ. वे. १०,७६.२ //
तत् | इत् | हि | अस्य | सवनम् | विवेः | अपः | यथा | पुरा | मनवे | गातुम् | अश्रेत् | गो--अर्णसि | त्वाष्ट्रे | अश्व-निर्निजि | प्र | ईम् | अध्वरेषु | अध्वरान् | अशिश्रयुः // ऋ. वे. १०,७६.३ //
अप | हत | रक्षसः | भङ्गुर-वतः | स्कभायत | निः-ऋतिम् | सेधत | अमतिम् | आ | नः | रयिम् | सर्व-वीरम् | सुनोतन | देव-अव्यम् | भरत | श्लोकम् | अद्रयः // ऋ. वे. १०,७६.४ //
दिवः | चित् | आ | वः | अमवत्-तरेभ्यः | वि-भ्वना | चित् | आश्वपः-तरेभ्यः | वायोः | चित् | आ | सोमरभः-तरेभ्यः | अग्नेः | चित् | अर्च | पितुकृत्-तरेभ्यः // ऋ. वे. १०,७६.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ८:३/९-
भुरन्तु | नः | यशसः | सोतु | अन्धसः | ग्रावाणः | वाचा | दिविता | दिवित्मता | नरः | यत्र | दुहते | काम्यम् | मधु | आघोषयन्तः | अभितः | मिथः-तुरः // ऋ. वे. १०,७६.६ //
सुन्वन्ति | सोमम् | रथिरासः | अद्रयः | निः | अस्य | रसम् | गो--इषः | दुहन्ति | ते | दुहन्ति | ऊधः | उप-सेचनाय | कम् | नरः | हव्या | न | मर्जयन्ते | आस-भिः // ऋ. वे. १०,७६.७ //
एते | नरः | सु-अपसः | अभूतन | ये | इन्द्राय | सुनुथ | सोमम् | अद्रयः | वामम्-वामम् | वः | दिव्याय | धाम्ने | वसु-वसु | वः | पार्थिवाय | सुन्वते // ऋ. वे. १०,७६.८ //
//९//.

-ऋ. वे. ८:३/१०-
(ऋ. वे. १०,७७)
अभ्र-प्रुषः | न | वाचा | प्रुष | वसु | हविष्मन्तः | न | यज्ञाः | वि-जानुषः | सु-मारुतम् | न | ब्रह्माणम् | अर्हसे | गणम् | अस्तोषि | एषाम् | न | शोभसे // ऋ. वे. १०,७७.१ //
श्रिये | मर्यासः | अञ्जीन् | अकृण्वत | सु-मारुतम् | न | पूर्वीः | अति | क्षपः | दि वः | पुत्रासः | एताः | न | येतिरे | आदित्यासः | ते | अक्राः | न | ववृधुः // ऋ. वे. १०,७७.२ //
प्र | ये | दिवः | पृथिव्याः | न | बर्हणा | त्मना | रिरिच्रे | अभ्रात् | न | सूर्यः | पाजस्वन्तः | न | वीराः | पनस्यवः | रिशादसः | न | मर्याः | अभि-द्यवः // ऋ. वे. १०,७७.३ //
युष्माकम् | बुध्ने | अपाम् | न | यामनि | विथुर्यति | न | मही | श्रथर्यति | विश्व-प्सुः | यज्ञः | अर्वाक् | अयम् | सु | वः | प्रयस्वन्तः | न | सत्राचः | आ | गत // ऋ. वे. १०,७७.४ //
यूयम् | धूः-सु | प्र-युजः | न | रश्मि-भिः | ज्योतिष्मन्तः | न | भासा | वि-उष्टिषु | श्येनासः | न | स्व-यशसः | रिशादसः | प्रवासः | न | प्र-सितासः | परि-प्रुषः // ऋ. वे. १०,७७.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ८:३/११-
प्र | यत् | वहध्वे | मरुतः | पराकात् | यूयम् | महः | सम्-वरणस्य | वस्वः | विदानासः | वसवः | राध्यस्य | आरात् | चित् | द्वेषः | सनुतः | युयोत // ऋ. वे. १०,७७.६ //
यः | उत्-ऋचि | यज्ञे | अध्वरे--स्थाः | मरुत्-भ्यः | न | मानुषः | ददाशत् | रेवत् | सः | वयः | दधते | सु-वीरम् | सः | देवानाम् | अपि | गो--पीथे | अस्तु // ऋ. वे. १०,७७.७ //
ते | हि | यज्ञेषु | यज्ञियासः | ऊमाः | आदित्येन | नाम्ना | शम्-भविष्ठाः | ते | नः | अवन्तु | रथ-तूः | मनीषाम् | महः | च | यामन् | अध्वरे | चकानाः // ऋ. वे. १०,७७.८ //
//११//.

-ऋ. वे. ८:३/१२-
(ऋ. वे. १०,७८)
विप्रासः | न | मन्म-भिः | सु-आध्यः | देव-अव्यः | न | यज्ञैः | सु-अप्नसः | राजानः | न | चित्राः | सु-सन्दृशः | क्षितीनाम् | न | मर्याः | अरेपसः // ऋ. वे. १०,७८.१ //
अग्निः | न | ये | भ्राजसा | रुक्म-वक्षसः | वातासः | न | स्व-युजः | सद्यः-ऊतयः | प्र-ज्ञातारः | न | ज्येष्ठाः | सु-नीतयः | सु-शर्माणः | न | सोमाः | ऋतम् | यते // ऋ. वे. १०,७८.२ //
वातासः | न | ये | धुनयः | जिगत्नवः | अग्नीनाम् | न | जिह्वाः | वि-रोकिणः | वर्मण्-वन्तः | न | योधाः | शिमी-वन्तः | पितॄणाम् | न | शंसाः | सु-रातयः // ऋ. वे. १०,७८.३ //
रथानाम् | न | ये | अराः | स-नाभयः | जिगीवांसः | न | शूराः | अभि-द्यवः | वरे--यवः | न | मर्याः | घृत-प्रुषः | अभि-स्वर्तारः | अर्कम् | न | सु-स्तुभः // ऋ. वे. १०,७८.४ //
अश्वासः | न | ये | ज्येष्ठासः | आशवः | दिधिषवः | न | रथ्यः | सु-दानवः | आपः | न | निम्नैः | उद-भिः | जिगत्नवः | विश्व-रूपाः | अङ्गिरसः | न | साम-भिः // ऋ. वे. १०,७८.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ८:३/१३-
ग्रावाणः | न | सूरयः | सिन्धु-मातरः | आदर्दिरासः | अद्रयः | न | विश्वहा | शिशूलाः | न | क्रीऌअयः | सु-मातरः | महाग्रामः | न | यामन् | उत | त्व् इषा // ऋ. वे. १०,७८.६ //
उषसाम् | न | केतवः | अध्वर-श्रियः | शुभम्-यवः | न | अञ्जि-भिः | वि | अश्वितन् | सिन्धवः | न | ययियः | भ्राजत्-ऋष्टयः | परावतः | न | योजनानि | ममिरे // ऋ. वे. १०,७८.७ //
सु-भागान् | नः | देवाः | कृणुत | सु-रत्नान् | अस्मान् | स्तोतॄन् | मरुतः | ववृधानाः | अधि | स्तोत्रस्य | सख्यस्य | गात | सनात् | हि | वः | रत्न-धेयानि | सन्ति // ऋ. वे. १०,७८.८ //
//१३//.

-ऋ. वे. ८:३/१४-
(ऋ. वे. १०,७९)
अपश्यम् | अस्य | महतः | महि-त्वम् | अमर्त्यस्य | मर्त्यासु | विक्षु | नाना | हनूइति | विभृतेइतिवि-भृते | सम् | भरेतेइति | असिन्वती इति | बप्सती इति | भूरि | अत्तः // ऋ. वे. १०,७९.१ //
गुहा | शिरः | नि-हितम् | ऋधक् | अक्षी इति | असिन्वन् | अत्ति | जिह्वया | वनानि | अत्राणि | अस्मै | पट्-भिः | सम् | भरन्ति | उत्तान-हस्ताः | नमसा | अधि | विक्षु // ऋ. वे. १०,७९.२ //
प्र | मातुः | प्र-तरम् | गुह्यम् | इच्छन् | कुमारः | न | वीरुधः | सर्पत् | उर्वीः | समम् | न | पक्वम् | अविदत् | शुचन्तम् | रिरिह्वांसम् | रिपः | उप-स्थे | अन्तरिति // ऋ. वे. १०,७९.३ //
तत् | वाम् | ऋतम् | रोदसी इति | प्र | ब्रवीमि | जायमानः | मातरा | गर्भः | अत्ति | न | अहम् | देवस्य | मर्त्यः | चिकेत | अग्निः | अङ्ग | वि-चेताः | सः | प्र-चेताः // ऋ. वे. १०,७९.४ //
यः | अस्मै | अन्नम्ःतृषुःआदधातिःआज्यैःःघृतैःःजुहोतिःपुष्यतिःतस्मैःसहस्रम्ःअक्ष-भिःःविःचक्षेःअग्नेःविश्वतःःप्रत्यङ्ःअसिःत्वम् // ऋ. वे. १०,७९.५ //
किम् | देवेषु | त्यजः | एनः | चकर्थ | अग्ने | पृच्छामि | नु | त्वाम् | अविद्वान् | अक्रीऌअन् | क्रीऌअन् | हरिः | अत्तवे | अदन् | वि | पर्व-शः | चकर्त | गाम्-इव | असिः // ऋ. वे. १०,७९.६ //
विषूचः | अश्वान् | युयुजे | वने--जाः | ऋजीति-भिः | रशनाभिः | गृभीतान् | चक्षदे | म् इत्रः | वसु-भिः | सु-जातः | सम् | आनृधे | पर्व-भिः | ववृधानः // ऋ. वे. १०,७९.७ //
//१४//.

-ऋ. वे. ८:३/१५-
(ऋ. वे. १०,८०)
अग्निः | सप्तिम् | वाजम्-भरम् | ददाति | अग्निः | वीरम् | श्रुत्यम् | कर्मनिः-स्थाम् | अग्निः | रोदसी इति | वि | चरत् | सम्-अञ्जन् | अग्निः | नारीम् | वीर-कुक्षिम् | पुरम्-धिम् // ऋ. वे. १०,८०.१ //
अग्नेः | अप्नसः | सम्-इत् | अस्तु | भद्रा | अग्निः | मही इति | रोदसी इति | आ | विवेश | अग्निः | एकम् | चोदयत् | समत्-सु | अग्निः | वृत्राणि | दयते | पुरूण् इ // ऋ. वे. १०,८०.२ //
अग्निः | ह | त्यम् | जरतः | कर्णम् | आव | अग्निः | अत्-भ्यः | निः | अदहत् | जरूथम् | अग्निः | अत्रिम् | घर्मे | उरुष्यत् | अन्तः | अग्निः | नृ-मेधम् | प्र-जया | असृजत् | सम् // ऋ. वे. १०,८०.३ //
अग्निः | दात् | द्रविणम् | वीर-पेशाः | अग्निः | ऋषिम् | यः | सहस्रा | सनोति | अग्निः | दिवि | हव्यम् | आ | ततान | अग्नेः | धामानि | वि-भृता | पुरु-त्रा // ऋ. वे. १०,८०.४ //
अग्निम् | उक्थैः | ऋषयः | वि | ह्वयन्ते | अग्निम् | नरः | यामनि | बाधितासः | अग्निम् | वयः | अन्तरिक्षे | पतन्तः | अग्निः | सहस्रा | परि | याति | गोनाम् // ऋ. वे. १०,८०.५ //
अग्निम् | विशः | ईऌअते | मानुषीः | याः | अग्निम् | मनुषः | नहुषः | वि | जाताः | अग्न् इः | गान्धर्वीम् | पथ्याम् | ऋतस्य | अग्नेः | गव्यूतिः | घृते | आ | नि-सत्ता // ऋ. वे. १०,८०.६ //
अग्नये | ब्रह्म | ऋभवः | ततक्षुः | अग्निम् | महाम् | अवोचाम | सु-वृक्तिम् | अग्ने | प्र | अव | जरितारम् | यविष्ठ | अग्ने | महि | द्रविणम् | आ | यजस्व // ऋ. वे. १०,८०.७ //
//१५//.

-ऋ. वे. ८:३/१६-
(ऋ. वे. १०,८१)
यः | इमा | विश्वा | भुवनानि | जुह्वत् | ऋषिः | होता | नि | असीदत् | पिता | नः | सः | आशिषा | द्रविणम् | इच्छमानः | प्रथम-च्छत् | अवरान् | आ | विवेश // ऋ. वे. १०,८१.१ //
किम् | स्वित् | आसीत् | अधि-स्थानम् | आरम्भणम् | कतमत् | स्वित् | कथा | आसीत् | यतः | भूमिम् | जनयन् | विश्व-कर्मा | वि | द्याम् | और्णोत् | महिना | विश्व-चक्षाः // ऋ. वे. १०,८१.२ //
विश्वतः-चक्षुः | उत | विश्वतः-मुखः | विश्वतः-बाहुः | उत | विश्वतः-पात् | सम् | बाहु-भ्याम् | धमति | सम् | पतत्रैः | द्यावाभूमी इति | जनयन् | देवः | एकः // ऋ. वे. १०,८१.३ //
किम् | स्वित् | वनम् | कः | ॐ इति | सः | वृक्षः | आस | यतः | द्यावापृथिवी इति | निः-ततक्षुः | मनीषिणः | मनसा | पृच्छत | इत् | ॐ इति | तत् | यत् | अधि-अतिष्ठत् | भुवनानि | धारयन् // ऋ. वे. १०,८१.४ //
या | ते | धामानि | परमाणि | या | अवमा | या | मध्यमा | विश्व-कर्मन् | उत | इमा | शिक्ष | सखि-भ्यः | हविषि | स्वधावः | स्वयम् | यजस्व | तन्वम् | वृधानः // ऋ. वे. १०,८१.५ //
विश्व-कर्मन् | हविषा | ववृधानः | स्वयम् | यजस्व | पृथिवीम् | उत | द्याम् | मुह्यन्तु | अन्ये | अभितः | जनासः | इह | अस्माकम् | मघ-वा | सूरिः | अस्तु // ऋ. वे. १०,८१.६ //
वाचः | पतिम् | विश्व-कर्माणम् | ऊतये | मनः-जुवम् | वाजे | अद्य | हुवेम | सः | नः | विश्वानि | हवनानि | जोषत् | विश्व-शम्भूः | अवसे | साधु-कर्मा // ऋ. वे. १०,८१.७ //
//१६//.

-ऋ. वे. ८:३/१७-
(ऋ. वे. १०,८२)
चक्षुषः | पिता | मनसा | हि | धीरः | घृतम् | एने | अजनत् | नम्नमानेइति | यदा | इत् | अन्ताः | अददृहन्त | पूर्वे | आत् | इत् | द्यावापृथिवी इति | अप्रथेताम् // ऋ. वे. १०,८२.१ //
विश्व-कर्मा | वि-मनाः | आत् | वि-हायाः | धाता | वि-धाता | परमा | उत | सम्-दृक् | तेषाम् | इष्टानि | सम् | इषा | मदन्ति | यत्र | सप्त-ऋषीन् | परः | एकम् | आहुः // ऋ. वे. १०,८२.२ //
यः | नः | पिता | जनिता | यः | वि-धाता | धामानि | वेद | भुवनानि | विश्वा | यः | देवानाम् | नाम-धाः | एकः | एव | तम् | सम्-प्रश्नम् | भुवना | यन्ति | अन्या // ऋ. वे. १०,८२.३ //
ते | आ | अयजन्त | द्रविणम् | सम् | अस्मै | ऋषयः | पूर्वे | जरितारः | न | भूना | असूर्ते | सूर्ते | रजसि | नि-सत्ते | ये | भूतानि | सम्-अकृण्वन् | इमानि // ऋ. वे. १०,८२.४ //
परः | दिवा | परः | एना | पृथिव्या | परः | देवेभिः | असुरैः | यत् | अस्ति | कम् | स्वित् | गर्भम् | प्रथमम् | दध्रे | आपः | यत्र | देवाः | सम्-अपश्यन्त | व् इश्वे // ऋ. वे. १०,८२.५ //
तम् | इत् | गर्भम् | प्रथमम् | दध्रे | आपः | यत्र | देवाः | सम्-अगच्छन्त | वि श्वे | अजस्य | नाभौ | अधि | एकम् | अर्पितम् | यस्मिन् | विश्वानि | भुवनानि | तस्थुः // ऋ. वे. १०,८२.६ //
न | तम् | विदाथ | यः | इमा | जजान | अन्यत् | युष्माकम् | अन्तरम् | बभूव | नीहारेण | प्रावृताः | जल्प्या | च | असु-तृपः | उक्थ-शासः | चरन्ति // ऋ. वे. १०,८२.७ //
//१७//.

-ऋ. वे. ८:३/१८-
(ऋ. वे. १०,८३)
यः | ते | मन्यो इति | अविधत् | वज्र | सायक | सहः | ओजः | पुष्यति | विश्वम् | आनुषक् | साह्याम | दासम् | आर्यम् | त्वया | युजा | सहः-कृतेन | सहसा | सहस्वता // ऋ. वे. १०,८३.१ //
मन्युः | इन्द्रः | मन्युः | एव | आस | देवः | मन्युः | होता | वरुणः | जात-वेदाः | मन्युम् | विशः | ईऌअते | मानुषीः | याः | पाहि | नः | मन्यो इति | तपसा | स-जोषाः // ऋ. वे. १०,८३.२ //
अभि | इहि | मन्यो इति | तवसः | तवीयान् | तपसा | युजा | वि | जहि | शत्रून् | अमित्र-हा | वृत्र-हा | दस्यु-हा | च | विश्वा | वसूनि | आ | भर | त्वम् | नः // ऋ. वे. १०,८३.३ //
त्वम् | हि | मन्यो
इति | अभिभूति-ओजाः | स्वयम्-भूः | भामः | अभिमाति-सहः | विश्व-चर्षणिः | सहुरिः | सहावान् | अस्मासु | ओजः | पृतनासु | धेहि // ऋ. वे. १०,८३.४ //
अभागः | सन् | अप | पराइतः | अस्मि | तव | क्रत्वा | तविषस्य | प्रचेतैत् इप्र-चेतः | तम् | त्वा | मन्यो इति | अक्रतुः | जिहीऌअ | अहम् | स्वा | तनूः | बल-देयाय | मा | आ | इहि // ऋ. वे. १०,८३.५ //
अयम् | ते | अस्मि | उप | मा | आ | इहि | अर्वाङ् | प्रतीचीनः | सहुरे | विश्व-धायः | मन्यो इति | वज्रिन् | अभि | माम् | आ | ववृत्स्व | हनाव | दस्यून् | उत | बोधि | आपेः // ऋ. वे. १०,८३.६ //
अभि | प्र | इहि | दक्षिणतः | भव | मे | अध | वृत्राणि | जङ्घनाव | भूरि | जुहोमि | ते | धरुणम् | मध्वः | अग्रम् | उभौ | उप-अंशु | प्रथमा | पिबाव // ऋ. वे. १०,८३.७ //
//१८//.

-ऋ. वे. ८:३/१९-
(ऋ. वे. १०,८४)
त्वया | मन्यो इति | स-रथम् | आरुजन्तः | हर्षमानासः | धृषिताः | मरुत्वः | तिग्म-इषवः | आयुधा | सम्-शिशानाः | अभि | प्र | यन्तु | नरः | अग्नि-रूपाः // ऋ. वे. १०,८४.१ //
अग्निः-इव | मन्यो इति | त्विषितः | सहस्व | सेनानीः | नः | सहुरे | हूतः | एधि | हत्वाय | शत्रून् | वि | भजस्व | वेदः | ओजः | मिमानः | वि | मृधः | नुदस्व // ऋ. वे. १०,८४.२ //
सहस्व | मन्यो इति | अभि-मातिम् | अस्मे इति | रुजन् | मृणन् | प्र-मृणन् | प्र | इहि | शत्रून् | उग्रम् | ते | पाजः | ननु | आ | रुरुध्रे | वशी | वशम् | नयसे | एक-ज | त्वम् // ऋ. वे. १०,८४.३ //
एकः | बहूनाम् | असि | मन्यो इति | ईऌइतः | विशम्-विशम् | युधये | सम् | शिशाधि | अकृत्त-रुक् | त्वया | युजा | वयम् | द्यु-मन्तम् | घोषम् | वि-जयाय | कृण्महे // ऋ. वे. १०,८४.४ //
विजेष-कृत् | इन्द्रः-इव | अनव-ब्रवः | अस्माकम् | मन्यो इति | अधि-पाः | भव | इह | प्रियम् | ते | नाम | सहुरे | गृणीमसि | विद्म | तम् | उत्सम् | यतः | आबभूथ // ऋ. वे. १०,८४.५ //
आभूत्या | सह-जाः | वज्र | सायक | सहः | बिभर्षि | अभि-भूते | उत्-तरम् | क्रत्वा | नः | मन्यो इति | सह | मेदी | एधि | महाधनस्य | पुरु-हूत | सम्-सृजि // ऋ. वे. १०,८४.६ //
सम्-सृष्टम् | धनम् | उभयम् | सम्-आकृतम् | अस्मभ्यम् | दत्ताम् | वरुणः | च | मन्युः | भियम् | दधानाः | हृदयेषु | शत्रवः | पराजितासः | अप | नि | लयन्ताम् // ऋ. वे. १०,८४.७ //
//१९//.

-ऋ. वे. ८:३/२०-
(ऋ. वे. १०,८५)
सत्येन | उत्तभिता | भूमिः | सूर्येण | उत्तभिता | द्यौः | ऋतेन | आदित्याः | तिष्ठन्ति | द् इवि | सोमः | अधि | श्रितः // ऋ. वे. १०,८५.१ //
सोमेन | आदित्याः | बलिनः | सोमेन | पृथिवी | मही | अथो इति | नक्षत्राणाम् | एषाम् | उप-स्थे | सोमः | आहितः // ऋ. वे. १०,८५.२ //
सोमम् | मन्यते | पपि-वान् | यत् | सम्-पिंषन्ति | ओषधिम् | सोमम् | यम् | ब्रह्माणः | विदुः | न | तस्य | अश्नाति | कः | चन // ऋ. वे. १०,८५.३ //
आच्छत्-विधानैः | गुपितः | बार्हतैः | सोम | रक्षितः | ग्राव्णाम् | इत् | शृण्वन् | तिष्ठसि | न | ते | अश्नाति | पार्थिवः // ऋ. वे. १०,८५.४ //
यत् | त्वा | देव | प्र-पिबन्ति | ततः | आ | प्यायसे | पुनरिति | वायुः | सोमस्य | रक्षिता | समानाम् | मासः | आकृतिः // ऋ. वे. १०,८५.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ८:३/२१-
रैभी | आसीत् | अनु-देयी | नाराशंसी | नि-ओचनी | सूर्यायाः | भद्रम् | इत् | वासः | गाथया | एति | परि-कृतम् // ऋ. वे. १०,८५.६ //
चित्तिः | आः | उप-बर्हणम् | चक्षुः | आः | अभि-अञ्जनम् | द्यौः | भूमिः | कोशः | आसीत् | यत् | अयात् | सूर्या | पतिम् // ऋ. वे. १०,८५.७ //
स्तोमाः | आसन् | प्रति-धयः | कुरीरम् | छन्दः | ओपशः | सूर्यायाः | अश्विना | वरा | अग्निः | आसीत् | पुरः-गवः // ऋ. वे. १०,८५.८ //
सोमः | वधू-युः | अभवत् | अश्विना | आस्ताम् | उभा | वरा | सूर्याम् | यत् | पत्ये | शंसन्तीम् | मनसा | सविता | अददात् // ऋ. वे. १०,८५.९ //
मनः | अस्याः | अनः | आसीत् | द्यौः | आसीत् | उत | छदिः | शुक्रौ | अनडवढबदबद्रह्णाहौ | आस्ताम् | यत् | अयात् | सूर्या | गृहम् // ऋ. वे. १०,८५.१० //
//२१//.

-ऋ. वे. ८:३/२२-
ऋक्-सामाभ्याम् | अभि-हितौ | गावौ | ते | सामनौ | इतः | श्रोत्रम् | ते | चक्रे इति | आस्ताम् | दिवि | पन्थाः | चराचरः // ऋ. वे. १०,८५.११ //
शुची | ते | चक्रे इति | यात्याः | वि-आनः | अक्षः | आहतः | अनः | मनस्मयम् | सूर्या | आ | अरोहत् | प्र-यती | पतिम् // ऋ. वे. १०,८५.१२ //
सूर्यायाः | वहतुः | प्र | अगात् | सविता | यम् | अव-असृजत् | अघासु | हन्यन्ते | गावः | अर्जुन्योः | परि | उह्यते // ऋ. वे. १०,८५.१३ //
यत् | अश्विना | पृच्छमानौ | अयातम् | त्रि-चक्रेण | वहतुम् | सूर्यायाः | विश्वे | देवाः | अनु | तत् | वाम् | अजानन् | पुत्रः | पितरौ | अवृणीत | पूषा // ऋ. वे. १०,८५.१४ //
यत् | अयातम् | शुभः | पती इति | वरे--यम् | सूर्याम् | उप | क्व | एकम् | चक्रम् | वाम् | आसीत् | क्व | देष्ट्राय | तस्थथुः // ऋ. वे. १०,८५.१५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ८:३/२३-
द्वे इति | ते | चक्रे इति | सूर्ये | ब्रह्माणः | ऋतु-था | विदुः | अथ | एकम् | चक्रम् | यत् | गुहा | तत् | अद्धातयः | इत् | विदुः // ऋ. वे. १०,८५.१६ //
सूर्यायै | देवेभ्यः | मित्राय | वरुणाय | च | ये | भूतस्य | प्र-चेतसः | इदम् | तेभ्यः | अकरम् | नमः // ऋ. वे. १०,८५.१७ //
पूर्व-अपरम् | चरतः | मायया | एतौ | शिशूइति | क्रीऌअन्तौ | परि | यातः | अध्वरम् | विश्वानि | अन्यः | भुवना | अभि-चष्टे | ऋतून् | अन्यः | वि-दधत् | जायते | पुनरिति // ऋ. वे. १०,८५.१८ //
नवः-नवः | भवति | जायमानः | अह्नाम् | केतुः | उषसाम् | एति | अग्रम् | भागम् | देवेभ्यः | वि | दधाति | आयन् | प्र | चन्द्रमाः | तिरते | दीर्घम् | आयुः // ऋ. वे. १०,८५.१९ //
सु-किंशुकम् | शल्मलिम् | विश्व-रूपम् | हिरण्य-वर्णम् | सु-वृतम् | सु-चक्रम् | आ | रोह | सूर्ये | अमृतस्य | लोकम् | स्योनम् | पत्ये | वहतुम् | कृणुष्व // ऋ. वे. १०,८५.२० //
//२३//.

-ऋ. वे. ८:३/२४-
उत् | ईर्ष्व | अतः | पति-वती | हि | एषा | विश्व-वसुम् | नमसा | गीः-भिः | ईऌए | अन्याम् | इच्छ | पितृ-सदम् | वि-अक्ताम् | सः | ते | भागः | जनुषा | तस्य | विद्धि // ऋ. वे. १०,८५.२१ //
उत् | ईर्ष्व | अतः | विश्ववसो इतिविश्व-वसो | नमसा | ईऌआमहे | त्वा | अन्याम् | इच्छ | प्र-फर्व्यम् | सम् | जायाम् | पत्या | सृज // ऋ. वे. १०,८५.२२ //
अनृक्षराः | ऋजवः | सन्तु | पन्थाः | येभिः | सखायः | यन्ति | नः | वरे--यम् | सम् | अर्यमा | सम् | भगः | नः | निनीयात् | सम् | जाः-पत्यम् | सु-यमम् | अस्तु | देवाः // ऋ. वे. १०,८५.२३ //
प्र | त्वा | मुञ्चामि | वरुणस्य | पाशात् | येन | त्वा | अबध्नात् | सविता | सु-शेवः | ऋतस्य | योनौ | सु-कृतस्य | लोके | अरिष्टाम् | त्वा | सह | पत्या | दधामि // ऋ. वे. १०,८५.२४ //
प्र | इतः | मुञ्चामि | न | अमुतः | सु-बद्धाम् | अमुतः | करम् | यथा | इयम् | इन्द्र | मीढवः | सु-पुत्रा | सु-भगा | असति // ऋ. वे. १०,८५.२५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ८:३/२५-
पूषा | त्वा | इतः | नयतु | हस्त-गृह्य | अश्विना | त्वा | प्र | वहताम् | रथेन | गृहान् | गच्छ | गृह-पत्नी | यथा | असः | वशिनी | त्वम् | विदथम् | आ | वदासि // ऋ. वे. १०,८५.२६ //
इह | प्रियम् | प्र-जया | ते | सम् | ऋध्यताम् | अस्मिन् | गृहे | गार्ह-पत्याय | जागृहि | एना | पत्या | तन्वम् | सम् | सृजस्व | अध | जिव्री इति | विदथम् | आ | वदाथः // ऋ. वे. १०,८५.२७ //
नील-लोहितम् | भवति | कृत्या | आसक्तिः | व्यज्यते | एधन्ते | अस्याः | ज्ञातयः | पतिः | बन्धेषु | बध्यते // ऋ. वे. १०,८५.२८ //
परा | देहि | शामुल्यम् | ब्रह्म-भ्यः | वि | भज | वसु | कृत्या | एषा | पत्-वती | भूत्वी | आ | जाया | विशते | पतिम् // ऋ. वे. १०,८५.२९ //
अश्रीरा | तनूः | भवति | रुशती | पापया | अमुया | पतिः | यत् | वध्वः | वाससा | स्वम् | अङ्गम् | अभि-धित्सते // ऋ. वे. १०,८५.३० //
//२५//.

-ऋ. वे. ८:३/२६-
ये | वध्वः | चन्द्रम् | वहतुम् | यक्ष्माः | यन्ति | जनात् | अनु | पुनरिति | तान् | यज्ञियाः | देवाः | नयन्तु | यतः | आगताः // ऋ. वे. १०,८५.३१ //
मा | विदन् | परि-पन्थिनः | ये | आसीत् | अन्ति | दम्पती इतिदम्-पती | सु-गेभिः | दुः-गम् | अति | इताम् | अप | द्रान्तु | अरातयः // ऋ. वे. १०,८५.३२ //
सु-मङ्गलीः | इयम् | वधूः | इमाम् | सम्-एत | पश्यत | सौभाग्यम् | अस्यै | दत्त्वाय | अथ | अस्तम् | वि | परा | इतन // ऋ. वे. १०,८५.३३ //
तृष्टम् | एतत् | कटुकम् | एतत् | अपाष्ठ-वत् | विष-वत् | न | एतत् | अत्तवे | सूर्याम् | यः | ब्रह्मा | विद्यात् | सः | इत् | वाधू-यम् | अर्हति // ऋ. वे. १०,८५.३४ //
आशसनम् | वि-शसनम् | अथो इति | अधि-विकर्तनम् | सूर्यायाः | पश्य | रूपाणि | तानि | ब्रह्मा | तु | शुन्धति // ऋ. वे. १०,८५.३५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ८:३/२७-
गृभ्णामि | ते | सौभग-त्वाय | हस्तम् | मया | पत्या | जरत्-अष्टिः | यथा | असः | भगः | अर्यमा | सविता | पुरम्-धिः | मह्यम् | त्वा | अदुः | गार्ह-पत्याय | देवाः // ऋ. वे. १०,८५.३६ //
ताम् | पूषन् | शिव-तमाम् | आ | ईरयस्व | यस्याम् | बीजम् | मनुष्याः | वपन्ति | या | नः | ऊरू इति | उशती | वि-श्रयाते | यस्याम् | उशन्तः | प्र-हरामःशेपम् // ऋ. वे. १०,८५.३७ //
तुभ्यम् | अग्रे | परि | अवहन् | सूर्याम् | वहतुना | सह | पुनरिति | पति-भ्यः | जायाम् | दाः | अग्ने | प्र-जया | सह // ऋ. वे. १०,८५.३८ //
पुनरिति | पत्नीम् | अग्निः | अदात् | आयुषा | सह | वर्चसा | दीर्घ-आयुः | अस्याः | यः | पतिः | जीवाति | शरदः | शतम् // ऋ. वे. १०,८५.३९ //
सोमः | प्रथमः | विविदे | गन्धर्वः | विविदे | उत्-तरः | तृतीयः | अग्निः | ते | पतिः | तुरीयः | ते | मनुष्य-जाः // ऋ. वे. १०,८५.४० //
//२७//.

-ऋ. वे. ८:३/२८-
सोमः | ददत् | गन्धर्वाय | गन्धर्वः | ददत् | अग्नये | रयिम् | च | पुत्रान् | च | अदात् | अग्निः | मह्यम् | अथो इति | इमाम् // ऋ. वे. १०,८५.४१ //
इह | एव | स्तम् | मा | वि | यौष्टम् | विश्वम् | आयुः | वि | अश्नुतम् | क्रीऌअन्तौ | पुत्रैः | नप्तृ-भिः | मोदमानौ | स्वे | गृहे // ऋ. वे. १०,८५.४२ //
आ | नः | प्र-जाम् | जनयतु | प्रजापतिः | आजरसाय | सम् | अनक्तु | अर्यमा | अदुः-मङ्गलीः | पति-लोकम् | आ | विश | शम् | नः | भव | द्वि-पदे | शम् | चतुः-पदे // ऋ. वे. १०,८५.४३ //
अघोर-चक्षुः | अपति-घ्नी | एधि | शिवा | पशु-भ्यः | सु-मनाः | सु-वर्चाः | वीर-सूः | देव-कामा | स्योना | शम् | नः | भव | द्वि-पदे | शम् | चतुः-पदे // ऋ. वे. १०,८५.४४ //
इमाम् | त्वम् | इन्द्र | मीढवः | सु-पुत्राम् | सु-भगाम् | कृणु | दश | अस्याम् | पुत्रान् | आ | धेहि | पतिम् | एकादशम् | कृधि // ऋ. वे. १०,८५.४५ //
सम्-राज्ञी | श्वशुरे | भव | सम्-राज्ञी | श्वश्र्वाम् | भव | ननान्दरि | सम्-राज्ञी | भव | सम्-राज्ञी | अधि | देवृषु // ऋ. वे. १०,८५.४६ //
सम् | अञ्जन्तु | विश्वे | देवाः | सम् | आपः | हृदयानि | नौ | सम् | मातरिश्वा | सम् | धाता | सम् | ॐ इति | देष्ट्री | दधातु | नौ // ऋ. वे. १०,८५.४७ //
//२८//.



-ऋ. वे. ८:४/१-
(ऋ. वे. १०,८६)
वि | हि | सोतोः | असृक्षत | न | इन्द्रम् | देवम् | अमंसत | यत्र | अमदत् | वृषाकपिः | अर्यः | पुष्टेषु | मत्-सखा | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.१ //
परा | हि | इन्द्र | धावसि वृषाकपेः | अति | व्यथिः | नः | अह | प्र | विन्दसि | अन्यत्र | सोम-पीतये | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.२ //
किम् | अयम् | त्वाम् | वृषाकपिः | चकार | हरितः | मृगः | यस्मै | इरस्यसि | इत् | ॐ इति | नु | अर्यः | वा | पुष्टि-मत् | वसु | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.३ //
यम् | इमम् | त्वम् | वृषाकपिम् | प्रियम् | इन्द्र | अभि-रकसि | श्वा | नु | अस्य | जम्भिषत् | अपि | कर्णे | वराह-युः | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.४ //
प्रिया | तष्टानि | मे | कपिः | वि-अक्ता | वि | अदूदुषत् | शिरः | नु | अस्य | राविषम् | न | सु-गम् | दुः-कृते | भुवम् | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ८:४/२-
न | मत् | स्त्री | सुभसत्-तरा | न | सुयाशु-तरा | भुवत् | न | मत् | प्रति-च्यवीयसी | न | सक्थि | उत्-यमीयसी | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.६ //
सुवे | अम्ब | सुलाभिके | यथाइव | अङ्ग | भविष्यति | भसत् | मे | अम्ब | सक्थि | मे | शिरः | मे | वि-इव | हृष्यति | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.७ //
किम् | सुबाहो इतिसु-बाहो | सु-अङ्गुरे | पृथुस्तो इतिपृथु-स्तो | पृथु-जघने | किम् | शूर-पत्नि | नः | त्वम् | अभि | अमीषि | वृषाकपिम् | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.८ //
अवीराम्-इव | माम् | अयम् | शरारुः | अभि | मन्यते | उत | अहम् | अस्मि | वीरिणी | इन्द्र-पत्नी | मरुत्-सखा | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.९ //
सम्-होत्रम् | स्म | पुरा | नारी | समनम् | वा | अव | गच्छति | वेधाः | ऋतस्य | वीरिणी | इन्द्र-पत्नी | महीयते | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ८:४/३-
इन्द्राणीम् | आसु | नारिषु | सु-भगाम् | अहम् | अश्रवम् | नहि | अस्याः | अपरम् | चन | जरसा | मरते | पतिः | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.११ //
न | अहम् | इन्द्राणि | ररण | सख्युः | वृषाकपेः | ऋते | यस्य | इदम् | अप्यम् | हविः | प्रियम् | देवेषु | गच्छति | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.१२ //
वृषाकपायि | रेवति | सु-पुत्रे | आत् | ॐ इति | सु-स्नुषे | घसत् | ते | इन्द्रः | उक्षणः | प्रियम् | काचित्-करम् | हविः | वि श्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.१३ //
उक्ष्णः | हि | मे | पञ्च-दश | साकम् | पचन्ति | विंशतिम् | उत | अहम् | अद्मि | पीवः | इत् | उभा | कुक्षी इति | पृणन्ति | मे | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.१४ //
वृषभः | न | तिग्म-शृङ्गः | अन्तः | यूथेषु | रोरुवत् | मन्थः | ते | इन्द्र | शम् | हृदे | यम् | ते | सुनोति | भावयुः | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.१५ //
//३//.

-ऋ. वे. ८:४/४-
न | सः | ईशे | यस्य | रम्बते | अन्तरा | सक्थ्या | कपृत् | सः | इत् | ईशे | यस्य | रोमशम् | नि-सेदुषः | वि-जृम्भते | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.१६ //
न | सः | ईशे | यस्य | रोमशम् | नि-सेदुषः | वि-जृम्भते | सः | इत् | ईशे | यस्य | रम्बते | अन्तरा | सक्थ्या | कपृत् | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.१७ //
अयम् | इन्द्र | वृषाकपिः | परस्वन्तम् हतम् | विदत् | असिम् | सूनाम् | नवम् | चरुम् | आत् | एधस्य | अनः | आचितम् | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.१८ //
अयम् | एमि | वि-चाकशत् | वि-चिन्वन् | दासम् | आर्यम् | पिबामि | पाक-सुत्वनः | अभि | धीरम् | अचाकशम् | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.१९ //
धन्व | च | यत् | कृन्तत्रम् | च | कति | स्वित् | ता | वि | योजना | नेदीयसः | वृषाकपे | अस्तम् | आ | इहि | गृहान् | उप | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.२० //
पुनः | आ | इहि | वृषाकपे | सुविता | कल्पयावहै | यः | एषः | स्वप्न-नंशनः | अस्तम् | एषि | पथा | पुनः | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.२१ //
यत् | उदञ्चः | वृषाकपे | गृहम् | इन्द्र | अजगन्तन | क्व | स्यः | पुल्वघः | मृगः | कम् | अगन् | जन-योपनः | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.२२ //
पशुः | ह | नाम | मानवी | साकम् | ससूव | विंशतिम् | भद्रम् | भल | त्यस्यै | अभूत् | यस्याः | उदरम् | आमयत् | विश्वस्मात् | इन्द्रः | उत्-तरः // ऋ. वे. १०,८६.२३ //
//४//.

-ऋ. वे. ८:४/५-
(ऋ. वे. १०,८७)
रक्षः-हनम् | वाजिनम् | आ | जिघर्मि | मित्रम् | प्रथिष्ठम् | उप | यामि | शर्म | शिशानः | अग्निः | क्रतु-भिः | सम्-इद्धः | सः | नः | दिवा | सः | रिषः | पातु | नक्तम् // ऋ. वे. १०,८७.१ //
अयः-दंष्ट्रः | अर्चिषा | यातु-धानान् | उप | स्पृश | जात-वेदः | सम्-इद्धः | आ | जिह्वया | मूर-देवान् | रभस्व | क्रव्य-अदः | वृक्त्वी | अपि | धत्स्व | आसन् // ऋ. वे. १०,८७.२ //
उभा | उभयाविन् | उप | धेहि | दंष्ट्रा | हिंस्रः | शिशानः | अवरम् | परम् | च | उत | अन्तरिक्षे | परि | याहि राजन् | जम्भैः | सम् | धेहि | अभि | यातु-धानान् // ऋ. वे. १०,८७.३ //
यज्ञैः | इषूः | सम्-नममानः | अग्ने | वाचा | शल्यान् | अशनि-भिः | दिहानः | ताभिः | विध्य | हृदये | यातु-धानान् | प्रतीचः | बाहून् | प्रति | भङ्धि | एषाम् // ऋ. वे. १०,८७.४ //
अग्ने | त्वचम् | यातु-धानस्य | भिन्धि | हिंस्रा | अशनिः | हरसा | हन्तु | एनम् | प्र | पर्वाणि | जात-वेदः | शृणीहि | क्रव्यात् | क्रविष्णुः | वि | चिनोतु | वृक्णम् // ऋ. वे. १०,८७.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ८:४/६-
यत्र | इदानीम् | पश्यसि | जात-वेदः | तिष्ठन्तम् | अग्ने | उत | वा | चरन्तम् | यत् | वा | अन्तरिक्षे | पथि-भिः | पतन्तम् | तम् | अस्ता | विध्य | शर्वा | शिशानः // ऋ. वे. १०,८७.६ //
उत | आलब्धम् | स्पृणुहि | जात-वेदः | आलेभानात् | ऋष्टि-भिः | यातु-धानात् | अग्ने | पूर्वः | नि | जहि | शोशुचानः | आम-अदः | क्ष्विङ्काः | तम् | अदन्तु | एनीः // ऋ. वे. १०,८७.७ //
इह | प्र | ब्रूहि | यतमः | सः | अग्ने | यः | यातु-धानः | यः | इदम् | कृणोति | तम् | आ | रभस्व | सम्-इधा | यविष्ठ | नृ-चक्षसः | चक्षुषे | रन्धय | एनम् // ऋ. वे. १०,८७.८ //
तीक्ष्णेन | अग्ने | चक्षुषा | रक्ष | यज्ञम् | प्राञ्चम् | वसु-भ्यः | प्र | नय | प्र-चेतः | हिंस्रम् | रक्षांसि | अभि | शोशुचानम् | मा | त्वा | दभन् | यातु-धानाः | नृ-चक्षः // ऋ. वे. १०,८७.९ //
नृ-चक्षाः | रक्षः | परि | पश्य | विक्षु | तस्य | त्रीणि | प्रति | शृणीहि | अग्रा | तस्य | अग्ने | पृष्टीः | हरसा | शृणीहि | त्रेधा | मूलम् | यातु-धानस्य | वृश्च // ऋ. वे. १०,८७.१० //
//६//.

-ऋ. वे. ८:४/७-
त्रिः | यातु-धानः | प्र-सितिम् | ते | एतु | ऋतम् | यः | अग्ने | अनृतेन | हन्ति | तम् | अर्चिषा | स्फूर्जयन् | जात-वेदः | सम्-अक्षम् | एनम् | गृणते | नि | वृङ्धि // ऋ. वे. १०,८७.११ //
तत् | अग्ने | चक्षुः | प्रति | धेहि | रेभे | शफ-आरुजम् | येन | पश्यसि | यातु-धानम् | अथर्व-वत् | ज्योतिषा | दैव्येन | सत्यम् | धूर्वन्तम् | अचितम् | नि | ओष // ऋ. वे. १०,८७.१२ //
यत् | अग्ने | अद्य | मिथुना | शपातः | यत् | वाचः | तृष्टम् | जनयन्त | रेभाः | मन्योः | मनसः | शरव्या | जायते | या | तया | विध्य | हृदये | यातु-धानान् // ऋ. वे. १०,८७.१३ //
परा | शृणीहि | तपसा | यातु-धानान् | परा | अग्ने | रक्षः | हरसा | शृणीहि | परा | अर्चिषा | मूर-देवान् | शृणीहि | परा | असु-तृपः | अभि | शोशुचानः // ऋ. वे. १०,८७.१४ //
परा | अद्य | देवाः | वृजिनम् | शृणन्तु | प्रत्यक् | एनम् | शपथाः | यन्तु | तृष्टाः | वाचास्तेनम् | शरवः | ऋच्छन्तु | मर्मन् | विश्वस्य | एतु | प्र-सितिम् | यातु-धानः // ऋ. वे. १०,८७.१५ //
//७//.

-ऋ. वे. ८:४/८-
यः | पौरुषेयेण | क्रविषा | सम्-अङ्क्ते | यः | अश्व्येन | पशुना | यातु-धानः | यः | अघ्न्यायाः | भरति | क्षीरम् | अग्ने | तेषाम् | शीर्षाणि | हरसा | अपि | वृश्च // ऋ. वे. १०,८७.१६ //
संवत्सरीणम् | पयः | उस्रियायाः | तस्य | मा | अशीत् | यातु-धानः | नृ-चक्षः | पीयूषम् | अग्ने | यतमः | तितृप्सात् | तम् | प्रत्यञ्चम् | अर्चिषा | विध्य | मर्मन् // ऋ. वे. १०,८७.१७ //
विषम् | गवाम् | यातु-धानाः | पिबन्तु | आ | वृश्च्यन्ताम् | अदितये | दुः-एवाः | परा | एनान् | देवः | सविता | ददातु | परा | भागम् | ओषधीनाम् | जयन्ताम् // ऋ. वे. १०,८७.१८ //
सनात् | अग्ने | मृणसि | यातु-धानान् | न | त्वा | रक्षांसि | पृतनासु | जिग्युः | अनु | दह | सह-मूरान् | क्रव्य-अदः | मा | ते | हेत्याः | मुक्षत | दैव्यायाः // ऋ. वे. १०,८७.१९ //
त्वम् | नः | अग्ने | अधरात् | उदक्तात् | त्वम् | पश्चात् | उत | रक्ष | पुरस्तात् | प्रति | ते | ते | अजरासः | तपिष्ठाः | अघ-शंसम् | शोशुचतः | दहन्तु // ऋ. वे. १०,८७.२० //
//८//.

-ऋ. वे. ८:४/९-
पश्चात् | पुरस्तात् | अधरात् | उदक्तात् | कविः | काव्येन | परि | पाहि | राजन् | सखे | सखायम् | अजरः | जरिम्णे | अग्ने | मर्तान् | अमर्त्यः | त्वम् | नः // ऋ. वे. १०,८७.२१ //
परि | त्वा | अग्ने | पुरम् | वयम् | विप्रम् | सहस्य | धीमहि | धृषत्-वर्णम् | दिवे--दिवे | हन्तारम् | भङ्गुर-वताम् // ऋ. वे. १०,८७.२२ //
विषेण | भङ्गुर-वतः | प्रति | स्म | रक्षसः | दह | अग्ने | तिग्मेन | शोचिषा | तपुः-अग्राभिः | ऋष्टि-भिः // ऋ. वे. १०,८७.२३ //
प्रति | अग्ने | मिथुना | दह | यातु-धाना | किमीदिना | सम् | त्वा | शिशामि | जागृहि | अदब्धम् | विप्र | मन्म-भिः // ऋ. वे. १०,८७.२४ //
प्रति | अग्ने | हरसा | हरः | शृणीहि | विश्वतः | प्रति | यातु-धानस्य | रक्षसः | बलम् | वि | रुज | वीर्यम् // ऋ. वे. १०,८७.२५ //
//९//.

-ऋ. वे. ८:४/१०-
(ऋ. वे. १०,८८)
हविः | पान्तम् | अजरम् | स्वः-विदि | दिवि-स्पृशि | आहुतम् | जुष्टम् | अग्नौ | तस्य | भर्मणे | भुवनाय | देवाः | धर्मणे | कम् | स्वधया | पप्रथन्त // ऋ. वे. १०,८८.१ //
गीर्णम् | भुवनम् | तमसा | अप-गूऌहम् | आविः | स्वः | अभवत् | जाते | अग्नौ | तस्य | देवाः | पृथिवी | द्यौः | उत | आपः | अरणयन् | ओषधीः | सख्ये | अस्य // ऋ. वे. १०,८८.२ //
देवेभिः | नु | इषितः | यज्ञियेभिः | अग्निम् | स्तोषाणि | अजरम् | बृहन्तम् | यः | भानुना | पृथिवीम् | द्याम् | उत | इमाम् | आततान | रोदसी इति | अन्तरिक्षम् // ऋ. वे. १०,८८.३ //
यः | होता | आसीत् | प्रथमः | देव-जुष्टः | यम् | सम्-आञ्जन् | आज्येन | वृणानाः | सः | पतत्रि | इत्वरम् | स्थाः | जगत् | यत् | श्वात्रम् | अग्निः | अकृणोत् | जात-वेदाः // ऋ. वे. १०,८८.४ //
यत् | जात-वेदः | भुवनस्य | मूर्धन् | अतिष्ठः | अग्ने | सह | रोचनेन | तम् | त्वा | अहेम | मति-भिः | गीः-भिः | उक्थैः | सः | यज्ञियः | अभवः | रोदसि-प्राः // ऋ. वे. १०,८८.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ८:४/११-
मूर्धा | भुवः | भवति | नक्तम् | अग्निः | ततः | सूर्यः | जायते | प्रातः | उत्-यन् | मायाम् | ॐ इति | तु | यज्ञियानाम् | एताम् | अपः | यत् | तूर्णिः | चरति | प्र-जानन् // ऋ. वे. १०,८८.६ //
दृशेन्यः | यः | महिना | सम्-इद्धः | अरोचत | दिवि-योनिः | विभावा | तस्मि न् | अग्नौ | सूक्त-वाकेन | देवाः | हविः | विश्वे | आ | अजुहवुः | तनू-पाः // ऋ. वे. १०,८८.७ //
सूक्त-वाकम् | प्रथमम् | आत् | इत् | अग्निम् | आत् | इत् | हविः | अजनयन्त | देवाः | सः | एषाम् | यज्ञः | अभवत् | तनू-पाः | तम् | द्यौः | वेद | तम् | पृथिवी | तम् | आपः // ऋ. वे. १०,८८.८ //
यम् | देवासः | अजनयन्त | अग्निम् | यस्मिन् | आ | अजुहवुः | भुवनानि | विश्वा | सः | अर्चिषा | पृथिवीम् | द्याम् | उत | इमाम् | ऋजु-यमानः | अतपत् | महि-त्वा // ऋ. वे. १०,८८.९ //
स्तोमेन | हि | दिवि | देवासः | अग्निम् | अजीजनन् | शक्ति-भिः | रोदसि-प्राम् | तम् | ॐ इति | अकृण्वन् | त्रेधा | भुवे | कम् | सः | ओषधीः | पचति | विश्व-रूपाः // ऋ. वे. १०,८८.१० //
//११//.

-ऋ. वे. ८:४/१२-
यदा | इत् | एनम् | अदधुः | यज्ञियासः | दिवि | देवाः | सूर्यम् | आदितेयम् | यदा | चरिष्णू इति | मिथुनौ | अभूताम् | आत् | इत् | प्र | अपश्यन् | भुवनानि | विश्वा // ऋ. वे. १०,८८.११ //
विश्वस्मै | अग्निम् | भुवनाय | देवाः | वैश्वानरम् | केतुम् | अह्नाम् | अकृण्वन् | आ | यः | ततान | उषसः | वि-भातीः | अपो इति | ऊर्णोति | तमः | अर्चिषा | यन् // ऋ. वे. १०,८८.१२ //
वैश्वानरम् | कवयः | यज्ञियाः | अग्निम् | देवाः | अजनयन् | अर्जुर्यम् | नक्षत्रम् | प्रत्नम् | अमिनत् | चरिष्णु | यक्षस्य | अधि-अक्षम् | तविषम् | बृहन्तम् // ऋ. वे. १०,८८.१३ //
वैश्वानरम् | विश्वहा | दीदि-वांसम् | मन्त्रैः | अग्निम् | कविम् | अच्छ | वदामः | यः | महिम्ना | परि-बभूव | उर्वी इति | उत | अवस्तात् | उत | देवः | परस्तात् // ऋ. वे. १०,८८.१४ //
द्वे इति | स्रुती इति | अशृणवम् | पितॄणाम् | अहम् | देवानाम् | उत | मर्त्यानाम् | ताभ्याम् | इदम् | विश्वम् | एजत् | सम् | एति | यत् | अन्तरा | पितरम् | मातरम् | च // ऋ. वे. १०,८८.१५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ८:४/१३-
द्वे इति | समीची इतिसम्-ईची | बिभृतः | चरन्तम् | शीर्षतः | जातम् | मनसा | वि-मृष्टम् | सः | प्रत्यङ् | विश्वा | भुवनानि | तस्थौ | अप्र-युच्छन् | तरणिः | भ्राजमानः // ऋ. वे. १०,८८.१६ //
यत्र | वदेतेइति | अवरः | परः | च | यज्ञ-न्योः | कतरः | नौ | वि | वेद | आ | शेकुः | इत् | सध-मादम् | सखायः | नक्षन्त | यज्ञम् | कः | इदम् | वि | वोचत् // ऋ. वे. १०,८८.१७ //
कति | अग्नयः | कति | सूर्यासः | कति | उषसः | कति | ॐ इति | स्वित् | आपः | न | उप-स्पिजम् | वः | पितरः | वदामि | पृच्छामि | वः | कवयः | विद्मने | कम् // ऋ. वे. १०,८८.१८ //
यावत्-मात्रम् | उषसः | न | प्रतीकम् | सु-पर्ण्यः | वसते | मातरिश्वः | तावत् | दधाति | उप | यज्ञम् | आयन् | ब्राह्मणः | होतुः | अवरः | नि-सीदन् // ऋ. वे. १०,८८.१९ //
//१३//.

-ऋ. वे. ८:४/१४-
(ऋ. वे. १०,८९)
इन्द्रम् | स्तव | नृ-तमम् | यस्य | मह्ना | वि-बबाधे | रोचना | वि | ज्मः | अन्तान् | आ | यः | पप्रौ | चर्षणि-धृत् | वरः-भिः | प्र | सिन्धु-भ्यः | रिरिचानः | महि-त्वा // ऋ. वे. १०,८९.१ //
सः | सूर्यः | परि | उरु | वरांसि | आ | इन्द्रः | ववृत्यात् | रथ्याइव | चक्रा | अतिष्ठन्तम् | अपस्यम् | न | सर्गम् | कृष्णा | तमांसि | त्विष्या | जघान // ऋ. वे. १०,८९.२ //
समानम् | अस्मै | अनप-वृत् | अर्च | क्ष्मया | दिवः | असमम् | ब्रह्म | नव्यम् | वि | यः | पृष्ठाइव | जनिमानि | अर्यः | इन्द्रः | चिकाय | न | सखायम् | ईषे // ऋ. वे. १०,८९.३ //
इन्द्राय | गिरः | अनिशित-सर्गाः | अपः | प्र | ईरयम् | सगरस्य | बुध्नात् | यः | अक्षेण-इव | चक्रिया | शचीभिः | विष्वक् | तस्तम्भ | पृथिवीम् | उत | द्याम् // ऋ. वे. १०,८९.४ //
आपान्त-मन्युः | तृपल-प्रभर्मा | धुनिः | शिमी-वान् | शरु-मान् | ऋजीषी | सोमः | विश्वानि | अतसा | वनानि | न | अर्वाक् | इन्द्रम् | प्रति-मानानि | देभुः // ऋ. वे. १०,८९.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ८:४/१५-
न | यस्य | द्यावापृथिवी इति | न | धन्व | न | अन्तरिक्षम् | न | अद्रयः | सोमः | अक्षारिति | यत् | अस्य | मन्युः | अधि-नीयमानः | शृणाति | वीऌउ | रुजति | स्थिराणि // ऋ. वे. १०,८९.६ //
जघान | वृत्रम् | स्व-धितिः | वनाइव | रुरोज | पुरः | अरदत् | न | सिन्धून् | बिभेद | गिरिम् | नवम् | इत् | न | कुम्भम् | आ | गाः | इन्द्रः | अकृणुत | स्वयुक्-भिः // ऋ. वे. १०,८९.७ //
त्वम् | ह | त्यत् | ऋण-याः | इन्द्र | धीरः | असिः | न | पर्व | वृजिना | शृणासि | प्र | ये | मित्रस्य | वरुणस्य | धाम | युजम् | न | जनाः | मिनन्ति | मित्रम् // ऋ. वे. १०,८९.८ //
प्र | ये | मित्रम् | प्र | अर्यमणम् | दुः-एवाः | प्र | सम्-गिरः | प्र | वरुणम् | मिनन्ति | नि | अमित्रेषु | वधम् | इन्द्र | तुम्रम् | वृषन् | वृषाणम् | अरुषम् | शिशीहि // ऋ. वे. १०,८९.९ //
इन्द्रः | दिवः | इन्द्रः | ईशे | पृथिव्याः | इन्द्रः | अपाम् | इन्द्रः | इत् | पर्वतानाम् | इन्द्रः | वृधाम् | इन्द्रः | इत् | मेधिराणाम् | इन्द्रः | क्षेमे | योगे | हव्यः | इन्द्रः // ऋ. वे. १०,८९.१० //
//१५//.

-ऋ. वे. ८:४/१६-
प्र | अक्तु-भ्यः | इन्द्रः | प्र | वृधः | अह-भ्यः | प्र | अन्तरिक्षात् | प्र | समुद्रस्य | धासेः | प्र | वातस्य | प्रथसः | प्र | ज्मः | अन्तात् | प्र | सिन्धु-भ्यः | रिरिचे | प्र | क्षिति-भ्यः // ऋ. वे. १०,८९.११ //
प्र | शोशुचत्याः | उषसः | न | केतुः | असिन्वा | ते | वर्तताम् | इन्द्र | हेतिः | अश्माइव | विध्य | दिवः | आ | सृजानः | तपिष्ठेन | हेषसा | द्रोघ-मित्रान् // ऋ. वे. १०,८९.१२ //
अनु | अह | मासाः | अनु | इत् | वनानि | अनु | ओषधीः | अनु | पर्वतासः | अनु | इन्द्रम् | रोदसी इति | वावशाने इति | अनु | आपः | अजिहत | जायमानम् // ऋ. वे. १०,८९.१३ //
कर्हि | स्वित् | सा | ते | इन्द्र | चेत्या | असत् | अघस्य | यत् | भिनदः | रक्षः | आईषत् | मित्र-क्रुवः | यत् | शसने | न | गावः | पृथिव्याः | आपृक् | अमुया | शयन्ते // ऋ. वे. १०,८९.१४ //
शत्रु-यन्तः | अभि | ये | नः | ततस्रे | महि | व्राधन्तः | ओगणासः | इन्द्र | अन्धेन | अमित्राः | तमसा | सचन्ताम् | सु-ज्योतिषः | अक्तवः | तान् | अभि | स्युरि तिस्युः // ऋ. वे. १०,८९.१५ //
पुरूणि | हि | त्वा | सवना | जनानाम् | ब्रह्माणि | मन्दन् | गृणताम् | ऋषीणाम् | इमाम् | आघोषन् | अवसा | स-हूतिम् | तिरः | विश्वान् | अर्चतः | याहि | अर्वाङ् // ऋ. वे. १०,८९.१६ //
एव | ते | वयम् | इन्द्र | भुञ्जतीनाम् | विद्याम | सु-मतीनाम् | नवानाम् | विद्याम | वस्तोः | अवसा | गृणन्तः | विश्वामित्राः | उत | ते | इन्द्र | नूनम् // ऋ. वे. १०,८९.१७ //
शुनम् | हुवेम | मघ-वानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. १०,८९.१८ //
//१६//.

-ऋ. वे. ८:४/१७-
(ऋ. वे. १०,९०)
सहस्र-शीर्षा | पुरुषः | सहस्र-अक्षः | सहस्र-पात् | सः | भूमिम् | विश्वतः | वृत्वा | अति | अतिष्ठत् | दश-अङ्गुलम् // ऋ. वे. १०,९०.१ //
पुरुषः | एव | इदम् | सर्वम् | यत् | भूतम् | यत् | च | भव्यम् | उत | अमृत-त्वस्य | ईशानः | यत् | अन्नेन | अति-रोहति // ऋ. वे. १०,९०.२ //
एतावान् | अस्य | महिमा | अतः | ज्यायान् | च | पुरुषः | पादः | अस्य | विश्वा | भूतानि | त्रि-पात् | अस्य | अमृतम् | दिवि // ऋ. वे. १०,९०.३ //
त्रि-पात् | ऊर्ध्व | उत् | ऐत् | पुरुषः | पादः | अस्य | इह | अभवत् | पुनरिति | ततः | विष्वङ् | वि | अक्रामत् | साशनानशने इति | अभि // ऋ. वे. १०,९०.४ //
तस्मात् | विराट् | अजायत | वि-राजः | अधि | पुरुषः | सः | जातः | अति | अरिच्यत | पश्चात् | भूमिम् | अथो इति | पुरः // ऋ. वे. १०,९०.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ८:४/१८-
यत् | पुरुषेण | हविषा | देवाः | यज्ञम् | अतन्वत | वसन्तः | अस्य | आसीत् | आज्यम् | ग्रीष्मः | इद्मः | शरत् | हविः // ऋ. वे. १०,९०.६ //
तम् | यज्ञम् | बर्हिषि | प्र | औक्षन् | पुरुषम् | जातम् | अग्रतः | तेन | देवाः | अयजन्त | साध्याः | ऋषयः | च | ये // ऋ. वे. १०,९०.७ //
तस्मात् | यज्ञात् | सर्व-हुतः | सम्-भृतम् | पृषत्-आज्यम् | पशून् | तान् | चक्रे | वायव्यान् | आरण्यान् | ग्राम्याः | च | ये // ऋ. वे. १०,९०.८ //
तस्मात् | यज्ञात् | सर्व-हुतः | ऋचः | सामानि | जज्ञिरे | छन्दांसि | जज्ञिरे | तस्मात् | यजुः | तस्मात् | अजायत // ऋ. वे. १०,९०.९ //
तस्मात् | अश्वाः | अजायन्त | ये | के | च | उभयादतः | गावः | ह | जज्ञिरे | तस्मात् | तस्मात् | जाताः | अजावयः // ऋ. वे. १०,९०.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ८:४/१९-
यत् | पुरुषम् | वि | अदधुः | कतिधा | वि | अकल्पयन् | मुखम् | किम् | अस्य | कौ | बाहू इति | कौ | ऊरू इति | पादौ | उच्येतेइति // ऋ. वे. १०,९०.११ //
ब्राह्मणः | अस्य | मुखम् | आसीत् बाहू इति | राजन्यः | कृतः | ऊरू इति | तत् | अस्य | यत् | वैश्यः | पत्-भ्याम् | शूद्रः | अजायत // ऋ. वे. १०,९०.१२ //
चन्द्रमा | मनसः | जातः | चक्षोः | सूर्यः | अजायत | मुखात् | इन्द्रः | च | अग्नि ः | च | प्राणात् | वायुः | अजायत // ऋ. वे. १०,९०.१३ //
नाभ्याः | आसीत् | अन्तरिक्षम् | शीर्ष्णः | द्यौः | सम् | अवर्तत | पत्-भ्याम् | भूमिः | दिशः | श्रोत्रात् | तथा | लोकान् | अकल्पयन् // ऋ. वे. १०,९०.१४ //
सप्त | अस्य | आसन् | परि-धयः | त्रिः | सप्त | सम्-इधः | कृताः | देवाः | यत् | यज्ञम् | तन्वानाः | अबध्नन् | पुरुषम् | पशुम् // ऋ. वे. १०,९०.१५ //
यज्ञेन | यज्ञम् | अयजन्त | देवाः | तानि | धर्माणि | प्रथमानि | आसन् | ते | ह | नाकम् | महिमानः | सचन्त | यत्र | पूर्वे | साध्याः | सन्ति | देवाः // ऋ. वे. १०,९०.१६ //
//१९//.

-ऋ. वे. ८:४/२०-
(ऋ. वे. १०,९१)
सम् | जागृवत्-भिः | जरमाणः | इद्यते | दमे | दमूनाः | इषयन् | इऌअः | पदे | व् इश्वस्य | होता | हविषः | वरेण्यः | वि-भुः | विभावा | सु-सखा | सखि-यते // ऋ. वे. १०,९१.१ //
सः | दर्शत-श्रीः | अतिथिः | गृहे--गृहे | वने--वने | शिश्रिये | तक्ववीः-इव | जनम्-जनम् | जन्यः | न | अति | मन्यते | विशः | आ | क्षेति | विश्यः | विशम्-विशम् // ऋ. वे. १०,९१.२ //
सु-दक्षः | दक्षः | क्रतुना | असि | सु-क्रतुः | अग्ने | कविः | काव्येन | असि | विश्व-वित् | वसुः | वसूनाम् | क्षयसि | त्वम् | एकः | इत् | द्यावा | च | यानि | पृथिवी इति | च | पुष्यतः // ऋ. वे. १०,९१.३ //
प्र-जानन् | अग्ने | तव | योनिम् | ऋत्वियम् | इऌआयाः | पदे | घृत-वन्तम् | आ | असदः | आ | ते | चिकित्रे | उषसाम्-इव | एतयः | अरेपसः | सूर्यस्य-इव | रश्मयः // ऋ. वे. १०,९१.४ //
तव | श्रियः | वर्ष्यस्य-इव | वि-द्युतः | चित्राः | चिकित्रे | उषसाम् | न | केतवः | यत् | ओषधीः | अभि-सृष्टः | वनानि | च | परि | स्वयम् | चिनुषे | अन्नम् | आस्ये // ऋ. वे. १०,९१.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ८:४/२१-
तम् | ओषधीः | दधिरे | गर्भम् | ऋत्वियम् | तम् | आपः | अग्निम् | जनयन्त | मातरः | तम् | इत् | समानम् | वनिनः | च | वीरुधः | अन्तः-वतीः | च | सुवते | च | विश्वहा // ऋ. वे. १०,९१.६ //
वात-उपधूतः | इषितः | वशान् | अनु | तृषु | यत् | अन्ना | वेविषत् | व्-तिष्ठसे | आ | ते | यतन्ते | रथ्याः | यथा | पृथक् | शर्धांसि | अग्ने | अजराणि | धक्षतः // ऋ. वे. १०,९१.७ //
मेधाकारम् | विदथस्य | प्र-साधनम् | अग्निम् | होतारम् | परि-भूतमम् | मतिम् | तम् | इत् | अर्भे | हविषि | आ | समानम् | इत् | तम् | इत् | महे | वृणते | न | अन्यम् | त्वत् // ऋ. वे. १०,९१.८ //
त्वाम् | इत् | अत्र | वृणते | त्वायवः | होतारम् | अग्ने | विदथेषु | वेधसः | यत् | देव-यन्तः | दधति | प्रयांसि | ते | हविष्मन्तः | मनवः | वृक्त-बर्ह् इषः // ऋ. वे. १०,९१.९ //
तव | अग्ने | होत्रम् | तव | पोत्रम् | ऋत्वियम् | तव | नेष्ट्रम् | त्वम् | अग्निद् | ऋत-यतः | तव | प्र-शास्त्रम् | त्वम् | अध्वरि-यसि | ब्रह्मा | च | असि | गृह-पतिः | च | नः | दमे // ऋ. वे. १०,९१.१० //
//२१//.

-ऋ. वे. ८:४/२२-
यः | तुभ्यम् | अग्ने | अमृताय | मर्त्यः | सम्-इधा | दाशत् | उत | वा | हविः-कृति | तस्य | होता | भवसि | यासि | दूत्यम् | उप | ब्रूषे | यजसि | अध्वरि-यसि // ऋ. वे. १०,९१.११ //
इमाः | अस्मै | मतयः | वाचः | अस्मत् | आ | ऋचः | गिरः | सु-स्तुतयः | सम् | अग्मत | वसु-यवः | वसवे | जात-वेदः | वृद्धासु | चित् | वर्धनः | यासु | चाकनत् // ऋ. वे. १०,९१.१२ //
इमाम् | प्रत्नाय | सु-स्तुतिम् | नवीयसीम् | वोचेयम् | अस्मै | उशते | शृणोतु | नः | भूयाः | अन्तरा | हृदि | अस्य | नि-स्पृशे | जायाइव | पत्ये | उशती | सु-वासाः // ऋ. वे. १०,९१.१३ //
यस्मिन् | अश्वासः | ऋषभासः | उक्षणः | वशाः | मेषाः | अव-सृष्टासः | आहुताः | कीलाल-पे | सोम-पृष्ठाय | वेधसे | हृदा | मतिम् | जनये | चारुम् | अग्नये // ऋ. वे. १०,९१.१४ //
अहावि | अग्ने | हविः | आस्ये | ते | स्रुचि-इव | घृतम् | चम्वि-इव | सोमः | वाज-सनिम् | रयिम् | अस्मे इति | सु-वीरम् | प्र-शस्तम् | धेहि | यशसम् | बृहन्तम् // ऋ. वे. १०,९१.१५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ८:४/२३-
(ऋ. वे. १०,९२)यज्ञस्य | वः | रथ्यम् | विश्पतिम् | विशाम् | होतारम् | अक्तोः | अतिथिम् | विभावसुम् | शोचन् | शुष्कासु | हरिणीषु | जर्भुरत् | वृषा | केतुः | यजतः | द्याम् | अशायत // ऋ. वे. १०,९२.१ //
इमम् | अञ्जः-पाम् | उभये | अकृण्वत | धर्माणम् | अग्निम् | विदथस्य | साधनम् | अक्तुम् | न | यह्वम् | उषसः | पुरः-हितम् | तनू-नपातम् | अरुषस्य | निंसते // ऋ. वे. १०,९२.२ //
बट् | अस्य | नीथा | वि | पणेः | च | मन्महे | वयाः | अस्य | प्र-हुताः | आसुः | अत्तवे | यदा | घोरासः | अमृत-त्वम् | आशत | आत् | इत् | जनस्य | दैव्यस्य | चर्किरन् // ऋ. वे. १०,९२.३ //
ऋतस्य | हि | प्र-सितिः | द्यौः | उरु | व्यचः | नमः | मही | अरमतिः | पनायसी | इन्द्रः | मित्रः | वरुणः | सम् | चिकित्रिरे | अथो इति | भगः | सविता | पूत-दक्षसः // ऋ. वे. १०,९२.४ //
प्र | रुद्रेण | ययिना | यन्ति | सिन्धवः | तिरः | महीम् | अरमतिम् | दधन्विरे | येभिः | परि-ज्मा | परि-यन् | उरु | ज्रयः | वि | रोरुवत् | जठरे | विश्वम् | उक्षते // ऋ. वे. १०,९२.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ८:४/२४-
क्राणाः | रुद्राः | मरुतः | विश्व-कृष्टयः | दिवः | श्येनासः | असुरस्य | नीऌअयः | तेभिः | चष्टे | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | इन्द्रः | देवेभिः | अर्वशेभिः | अर्वशः // ऋ. वे. १०,९२.६ //
इन्द्रे | भुजम् | शशमानासः | आशत | सूरः | दृशीके | वृषणः | च | पैंस्ये | प्र | ये | नु | अस्य | अर्हणा | ततक्षिरे | युजम् | वज्रम् | नृ-सदनेषु | कारवः // ऋ. वे. १०,९२.७ //
सूरः | चित् | आ | हरितः | अस्य | रीरमत् | इन्द्रात् | आ | कः | चित् | भयते | तवीयसः | भीमस्य | वृष्णः | जठरात् | अभि-श्वसः | दिवे--दिवे | सहुरिः | स्तन् | अबाधितः // ऋ. वे. १०,९२.८ //
स्तोमम् | वः | अद्य | रुद्राय | शिक्वसे | क्षयत्-वीराय | नमसा | दिदिष्टन | येभिः | शिवः | स्व-वान् | एवयाव-भिः | दिवः | सिसक्ति | स्व-यशाः | निकाम-भिः // ऋ. वे. १०,९२.९ //
ते | हि | प्र-जायाः | अभरन्त | वि | श्रवः | बृहस्पतिः | वृषभः | सोम-जामयः | यज्ञैः | अथर्वा | प्रथमः | वि | धारयत् | देवाः | दक्षैः | भृगवः | सम् | चिकित्रिरे // ऋ. वे. १०,९२.१० //
//२४//.

-ऋ. वे. ८:४/२५-
ते | हि | द्यावापृथिवी इति | भूरि-रेतसा | नराशंसः | चतुः-अङ्गः | यमः | अदितिः | देवः | त्वष्टा | द्रविणः-दाः | ऋभुक्षणः | प्र | रोदसी इति | मरुतः | विष्णुः | अर्हिरे // ऋ. वे. १०,९२.११ //
उत | स्यः | नः | उशिजाम् | उर्विया | कविः | अहिः | शृणोतु | बुध्न्यः | हवीमनि | सूर्यामासा | वि-चरन्ता | दिवि-क्षिता | धिया | शमीनहुषी इति | अस्य | बोधतम् // ऋ. वे. १०,९२.१२ //
प्र | नः | पूषा | चरथम् | विश्व-देव्यः | अपाम् | नपात् | अवतु | वायुः | इष्टये | आत्मानम् | वस्यः | अभि | वातम् | अर्चत | तत् | अश्विना | सु-हवा | यामनि | श्रुतम् // ऋ. वे. १०,९२.१३ //
विशाम् | आसाम् | अभयानाम् | अधि-क्षितम् | गीः-भिः | ॐ इति | स्व-यशसम् | गृणीमसि | ग्नाभिः | विश्वाभिः | अदितिम् | अनर्वणम् | अक्तोः | युवानम् | नृ-मनाः | / अध | पतिम् // ऋ. वे. १०,९२.१४ //
रेभत् | अत्र | जनुषा | पूर्वः | अङ्गिराः | ग्रावाणः | ऊर्ध्वाः | अभि | चक्षुः | अध्वरम् | येभिः | वि-हायाः | अभवत् | वि-चक्षणः | पाथः | सु-मेकम् | स्व-धितिः | वनन्-वति // ऋ. वे. १०,९२.१५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ८:४/२६-
(ऋ. वे. १०,९३)
महि | द्यावापृथिवी इति | भूतम् | उर्वी इति | नारी इति | यह्वी इति | न | रोदसी इति | सदम् | नः | तेभिः | नः | पातम् | सह्यसः | एभिः | नः | पातम् | शूषणि // ऋ. वे. १०,९३.१ //
यज्ञे--यज्ञे | सः | मर्त्यः | देवान् | सपर्यति | यः | सुम्नैः | दीर्घश्रुत्-तमः | आविवासाति | एनान् // ऋ. वे. १०,९३.२ //
विश्वेषाम् | इरज्यवः | देवानाम् | वाः | महः | विश्वे | हि | विश्व-महसः | विश्वे | यज्ञेषु | यज्ञियाः // ऋ. वे. १०,९३.३ //
ते | घ | राजानः | अमृतस्य | मन्द्राः | अर्यमा | मित्रः | वरुणः | परि-ज्मा | कत् | रुद्रः | नृणाम् | स्तुतः | मरुतः | पूषणः | भगः // ऋ. वे. १०,९३.४ //
उत | नः | नक्तम् | अपाम् | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | सूर्यामासा | सदनाय | स-धन्या | सचा | यत् | सादि | एषाम् | अहिः | बुध्नेषु | बुध्न्यः // ऋ. वे. १०,९३.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ८:४/२७-
उत | नः | देवौ | अश्विना | शुभः | पती इति | धाम-भिः | मित्रावरुणौ | उरुष्यताम् | महः | सः | रायः | आ | ईषते | अति | धन्वाइव | दुः-इता // ऋ. वे. १०,९३.६ //
उत | नः | रुद्रा | चित् | मृऌअताम् | अश्विना | विश्वे | देवासः | रथःपतिः | भगः | ऋभुः | वाजः | ऋभुक्षणः | परि-ज्मा | विश्व-वेदसः // ऋ. वे. १०,९३.७ //
ऋभुः | ऋभुक्षाः | ऋभुः | विधतः | मदः | आ | ते | हरी इति | जूजुवानस्य | वाजिना | दुस्तरम् | यस्य | साम | चित् | ऋधक् | यज्ञः | न | मानुषः // ऋ. वे. १०,९३.८ //
कृधि | नः | अह्रयः | देव | सवितरिति | सः | च | स्तुषे | मघोनाम् | सहः | नः | इन्द्रः | वह्नि-भिः | नि | एषाम् | चर्षणीनाम् | चक्रम् | रश्मिम् | न | योयुवे // ऋ. वे. १०,९३.९ //
आ | एषु | द्यावापृथिवी इति | धातम् | महत् | अस्मे इति | वीरेषु | विश्व-चर्षणि | श्रवः | पृक्षम् | वाजस्य | सातये | पृक्षम् | राया | उत | तुर्वणे // ऋ. वे. १०,९३.१० //
//२७//.

-ऋ. वे. ८:४/२८-
एतम् | शंसम् | इन्द्र | अस्म-युः | त्वम् | कू-चित् | सन्तम् | सहसावन् | अभि ष्टये | सदा | पाहि | अभिष्टये | मेदताम् | वेदता | वसो इति // ऋ. वे. १०,९३.११ //
एतम् | मे | स्तोमम् | तना | न | सूर्ये | द्युतत्-यामानम् | ववृधन्त | नृणाम् | सम्-वननम् | न | अस्व्यम् | तष्टाइव | अनप-च्युतम् // ऋ. वे. १०,९३.१२ //
ववर्त | येषाम् | राया | युक्ता | एषाम् | हिरण्ययी | नेम-धिता | न | पैंस्या | वृथाइव | विष्ट-अन्ता // ऋ. वे. १०,९३.१३ //
प्र | तत् | दुः-शीमे | पृथवाने | वेने | प्र | रामे | वोचम् | असुरे | मघवत्-सु | ये | युक्त्वाय | पञ्च | शता | अस्म-यु | पथा | वि-श्रावि | एषाम् // ऋ. वे. १०,९३.१४ //
अधिइत् | नु | अत्र | सप्ततिम् | च | सप्त | च | सद्यः | दिदिष्ट | तान्वः | सद्यः | दिदिष्ट | पार्थ्यः | सद्यः | दिदिष्ट | मायवः // ऋ. वे. १०,९३.१५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ८:४/२९-
(ऋ. वे. १०,९४)
प्र | एते | वदन्तु | प्र | वयम् | वदाम | ग्राव-भ्यः | वाचम् | वदत | वदत्-भ्यः | यत् | अद्रयः | पर्वताः | साकम् | आशवः | श्लोकम् | घोषम् | भरथ | इन्द्राय | सोमिनः // ऋ. वे. १०,९४.१ //
एते | वदन्ति | शत-वत् | सहस्र-वत् | अभि | क्रन्दन्ति | हरितेभिः | आस-भि ः | विष्टवी | ग्रावाणः | सु-कृतः | सु-कृत्यया | होतुः | चित् | पूर्वे | हविः-अद्यम् | आशत // ऋ. वे. १०,९४.२ //
एते | वदन्ति | अविदन् | अना | मधु | नि | ऊङ्खयन्ते | अधि | पक्वे | आमिषि | वृक्षस्य | शाखाम् | अरुणस्य | बप्सतः | ते | सूभर्वाः | वृषभाः | प्र | ईम् | अराविषुः // ऋ. वे. १०,९४.३ //
बृहत् | वदन्ति | मदिरेण | मन्दिना | इन्द्रम् | क्रोशन्तः | अविदन् | अना | मधु | सम्-रभ्य | धीराः | स्वसृ-भिः | अनर्तिषुः | आघोषयन्तः | पृथिवीम् | उपब्दि-भिः // ऋ. वे. १०,९४.४ //
सु-पर्णाः | वाचम् | अक्रत | उप | द्यवि | आखरे | कृष्णाः | इषिराः | अनर्तिषुः | न्यक् | नि | यन्ति | उपरस्य | निः-कृतम् | पुरु | रेतः | दधिरे | सूर्य-श्वितः // ऋ. वे. १०,९४.५ //
//२९//.

-ऋ. वे. ८:४/३०-
उग्राः-इव | प्र-वहन्तः | सम्-आयमुः | साकम् | युक्ताः | वृषणः | बिभ्रतः | धुरः | यद् | श्वसन्तः | जग्रसानाः | अराविषुः | शृण्वे | एषाम् | प्रोथथः | अर्वताम्-इव // ऋ. वे. १०,९४.६ //
दशावनि-भ्यः | दशकक्ष्येभ्यः | दश-योक्त्रेभ्यः | दश-योजनेभ्यः | दशाभीशु-भ्यः | अर्चत | अजरेभ्यः | दश | धुरः | दश | युक्ताः | वहत्-भ्यः // ऋ. वे. १०,९४.७ //
ते | अद्रयः | दश-यन्त्रासः | आशवः | तेषाम् | आधानम् | परि | एति | हर्यतम् | ते | ॐ इति | सुतस्य | सोम्यस्य | अन्धसः | अंशोः | पीयूषम् | प्रथमस्य | भेजिरे // ऋ. वे. १०,९४.८ //
ते | सोम-अदः | हरी इति | इन्द्रस्य | निंसते | अंशुम् | दुहन्तः | अधि | आसते | गवि | तेभिः | दुग्धम् | पपि-वान् | सोम्यम् | मधु | इन्द्रः | वर्धते | प्रथते | वृष-यते // ऋ. वे. १०,९४.९ //
वृषा | वः | अंशुः | न | किल | रिषाथन | इऌआवन्तः | सदम् | इत् | स्थन | आशि ताः | रैवत्याइव | महसा | चारवः | स्थन | यस्य | ग्रावाणः | अजुषध्वम् | अध्वरम् // ऋ. वे. १०,९४.१० //
//३०//.

-ऋ. वे. ८:४/३१-
तृदिलाः | अतृदिलासः | अद्रयः | अश्रमणाः | अशृथिताः | अमृत्यवः | अनातुराः | अजराः | स्थ | अमविष्णवः | सु-पीवसः | अतृषिताः | अतृष्ण-जः // ऋ. वे. १०,९४.११ //
ध्रुवाः | एव | वः | पितरः | युगे--युगे | क्षेम-कामासः | सदसः | न | युञ्जते | अजुर्यासः | हरि-साचः | हरिद्रवः | आ | द्याम् | रवेण | पृथिवीम् | अशुश्रवुः // ऋ. वे. १०,९४.१२ //
तत् | इत् | वदन्ति | अद्रयः | वि-मोचने | यामन् | अञ्जःपाः-इव | घ | इत् | उपब्दि--भिः | वपन्तः | बीजम्-इव | धान्य-कृतः | पृञ्चन्ति | सोमम् | न | मिनन्ति | बप्सतः // ऋ. वे. १०,९४.१३ //
सुते | अध्वरे | अधि | वाचम् | अक्रत | / आ | क्रीऌअयः | न | मातरम् | तुदन्तः | वि | सु | मुञ्च | सुसु-वुषः | मनीषाम् | व् इ | वर्तन्ताम् | अद्रयः | चायमानाः // ऋ. वे. १०,९४.१४ //
//३१//.



-ऋ. वे. ८:५/१-
(ऋ. वे. १०,९५)
हये | जाये | मनसा | तिष्ठ | घोरे | वचांसि | मिश्रा | कृणवावहै | नु | न | नौ | मन्त्राः | अनुदितासः | एते | मयः | करन् | पर-तरे | चन | अहन् // ऋ. वे. १०,९५.१ //
किम् | एता | वाचा | कृणव | तव | अहम् | प्र | अक्रमिषम् | उषसाम् | अग्रियाइव | पुरूरवः | पुनः | अस्तम् | परा | इहि | दुः-आपना | वातः-इव | अहम् | अस्मि // ऋ. वे. १०,९५.२ //
इषुः | न | शृइये | इषु-धेः | असना | गो--साः | शतसा | न | रंहिः | अवीरे | क्रतौ | वि | दविद्युतत् | न | उरा | न | मायुम् | चितयन्त | धुनयः // ऋ. वे. १०,९५.३ //
सा | वसु | दधती | श्वशुराय | वयः | उषः | यदि | वष्टि | अन्ति-गृहात् | अस्तम् | ननक्षे | यस्मिम् | चाकन् | दिवा | नक्तम् | श्नथिता | वैतसेन // ऋ. वे. १०,९५.४ //
त्रिः | स्म | माह्नः | श्नथयः | वैतसेन | उत | स्म | मे | अव्यत्यै पृणासि | पुरूरवः | अनु | ते | केतम् | आयम् | राजा | मे | वीर | तन्वः | तत् | आसीः // ऋ. वे. १०,९५.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ८:५/२-
या | सु-जूर्णिः | श्रेणिः | सुम्ने--आपिः | ह्रदे--चक्षुः | न | ग्रन्थिनाई | चरण्युः | ताः | अञ्जयः | अरुणयः | न | सस्रुः | श्रिये | गावः | न | धेनवः | अनवन्त // ऋ. वे. १०,९५.६ //
सम् | अस्मिन् | जायमाने | आसत | ग्नाः | उत | ईम् | अवर्धन् | नद्यः | स्व-गूर्ताः | महे | यत् | त्वा | पुरूरवः | रणाय | अवर्धयन् | दस्यु-हत्याय | देवाः // ऋ. वे. १०,९५.७ //
सचा | यत् | आसु | जहतीषु | अत्कम् | अमानुषीषु | मानुषः | नि-सेवे | अप | स्म | मत् | तरसन्ती | न | भुज्युः | ताः | अत्रसन् | रथ-स्पृशः | न | अश्वाः // ऋ. वे. १०,९५.८ //
यत् | आसु | मर्तः | अमृतासु | नि-स्पृक् | सम् | क्षोणीभिः | क्रतु-भिः | न | पृङ्क्ते | ताः | आतयः | न | तन्वः | शुम्भत | स्वाः | अश्वासः | न | क्रीऌअयः | दन्दशानाः // ऋ. वे. १०,९५.९ //
वि-द्युत् | न | या | पतन्ती | दविद्योत् | भरन्ती | मे | अप्या | काम्यानि | जनिष्टो इति | अपः | नर्यः | सु-जातः | प्र | उर्वशी | तिरत | दीर्घम् | आयुः // ऋ. वे. १०,९५.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ८:५/३-
जज्ञिषे | इत्था | गो--पीथ्याय | हि | दधाथ | तत् | पुरूरवः | मे | ओजः | अशासम् | त्वा | विदुषी | सस्मिन् | अहन् | न | मे | आ | अशृणोः | किम् | अभुक् | वदासि // ऋ. वे. १०,९५.११ //
कदा | सूनुः | पितरम् | जातः | इच्छात् | चक्रन् | न | अश्रु | वर्तयत् | वि-जानन् | कः | दम्पती इतिदम्-पती | स-मनसा | वि | यूयोत् | अध | यत् | अग्निः | श्वशुरेषु | दीदयत् // ऋ. वे. १०,९५.१२ //
प्रति | ब्रवाणि | वर्तयते | अश्रु | चक्रन् | न | क्रन्दत् | आध्ये | शिवायै | प्र | तत् | ते | हिनव | यत् | ते | अस्मे इति | परा | इहि | अस्तम् | नहि | मूर | मा | आपः // ऋ. वे. १०,९५.१३ //
सु-देवः | अद्य | प्र-पतेत् | अनावृत् | परावतम् | परमाम् | गन्तवै | ॐ इति | अध | शयीत | निः-ऋतेः | उप-स्थे | अध | एनम् | वृकाः | रभसासः | अद्युः // ऋ. वे. १०,९५.१४ //
पुरूरवः | मा | मृथाः | मा | प्र | पप्तः | मा | त्वा | वृकासः | अशिवासः | ॐ इति | क्षन् | न | वै | स्त्रैणानि | सख्यानि | सन्ति | सालावृकाणाम् | हृदयानि | एता // ऋ. वे. १०,९५.१५ //
//३//.
-ऋ. वे. ८:५/४-
यत् | वि-रूपा | अचरम् | मर्त्येषु | अवसम् | रात्रीः | शरदः | चतस्रः | घृतस्य | स्तोकम् | सकृत् | अह्नः | आश्नाम् | तात् | एव | इदम् | ततृपाणा | चरामि // ऋ. वे. १०,९५.१६ //
अन्तरिक्ष-प्राम् | रजसः | वि-मानीम् | उप | शिक्षामि | उर्वशीम् | वसिष्ठः | उप | त्वा | रातिः | सु-कृतस्य | तिष्ठात् | नि | वर्तस्व | हृदयम् | तप्यते | मे // ऋ. वे. १०,९५.१७ //
इति | त्वा | देवाः | इमे | आहुः | ऐऌअ | यथा | ईम् | एतत् | भवसि | मृत्यु-बन्धुः | प्र-जा | ते | देवान् | हविषा | यजाति | स्वः-गे | ॐ इति | त्वम् | अपि | मादयासे // ऋ. वे. १०,९५.१८ //
//४//.

-ऋ. वे. ८:५/५-
(ऋ. वे. १०,९६)
प्र | ते | महे | विदथेशम्सिषम् | हरी इति | प्र | ते | वन्वे | वनुषः | हर्यतम् | मदम् | घृतम् | न | यः | हरि-भि ः | चारु | सेचत | आ | त्वा | विशन्तु | हरि-वर्पसम् | गिरः // ऋ. वे. १०,९६.१ //
हरिम् | हि | योनिम् | अभि | ये | सम्-अस्वरन् | हिन्वन्तः | हरी इति | दिव्यम् | यथा | सदः | आ | यम् | पृणन्ति | हरि-भिः | न | धेनवः | इन्द्राय | शूषम् | हरि-वन्तम् | अर्चत // ऋ. वे. १०,९६.२ //
सः | अस्य | वज्रः | हरितः | यः | आयसः | हरिः | नि-कामः | हरिः | आ | गभस्त्योः | द्युम्नी | सु-शिप्रः | हरिमन्यु-सायकः | इन्द्रे | नि | रूपा | हर् इता | मिमिक्षिरे // ऋ. वे. १०,९६.३ //
दिवि | न | केतुः | अधि | धायि | हर्यतः | विव्यचत् | वज्रः | हरितः | न | रंह्या | तुदत् | अहिम् | हरि-शिप्रः | यः | आयसः | सहस्र-शोकाः | अभवत् | हरिम्-भरः // ऋ. वे. १०,९६.४ //
त्वम्-त्वम् | अहर्यथाः | उप-स्तुतः | पूर्वेभिः | इन्द्र | हरि-केश | यज्व-भिः | त्वम् | हर्यसि | तव | विश्वम् | उक्थ्यम् | असामि | राधः | हरि-जात | हर्यतम् // ऋ. वे. १०,९६.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ८:५/६-
ता | वज्रिणम् | मन्दिनम् | स्तोम्यम् | मदे | इन्द्रम् | रथे | वहतः | हर्यता | हरी इति | पुरूणि | अस्मै | सवनानि | हर्यते | इन्द्राय | सोमाः | हरयः | दधन्विरे // ऋ. वे. १०,९६.६ //
अरम् | कामाय | हरयः | दधन्विरे | स्थिराय | हिन्वन् | हरयः | हरी इति | तुरा | अर्वत्-भिः | यः | हरि-भिः | जोषम् | ईयते | सः | अस्य | कामम् | हर् इ-वन्तम् | आनशे // ऋ. वे. १०,९६.७ //
हरि-श्मशारुः | हरि-केशः | आयसः | तुरः-पेये | यः | हरि-पाः | अवधर्त | अर्वत्-भिः | यः | हरि-भिः | वाजिनी-वसुः | अति | विश्वा | दुः-इता | पारिषत् | हरी इति // ऋ. वे. १०,९६.८ //
स्रुवाइव | यस्य | हरिणी इति | वि-पेततुः | शिप्रेइति | वाजाय | हरिणी इति | दविध्वतः | प्र | यत् | कृते | चमसे | मर्मृजत् | हरी इति | पीत्वा | मदस्य | हर्यतस्य | अन्धसः // ऋ. वे. १०,९६.९ //
उत | स्म | सद्म | हर्यतस्य | पस्त्योः | अत्यः | न | वाजम् | हरि-वान् | अच् इक्रदत् | मही | चित् | हि | धिषणा | अहर्यत् | ओजसा | बृहत् | वयः | दधिषे | हयर्तः | चित् | आ // ऋ. वे. १०,९६.१० //
//६//.

-ऋ. वे. ८:५/७-
आ | रोदसी इति | हर्यमाणः | महि-त्वा | नव्यम्-नव्यम् | हर्यसि | मन्म | नु | प्रियम् | प्र | पस्त्यम् | असुर | हर्यतम् | गोः | आविः | कृधि | हरये | सूर्याय // ऋ. वे. १०,९६.११ //
आ | त्वा | हर्यन्तम् | प्र-युजः | जनानाम् | रथे | वहन्तु | हरि-शिप्रम् | इन्द्र | पिब | यथा | प्रति-भृतस्य | मध्वः | हर्यन् | यज्ञम् | सध-मादे | दश-ओणिम् // ऋ. वे. १०,९६.१२ //
अपाः | पूर्वेषाम् | हरि-वः | सुतानाम् | अथो इति | इदम् | सवनम् | केवलम् | ते | ममद्धि | सोमम् | मधु-मन्तम् | इन्द्र | सत्रा | वृषन् | जठरे | आ | वृषस्व // ऋ. वे. १०,९६.१३ //
//७//.

-ऋ. वे. ८:५/८-
(ऋ. वे. १०,९७)
याः | ओषधीः | पूर्वा | जाता | देवेभ्यः | त्रि-युगम् | पुरा | मनै | नु | बभ्रूणाम् | अहम् | शतम् | धामानि | सप्त | च // ऋ. वे. १०,९७.१ //
शतम् | वः | अम्ब | धामानि | सहस्रम् | उत | वः | रुहः | अध | शत-क्रत्वः | यूयम् | इमम् | मे | अगदम् | कृत // ऋ. वे. १०,९७.२ //
ओषधीः | प्रति | मोदध्वम् | पुष्प-वतीः | प्र-सूवरीः | अश्वाः-इव | स-जित्वरीः | वीरुधः | पारयिष्ण्वः // ऋ. वे. १०,९७.३ //
ओषधीः | इति | मातरः | तत् | वः | देवीः | उप | ब्रुवे | सनेयम् | अश्वम् | गाम् | वासः | आत्मानम् | तव | पुरुष // ऋ. वे. १०,९७.४ //
अश्वत्थे | वः | नि-सदनम् | पर्णे | वः | वसतिः | कृता | गो--भाजः | इत् | किल | असथ | यत् | सनवथ | पुरुषम् // ऋ. वे. १०,९७.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ८:५/९-
यत्र | ओषधीः | सम्-अग्मत | राजानः | समितौ-इव | / विप्रः | सः | उच्यते | भिषक् | रक्षः-हा | अमीव-चातनः // ऋ. वे. १०,९७.६ //
अश्व-वतीम् | सम-वतीम् | ऊर्जयन्तीम् | उत्-ओजसम् | आ | अवित्सि | सर्वाः | ओषधीः | अस्मै | अरिष्ट-तातये // ऋ. वे. १०,९७.७ //
उत् | शुष्माः | ओषधीनाम् | गावः | गोष्ठात्-इव | ईरते | धनम् | सनिष्यन्तीनाम् | आत्मानम् | तव | पुरुष // ऋ. वे. १०,९७.८ //
इष्कृतिः | नाम | वः | माता | अथो इति | यूयम् | स्थ | निः-कृतीः | सीराः | पतत्रिणीः | स्थन | यत् | आमयति | निः | कृथ // ऋ. वे. १०,९७.९ //
अति | विश्वाः | परि-स्थाः | स्तेनः-इव | व्रजम् | अक्रमुः | ओषधीः | प्र | अचुच्यवुः | यत् | किम् | च | तन्वः | रपः // ऋ. वे. १०,९७.१० //
//९//.

-ऋ. वे. ८:५/१०-
यत् | इमाः | वाजयन् | अहम् | ओषधीः | हस्ते | आदधे | आत्मा | यक्ष्मस्य | नश्यति | पुरा | जीव-गृभः | यथा // ऋ. वे. १०,९७.११ //
यस्य | ओषधीः | प्र-सर्पथ | अङ्गम्-अङ्गम् | परुः-परुः | ततः | यक्ष्मम् | वि | बाधध्वे | उग्रः | मध्यमशीः-इव // ऋ. वे. १०,९७.१२ //
साकम् | यक्ष्म | प्र | पत | चाषेण | किकिदीविना | साकम् | वातस्य | ध्राज्या | साकम् | नश्य | नि-हाकया // ऋ. वे. १०,९७.१३ //
अन्या | वः | अन्याम् | अवतु | अन्या | अन्यस्याः | उप | अवत | ताः | सर्वाः | सम्-विदानाः | इदम् | मे | प्र | अवत | वचः // ऋ. वे. १०,९७.१४ //
याः | फलिनीः | याः | अफलाः | अपुष्पाः | याः | च | पुष्पिणीः | बृहस्पति-प्रसूताः | ताः | नः | मुञ्चन्तु | अंहसः // ऋ. वे. १०,९७.१५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ८:५/११-
मुञ्चन्तु | मा | शपथ्यात् | अथो इति | वरुण्यात् | उत | अथो इति | यमस्य | पडबढबदबद्रह्णीशात् | सर्वस्मात् | देव-किल्बिषात् // ऋ. वे. १०,९७.१६ //
अव-पतन्तीः | अवदन् | दिवः | ओषधयः | परि | यम् | जीवम् | अश्नवामहै | न | सः | रिष्याति | पुरुषः // ऋ. वे. १०,९७.१७ //
याः | ओषधीः | सोम-राज्ञीः | बह्वीः | शत-विचक्षणाः | तासाम् | त्वम् | असि | उत्-तमा | अरम् | कामाय | शम् | हृदे // ऋ. वे. १०,९७.१८ //
याः | ओषधीः | सोम-राज्ञीः | वि-स्थिताः | पृथिवीम् | अनु | बृहस्पति-प्रसूताः | अस्यै | सम् | दत्त | वीर्यम् // ऋ. वे. १०,९७.१९ //
मा | वः | रिषत् | खनिता | यस्मै | च | अहम् | खनामि | वः | द्वि-पत् | चतुः-पत् | अस्माकम् | सर्वम् | अस्तु | अनातुरम् // ऋ. वे. १०,९७.२० //
याः | च | इदम् | उप-शृण्वन्ति | याः | च | दूरम् | परागताः | सर्वाः | सम्-गत्य | वीरुधः | अस्यै | सम् | दत्त | वीर्यम् // ऋ. वे. १०,९७.२१ //
ओषधयः | सम् | वदन्ते | सोमेन | सह | राज्ञा | यस्मै | कृणोति | ब्राह्मणः | तम् | राजन् | पारयामसि // ऋ. वे. १०,९७.२२ //
त्वम् | उत्-तमा | असि | ओषधे | तव | वृक्षाः | उपस्तयः | उपस्तिः | अस्तु | सः | अस्माकम् | यः | अस्मान् | अभि-दासति // ऋ. वे. १०,९७.२३ //
//११//.

-ऋ. वे. ८:५/१२-
(ऋ. वे. १०,९८)
बृहस्पते | प्रति | मे | देवताम् | इहि | मित्रः | वा | यत् | वरुणः | वा | असि | पूषा | आदित्यैः | वा | यत् | वसु-भिः | मरुत्वान् | सः | पर्जन्यम् | शम्-तनवे | वृषय // ऋ. वे. १०,९८.१ //
आ | देवः | दूतः | अजिरः | चिकित्वान् | त्वत् | देव-आपे | अभि | माम् | अगच्छत् | प्रतीचीनः | प्रति | माम् | आ | ववृत्स्व | दधामि | ते | द्यु-मतीम् | वाचम् | आसन् // ऋ. वे. १०,९८.२ //
अस्मे इति | धेहि | द्यु-मतीम् | वाचम् | आसन् | बृहस्पते | अनमीवाम् | इषिराम् | यया | वृष्टिम् | शम्-तनवे | वनाव | दिवः | द्रप्सः | मधु-मान् | आ | विवेश // ऋ. वे. १०,९८.३ //
आ | नः | द्रप्साः | मधु-मन्तः | विशन्तु | इन्द्र | देहि | अधि-रथम् | सहस्रम् | नि | सीद | होत्रम् | ऋतु-था | यजस्व | देवान् | देव-आपे | हविषा | सपयर् // ऋ. वे. १०,९८.४ //
आर्ष्टिषेणः | होत्रम् | ऋषिः | नि-सीदन् | देव-आपिः | देव-सुमतिम् | चिकित्वान् | सः | उत्-तरस्मात् | अधरम् | समुद्रम् | अपः | दिव्याः | असृजत् | वर्ष्याः | अभि // ऋ. वे. १०,९८.५ //
अस्मिन् | समुद्रे | अधि | उत्-तरस्मिन् | आपः | देवेभिः | नि-वृताः | अतिष्ठन् | ताः | अद्रवन् | आऋष्टिषेणेन | सृष्टाः | देव-आपिना | प्र-इषिताः | मृक्षिणीषु // ऋ. वे. १०,९८.६ //
//१२//.

-ऋ. वे. ८:५/१३-
यत् | देव-आपिः | शम्-तनवे | पुरः-हितः | होत्राय | वृतः | कृपयन् | अदीधेत् | देव-श्रुतम् | वृष्टि-वनिम् | रराणः | बृहस्पतिः | वाचम् | अस्मै | अयच्छत् // ऋ. वे. १०,९८.७ //
यम् | त्वा | देव-आपिः | शुशुचानः | अग्ने | आर्ष्टिषेणः | मनुष्यः | सम्-ईधे | वि श्वेभिः | देवैः | अनु-मद्यमानः | प्र | पर्जन्यम् | ईरय | वृष्टि-मन्तम् // ऋ. वे. १०,९८.८ //
त्वाम् | पूर्वे | ऋषयः | गीः-भिः | आयन् | त्वाम् | अध्वरेषु | पुरु-हूत | विश्वे | सहस्राणि | अधि-रथानि | अस्मे इति | आ | नः | यज्ञम् | रिहित्-अश्वा | उप | याहि // ऋ. वे. १०,९८.९ //
एतानि | अग्ने | नवतिः | नव | त्वे इति | आहुतानि | अधि-रथा | सहस्रा | तेभिः | वर्धस्व | तन्वः | शूर | पूर्वीः | दिवः | नः | वृष्टिम् | इषितः | रिरीहि // ऋ. वे. १०,९८.१० //
एतानि | अग्ने | नवतिम् | सहस्रा | सम् | प्र | यच्छ | वृष्णे | इन्द्राय | भागम् | वि द्वान् | पथः | ऋतु-शः | देव-यानान् | अपि | औलानम् | दिवि | देवेषु | धेहि // ऋ. वे. १०,९८.११ //
अग्ने | बाधस्व | वि | मृधः | वि | दुः-गहा | अप | अमीवाम् | अप | रक्षांसि | सेध | अस्मात् | समुद्रात् | बृहतः | दिवः | नः | अपाम् | भूमानम् | उप | नः | सृज | इह // ऋ. वे. १०,९८.१२ //
//१३//.

-ऋ. वे. ८:५/१४-
(ऋ. वे. १०,९९)
कम् | नः | चित्रम् | इषण्यसि | चिकित्वान् | पृथु-ग्मानम् | वाश्रम् | ववृधध्यै | कत् | तस्य | दातु | शवसः | वि-उष्टौ | तक्षत् | वज्रम् | वृत्र-तुरम् | अपिन्वत् // ऋ. वे. १०,९९.१ //
सः | हि | द्युता | वि-द्युता | वेति | साम | पृथुम् | योनिम् | असुर-त्वा | ससाद | सः | स-नीऌएभिः | प्र-सहानः | अस्य | भ्रातुः | न | ऋते | सप्तथस्य | मायाः // ऋ. वे. १०,९९.२ //
सः | वाजम् | याता | अपदुः-पदा | यन् | स्वः-साता | परि | सदत् | सनिष्यन् | अनर्वा | यत् | शत-दुरस्य | वेदः | घ्नन् | शिश्न-देवान् | अभि | वर्पसा | भूत् // ऋ. वे. १०,९९.३ //
सः | यह्व्यः | अवनीः | गोषु | अर्वा | आ | जुहोति | प्र-धन्यासु | सस्रिः | अपादः | यत्र | युज्यासः | अरथाः | द्रोणि-अश्वासः | ईरते | घृतम् | वाः // ऋ. वे. १०,९९.४ //
सः | रुद्रेभिः | अशस्त-वारः | ऋभ्वा | हित्वी | गयम् | आरे--अवद्यः | आ | अगात् | वम्रस्य | मन्ये | मिथुना | विवव्री इतिवि-वव्री | अन्नम् | अभि-इत्य | अरोदयत् | मुषायन् // ऋ. वे. १०,९९.५ //
सः | इत् | दासम् | तुवि-रवम् | पतिः | दन् षट्--अक्षम् | त्रि-शीर्षाणम् | दमन्यत् | अस्य | त्रितः | नु | ओजसा | वृधानः | विपा | वराहम् | अयः-अग्रया | हन्नितिहन् // ऋ. वे. १०,९९.६ //
//१४//.

-ऋ. वे. ८:५/१५-
सः | द्रुह्वणे | मनुषे | ऊर्ध्वसानः | आ | साविषत् | अर्शसानाय | शरुम् | सः | नृ-तमः | नहुषः | अस्मत् | सु-जातः | पुरः | अभिनत् | अर्हन् | दस्यु-हत्ये // ऋ. वे. १०,९९.७ //
सः | अभ्रियः | न | यवसे | उदन्यन् | क्षयाय | गातुम् | विदत् | नः | अस्मे इति | उप | यत् | सीदत् | इन्दुम् | शरीरैः | श्येनः | अयः-अपाष्टिः | हन्ति | दस्यून् // ऋ. वे. १०,९९.८ //
सः | व्राधतः | शवसानेभिः | अस्य | कुत्साय | शुष्णम् | कृपणे | परा | अदात् | अयम् | कविम् | अनयत् | शस्यमानम् | अत्कम् | यः | अस्य | सनिता | उत | नृणाम् // ऋ. वे. १०,९९.९ //
अयम् | दशस्यन् | नर्येभिः | अस्य | दस्मः | देवेभिः | वरुणः | न | मायी | अयम् | कनीनः | ऋतु-पाः | अवेदि | अमिमीत | अररुम् | यः | चतुः-पात् // ऋ. वे. १०,९९.१० //
अस्य | स्तोमेभिः | औशिजः | ऋजिश्वा | व्रजम् | दरयत् | वृषभेण | पिप्रोः | सुत्वा | यत् | यजतः | दीदयत् | गीः | पुरः | इयानः | अभि | वर्पसा | भूत् // ऋ. वे. १०,९९.११ //
एव | महः | असुर | वक्षथाय | वम्रकः | पट्-भिः | उप | सर्पत् | इन्द्रम् | सः | इयानः | करति | स्वस्तिम् | अस्मै | इषम् | ऊर्जम् | सु-क्षितिम् | विश्वम् | आ | अभार् इत्य् अभाः // ऋ. वे. १०,९९.१२ //
//१५//.

-ऋ. वे. ८:५/१६-
(ऋ. वे. १०,१००)
इन्द्र | दृह्य | मघ-वन् | त्वावत् | इत् | भुजे | इह | स्तुतः | सुत-पाः | बोधि | नः | वृधे | देवेभिः | नः | सविता | प्र | अवतु | श्रुतम् | आ | सर्व-तातिम् | अदि तिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.१ //
भराय | सु | भरत | भागम् | ऋत्वियम् | प्र | वायवे | शुचि-पे | क्रन्दत्-इष्टये | गौरस्य | यः | पयसः | पीतिम् | आनशे | आ | सर्व-तातिम् | अदितिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.२ //
आ | नः | देवः | सविता | साविषत् | वयः | ऋजु-यते | यजमानाय | सुन्वते | यथा | देवान् | प्रति-भूषेम | पाक-वत् | आ | सर्व-तातिम् | अदितिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.३ //
इन्द्रः | अस्मे इति | सु-मनाः | अस्तु | विश्वहा | राजा | सोमः | सुवितस्य | अधि | एतु | नः | यथायथा | मित्र-धितानि | सम्-दधुः | आ | सर्व-तातिम् | अदितिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.४ //
इन्द्रः | उक्थेन | शवसा | परुः | दधे | बृहस्पते | प्र-तरीता | असि | आयुषः | यज्ञः | मनुः | प्र-मतिः | नः | पिता | हि | कम् | आ | सर्व-तातिम् | अदितिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.५ //
इन्द्रस्य | नु | सु-कृतम् | दैव्यम् | सहः | अग्निः | गृहे | जरिता | मेधिरः | कवि ः | यज्ञः | च | भूत् | विदथे | चारुः | अन्तमः | आ | सर्व-तातिम् | अदितिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.६ //
//१६//.

-ऋ. वे. ८:५/१७-
न | वः | गुहा | चकृम | भूरि | दुः-कृतम् | न | आविः-त्यम् | वसवः | देव-हेऌअनम् | माकिः | नः | देवाः | अनृतस्य | वर्पसः | आ | सर्व-तातिम् | अदितिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.७ //
अप | अमीवाम् | सविता | साविषत् | न्यक् | वरीयः | इत् | अप | सेधन्तु | अद्रयः | ग्रावा | यत्रमधु-सुत् | उच्यते | बृहत् | आ | सर्व-तातिम् | अदितिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.८ //
ऊर्ध्वः | ग्रावा | वसवः | अस्तु | सोतरि | विश्वा | द्वेषांसि | सनुतः | युयोत | सः | नः | देवः | सविता | पायुः | ईड्यः | आ | सर्व-तातिम् | अदितिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.९ //
ऊर्जम् | गावः | यवसे | पीवः | अत्तन | ऋतस्य | याः | सदने | कोशे | अङ्ध्वे | तनूः | एव | तन्वः | अस्तु | भेषजम् | आ | सर्व-तातिम् | अदितिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.१० //
क्रतु-प्रावा | जरिता | शश्वताम् | अवः | इन्द्रः | इत् | भद्रा | प्र-मतिः | सुत-वताम् | पूर्णम् | ऊधः | दिव्यम् | यस्य | सिक्तये | आ | सर्व-तातिम् | अदितिम् | वृणीमहे // ऋ. वे. १०,१००.११ //
चित्रः | ते | भानुः | क्रतु-प्राः | अभिष्टिः | सन्ति | स्पृधः | जरणि-प्राः | अधृष्टाः | रजिष्टया | रज्या | पश्वः | आ | गोः | तूतूर्षति | परि | अग्रम् | दुवस्युः // ऋ. वे. १०,१००.१२ //
//१७//.

-ऋ. वे. ८:५/१८-
(ऋ. वे. १०,१०१)
उत् | बुध्यध्वम् | स-मनसः | सखायः | सम् | अग्निम् | इन्ध्वम् | बहवः | स-नीऌआः | दधि-कृआम् | अग्निम् | उषसम् | च | देवीम् | इन्द्र-वतः | अवसे | नि | ह्वये | वः // ऋ. वे. १०,१०१.१ //
मन्द्रा | कृणुध्वम् | धियः | आ | तनुध्वम् | नावम् | अरित्र-परणीम् | कृणुध्वम् | इष्कृणुध्वम् | आयुधा | अरम् | कृणुध्वम् | प्राञ्चम् | यज्ञम् | प्र | नयत | सखायः // ऋ. वे. १०,१०१.२ //
युनक्त | सीरा | वि | युगा | तनुध्वम् | कृते | योनौ | वपत | इह | बीजम् | गिरा | च | श्रुष्टिः | स-भराः | असत् | नः | नेदीयः | इत् | सृण्यः | पक्वम् | आ | इयात् // ऋ. वे. १०,१०१.३ //
सीरा | युञ्जन्ति | कवयः | युगा | वि | तन्वते | पृथक् | धीराः | देवेषु | सुम्न-या // ऋ. वे. १०,१०१.४ //
निः | आहावान् | कृणोतन | सम् | वरत्राः | दधातन | सिञ्चामहै | अवतम् | उद्रिणम् | वयम् | सु-सेकम् | अनुप-क्षितम् // ऋ. वे. १०,१०१.५ //
इष्कृत-आहावम् | अवतम् | सु-वरत्रम् | सु-सेचनम् | उद्रिणम् | सिञ्चे | अक्षितम् // ऋ. वे. १०,१०१.६ //
//१८//.

-ऋ. वे. ८:५/१९-
प्रीणीत | अश्वान् | हितम् | जयाथ | स्वस्ति-वाहम् | रथम् | इत् | कृणुध्वम् | द्रोण-आहावम् | अवतम् | अश्म-चक्रम् | अंसत्र-कोशम् | सिञ्चत | नृ-पानम् // ऋ. वे. १०,१०१.७ //
व्रजम् | कृणुध्वम् | सः | हि | वः | नृ-पानः | वर्म | सीव्यध्वम् | बहुला | पृथूनि | पुरः | कृणुध्वम् | आयसीः | अधृष्टाः | मा | वः | सुस्रोत् | चमसः | दृंहत | तम् // ऋ. वे. १०,१०१.८ //
आ | वः | धियम् | यज्ञियाम् | वर्ते | ऊतये | देवाः | देवीम् | यजताम् | यज्ञियाम् | इह | सा | नः | दुहीयत् | यवसाइव | गत्वी | सहस्र-धारा | पयसा | मही | गौः // ऋ. वे. १०,१०१.९ //
आ | तु | सिञ्च | हरिम् | ईम् | द्रोः | उप-स्थे | वाशीभिः | तक्षत | अश्मन्-मयीभिः | परि | स्वजध्वम् | दश | कक्ष्याभिः | उभे इति | धुरौ | प्रति | वह्निम् | युनक्त // ऋ. वे. १०,१०१.१० //
उभे इति | धुरौ | वह्निः | आपिब्दमानः | अन्तः | योनाइव | चरति | द्वि-जानिः | वनस्पतिम् | वने | आ | अस्थापयध्वम् | नि | सु | दधिध्वम् | अखनन्तः | उत्सम् // ऋ. वे. १०,१०१.११ //
कपृत् | नरः | कपृथम् | उत् | दधातन | चोदयत | खुदत | वाज-सातये | निष्टिग्र्यः | पुत्रम् | आ | च्यावय | ऊतये | इन्द्रम् | स-बाधः | इह | सोम-पीतये // ऋ. वे. १०,१०१.१२ //
//१९//.

-ऋ. वे. ८:५/२०-
(ऋ. वे. १०,१०२)
प्र | ते | रथम् | मिथु-कृतम् | इन्द्रः | अवतु | धृष्णु-या | अस्मिन् | आजौ | पुरु-हूत | श्रवाय्ये | धन-भक्षेषु | नः | अव // ऋ. वे. १०,१०२.१ //
उत् | स्म | वातः | वहति | वासः | अस्याः | अधि-रथम् | यत् | अजयत् | सहस्रम् | रथीः | अभूत् | मुद्गलानी | गविष्टौ | भरे | कृतम् | वि | अचेत् | इन्द्र-सेना // ऋ. वे. १०,१०२.२ //
अन्तः | यच्छ | जिघांसतः | वज्रम् | इन्द्र | अभि-दासतः | दासस्य | वा | मघ-वन् | आर्यस्य | वा | सनुतः | यवय | वधम् // ऋ. वे. १०,१०२.३ //
उद्नः | ह्रदम् | अपिबत् | जर्हृषाणः | कूटम् | स्म | तृंहत् | अभि-मातिम् | एति | प्र | मुष्क-भारः | श्रवः | इच्छमानः | अजिरम् | बाहू इति | अभरत् | सिसासन् // ऋ. वे. १०,१०२.४ //
नि | अक्रन्दयन् | उप-यन्तः | एनम् | अमेहयन् | वृषभम् | मध्ये | आजेः | तेन | सूभर्वम् | शत-वत् | सहस्रम् | गवाम् | मुद्गलः | प्र-धने | जिगाय // ऋ. वे. १०,१०२.५ //
कर्क-देवे | वृषभः | आसीत् | अवावचीत् | सारथिः | अस्य | केशी | दुधेः | युक्तस्य | द्रवतः | सह | अनसा | ऋच्छन्ति | स्म | निः-पदः | मुद्गलानीम् // ऋ. वे. १०,१०२.६ //
//२०//.

-ऋ. वे. ८:५/२१-
उत | प्र-धिम् | उत् | अहन् | अस्य | विद्वान् | उप | अयुनक् | वंसगम् | अत्र | शिक्षन् | इन्द्रः | उत् | आवत् | पतिम् | अघ्न्यानाम् | अरंहत | पद्याभिः | ककुत्-मान् // ऋ. वे. १०,१०२.७ //
शुनम् | अष्ट्रावी | अचरत् | कपर्दी | वरत्रायाम् | दारु | आनह्यमानः | नृम्नानि | कृण्वन् | बहवे | जनाय | गाः | पस्पशानः | तविषीः | अधत्त // ऋ. वे. १०,१०२.८ //
इमम् | तम् | पश्य | वृषभस्य | युञ्जम् | काष्ठायाः | मध्ये | द्रु-घणम् | शयानम् | येन | जिगाय | सत-वत् | सहस्रम् | गवाम् | मुद्गलः | पृतनाज्येषु // ऋ. वे. १०,१०२.९ //
आरे | अघा | कः | नु | इत्था | ददर्श | यम् | युञ्जन्ति | तम् | ॐ इति | आ | स्थापयन्ति | न | अस्मै | तृणम् | न | उदकम् | आ | भरन्ति | उत्-तरः | धुरः | वहति | प्र-देदिशत् // ऋ. वे. १०,१०२.१० //
परिवृक्ताइव | पति-विद्यम् | आनट् | पीप्याना | कूचक्रेण-इव | सिञ्चन् | एष-एष्या | चित् | रथ्या | जयेम | सु-मङ्गलम् | सिन-वत् | अस्तु | सातम् // ऋ. वे. १०,१०२.११ //
त्वम् | विश्वस्य | जगतः | चक्षुः | इन्द्र | असि | चक्षुषः | वृषा | यत् | आजिम् | वृषणा | सिसाससि | चोदयन् | वध्रिणा | युजा // ऋ. वे. १०,१०२.१२ //
//२१//.

-ऋ. वे. ८:५/२२-
(ऋ. वे. १०,१०३)
आशुः | शिशानः | वृषभः | न | भीमः | घनाघनः | क्षोभणः | चर्षणीनाम् | सम्-क्रन्दनः | अनि-मिषः | एक-वीरः | शतम् | सेनाः | अजयत् | साकम् | इन्द्रः // ऋ. वे. १०,१०३.१ //
सम्-क्रन्दनेन | अनि-मिषेण | जिष्णुना | युत्-कारेण | दुः-च्यवनेन | धृष्णुना | तत् | इन्द्रेण | जयत | तत् | सहध्वम् | युधः | नरः | इषु-हस्तेन | वृष्णा // ऋ. वे. १०,१०३.२ //
सः | इषु-हस्तैः | सः | निषङ्गि-भिः | वशी | सम्-स्रष्टा | सः | युधः | इन्द्रः | गणेन | संसृष्ट-जित् | सोम-पाः | बाहु-शर्धी | उग्र-धन्वा | प्रति-हिताभिः | अस्ता // ऋ. वे. १०,१०३.३ //
बृहस्पते | परि | दीय | रथेन | रक्षः-हा | अमित्रान् | अप-बाधमानः | प्र-भञ्जन् | सेनाः | प्र-मृणः | युधा | जयन् | अस्माकम् | एधि | अविता | रथानाम् // ऋ. वे. १०,१०३.४ //
बल-विज्ञायः | स्थविरः | प्र-वीरः | सहस्वान् | वाजी | सहमानः | उग्रः | अभि-वीरः | अभि-सत्वा | सहः-जाः | जैत्रम् | इन्द्र | रथम् | आ | तिष्ठ | गो--वित् // ऋ. वे. १०,१०३.५ //
गोत्र-भिदम् | गो--विदम् | वज्र-बाहुम् | जयन्तम् | अज्म | प्र-मृणन्तम् | ओजसा | इमम् | स-जाताः | अनु | वीरयध्वम् | इन्द्रम् | सखायः | अनु | सम् | रभध्वम् // ऋ. वे. १०,१०३.६ //
//२२//.

-ऋ. वे. ८:५/२३-
अभि | गोत्राणि | सहसा | गाहमानः | अदयः | वीरः | शत-मन्युः | इन्द्रः | दुः-च्यवनः | पृतनाषाट् | अयुध्यः | अस्माकम् | सेनाः | अवतु | प्र | युत्-सु // ऋ. वे. १०,१०३.७ //
इन्द्रः | आसाम् | नेता | बृहस्पतिः | दक्षिणा | यज्ञः | पुरः | एतु | सोमः | देव-सेनानाम् | अभि-भञ्जतीनाम् | जयन्तीनाम् | मरुतः | यन्तु | अग्रम् // ऋ. वे. १०,१०३.८ //
इन्द्रस्य | वृष्णः | वरुणस्य | राज्ञः | आदित्यानाम् | मरुताम् | शर्धः | उग्रम् | महामनसाम् | भुवन-च्यवानाम् | घोषः | देवानाम् | जयताम् | उत् | अस्थात् // ऋ. वे. १०,१०३.९ //
उत् | हर्षय | मघ-वन् | आयुधानि | उत् | सत्वनाम् | मामकानाम् | मनांसि | उत् | वृत्र-हन् | वाजिनाम् | वाजिनानि | उत् | रथानाम् | जयताम् | यन्तु | घोषाः // ऋ. वे. १०,१०३.१० //
अस्माकम् | इन्द्रः | सम्-ऋतेषु | ध्वजेषु | अस्माकम् | याः | इषवः | ताः | जयन्तु | अस्माकम् | वीराः | उत्-तरे | भवन्तु | अस्मान् | ॐ इति | देवाः | अवत | हवेषु // ऋ. वे. १०,१०३.११ //
अमीषाम् | चित्तम् | प्रति-लोभयन्ती | गृहाण | अङ्गानि | अप्वे | परा | इहि | अभि | प्र | इहि | निः | दह | हृत्-सु | शोकैः | अन्धेन | अमित्राः | तमसा | सचन्ताम् // ऋ. वे. १०,१०३.१२ //
प्र | इत | जयत | नरः | इन्द्रः | वः | शर्म | यच्छतु | उग्राः | वः | सन्तु | बाहवः | अनाधृष्याः | यथा | असथ // ऋ. वे. १०,१०३.१३ //
//२३//.

-ऋ. वे. ८:५/२४-
(ऋ. वे. १०,१०४)
असावि | सोमः | पुरु-हूत | तुभ्यम् | हरि-भ्याम् | यज्ञम् | उप | याहि | तूयम् | तुभ्यम् | गिरः | विप्र-वीराः | इयानाः | दधन्विरे | इन्द्र | पिब | सुतस्य // ऋ. वे. १०,१०४.१ //
अप्-सु | धूतस्य | हरि-वः | पिब | इह | नृ-भिः | सुतस्य | जठरम् | पृणस्व | मिमिक्षुः | यम् | अद्रयः | इन्द्र | तुभ्यम् | तेभिः | वर्धस्व | मदम् | उक्थ-वाहः // ऋ. वे. १०,१०४.२ //
प्र | उग्राम् | पीतिम् | वृष्णे | इयर्मि | सत्याम् | प्र-यै | सुतस्य | हरि-अश्व | तुभ्यम् | इन्द्र | धेनाभिः | इह | मादयस्व | धीभिः | विश्वाभिः | शच्या | गृणानः // ऋ. वे. १०,१०४.३ //
ऊती | शची-वः | तव | वीर्येण | वयः | दधानाः | उशिजः | ऋत-ज्ञाः | प्रजावत् | इन्द्र | मनुषः | दुरोणे | तस्थुः | गृणन्तः | सध-माद्यासः // ऋ. वे. १०,१०४.४ //
प्रनीति-भिः | ते | हरि-अश्व | सु-स्तोः | सुसुम्नस्य | पुरु-रुचः | जनासः | मंहिष्ठाम् | ऊतिम् | वि-तिरे | दधानाः | स्तोतारः | इन्द्र | तव | सूनृताभिः // ऋ. वे. १०,१०४.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ८:५/२५-
उप | ब्रह्माणि | हरि-वः | हरि-भ्याम् | सोमस्य | याहि | पीतये | सुतस्य | इन्द्र | त्वा | यज्ञः | क्षममाणम् | आनट् | दाश्वान् | असि | अध्वरस्य | प्र-केतः // ऋ. वे. १०,१०४.६ //
सहस्र-वाजम् | अभिमाति-सहम् | सुते--रणम् | मघ-वानम् | सु-वृक्तिम् | उप | भूषन्ति | गिरः | अप्रति-इतम् | इन्द्रम् | नमस्याः | जरितुः | पनन्त // ऋ. वे. १०,१०४.७ //
सप्त | आपः | देवीः | सु-रणाः | अमृक्ताः | याभिः | सिन्धुम् | अतरः | इन्द्र | पूः-भित् | नवतिम् | स्रोत्याः | नव | च | स्रवन्तीः | देवेभ्यः | गातुम् | मनुषे | च | विन्दः // ऋ. वे. १०,१०४.८ //
अपः | महीः | अभि-शस्तेः | अमुञ्चः | अजागः | आसु | अधि | देवः | एकः | इन्द्र | याः | त्वम् | वृत्र-तूर्ये | चकर्थ | ताभिः | विश्व-आयुः | तन्वम् | पुपुष्याः // ऋ. वे. १०,१०४.९ //
वीरेण्यः | क्रतुः | इन्द्रः | सु-शस्तिः | उत | अपि | धेना | पुरु-हूतम् | ईटे | आदर्यत् | वृत्रम् | अकृणोत् | ॐ इति | लोकम् | ससहे | शक्रः | पृतनाः | अभिष्टिः // ऋ. वे. १०,१०४.१० //
शुनम् | हुवेम | मघ-वानम् | इन्द्रम् | अस्मिन् | भरे | नृ-तमम् | वाज-सातौ | शृण्वन्तम् | उग्रम् | ऊतये | समत्-सु | घ्नन्तम् | वृत्राणि | सम्-जितम् | धनानाम् // ऋ. वे. १०,१०४.११ //
//२५//.

-ऋ. वे. ८:५/२६-
(ऋ. वे. १०,१०५)
कदा | वसो इति | स्तोत्रम् | हर्यते | आ | अव | श्मशा | रुधत् | वारितिवाः | दीर्घम् | सुतम् | वाताप्याय // ऋ. वे. १०,१०५.१ //
हरी इति | यस्य | सु-युजा | वि-व्रता | वेः | अर्वन्ता | अनु | शेपा | उभा | रजी इति | न | केशिना | पतिः | दन् // ऋ. वे. १०,१०५.२ //
अप | योः | इन्द्रः | पापजे | आ | मर्तः | न | शश्रमाणः | बिभीवान् | शुभे | यत् | युयुजे | तविषी-वान् // ऋ. वे. १०,१०५.३ //
सचा | आयोः | इन्द्रः | चर्कृषे | आ | उपानसः | सपर्यन् | नदयोः | वि-व्रतयोः | शूरः | इन्द्रः // ऋ. वे. १०,१०५.४ //
अधि | यः | तस्थौ | केष-वन्ता | व्यचस्वन्ता | न | पुष्ट्यै | वनोति | शिप्राभ्याम् | शिप्रिणी-वान् // ऋ. वे. १०,१०५.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ८:५/२७-
प्र | अस्तौत् | ऋष्व-ओजाः | ऋष्वेभिः | ततक्ष | शूरः | शवसा | ऋभुः | न | क्रतु-भिः | मातरिश्वा // ऋ. वे. १०,१०५.६ //
वज्रम् | यः | चक्रे | सु-हनाय | दस्यवे | हिरीमशः | हरीमान् | अरुत-हनुः | अद्भुतम् | न | रजः // ऋ. वे. १०,१०५.७ //
अव | नः | वृजिना | शिशीहि | ऋचा | वनेम | अनृचः | न | अब्रह्मा | यज्ञः | ऋधक् | जोषति | त्वे इति // ऋ. वे. १०,१०५.८ //
ऊर्ध्वा | यत् | ते | त्रेतिनी | भूत् | यज्ञस्य | धूः-सु | सद्मन् | स-जूः | नावम् | स्व-यशसम् | सचा | आयोः // ऋ. वे. १०,१०५.९ //
श्रिये | ते | पृश्निः | उप-सेचनी | भूत् | श्रिये | दर्विः | अरेपाः | यया | स्वे | पात्रे | सिञ्चसे | उत् // ऋ. वे. १०,१०५.१० //
शतम् | वा | यत् | असुर्य | प्रति | त्वा | सु-मित्रः | इत्था | अस्तौत् | दुः-मित्रः | इत्था | अस्तौत् | आवः | यत् | दस्यु-हत्ये | कुत्स-पुत्रम् | प्र | आवः | यत् | दस्यु-हत्ये | कुत्स-वत्सम् // ऋ. वे. १०,१०५.११ //
//२७//.



-ऋ. वे. ८:६/१-
(ऋ. वे. १०,१०६)
उभौ | ॐ इति | नूनम् | तत् | इत् | अर्थयेथेइति | वि | तन्वाथेइति | धियः | वस्त्रा | अपसाइव | सध्रीचीना | यातवे | प्र | ईम् | अजीगः | सुदिनाइव | पृक्षः | आ | तंसयेथेइति // ऋ. वे. १०,१०६.१ //
उष्टाराइव | फर्वरेषु | श्रयेथेइति | प्रायोगाइव | श्वात्र्या | शासुः | आ | इथः | दूताइव | हि | स्थः | यशसा | जनेषु | मा | अप | स्थातम् | महिषाइव | अव-पानात् // ऋ. वे. १०,१०६.२ //
साकम्-युजा | शकुनस्य-इव | पक्षा | पश्वाइव | चित्रा | यजुः | आ | गमिष्टम् | अग्निः-इव | देव-योः | दीदि-वांसा | परिज्मानाइव | यजथः | पुरु-त्रा // ऋ. वे. १०,१०६.३ //
आपी इति | वः | अस्मे इति | पितराइव | पुत्रा | उग्राइव | रुचा | नृपतीइवेतिनृपती-इव | तुर्यै | इर्याइव | पुष्ट्यै | किरणाइव | भुज्यै | श्रुष्टीवानाइव | हवम् | आ | गमिष्टम् // ऋ. वे. १०,१०६.४ //
वंसगाइव | पूषर्या | शिम्बाता | मित्राइव | ऋता | शतरा | शातपन्ता | वाजाइव | उच्चा | वयसा | घर्म्ये--स्था | मेषाइव | इषा | सपर्या | पुरीषा // ऋ. वे. १०,१०६.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ८:६/२-
सृण्याइव | जर्भरी इति | तुर्फरीतूइति | नैतोशाइव | तुर्फरी इति | पर्फरीका | उदन्यजाइव | जेमना | मदेरू इति | ता | मे | जरायु | अजरम् | मरायु // ऋ. वे. १०,१०६.६ //
पज्राइव | चर्चरम् | जारम् | मरायु | क्षद्म-इव | अर्थेषु | तर्तरीथः | उग्रा | ऋभू इति | न | आपत् | खरमज्रा | खर-ज्रुः | वायुः | न | पर्फरत् | क्षयत् | रयीणाम् // ऋ. वे. १०,१०६.७ //
घर्माइव | मधु | जठरे | सनेरूइति | भगे--अविता | तुर्फरी इति | फारिवा | अरम् | पतराइव | चचरा | चन्द्र-निर्निक् | मनः-ऋङ्गा | मनन्या | न | जग्मी इति // ऋ. वे. १०,१०६.८ //
बृहन्ताइव | गम्भरेषु | प्रति-स्थाम् | पादाइव | गाधम् | तरते | विदाथः | कर्णाइव | शासुः | अनु | हि | स्मराथः | अंशाइव | नः | भजतम् | चित्रम् | अप्नः // ऋ. वे. १०,१०६.९ //
आरङ्गराइव | मधु | आ | ईरयेथेइति | सारघाइव | गवि | नीचीन-बारे | कीनाराइव | स्वेदम् | आसिस्विदाना | क्षाम-इव | ऊर्जा | सुयवस-अत् | सचेथेइतिस् // ऋ. वे. १०,१०६.१० //
ऋध्याम | स्तोमम् | सनुयाम | वाजम् | आ | नः | मन्त्रम् | स-रथा | इह | उप | यातम् | यशः | न | पक्वम् | मधु | गोषु | अन्तः | आ | भूत-अंशः | अश्विनोः | कामम् | अप्राः // ऋ. वे. १०,१०६.११ //
//२//.

-ऋ. वे. ८:६/३-
(ऋ. वे. १०,१०७)
आविः | अभूत् | महि | माघोनम् | एषाम् | विश्वम् | जीवम् | तमसः | निः | अमोचि | महि | ज्योतिः | पितृ-भिः | दत्तम् | आ | अगात् | उरुः | पन्थाः | दक्षिणायाः | अदर्शि // ऋ. वे. १०,१०७.१ //
उच्चा | दिवि | दक्षिणावन्तः | अस्थुः | ये | अश्व-दाः | सह | ते | सूर्येण | हिरण्य-दाः | अमृत-त्वम् | भजन्ते | वासः-दाः | सोम | प्र | तिरन्ते | आयुः // ऋ. वे. १०,१०७.२ //
दैवी | पूर्तिः | दक्षिणा | देव-यज्या | न | कव-अरिभ्यः | नहि | ते | पृणन्ति | अथ | नरः | प्रयत-दक्षिणासः | अवद्य-भिया | बहवः | पृणन्ति // ऋ. वे. १०,१०७.३ //
शत-धारम् | वायुम् | अर्कम् | स्वः-विदम् | नृ-चक्षसः | ते | अभि | चक्षते | हविः | ये | पृणन्ति | प्र | च | यच्छन्ति | सम्-गमे | ते | दक्षिणाम् | दुहते | सप्त-मातरम् // ऋ. वे. १०,१०७.४ //
दक्षिणावान् | प्रथमः | हूतः | एति | दक्षिणावान् | ग्राम-नीः | अग्रम् | एति | तम् | एव | मन्ये | नृ-पतिम् | जनानाम् | यः | प्रथमः | दक्षिणाम् | आविवाय // ऋ. वे. १०,१०७.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ८:६/४-
तम् | एव | ऋषिम् | तम् | ॐ इति | ब्रह्माणम् | आहुः | यज्ञ-न्यम् | साम-गाम् | उक्थ-शासम् | सः | शुक्रस्य | तन्वः | वेद | तिस्रः | यः | प्रथमः | दक्षिणया | रराध // ऋ. वे. १०,१०७.६ //
दक्षिणा | अश्वम् | दक्षिणा | गाम् | ददाति | दक्षिणा | चन्द्रम् | उत | यत् | हिरण्यम् | दक्षि णा | अन्नम् | वनुते | यः | नः | आत्मा | दक्षिणाम् | वर्म | कृणुते | वि-जानन् // ऋ. वे. १०,१०७.७ //
न | भोजाः | मम्रुः | न | नि-अर्थम् | ईयुः | न | रिष्यन्ति | न | व्यथन्ते | ह | भोजाः | इदम् | यत् | विश्वम् | भुवनम् | स्वः | च | एतत् | सर्वम् | दक्षिणा | एभ्यः | ददाति // ऋ. वे. १०,१०७.८ //
भोजाः | जिग्युः | सुरभिम् | योनिम् | अग्रे | भोजाः | जिग्युः | वध्वम् | या | सु-वासाः | भोजाः | जिग्युः | अन्तः-पेयम् | सुरायाः | भोजाः | जिग्युः | ये | अहूताः | प्र-यन्ति // ऋ. वे. १०,१०७.९ //
भोजाय | अश्वम् | सम् | मृजन्ति | आशुम् | भोजाय | आस्ते | कन्या | शुम्भमाना | भोजस्य | इदम् | पुष्करिणी-इव | वेश्म | परि-कृतम् | देवमानाइव | चित्रम् // ऋ. वे. १०,१०७.१० //
भोजम् | अश्वाः | सुष्ठु-वाहः | वहन्ति | सु-वृत् | रथः | वर्तते | दक्षिणायाः | भोजम् | देवासः | अवत | भरेषु | भोजः | शत्रून् | सम्-अनीकेषु | जेता // ऋ. वे. १०,१०७.११ //
//४//.

-ऋ. वे. ८:६/५-
(ऋ. वे. १०,१०८)
किम् | इच्छन्ती | सरमा | प्र | इदम् | आनट् | दूरे | हि | अध्वा | जगुरिः | पराचैः | का | अस्मे--हितिः | का | परि-तक्म्या | आसीत् | कथम् | रसायाः | अतरः | पयांसि // ऋ. वे. १०,१०८.१ //
इन्द्रस्य | दूतीः | इषिता | चरामि | महः | इच्छन्ती | पणयः | नि-धीन् | वः | अति-स्कदः | भियसा | तम् | नः | आवत् | तथा | रसायाः | अतरम् | पयांसि // ऋ. वे. १०,१०८.२ //
कीदृक् | इन्द्रः | सरमे | का | दृशीका | यस्य | इदम् | दूतीः | असरः | पराकात् | आ | च | गच्छात् | मित्रम् | एन | दधाम | अथ | गवाम् | गो--पतिः | नः | भवाति // ऋ. वे. १०,१०८.३ //
न | अहम् | तम् | वेद | दभ्यम् | दभत् | सः | यस्य | इदम् | दूतीः | असरम् | पराकात् | न | तम् | गूहन्ति | स्रवतः | गभीराः | हताः | इन्द्रेण | पणयः | शयध्वे // ऋ. वे. १०,१०८.४ //
इमाः | गावः | सरमे | याः | ऐच्छः | परि | दिवः | अन्तान् | सु-भगे | पतन्ती | कः | ते | एनाः | अव | सृजात् | अयुध्वी | उत | अस्माकम् | आयुधा | सन्ति | तिग्मा // ऋ. वे. १०,१०८.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ८:६/६-
असेन्याः | वः | पणयः | वचांम्सि | अनिषव्याः | तन्वः | सन्तु | पापीः | अधृष्टः | वः | एतवै | अस्तु | पन्थाः | बृहस्पतिः | वः | उभया | न | मृऌआत् // ऋ. वे. १०,१०८.६ //
अयम् | नि-धिः | सरमे | अद्रि-बुध्नः | गोभिः | अश्वेभिः | वसु-भिः | नि-ऋष्टः | रक्षन्ति | तम् | पणयः | ये | सु-गोपाः | रेकु | पदम् | अलकम् | आ | जगन्थ // ऋ. वे. १०,१०८.७ //
आ | इह | गामन् | ऋषयः | सोम-शिताः | अयास्यः | अङ्गिरसः | नव-ग्वाः | ते | एतम् | ऊर्वम् | वि | भजन्त | गोनाम् | अथ | एतत् | वचः | पणयः | वमन् | इत् // ऋ. वे. १०,१०८.८ //
एव | च | त्वम् | सरमे | आजगन्थ | प्र-बाधिता | सहसा | दैव्येन | स्वसारम् | त्वा | कृणवै | मा | पुनः | गाः | अप | ते | गवाम् | सु-भगे | भजाम // ऋ. वे. १०,१०८.९ //
न | अहम् | वेद | भ्रातृ-त्वम् | नो इति | स्वसृ-त्वम् | इन्द्रः | विदुः | अङ्गिरसः | च | घोराः | गो--कामाः | मे | अच्छदयन् | यत् | आयम् | अप | अतः | इत | पणयः | वरीयः // ऋ. वे. १०,१०८.१० //
दूरम् | इत | पणयः | वरीयः | उत् | गावः | यन्तु | मिनतीः | ऋतेन | बृहस्पतिः | याः | अविन्दत् | नि-गूऌहाः | सोमः | ग्रावानः | ऋषयः | च | विप्राः // ऋ. वे. १०,१०८.११ //
//६//.

-ऋ. वे. ८:६/७-
(ऋ. वे. १०,१०९)
ते | अवदन् | प्रथमाः | ब्रह्म-किल्बिषे | अकूपारः | सलिलः | मातरिश्वा | वीऌउ-हराः | तपः | उग्रः | मयः-भूः | आपः | देवीः | प्रथम-जाः | ऋतेन // ऋ. वे. १०,१०९.१ //
सोमः | राजा | प्रथमः | ब्रह्म-जायाम् | पुनरिति | प्र | अयच्छत् | अहृणीयमानः | अनु-अर्तिता | वरुणः | मित्रः | आसीत् | अग्निः | होता | हस्त-गृह्य | आ | निनाय // ऋ. वे. १०,१०९.२ //
हस्तेन | एव | ग्राह्यः | आधिः | अस्याः | ब्रह्म-जाया | इयम् | इति | च | इत् | अवोचत् | न | दूताय | प्र-ह्ये | तस्थे | एषा | तथा | राष्ट्रम् | गुपितम् | क्षत्रियस्य // ऋ. वे. १०,१०९.३ //
देवाः | एतस्याम् | अवदन्त | पूर्वे | सप्त-ऋषयः | तपसे | ये | नि-सेदुः | भीमा | जाया | ब्राह्मणस्य | उप-नीता | दुः-धाम् | दधाति | परमे | वि-ओमन् // ऋ. वे. १०,१०९.४ //
ब्रह्म-चारी | चरति | वेविषत् | विषः | सः | देवानाम् | भवति | एकम् | अङ्गम् | तेन | जायाम् | अनु | अविन्दत् | बृहस्पतिः | सोमेन | नीताम् | जुह्वम् | न | देवाः // ऋ. वे. १०,१०९.५ //
पुनः | वै | देवाः | अददुः | पुनः | मनुष्याः | उत | राजानः | सत्यम् | कृण्वानाः | ब्रह्म-जायाम् | पुनः | ददुः // ऋ. वे. १०,१०९.६ //
पुनः-दाय | ब्रह्म-जायाम् | कृत्वी | देवैः | नि-किल्बिषम् | ऊर्जम् | पृथिव्याः | भक्त्वाय | उरु-गायम् | उप | आसते // ऋ. वे. १०,१०९.७ //
//७//.

-ऋ. वे. ८:६/८-
(ऋ. वे. १०,११०)
सम्-इद्धः | अद्य | मनुषः | दुरोणे | देवः | देवान् | यजसि | जात-वेदः | आ | च | वह | मित्र-महः | चिकित्वान् | त्वम् | दूतः | कविः | असि | प्र-चेताः // ऋ. वे. १०,११०.१ //
तनू-नपात् | पथः | ऋतस्य | यानान् | मध्वा | सम्-अञ्जन् | स्वदय | सु-जिह्व | मन्मानि | धीभिः | उत | यज्ञम् | ऋन्धन् | देव-त्रा | च | कृणुहि | अध्वरम् | नः // ऋ. वे. १०,११०.२ //
आजुह्वानः | ईड्यः | वन्द्यः | च | आ | याहि | अग्ने | वसु-भिः | स-जोषाः | त्वम् | देवानाम् | असि | यह्व | होता | सः | एतान् | यक्षि | इषितः | यजीयान् // ऋ. वे. १०,११०.३ //
प्राचीनम् | बर्हिः | प्र-दिशा | पृथिव्याः | वस्तोः | अस्याः | वृज्यते | अग्रे | अह्नाम् | वि | ॐ इति | प्रथते | वि-तरम् | वरीयः | देवेभ्यः | अदितये | स्योनम् // ऋ. वे. १०,११०.४ //
व्यचस्वतीः | उर्विया | वि | श्रयन्ताम् | पति-भ्यः | न | जनयः | शुम्भमानाः | देवीः | द्वारः | बृहतीः | विश्वम्-इन्वाः | देवेभ्यः | भवत | सुप्र-अयणाः // ऋ. वे. १०,११०.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ८:६/९-
आ | सुस्वयन्ती इति | यजते इति | उपाके इति | उषसानक्ता | सदताम् | नि | योनौ | दिव्ये | योषणेइति | बृहती इति | सुरुक्मे इतिसु-रुक्मे | अधि | श्रियम् | शुक्र-पिशम् | दधाने // ऋ. वे. १०,११०.६ //
दैव्या | होतारा | प्रथमा | सु-वाचा | मिमाना | यज्ञम् | मनुषः | यजध्यै | प्र-चोदयन्ता | विदथेषु | कारू इति | प्राचीनम् | ज्योतिः | प्र-दिशा | दिशन्ता // ऋ. वे. १०,११०.७ //
आ | नः | यज्ञम् | भारती | तूयम् | एतु | इऌआ | मनुष्वत् | इह | चेतयन्ती | तिस्रः | देवीः | बर्हिः | आ | इदम् | स्योनम् | सरस्वती | सु-अपसः | सदन्तु // ऋ. वे. १०,११०.८ //
यः | इमे इति | द्यावापृथिवी इति | जनित्री इति | रूपैः | अपिंशत् | भुवनानि | विश्वा | तम् | अद्य | होतः | इषितः | यजीयान् | देवम् | त्वष्टारम् | इह | यक्षि | विद्वान् // ऋ. वे. १०,११०.९ //
उप-अवसृज | त्मन्या | सम्-अञ्जन् | देवानाम् | पाथः | ऋतु-था | हवींषि | वनस्पतिः | शमिता | देवः | अग्निः | स्वदन्तु | हव्यम् | मधुना | घृतेन // ऋ. वे. १०,११०.१० //
सद्यः | जातः | वि | अमिमीत | यज्ञम् | अग्निः | देवानाम् | अभवत् | पुरः-गाः | अस्य | होतुः | प्र-दिशि | ऋतस्य | वाचि | स्वाहाकृतम् | हविः | अदन्तु | देवाः // ऋ. वे. १०,११०.११ //
//९//.

-ऋ. वे. ८:६/१०-
(ऋ. वे. १०,१११)
मनीषिणः | प्र | भरध्वम् | मनीषाम् | यथायथा | मतयः | सन्ति | नृणाम् | इन्द्रम् | सत्यैः | आ | ईरयाम | कृतेभिः | सः | हि | वीरः | गिर्वणस्युः | विदानः // ऋ. वे. १०,१११.१ //
ऋतस्य | हि | सदसः | धीतिः | अद्यौत् | सम् | गाऋष्टेयः | वृषभः | गोभिः | आनट् | उत् | अतिष्ठत् | तविषेण | रवेण | महान्ति | चित् | सम् | विव्याच | रजांसि // ऋ. वे. १०,१११.२ //
इन्द्रः | किल | श्रुत्यै | अस्य | वेद | सः | हि | जिष्णुः | पथि-कृत् | सूर्याय | आत् | मेनाम् | कृण्वन् | अच्युतः | भुवत् | गोः | पतिः | दिवः | सन-जाः | अप्रति-इतः // ऋ. वे. १०,१११.३ //
इन्द्रः | मह्ना | महतः | अर्णवस्य | व्रता | अमिनात् | अङ्गिरः-भिः | गृणानः | पुरूणि | चित् | नि | ततान | रजांसि | दाधार | यः | धरुणम् | सत्य-ताता // ऋ. वे. १०,१११.४ //
इन्द्रः | दिवः | प्रति-मानम् | पृथिव्याः | विश्वा | वेद | सवना | हन्ति | शुष्णम् | महीम् | चित् | द्याम् | आ | अतनोत् | सूर्येण | चास्कम्भ | चित् | कम्भनेन | स्कभीयान् // ऋ. वे. १०,१११.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ८:६/११-
वज्रेण | हि | वृत्र-हा | वृत्रम् | अस्तः | अदेवस्य | शूशुवानस्य | मायाः | वि | धृष्णो इति | अत्र | धृषता | जघन्थ | अथ | अभवः | मघ-वन् | बाह्वु-ओजाः // ऋ. वे. १०,१११.६ //
सचन्त | यत् | उषसः | सूर्येण | चित्राम् | अस्य | केतवः | राम् | अविन्दन् | आ | यत् | नक्षत्रम् | ददृशे | दिवः | न | पुनः | यतः | नकिः | अद्धा | नु | वेद // ऋ. वे. १०,१११.७ //
दूरम् | किल | प्रथमाः | जग्मुः | आसाम् | इन्द्रस्य | याः | प्र-सवे | सस्रुः | आपः | क्व | स्वित् | अग्रम् | क्व | बुध्नः | आसाम् | आपः | मध्यम् | क्व | वः | नूनम् | अन्तः // ऋ. वे. १०,१११.८ //
सृजः | सिन्धून् | अहिना | जग्रसानान् | आत् | इत् | एताः | प्र | विविज्रे | जवेन | मुमुक्षमाणाः | उत | याः | मुमुच्रे | अध | इत् | एताः | न | रमन्ते | नि-तिक्ताः // ऋ. वे. १०,१११.९ //
सध्रीचीः | सिन्धुम् | उशतीः-इव | आयन् | सनात् | जारः | आरितः | पूः-भित् | आसाम् | अस्तम् | आ | ते | पार्थिवा | वसूनि | अस्मे इति | जग्मुः | सूनृताः | इन्द्र | पूर्वीः // ऋ. वे. १०,१११.१० //
//११//.

-ऋ. वे. ८:६/१२-
(ऋ. वे. १०,११२)
इन्द्र | पिब | प्रति-कामम् | सुतस्य | प्रातः-सावः | तव | हि | पूर्व-पीतिः | हर्षस्व | हन्तवे | शूर | शत्रून् | उक्थेभिः | ते | वीर्या | प्र | ब्रवाम // ऋ. वे. १०,११२.१ //
यः | ते | रथः | मनसः | जवीयान् | आ | इन्द्र | तेन | सोम-पेयाय | याहि | तूयम् | आ | ते | हरयः | प्र | द्रवन्तु | येभिः | यासि | वृष-भिः | मन्दमानः // ऋ. वे. १०,११२.२ //
हरित्वता | वर्चसा | सूर्यस्य | श्रेष्ठैः | रूपैः | तन्वम् | स्पर्शयस्व | अस्माभिः | इन्द्र | सखि-भिः | हुवानः | सध्रीचीनः | मादयस्व | नि-सद्य // ऋ. वे. १०,११२.३ //
यस्य | त्यत् | ते | महिमानम् | मदेषु | इमे इति | मही इति | रोदसी इति | न | अविविक्ताम् | तत् | ओकः | आ | हरि-भिः | इन्द्र | युक्तैः | प्रियेभिः | याहि | प्र् इयम् | अन्नम् | अच्छ // ऋ. वे. १०,११२.४ //
यस्य | शश्वत् | पपि-वान् | इन्द्र | शत्रून् | अननु-कृत्या | रण्या | चकर्थ | सः | ते | पुरम्-धिम् | तविषीम् | इयर्ति | सः | ते | मदाय | सुतः | इन्द्र | सोमः // ऋ. वे. १०,११२.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ८:६/१३-
इदम् | ते | पात्रम् | सन-वित्तम् | इन्द्र | पिब | सोमम् | एना | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | पूर्णः | आहावः | मदिरस्य | मध्वः | यम् | विश्वे | इत् | अभि--हर्यन्ति | देवाः // ऋ. वे. १०,११२.६ //
वि | हि | त्वाम् | इन्द्र | पुरुधा | जनासः | हित-प्रयसः | वृषभ | ह्वयन्ते | अस्माकम् | ते | मधुमत्-तमानि | इमा | भुवन् | सवना | तेषु | हर्य // ऋ. वे. १०,११२.७ //
प्र | ते | इन्द्र | पूर्व्याणि | प्र | नूनम् | वीर्या | वोचम् | प्रथमा | कृतानि | सतीन-मन्युः | अश्रथयः | अद्रिम् | सु-वेदनाम् | अकृणोः | ब्रह्मणे | गाम् // ऋ. वे. १०,११२.८ //
नि | सु | सीद | गण-पते | गणेषु | त्वाम् | आहुः | विप्र-तमम् | कवीनाम् | न | ऋते | त्वत् | क्रियते | किम् | चन | आरे | महाम् | अर्कम् | मघ-वन् | चित्रम् | अर्च // ऋ. वे. १०,११२.९ //
अभि-ख्या | नः | मघ-वन् | नाधमानान् | सखे | बोधि | वसु-पते | सखीनाम् | रणम् | कृधि | रण-कृत् | सत्य-शुष्म | अभक्ते | चित् | आ | भज | राये | अस्मान् // ऋ. वे. १०,११२.१० //
//१३//.

-ऋ. वे. ८:६/१४-
(ऋ. वे. १०,११३)
तम् | अस्य | द्यावापृथिवी इति | स-चेतसा | विश्वेभिः | देवैः | अनु | शुष्मम् | आवताम् | यत् | ऐत् | कृण्वानः | महिमानम् | इन्द्रियम् | पीत्वी | सोमस्य | क्रतु-मान् | अवर्धत // ऋ. वे. १०,११३.१ //
तम् | अस्य | विष्णुः | महिमानम् | ओजसा | अंशुम् | दधन्वान् | मधुनः | वि | रप्शते | देवेभिः | इन्द्रः | मघ-वा | सयाव-भिः | वृत्रम् | जघन्वान् | अभवत् | वरेण्यः // ऋ. वे. १०,११३.२ //
वृत्रेण | यत् | अहिना | बिभ्रत् | आयुधा | सम्-अस्थिथाः | युधये | शंसम् | आविदे | विश्वे | ते | अत्र | मरुतः | सह | त्मना | अवर्धन् | उग्र | महिमानम् | इन्द्रियम् // ऋ. वे. १०,११३.३ //
जज्ञानः | एव | वि | अबाधत | स्पृधः | प्र | अपश्यत् | वीरः | अभि | पैंस्यम् | रणम् | अवृश्चत् | अद्रिम् | अव | स-स्यदः | सृजत् | अस्तभ्नात् | नाकम् | सु-अपस्यया | पृथुम् // ऋ. वे. १०,११३.४ //
आत् | इन्द्रः | सत्रा | तविषीः | अपत्यत | वरीयः | द्यावापृथिवी इति | अबाधत | अव | अभरत् | धृषितः | वज्रम् | आयसम् | शेवम् | मित्राय | वरुणाय | दाशुषे // ऋ. वे. १०,११३.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ८:६/१५-
इन्द्रस्य | अत्र | तविषीभ्यः | वि-रप्शिनः | ऋघायतः | अरंहयन्त | मन्यवे | वृत्रम् | यत् | उग्रः | वि | अवृश्चत् | ओजसा | अपः | बिभ्रतम् | तमसा | परि-वृतम् // ऋ. वे. १०,११३.६ //
या | वीर्याणि | प्रथमानि | कर्त्वा | महि-त्वेभिः | यतमानौ | सम्-ईयतुः | ध्वान्तम् | तमः | अव | दध्वसे | हतः | इन्द्रः | मह्ना | पूर्व-हूतौ | अपत्यत // ऋ. वे. १०,११३.७ //
विश्वे | देवासः | अध | वृष्ण्यानि | ते | अवर्धयन् | सोम-वत्या | वचस्यया | रद्धम् | वृत्रम् | अहिम् | इन्द्रस्य | हन्मना | अग्निः | न | जम्भैः | तृषु | अन्नम् | आवयत् // ऋ. वे. १०,११३.८ //
भूरि | दक्षेभिः | वचनेभिः | ऋक्व-भिः | सख्येभिः | सख्यानि | प्र | वोचत | इन्द्रः | धुनिम् | च | चुमुरिम् | च | दम्भयन् | श्रद्धामनस्या | शृणुते | दभीतये // ऋ. वे. १०,११३.९ //
त्वम् | पुरूणि | आ | भर | सु-अश्व्या | येभिः | मंसै | नि-वचनानि | शंसन् | सु-गेभिः | विश्वा | दुः-इता | तरेम | विदः | सु | नः | उर्विया | गाधम् | अद्य // ऋ. वे. १०,११३.१० //
//१५//.

-ऋ. वे. ८:६/१६-
(ऋ. वे. १०,११४)
घर्मा | सम्-अन्ता | त्रि-वृतम् | वि | आपतुः | तयोः | जुष्टिम् | मातरिश्वा | जगाम | दि वः | पयः | दिधिषाणाः | अवेषन् | विदुः | देवाः | सह-सामानम् | अर्कम् // ऋ. वे. १०,११४.१ //
तिस्रः | देष्ट्राय | निः-ऋतीः | उप | आसते | दीर्घ-श्रुतः | वि | हि | जानन्ति | वह्नयः | तासाम् | नि | चिक्युः | कवयः | नि-दानम् | परेषु | याः | गुह्येषु | व्रतेषु // ऋ. वे. १०,११४.२ //
चतुः-कपर्दा | युवतिः | सु-पेशाः | घृत-प्रतीका | वयुनानि | वस्ते | तस्याम् | सु-पर्णा | वृषणा | नि | सेदतुः | यत्र | देवाः | दधिरे | भाग-धेयम् // ऋ. वे. १०,११४.३ //
एकः | सु-पर्णः | सः | समुद्रम् | आ | विवेश | सः | इदम् | विश्वम् | भुवनम् | वि | चष्टे | तम् | पाकेन | मनसा | अपश्यम् | अन्तितः | तम् | माता | रेऌहि | सः | ॐ इति | रेऌहि | मातरम् // ऋ. वे. १०,११४.४ //
सु-पर्णम् | विप्रा | कवयः | वचः-भिः | एकम् | सन्तम् | बहुधा | कल्पयन्ति | छन्दांसि | च | दधतः | अध्वरेषु | ग्रहान् | सोमस्य | मिमते | द्वादश // ऋ. वे. १०,११४.५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ८:६/१७-
षट्-त्रिंशान् | च | चतुरः | कल्पयन्तः | छन्दांसि | च | दधतः | आद्वादशम् | यज्ञम् | वि-माय | कवयः | मनीषा | ऋक्-सामाभ्याम् | प्र | रथम् | वर्तयन्ति // ऋ. वे. १०,११४.६ //
चतुः-दश | अन्ये | महिमानः | अस्य | तम् | धीराः | वाचा | प्र | नयन्ति | सप्त | आप्नानम् | तीर्थम् | कः | इह | प्र | वोचत् | येन | पथा | प्र-पिबन्ते | सुतस्य // ऋ. वे. १०,११४.७ //
सहस्रधा | पञ्च-दशानि | उक्था | यावत् | द्यावापृथिवी इति | तावत् | इत् | तत् | सहस्रधा | महिमानः | सहस्रम् | यावत् | ब्रह्म | वि--स्थितम् | तावती | वाक् // ऋ. वे. १०,११४.८ //
कः | छन्दसाम् | योगम् | आ | वेद | धीरः | कः | धिष्ण्याम् | प्रति | वाचम् | पपाद | कम् | ऋत्विजाम् | अष्टमम् | शूरम् | आहुः | हरी इति | इन्द्रस्य | नि | चिकाय | कः | स्वित् // ऋ. वे. १०,११४.९ //
भूम्याः | अन्तम् | परि | एके | चरन्ति | रथस्य | धूः-सु | युक्तासः | अस्थुः | श्रमस्य | दायम् | वि | भजन्ति | एभ्यः | यदा | यमः | भवति | हर्म्ये | हितः // ऋ. वे. १०,११४.१० //
//१७//.

-ऋ. वे. ८:६/१८-
(ऋ. वे. १०,११५)
चित्रः | इत् | शिशोः | तरुणस्य | वक्षथः | न | यः | मातरौ | अपि-एति | धातवे | अनूधाः | यदि | जीजनत् | अधा | च | नु | ववक्ष | सद्यः | महि | दूत्यम् | चरन् // ऋ. वे. १०,११५.१ //
अग्निः | ह | नाम | धायि | दन् | अपः-तमः | सम् | यः | वना | युवते | भस्मना | दता | अभि-प्रमुरा | जुह्वा | सु-अध्वरः | इनः | न | प्रोथमानः | यवसे | वृषा // ऋ. वे. १०,११५.२ //
तम् | वः | विम् | न | द्रु-सदम् | देवम् | अन्धसः | इन्दुम् | प्रोथन्तम् | प्र-वपन्तम् | अर्णवम् | आसा | वह्निम् | न | शोचिषा | वि-रप्शिनम् | महि-व्रतम् | न | सरजन्तम् | अध्वनः // ऋ. वे. १०,११५.३ //
वि | यस्य | ते | ज्रयसानस्य | अजर | धक्षोः | न | वाताः | परि | सन्ति | अच्युताः | आ | रण्वासः | युयुधयः | न | सत्वनम् | त्रितम् | नशन्त | प्र | शिषन्तः | इष्टये // ऋ. वे. १०,११५.४ //
सः | इत् | अग्निः | कण्व-तमः | कण्व-सखा | अर्यः | परस्य | अन्तरस्य | तरुषः | अग्निः | पातु | गृणतः | अग्निः | सूरीन् | अग्निः | ददातु | तेषाम् | अवः | नः // ऋ. वे. १०,११५.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ८:६/१९-
वाजिन्-तमाय | सह्यसे | सु-पित्र्य | तृषु | च्यवानः | अनु | जात-वेदसे | अनुद्रे | चित् | यः | धृषता | वरम् | सते | महिन्-तमाय | धन्वना | इत् | अविष्यते // ऋ. वे. १०,११५.६ //
एव | अग्निः | मर्तैः | सह | सूरि-भिः | वसुः | स्तवे | सहसः | सूनरः | नृ-भिः | मित्रासः | न | ये | सु-धिताः | ऋत-यवः | द्यावः | न | द्युम्नैः | अभि | सन्ति | मानुषान् // ऋ. वे. १०,११५.७ //
ऊर्जः | नपात् | सहसावन् | इति | त्वा | उप-स्तुतस्य | वन्दते | वृषा | वाक् | त्वाम् | स्तोषाम | त्वया | सु-वीराः | द्राघीयः | आयुः | प्र-तरम् | दधानाः // ऋ. वे. १०,११५.८ //
इति | त्वा | अग्ने | वृष्टि-हव्यस्य | पुत्राः | उप-स्तुतासः | ऋषयः | अवोचन् | तान् | च | पाहि | गृणतः | च | सूरीन् | वषट् | वषट् | इति | ऊर्ध्वासः | अनक्षन् | नमः | नमः | इति | ऊर्ध्वासः | अनक्षन् // ऋ. वे. १०,११५.९ //
//१९//.

-ऋ. वे. ८:६/२०-
(ऋ. वे. १०,११६)
पिब | सोमम् | महते | इन्द्रियाय | पिब | वृत्राय | हन्तवे | शविष्ठ | पिब | राये | शवसे | हूयमानः | पिब | मध्वः | तृपत् | इन्द्र | आ | वृषस्व // ऋ. वे. १०,११६.१ //
अस्य | पिब | क्षु-मतः | प्र-स्थितस्य | इन्द्र | सोमस्य | वरम् | आ | सुतस्य | स्वस्ति-दाः | मनसा | मादयस्व | अर्वाचीनः | रेवते | सौभगाय // ऋ. वे. १०,११६.२ //
ममत्तु | त्वा | दिव्यः | सोमः | इन्द्र | ममत्तु | यः | सूयते | पार्थिवेषु | ममत्तु | येन | वरि-वः | चकर्थ | ममत्तु | येन | नि-रिणासि | शत्रून् // ऋ. वे. १०,११६.३ //
आ | द्वि-बर्हाः | अमिनः | यातु | इन्द्रः | वृषा | हरि-भ्याम् | परि-सिक्तम् | अन्धः | गवि | आ | सुतस्य | प्र-भृतस्य | मध्वः | सत्रा | खेदाम् | अरुश-हा | वृषस्व // ऋ. वे. १०,११६.४ //
नि | तिग्मानि | भ्राशयन् | भ्राश्यानि | अव | स्थिरा | तनुहि | यातु-जूनाम् | उग्राय | ते | सहः | बलम् | ददामि | प्रति-इत्य | शत्रून् | वि-गदेषु | वृश्च // ऋ. वे. १०,११६.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ८:६/२१-
वि | अर्यः | इन्द्र | तनुहि | श्रवांसि | ओजः | स्थिराइव | धन्वनः | अभि-मातीः | अस्मद्र्यक् | ववृधानः | सहः-भिः | अनि-भृष्टः | तन्वम् | ववृधस्व // ऋ. वे. १०,११६.६ //
इदम् | हविः | मघ-वन् | तुभ्यम् | रातम् | प्रति | सम्-राट् | अहृणानः | गृभाय | तुभ्यम् | सुतः | मघ-वन् | तुभ्यम् | पक्वः | अद्धि | इन्द्र | पिब | च | प्र-स्थ् इतस्य // ऋ. वे. १०,११६.७ //
अद्धि | इन्द्र | प्र-स्थिता | इमा | हवींषि | चनः | दधिष्व | पचता | उत | सोमम् | प्रयस्वन्तः | प्रति | हर्यामसि | त्वा | सत्याः | सन्तु | यजमानस्य | कामाः // ऋ. वे. १०,११६.८ //
प्र | इन्द्राग्नि-भ्याम् | सु-वचस्याम् | इयर्मि | सिन्धौ-इव | प्र | ईरयम् | नावम् | अर्कैः | अयाः-इव | परि | चरन्ति | देवाः | ये | अस्मभ्यम् | धन-दाः | उत्-भिदः | च // ऋ. वे. १०,११६.९ //
//२१//.

-ऋ. वे. ८:६/२२-
(ऋ. वे. १०,११७)
न | वै | ॐ इति | देवाः | क्षुधम् | इत् | वधम् | ददुः | उत | आशितम् | उप | गच्छन्ति | मृत्यवः | उतो इति | रयिः | पृणतः | न | उप | दस्यति | उत | अपृणन् | मर्डितारम् | न | विन्दते // ऋ. वे. १०,११७.१ //
यः | आध्राय | चकमानाय | पित्वः | अन्न-वान् | सन् | रफिताय | उप-जग्मुषे | स्थिरम् | मनः | कृणुते | सेवते | पुरा | उतो इति | चित् | सः | मर्डितारम् | न | विन्दते // ऋ. वे. १०,११७.२ //
सः | इत् | भोजः | यः | गृहवे | ददाति | अन्न-कामाय | चरते | कृशाय | अरम् | अस्मै | भवति | याम-हूतौ | उत | अपरीषु | कृणुते | सखायम् // ऋ. वे. १०,११७.३ //
न | सः | सखा | यः | न | ददाति | सख्ये | सचाभुवे | सचमानाय | पित्वः | अप | अस्मात् | प्र | इयात् | न | तत् | ओकः | अस्ति | पृणन्तम् | अन्यम् | अरणम् | चित् | इच्छेत् // ऋ. वे. १०,११७.४ //
पृणीयात् | इत् | नाधमानाय | तव्यान् | द्राघीयांसम् | अनु | पश्येत | पन्थाम् | ओ इति | हि | वर्तन्ते | रथ्याइव | चक्रा | अन्यम्-अन्यम् | उप | तिष्ठन्त | रायः // ऋ. वे. १०,११७.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ८:६/२३-
मोघम् | अन्नम् | विन्दते | अप्र-चेताः | सत्यम् | ब्रवीमि | वधः | इत् | सः | तस्य | न | अर्यमणम् | पुष्यति | नो इति | सखायम् | केवल-अघः | भवति | केवल-आदी // ऋ. वे. १०,११७.६ //
कृषन् | इत् | फालः | आशितम् | कृणोति | यन् | अध्वानम् | अप | वृङ्क्ते | चरित्रैः | वदन् | ब्रह्मा | अवदतः | वनीयान् | पृणन् | आपिः | अपृणन्तम् | अभि | स्यात् // ऋ. वे. १०,११७.७ //
एक-पात् | भूयः | द्वि-पदः | वि | चक्रमे | द्वि-पात् | त्रि-पादम् | अभि | एति | पश्चात् | चतुः-पात् | एति | द्वि-पदाम् | अभि-स्वरे | सम्-पश्यन् | पङ्क्तीः | उप-तिष्ठमानः // ऋ. वे. १०,११७.८ //
समौ | चित् | हस्तौ | न | समम् | विविष्टः | सम्-मातरा | चित् | न | समम् | दुहातेइति | यमयोः | चित् | न | समा | वीर्याणि | ज्ञाती इति | चित् | सन्तौ | न | समम् | पृणीतः // ऋ. वे. १०,११७.९ //
//२३//.

-ऋ. वे. ८:६/२४-
(ऋ. वे. १०,११८)
अग्ने | हंसि | नि | अत्रिणम् | दीद्यत् | मर्त्येषु | आ | स्वे | क्षये | शुचि-व्रत // ऋ. वे. १०,११८.१ //
उत् | तिष्ठसि | सु-आहुतः | घृतानि | प्रति | मोदसे | यत् | त्वा | स्रुचः | सम्-अस्थिरन् // ऋ. वे. १०,११८.२ //
सः | आहुतः | वि | रोचते | अग्निः | ईऌएन्यः | गिरा | स्रुचा | प्रतीकम् | अज्यते // ऋ. वे. १०,११८.३ //
घृतेन | अग्निः | सम् | अज्यते | मधु-प्रतीकः | आहुतः | रोचमानः | विभावसुः // ऋ. वे. १०,११८.४ //
जरमाणः | सम् | इध्यसे | देवेभ्यः | हव्य-वाहन | तम् | त्वा | हवन्त | मर्त्याः // ऋ. वे. १०,११८.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ८:६/२५-
तम् | मर्ताः | अमर्त्यम् | घृतेन | अग्निम् | सपर्यत | अदाभ्यम् | गृह-पतिम् // ऋ. वे. १०,११८.६ //
अदाभ्येन | शोचिषा | अग्ने | रक्षः | त्वम् | दह | गोपाः | ऋतस्य | दीदिहि // ऋ. वे. १०,११८.७ //
सः | त्वम् | अग्ने | प्रतीकेन | प्रति | ओष | यातु-धान्यः | उरु-क्षयेषु | दीद्यत् // ऋ. वे. १०,११८.८ //
तम् | त्वा | गीः-भिः | उरु-क्षयाः | हव्य-वाहम् | सम् | ईधिरे | यजिष्ठम् | मानुषे | जने // ऋ. वे. १०,११८.९ //
//२५//.

-ऋ. वे. ८:६/२६-
(ऋ. वे. १०,११९)
इति | वै | इति | मे | मनः | गाम् | अश्वम् | सनुयाम् | इति | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.१ //
प्र | वाताः-इव | दोधतः | उत् | मा | पीताः | अयंसत | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.२ //
उत् | मा | पीताः | अयंसत | रथम् | अश्वाः-इव | आशवः | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.३ //
उप | मा | मतिः | अस्थित | वाश्रा | पुत्रम्-इव | प्रियम् | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.४ //
अहम् | तष्टाइव | वन्धुरम् | परि | अचामि | हृदा | मतिम् | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.५ //
नहि | मे | अक्षिपत् | चन | अच्छान्त्सुः | पञ्च | कृष्टयः | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.६ //
//२६//.

-ऋ. वे. ८:६/२७-
नहि | मे | रोदसी इति | उभे इति | अन्यम् | पक्षम् | चन | प्रति | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.७ //
अभि | द्याम् | महिना | भुवम् | अभि | इमाम् | पृथिवीम् | महीम् | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.८ //
हन्त | अहम् | पृथिवीम् | इमाम् | नि | दधानि | इह | वा | इह | वा | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.९ //
ओषम् | इत् | पृथिवीम् | अहम् | जङ्घनानि | इह | वा | इह | वा | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.१० //
दिवि | मे | अन्यः | पक्षः | अधः | अन्यम् | अचीकृषम् | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.११ //
अहम् | अस्मि | महामहः | / अभि-नभ्यम् | उत्-आषितः | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.१२ //
गृहः | यामि | अरम्-कृतः | देवेभ्यः | हव्य-वाहनः | कुवित् | सोमस्य | अपाम् | इति // ऋ. वे. १०,११९.१३ //
//२७//.



-ऋ. वे. ८:७/१-
(ऋ. वे. १०,१२०)
तत् | इत् | आस | भुवनेषु | ज्येष्ठम् | यतः | जज्ञे | उग्रः | त्वेष-नृम्णः | सद्यः | जज्ञानः | नि | रिणाति | शत्रून् | अनु | यम् | विश्वे | मदन्ति | ऊमाः // ऋ. वे. १०,१२०.१ //
ववृधानः | शवसा | भूरि-ओजाः | शत्रुः | दासाय | भियसम् | दधाति | अवि-अनत् | च | वि-अनत् | च | सस्नि | सम् | ते | नवन्त | प्र-भृता | मदेषु // ऋ. वे. १०,१२०.२ //
त्वे इति | क्रतुम् | अपि | वृञ्जन्ति | विश्वे | द्विः | यत् | एते | त्रिः | भवन्ति | ऊमाः | स्वादोः | स्वादीयः | स्वादुना | सृज | सम् | अदः | सु | मधु | मधुना | अभि | योधीः // ऋ. वे. १०,१२०.३ //
इति | चित् | हि | त्वा | धना | जयन्तम् | मदे--मदे | अनु-मदन्ति | विप्राः | ओजीयः | धृष्णो इति | स्थिरम् | आ | तनुष्व | मा | त्वा | दभन् | यातु-धानाः | दुः-एवाः // ऋ. वे. १०,१२०.४ //
त्वया | वयम् | शाशद्महे | रणेषु | प्र-पश्यन्तः | युधेन्यानि | भूरि | चोदयामि | ते | आयुधा | वचः-भिः | सम् | ते | शिशामि | ब्रह्मणा | वयांसि // ऋ. वे. १०,१२०.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ८:७/२-
स्तुषेय्यम् | पुरु-वर्पसम् | ऋभ्वम् | इन-तमम् | आप्त्यम् | आप्त्यानाम् | आ | दर्षते | शवसा | सप्त | दानून् | प्र | साक्षते | प्रति-मानानि | भूरि // ऋ. वे. १०,१२०.६ //
नि | तत् | दधिषे | अवरम् | परम् | च | यस्मिन् | आविथ | अवसा | दुरोणे | आ | मातरा | स्थापयसे | जिगत्नू इति | अतः | इनोषि | कर्वरा | पुरूणि // ऋ. वे. १०,१२०.७ //
इमा | ब्रह्म | बृहत्-दिवः | विवक्ति | इन्द्राय | शूषम् | अग्रियः | स्वः-साः | महः | गोत्रस्य | क्षयति | स्व-राजः | दुरः | च | विश्वाः | अवृणोत् | अप | स्वाः // ऋ. वे. १०,१२०.८ //
एव | महान् | बृहत्-दिवः | अथर्वा | अवोचत् | स्वाम् | तन्वम् | इन्द्रम् | एव | स्वसारः | मातरिभ्वरीः | अरिप्राः | हिन्वन्ति | च | शवसा | वर्धयन्ति च // ऋ. वे. १०,१२०.९ //
//२//.

-ऋ. वे. ८:७/३-
(ऋ. वे. १०,१२१)
हिरण्य-गर्भः | सम् | अवर्तत | अग्रे | भूतस्य | जातः | पतिः | एकः | आसीत् | सः | दाधार | पृथिवीम् | द्याम् | उत | इमाम् | कस्मै | देवाय | हविषा | विधेम // ऋ. वे. १०,१२१.१ //
यः | आत्म-दाः | बल-दाः | यस्य | विश्वे | उप-आसते | प्र-शिषम् | यस्य | देवाः | यस्य | छायाम् | ऋतम् | यस्य | मृत्युः | कस्मै | देवाय | हविषा | विधेम // ऋ. वे. १०,१२१.२ //
यः | प्राणतः | नि-मिषतः | महि-त्वा | एकः | इत् | राजा | जगतः | बभूव | यः | ईशे | अस्य | द्वि-पदः | चतुः-पदः | कस्मै | देवाय | हविषा | विधेम // ऋ. वे. १०,१२१.३ //
यस्य | इमे | हिम-वन्तः | महि-त्वा | यस्य | समुद्रम् | रसया | सह | आहुः | यस्य | इमाः | प्र-दिशः | यस्य | बाहू इति | कस्मै | देवाय | हविषा | विधेम // ऋ. वे. १०,१२१.४ //
येन | द्यौः | उग्रा | पृथिवी | च | दृऌहा | येन | स्वर् इति स्वः | स्तभितम् | येन | नाकः | यः | अन्तरिक्षे | रजसः | वि-मानः | कस्मै | देवाय | हविषा | विधेम // ऋ. वे. १०,१२१.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ८:७/४-
यम् | क्रन्दसी इति | अवसा | तस्तभाने इति | अभि | ऐक्षेताम् | मनसा | रेजमाने | यत्र | अधि | सूरः | उत्-इतः | वि-भाति | कस्मै | देवाय | हविषा | विधेम // ऋ. वे. १०,१२१.६ //
आपः | ह | यत् | बृहतीः | विश्वम् | आयन् | गर्भम् | दधानाः | जनयन्तीः | अग्न् इम् | ततः | देवानाम् | सम् | अवर्तत | असुः | एकः | कस्मै | देवाय | हविषा | विधेम // ऋ. वे. १०,१२१.७ //
यः | चित् | आपः | महिना | परि-अपश्यत् | दक्षम् | दधानाः | जनयन्तीः | यज्ञम् | यः | देवेषु | अधि | देवः | एकः | आसीत् | कस्मै | देवाय | हविषा | विधेम // ऋ. वे. १०,१२१.८ //
मा | नः | हिंसीत् | जनिता | यः | पृथिव्याः | यः | वा | दिवम् | सत्य-धर्मा | जजान | यः | च | अपः | चन्द्राः | बृहतीः | जजान | कस्मै | देवाय | हविषा | विधेम // ऋ. वे. १०,१२१.९ //
प्रजापतेन त्वद् एतान्य् अन्यो विश्वाजतानिपरिता बभूव | यत्कामास् ते जुहुमस् तन् नोअस्तु वयं स्यामपतयो रयीणाम् // ऋ. वे. १०,१२१.१० //
//४//.

-ऋ. वे. ८:७/५-
(ऋ. वे. १०,१२२)
वसुम् | न | चित्र-महसम् | गृणीषे | वामम् | शेवम् | अतिथिम् | अद्रि-षेण्यम् | सः | रासते | शुरुधः | विश्व-धायसः | अग्निः | होता | गृह-पतिः | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. १०,१२२.१ //
जुषाणः | अग्ने | प्रति | हर्य | मे | वचः | विश्वानि | विद्वान् | वयुनानि | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | घृत-निर्निक् | ब्रह्मणे | गातुम् | आ | ईरय | तव | देवाः | अजनयन् | अनु | व्रतम् // ऋ. वे. १०,१२२.२ //
सप्त | धामानि | परि-यन् | अमर्त्यः | दाशत् | दाशुषे | सु-कृते | ममहस्व | सु-वीरेण | रयिणा | अग्ने | सु-आभुवा | यः | ते | आनट् | सम्-इधा | तम् | जुषस्व // ऋ. वे. १०,१२२.३ //
यज्ञस्य | केतुम् | प्रथमम् | पुरः-हितम् | हविष्मन्तः | ईऌअते | सप्त | वाजिनम् | शृण्वन्तम् | अग्निम् | घृत-पृष्ठम् | उक्षणम् | पृणन्तम् | देवम् | पृणते | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. १०,१२२.४ //
त्वम् | दूतः | प्रथमः | वरेण्यः | सः | हूयमानः | अमृताय | मत्स्व | त्वाम् | मर्जयन् | मरुतः | दाशुषः | गृहे | त्वाम् | स्तोमेभिः | भृगवः | वि | रिरुचुः // ऋ. वे. १०,१२२.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ८:७/६-
इषम् | दुहन् | सु-दुघाम् | विश्व-धायसम् | यज्ञ-प्रिये | यजमानाय | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | अग्रे | घृत-स्नुः | त्रिः | ऋतानि | दीद्यत् | वर्तिः | यज्ञम् | परि-यन् | सुक्रतु-यसे // ऋ. वे. १०,१२२.६ //
त्वाम् | इत् | अस्याः | उषसः | वि-उष्टिषु | दूतम् | कृण्वानाः | अयजन्त | मानुषाः | त्वाम् | देवाः | महयाय्याय | ववृधुः | आज्यम् | अग्ने | नि-मृजन्तः | अध्वरे // ऋ. वे. १०,१२२.७ //
नि | त्वा | वसिष्ठाः | अह्वन्त | वाजिनम् | गृणन्तः | अग्ने | विदथेषु | वेधसः | रायः | पोषम् | यजमानेषु | धारय | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. १०,१२२.८ //
//६//.

-ऋ. वे. ८:७/७-
(ऋ. वे. १०,१२३)
अयम् | वेनः | चोदयत् | पृश्नि-गर्भाः | ज्योतिः-जरायुः | रजसः | वि-माने | इमम् | अपाम् | सम्-गमे | सूर्यस्य | शिशुम् | न | विप्राः | मति-भिः | रिहन्ति // ऋ. वे. १०,१२३.१ //
समुद्रात् | ऊर्मिम् | उत् | इयर्ति | वेनः | नभः-जाः | पृष्ठम् | हर्यतस्य | दर्शि | ऋतस्य | सानौ | अधि | विष्टपि | भ्राट् | समानम् | योनिम् | अभि | आनूषत | व्राः // ऋ. वे. १०,१२३.२ //
समानम् | पूर्वीः | अभि | ववशानाः | तिष्ठन् | वत्सस्य | मातरः | स-नीऌआः | ऋतस्य | सानौ | अधि | चक्रमाणाः | रिहन्ति | मध्वः | अमृतस्य | वाणीः // ऋ. वे. १०,१२३.३ //
जानन्तः | रूपम् | अकृपन्त | विप्राः | मृगस्य | घोषम् | महिषस्य | हि | ग्मन् | ऋतेन | यन्तः | अधि | सिन्धुम् | अस्थुः | विदत् | गन्धर्वः | अमृतानि | नाम // ऋ. वे. १०,१२३.४ //
अप्सराः | जारम् | उप-सिष्मियाणा | योषा | बिभर्ति | परमे | वि-ओमन् | चरत् | प्रि यस्य | योनिषु | प्रियः | सन् | सीदत् | पक्षे | हिरण्यये | सः | वेनः // ऋ. वे. १०,१२३.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ८:७/८-
नाके | सु-पर्णम् | उप | यत् | पतन्तम् | हृदा | वेनन्तः | अभि | अचक्षत | त्वा | हिरण्य-पक्षम् | वरुणस्य | दूतम् | यमस्य | योनौ | शकुनम् | भुरण्युम् // ऋ. वे. १०,१२३.६ //
ऊर्ध्वः | गन्धर्वः | अधि | नाके | अस्थात् | प्रत्यङ् | चित्रा | बिभ्रत् | अस्य | आयुधानि | वसानः | अत्कम् | सु-रभिम् | दृशे | कम् | स्वः | ण | नाम | जनत | प्रियाणि // ऋ. वे. १०,१२३.७ //
द्रप्सः | समुद्रम् | अभि | यत् | जिगाति | पश्यन् | गृध्रस्य | चक्षसा | वि-धमर्न् | भानुः | शुक्रेण | शोचिषा | चकानः | तृतीये | चक्रे | रजसि | प्रियाणि // ऋ. वे. १०,१२३.८ //
//८//.

-ऋ. वे. ८:७/९-
(ऋ. वे. १०,१२४)
इमम् | नः | अग्ने | उप | यज्ञम् | आ | इहि | पञ्च-यामम् | त्रि-वृतम् | सप्त-तन्तुम् | असः | हव्य-वाट् | उत | नः | पुरः-गाः | ज्योक् | एव | दीर्घम् | तमः | आ | अशयिष्ठाः // ऋ. वे. १०,१२४.१ //
अदेवात् | देवः | प्र-चता | गुहा | यन् | प्र-पश्यमानः | अमृत-त्वम् | एमि | शि वम् | यत् | सन्तम् | अशिवः | जहामि | स्वात् | सख्यात् | अरणीम् | नाभिम् | एमि // ऋ. वे. १०,१२४.२ //
पश्यन् | अन्यस्याः | अतिथिम् | वयायाः | ऋतस्य | धाम | वि | मिमे | पुरूणि | शंसामि | पित्रे | असुराय | शेवम् | अयज्ञियात् | यज्ञियम् | भागम् | एमि // ऋ. वे. १०,१२४.३ //
बह्वीः | समाः | अकरम् | अन्तः | अस्मिन् | इन्द्रम् | वृणानः | पितरम् | जहामि | अग्निः | सोमः | वरुणः | ते | च्यवन्ते | परि-आवर्त | राष्ट्रम् | तत् | अवामि | आयन् // ऋ. वे. १०,१२४.४ //
निः-मायाः | ॐ इति | त्ये | असुराः | अभूवन् | त्वम् | च | मा | वरुण | कामयासे | ऋतेन | राजन् | अनृतम् | वि-विञ्चन् | मम | राष्ट्रस्य | अधि-पत्यम् | आ | इहि // ऋ. वे. १०,१२४.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ८:७/१०-
इदम् | स्वः | इदम् | इत् | आस | वामम् | अयम् | प्र-काशः | उरु | अन्तरिक्षम् | हनाव | वृत्रम् | निः-एहि | सोम | हविः | त्वा | सन्तम् | हविषा | यजाम // ऋ. वे. १०,१२४.६ //
कविः | कवि-त्वा | दिवि | रूपम् | आ | असजत् | अप्र-भूती | वरुणः | निः | अपः | सृजत् | क्षेमम् | कृण्वानाः | जनयः | न | सिन्धवः | ताः | अस्य | वर्णम् | शुचयः | भरिभ्रति // ऋ. वे. १०,१२४.७ //
ताः | अस्य | ज्येष्ठम् | इन्द्रियम् | सचन्ते | ताः | ईम् | आ | क्षेति | स्वधया | मदन्तीः | ताः | ईम् | विशः | न | राजानम् | वृणानाः | बीभत्सुवः | अप | वृत्रात् | अतिष्ठन् // ऋ. वे. १०,१२४.८ //
बीभत्सूनाम् | स-युजम् | हंसम् | आहुः | अपाम् | दिव्यानाम् | सख्ये | चरन्तम् | अनु-स्तुभम् | अनु | चर्चूर्यमाणम् | इन्द्रम् | नि | चिक्युः | कवयः | मनीषा // ऋ. वे. १०,१२४.९ //
//१०//.

-ऋ. वे. ८:७/११-
(ऋ. वे. १०,१२५)
अहम् | रुद्रेभिः | वसु-भिः | चरामि | अहम् | आदित्यैः | उत | विश्व-देवैः | अहम् | मित्रावरुणा | उभा | बिभर्मि | अहम् | इन्द्राग्नी इति | अहम् | अश्विना | उभा // ऋ. वे. १०,१२५.१ //
अहम् | सोमम् | आहनसम् | बिभर्मि | अहम् | त्वष्टारम् | उत | पूषणम् | भगम् | अहम् | दधामि | द्रविणम् | हविष्मते | सुप्र-अव्ये | यजमानाय | सुन्वते // ऋ. वे. १०,१२५.२ //
अहम् | राष्ट्री | सम्-गमनी | वसूनाम् | चिकितुषी | प्रथमा | यज्ञियानाम् | ताम् | मा | देवाः | वि | अदधुः | पुरु-त्रा | भूरि-स्थात्राम् | भूरि | आवेशयन्तीम् // ऋ. वे. १०,१२५.३ //
मया | सः | अन्नम् | अत्ति | यः | वि-पश्यति | यः | प्राणिति | यः | ईम् | शृणोति | उक्तम् | अमन्तवः | माम् | ते | उप | क्षियन्ति | श्रुधि | श्रुत | श्रद्धि-वम् | ते | वदाम् इ // ऋ. वे. १०,१२५.४ //
अहम् | एव | स्वयम् | इदम् | वदामि | जुष्टम् | देवेभिः | उत | मानुषेभिः | यम् | कामये | तम्-तम् | उग्रम् | कृणोमि | तम् | ब्रह्माणम् | तम् | ऋषिम् | तम् | सु-मेधाम् // ऋ. वे. १०,१२५.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ८:७/१२-
अहम् | रुद्राय | धनुः | आ | तनोमि | ब्रह्म-द्विषे | शरवे | हन्तवै | ॐ इति | अहम् | जनाय | स-मदम् | कृणोमि | अहम् | द्यावापृथिवी इति | आ | विवेश // ऋ. वे. १०,१२५.६ //
अहम् | सुवे | पितरम् | अस्य | मूर्धन् | मम | योनिः | अप्-सु | अन्तरिति | समुद्रे | ततः | वि | तिष्ठे | भुवना | अनु | विश्वा | उत | अमूम् | द्याम् | वर्ष्मणा | उप | स्पृशामि // ऋ. वे. १०,१२५.७ //
अहम् | एव | वातः-इव | प्र | वामि | आरभमाणा | भुवनानि | विश्वा | परः | दिवा | परः | एना | पृथिव्या | एतावती | महिना | सम् | बभूव // ऋ. वे. १०,१२५.८ //
//१२//.

-ऋ. वे. ८:७/१३-
(ऋ. वे. १०,१२६)
न | तम् | अंहः | न | दुः-इतम् | देवासः | अष्ट | मर्त्यम् | स-जोषसः | यम् | अर्यमा | मित्रः | नयन्ति | वरुणः | अति | द्विषः // ऋ. वे. १०,१२६.१ //
तत् | हि | वयम् | वृणीमहे | वरुण | मित्र | अर्यमन् | येन | निः | अंहसः | यूयम् | पाथ | नेथ | च | मर्त्यम् | अति | द्विषः // ऋ. वे. १०,१२६.२ //
ते | नूनम् | नः | अयम् | ऊतये | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | नयिष्ठाः | ॐ इति | नः | नेषणि | पर्षिष्ठाः | ॐ इति | नः | पर्षणि | अति | द्विषः // ऋ. वे. १०,१२६.३ //
यूयम् | विश्वम् | परि | पाथ | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | युष्माकम् | शर्मणि | प्र् इये | स्याम | सु-प्रनीतयः | अति | द्विषः // ऋ. वे. १०,१२६.४ //
आदित्यासः | अति | स्रिधः | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | उग्रम् | मरुत्-भिः | रुद्रम् | हुवेम | इन्द्रम् | अग्निम् | स्वस्तये | अति | द्विषः // ऋ. वे. १०,१२६.५ //
नेतारः | ॐ इति | सु | नः | तिरः | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | अति | विश्वानि | दुः-इता | राजानः | चर्षणीनाम् | अति | द्विषः // ऋ. वे. १०,१२६.६ //
शुनम् | अस्मभ्यम् | ऊतये | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | शर्म | यच्छन्तु | स-प्रथः | आदित्यासः | यत् | ईमहे | अति | द्विषः // ऋ. वे. १०,१२६.७ //
यथा | ह | त्यत् | वसवः | गौर्यम् | चित् | पदि | सिताम् | अमुञ्चत | यजत्राः | एवो इति | सु | अस्मत् | मुञ्चत | वि | अंहः | प्र | तारि | अग्ने | प्र-तरम् | नः | आयुः // ऋ. वे. १०,१२६.८ //
//१३//.

-ऋ. वे. ८:७/१४-
(ऋ. वे. १०,१२७)
रात्री | वि | अख्यत् | आयती | पुरु-त्रा | देवी | अक्ष-भिः | विश्वाः | अधि | श्रियः | अधि त // ऋ. वे. १०,१२७.१ //
आ | उरु | अप्राः | अमर्त्याः | नि-वतः | देवी | उत्-वतः | ज्योतिषा | बाधते | तमः // ऋ. वे. १०,१२७.२ //
निः | ॐ इति | स्वसारम् | अकृत | उषसम् | देवी | आयती | अप | इत् | ॐ इति | हासते | तमः // ऋ. वे. १०,१२७.३ //
सा | नः | अद्य | यस्याः | वयम् | नि | ते | यामन् | अविक्ष्महि | वृक्षे | न | व्चसतिम् | वयः // ऋ. वे. १०,१२७.४ //
नि | ग्रामासः | अविक्षत | नि | पत्-वन्तः | नि | पक्षिणः | नि | श्येनासः | चित् | अर्थिनः // ऋ. वे. १०,१२७.५ //
यवय | वृक्यम् | वृकम् | यवय | स्तेनम् | ऊर्म्ये | अथ | नः | सु-तरा | भव // ऋ. वे. १०,१२७.६ //
उप | मा | पेपिशत् | तमः | कृष्णम् | वि-अक्तम् | अस्थित | उषः | ऋणा-इव | यातय // ऋ. वे. १०,१२७.७ //
उप | ते | गाः-इव | अकरम् | वृणीष्व | दुहितः | दिवः | रात्रि | स्तोमम् | न | जिग्युषे // ऋ. वे. १०,१२७.८ //
//१४//.

-ऋ. वे. ८:७/१५-
(ऋ. वे. १०,१२८)
मम | अग्ने | वर्चः | वि-हवेषु | अस्तु | वयम् | त्वा | इन्धानाः | तन्वम् | पुषेम | मह्यम् | नमन्ताम् | प्र-दिशः | चतस्रः | त्वया | अधि-अक्षेण | पृतनाः | जयेम // ऋ. वे. १०,१२८.१ //
मम | देवाः | वि-हवे | सन्तु | सर्वे | इन्द्र-वन्तः | मरुतः | विष्णुः | अग्निः | मम | अन्तरिक्षम् | उरु-लोकम् | अस्तु | मह्यम् | वातः | पवताम् | कामे | अस्मिन् // ऋ. वे. १०,१२८.२ //
मयि | देवाः | द्रविणम् | आ | यजन्ताम् | मयि | आशीः | अस्तु | मयि | देव-हूतिः | दैव्याः | होतारः | वनुषन्त | पूर्वे | अरिष्टाः | स्याम | तन्वा | सु-वीराः // ऋ. वे. १०,१२८.३ //
मह्यम् | यजन्तु | मम | यानि | हव्या | आकूतिः | सत्या | मनसः | मे | अस्तु | एनः | मा | नि | गाम् | कतमत् | चन | अहम् | विश्वे | देवासः | अधि | वोचत | नः // ऋ. वे. १०,१२८.४ //
देवीः | षट् | उर्वीः | उरु | नः | कृणोत | विश्वे | देवासः | इह | वीरयध्वम् | मा | हास्महि | प्र-जया | मा | तनूभिः | मा | रधाम | द्विषते | सोम | राजन् // ऋ. वे. १०,१२८.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ८:७/१६-
अग्ने | मन्युम् | प्रति-नुदन् | परेषाम् | अदब्धः | गोपाः | परि | पाहि | नः | त्वम् | प्रत्यञ्चः | यन्तु | नि-गुतः | पुनरिति | ते | अमा | एषाम् | चित्तम् | प्र-बुधाम् | नेशत् // ऋ. वे. १०,१२८.६ //
धाता | धातॄणाम् | भुवनस्य | यः | पतिः | देवम् | त्रातारम् | अभिमाति-सहम् | इमम् | यज्ञम् | अश्विना | उभा | बृहस्पतिः | देवाः | पान्तु | यजमानम् | नि-अर्थात् // ऋ. वे. १०,१२८.७ //
उरु-व्यचाः | नः | महिषः | शर्म | यंसत् | अस्मिन् | हवे | पुरु-हूतः | पुरु-क्षुः | सः | नः | प्र-जायै | हरि-अश्व | मृऌअय | इन्द्र | मा | नः | रिरिषः | मा | परा | दाः // ऋ. वे. १०,१२८.८ //
ये | नः | स-पत्नाः | अप | ते | भवन्तु | इन्द्राग्नि-भ्याम् | अव | बाधामहे | तान् | वसवः | रुद्राः | आदित्याः | उपरि-स्पृशम् | मा | उग्रम् | चेत्तारम् | अधि-राजम् | अक्रन् // ऋ. वे. १०,१२८.९ //
//१६//.

-ऋ. वे. ८:७/१७-
(ऋ. वे. १०,१२९)
न | असत् | आसीत् | नो इति | सत् | आसीत् | तदानीम् | न | आसीत् | रजः | नो इति | वि-ओम | परः | यत् | किम् | आ | अवरीवरिति | कुह | कस्य | शर्मन् | अम्भः | किम् | आसीत् | गहनम् | गभीरम् // ऋ. वे. १०,१२९.१ //
न | मृत्युः | आसीत् | अमृतम् | न | तर्हि | न | रात्र्याः | अह्नः | आसीत् | प्र-केतः | आनीत् | अवातम् | स्वधया | तत् | एकम् | तस्मात् | ह | अन्यत् | न | परः | किम् | चन | आस // ऋ. वे. १०,१२९.२ //
तमः | आसीत् | तमसा | गूऌहम् | अग्रे | अप्र-केतम् | सलिलम् | सर्वम् | आः | इदम् | तुच्छ्येन | आभु | अपि-हितम् | यत् | आसीत् | तपसः | तत् | महिना | अजायत | एकम् // ऋ. वे. १०,१२९.३ //
कामः | तत् | अग्रे | सम् | अवर्तत | अधि | मनसः | रेतः | प्रथमम् | यत् | आसीत् | सतः | बन्धुम् | असति | निः | अविन्दन् | हृदि | प्रतीष्या | कवयः | मनीषा // ऋ. वे. १०,१२९.४ //
तिरश्चीनः | वि-ततः | रश्मिः | एषाम् | अधः | स्वित् | आसी३त् | उपरि | स्वित् | आसी३त् | रेतः-धाः | आसन् | महिमानः | आसन् | स्वधा | अवस्तात् | प्र-यतिः | परस्तात् // ऋ. वे. १०,१२९.५ //
कः | अद्धा | वेद | कः | इह | प्र | वोचत् | कुतः | आजाता | कुतः | इयम् | वि-सृष्टिः | अर्वाक् | देवाः | अस्य | वि-सर्जनेन | अथ | कः | वेद | यतः | आबभूव // ऋ. वे. १०,१२९.६ //
इयम् | वि-सृष्टिः | यतः | आबभूव | यदि | वा | दधे | यदि | वा | न | यः | अस्य | अधि-अक्षः | परमे | वि-ओमन् | सः | अङ्ग | वेद | यदि | वा | न | वेद // ऋ. वे. १०,१२९.७ //
//१७//.

-ऋ. वे. ८:७/१८-
(ऋ. वे. १०,१३०)
यः | यज्ञः | विश्वतः | तन्तु-भिः | ततः | एक-शतम् | देव-कर्मेभिः | आयतः | इमे | वयन्ति | पितरः | ये | आययुः | प्र | वय | अप | वय | इति | आसते | तते // ऋ. वे. १०,१३०.१ //
पुमान् | एनम् | तनुते | उत् | कृणत्ति | पुमान् | वि | तत्ने | अधि | नाके | अस्मिन् | इमे | मयूखाः | उप | सेदुः | ॐ इति | सदः | सामानि | चक्रुः | तसराणि | ओतवे // ऋ. वे. १०,१३०.२ //
का | आसीत् | प्र-मा | प्रति-मा | किम् | नि-दानम् | आज्यम् | किम् | आसीत् | परि-धिः | कः | आसीत् | छन्दः | किम् | आसीत् | प्रौगम् | किम् | उक्थम् | यत् | देवाः | देवम् | अयजन्त | विश्वे // ऋ. वे. १०,१३०.३ //
अग्नेः | गायत्री | अभवत् | स-युग्वा | उष्णिहया | सविता | सम् | बभूव | अनु-स्तुभा | सोमः | उक्थैः | महस्वान् | बृहस्पतेः | बृहती | वाचम् | आवत् // ऋ. वे. १०,१३०.४ //
विराट् | मित्रावरुणयोः | अभि-श्रीः | इन्द्रस्य | त्रि-स्तुप् | इह | भागः | अह्नः | विश्वान् | देवान् | जगती | आ | विवेश | तेन | चाकॢप्रे | ऋषयः | मनुष्याः // ऋ. वे. १०,१३०.५ //
चाकेप्रे | तेन | ऋषयः | मनुष्याः | यज्ञे | जाते | पितरः | नः | पुराणे | पश्यन् | मन्ये | मनसा | चक्षसा | तान् | ये | इमम् | यज्ञम् | अयजन्त | पूर्वे // ऋ. वे. १०,१३०.६ //
सह-स्तोमाः | सह-छन्दसः | आवृतः | सह-प्रमाः | ऋषयः | सप्त | दैव्याः | पूर्वेषाम् | पन्थाम् | अनु-दृश्य | धीराः | अनु-आलेभिरे | रथ्यः | न | रश्मीन् // ऋ. वे. १०,१३०.७ //
//१८//.

-ऋ. वे. ८:७/१९-
(ऋ. वे. १०,१३१)
अप | प्राचः | इन्द्र | विश्वान् | अमित्रान् | अप | अपाचः | अभि-भूते | नुदस्व | अप | उदीचः | अप | शूर | अधराचः | उरौ | यथा | तव | शर्मन् | मदेम // ऋ. वे. १०,१३१.१ //
कुवित् | अङ्ग | यव-मन्तः | यवम् | चित् | यथा | दान्ति | अनु-पूर्वम् | वि-यूय | इह-इह | एषाम् | कृणुहि | भोजनानि | ये | बर्हिषः | नमः-वृक्तिम् | न | जग्मुः // ऋ. वे. १०,१३१.२ //
नहि | स्थूरि | ऋतु-था | यातम् | अस्ति | न | उत | श्रवः | विविदे | सम्-गमेषु | गव्यन्तः | इन्द्रम् | सख्याय | विप्राः | अश्व-यन्तः | वृषणम् | वाज-यन्तः // ऋ. वे. १०,१३१.३ //
युवम् | सुरामम् | अश्विना | नमुचौ | आसुरे | सचा | वि-पिपाना | शुभः | पती इति | इन्द्रम् | कर्म-सु | आवतम् // ऋ. वे. १०,१३१.४ //
पुत्रम्-इव | पितरौ | अश्विना | उभा | इन्द्र | आवथुः | काव्यैः | दंसनाभिः | यत् | सुरामम् | वि | अपिबः | शचीभिः | सरस्वती | त्वा | मघ-वन् | अभिष्णक् // ऋ. वे. १०,१३१.५ //
इन्द्रः | सु-त्रामा | स्व-वान् | अवः-भिः | सु-मृऌईकः | भवतु | विश्व-वेदाः | बाधताम् | द्वेषः | अभयम् | कृणोतु | सु-वीर्यस्य | पतयः | स्याम // ऋ. वे. १०,१३१.६ //
तस्य | वयम् | सु-मतौ | यज्ञियस्य | अपि | भद्रे | सौमनसे | स्याम | सः | सुत्रामा | स्व-वान् | इन्द्रः | अस्मे इति | आरात् | चित् | द्वेषः | सनुत | युयोतु // ऋ. वे. १०,१३१.७ //
//१९//.

-ऋ. वे. ८:७/२०-
(ऋ. वे. १०,१३२)
ईजानम् | इत् | द्यौः | गूर्त-वसुः | ईजानम् | भूमिः | अभि | प्र-भूषणि | ईजानम् | देवौ | अश्विनौ | अभि | सुम्नैः | अवर्धताम् // ऋ. वे. १०,१३२.१ //
ता | वाम् | मित्रावरुणा | धारयत्क्षिती इतिधारयत्-क्षिती | सु-सुम्ना | इषितत्वता | यजामसि | युवोः | क्राणाय | सख्यैः | अभि | स्याम | रक्षसः // ऋ. वे. १०,१३२.२ //
अध | चित् | नु | यत् | दधिषामहे | वाम् | अभि | प्रियम् | रेक्णः | पत्यमानाः | दद्वान् | वा | यत् | पुष्यति | रेक्णः | सम् | ॐ इति | आरन् | नकिः | अस्य | मघानि // ऋ. वे. १०,१३२.३ //
असौ | अन्यः | असुर | सूयत | द्यौः | त्वम् | विश्वेषाम् | वरुण | असि | राजा | मूर्धा | रथस्य | चाकन् | न | एतावता | एनसा | अन्तक-ध्रुक् // ऋ. वे. १०,१३२.४ //
अस्मिन् | सु | एतत् | शक-पूते | एनः | हिते | मित्रे | नि-गतान् | हन्ति | वीरान् | अवोः | वा | यत् | धात् | तनूषु | अवः | प्रियासुयज्ञियास्व् अर्वा // ऋ. वे. १०,१३२.५ //
युवोः | हि | माता | अदितिः | वि-चेतसा | द्यौः | न | भूमिः | पयसा | पुपूतनि | अव | प्रिया | दिदिष्टन | सूरः | निनिक्त | रश्मि-भिः // ऋ. वे. १०,१३२.६ //
युवम् | हि | अप्न-राजौ | असीदतम् | तिष्ठत् | रथम् | न | धूः-सदम् | वन-सदम् | ताः | नः | कणूक-यन्तीः | नृ-मेधः | तत्रे | अंहसः | सु-मेधः | तत्रे | अंहसः // ऋ. वे. १०,१३२.७ //
//२०//.

-ऋ. वे. ८:७/२१-
(ऋ. वे. १०,१३३)
प्रो इति | सु | अस्मै | पुरः-रथम् | इन्द्राय | शूषम् | अर्चत | अभीके | चित् | ॐ इति | लोक-कृत् | सम्-गे | समत्-सु | वृत्र-हा | अस्माकम् | बोधि | चोदिता | नभन्ताम् | अन्यकेषाम् | ज्याकाः | अधि | धन्व-सु // ऋ. वे. १०,१३३.१ //
त्वम् | सिन्धून् | अव | असृजः | अधराचः | अहन् | अहिम् | अशत्रुः | इन्द्र | जज्ञिषे | विश्वम् | पुष्यसि | वार्यम् | तम् | त्वा | परि | स्वजामहे | नभन्ताम् | अन्यकेषाम् | ज्याकाः | अधि | धन्व-सु // ऋ. वे. १०,१३३.२ //
वि | सु | विश्वा | अरातयः | अर्यः | नशन्त | नः | धियः | अस्ता | असि | शत्रवे | वधम् | यः | नः | इन्द्र | जिघांसति | या | ते | रातिः | ददिः | वसु | नभन्ताम् | अन्यकेषाम् | ज्याकाः | अधि | धन्व-सु // ऋ. वे. १०,१३३.३ //
यः | नः | इन्द्र | अभितः | जनः | वृक-युः | आदिदेशति | अधः-पदम् | तम् | ईम् | कृधि | वि-बाधः | असि | ससहिः | नभन्ताम् | अन्यकेषाम् | ज्याकाः | अधि | धन्व-सु // ऋ. वे. १०,१३३.४ //
यः | नः | इन्द्र | अभि-दासति | स-नाभिः | यः | च | निष्ट्यः | अव | तस्य | बलम् | तिर | मही-इव | द्यौः | अध | त्मना | नभन्ताम् | अन्यकेषाम् | ज्याकाः | अधि | धन्व-सु // ऋ. वे. १०,१३३.५ //
वयम् | इन्द्र | त्वायवः | सखि-त्वम् | आ | रभामहे | ऋतस्य | नः | पथा | नयाति | विश्वानि | दुः-इता | नभन्ताम् | अन्यकेषाम् | ज्याकाः | अधि | धन्व-सु // ऋ. वे. १०,१३३.६ //
अस्मभ्यम् | सु | त्वम् | इन्द्र | ताम् | शिक्ष | या | दोहते | प्रति | वरम् | जरित्रे | अच्छ् इद्र-ऊघ्नी | पीपयत् | यथा | नः | सहस्र-धारा | पयसा | मही | गौः // ऋ. वे. १०,१३३.७ //
//२१//.

-ऋ. वे. ८:७/२२-
(ऋ. वे. १०,१३४)
उभे इति | यत् | इन्द्र | रोदसी
इति | आपप्राथ | उषाः-इव | महान्तम् | त्वा | महीनाम् | सम्-राजम् | चर्षणीनाम् | देवी | जनित्री | अजीजनत् | भद्रा | जनित्री | अजीजनत् // ऋ. वे. १०,१३४.१ //
अव | स्म | दुः-हनायतः | मर्तस्य | तनुहि | स्थिरम् | अधः-पदम् | तम् | ईम् | कृधि | यः | अस्मान् | आदिदेशति | देवी | जनित्री | अजीजनत् | भद्रा | जनित्री | अजीजनत् // ऋ. वे. १०,१३४.२ //
अव | त्याः | बृहतीः | इषः | विश्व-चन्द्राः | अमित्र-हन् | शचीभिः | शक्र | धूनुहि | इन्द्र | विश्वाभिः | ऊति-भिः | देवी | जनित्री | अजीजनत् | भद्रा | जनित्री | अजीजनत् // ऋ. वे. १०,१३४.३ //
अव | यत् | त्वम् | शत-क्रतो
इतिशत-क्रतो | इन्द्र | विश्वानि | धूनुषे | रयम् | नि | सुन्वते | सचा | सहस्रिणीभिः | ऊति-भिः | देवी | जनित्री | अजीजनत् | भद्रा | जनित्री | अजीजनत् // ऋ. वे. १०,१३४.४ //
अव | स्वेदाः-इव | अभितः | विष्वक् | पतन्तु | दिद्यवः | दूर्वायाः-इव | तन्तवः | वि | अस्मत् | एतु | दुः-मतिः | देवी | जनित्री | अजीजनत् | भद्रा | जनित्री | अजीजनत् // ऋ. वे. १०,१३४.५ //
दीर्घम् | हि | अङ्कुशम् | यथा | शक्तिम् | बिभर्षि | मन्तु-मः | पूर्वेण | मघ-वन् | पदा | अजः | वयाम् | यथा | यमः | देवी | जनित्री | अजीजनत् | भद्रा | जनित्री | अजीजनत् // ऋ. वे. १०,१३४.६ //
नकिः | देवाः | मिनीमसि | नकिः | आ | योपयामसि | मन्त्र-श्रुत्यम् | चरामसि | पक्षेभिः | अपिकक्षेभिः | अत्र | अभि | सम् | रभामहे // ऋ. वे. १०,१३४.७ //
//२२//.

-ऋ. वे. ८:७/२३-
(ऋ. वे. १०,१३५)
यस्मिन् | वृक्षे | सु-पलाशे | देवैः | सम्-पिबते | यमः | अत्र | नः | विश्पत् इः | पिता | पुराणान् | अनु | वेनति // ऋ. वे. १०,१३५.१ //
पुराणान् | अनु-वेनन्तम् | चरन्तम् | पापया | अमुया | असूयन् | अभि | अचाकशम् | तस्मै | अस्पृहयम् | पुनरिति // ऋ. वे. १०,१३५.२ //
यम् | कुमार | नवम् | रथम् | अचक्रम् | मनसा | अकृणोः | एक-ईषम् | विश्वतः | प्राञ्चम् | अपश्यन् | अधि | तिष्ठसि // ऋ. वे. १०,१३५.३ //
यम् | कुमार | प्र | अवर्तयः | रथम् | विप्रेभ्यः | परि | तम् | साम | अनु | प्र | अवर्तत | सम् | इतः | नावि | आहितम् // ऋ. वे. १०,१३५.४ //
कः | कुमारम् | अजनयत् | रथम् | कः | निः | अवर्तयत् | कः | स्वित् | तत् | अद्य | नः | ब्रूयात् | अनु-देयी | यथा | अभवत् // ऋ. वे. १०,१३५.५ //
यथा | अभवत् | अनु-देयी | ततः | अग्रम् | अजायत | पुरस्तात् | बुध्नः | आततः | पश्चात् | निः-अयनम् | कृतम् // ऋ. वे. १०,१३५.६ //
इदम् | यमस्य | सदनम् | देव-मानम् | यत् | उच्यते | इयम् | अस्य | धम्यते | नाऌईः | अयम् | गीः-भिः | परि-कृतः // ऋ. वे. १०,१३५.७ //
//२३//.

-ऋ. वे. ८:७/२४-
(ऋ. वे. १०,१३६)
केशी | अग्निम् | केशी | विषम् | केशी | बिभर्ति | रोदसी इति | केशी | विश्वम् | स्वः | दृशे | केशी | इदम् | ज्योतिः | उच्यते // ऋ. वे. १०,१३६.१ //
मुनयः | वात-रशणाः | पिशङ्गाः | वसते | मला | वातस्य | अन | ध्राजिम् | यन्ति | यत् | देवासः | अविक्षत // ऋ. वे. १०,१३६.२ //
उत्-मदिता | मौनेयेन | वातान् | आ | तस्थिम | वयम् | शरीरा | इत् | अस्माकम् | यूयम् | मर्तासः | अभि | पश्यथ // ऋ. वे. १०,१३६.३ //
अन्तरिक्षेण | पतति | विश्वा | रूपा | अव-चाकशत् | मुनिः | देवस्य-देवस्य | सौकृत्याय | सखा | हितः // ऋ. वे. १०,१३६.४ //
वातस्य् अ | अश्वः | वायोः | सखा | अथो इति | देव-इषितः | मुनिः | उभौ | समुद्रौ | आ | क्षेति | यः | च | पूर्वः | उत | अपरः // ऋ. वे. १०,१३६.५ //
अप्सरसाम् | गन्धर्वाणाम् | मृगाणाम् | चरणे | चरन् | केशी | केतस्य | विद्वान् | सखा | स्वादुः | मदिन्-तमः // ऋ. वे. १०,१३६.६ //
वायुर् | अस्मै | उप | अमन्थत् | पिनष्टि | स्म | कुनन्नमा | केशी | विषस्य | पात्रेण | यत् | रुद्रेण | अपिबत् | सह // ऋ. वे. १०,१३६.७ //
//२४//.

-ऋ. वे. ८:७/२५-
(ऋ. वे. १०,१३७)
उत | देवाः | अव-हितम् | देवाः | उत् | नयथ | पुनरिति | उत | आगः | चक्रुषम् | देवः | देवाः | जीवयथ | पुनरिति // ऋ. वे. १०,१३७.१ //
द्वौ | इमौ | वातौ | वातः | आ | सिन्धोः | आ | परावतः | दक्षम् | ते | अन्यः | आ | वातु | परा | अन्यः | वातु | यत् | रपः // ऋ. वे. १०,१३७.२ //
आ | वात | वाहि | भेषजम् | वि | वात | वाहि | यत् | रपः | त्वम् | हि | विश्व-भेषजः | देवानाम् | दूतः | ईयसे // ऋ. वे. १०,१३७.३ //
आ | त्वा | अगमम् | शन्ताति-भिः | अथो इति | अरिष्टताति-भिः | दक्षम् | ते | भद्रम् | आ | अभर्षम् | परा | यक्ष्मम् | सुवाम् इते // ऋ. वे. १०,१३७.४ //
त्रायन्ताम् | इह | देवाः | त्रायताम् | मरुताम् | गणः | त्रायन्ताम् | विश्वा | भूतानि | यथा | अयम् | अरपाः | असत् // ऋ. वे. १०,१३७.५ //
आपः | इत् | वा | ॐ इति | भेषजीः | आपः | अमीव-चातनीः | आपः | सर्वस्य | भेषजीः | ताः | ते | कृण्वन्तु | भेषजम् // ऋ. वे. १०,१३७.६ //
हस्ताभ्याम् | दश-शाखाभ्याम् | जिह्वा | वाचः | पुरः-गवी | अनामयित्नु-भ्याम् | त्वा | ताभ्याम् | त्वा | उप | स्पृशामसि // ऋ. वे. १०,१३७.७ //
//२५//.

-ऋ. वे. ८:७/२६-
(ऋ. वे. १०,१३८)
तव | त्ये | इन्द्र | सख्येषु | वह्नयः | ऋतम् | मन्वानाः | वि | अदर्दिरुः | वलम् | यत्र | दशस्यन् | उषसः | रिणन् | आपः | कुत्साय | मन्मन् | अह्यः | च | दंसयः // ऋ. वे. १०,१३८.१ //
अव | असृजः | प्र-स्वः | श्वञ्चयः | गिरीन् | उत् | आजः | उस्राः | अपिबः | मधु | प्रियम् | अवर्धयः | वनिनः | अस्य | दंससा | शुशोच | सूर्यः | ऋत-जातया | गिरा // ऋ. वे. १०,१३८.२ //
वि | सूर्यः | मध्ये | अमुचत् | रथम् | दिवः | विदत् | दासाय | प्रति-मानम् | आयर्ः | दृऌहानि | पिप्रोः | असुरस्य | मायिनः | इन्द्रः | वि | आस्यत् | चकृ-वान् | ऋजिश्वना // ऋ. वे. १०,१३८.३ //
अनाधृष्टानि | धृषितः | वि | आस्यत् | नि-धीन् | अदेवान् | अमृणत् | अयास्यः | मासाइव | सूर्यः | वसु | पुर्यम् | आ | ददे | गृणानः | शत्रून् | अशृणात् | वि-रुक्मता // ऋ. वे. १०,१३८.४ //
अयुद्ध-सेनः | वि-भ्वा | वि-भिन्दता | दाशत् | वृत्र-हा | तुज्यानि | तेजते | इन्द्रस्य | वज्रात् | अबिभेत् | अभि-श्नथः | प्र | अक्रामत् | शुन्ध्यूः | अजहात् | उषाः | अनः // ऋ. वे. १०,१३८.५ //
एता | त्या | ते | श्रुत्यानि | केवला | यत् | एकः | एकम् | अकृणोः | अयज्ञम् | मासाम् | वि-धानम् | अदधाः | अधि | द्यवि | त्वया | वि-भिन्नम् | भरति | प्र-घिम् | पिता // ऋ. वे. १०,१३८.६ //
//२६//.

-ऋ. वे. ८:७/२७-
(ऋ. वे. १०,१३९)
सूर्य-रश्मिः | हरि-केशः | पुरस्तात् | सविता | ज्योतिः | उत् | अयान् | अजस्रम् | तस्य | पूषा | प्र-सवे | याति | विद्वान् | सम्-पश्यन् | विश्वा | भुवनानि | गोपाः // ऋ. वे. १०,१३९.१ //
नृ-चक्षाः | एषः | दिवः | मध्ये | आस्ते | आपप्रि-वान् | रोदसी इति | अन्तरिक्षम् | सः | विश्वाचीः | अभि | चष्टि | घृताचीः | अन्तरा | पूर्वम् | अपरम् | च | केतुम् // ऋ. वे. १०,१३९.२ //
रायः | बुध्नः | सम्-गमनः | वसूनाम् | विश्वा | रूपा | अभि | चष्टे | शचीभिः | देवः-इव | सविता | सत्य-धर्मा | इन्द्रः | न | तस्थौ | सम्-अरे | धनानाम् // ऋ. वे. १०,१३९.३ //
विश्व-वसुम् | सोम | गन्धर्वम् | आपः | ददृशुषीः | तत् | ऋतेन | वि | आयन् | तत् | अनु-अवैत् | इन्द्रः | ररहाणः | आसाम् | परि | सूर्यस्य | परि-धीन् | अपश्यत् // ऋ. वे. १०,१३९.४ //
विश्व-वसुः | अभि | तत् | नः | गृणातु | दिव्यः | गन्धर्वः | रजसः | वि-मानः | यत् | वा | घ | सत्यम् | उत | यत् | न | विद्म | धियः | हिन्वानः | धियः | इत् | नः | अव्याः // ऋ. वे. १०,१३९.५ //
सस्निम् | अविन्दत् | चरणे | नदीनाम् | अप | अवृणोत् | दुरः | अश्म-व्रजानाम् | प्र | आसाम् | गन्धर्वः | अमृतानि | वोचत् | इन्द्रः | दक्षम् | परि | जानात् | अहीनाम् // ऋ. वे. १०,१३९.६ //
//२७//.

-ऋ. वे. ८:७/२८-
(ऋ. वे. १०,१४०)
अग्ने | तव | श्रवः | वयः | महि | भ्राजन्ते | अर्चयः | विभावसो इतिविभावसो | बृहद्भानो इतिबृहत्-भानो | शवसा | वाजम् | उक्थ्यृअम् | दधासि | दाशुषे | कवे // ऋ. वे. १०,१४०.१ //
पावक-वर्चाः | शुक्र-वर्चाः | अनून-वर्चाः | उत् | इयर्षि | भानुना | पुत्रः | मातरा | वि-चरन् | उप | अवसि | पृणक्षि | रोदसी इति | उभे इति // ऋ. वे. १०,१४०.२ //
ऊर्जः | नपात् | जात-वेदः | सुशस्ति-भिः | मन्दस्व | धीति-भिः | हितः | त्वे इति | इषः | सम् | दधुः | भूरि-वर्पसः | चित्र-ऊतयः | वाम-जाताः // ऋ. वे. १०,१४०.३ //
इरज्यन् | अग्ने | प्रथयस्व | जन्तु-भिः | अस्मे इति | रायः | अमर्त्य | सः | दर्शतस्य | वपुषः | वि | राजसि | पृणक्षि | सानसिम् | क्रतुम् // ऋ. वे. १०,१४०.४ //
इष्कर्तारम् | अध्वरस्य | प्र-चेतसम् | क्षयन्तम् | राधसः | महः | रातिम् | वामस्य | सु-भगाम् | महीम् | इषम् | दधासि | सानसिम् | रयिम् // ऋ. वे. १०,१४०.५ //
ऋत-वानम् | महिषम् | विश्व-दर्शतम् | अग्निम् | सुम्नाय | दधिरे | पुरः | जनाः | श्रुत्-कर्णम् | सप्रथः-तमम् | त्वा | गिरा | दैव्यम् | मानुषा | युगा // ऋ. वे. १०,१४०.६ //
//२८//.

-ऋ. वे. ८:७/२९-
(ऋ. वे. १०,१४१)
अग्ने | अच्छ | वद | इह | नः | प्रत्यङ् | नः | सु-मनाः | भव | प्र | नः | यच्छ | विशः | पते | धन-दाः | असि | नः | त्वम् // ऋ. वे. १०,१४१.१ //
प्र | नः | यच्छतु | अर्यमा | प्र | भगः | प्र | बृहस्पतिः | प्र | देवाः | प्र | उत | सूनृता | रायः | देवी | ददातु | नः // ऋ. वे. १०,१४१.२ //
सोमम् | राजानम् | अवसे | अग्निम् | गीः-भिः | हवामहे | आदित्यान् | विष्णुम् | सूर्यम् | ब्रह्माणम् | च | बृहस्पतिम् // ऋ. वे. १०,१४१.३ //
इन्द्रवायू इति | बृहस्पतिम् | सु-हवा | इह | हवामहे | यथा | नः | सर्वः | इत् | जनः | सम्-गत्याम् | सु-मनाः | असत् // ऋ. वे. १०,१४१.४ //
अर्यमणम् | बृहस्पतिम् | इन्द्रम् | दानाय | चोदय | वातम् | विष्णुम् | सरस्वतीम् | सवितारम् | च | वाजिनम् // ऋ. वे. १०,१४१.५ //
त्वम् | नः | अग्ने | अग्नि-भिः | ब्रह्म | यज्ञम् | च | वर्धय | त्वम् | नः | देव-तातये | रायः | दानाय | चोदय // ऋ. वे. १०,१४१.६ //
//२९//.

-ऋ. वे. ८:७/३०-
(ऋ. वे. १०,१४२)
अयम् | अग्ने | जरिता | त्वे इति | अभूत् | अपि | सहसः | सूनो इति | नहि | अन्यत् | अस्ति | आप्यम् | भद्रम् | हि | शर्म | त्रि-वराऊथम् | अस्ति | ते | आरे | हिंसानाम् | अप | दिद्युम् | आ | कृधि // ऋ. वे. १०,१४२.१ //
प्र-वत् | ते | अग्ने | जनिम | पितु-यतः | साची-इव | विश्वा | भुवना | नि | ऋञ्जसे | प्र | सप्तयः | प्र | सनिषन्त | नः | धियः | पुरः | चरन्ति | पशु-पाः-इव | त्मना // ऋ. वे. १०,१४२.२ //
उत | वा | ॐ इति | परि | वृणक्षि | बप्सत् | बहोः | अग्ने | उलपस्य | स्वधावः | उत | खिल्याः | उर्वराणाम् | भवन्ति | मा | ते | हेतिम् | तविषीम् | चुक्रुधाम // ऋ. वे. १०,१४२.३ //
यत् | उत्-वतः | नि-वतः | यासि | बप्सत् | पृथक् | एषि | प्रगर्धिनी-इव | सेना | यदा | ते | वातः | अनु-वाति | शोचिः | वप्ताइव | श्मश्रु | वपसि | प्र | भूम // ऋ. वे. १०,१४२.४ //
प्रति | अस्य | श्रेणयः | ददृश्रे | एकम् | नि-यानम् | बहवः | रथासः | बाहू इति | यत् | अग्ने | अनु-मर्मृजानः | न्यङ् | अत्तानाम् | अनु-एषि | भूमिम् // ऋ. वे. १०,१४२.५ //
उत् | ते | शुष्माः | जिहताम् | उत् | ते | अग्ने | शशमानस्य | वाजाः | उत् | श्वञ्चस्व | नि | नमः | वर्धमानः | आ | त्वा | अद्य | विश्वे | वसवः | सदन्तु // ऋ. वे. १०,१४२.६ //
अपाम् | इदम् | नि-अयनम् | समुद्रस्य | नि-वेशनम् | अन्यङ्म् | कृणुष्व | इतः | पन्थाम् | तेन | याहि | वशान् | अनु // ऋ. वे. १०,१४२.७ //
आयने | ते | परायने | दूर्वाः | रोहन्तु | पुष्पिणीः | ह्रदाः | च | पुण्डरीकाणि | समुद्रस्य | गृहाः | इमे // ऋ. वे. १०,१४२.८ //
//३०//.



-ऋ. वे. ८:८/१-
(ऋ. वे. १०,१४३)
त्यम् | चित् | अत्रिम् | ऋत-जुरम् | अर्थम् | अश्वम् | न | यातवे | कक्षीवन्तम् | यदि पुनरिति | रथम् | न | कृणुथः | नवम् // ऋ. वे. १०,१४३.१ //
त्यम् | चित् | अश्वम् | न | वाजिनम् | अरेणवः | यम् | अत्नत | दृऌहम् | ग्रन्थिम् | न | वि | स्यतम् | अत्रिम् | यविष्ठम् | आ | रजः // ऋ. वे. १०,१४३.२ //
नरा | दंसिष्ठौ | अत्रये | शुभ्रा | सिसासतम् | धियः | अथ | हि | वाम् | दिवः | नरा | पुनरिति | स्तोमः | न | विशसे // ऋ. वे. १०,१४३.३ //
चिते | तत् | वाम् | सु-राधसा | रातिः | सु-मतिः | अश्विना | आ | यत् | नः | सदने | पृथौ | समने | पर्षथः | नरा // ऋ. वे. १०,१४३.४ //
युवम् | भुज्युम् | समुद्रे | आ | रजसः | पारे | ईङ्खितम् | यातम् | अच्छ | पतत्रि-भिः | नासत्या | सातये | कृतम् // ऋ. वे. १०,१४३.५ //
आ | वाम् | सुम्नैः | शंयूइवेतिशंयू-इव | मंहिष्ठा | विश्व-वेदसा | सम् | अस्मे इति | भूषतम् | नरा | उत्सम् | न | पिप्युषीः | इषः // ऋ. वे. १०,१४३.६ //
//१//.

-ऋ. वे. ८:८/२-
(ऋ. वे. १०,१४४)
अयम् | हि | ते | अमर्त्यः | इन्दुः | अत्यः | न | पत्यते | दक्षः | विश्व-आयुः | वेधसे // ऋ. वे. १०,१४४.१ //
अयम् | अस्मासु | काव्यः | ऋभुः | वज्रः | दास्वते | अयम् | बिभर्ति | ऊर्ध्व-कृशनम् | मदम् | ऋभुः | न | कृत्व्यम् | मदम् // ऋ. वे. १०,१४४.२ //
घृषुः | श्येनाय | कृत्वने | आसु | स्वासु | वंसगः | अव | दीधेत् | अहीशुवः // ऋ. वे. १०,१४४.३ //
यम् | सु-पर्णः | परावतः | श्येनस्य | पुत्रः | आ | अभरत् | शत-चक्रम् | यः | अह्यः | वर्तनिः // ऋ. वे. १०,१४४.४ //
यम् | ते | श्येनः | चारुम् | अवृकम् | पदा | आ | अभरत् | अरुणम् | मानम् | अन्धसः | एना | वयः | वि | तारि | आयुः | जीवसे | एना | जागार | बन्धुता // ऋ. वे. १०,१४४.५ //
एव | तत् | इन्द्रः | इन्दुना | देवेषु | चित् | धारयाते | महि | त्यजः | क्रत्वा | वयः | वि | तारि | आयुः | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | क्रत्वा | अयम् | अस्मत् | आ | सुतः // ऋ. वे. १०,१४४.६ //
//२//.

-ऋ. वे. ८:८/३-
(ऋ. वे. १०,१४५)
इमाम् | खनामि | ओषधिम् | वीरुधम् | बलवत्-तमाम् | यया | स-पत्नीम् | बाधते | यया | सम्-विन्दते | पतिम् // ऋ. वे. १०,१४५.१ //
उत्तान-पर्णे | सु-भगे | देव-जूते | सहस्वति | स-पत्नीम् | मे | परा | धम | पतिम् | मे | केवलम् | कुरु // ऋ. वे. १०,१४५.२ //
उत्-तरा | अहम् | उत्-तरे | उत्-तरा | इत् | उत्-तराभ्यः | अथ | स-पत्नी | या | मम | अधरा | सा | अधराभ्यः // ऋ. वे. १०,१४५.३ //
नहि | अस्याः | नाम | गृभ्णामि | नो इति | अस्मिन् | रमते | जने | पराम् | एव | परावतम् | स-पत्नीम् | गमयामसि // ऋ. वे. १०,१४५.४ //
अहम् | अस्मि | सहमाना | अथ | त्वम् | असि | ससहिः | उभे इति | सहस्वती इति | भूत्वी | स-प्त्नीम् | मे | सहावहै // ऋ. वे. १०,१४५.५ //
उप | ते | अधाम् | सहमानाम् | अभि | त्वा | अधाम् | सहीयसा | माम् | अनु | प्र | ते | मनः | वत्सम् | गौः-इव | धावतु | पथा | वाः-इव | धावतु // ऋ. वे. १०,१४५.६ //
//३//.

-ऋ. वे. ८:८/४-
(ऋ. वे. १०,१४६)
अरण्यानि | अरण्यान्यि | असौ | या | प्र-इव | नश्यसि | कथा | ग्रामम् | न | पृच्छसि | न | त्वा | भीः-इव | विन्दतैंश्न् // ऋ. वे. १०,१४६.१ //
वृषारवाय | वदते | यत् | उप-अवति | चिच्चिकः | आघाटिभिः-इव | धावयन् | अरण्यानिः | महीयते // ऋ. वे. १०,१४६.२ //
उत | गावः-इव | अदन्ति | उत | वेश्म-इवदृश्यते | उतो इति | अरण्यानिः | सायम् | शकटीः-इव | सर्जति // ऋ. वे. १०,१४६.३ //
गाम् | अङ्ग | एषः | आ | ह्वयति | दारु | अङ्ग | एषः | अप | अवधीत् | वसन् | अरण्यान्याम् | सायम् | अक्रुक्षत् | इति | मन्यते // ऋ. वे. १०,१४६.४ //
न | वै | अरण्यानिः | हन्ति | अन्यः | च | इत् | न | अभि-गच्छति | स्वादोः | फलस्य | जग्ध्वाय | यथाकामम् | नि | पद्यते // ऋ. वे. १०,१४६.५ //
आञ्जन-गन्धिम् | सुरभिम् | बहु-अन्नाम् | अकृषि-वलाम् | प्र | अहम् | मृगाणाम् | मातरम् | अरण्यानिम् | अशंसिषम् // ऋ. वे. १०,१४६.६ //
//४//.

-ऋ. वे. ८:८/५-
(ऋ. वे. १०,१४७)
श्रत् | ते | दधामि | प्रथमाय | मन्यवे | अहन् | यत् | वृत्रम् | नर्यम् | विवेः | अपः | उभे इति | यत् | त्वा | भवतः | रोदसी इति | अनु | रेजते | शुष्मात् | पृथिवी | चित् | अद्रि-वः // ऋ. वे. १०,१४७.१ //
त्वम् | मायाभिः | अनवद्य | मायिनम् | श्रवस्यता | मनसा | वृत्रम् | अर्दय | त्वाम् | इत् | नरः | वृणते | गविष्टिषु | त्वाम् | विश्वासु | हव्यासु | इष्टिषु // ऋ. वे. १०,१४७.२ //
आ | एषु | चाकन्धि | पुरु-हूत | सूरिषु | वृधासः | ये | मघ-वन् | आनशुः | मघम् | अर्चन्ति | तोके | तनये | परिष्टिषु | मेध-साता | वाजिनम् | अह्वये | धने // ऋ. वे. १०,१४७.३ //
सः | इत् | नु | रायः | सु-भृतस्य | चाकनत् | मदम् | यः | अस्य | रंह्यम् | चिकेतति | त्वावृधः | मघ-वन् | दाशु-अध्वरः | मक्षु | सः | वाजम् | भरते | धना | नृ-भिः // ऋ. वे. १०,१४७.४ //
त्वम् | शर्धाय | महिना | गृणानः | उरु | कृधि | मघ-वन् | शग्धि | रायः | त्वम् | नः | मित्रः | वरुणः | न | मायी | पित्वः | न | दस्म | दयसे | वि-भक्ता // ऋ. वे. १०,१४७.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ८:८/६-
(ऋ. वे. १०,१४८)
सुस्वानासः | इन्द्र | स्तुमसि | त्वा | सस-वांसः | च | तुवि-नृम्ण | वाजम् | आ | नः | भर | सुवितम् | यस्य | चाकन् | त्मना | तना | सनुयाम | त्वाऊताः // ऋ. वे. १०,१४८.१ //
ऋष्वः | त्वम् | इन्द्र | शूर | जातः | दासीः | विशः | सूर्येण | सह्याः | गुहा | हितम् | गुह्यम् | गूऌहम् | अप्-सु | बिभृमसि | प्र-स्रवणे | न | सोमम् // ऋ. वे. १०,१४८.२ //
अर्यः | वा | गिरः | अभि | अर्च | विद्वान् | ऋषीणाम् | विप्रः | सु-मतिम् | चकानः | ते | स्याम | ये | रणयन्त | सोमैः | एना | उत | तुभ्यम् | रथ-ओऌह | भक्षैः // ऋ. वे. १०,१४८.३ //
इमा | ब्रह्म | इन्द्र | तुभ्यम् | शंसि | दाः | नृ-भ्यः | नृणाम् | शूर | शवः | तेभि ः | भव | स-क्रतुः | येषु | चाकन् | उत | त्रायस्व | गृणतः | उत | स्तीन् // ऋ. वे. १०,१४८.४ //
श्रुधि | हवम् | इन्द्र | शूर | पृथ्याः | उत | स्तवते | वेन्यस्य | अर्कैः | आ | यः | ते | योनिम् | घृत-वन्तम् | अस्वाः | ऊर्मिः | न | निम्नैः | द्रवयन्त | वक्वाः // ऋ. वे. १०,१४८.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ८:८/७-
(ऋ. वे. १०,१४९)
सविता | यन्त्रैः | पृथिवीम् | अरम्णात् | अस्कम्भने | सविता | द्याम् | अदृंहत् | अश्वम्-इव | अधुक्षत् | धुनिम् | अन्तरिक्षम् | अतूर्ते | बद्धम् | सविता | समुद्रम् // ऋ. वे. १०,१४९.१ //
यत्र | समुद्रः | स्कभितः | वि | औनत् | अपाम् | नपात् | सविता | तस्य | वेद | अतः | भूः | अतः | आः | उत्थितम् | रजः | अतः | द्यावापृथिवी इति | अप्रथेताम् // ऋ. वे. १०,१४९.२ //
पश्चा | इदम् | अन्यत् | अभवत् | यजत्रम् | अमर्त्यस्य | भुवनस्य | भूना | सु-पर्णः | अङ्ग | सवितुः | गरुत्मान् | पूर्वः | जातः | सः | ॐ इति | अस्य | अनु | धर्म // ऋ. वे. १०,१४९.३ //
गावः-इव | ग्रामम् | यूयुधिः-इव | अश्वान् | वाश्राइव | वत्सम् | सु-मनाः | दुहाना | पतिः-इव | जायाम् | अभि | नः | नि | एतु | धर्ता | दिवः | सविता | विश्व-वारः // ऋ. वे. १०,१४९.४ //
हिरण्य-स्तूपः | सवितः | यथा | त्वा | आङ्गिरसः | जुह्वे | वाजे | अस्मिन् | एव | त्वा | अर्चन् | अवसे | वन्दमानः | सोमस्य-इव | अंशुम् | प्रति | जागर | अहम् // ऋ. वे. १०,१४९.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ८:८/८-
(ऋ. वे. १०,१५०)
सम्-इद्धः | चित् | सम् | इध्यसे | देवेभ्यः | हव्य-वाहन् | आदित्यैः | रुद्रैः | वसु-भिः | नः | आ | गहि | मृऌईकाय | नः | आ | गहि // ऋ. वे. १०,१५०.१ //
इमम् | यज्ञम् | इदम् | वचः | जुजुषाणः | उप-आगहि | मर्तासः | त्वा | सम्-इधान | हवामहे | मृऌईकाय | हवामहे // ऋ. वे. १०,१५०.२ //
त्वाम् | ॐ इति | जात-वेदसम् | विश्व-वारम् | गृणे | धिया | अग्ने | देवान् | आ | वह | नः | प्रिय-व्रतान् | मृऌईकाय | प्रिय-व्रतान् // ऋ. वे. १०,१५०.३ //
अग्निः | देवः | देवानाम् | अभवत् | पुरः-हितः | अग्निम् | मनुष्याः | ऋषयः | सम् | ईधिरे | अग्निम् | महः | धन-सातौ | अहम् | हुवे | मृऌईकम् | धन-सातये // ऋ. वे. १०,१५०.४ //
अग्निः | अत्रिम् | भरत्-वाजम् | गविष्ठिरम् | प्र | आवत् | नः | कण्वम् | त्रसदस्युम् | आहवे | अग्निम् | वसिष्ठः | हवते | पुरः-हितः | मृऌईकाय | पुरः-हितः // ऋ. वे. १०,१५०.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ८:८/९-
(ऋ. वे. १०,१५१)
श्रद्धया | अग्निः | सम् | इध्यते | श्रद्धया | हूयते | हविः | श्रद्धाम् | भगस्य | मूर्धनि | वचसा | आ | वेदयामसि // ऋ. वे. १०,१५१.१ //
प्रियम् | श्रद्धे | ददतः | प्रियम् | श्रद्धे | दिदासतः | प्रियम् | भोजेषु | यज्वसु | इदम् | मे | उदितम् | कृधि // ऋ. वे. १०,१५१.२ //
यथा | देवाः | असुरेषु | श्रद्धाम् | उग्रेषु | चक्रिरे | एवम् | भोजेषु | यज्व-सु | अस्माकम् | उदितम् | कृधि // ऋ. वे. १०,१५१.३ //
श्रद्धाम् | देवाः | यजमानाः | वायु-गोपाः | उप | आसते | श्रद्धाम् | हृदय्यया | आकूत्या | श्रद्धया | विन्दते | वसु // ऋ. वे. १०,१५१.४ //
श्रद्धाम् | प्रातः | हवामहे | श्रद्धाम् | मध्यन्दिनम् | परि | श्रद्धाम् | सूर्यस्य | नि-म्रुचि | श्रद्धे | श्रत् | धापय | इह | नः // ऋ. वे. १०,१५१.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ८:८/१०-
(ऋ. वे. १०,१५२)
शासः | इत्था | महान् | असि | अमित्र-खादः | अद्भुतः | न | यस्य | हन्यते | सखा | न | जीयते | कदा | चन // ऋ. वे. १०,१५२.१ //
स्वस्ति-दाः | विशः | पतिः | वृत्र-हा | वि-मृधः | वशी | वृषा | इन्द्रः | पुरः | एतु | नः | सोम-पाः | अभयम्-करः // ऋ. वे. १०,१५२.२ //
वि | रक्षः | वि | मृधः | जहि | वि | वृत्रस्य | हनूइति | रुज | वि | मन्युम् | इन्द्र | वृत्र-हन् | अमित्रस्य | अभि-दासतः // ऋ. वे. १०,१५२.३ //
वि | नः | इन्द्र | मृधः | जहि | नीचा | यच्छ | पृतन्यतः | यः | अस्मान् | अभि-दासति | अधरम् | गमय | तमः // ऋ. वे. १०,१५२.४ //
अप | इन्द्र | द्विषतः | मनः | अप | जिज्यासतः | वधम् | वि | मन्योः | शर्म | यच्छ | वरीयः | यवय | वधम् // ऋ. वे. १०,१५२.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ८:८/११-
(ऋ. वे. १०,१५३)
ईङ्खयन्तीः | अपस्युवः | इन्द्रम् | जातम् | उप | आसते | भेजानासः | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. १०,१५३.१ //
त्वम् | इन्द्र | बलात् | अधि | सहसः | जातः | ओजसः | त्वव्म् | वृषन् | वृषा | इत् | असि // ऋ. वे. १०,१५३.२ //
त्वम् | इन्द्र | असि | वृत्र-हा | वि | अन्तरिक्षम् | अतिरः | उत् | द्याम् | अस्तभ्नाः | ओजसा // ऋ. वे. १०,१५३.३ //
त्वम् | इन्द्र | स-जोषसम् | अर्कम् | बिभर्षि | बाह्वोः | वज्रम् | शिशानः | ओजसा // ऋ. वे. १०,१५३.४ //
त्वम् | इन्द्र | अभि-भूः | असि | विश्वा | जातानि | ओजसा | सः | विश्वा | भुवः | आ | अभवः // ऋ. वे. १०,१५३.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ८:८/१२-
(ऋ. वे. १०,१५४)
सोमः | एकेभ्यः | पवते | घृतम् | एके | उप | आसते | येभ्यः | मधु | प्र-धावति | तान् | चित् | एव | अपि | गच्छतात् // ऋ. वे. १०,१५४.१ //
तपसा | ये | आनाधृष्याः | तपसा | ये | स्वः | ययुः | तपः | ये | चक्रिरे | महः | तान् | चित् | एव | अपि | गच्छतात् // ऋ. वे. १०,१५४.२ //
ये | युध्यन्ते | प्र-धनेषु | शूरासः | ये | तनू-त्यजः | ये | वा | सहस्र-दक्षिणाः | तान् | चित् | एव | अपि | गच्छतात् // ऋ. वे. १०,१५४.३ //
ये | चित् | पूर्वे | ऋत-सापः | ऋत-वानः | ऋता-वृधः | पितॄन् | तपस्वतः | यम | तान् | चित् | एव | अपि | गच्छतात् // ऋ. वे. १०,१५४.४ //
सहस्र-नीथाः | कवयः | ये | गोपायन्ति | सूर्यम् | ऋषीन् | तपस्वतः | यम | तपः-जान् | अपि | गच्छतात् // ऋ. वे. १०,१५४.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ८:८/१३-
(ऋ. वे. १०,१५५)
अरायि | काणे | वि-कटे | गिरिम् | गच्छ | सदान्वे | शिरिम्बिठस्य | सत्व-भिः | तेभिः | त्वा | चातयामसि // ऋ. वे. १०,१५५.१ //
चत्तो इति | इतः | चत्ता | अमुतः | सर्वा | भ्रूणान्यि | आरुषी | अराय्यम् | ब्रह्मणः | पते | तीक्ष्ण-शृङ्ग | उत्-ऋषन् | इहि // ऋ. वे. १०,१५५.२ //
अदः | यत् | दारु | प्लवते | सिन्धोः | पारे | अपुरुषम् | तत् | आ | रभस्व | दुर्हनो इतिदुः-हनो | तेन | गच्छ | परः-तरम् // ऋ. वे. १०,१५५.३ //
यत् | ह | प्राचीः | अजगन्त | उरः | मण्डूर-धाणिकीः | हताः | इन्द्रस्य | शत्रवः | सर्वे | बुद्बुद-याशवः // ऋ. वे. १०,१५५.४ //
परि | इमे | गाम् | अनेषत | परि | अग्निम् | अहृषत | देवेषु | अक्रत | श्रवः | कः | इमान् | आ | दधर्षति // ऋ. वे. १०,१५५.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ८:८/१४-
(ऋ. वे. १०,१५६)
अग्निम् | हिन्वन्तु | नः | धियः | सप्तिम् | आशुम्-इव | आजिषु | तेन | जेष्म | धनम्-धनम् // ऋ. वे. १०,१५६.१ //
यया | गाः | आकरामहे | सेनया | अग्ने | तव | ऊत्या | ताम् | नः | हिन्व | मघत्तये // ऋ. वे. १०,१५६.२ //
आ | अग्ने | स्थूरम् | रयिम् | भर | पृथुम् | गो--मन्तम् | अश्विनम् | अङ्धि | खम् | वर्तय | पणिम् // ऋ. वे. १०,१५६.३ //
अग्ने | नक्षत्रम् | अजरम् | आ | सूर्यम् | रोहयः | दिवि | दधत् | ज्योतिः | जनेभ्यः // ऋ. वे. १०,१५६.४ //
अग्ने | केतुः | विशाम् | असि | प्रेष्ठः | श्रेष्ठः | उपस्थ-सत् | बोध | स्तोत्रे | वयः | दधत् // ऋ. वे. १०,१५६.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ८:८/१५-
(ऋ. वे. १०,१५७)
इमा | नु | कम् | भुवना | सीसधाम | इन्द्रः | च | विश्वे | च | देवाः // ऋ. वे. १०,१५७.१ //
यज्ञम् | च | नः | तन्वम् | च | प्र-जाम् | च | आदित्यैः | इन्द्रः | सह | चीकॢपाति // ऋ. वे. १०,१५७.२ //
आदित्यैः | इन्द्रः | स-गणः | मरुत्-भिः | अस्माकम् | भूतु | अविता | तनूनाम् // ऋ. वे. १०,१५७.३ //
हत्वाय | देवाः | असुरान् | यत् | आयन् | देवाः | देव-त्वम् | अभि-रक्षमाणाः // ऋ. वे. १०,१५७.४ //
प्रत्यञ्चम् | अर्कम् | अनयन् | शचीभिः | आत् | इत् | स्वधाम् | इषिराम् | परि | अपश्यन् // ऋ. वे. १०,१५७.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ८:८/१६-
(ऋ. वे. १०,१५८)
सूर्यः | नः | दिवः | पातु | वातः | अन्तरिक्षात् | अग्निः | नः | पार्थिवेभ्यः // ऋ. वे. १०,१५८.१ //
जोष | सवितः | यस्य | ते | हरः | शतम् | सवान् | अर्हति | पाहि | नः | दिद्युतः | पतन्त्याः // ऋ. वे. १०,१५८.२ //
चक्षुः | नः | देवः | सविता | चक्षुः | नः | उत | पर्वतः | चक्षुः | धाता | दधातु | नः // ऋ. वे. १०,१५८.३ //
चक्षुः | नः | धेहि | चक्षुषे | चक्षुः | वि-ख्यै | तनूभ्यः | सम् | च | इदम् | वि | च | पश्येम // ऋ. वे. १०,१५८.४ //
सु-सन्दृशम् | त्वा | वयम् | प्रति | पश्येम | सूर्य | वि | पश्येम | नृ-चक्षसः // ऋ. वे. १०,१५८.५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ८:८/१७-
(ऋ. वे. १०,१५९)
उत् | असौ | सूर्यः | अगात् | उत् | अयम् | मामकः | भगः | अहम् | तत् | विद्वला | पतिम् | अभि | आसाक्षि | वि-ससहिः // ऋ. वे. १०,१५९.१ //
अहम् | केतुः | अहम् | मूर्धा | अहम् | उग्रा | वि-वाचनी | मम | इत् | अनु | क्रतुम् | पतिः | सेहानायाः | उप-आचरेत् // ऋ. वे. १०,१५९.२ //
मम | पुत्राः | शत्रु-हनः | अथो इति | मे | दुहिता | विराट् | उत | अहम् | अस्मि | सम्-जया | पत्यौ | मे | श्लोकः उत्-तमः // ऋ. वे. १०,१५९.३ //
येन | इन्द्रः | हविषा | कृत्वी | अभवत् | द्युम्नी | उत्-तमः | इदन्म् | तत् | अक्रि | देवाः | असपत्ना | किल | अभुवम् // ऋ. वे. १०,१५९.४ //
असपत्ना | सपत्न-घ्नी | जयन्ती | अभि-भूवरी | आ | अवृक्षम् | अन्यासाम् | वचर्ः | राधः | अस्थेयसाम्-इव // ऋ. वे. १०,१५९.५ //
सम् | अजैषम् | इमाः | अहम् | स-पत्नीः | अभि-भूवरी | यथा | अहम् | अस्य | वीरस्य | वि-राजानि | जनस्य | च // ऋ. वे. १०,१५९.६ //
//१७//.

-ऋ. वे. ८:८/१८-
(ऋ. वे. १०,१६०)
तीव्रस्य | अभि-वयसः | अस्य | पाहि | सर्व-रथा | वि | हरी इति | इह | मुञ्च | इन्द्र | मा | त्वा | यजमानासः | अन्ये | नि | रीरमन् | तुभ्यम् | इमे | सुतासः // ऋ. वे. १०,१६०.१ //
तुभ्यम् | सुताः | तुभ्यम् | ॐ इति | सोत्वासः | त्वाम् | गिरः | श्वात्र्याः | आ | ह्वयन्ति | इन्द्र | इदम् | अद्य | सवनम् | जुषाणः | विश्वस्य | विद्वान् | इह | पाहि | सोमम् // ऋ. वे. १०,१६०.२ //
यः | उशता | मनसा | सोमम् | अस्मै | सर्व-हृदा | देव-कामः | सुनोति | न | गाः | इन्द्रः | तस्य | परा | ददाति | प्र-शस्तम् | इत् | चारुम् | अस्मै | कृणोति // ऋ. वे. १०,१६०.३ //
अनु-स्पष्टः | भवति | एषः | अस्य | यः | अस्मै | रेवान् | न | सुनोति | सोमम् | निः | अरत्नौ | मघ-वा | तम् | दधाति | ब्रह्म-द्विषः | हन्ति | अननु-दिष्टः // ऋ. वे. १०,१६०.४ //
अश्वयन्तः | गव्यन्तः | वाजयन्तः | हवामहे | त्वा | उप-गन्तवै | ॐ इति | आभूषन्तः | ते | सु-मतौ | नवायाम् | वयम् | इन्द्र | त्वा | शुनम् | हुवेम // ऋ. वे. १०,१६०.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ८:८/१९-
(ऋ. वे. १०,१६१)
मुञ्चामि | त्वा | हविषा | जीवनाय | कम् | अज्ञात-यक्ष्मात् | उत | राज-यक्ष्मात् | ग्राहि ः | जग्राह | यदि | वा | एतत् | एनम् | तस्याः | इन्द्राग्नी इति | प्र | मुमुक्तम् | एनम् // ऋ. वे. १०,१६१.१ //
यदि | क्षित-आयुः | यदि | वा | पराइतः | यदि | मृत्योः | अन्तिकम् | नि-इतः | एव | तम् | आ | हरामि | निः-ऋतेः | उप-स्थात् | अस्पार्षम् | एनम् | शत-शारदाय // ऋ. वे. १०,१६१.२ //
सहस्र-अक्षेण | शत-शारदेन | शत-आयुषा | हविषा | आ | अहार्षम् | एनम् | शतम् | यथा | इमम् | शरदः | नयाति | इन्द्रः | विश्वस्य | दुः-इतस्य | पारम् // ऋ. वे. १०,१६१.३ //
शतम् | जीव | शरदः | वर्धमानः | शतम् | हेमन्तान् | शतम् | ॐ इति | वसन्तान् | शतम् | इन्द्राग्नी इति | सविता | बृहस्पतिः | शत-आयुषा | हविषा | इमम् | पुनः | दुः // ऋ. वे. १०,१६१.४ //
आ | अहार्षम् | त्वा | अविदम् | त्वा | पुनः | आ | अगाः | पुनः-नव | सर्व-अङ्ग | सर्वम् | ते | चक्षुः | सर्वम् | आयुः | च | ते | अविदम् // ऋ. वे. १०,१६१.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ८:८/२०-
(ऋ. वे. १०,१६२)
ब्रह्मणा | अग्निः | साम्-विदानः | रक्षः-हा | बाधताम् | इतः | अमीवा | यः | ते | गर्भम् | दुः-नामा | योनिम् | आशये // ऋ. वे. १०,१६२.१ //
यः | ते | गर्भम् | अमीवा | दुः-नामा | योनिम् | आशये | अग्निः | तम् | ब्रह्मणा | सह | निः | क्रव्य-अदम् | अनीनशत् // ऋ. वे. १०,१६२.२ //
यः | ते | हन्ति | पतयन्तम् | नि-सत्स्नुम् | यः | सरीसृपम् | जातम् | यः | ते | जिघांसति | तम् | इतः | नाशयामसि // ऋ. वे. १०,१६२.३ //
यः | ते | ऊरू इति | वि-हरति | अन्तरा | दम्पती इतिदम्-पती | शये | योनिम् | यः | अन्तः | आरेऌहि | तम् | इतः | नाशयामसि // ऋ. वे. १०,१६२.४ //
यः | त्वा | भ्राता | पतिः | भूत्वा | जारः | भूत्वा | नि-पद्यते | प्र-जाम् | यः | ते | ज् इघांसति | तम् | इतः | नाशयामसि // ऋ. वे. १०,१६२.५ //
यः | त्वा | स्वप्नेन | तमसा | मोहयित्वा | नि-पद्यते | प्र-जाम् | यः | ते | जि घांसति | तम् | इतः | नाशयामसि // ऋ. वे. १०,१६२.६ //
//२०//.

-ऋ. वे. ८:८/२१-
(ऋ. वे. १०,१६३)
अक्षीभ्याम् | ते | नासिकाभ्याम् | कर्णाभ्याम् | छुबुकात् | अधि | यक्ष्मम् | शीर्षण्यम् | मस्तिष्कात् | जिह्वायाः | वि | वृहामि | ते // ऋ. वे. १०,१६३.१ //
ग्रीवाभ्यः | ते | उष्णिहाभ्यः | कीकसाभ्यः | अनूक्यात् | यक्ष्मम् | दोषण्यम् | अंसाभ्याम् | बाहु-भ्याम् | वि | वृहामि | ते // ऋ. वे. १०,१६३.२ //
आन्त्रेभ्यः | ते | गुदाभ्यः | वनिष्ठोः | हृदयात् | अधि | यक्ष्मम् | मतस्नाभ्याम् | यक्नः | प्लाशि-भ्यः | वि | वृहामि | ते // ऋ. वे. १०,१६३.३ //
ऊरु-भ्याम् | ते | अष्ठीवत्-भ्याम् | पार्ष्णि-भ्याम् | प्र-पदाभ्याम् | यक्ष्मम् | श्रोणि-भ्य्म् | भासदात् | भंससः | वि | वृहामि | ते // ऋ. वे. १०,१६३.४ //
मेहनात् | वनम्-करणात् | लोम-भ्यः | ते | नखेभ्यः | यक्ष्मम् | सर्वस्मात् | आत्मनः | तम् | इदम् | वि | वृहामि | ते // ऋ. वे. १०,१६३.५ //
अङ्गात्-अङ्गात् | लोम्नः-लोम्नः | जातम् | पर्वणि-पर्वणि | यक्ष्मम् | सर्वस्मात् | आत्मनः | तम् | इदम् | वि | वृहामि | ते // ऋ. वे. १०,१६३.६ //
//२१//.

-ऋ. वे. ८:८/२२-
(ऋ. वे. १०,१६४)
अप | इहि | मनसः | पते | अप | क्राम | परः | चर | परः | निः-ऋत्यै | आ | चक्ष्व | बहुधा | जीवतः | मनः // ऋ. वे. १०,१६४.१ //
भद्रम् | वै | वरम् | वृणते | भद्रम् | युञ्जन्ति | दक्षिणम् | भद्रम् | वैवस्वते | चक्षुः | बहु-त्रा | जीवतः | मनः // ऋ. वे. १०,१६४.२ //
यत् | आशसा | निः-शसा | अभि-शसा | उप-आरिम | जाग्रतः | यत् | स्वपन्तः | अग्निः | विश्वानि | अप | दुः-कृतानि | अजुष्टानि | आरे | अस्मत् | दाधातु // ऋ. वे. १०,१६४.३ //
यत् | इन्द्र | ब्रह्मणः | पते | अभि-द्रोहम् | चरामसि | प्र-चेताः | नः | आङ्गिरसः | द्विषताम् | पातु | अंहसः // ऋ. वे. १०,१६४.४ //
अजैष्म | अद्य | असनाम | च | अभूम | अनागसः | वयम् | जाग्रत्-स्वप्नः | सम्-कल्पः | पापः | यम् | द्विष्मः | तम् | सः | ऋच्छतु | यः | नः | द्वेष्टि | तम् | ऋच्छतु // ऋ. वे. १०,१६४.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ८:८/२३-
(ऋ. वे. १०,१६५)
देवाः | कपोतः | इषितः | यत् | इच्छन् | दूतः | निः-ऋत्याः | इदम् | आजगाम | तस्मै | अर्चाम | कृणवाम | निः-कृतिम् | शम् | नः | अस्तु | द्वि-पदे | शम् | चतुः-पदे // ऋ. वे. १०,१६५.१ //
शिवः | कपोतः | इषितः | नः | अस्तु | अनागाः | देवाः | शकुनः | गृहेषु | अग्निः | हि | विप्रः | जुषताम् | हविः | नः | परि | हेतिः | पक्षिणी | नः | वृणक्तु // ऋ. वे. १०,१६५.२ //
हेतिः | पक्षिणी | न | दभाति | अस्मान् | आष्ट्र्याम् | पदम् | कृणुते | अग्नि-धाने | शम् | नः | गोभ्यः | च | पुरुषेभ्यः | च | अस्तु | मा | नः | हिंसीत् | इह | देवाः | कपोतः // ऋ. वे. १०,१६५.३ //
यत् | उलूकः | वदति | मोघम् | एतत् | यत् | कपोतः | पदम् | अग्नौ | कृणोति | यस्य | दूतः | प्र-हितः | एषः | एतत् | तस्मै | यमाय | नमः | अस्तु | मृत्यवे // ऋ. वे. १०,१६५.४ //
ऋचा | कपोतम् | नुदत | प्र-नोदम् | इषम् | मदन्तः | परि | गाम् | नयध्वम् | सम्-योपयन्तः | दुः-इतानि | विश्वा | हित्वा | नः | ऊर्जम् | प्र | पतात् | पतिष्ठः // ऋ. वे. १०,१६५.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ८:८/२४-
(ऋ. वे. १०,१६६)
ऋषभम् | मा | समानानाम् | स-पत्नानाम् | वि-ससहिम् | हन्तारम् | शत्रूणाम् | कृधि | वि-राजम् | गो--पतिम् | गवाम् // ऋ. वे. १०,१६६.१ //
अहम् | अस्मि | सपत्न-हा | इन्द्रः-इव | अरिष्टः | अक्षतः | अधः | स-पत्नाः | मे | पदोः | इमे | सर्वे | अभि-स्थिताः // ऋ. वे. १०,१६६.२ //
अत्र | एव | वः | अपि | नह्यामि | उभे इति | आत्नीरिवेत्यात्नीर्-इव | ज्यया | वाचः | पते | नि | सेध | इमान् | यथा | मत् | अधरम् | वदान् // ऋ. वे. १०,१६६.३ //
अभि-भूः | अहम् | आ | अगमम् | विश्व-कर्मेण | धाम्ना | आ | वः | चित्तम् | आ | वः | व्रतम् | आ | वः | अहम् | सम्-इतिम् | ददे // ऋ. वे. १०,१६६.४ //
योग-क्षेमम् | वः | आदाय | अहम् | भूयासम् | उत्-तमः | आ | वः | मूर्धानम् | अक्रमीम् | अधः-पदात् | मे | उत् | वदत | मण्डूकाः-इव | उदकात् | मण्डूकाः | उदकात्-इव // ऋ. वे. १०,१६६.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ८:८/२५-
(ऋ. वे. १०,१६७)
तुभ्य | इदम् | इन्द्र | परि | सिच्यते | मधु | त्वम् | सुतस्य | कलशस्य | राजस् इ | त्वम् | रयिम् | पुरु-वीराम् | ॐ इति | नः | कृधि | त्वम् | तपः | परि-तप्य | अजयः | [स्वर् इति]स्वः // ऋ. वे. १०,१६७.१ //
स्वः-जितम् | महि | मन्दानम् | अन्धसः | हवामहे | परि | शक्रम् | सुतान् | उप | इमम् | नः | यज्ञम् | इह | बोधि | आ | गहि | स्पृधः | जयन्तम् | मघ-वानम् | ईमहे // ऋ. वे. १०,१६७.२ //
सोमस्य | राज्ञः | वरुणस्य | धर्मणि | बृहस्पतेः | अनु-मत्याः | ॐ इति | शर्मणि | तव | अहम् | अद्य | मघ-वन् | उप-स्तुतौ | धातः | वि-धातरिति वि-धातः | कलशान् | अभक्षयम् // ऋ. वे. १०,१६७.३ //
प्र-सूतः | भक्षम् | अकरम् | चरौ | अपि | स्तोमम् | च | इमम् | प्रथमः | सूरिः | उत् | मृजे | सुते | सातेन | यदि | आ | अगमम् | वाम् | प्रति | विश्वामित्रजमदग्नी इति | दमे // ऋ. वे. १०,१६७.४ //
//२५//.

-ऋ. वे. ८:८/२६-
(ऋ. वे. १०,१६८)
वातस्य | नु | महिमानम् | रथस्य | रुजन् | एति | स्तनयन् | अस्य | घोषः | दि वि-स्पृक् | याति | अरुणानि | कृण्वन् | उतो इति | एति | पृथिव्या | रेणुम् | अस्यन् // ऋ. वे. १०,१६८.१ //
सम् | प्र | ईरते | अनु | वातस्य | वि-स्थाः | आ | एनम् | गच्छन्ति | समनम् | न | योषाः | ताभिः | स-युक् | स-रथम् | देवः | ईयते | अस्य | विश्वस्य | भुवनस्य | राजा // ऋ. वे. १०,१६८.२ //
अन्तरिक्षे | पथि-भिः | ईयमानः | न | नि | विशते | कतमत् | चन | अहरिति | अपाम् | सखा | प्रथम-जाः | ऋत-वा | क्व | स्वित् | जातः | कुतः | आ | बभूव // ऋ. वे. १०,१६८.३ //
आत्मा | देवानाम् | भुवनस्य | गर्भः | यथावशम् | चरति | देवः | एषः | घोषाः | इत् | अस्य | शृण्विरे | न | रूपम् | तस्मै | वाताय | हविषा | विधेम // ऋ. वे. १०,१६८.४ //
//२६//.

-ऋ. वे. ८:८/२७-
(ऋ. वे. १०,१६९)
मयः-भूः | वातः | अभि | वातु | उस्राः | ऊर्जस्वतीः | ओषधीः | आ | रिशन्ताम् | पीवस्वतीः | जीव-धन्याः | पिबन्तु | अवसाय | पत्-वते | रुद्र | मृऌअ // ऋ. वे. १०,१६९.१ //
याः | स-रूपाः | वि-रूपाः | एक-रूपाः | यासाम् | अग्निः | इष्ट्या | नामानि | वेद | याः | अङ्गिरसः | तपसा | इह | चक्रुः | ताभ्यः | पर्जन्य | महि | शर्म | यच्छ // ऋ. वे. १०,१६९.२ //
याः | देवेषु | तन्वम् | ऐरयन्त | यासाम् | सोमः | विश्वा | रूपाणि | वेद | ताः | अस्मभ्यम् | पयसा | पिन्वमानाः | प्रजावतीः | इन्द्र | गो--स्थे | रिरीहि // ऋ. वे. १०,१६९.३ //
प्रजापतिः | मह्यम् | एताः | रराणः | विश्वैः | देवैः | पितृ-भिः | सम्-विदानः | शिवाः | सतीः | उप | नः | गो--स्थम् | आ | अकर् इत्य् अकः | तासाम् | वयम् | प्र-जया | सम् | सदेम // ऋ. वे. १०,१६९.४ //
//२७//.

-ऋ. वे. ८:८/२८-
(ऋ. वे. १०,१७०)
वि-भ्राट् | बृहत् | पिबतु | सोम्यम् | मधु | आयुः | दधत् | यज्ञ-पतौ | अवि-हुतम् | वात-जूतः | यः | अभि-रक्षति | त्मना | प्र-जाः | पुपोष | पुरुधा | वि | राजत् इ // ऋ. वे. १०,१७०.१ //
वि-भ्राट् | बृहत् | सु-भृतम् | वाज-सातमम् | धर्मम् | दिवः | धरुणे | सत्यम् | अर्पितम् | अमित्र-हा | वृत्र-हा | दस्युहन्-तमम् | ज्योतिः | जज्ञे | असुर-हा | सपत्न-हा // ऋ. वे. १०,१७०.२ //
इदम् | श्रेष्ठम् | ज्योतिषाम् | ज्योतिः | उत्-तमम् | विश्व-जित् | धन-जित् | उच्यते | बृहत् | विश्व-भ्राट् | भ्राजः | महि | सूर्यः | दृशे | उरु | पप्रथे | सहः | ओजः | अच्युतम् // ऋ. वे. १०,१७०.३ //
वि-भ्राजम् | ज्योतिषा | स्वः | अगच्छः | रोचनम् | दिवः | येन | इमा | विश्वा | भुवनानि | आभृता | विश्व-कर्मणा | विश्वदेव्य-वता // ऋ. वे. १०,१७०.४ //
//२८//.

-ऋ. वे. ८:८/२९-
(ऋ. वे. १०,१७१)
त्वम् | त्यम् | इटतः | रथम् | इन्द्र | प्र | आवः | सुत-वतः | अशृणोः | सोमिन | हवम् // ऋ. वे. १०,१७१.१ //
त्वम् | मखस्य | दोधतः | शिरः | अव | त्वचः | भरः | अगच्छः | सोमिनः | गृहम् // ऋ. वे. १०,१७१.२ //
त्वम् | त्यम् | इन्द्र | मर्त्यम् | आस्त्र-बुध्नाय | वेन्यम् | मुहुः | श्रथ्नाः | मनस्यवे // ऋ. वे. १०,१७१.३ //
त्वम् | त्यम् | इन्द्र | सूर्यम् | पश्चा | सन्तम् | पुरः | कृधि | देवानाम् | चित् | तिरः | वशम् // ऋ. वे. १०,१७१.४ //
//२९//.

-ऋ. वे. ८:८/३०-
(ऋ. वे. १०,१७२)
आ | याहि | वनसा | सह | गावः | सचन्त | वर्तनिम् | यत् | ऊध-भिः // ऋ. वे. १०,१७२.१ //
आ | याहि | वस्व्या | धिया | मंहिष्ठः | जारयत्-मखः | सुदानु-भिः // ऋ. वे. १०,१७२.२ //
पितु-भृतः | न | तन्तुम् | इत् | सु-दानवः | प्रति | दध्मः | यजामसि // ऋ. वे. १०,१७२.३ //
उषाः | अप | स्वसुः | तमः | सम् | वर्तयति | वर्तनिम् | सु-जातता // ऋ. वे. १०,१७२.४ //
//३०//.

-ऋ. वे. ८:८/३१-
(ऋ. वे. १०,१७३)
आ | त्वा | अहार्षम् | अन्तः | एधि | ध्रुवः | तिष्ठ | अवि-चाचलिः | विशः | त्वा | सर्वाः | वाञ्छन्तु | मा | त्वत् | राष्ट्रम् | अधि | भ्रशत् // ऋ. वे. १०,१७३.१ //
इह | एव | एधि | मा | अप | च्योष्ठाः | पर्वतः-इव | अवि-चाचलिः | इन्द्र-इव | इह | ध्रुवः | तिष्ठ | इह | राष्ट्रम् | ॐ इति | धारय // ऋ. वे. १०,१७३.२ //
इमम् | इन्द्रः | अदीधरत् | ध्रुवम् | ध्रुवेण | हविषा | तस्मै | सोमः | अधि | ब्रवत् | तस्मै | ॐ इति | ब्रह्मणः | पतिः // ऋ. वे. १०,१७३.३ //
ध्रुवा | द्यौः | ध्रुवा | पृथिवी | ध्रुवासः | पर्वताः | इमे | ध्रुवम् | विश्वम् | इदम् | जगत् | ध्रुवः | राजा | विशाम् | अयम् // ऋ. वे. १०,१७३.४ //
ध्रुवम् | ते | राजा | वरुणः | ध्रुवम् | देवः | बृहस्पतिः | ध्रुवम् | ते | इन्द्रः | च | अग्निः | च | राष्ट्रम् | धारयताम् | ध्रुवम् // ऋ. वे. १०,१७३.५ //
ध्रुवम् | ध्रुवेण | हविषा | अभि | सोमम् | मृशामसि | अथो इति | ते | इन्द्रः | केवलीः | विशः | बलि-हृतः | करत् // ऋ. वे. १०,१७३.६ //
//३१//.

-ऋ. वे. ८:८/३२-
(ऋ. वे. १०,१७४)
अभि-वर्तेन | हविषा | येन | इन्द्रः | अभि-ववृते | तेन | अस्मान् | ब्रह्मणः | पते | अभि | राष्ट्राय | वर्तय // ऋ. वे. १०,१७४.१ //
अभि-वृत्य | स-पत्नान् | अभि | याः | नः | अरातयः | अभि | पृतन्यन्तम् | तिष्ठ | अभि | यः | नः | इरस्यति // ऋ. वे. १०,१७४.२ //
अभि | त्वा | देवः | सविता | अभि | सोमः | अवीवृतत् | अभि | त्वा | विश्वा | भूतानि | अभि-वर्तः | यथा | अससि // ऋ. वे. १०,१७४.३ //
येन | इन्द्रः | हविषा | कृत्वी | अभवत् | द्युम्नी | उत्-तमः | इदम् | तत् | अक्रि | देवाः | असपत्नः | किल | अभुवम् // ऋ. वे. १०,१७४.४ //
असपत्नः | सपत्न-हा | अभि-राष्ट्रः | वि-ससहिः | यथा | अहम् | एषाम् | भूतानाम् | वि-राजानि | जनस्य | च // ऋ. वे. १०,१७४.५ //
//३२//.

-ऋ. वे. ८:८/३३-
(ऋ. वे. १०,१७५)
प्र | वः | ग्रावाणः | सविता | देवः | सुवतु | धर्मणा | धूः-सु | युज्यध्वम् | सुनुत // ऋ. वे. १०,१७५.१ //
ग्रावाणः | अप | दुच्छुनाम् | अप | सेधत | दुः-मतिम् | उस्राः | कर्तन | भेषजम् // ऋ. वे. १०,१७५.२ //
ग्रावाणः | उपरेषु | आ | महीयन्ते | स-जोषसः | वृष्णे | दधतः | वृष्ण्यम् // ऋ. वे. १०,१७५.३ //
ग्रावाणः | सविता | नु | वः | देवः | सुवतु | धर्मणा | यजमानाय | सुन्वते // ऋ. वे. १०,१७५.४ //
//३३//.

-ऋ. वे. ८:८/३४-
(ऋ. वे. १०,१७६)
प्र | सूनवः | ऋभूणाम् | बृहत् | नवन्त | वृजना | क्षाम | ये | विश्व-धायसः | अश्नन् | धेनुम् | न | मातरम् // ऋ. वे. १०,१७६.१ //
प्र | देवम् | देव्या | धिया | भरत | जात-वेदसम् | हव्या | नः | वक्षत् | आनुषक् // ऋ. वे. १०,१७६.२ //
अयम् | ॐ इति | स्यः | प्र | देव-युः | होता | यज्ञाय | नीयते | रथः | न | योः | अभि-वृतः | घृणि-वान् | चेतति | त्मना // ऋ. वे. १०,१७६.३ //
अयम् | अग्निः | उरुष्यति | अमृतात्-इव | जन्मनः | सहसः | चित् | सहीयान् | देवः | जीवातवे | कृतः // ऋ. वे. १०,१७६.४ //
//३४//.

-ऋ. वे. ८:८/३५-
(ऋ. वे. १०,१७७)
पतङ्गम् | अक्तम् | असुरस्य | मायया | हृदा | पश्यन्ति | मनसा | विपः-चितः | समुद्रे | अन्तरिति | कवयः | वि | चक्षते | मरीचीनाम् पदम् इच्छन्ति वेधसः // ऋ. वे. १०,१७७.१ //
पतङ्गः | वाचम् | मनसा | बिभर्ति | तान् | गन्धर्वः | अवदत् | गर्भे | अन्तर् इति | ताम् | द्योतमानाम् | स्वर्यम् | मनीषाम् | ऋतस्य | पदे | कवयः | नि | पान्ति // ऋ. वे. १०,१७७.२ //
अपश्यम् | गोपाम् | अनि-पद्यमानम् | आ | च | परा | च | पथि-भिः | चरन्तम् | सः | सध्रीचीः | सः | विषूचीः | वसानः | आ | वरीवर्ति | भुवनेषु | अन्तरिति // ऋ. वे. १०,१७७.३ //
//३५//.

-ऋ. वे. ८:८/३६-
(ऋ. वे. १०,१७८)
त्यम् | ॐ इति | सु | वाजिनम् | देव-जूतम् | सह-वानम् | तरु-तारम् | रथानाम् | अरिष्ट-नेमिम् | पृतनाजम् | आशुम् | स्वस्तये | तार्क्ष्यम् | इह | हुवेम // ऋ. वे. १०,१७८.१ //
इन्द्रस्य-इव | रातिम् | आजोहुवानाः | स्वस्तये | नावम्-इव | आ | रुहेम | उर्वी इति | न | पृथ्वी इति | बहुलेइति | गभीरेइति | मा | वाम् | आइतौ | मा | पराइतौ | रिषाम // ऋ. वे. १०,१७८.२ //
सद्यः | चित् | यः | शवसा | पञ्च | कृष्टीः | सूर्यः-इव | ज्योतिषा | अपः | ततान | सहस्र-साः | शत-साः | अस्य | रंहिः | न | स्म | वरन्ते | युवतिम् | न | शर्याम् // ऋ. वे. १०,१७८.३ //
//३६//.

-ऋ. वे. ८:८/३७-
(ऋ. वे. १०,१७९)
उत् | तिष्ठत | अव | पश्यत | इन्द्रस्य | भागम् | ऋत्वियम् | यदि | श्रातः | जुहोतन | यदि | अश्रातः | ममत्तन // ऋ. वे. १०,१७९.१ //
शृआतम् | हविः | ओ इति | सु | इन्द्र | प्र | याहि | जगाम | सूरः | अध्वनः | वि-मध्यम् | परि | त्वा | आसते | निधि-भिः | सखायः | कुल-पाः | न | व्राज-पतिम् | चरन्तम् // ऋ. वे. १०,१७९.२ //
श्रातम् | मन्ये | ऊधनि | श्रातम् | अग्नौ | सु-श्रातम् | मन्ये | तत् | ऋतम् | नवीयः | माध्यन्दिनस्य | सवनस्य | दध्नः | पिब | इन्द्र | वज्रिन् | पुरु-कृत् | जुषाणः // ऋ. वे. १०,१७९.३ //
//३७//.

-ऋ. वे. ८:८/३८-
(ऋ. वे. १०,१८०)
प्र | ससहिषे | पुरु-हूत | शत्रून् | ज्येष्ठः | ते | शुष्मः | इह | रातिः | अस्तु | इन्द्र | आ | भर | दक्षिणेन | वसूनि | पतिः | सिन्धूनाम् | असि | रेवतीनाम् // ऋ. वे. १०,१८०.१ //
मृगः | न | भीमः | कुचरः | गिरि-स्थाः | परावतः | आ | जगन्थ | परस्याः | सृकम् | सम्-शाय | पविम् | इन्द्र | तिग्मम् | वि | शत्रून् | ताऌहि | वि | मृधः | नुदस्व // ऋ. वे. १०,१८०.२ //
इन्द्र | क्षत्रम् | अभि | वामम् | ओजः | अजायथाः | वृषभ | चर्षणीनाम् | अप | अनुदः | जनम् | अमित्र-यन्तम् | उरुम् | देवेभ्यः | अकृणोः | ॐ इति | लोकम् // ऋ. वे. १०,१८०.३ //
//३८//.

-ऋ. वे. ८:८/३९-
(ऋ. वे. १०,१८१)
प्रथः | च | यस्य | स-प्रथः | च | नाम | आनु-स्तुभस्य | हविषः | हव् इः | यत् | धातुः | द्युतानात् | सवितुः | च | विष्णोः | रथम्-तरम् | आ | जभार | वसिष्ठः // ऋ. वे. १०,१८१.१ //
अविन्दन् | ते | अति-हितम् | यत् | आसीत् | यज्ञस्य | धाम | परमम् | गुहा | यत् | धातुः | द्युतानात् | सवितुः | च | विष्णोः | भरत्-वाजः | बृहत् | आ | चक्रे | अग्नेः // ऋ. वे. १०,१८१.२ //
ते | अविन्दन् | मनसा | दीध्यानाः | यजुः | स्कन्नम् | प्रथमम् | देव-यानम् | धातुः | द्युतानात् | सवितुः | च | विष्णोः | आ | सूर्यात् | अभरन् | घर्मम् | एते // ऋ. वे. १०,१८१.३ //
//३९//.

-ऋ. वे. ८:८/४०-
(ऋ. वे. १०,१८२)
बृहस्पतिः | नयतु | दुः-गहा | तिरः | पुनः | नेषत् | अघ-शंसाय | मन्म | क्षिपत् | अशस्तिम् | अप | दुः-मतिम् | हन् | अथ | करत् | यजमानाय | शम् | योः // ऋ. वे. १०,१८२.१ //
नराशंसः | नः | अवतु | प्र-याजे | शम् | नः | अस्तु | अनु-याजः | हवेषु | क्षिपत् | अशस्तिम् | अप | दुः-मतिम् | हन् | अथ | करत् | यजमानाय | शम् | योः // ऋ. वे. १०,१८२.२ //
तपुः-मूर्धा | तपतु | रक्षसः | ये | ब्रह्म-द्विषः | शरवे | हन्तवै | ॐ इति | क्षिपत् | अशस्तिम् | अप | दुः-मतिम् | हन् | अथ | करत् | यजमानाय | शम् | योः // ऋ. वे. १०,१८२.३ //
//४०//.

-ऋ. वे. ८:८/४१-
(ऋ. वे. १०,१८३)
अपश्यम् | त्वा | मनसा | चेकितानम् | तपसः | जातम् | तपसः | वि-भूतम् | इह | प्र-जाम् | इह | रयिम् | रराणः | प्र | जायस्व | प्र-जया | पुत्र-काम // ऋ. वे. १०,१८३.१ //
अपश्यम् | त्वा | मनसा | दीध्यानाम् | स्वायाम् | तनू इति | ऋत्व्ये | नाधमानाम् | उप | माम् | उच्चा | युवतिः | बभूयाः | प्र | जायस्व | प्र-जया | पुत्र-काम // ऋ. वे. १०,१८३.२ //
अहम् | गर्भम् | अदधाम् | ओषधीषु | अहम् | विश्वेषु | भुवनेषु | अन्तरिति | अहम् | प्र-जाः | अजनयम् | पृथिव्याम् | अहम् | जनि-भ्यः | अपरीषुपुत्रान् // ऋ. वे. १०,१८३.३ //
//४१//.

-ऋ. वे. ८:८/४२-
(ऋ. वे. १०,१८४)
विष्णुः | योनिम् | कल्पयतु | त्वष्टा | रूपाणि | पिंशतु | आ | सिञ्चतु | प्रजापतिः | धाता | गर्भम् | दधातु | ते // ऋ. वे. १०,१८४.१ //
गर्भम् | धेहि | सिनीवालि | गर्भम् | धेहि | सरस्वति | गर्भम् | ते | अश्विनौ | देवौ | आ | धत्ताम् | पुष्कर-स्रजा // ऋ. वे. १०,१८४.२ //
हिरण्ययी इति | अरणी इति | यम् | निः-मन्थतः | अश्विना | तम् | ते | गर्भम् | हवामहे दशमे मासि सूतवे // ऋ. वे. १०,१८४.३ //
//४२//.

-ऋ. वे. ८:८/४३-
(ऋ. वे. १०,१८५)
महि | त्रीणाम् | अवः | अस्तु | द्युक्षम् | मित्रस्य | अर्यम्णः | दुः-आधर्षम् | वरुणस्य // ऋ. वे. १०,१८५.१ //
नहि | तेषाम् | अमा | चन | न | अध्व-सु | वारणेषु | ईशे | रिपुः | अघ-शंसः // ऋ. वे. १०,१८५.२ //
यस्मै | पुत्रासः | अदितेः | प्र | जीवसे | मर्त्याय | ज्योतिः | यच्छन्ति | अजस्रम् // ऋ. वे. १०,१८५.३ //
//४३//.

-ऋ. वे. ८:८/४४-
(ऋ. वे. १०,१८६)
वातः | आ | वातु | भेषजम् | शम्-भु | मायः-भु | नः | हृदे | प्र | नः | आयूंषि | तारिषत् // ऋ. वे. १०,१८६.१ //
उत | वात | पिता | असि | नः | उत | भ्राता | उत | नः | सखा | सः | नः | जीवातवे | कृधि // ऋ. वे. १०,१८६.२ //
यत् | अदः | वात | ते | गृहे | अमृतस्य | निधिः | हितः | ततः | नः | देहि | जीवसे // ऋ. वे. १०,१८६.३ //
//४४//.

-ऋ. वे. ८:८/४५-
(ऋ. वे. १०,१८७)
प्र | अग्नये | वाचम् | ईरय | वृषभाय | क्षितीनाम् | सः | नः | पर्षत् | अति | द्व् इषः // ऋ. वे. १०,१८७.१ //
यः | परस्याः | परावतः | तिरः | धन्व | अति-रोचते | सः | नः | पषर्त् | अति | द्विषः // ऋ. वे. १०,१८७.२ //
यः | रक्षांसि | नि-जूर्वति | वृषा | शुक्रेण | शोचिषा | सः | नः | पर्षत् | अति | द्वि षः // ऋ. वे. १०,१८७.३ //
यः | विश्वा | अभि | वि-पश्यति | भुवना | सम् | च | पश्यति | सः | नः | पषर्त् | अति | द्विषः // ऋ. वे. १०,१८७.४ //
यः | अस्य | पारे | रजसः | शुक्रः | अग्निः | अजायत | सः | नः | पर्षत् | अत् इ | द्विषः // ऋ. वे. १०,१८७.५ //
//४५//.

-ऋ. वे. ८:८/४६-
(ऋ. वे. १०,१८८)
प्र | नूनम् | जात-वेदसम् | अश्वम् | हिनोत | वाजिनम् | इदम् | नः | बर्हिः | आसदे // ऋ. वे. १०,१८८.१ //
अस्य | प्र | जात-वेदसः | विप्र-वीरस्य | मीऌहुषः | महीम् | इयर्मि | सु-स्तुतिम् // ऋ. वे. १०,१८८.२ //
याः | रुचः | जात-वेदसः | देव-त्रा | हव्य-वाहनीः | ताभिः | नः | यज्ञम् | इन्वतु // ऋ. वे. १०,१८८.३ //
//४६//.

-ऋ. वे. ८:८/४७-
(ऋ. वे. १०,१८९)
आ | अयम् | गौः | पृश्निः | अक्रमीत् | असदत् | मातरम् | पुरः | पितरम् | च | प्र-यन् | [स्वर् इति]स्वः // ऋ. वे. १०,१८९.१ //
अन्तरिति | चरति | रोचना | अस्य | प्राणात् | अप-अनती | वि | अख्यत् | महिषः | दिवम् // ऋ. वे. १०,१८९.२ //
त्रिंशत् | धाम | वि | राजति | वाक् | पतङ्गाय | धीयते | प्रति | वस्तोः | अह | द्यु-भ् इः // ऋ. वे. १०,१८९.३ //
//४७//.

-ऋ. वे. ८:८/४८-
(ऋ. वे. १०,१९०)
ऋतम् | च | सत्यम् | च | अभीद्धात् | तपसः | अधि | अजायत | ततः | रात्री | अजायत | ततः | समुद्रः | अर्णवः // ऋ. वे. १०,१९०.१ //
समुद्रात् | अर्णवात् | अधि | सव्वंत्सरः | अजायत | अहोरात्राणि | वि-दधत् | विश्वस्य | मिषतः | वशी // ऋ. वे. १०,१९०.२ //
सूर्याचन्द्रमसौ | धाता | यथापूर्वम् | अकल्पयत् | दिवम् | च | पृथिवीम् | च | अन्तरिक्षम् | अथो | स्वः // ऋ. वे. १०,१९०.३ //
//४८//.

-ऋ. वे. ८:८/४९-
(ऋ. वे. १०,१९१)
सम्-सम् | इत् | युवसे | वृषन् | अग्ने | विश्वानि | अर्यः | आ | इऌअः | पदे | सम् | इध्यसे | सः | नः | वसूनि | आ | भर // ऋ. वे. १०,१९१.१ //
सम् | गच्छध्वम् | सम् | वदध्वम् | सम् | वः | मनांसि | जानताम् | देवाः | भागम् | यथा | पूर्वे | सम्-जानानाः | उप-आसते // ऋ. वे. १०,१९१.२ //
समानः | मन्त्रः | सम्-इतिः | समानी | समानम् | मनः | सह | चित्तम् | एषाम् | समानम् | मन्त्रम् // ऋ. वे. १०,१९१.३ //
समानी | वः | आकूतिः | समाना | हृदयानि | वः | समानम् | अस्तु | वः | मनः | यथा | वः | सु-सह | असति // ऋ. वे. १०,१९१.४ //
//४९//.