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मण्डलम्-७
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-ऋ. वे. ५:१/२३-
(ऋ. वे. ७,१)
अग्निम् | नरः | दीधिति-भिः | अरण्योः | हस्त-च्युती | जनयन्त | प्र-शस्तम् | दूरे--दृशम् | गृह-पतिम् | अथर्युम् // ऋ. वे. ७,१.१ //
तम् | अग्निम् | अस्ते | वसवः | नि | ऋण्वन् | सु-प्रतिचक्षम् | अवसे | कुतः | चित् | दक्षाय्यः | यः | दमे | आस | नित्यः // ऋ. वे. ७,१.२ //
प्र-इद्धः | अग्ने | दीदिहि | पुरः | नः | अजस्रया | सूर्म्या | यविष्ठ | त्वाम् | शश्वन्तः | उप | यन्ति | वाजाः // ऋ. वे. ७,१.३ //
प्र | ते | अग्नयः | अग्नि-भ्यः | वरम् | निः | सु-वीरासः | शोशुचन्त | द्यु-मन्तः | यत्र | नरः | सम्-आसते | सु-जाताः // ऋ. वे. ७,१.४ //
दाः | नः | अग्ने | धिया | रयिम् | सु-वीरम् | सु-अपत्यम् | सहस्य | प्र-शस्तम् | न | यम् | यावा | तरति | यातु-मावान् // ऋ. वे. ७,१.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ५:१/२४-
उप | यम् | एति | युवतिः | सु-दक्षम् | दोषा | वस्तोः | हविष्मती | घृताची | उप | स्वा | एनम् | अरमतिः | वसु-युः // ऋ. वे. ७,१.६ //
विश्वाः | अग्ने | अप | दह | अरातीः | येभिः | तपः-भिः | अदहः | जरूथम् | प्र | नि-स्वरम् | चातयस्व | अमीवाम् // ऋ. वे. ७,१.७ //
आ | यः | ते | अग्ने | इधते | अनीकम् | वसिष्ठ | शुक्र | दीदि-वः | पावक | उतो इति | नः | एभिः | स्तवथैः | इह | स्याः // ऋ. वे. ७,१.८ //
वि | ये | ते | अग्ने | भेजिरे | अनीकम् | मर्ताः | नरः | पित्र्यासः | पुरु-त्रा | उतो इति | नः | एभिः | सु-मनाः | इह | स्याः // ऋ. वे. ७,१.९ //
इमे | नरः | वृत्र-हत्येषु | शूराः | विश्वाः | अदेवीः | अभि | सन्तु | मायाः | ये | मे | धियम् | पनयन्त | प्र-शस्ताम् // ऋ. वे. ७,१.१० //
//२४//.

-ऋ. वे. ५:१/२५-
मा | शूने | अग्ने | नि | सदाम | नृणाम् | मा | अशेषसः | अवीरता | परि | त्वा | प्रजावतीषु | दुर्यासु | दुर्य // ऋ. वे. ७,१.११ //
यम् | अश्वी | नित्यम् | उप-याति | यज्ञम् | प्रजावन्तम् | सु-अपत्यम् | क्षयम् | नः | स्व-जन्मना | शेषसा | ववृधानम् // ऋ. वे. ७,१.१२ //
पाहि | नः | अग्ने | रक्षसः | अजुष्टात् | पाहि | धूर्तेः | अररुषः | अघ-योः | त्वा | युजा | पृतनायून् | अभि | स्याम् // ऋ. वे. ७,१.१३ //
सः | इत् | अग्निः | अग्नीन् | अति | अस्तु | अन्यान् | यत्र | वाजी | तनयः | वीऌउ-पाणिः | सहस्र-पाथाः | अक्षरा | सम्-एति // ऋ. वे. ७,१.१४ //
सः | इत् | अग्निः | यः | वनुष्यतः | नि-पाति | सम्-एद्धारम् | अंहसः | उरुष्यात् | सु-जातासः | परि | चरन्ति | वीराः // ऋ. वे. ७,१.१५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ५:१/२६-
अयम् | सः | अग्निः | आहुतः | पुरु-त्रा | यम् | ईशानः | सम् | इत् | इन्धे | हविष्मान् | परि | यम् | एति | अध्वरेषु | होता // ऋ. वे. ७,१.१६ //
त्वे इति | अग्ने | आहवनानि | भूरि | ईशानासः | आ | जुहुयाम | नित्या | उभा | कृण्वन्तः | वहतू इति | मियेधे // ऋ. वे. ७,१.१७ //
इमो इति | अग्ने | वीत-तमानि | हव्या | अजस्रः | वक्षि | देव-तातिम् | इच्छ | प्रति | नः | ईम् | सुरभीणि | व्यन्तु // ऋ. वे. ७,१.१८ //
मा | नः | अग्ने | अवीरते | परा | दा | दुः-वाससे | अमतये | मा | नः | अस्यै | मा | नः | क्षुधे | मा | रक्षसे | ऋत-वः | मा | नः | दमे | मा | वने | आ | जुहूर्थाः // ऋ. वे. ७,१.१९ //
नु | मे | ब्रह्माणि | अग्ने | उत् | शशाधि | त्वम् | देव | मघवत्-भ्यः | सुसूदः | रातौ | स्याम | उभयासः | आ | ते | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,१.२० //
//२६//.

-ऋ. वे. ५:१/२७-
त्वम् | अग्ने | सु-हवः | रण्व-सन्दृक् | सु-दीती | सूनो इति | सहसः | दिदीहि | मा | त्वे इति | सचा | तनये | नित्ये | आ | धक् | मा | वीरः | अस्मत् | नर्यः | वि | दासीत् // ऋ. वे. ७,१.२१ //
मा | नः | अग्ने | दुः-भृतये | सचा | एषु | देव-इद्धेषु | अग्निषु | प्र | वोचः | मा | ते | अस्मान् | दुः-मतयः | भृमात् | चित् | देवस्य | सूनो इति | सहसः | नशन्त // ऋ. वे. ७,१.२२ //
सः | मर्तः | अग्ने | सु-अनीक | रेवान् | अमर्त्ये | यः | आजुहोति | हव्यम् | सः | देवता | वसु-वनिम् | दधाति | यम् | सूरिः | अर्थी | पृच्छमानः | एति // ऋ. वे. ७,१.२३ //
महः | नः | अग्ने | सुवितस्य | विद्वान् | रयिम् | सूरि-भ्यः | आ | वह | बृहन्तम् | येन | वयम् | सहसावन् | मदेम | अवि-क्षितासः | आयुषा | सु-वीराः // ऋ. वे. ७,१.२४ //
नु | मे | ब्रह्माणि | अग्ने | उत् | शशाधि | त्वम् | देव | मघवत्-भ्यः | सुसूदः | रातौ | स्याम | उभयासः | आ | ते | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,१.२५ //
//२७//.


-ऋ. वे. ५:२/१-
(ऋ. वे. ७,२)
जुषस्व | नः | सम्-इधम् | अग्ने | अद्य | शोच | बृहत् | यजतम् | धूमम् | ऋण्वन् | उप | स्पृश | दिव्यम् | सानु | स्तूपैः | सम् | रश्मि-भिः | ततनः | सूर्यस्य // ऋ. वे. ७,२.१ //
नराशंसस्य | महिमानम् | एषाम् | उप | स्तोषाम | यजतस्य | यज्ञैः | ये | सु-क्रतवः | शुचयः | धियम्-धाः | स्वदन्ति | देवाः | उभयानि | हव्या // ऋ. वे. ७,२.२ //
ईऌएन्यम् | वः | असुरम् | सु-दक्षम् | अन्तः | दूतम् | रोदसी
इति | सत्य-वाचम् | मनुष्वत् | अग्निम् | मनुना | सम्-इद्धम् | सम् | अध्वराय | सदम् | इत् | महेम // ऋ. वे. ७,२.३ //
सपर्यवः | भरमाणाः | अभि-ज्ञु | प्र | वृञ्जते | नमसा | बर्हिः | अग्नौ | आजुह्वानाः | घृत-पृष्ठम् | पृषत्-वत् | अध्वर्यवः | हविषा | मर्जयध्वम् // ऋ. वे. ७,२.४ //
सु-आध्यः | वि | दुरः | देव-यन्तः | अशिश्रयुः | रथ-युः | देव-ताता | पूर्वी इति | सिशुम् | न | मातरा | रिहाणे इति | सम् | अग्रुवः | न | समनेषु | अञ्जन् // ऋ. वे. ७,२.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ५:२/२-
उत | योषणेइति | दिव्ये इति | मही इति | नः | उषसानक्ता | सुदुघाइव | धेनुः | बर्हि-सदा | पुरुहूते इतिपुरु-हूते | मघोनी इति | आ | यज्ञिये | सुविताय | श्रयेताम् // ऋ. वे. ७,२.६ //
विप्रा | यज्ञेषु | मानुषेषु | कारू इति | मन्ये | वाम् | जात-वेदसा | यजध्यै | ऊर्ध्वम् | नः | अध्वरम् | कृतम् | हवेषु | ता | देवेषु | वनथः | वार्याणि // ऋ. वे. ७,२.७ //
आ | भारती | भरतीभिः | स-जोषाः | इऌआ | देवैः | मनुष्येभिः | अग्निः | सरस्वती | सारस्वतेभिः | अर्वाक् | तिस्रः | देवीः | बर्हिः | आ | इदम् | सदन्तु // ऋ. वे. ७,२.८ //
तत् | नः | तुरीपम् | अध | पोषयित्नु | देव | त्वष्टः | वि | रराणः | स्यस्वेति स्यस्व | यतः | वीरः | कर्मण्यः | सु-दक्षः | युक्त-ग्रावा | जायते | देव-कामः // ऋ. वे. ७,२.९ //
वनस्पते | अव | सृज | उप | देवान् | अग्निः | हविः | शमिता | सूदयाति | सः | इत् | ॐ इति | होता | सत्य-तरः | यजाति | यथा | देवानाम् | जनिमानि | वेद // ऋ. वे. ७,२.१० //
आ | याहि | अग्ने | सम्-इधानः | अर्वाङ् | इन्द्रेण | देवैः | स-रथम् | तुरेभिः | बर्हिः | नः | आस्ताम् | अदितिः | सु-पुत्रा | स्वाहा | देवाः | अमृताः | मादयन्ताम् // ऋ. वे. ७,२.११ //
//२//.

-ऋ. वे. ५:२/३-
(ऋ. वे. ७,३)
अग्निम् | वः | देवम् | अग्नि-भिः | स-जोषाः | यजिष्ठम् | दूतम् | अध्वरे | कृणुध्वम् | यः | मर्त्येषु | नि-ध्रुविः | ऋत-वा | तपुः-मूर्धा | घृत-अन्नः | पावकः // ऋ. वे. ७,३.१ //
प्रोथत् | अश्वः | न | यवसे | अविष्यन् | यदा | महः | सम्-वरणात् | वि | अस्थात् | आत् | अस्य | वातः | अनु | वाति | शोचिः | अध | स्म | ते | व्रजनम् | कृष्णम् | अस्ति // ऋ. वे. ७,३.२ //
उत् | यस्य | ते | नव-जातस्य | वृष्णः | अग्ने | चरन्ति | अजराः | इधानाः | अच्छ | द्याम् | अरुषः | धूमः | एति | सम् | दूतः | अग्ने | ईयसे | हि | देवान् // ऋ. वे. ७,३.३ //
वि | यस्य | ते | पृथिव्याम् | पाजः | अश्रेत् | तृषु | यत् | अन्ना | सम्-अवृक्त | जम्भैः | सेनाइव | सृष्टा | प्र-सितिः | ते | एति | यवम् | न | दस्म | जुह्वा | विवेक्षि // ऋ. वे. ७,३.४ //
तम् | इत् | दोषा | तम् | उषसि | यविष्ठम् | अग्निम् | अत्यम् | न | मर्जयन्त | नरः | नि-शिशानाः | अतिथिम् | अस्य | योनौ | दीदाय | शोचिः | आहुतस्य | वृष्णः // ऋ. वे. ७,३.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ५:२/४-
सु-सन्दृक् | ते | सु-अनीक | प्रतीकम् | वि | यत् | रुक्मः | न | रोचसे | उपाके | दि वः | न | ते | तन्यतुः | एति | शुष्मः | चित्रः | न | सूरः | प्रति | चक्षिभानुम् // ऋ. वे. ७,३.६ //
यथा | वः | स्वाहा | अग्नये | दाशेम | परि | इऌआभिः | घृतवत्-भिः | च | हव्यैः | तेभिः | नः | अग्ने | अमितैः | महः-भिः | शतम् | पूः-भिः | आयसीभिः | नि | पाहि // ऋ. वे. ७,३.७ //
याः | वा | ते | सन्ति | दाशुषे | अधृष्टाः | गिरः | वा | याभिः | नृ-वतीः | उरुष्याः | ताभ् इः | नः | सूनो इति | सहसः | नि | पाहि | स्मत् | सूरीन् | जरितॄन् | जात-वेदः // ऋ. वे. ७,३.८ //
निः | यत् | पूताइव | स्व-धितिः | शुचिः | गात् | स्वया | कृपा | तन्वा | रोचमानः | आ | यः | मात्रोः | उशेन्यः | जनिष्ट | देव-यज्याय | सु-क्रतुः | पावकः // ऋ. वे. ७,३.९ //
एता | नः | अग्ने | सौभगा | दिदीहि | अपि | क्रतुम् | सु-चेतसम् | वतेम | विश्वा | स्तोतृ-भ्यः | गृणते | च | सन्तु | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,३.१० //
//४//.

-ऋ. वे. ५:२/५-
(ऋ. वे. ७,४)
प्र | वः | शुक्राय | भानवे | भरध्वम् | हव्यम् | मतिम् | च | अग्नये | सु-पूतम् | यः | दैव्यानि | मानुषा | जनूंषि | अन्तः | विश्वानि | विद्मना | जिगाति // ऋ. वे. ७,४.१ //
सः | गूत्सः | अग्निः | तरुणः | चित् | अस्तु | यतः | यविष्ठः | अजनिष्ट | मातुः | सम् | यः | वना | युवते | शुचि-दम् | भूरि | चित् | अन्ना | सम् | इत् | अत्ति | सद्यः // ऋ. वे. ७,४.२ //
अस्य | देवस्य | सम्-सदि | अनीके | यम् | मर्तासः | श्येतम् | जगृभ्रे | नि | यः | गृभम् | पौरुषेयीम् | उवोच | दुः-ओकम् | अग्निः | आयवे | शुशोच // ऋ. वे. ७,४.३ //
अयम् | कविः | अकविषु | प्र-चेताः | मर्तेषु | अग्निः | अमृतः | नि | धायि | सः | मा | नः | अत्र | जुहुरः | सहस्वः | सदा | त्वे इति | सु-मनसः | स्याम // ऋ. वे. ७,४.४ //
आ | यः | योनिम् | देव-कृतम् | ससाद | क्रत्वा | हि | अग्निः | अमृतान् | अतारीत् | तम् | ओषधीः | च | वनिनः | च | गर्भम् | भूमिः | च | विश्व-धायसम् | बिभर्ति // ऋ. वे. ७,४.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ५:२/६-
ईशे | हि | अग्निः | अमृतस्य | भूरेः | ईशे | रायः | सु-वीर्यस्य | दातोः | मा | त्वा | वयम् | सहसावन् | अवीराः | मा | अप्सवः | परि | सदाम | मा | अदुवः // ऋ. वे. ७,४.६ //
परि-सद्यम् | हि | अरणस्य | रेक्णः | नित्यस्य | रायः | पतयः | स्याम | न | शेषः | अग्ने | अन्य-जातम् | अस्ति | अचेतानस्य | मा | पथः | वि | दुक्षः // ऋ. वे. ७,४.७ //
नहि | ग्रभाय | अरणः | सु-शेवः | अन्य-उदर्यः | मनसा | मन्तवै | ॐ इति | अध | चित् | ओकः | पुनः | इत् | सः | एति | आ | नः | वाजी | अभीषाट् | एतु | नव्यः // ऋ. वे. ७,४.८ //
त्वम् | अग्ने | वनुष्यतः | नि | पाहि | त्वम् | ॐ इति | नः | सहसावन् | अवद्यात् | सम् | त्वा | ध्वस्मन्-वत् | अभि | एतु | पाथः | सम् | रयिः | स्पृहयाय्यः | सहस्री // ऋ. वे. ७,४.९ //
एता | नः | अग्ने | सौभगा | दिदीहि | अपि | क्रतुम् | सु-चेतसम् | वतेम | विश्वा | स्तोतृ-भ्यः | गृणते | च | सन्तु | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,४.१० //
//६//.

-ऋ. वे. ५:२/७-
(ऋ. वे. ७,५)
प्र | अग्नये | तवसे | भरध्वम् | गिरम् | दिवः | अरतये | पृथिव्याः | यः | व् इश्वेषाम् | अमृतानाम् | उप-स्थे | वैश्वानरः | ववृधे | जागृवत्-भिः // ऋ. वे. ७,५.१ //
पृष्टः | दिवि | धायि | अग्निः | पृथिव्याम् | नेता | सिन्धूनाम् | वृषभः | स्तियानाम् | सः | मानुषीः | अभि | विशः | वि | भाति | वैश्वानरः | ववृधानः | वरेण // ऋ. वे. ७,५.२ //
त्वत् | भिया | विशः | आयन् | असिक्नीः | असमनाः | जहतीः | भोजनानि | वैश्वानर | पूरवे | शोशुचानः | पुरः | यत् | अग्ने | दरयन् | अदीदेः // ऋ. वे. ७,५.३ //
तव | त्रि-धातु | पृथिवी | उत | द्यौः | वैश्वानर | व्रतम् | अग्ने | सचन्त | त्वम् | भासा | रोदसी इति | आ | ततन्थ | अजस्रेण | शोचिषा | शोशुचानः // ऋ. वे. ७,५.४ //
त्वाम् | अग्ने | हरितः | वावशानाः | गिरः | सचन्ते | धुनयः | घृताचीः | पतिम् | कृष्टीनाम् | रथ्यम् | रयीणाम् | वैश्वानरम् | उषसाम् | केतुम् | अह्नाम् // ऋ. वे. ७,५.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ५:२/८-
त्वे इति | असुर्यम् | वसवः | नि | ऋण्वन् | क्रतुम् | हि | ते | मित्र-महः | जुषन्त | त्वम् | दस्यून् | ओकसः | अग्ने | आजः | उरु | ज्योतिः | जनयन् | आर्याय // ऋ. वे. ७,५.६ //
सः | जायमानः | परमे | वि-ओमन् | वायुः | न | पाथः | परि | पासि | सद्यः | त्वम् | भुवना | जनयन् | अभि | ऋन् | अपत्याय | जात-वेदः | दशस्यन् // ऋ. वे. ७,५.७ //
ताम् | अग्ने | अस्मे इति | इषम् | आ | ईरयस्व | वैश्वानर | द्यु-मतीम् | जात-वेदः | यया | राधः | पिन्वसि | विश्व-वार | पृथु | श्रवः | दाशुषे | मर्त्याय // ऋ. वे. ७,५.८ //
तम् | नः | अग्ने | मघवत्-भ्यः | पुरु-क्षुम् | रयिम् | नि | वाजम् | श्रुत्यम् | युवस्व | वैश्वानर | महि | नः | शर्म | यच्छ | रुद्रेभिः | अग्ने | वसु-भिः | स-जोषाः // ऋ. वे. ७,५.९ //
//८//.

-ऋ. वे. ५:२/९-
(ऋ. वे. ७,६)
प्र | सम्-राजः | असुरस्य | प्र-शस्तिम् | पुंसः | कृष्टीनाम् | अनु-माद्यस्य | इन्द्रस्य-इव | प्र | तवसः | कृतानि | वन्दे | दारुम् | वन्दमानः | विवक्मि // ऋ. वे. ७,६.१ //
कविम् | केतुम् | धासिम् | भानुम् | अद्रेः | हिन्वन्ति | शम् | राज्यम् | रोदस्योः | पुरम्-दरस्य | गीः-भिः | आ | विवासे | अग्नेः | व्रतानि | पूर्व्या | महानि // ऋ. वे. ७,६.२ //
नि | अक्रतून् | ग्रथिनः | मृध्र-वाचः | पणीन् | अश्रद्धान् | अवृधान् | अयज्ञान् | प्र-प्र | तान् | दस्यून् | अग्निः | विवाय | पूर्वः | चकार | अपरान् | अयज्यून् // ऋ. वे. ७,६.३ //
यः | अपाचीने | तमसि | मदन्तीः | प्राचीः | चकार | नृ-तमः | शचीभिः | तम् | ईशानम् | वस्वः | अग्निम् | गृणीषे | अनानतम् | दमयन्तम् | पृतन्यून् // ऋ. वे. ७,६.४ //
यः | देह्यः | अनमयत् | वध-स्नैः | यः | अर्य-पत्नीः | उषसः | चकार | सः | नि-रुध्य | नहुषः | यह्वः | अग्निः | विशः | चक्रे | बलि-हृतः | सहः-भिः // ऋ. वे. ७,६.५ //
यस्य | शर्मन् | उप | विश्वे | जनासः | एवैः | तस्थुः | सु-मतिम् | भिक्षमाणाः | वैश्वानरः | वरम् | आ | रोदस्योः | आ | अग्निः | ससाद | पित्रोः | उप-स्थम् // ऋ. वे. ७,६.६ //
आ | देवः | ददे | बुध्न्या | वसूनि | वैश्वानरः | उत्-इता | सूर्यस्य | आ | समुद्रात् | अवरात् | आ | परस्मात् | आ | अग्निः | ददे | दिवः | आ | पृथिव्याः // ऋ. वे. ७,६.७ //
//९//.

-ऋ. वे. ५:२/१०-
(ऋ. वे. ७,७)
प्र | वः | देवम् | चित् | सहसानम् | अग्निम् | अश्वम् | न | वाजिनम् | हिषे | नमः-भिः | भव | नः | दूतः | अध्वरस्य | विद्वान् | त्मना | देवेषु | विविदे | मित-दुः // ऋ. वे. ७,७.१ //
आ | याहि | अग्ने | पथ्याः | अनु | स्वाः | मन्द्रः | देवानाम् | सख्यम् | जुषाणः | आ | सानु | शुष्मैः | नदयन् | पृथिव्याः | जम्भेभिः | विश्वम् | उशधक् | वनानि // ऋ. वे. ७,७.२ //
प्राचीनः | यज्ञः | सु-धितम् | हि | बर्हिः | प्रीणीते | अग्निः | ईऌइतः | न | होता | आ | मातरा | विश्ववारेइतिविश्व-वारे | हुवानः | यतः | यविष्ठ | जज्ञिषे | सु-शेवः // ऋ. वे. ७,७.३ //
सद्यः | अध्वरे | रथिरम् | जनन्त | मानुषासः | वि-चेतसः | यः | एषाम् | विशाम् | अधायि | विश्पतिः | दुरोणे | अग्निः | मन्द्रः | मधु-वचाः | ऋत-वा // ऋ. वे. ७,७.४ //
असादि | वृतः | वह्निः | आजगन्वान् | अग्निः | ब्रह्मा | नृ-सदने | वि-धर्ता | द्यौः | च | यम् | पृथिवी | ववृधातेइति | आ | यम् | होता | यजति | विश्व-वारम् // ऋ. वे. ७,७.५ //
एते | द्युम्नेभिः | विश्वम् | आ | अतिरन्त | मन्त्रम् | ये | वा | अरम् | नर्याः | अतक्षन् | प्र | ये | विशः | तिरन्त | श्रोषमाणाः | आ | ये | मे | अस्य | दीधयन् | ऋतस्य // ऋ. वे. ७,७.६ //
नु | त्वाम् | अग्ने | ईमहे | वसिष्ठाः | ईशानम् | सूनो इति | सहसः | वसूनाम् | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | मघवत्-भ्यः | आनट् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,७.७ //
//१०//.

-ऋ. वे. ५:२/११-
(ऋ. वे. ७,८)
इन्धे | राजा | सम् | अर्यः | नमः-भिः | यस्य | प्रतीकम् | आहुतम् | घृतेन | नरः | हव्येभिः | ईऌअते | स-बाधः | आ | अग्निः | अग्रे | उषसाम् | अशोचि // ऋ. वे. ७,८.१ //
अयम् | ॐ इति | स्यः | सु-महान् | अवेदि | होता | मन्द्रः | मनुषः | यह्वः | अग्निः | वि | भाः | अकर् इत्य् अकः | ससृजानः | पृथिव्याम् | कृष्ण-पविः | ओषधीभिः | ववक्षे // ऋ. वे. ७,८.२ //
कया | नः | अग्ने | वि | वसः | सु-वृक्तिम् | काम् | ॐ इति | स्वधाम् | ऋणवः | शस्यमानः | कदा | भवेम | पतयः | सु-दत्र | रायः | वन्तारः | दुस्तरस्य | साधोः // ऋ. वे. ७,८.३ //
प्र-प्र | अयम् | अग्निः | भरतस्य | शृण्वे | वि | यत् | सूर्यः | न | रोचते | बृहत् | भाः | अभि | यः | पूरुम् | पृतनासु | तस्थौ | द्युतानः | दैव्यः | अतिथिः | शुशोच // ऋ. वे. ७,८.४ //
असन् | इत् | त्वे इति | आहवनानि | भूरि | भुवः | विश्वेभिः | सु-मनाः | अनीकैः | स्तुतः | चित् | अग्ने | शृण्विषे | गृणानः | स्वयम् | वर्धस्व | तन्वम् | सु-जात // ऋ. वे. ७,८.५ //
इदम् | वचः | शत-साः | सम्-सहस्रम् | उत् | अग्नये | जनिषीष्ट | द्वि-बहार्ः | शम् | यत् | स्तोतृ-भ्यः | आपये | भवाति | द्यु-मत् | अमीव-चातनम् | रक्षः-हा // ऋ. वे. ७,८.६ //
नु | त्वाम् | अग्ने | ईमहे | वसिष्ठाः | ईशानम् | सूनो
इति | सहसः | वसूनाम् | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | मघवत्-भ्यः | आनट् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,८.७ //
//११//.

-ऋ. वे. ५:२/१२-
(ऋ. वे. ७,९)
अबोधि | जारः | उषसाम् | उप-स्थात् | होता | मन्द्रः | कवि-तमः | पावकः | दधाति | केतुम् | उभयस्य | जन्तोः | हव्या | देवेषु | द्रविणम् सुकृत्-सु // ऋ. वे. ७,९.१ //
सः | सु-क्रतुः | यः | वि | दुरः | पणीनाम् | पुनानः | अर्कम् | पुरु-भोजसम् | नः | होता | मन्द्रः | विशाम् | दमूनाः | तिरः | तमः | ददृशे | राम्याणाम् // ऋ. वे. ७,९.२ //
अमूरः | कविः | अदितिः | विवस्वान् | सु-संसत् | मित्रः | अतिथिः | शिवः | नः | चित्र-भानुः | उषसाम् | भाति | अग्रे | अपाम् | गर्भः | प्र-स्वः | आ | विवेश // ऋ. वे. ७,९.३ //
ईऌएन्यः | वः | मनुषः | युगेषु | समन-गाः | अशुचत् | जात-वेदाः | सु-सन्दृशा | भानुना | यः | वि-भाति | प्रति | गावः | सम्-इधानम् | बुधन्त // ऋ. वे. ७,९.४ //
अग्ने | याहि | दूत्यम् | मा | रिषण्यः | देवाम् | अच्छ | ब्रह्म-कृता | गणेन | सरस्वतीम् | मरुतः | अश्विना | अपः | यक्षि | देवान् | रत्न-धेयाय | विश्वान् // ऋ. वे. ७,९.५ //
त्वाम् | अग्ने | सम्-इधानः | वसिष्ठः | जरूथम् | हन् | यक्षि | राये | पुरम्-धिम् | पुरु-नीथा | जात-वेदः | जरस्व | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,९.६ //
//१२//.

-ऋ. वे. ५:२/१३-
(ऋ. वे. ७,१०)
उषः | न | जारः | पृथु | पाजः | अश्रेत् | दविद्युतत् | दीद्यत् | शोशुचानः | वृषा | हर् इः | शुचिः | आ | भाति | भासा | धियः | हिन्वानः | उशतीः | अजीगरिति // ऋ. वे. ७,१०.१ //
स्वः | न | वस्तोः | उषसाम् | अरोचि | यज्ञम् | तन्वानाः | उशिजः | न | मन्म | अग्निः | जन्मानि | देवः | आ | वि | विद्वान् | द्रवत् | दूतः | देव-यावा | वनिष्ठः // ऋ. वे. ७,१०.२ //
अच्छ | गिरः | मतयः | देव-यन्तीः | अग्निम् | यन्ति | द्रविणम् | भिक्षमाणाः | सु-सन्दृशम् | सु-प्रतीकम् | सु-अञ्चम् | हव्य-वाहम् | अरतिम् | मानुषाणाम् // ऋ. वे. ७,१०.३ //
इन्द्रम् | नः | अग्ने | वसु-भिः | स-जोषाः | रुद्रम् | रुद्रेभिः | आ | वह | बृहन्तम् | आदित्येभिः | अदितिम् | विश्व-जन्याम् | बृहस्पतिम् | ऋक्व-भिः | विश्व-वारम् // ऋ. वे. ७,१०.४ //
मन्द्रम् | होतारम् | उशिजः | यविष्ठम् | अग्निम् | विशः | ईऌअते | अध्वरेषु | सः | हि | क्षपावान् | अभवत् | रयीणाम् | अतन्द्रः | दूतः | यजथाय | देवान् // ऋ. वे. ७,१०.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ५:२/१४-
(ऋ. वे. ७,११)
महान् | असि | अध्वरस्य | प्र-केतः | न | ऋते | त्वत् | अमृताः | मादयन्ते | आ | व् इश्वेभिः | सरथम् | याहि | देवैः | नि | अग्ने | होता | प्रथमः | सद | इह // ऋ. वे. ७,११.१ //
त्वाम् | ईऌअते | अजिरम् | दूत्याय | हविष्मन्तः | सदम् | इत् | मानुषासः | यस्य | देवैः | आ | असदः | बर्हिः | अग्ने | अहानि | अस्मै | सु-दिना | भवन्ति // ऋ. वे. ७,११.२ //
त्रिः | चित् | अक्तोः | प्र | चिकितुः | वसूनि | त्वे इति | अन्तः | दाशुषे | मर्त्याय | मनुष्वत् | अग्ने | इह | यक्षि | देवान् | भव | नः | दूतः | अभिशस्ति-पावा // ऋ. वे. ७,११.३ //
अग्निः | ईशे | बृहतः | अध्वरस्य | अग्निः | विश्वस्य | हविषः | कृतस्य | क्रतुम् | हि | अस्य | वसवः | जुषन्त | अथ | देवाः | दधिरे | हव्य-वाहम् // ऋ. वे. ७,११.४ //
आ | अग्ने | वह | हविः-अद्याय | देवान् | इन्द्र-ज्येष्ठासः | इह | मादयन्ताम् | इमम् | यज्ञम् | दिवि | देवेषु | धेहि | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,११.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ५:२/१५-
(ऋ. वे. ७,१२)
अगन्म | महा | नमसा | यविष्ठम् | यः | दीदाय | सम्-इद्धः | स्वे | दुरोणे | चि त्र-भानुम् | रोदसी इति | अन्तः | उर्वी इति | सु-आहुतम् | प्रत्यञ्चम् // ऋ. वे. ७,१२.१ //
सः | मह्ना | विश्वा | दुः-इतानि | साह्वान् | अग्निः | स्तवे | दमे | आ | जात-वेदाः | सः | नः | रक्षिषत् | दुः-इतात् | अवद्यात् | अस्मान् | गृणतः | उत | नः | मघोनः // ऋ. वे. ७,१२.२ //
त्वम् | वरुणः | उत | मित्रः | अग्ने | त्वाम् | वर्धन्ति | मति-भिः | वसिष्ठाः | त्वे इति | वसु | सु-सणनानि | सन्तु | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,१२.३ //
//१५//.

-ऋ. वे. ५:२/१६-
(ऋ. वे. ७,१३)
प्र | अग्नये | विश्व-शुचे | धियम्-धे | असुर-घ्ने | मन्म | धीतिम् | भरध्वम् | भरे | हविः | न | बर्हिषि | प्रीणानः | वैश्वानराय | यतये | मतीनाम् // ऋ. वे. ७,१३.१ //
त्वम् | अग्ने | शोचिषा | शोशुचानः | आ | रोदसी इति | अपृणाः | जायमानः | त्वम् | देवान् | अभि-शस्तेः | अमुञ्चः | वैश्वानर | जात-वेदः | महि-त्वा // ऋ. वे. ७,१३.२ //
जातः | यत् | अग्ने | भुवना | वि | अख्यः | पशून् | न | गोपाः | इर्यः | परि-ज्मा | वैश्वानर | ब्रह्मणे | विन्द | गातुम् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,१३.३ //
//१६//.

-ऋ. वे. ५:२/१७-
(ऋ. वे. ७,१४)
सम्-इधा | जात-वेदसे | देवाय | देव-हूतिभिः | हविः-भिः | शुक्र-शोचिषे | नमस्विनः | वयम् | दाशेम | अग्नये // ऋ. वे. ७,१४.१ //
वयम् | ते | अग्ने | सम्-इधा | विधेम | वयम् | दाशेम | सु-स्तुती | यजत्र | वयम् | घृतेन | अध्वरस्य | होतः | वयम् | देव | हविषा | भद्र-शोचे // ऋ. वे. ७,१४.२ //
आ | नः | देवेभिः | उप | देव-हूतिम् | अग्ने | याहि | वषट्-कृतिम् | जुषाणः | तुभ्यम् | देवाय | दाशतः | स्याम | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,१४.३ //
//१७//.

-ऋ. वे. ५:२/१८-
(ऋ. वे. ७,१५)
उप-सद्याय | मीऌहुषे | आस्ये | जुहुत | हविः | यः | नः | नेदिष्ठम् | आप्यम् // ऋ. वे. ७,१५.१ //
यः | पञ्च | चर्षणीः | अभि | नि-ससाद | दमे--दमे | कविः | गृह-पतिः | युवा // ऋ. वे. ७,१५.२ //
सः | नः | वेदः | अमात्यम् | अग्निः | रक्षतु | विश्वतः | उत | अस्मान् | पातु | अंहसः // ऋ. वे. ७,१५.३ //
नवम् | नु | स्तोमम् | अग्नये | दिवः | श्येनाय | जीजनम् | वस्वः | कुवित् | वनाति | नः // ऋ. वे. ७,१५.४ //
स्पार्हा | यस्य | श्रियः | दृशे | रयिः | वीर-वतः | यथा | अग्रे | यज्ञस्य | शोचतः // ऋ. वे. ७,१५.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ५:२/१९-
सः | इमाम् | वेतु | वषट्-कृतिम् | अग्निः | जुषत | नः | गिरः | यजिष्ठः | हव्य-वाहनः // ऋ. वे. ७,१५.६ //
नि | त्वा | नक्ष्य | विश्पते | द्यु-मन्तम् | देव | धीमहि | सु-वीरम् | अग्ने | आहुत // ऋ. वे. ७,१५.७ //
क्षपः | उस्रः | च | दीदिहि | सु-अग्नयः | त्वया | वयम् | सु-वीरः | त्वम् | अस्म-युः // ऋ. वे. ७,१५.८ //
उप | त्वा | सातये | नरः | विप्रासः | यन्ति | धीति-भिः | उप | अक्षरा | सहस्र् इणी // ऋ. वे. ७,१५.९ //
अग्निः | रक्षांसि | सेधति | शुक्र-शोचिः | अमर्त्यः | शुचिः | पावकः | ईड्यः // ऋ. वे. ७,१५.१० //
//१९//.

-ऋ. वे. ५:२/२०-
सः | नः | राधांसि | आ | भर | ईशानः | सहसः | यहो इति | भगः | च | दातु | वार्यम् // ऋ. वे. ७,१५.११ //
त्वम् | अग्ने | वीर-वत् | यशः | देवः | च | सविता | भगः | दितिः | च | दाति | वायर्म् // ऋ. वे. ७,१५.१२ //
अग्ने | रक्ष | नः | अंहसः | प्रति | स्म | देव | रिषतः | तपिष्ठैः | अजरः | दह // ऋ. वे. ७,१५.१३ //
अग्ने | मही | नः | आयसी | अनाधृष्टः | नृ-पीतये | पूः | भव | शत-भुजिः // ऋ. वे. ७,१५.१४ //
त्वम् | नः | पाहि | अंहसः | दोषावस्तः | अघ-यतः | दिवा | नक्तम् | अदाभ्य // ऋ. वे. ७,१५.१५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ५:२/२१-
(ऋ. वे. ७,१६)
एना | वः | अग्निम् | नमसा | ऊर्जः | नपातम् | आ | हुवे | प्रियम् | चेतिष्ठम् | अरतिम् | सु-अध्वरम् | विश्वस्य | दूतम् | अमृतम् // ऋ. वे. ७,१६.१ //
सः | योजते | अरुषा | विश्व-भोजसा | सः | दुद्रवत् | सु-आहुतः | सु-ब्रह्मा | यज्ञः | सु-शमी | वसूनाम् | देवम् | राधः | जनानाम् // ऋ. वे. ७,१६.२ //
उत् | अस्य | शोचिः | अस्थात् | आजुह्वानस्य | मीऌहुषः | उत् | धूमासः | अरुषासः | द् इवि-स्पृशः | सम् | अग्निम् | इन्धते | नरः // ऋ. वे. ७,१६.३ //
तम् | त्वा | दुतम् | कृण्महे | यशः-तमम् | देवान् | आ | वीतये | वह | विश्वा | सूनो इति | सहसः | मर्त-भोजना | रास्व | तत् | यत् | त्वा | ईमहे // ऋ. वे. ७,१६.४ //
त्वम् | अग्ने | गृह-पतिः | त्वम् | होता | नः | अध्वरे | त्वम् | पोता | विश्व-वार | प्र-चेताः | यक्षि | वेषि | च | वार्यम् // ऋ. वे. ७,१६.५ //
कृधि | रत्नम् | यजमानाय | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | त्वम् | हि | रत्न-धाः | असि | आ | नः | ऋते | शिशीहि | विश्वम् | ऋत्विजम् | सु-शंसः | यः | च | दक्षते // ऋ. वे. ७,१६.६ //
//२१//.

-ऋ. वे. ५:२/२२-
त्वे इति | अग्ने | सु-आहुत | प्रियासः | सन्तु | सूरयः | यन्तारः | ये | मघ-वानः | जनानाम् | ऊर्वान् | दयन्त | गोनाम् // ऋ. वे. ७,१६.७ //
येषाम् | इऌआ | घृत-हस्ता | दुरोणे | आ | अपि | प्राता | नि-सीदति | तान् | त्रायस्व | सहस्य | द्रुहः | निदः | यच्छ | नः | शर्म | दीर्घ-श्रुत् // ऋ. वे. ७,१६.८ //
सः | मन्द्रया | च | जिह्वया | वह्निः | आसा | विदुः-तरः | अग्ने | रयिम् | मघवत्-भ्यः | नः | आ | वह | हव्य-दातिम् | च | सूदय // ऋ. वे. ७,१६.९ //
ये | राधांसि | ददति | अश्व्या | मघा | कामेन | श्रवसः | महः | तान् | अंहसः | पिपृहि | पर्तृ-भिः | त्वम् | शतम् | पूः-भिः | यविष्ठ्य // ऋ. वे. ७,१६.१० //
देवः | वः | द्रविणः-दाः | पूर्णाम् | विवष्टि | आसिचम् | उत् | वा | सिञ्चध्वम् | उप | वा | पृणध्वम् | आत् | इत् | वः | देवः | ओहते // ऋ. वे. ७,१६.११ //
तम् | होतारम् | अध्वरस्य | प्र-चेतसम् | वह्निम् | देवाः | अकृण्वत | दधाति | रत्नम् | विधते | सु-वीर्यम् | अग्निः | जनाय | दाशुषे // ऋ. वे. ७,१६.१२ //
//२२//.

-ऋ. वे. ५:२/२३-
(ऋ. वे. ७,१७)
अग्ने | भव | सु-समिधा | सम्-इद्धः | उत | बर्हिः | उर्विया | वि | स्तृणीताम् // ऋ. वे. ७,१७.१ //
उत | द्वारः | उशतीः | वि | श्रयन्ताम् | उत | देवान् | उशतः | आ | वह | इह // ऋ. वे. ७,१७.२ //
अग्ने | वीहि | हविषा | यक्षि | देवान् | सु-अध्वरा | कृणुहि | जात-वेदः // ऋ. वे. ७,१७.३ //
सु-अध्वरा | करति | जात-वेदाः | यक्षत् | देवान् | अमृतान् | पिप्रयत् | च // ऋ. वे. ७,१७.४ //
वंस्व | विश्वा | वार्याणि | प्रचेतैतिप्र-चेतः | सत्याः | भवन्तु | आशिषः | नः | अद्य // ऋ. वे. ७,१७.५ //
त्वाम् | ॐ इति | ते | दधिरे | हव्य-वाहम् | देवासः | अग्ने | ऊर्जः | आ | नपातम् // ऋ. वे. ७,१७.६ //
ते | ते | देवाय | दाशतः | स्याम | महः | नः | रत्ना | वि | दधः | इयानः // ऋ. वे. ७,१७.७ //
//२३//.

-ऋ. वे. ५:२/२४-
(ऋ. वे. ७,१८)
त्वे इति | ह | यत् | पितरः | चित् | नः | इन्द्र | विश्वा | वामा | जरितारः | असन्वन् | त्वे इति | गावः | सु-दुघाः | त्वे इति | हि | अश्वाः | त्वम् | वसु | देव-यते | वनिष्ठः // ऋ. वे. ७,१८.१ //
राजाइव | हि | जनि-भिः | क्षेषि | एव | अव | द्यु-भिः | अभि | विदुः | कविः | सन् | पिशा | गिरः | मघ-वन् | गोभिः | अश्वैः | त्वायतः | शिशीहिःरायेःअस्मान् // ऋ. वे. ७,१८.२ //
इमाः | ॐ इति | त्वा | पस्पृधानासः | अत्र | मन्द्राः | गिरः | देव-यन्तीः | उप | स्थुः | अर्वाची | ते | पथ्या | रायः | एतु | स्याम | ते | सु-मतौ | इन्द्र | शर्मन् // ऋ. वे. ७,१८.३ //
धेनुम् | न | त्वा | सु-यवसे | दुधुक्षन् | उप | ब्रह्माणि | ससृजे | वसिष्ठः | त्वाम् | इत् | मे | गो--पतिम् | विश्वः | आह | आ | नः | इन्द्रः | सु-मतिम् | गन्तु | अच्छ // ऋ. वे. ७,१८.४ //
अर्णांसि | चित् | पप्रथाना | सु-दासे | इन्द्रः | गाधानि | अकृणोत् | सु-पारा | शर्धन्तम् | शिम्युम् | उचथस्य | नव्यः | शापम् | सिन्धूनाम् | अकृणोत् | अशस्तीः // ऋ. वे. ७,१८.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ५:२/२५-
पुरोऌआः | इत् | तुर्वशः | यक्षुः | आसीत् | राये | मत्स्यासः | नि-शिताः | अपि-इव | श्रुष्टिम् | चक्रुः | भृगवः | द्रुह्यवः | च | सखा | सखायम् | अतरत् | विषूचोः // ऋ. वे. ७,१८.६ //
आ | पक्थासः | भलानसः | भनन्त | आ | अलिनासः | विषाणिनः | शिवासः | आ | यः | अनयत् | सध-माः | आर्यस्य | गव्या | तृत्सु-भ्यः | अजगन् | युधा | नॄन् // ऋ. वे. ७,१८.७ //
दुरोध्यः | अदितिम् | स्रेवयन्तः | अचेतसः | वि | जगृभ्रे | परूष्णीम् | मह्ना | अविव्यक् | पृथिवीम् | पत्यमानः | पशुः | कविः | अशयत् | चायमानः // ऋ. वे. ७,१८.८ //
ईयुः | अर्थम् | न | नि-अर्थम् | परुष्णीम् | आशुः | चन | इत् | आभि-पित्वम् | जगाम | सु-दासे | इन्द्रः | सु-तुकान् | अमित्रान् | अरन्धयत् | मानुषे | वध्रि-वाचः // ऋ. वे. ७,१८.९ //
ईयुः | गावः | न | यवसात् | अगोपाः | यथाकृतम् | अभि | मित्रम् | चितासः | पृश्नि-गावः | पृश्नि-निप्रेषितासः | श्रुष्टिम् | चक्रुः | नि-युतः | रन्तयः | च // ऋ. वे. ७,१८.१० //
//२५//.

-ऋ. वे. ५:२/२६-
एकम् | च | यः | विंशतिम् | च | श्रवस्या | वैकर्णयोः | जनान् | राजा | नि | अस्तः | दस्मः | न | सद्मन् | नि | शिशाति | बर्हिः | शूरः | सर्गम् | अकृणोत् | इन्द्रः | एषाम् // ऋ. वे. ७,१८.११ //
अध | श्रुतम् | कवषम् | वृद्धम् | अप्-सु | अनु | द्रुह्युम् | नि | वृणक् | वज्र-बाहुः | वृणानाः | अत्र | सख्याय | सख्यम् | त्वायन्तः | ये | अमदन् | अनु | त्वा // ऋ. वे. ७,१८.१२ //
वि | सद्यः | विश्वा | दृंहितानि | एषाम् | इन्द्रः | पुरः | सहसा | सप्त | दर्दः | वि | आनवस्य | तृत्सवे | गयम् | भाक् | जेष्म | पूरुम् | विदथे | मृध्र-वाचम् // ऋ. वे. ७,१८.१३ //
न् | गव्यवः | अनवः | दुह्यवः | च | षष्टिः | शता | सुसुपुः | षट् | सहस्रा | षष्टिः | वीरासः | अधि | षट् | दुवः-यु | विश्वा | इत् | इन्द्रस्य | वीर्या | कृतान् इ // ऋ. वे. ७,१८.१४ //
इन्द्रेण | एते | तृत्सवः | वेविषाणाः | आपः | न | सृष्टाः | अधवन्त | नीचीः | दुः-मित्रासः | प्रकल-वित् | मिमानाः | जहुः | विश्वानि | भोजना | सु-दासे // ऋ. वे. ७,१८.१५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ५:२/२७-
अर्धम् | वीरस्य | शृत-पाम् | अनिन्द्रम् | परा | शर्धन्तम् | नुनुदे | अभि | क्षाम् | इन्द्रः | मन्युम् | मनु-म्यः | मिमाय | भेजे | पथः | वर्तनिम् | पत्यमानः // ऋ. वे. ७,१८.१६ //
आध्रेण | चित् | तत् | ॐ इति | एकम् | चकार | सिंह्यम् | चित् | पेत्वेन | जघान | अव | स्रक्तीः | वेश्या | अवृश्चत् | इन्द्रः | प्र | अयच्छत् | विश्वा | भोजना | सु-दासे // ऋ. वे. ७,१८.१७ //
शश्वन्तः | हि | शत्रवः | ररधुः | ते | भेदस्य | चित् | शर्धतः | विन्द | रन्धिम् | मर्तान् | एनः | स्तुवतः | यः | कृणोति | तिग्मम् | तस्मिन् | नि | जहि | वज्रम् | इन्द्र // ऋ. वे. ७,१८.१८ //
आवत् | इन्द्रम् | यमुना | तृत्सवः | च | प्र | अत्र | भेदम् | सर्व-ताता | मुषायत् | अजासः | च | शिग्रवः | यक्षवः | च | बलिम् | शीर्षाणि | जभ्रुः | अश्व्यानि // ऋ. वे. ७,१८.१९ //
न | ते | इन्द्र | सु-मतयः | न | रायः | सम्-चक्षे | पूर्वाः | उषसः | न | नूत्नाः | देवकम् | चित् | मान्यमानम् | जघन्थ | अव | त्मना | बृहतः | शम्बरम् | भेत् // ऋ. वे. ७,१८.२० //
//२७//.

-ऋ. वे. ५:२/२८-
प्र | ये | गृहात् | अममदुः | त्वाया | पराशरः | शत-यातुः | वसिष्ठः | न | ते | भोजस्य | सख्यम् | मृषन्त | अध | सूरि-भ्यः | सु-दिना | वि | उच्छान् // ऋ. वे. ७,१८.२१ //
द्वे इति | नप्तुः | देव-वतः | शते इति | गोः | द्वा | रथा | वधू-मन्ता | सु-दासः | अर्हन् | अग्ने | पैज-वनस्य | दानम् | होताइव | सद्म | परि | एभि | रेभन् // ऋ. वे. ७,१८.२२ //
चत्वारः | मा | पैज-वनस्य | दानाः | स्मत्-दिष्टयः | कृशनिनः | निरेके | ऋज्रासः | मा | पृथिवि-स्थाः | सु-दासः | तोकम् | तोकाय | श्रवसे | वहन्ति // ऋ. वे. ७,१८.२३ //
यस्य | श्रवः | रोदसी इति | अन्तः | उर्वी इति | शीर्ष्णे--शीर्ष्णे | वि-बभाज | वि-भक्ता | सप्त | इत् | इन्द्रम् | न | स्रवतः | गृणन्ति | नि | युध्यामधिम् | आशिशात् | अभीके // ऋ. वे. ७,१८.२४ //
इमम् | नरः | मरुतः | सश्चत | अनु | दिवः-दासम् | न | पितरम् | सु-दासः | अविष्टन | पैज-वनस्य | केतम् | दुः-नाशम् | क्षत्रम् | अजरम् | दुवः-यु // ऋ. वे. ७,१८.२५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ५:२/२९-
(ऋ. वे. ७,१९)
यः | तिग्म-शृङ्गः | वृषभः | न | भीमः | एकः | कृष्टीः | च्यवयति | प्र | विश्वाः | यः | शश्वतः | अदाशुषः | गयस्य | प्र-यन्ता | असि | सुस्वि-तराय | वेदः // ऋ. वे. ७,१९.१ //
त्वम् | ह | त्यत् | इन्द्र | कुत्सम् | आवः | शुश्रूषमाणः | तन्वा | स-मर्ये | दासम् | यत् शुष्णम् | कुयवम् | नि | अस्मै | अरन्धयः | आर्जुनेयाय | शिक्षन् // ऋ. वे. ७,१९.२ //
त्वम् | धृष्णो इति | धृषता | वीत-हव्यम् | प्र | आवः | विश्वाभिः | ऊति-भिः | सु-दासम् | प्र | पौरु-कुत्सिम् | त्रसदस्युम् | आवः | क्षेत्र-साता | वृत्र-हत्येषु | पूरुम् // ऋ. वे. ७,१९.३ //
त्वम् | नृ-भिः | नृ-मनः | देव-वीतौ | भूरीणि | वृत्रा | हरि-अश्व | हंसि | त्वम् | नि | दस्युम् | चुमुरिम् | धुनिम् | च | अस्वापयः | दभीतये | सु-हन्तु // ऋ. वे. ७,१९.४ //
तव | च्यौत्नानि | वज्र-हस्त | तानि | नव | यत् | पुरः | नवतिम् | च | सद्यः | नि-वेशने | शत-तमा | अविवेषीः | अहन् | च | वृत्रम् | नमुचिम् | उत | अहन् // ऋ. वे. ७,१९.५ //
//२९//.

-ऋ. वे. ५:२/३०-
सना | ता | ते | इन्द्र | भोजनानि | रात-हव्याय | दाशुषे | सु-दासे | वृष्णे | ते | हरी इति | वृषणा | युनज्मि | व्यन्तु | ब्रह्माणि | पुरु-शाक | वाजम् // ऋ. वे. ७,१९.६ //
मा | ते | अस्याम् | सहसावन् | परिष्टौ | अघाय | भूम | हरि-वः | परादै | त्रायस्व | नः | अवृकेभिः | वरूथैः | तव | प्रियासः | सूरिषु | स्याम // ऋ. वे. ७,१९.७ //
प्रियासः | इत् | ते | मघ-वन् | अभिष्टौ | नरः | मदेम | शरणे | सखायः | नि | तुर्वशम् | नि | याद्वम् | शिशीहि | अतिथि-ग्वाय | शंस्यम् | करिष्यन् // ऋ. वे. ७,१९.८ //
सद्यः | चित् | नु | ते | मघ-वन् | अभिष्टौ | नरः | शंसन्ति | उक्थ-शसः | उक्था | ये | ते | हवेभिः | वि | पणीन् | अदाशन् | अस्मान् | वृणीष्व | युज्याय | तस्मै // ऋ. वे. ७,१९.९ //
एते | स्तोमाः | नराम् | नृ-तम | तुभ्यम् | अस्मद्र्यञ्चः | ददतः | मघानि | तेषाम् | इन्द्र | वृत्र-हत्ये | शिवः | भूः | सखा | च | शूरः | अविता | च | नृणाम् // ऋ. वे. ७,१९.१० //
नु | इन्द्र | शूर | स्तवमानः | ऊती | ब्रह्म-जूतः | तन्वा | ववृधस्व | उप | नः | वाजान् | मिमीहि | उप | स्तीन् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,१९.११ //
//३०//.




-ऋ. वे. ५:३/१-
(ऋ. वे. ७,२०)
उग्रः | जज्ञे | वीर्याय | स्वधावान् | चक्रिः | अपः | नर्यः | यत् | करिष्यन् | जग्मिः | युवा | नृ-सदनम् | अवः-भिः | त्राता | नः | इन्द्रः | एनसः | महः | चित् // ऋ. वे. ७,२०.१ //
हन्ता | वृत्रम् | इन्द्रः | शूशुवानः | प्र | आवीत् | नु | वीरः | जरितारम् | ऊती | कर्ता | सु-दासे | अह | वै | ॐ इति | लोकम् | दाता | वसु | मुहुः | आ | दाशुषे | भूत् // ऋ. वे. ७,२०.२ //
युध्मः | अनर्वा | खज-कृत् | समत्-वा | शूरः | सत्राषाट् | जनुषा | ईम् | अषाऌहः | वि | आसे | इन्द्रः | पृतनाः | सु-ओजाः | अध | विश्वम् | शत्रु-यन्तम् | जघान // ऋ. वे. ७,२०.३ //
उभे इति | चित् | इन्द्र | रोदसी इति | महि-त्वा | पप्राथ | तविषीभिः | तुविष्मः | नि | वज्रम् | इन्द्रः | हरि-वान् | मिमिक्षन् | सम् | अन्धसा | मदेषु | वै | उवोच // ऋ. वे. ७,२०.४ //
वृषा | जजान | वृषणम् | रणाय | तम् | ॐ इति | चित् | नारी | नर्यम् | ससूव | प्र | यः | सेनानीः | अध | नृ-भ्यः | अस्ति | इनः | सत्वा | गो--एषणः | सः | धृष्णुः // ऋ. वे. ७,२०.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ५:३/२-
नु | चित् | सः | भ्रेषते | जनः | न | रेषत् | मनः | यः | अस्य | घोरम् | आविवासात् | यज्ञैः | यः | इन्द्रे | दधते | दुवांसि | क्षयत् | सः | राये | ऋत-पाः | ऋते--जाः // ऋ. वे. ७,२०.६ //
यत् | इन्द्र | पूर्वः | अपराय | शिक्षन् | अयत् | ज्यायान् | कनीयसः | देष्णम् | अमृतः | इत् | परि | आसीत | दूरम् | आ | चित्र | चित्र्यम् | भर | रयिम् | नः // ऋ. वे. ७,२०.७ //
यः | ते | इन्द्र | प्रियः | जनः | ददाशत् | असत् | निरेके | अद्रि-वः | सखा | ते | वयम् | ते | अस्याम् | सु-मतौ | चनिष्ठाः | स्याम | वरूथे | अघ्नतः | नृ-पीतौ // ऋ. वे. ७,२०.८ //
एषः | स्तोमः | अचिक्रदत् | वृषा | ते | उत | स्तामुः | मघ-वन् | अक्रपिष्ट | रायः | कामः | जरितारम् | ते | आ | अगन् | त्वम् | अङ्ग | शक्र | वस्वः | आ | शकः | नः // ऋ. वे. ७,२०.९ //
सः | नः | इन्द्र | त्व-यतायै | इषे | धाः | त्मना | च | ये | मघ-वानः | जुनन्ति | वस्वी | सु | ते | जरित्रे | अस्तु | शक्तिः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,२०.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ५:३/३-
(ऋ. वे. ७,२१)
असावि | देवम् | गो--ऋजीकम् | अन्धः | नि | अस्मिन् | इन्द्रः | जनुषा | ईम् | उवोच | बोधामसि | त्वा | हरु-अश्व | यज्ञैः | बोध | नः | स्तोमम् | अन्धसः | मदेषु // ऋ. वे. ७,२१.१ //
प्र | यन्ति | यज्ञम् | विपयन्ति | बर्हिः | सोम-मादः | विदथे | दुध्र-वाचः | नि | ॐ इति | भ्रियन्ते | यशसः | गृभात् | आ | दूरे--उपब्दः | वृषणः | नृ-साचः // ऋ. वे. ७,२१.२ //
त्वम् | इन्द्र | स्रवितवै | अपः | करितिकः | परि-स्थिताः | अहिना | शूर | पूर्वीः | त्वत् | वावक्रे | रथ्यः | न | धेनाः | रेजन्ते | विश्वा | कृत्रिमाणि | भीषा // ऋ. वे. ७,२१.३ //
भीमः | विवेष | आयुधेभिः | एषाम् | अपांसि | विश्वा | नर्याणि | विद्वान् | इन्द्रः | पुरः | जर्हृषाणः | वि | दूधोत् | वि | वज्र-हस्तः | महिना | जघान // ऋ. वे. ७,२१.४ //
न | यातवः | इन्द्र | जूजुवुः | नः | न | वन्दना | शविष्ठ | वेद्याभिः | सः | शर्धत् | अर्यः | विषुणस्य | जन्तोः | मा | शिश्न-देवाः | अपि | गुः | ऋतम् | नः // ऋ. वे. ७,२१.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ५:३/४-
अभि | क्रत्वा | इन्द्र | भूः | अध | ज्मन् | न | ते | विव्यक् | महिमानम् | रजांसि | स्वेन | हि | वृत्रम् | शवसा | जघन्थ | न | शत्रुः | अन्तम् | विविदत् | युधा | ते // ऋ. वे. ७,२१.६ //
देवाः | चित् | ते | असुर्याय | पूर्वे | अनु | क्षत्राय | ममिरे | सहांसि | इन्द्रः | मघानि | दयते | वि-सह्य | इन्द्रम् | वाजस्य | जोहुवन्त | सातौ // ऋ. वे. ७,२१.७ //
कीरिः | चित् | हि | त्वाम् | अवसे | जुहाव | ईशानम् | इन्द्र | सौभगस्य | भूरेः | अवः | बभूथ | शतम्-ऊते | अस्मे इति | अभि-क्षत्तुः | त्वावतः | वरूता // ऋ. वे. ७,२१.८ //
सखायः | ते | इन्द्र | विश्वह | स्याम | नमः-वृधासः | महिना | तरुत्र | वन्वन्तु | स्म | ते | अवसा | समीके | अभि-इतिम् | अर्यः | वनुषाम् | शवांसि // ऋ. वे. ७,२१.९ //
सः | नः | इन्द्र | त्व-यतायै | इषे | धाः | त्मना | च | ये | मघ-वानः | जुनन्ति | वस्वी | सु | ते | जरित्रे | अस्तु | शक्तिः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,२१.१० //
//४//.

-ऋ. वे. ५:३/५-
(ऋ. वे. ७,२२)
पिब | सोमम् | इन्द्र | मन्दतु | त्वा | यम् | ते | सुसाव | हरि-अश्व | अद्रिः | सोतुः | बाहु-भ्याम् | सु-यतः | न | अर्वा // ऋ. वे. ७,२२.१ //
यः | ते | मदः | युज्यः | चारुः | अस्ति | येन | वृत्राणि | हरि-अश्व | हंसि | सः | त्वाम् | इन्द्र | प्रभुवसो इतिप्रभु-वसो | ममत्तु // ऋ. वे. ७,२२.२ //
बोध | सु | मे | मघ-वन् | वाचम् | आ | इमाम् | याम् | ते | वसिष्ठः | अर्चति | प्र-शस्तिम् | इमा | ब्रह्म | सध-मादे | जुषस्व // ऋ. वे. ७,२२.३ //
श्रुधि | हवम् | वि-पिपानस्य | अद्रेः | बोध | विप्रस्य | अर्चतः | मनीषाम् | कृष्व | दुवांसि | अन्तमा | सचा | इमा // ऋ. वे. ७,२२.४ //
न | ते | गिरः | अपि | मृष्ये | तुरस्य | न | सु-स्तुतिम् | असुर्यस्य | विद्वान् | सदा | ते | नाम | स्व-यशः | विवक्मि // ऋ. वे. ७,२२.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ५:३/६-
भूरि | हि | ते | सवना | मानुषेषु | भूरि | मनीषी | हवते | त्वाम् | इत् | मा | आरे | अस्मत् | मघ-वन् | ज्योक् | करितिकः // ऋ. वे. ७,२२.६ //
तुभ्य | इत् | इमा | सवना | शूर | विश्वा | तुभ्यम् | ब्रह्माणि | वर्धना | कृणोमि | त्वम् | नृ-भिः | हव्यः | विश्वधा | असि // ऋ. वे. ७,२२.७ //
नु | चित् | नु | ते | मन्यमानस्य | दस्म | उत् | अश्नुवन्ति | महिमानम् | उग्र | न | वीर्यम् | इन्द्र | ते | न | राधः // ऋ. वे. ७,२२.८ //
ये | च | पूर्वे | ऋषयः | ये | च | नूत्नाः | इन्द्र | ब्रह्माणि | जनयन्त | विप्राः | अस्मे इति | ते | सन्तु | सख्या | शिवानि | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,२२.९ //
//६//.

-ऋ. वे. ५:३/७-
(ऋ. वे. ७,२३)
उत् | ॐ इति | ब्रह्माणि | ऐरत | श्रवस्या | इन्द्रम् | स-मर्ये | महय | वसिष्ठ | आ | यः | विश्वानि | शवसा | ततान | उप-श्रोता | मे | ईवतः | वचांसि // ऋ. वे. ७,२३.१ //
अयामि | घोषः | इन्द्र | देव-जामिः | इरज्यन्त | यत् | शुरुधः | वि-वाचि | नहि | स्वम् | आयुः | चिकिते | जनेषु | तानि | इत् | अंहांसि | अति | पर्षि | अस्मान् // ऋ. वे. ७,२३.२ //
युजे | रथम् | गो--एषणम् | हरि-भ्याम् | उप | ब्रह्माणि | जुजुषाणम् | अस्थुः | वि | बाध् इष्ट | स्यः | रोदसी इति | महि-त्वा | इन्द्रः | वृत्राणि | अप्रति | जघन्वान् // ऋ. वे. ७,२३.३ //
आपः | चित् | पिप्युः | स्तर्यः | न | गावः | नक्षन् | ऋतम् | जरितारः | ते | इन्द्र | याहि | वायुः | न | नि-युतः | नः | अच्छ | त्वम् | हि | धी-भिः | दयसे | वि | वाजान् // ऋ. वे. ७,२३.४ //
ते | त्वा | मदाः | इन्द्र | मादयन्तु | शुष्मिणम् | तुवि-राधसम् | जरित्रे | एकः | देव-त्रा | दयसे | हि | मर्तान् | अस्मिन् | शूर | सवने | मादयस्व // ऋ. वे. ७,२३.५ //
एव | इत् | इन्द्रम् | वृषणम् | वज्र-बाहुम् | वसिष्ठासः | अभि | अर्चन्ति | अर्कैः | सः | नः | स्तुतः | वीर-वत् | धातु | गो--मत् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,२३.६ //
//७//.

-ऋ. वे. ५:३/८-
(ऋ. वे. ७,२४)
योनिः | ते | इन्द्र | सदने | अकारि | तम् | आ | नृ-भिः | पुरु-हूत | प्र | याहि | असः | यथा | नः | अविता | वृधे | च | ददः | वसूनि | ममदः | च | सोमैः // ऋ. वे. ७,२४.१ //
गृभीतम् | ते | मनः | इन्द्र | द्वि-बर्हाः | सुतः | सोमः | परि-सिक्ता | मधूनि | विसृष्ट-धेना | भरते | सु-वृक्तिः | इयम् | इन्द्रम् | जोहुवती | मनीषा // ऋ. वे. ७,२४.२ //
आ | नः | दिवः | आ | पृथिव्याः | ऋजीषिन् | इदम् | बर्हिः | सम-पेयाय | याहि | वहन्तु | त्वा | हरयः | मद्र्यञ्चम् | आङ्गूषम् | अच्छ | तवसम् | मदाय // ऋ. वे. ७,२४.३ //
आ | नः | विश्वाभिः | ऊति-भिः | स-जोषाः | ब्रह्म | जुषाणः | हरि-अश्व | याहि | वरीवृजत् | स्थविरेभिः | सु-शिप्र | अस्मे इति | दधत् | वृषणम् | शुष्मम् | इन्द्र // ऋ. वे. ७,२४.४ //
एषः | स्तोमः | महे | उग्राय | वाहे | धुरि-इव | अत्यः | न | वाजयन् | अधायि | इन्द्र | त्वा | अयम् | अर्कः | ईटे | वसाऊनाम् | दिवि-इव | द्याम् | अधि | नः | श्रोमतम् | धाः // ऋ. वे. ७,२४.५ //
एव | नः | इन्द्र | वार्यस्य | पूर्धि | प्र | ते | महीम् | सु-मतिम् | वेविदाम | इषम् | पिन्व | मघवत्-भ्यः | सु-वीराम् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,२४.६ //
//८//.

-ऋ. वे. ५:३/९-
(ऋ. वे. ७,२५)
आ | ते | महः | इन्द्र | ऊती | उग्र | स-मन्यवः | यत् | सम्-अरन्त | सेनाः | पताति | दिद्युत् | नर्यस्य | बाह्वोः | मा | ते | मनः | विष्वद्र्यक् | वि | चारीत् // ऋ. वे. ७,२५.१ //
नि | दुः-गे | इन्द्र | श्नथिहि | अमित्रान् | अभि | ये | नः | मर्तासः | अमन्ति | आरे | तम् | शंसम् | कृणुहि | निनित्सोः | आ | नः | भर | सम्-भरणम् | वसूनाम् // ऋ. वे. ७,२५.२ //
शतम् | ते | शिप्रिन् | ऊतयः | सु-दासे | सहस्रम् | शंसाः | उत | रातिः | अस्तु | जहि | वधः | वनुषः | मर्त्यस्य्स् | अस्मे इति | द्युम्नम् | अधि | रत्नम् | च | धेहि // ऋ. वे. ७,२५.३ //
त्वावतः | हि | इन्द्र | क्रत्वे | अस्मि | त्वावतः | अवितुः | शूर | रातौ | विश्वा | इत् | अहानि | तविषी-वः | उग्र | ओकः | कृणुष्व | हरि-वः | न | मर्धीः // ऋ. वे. ७,२५.४ //
कुत्सा | एते | हर्यि-अश्वाय | शूषम् | इन्द्रे | सहः | देव-जूतम् | इयानाः | सत्रा | कृधि | सु-हना | शूर | वृत्रा | वयम् | तरुत्राः | सनुयाम | वाजम् // ऋ. वे. ७,२५.५ //
एव | नः | इन्द्र | वार्यस्य | पूर्धि | प्र | ते | महीम् | सु-मतिम् | वेविदाम | इषम् | पिन्व | मघवत्-भ्यः | सु-वीराम् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,२५.६ //
//९//.

-ऋ. वे. ५:३/१०-
(ऋ. वे. ७,२६)
न | सोमः | इन्द्रम् | असुतः | ममाद | न | अब्रह्माणः | मघ-वानम् | सुतासः | तस्मै | उक्थम् | जनये | यत् | जुजोषत् | नृ-वत् | नवीयः | शृणवत् | यथा | नः // ऋ. वे. ७,२६.१ //
उक्थे--उक्थे | सोमः | इन्द्रम् | ममाद | नीथे--नीथे | मघ-वानम् | सुतासः | यत् | ईम् | स-बाधः | पितरम् | न | पुत्राः | समान-दक्षाः | अवसे | हवन्ते // ऋ. वे. ७,२६.२ //
चकार | ता | कृणवत् | नूनम् | अन्या | यानि | ब्रुवन्ति | वेधसः | सुतेषु | जनीः-इव | पतिः | एकः | समानः | नि | ममृजे | पुरः | इन्द्रः | सु | सर्वाः // ऋ. वे. ७,२६.३ //
एव | तम् | आहुः | उत | शृण्वे | इन्द्रः | एकः | वि-भक्ता | तरणिः | मघानाम् | मिथः-तुरः | ऊतयः | यस्य | पूर्वीः | अस्मे इति | भद्राणि | सश्चत | प्रियाणि // ऋ. वे. ७,२६.४ //
एव | वसिष्ठः | इन्द्रम् | ऊतये | नॄन् | कृष्टीनाम् | वृषभम् | सुते | गृणाति | सहस्र् इणः | उप | नः | माहि | वाजान् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,२६.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ५:३/११-
(ऋ. वे. ७,२७)
इन्द्रम् | नरः | नेम-धिता | हवन्ते | यत् | पार्याः | युनजते | धियः | ताः | शूरः | नृ-साता | शवसः | चकानः | आ | गोमति | व्रजे | भज | त्वम् | नः // ऋ. वे. ७,२७.१ //
यः | इन्द्र | शुष्मः | मघ-वन् | ते | अस्ति | शिक्ष | सखि-भ्यः | पुरु-हूत | नृ-भ्यः | त्वम् | हि | दृऌहा | मघ-वन् | वि-चेताः | अप | वृधि | परि-वृतम् | न | राधः // ऋ. वे. ७,२७.२ //
इन्द्रः | राजा | जगतः | चर्षणीनाम् | अधि | क्षमि | विषु-रूपम् | यत् | अस्ति | ततः | ददाति | दाशुषे | वसूनि | चोदत् | राधः | उप-स्तुतः | चित् | अर्वाक् // ऋ. वे. ७,२७.३ //
नु | चित् | नः | इन्द्रः | मघ-वा | स-हूती | दानः | वाजम् | नि | यमते | नः | ऊती | अनूना | यस्य | दक्षिणा | पीपाय | वामम् | नृ-भ्यः | अभि-वीता | सखि-भ्यः // ऋ. वे. ७,२७.४ //
नु | इन्द्र | राये | वरिवः | कृधि | नः | आ | ते | मनः | ववृत्याम | मघाय | गो--मत् | अश्व-वत् | रथ-वत् | व्यन्तः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,२७.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ५:३/१२-
(ऋ. वे. ७,२८)
ब्रह्मा | नः | इन्द्र | उप | याहि | विद्वान् | अर्वाञ्चः | ते | हरयः | सन्तु | युक्ताः | विश्वे | चित् | हि | त्वा | वि-हवन्त | मर्ताः | अस्माकम् | इत् | शृणुहि | विश्वम्-इन्व // ऋ. वे. ७,२८.१ //
हवम् | ते | इन्द्र | महिमा | वि | आनट् | ब्रह्म | यत् | पासि | शवसिन् | ऋषीणाम् | आ | यत् | वज्रम् | दधिषे | हस्ते | उग्र | घोरः | सन् | क्रत्वा | जनिष्ठाः | अषाऌहः // ऋ. वे. ७,२८.२ //
तव | प्र-नीती | इन्द्र | जोहुवानान् | सम् | यत् | नॄन् | न | रोदसी इति | निनेथ | महे | क्षत्राय | शवसे | हि | जज्ञे | अतूतुजिम् | चित् | तूतुजिः | अशिश्नत् // ऋ. वे. ७,२८.३ //
एभिः | नः | इन्द्र | अह-भिः | दशस्य | दुः-मित्रासः | हि | क्षितयः | पवन्ते | प्रति | यत् | चष्टे | अनृतम् | अनेनाः | अव | द्विता | वरुणः | मायी | नः | सात् // ऋ. वे. ७,२८.४ //
वोचेम | इत् | इन्द्रम् | मघ-वानम् | एनम् | महः | रयः | राधसः | यत् | ददत् | नः | यः | अर्चतः | ब्रह्म-कृतिम् | अविष्ठः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,२८.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ५:३/१३-
(ऋ. वे. ७,२९)
अयम् | सोमः | इन्द्र | तुभ्यम् | सुन्वे | आ | तु | प्र | याहि | हरि-वः | तत्-ओकाः | पिब | तु | अस्य | सु-सुतस्य | चारोः | ददः | मघानि | मघ-वन् | इयानः // ऋ. वे. ७,२९.१ //
ब्रह्मन् | वीर | ब्रह्म-कृतिम् | जुषाणः | अर्वाचीनः | हरि-भिः | याहि | तूयम् | अस्मिन् | ॐ इति | सु | सवने | मादयस्व | उप | ब्रह्माणि | शृणवः | इमा | नः // ऋ. वे. ७,२९.२ //
का | ते | अस्ति | अरम्-कृतिः | सु-उक्तैः | कदा | नूनम् | ते | मघ-वन् | दाशेम | विश्वाः | मतीः | आ | ततने | त्वाया | अध | मे | इन्द्र | शृणवः | हवा | इमा // ऋ. वे. ७,२९.३ //
उतो इति | घ | ते | पुरुष्याः | इत् | आसन् | येषाम् | पूर्वेषाम् | अशृणोः | ऋषीणाम् | अध | अहम् | त्वा | मघ-वन् | जोहवीमि | त्वम् | नः | इन्द्र | असि | प्र-मतिः | पिताइव // ऋ. वे. ७,२९.४ //
वोचेम | इत् | इन्द्रम् | मघ-वानम् | एनम् | महः | रयः | राधसः | यत् | ददत् | नः | यः | अर्चतः | ब्रह्म-कृतिम् | अविष्ठः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,२९.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ५:३/१४-
(ऋ. वे. ७,३०)
आ | नः | देव | शवसा | याहि | शुष्मिन् | भव | वृधः | इन्द्र | रायः | अस्य | महे | नृम्णाय | नृ-पते | सु-वज्र | महि | क्षत्राय | पैंस्याय | शूर // ऋ. वे. ७,३०.१ //
हवन्ते | ॐ इति | त्वा | हव्यम् | वि-वाचि | तनूषु | शूराः | सूर्यस्य | सातौ | त्वम् | विश्वेषु | सेन्यः | जनेषु | त्वम् | वृत्राणि | रन्धय | सु-हन्तु // ऋ. वे. ७,३०.२ //
अहा | यत् | इन्द्र | सु-दिना | वि-उच्छान् | दधः | यत् | केतुम् | उप-मम् | समत्-सु | नि | अग्निः | सीदत् | असुरः | न | होता | हुवानः | अत्र | सु-भगाय | देवान् // ऋ. वे. ७,३०.३ //
वयम् | ते | ते | इन्द्र | ये | च | देव | स्तवन्त | शूर | ददतः | मघानि | यच्छ | सूरि-भ्यः | उप-मम् | वरूथम् | सु-आभुवः | जरणाम् | अश्नवन्त // ऋ. वे. ७,३०.४ //
वोचेम | इत् | इन्द्रम् | मघ-वानम् | एनम् | महः | रयः | राधसः | यत् | ददत् | नः | यः | अर्चतः | ब्रह्म-कृतिम् | अविष्ठः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,३०.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ५:३/१५-
(ऋ. वे. ७,३१)
प्र | वः | इन्द्राय | मादनम् | हरि-अश्वाय | गायत | सखायः | सोम-पाव्ने // ऋ. वे. ७,३१.१ //
शंस | इत् | उक्थम् | सु-दानवे | उत | द्युक्षम् | यथा | नरः | चकृम | सत्य-राधसे // ऋ. वे. ७,३१.२ //
त्वम् | नः | इन्द्र | वाज-युः | त्वम् | गव्युः | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | त्वम् | हिरण्य-युः | वसो इति // ऋ. वे. ७,३१.३ //
वयम् | इन्द्र | त्वायवः | अभि | प्र | नोनुमः | वृषन् | विद्धि | तु | अस्य | नः | वसो इति // ऋ. वे. ७,३१.४ //
मा | नः | निदे | च | वक्तवे | अर्यः | रन्धीः | अराव्णे | त्वे इति | अपि | क्रतुः | मम // ऋ. वे. ७,३१.५ //
त्वम् | वर्म | असि | स-प्रथः | पुरः-योधः | च | वृत्र-हन् | त्वया | प्रति | ब्रुवे | युजा // ऋ. वे. ७,३१.६ //
//१५//.

-ऋ. वे. ५:३/१६-
महान् | उत | असि | यस्य | ते | अनु | स्वधावरी इतिस्वधावरी | सहः | मम्नातेइति | इन्द्र | रोदसी इति // ऋ. वे. ७,३१.७ //
तम् | त्वा | मरुत्वती | परि | भुवत् | वाणी | स-यावरी | नक्षमाणा | सह | द्यु-भि ः // ऋ. वे. ७,३१.८ //
ऊर्ध्वासः | त्वा | अनु | इन्दवः | भुवन् | दस्मम् | उप | द्यवि | सम् | ते | नमन्त | कृष्टयः // ऋ. वे. ७,३१.९ //
प्र | वः | महे | महि-वृधे | भरध्वम् | प्र-चेतसे | प्र | सु-मतिम् | कृणुध्वम् | विशः | पूर्वीः | प्र | चर | चर्षणि-प्राः // ऋ. वे. ७,३१.१० //
उरु-व्यचसे | महिने | सु-वृक्तिम् | इन्द्राय | ब्रह्म | जनयन्त | विप्राः | तस्य | व्रतानि | न | मिनन्ति | धीराः // ऋ. वे. ७,३१.११ //
इन्द्रम् | वाणीः | अनुत्त-मन्युम् | एव | सत्रा | राजानम् | दधिरे | सहध्यै | हरि-अश्वाय | बर्हय | सम् | आपीन् // ऋ. वे. ७,३१.१२ //
//१६//.

-ऋ. वे. ५:३/१७-
(ऋ. वे. ७,३२)
मो इति | सु | त्वा | वाघतः | चन | आरे | अस्मत् | नि | रीरमन् | आरात्तात् | चित् | सध-मादम् | नः | आ | गहि | इह | वा | सन् | उप | श्रुधि // ऋ. वे. ७,३२.१ //
इमे | हि | ते | ब्रह्म-कृतः | सुते | सचा | मधौ | न | मक्षः | आसते | इन्द्रे | कामम् | जरितारः | वसु-यवः | रथे | न | पादम् | आ | दधुः // ऋ. वे. ७,३२.२ //
रायः-कामः | वज्र-हस्तम् | सु-दक्षिणम् | पुत्रः | न | पितरम् | हुवे // ऋ. वे. ७,३२.३ //
इमे | इन्द्राय | सुन्विरे | सोमासः | दधि-आशिरः | तान् | आ | मदाय | वज्र-हस्त | पीतये | हरि-भ्याम् | याहि | ओकः | आ // ऋ. वे. ७,३२.४ //
श्रवत् | श्रुत्-कर्णः | ईयते | वसूनाम् | नु | चित् | नः | मर्धिषत् | गिरः | सद्यः | चित् | यः | सहस्राणि | सता | ददत् | नकिः | दित्सन्तम् | आ | मिनत् // ऋ. वे. ७,३२.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ५:३/१८-
सः | वीरः | अप्रति-स्कुतः | इन्द्रेण | शूशुवे | नृ-भिः | यः | ते | गभीरा | सवनानि | वृत्र-हन् | सुनोति | आ | च | धावति // ऋ. वे. ७,३२.६ //
भव | वराऊथम् | मघ-वन् | मघोनाम् | यत् | सम्-अजासि | शर्धतः | वि | त्वाहतस्य | वेदनम् | भजेमहि | आ | दुः-नशः | भर | गयम् // ऋ. वे. ७,३२.७ //
सुनोत | सोम-पाव्ने | सोमम् | इन्द्राय | वज्रिणे | पचत्स् | पक्तीः | अवसे | कृणुध्वम् | इत् | पृणन् | इत् | पृणते | मयः // ऋ. वे. ७,३२.८ //
मा | स्रेधत | सोमिनः | दक्षत | महे | कृणुध्वम् | राये | आतुजे | तरणिः | इत् | जयति | क्षेति | पुष्यति | न | देवासः | कवत्नवे // ऋ. वे. ७,३२.९ //
नकिः | सु-दासः | रथम् | परि | आस | न | रीरमत् | इन्द्रः | यस्य | अविता | यस्य | मरुतः | गमत् | सः | गो--मति | व्रजे // ऋ. वे. ७,३२.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ५:३/१९-
गमत् | वाजम् | वाजयन् | इन्द्र | मर्त्यः | यस्य | त्वम् | अविता | भुवः | अस्माकम् | बोधि | अविता | रथानाम् | अस्माकम् | शूर | नृणाम् // ऋ. वे. ७,३२.११ //
उत् | इत् | नु | अस्य | रिच्यते | अंशः | धनम् | न | जिग्युषः | यः | इन्द्रः | हरि-वान् | न | दम्भन्ति | तम् | रिपः | दक्षम् | दधाति | सोमिनि // ऋ. वे. ७,३२.१२ //
मन्त्रम् | अखर्वम् | सु-धितम् | सु-पेशसम् | दधात | यज्ञियेषु | आ | पूर्वीः | चन | प्र-सितयः | तरन्ति | तम् | यः | इन्द्रे | कर्मणा | भुवत् // ऋ. वे. ७,३२.१३ //
कः | तम् | इन्द्र | त्वावसुम् | आ | मर्त्यः | दधर्षति | श्रद्धा | इत् | ते | मघ-वन् | पार्ये | दिवि | वाजी | वाजम् | सिसासति // ऋ. वे. ७,३२.१४ //
मघोनः | स्म | वृत्र-हत्येषु | चोदय | ये | ददति | प्रिया | वसु | तव | प्र-नीती | हरि-अश्व | सूरि-भिः | विश्वा | तरेम | दुः-इता // ऋ. वे. ७,३२.१५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ५:३/२०-
तव | इत् | इन्द्र | अवमम् | वसु | त्वम् | पुष्यसि | मध्यमम् | सत्रा | विश्वस्य | परमस्य | राजसि | नकिः | त्वा | गोषु | वृण्वते // ऋ. वे. ७,३२.१६ //
त्वम् | विश्वस्य | धन-दाः | असि | श्रुतः | ये | ईम् | भवन्ति | आजयः | तव | अयम् | विश्वः | पुरु-हूत | पार्थिवः | अवस्युः | नाम | भिक्षते // ऋ. वे. ७,३२.१७ //
यत् | इन्द्र | यावतः | त्वम् | एतावत् | अहम् | ईशीय | स्तोतारम् | इत् | दिधिषेय | रदवसो इतिरद-वसो | न | पाप-त्वाय | रासीय // ऋ. वे. ७,३२.१८ //
शिक्षेयम् | इत् | मह-यते | दिवे--दिवे | रायः | आ | कुहचित्-विदे | नहि | त्वत् | अन्यत् | मघ-वन् | नः | आप्यम् | वस्यः | अस्ति | पिता | चन // ऋ. वे. ७,३२.१९ //
तरणिः | इत् | सिसासति | वाजम् | पुरम्-ध्या | युजा | आ | वः | इन्द्रम् | पुरु-हूतम् | नमे | गिरा | नेमिम् | तष्टाइव | सु-द्रम् // ऋ. वे. ७,३२.२० //
//२०//.

-ऋ. वे. ५:३/२१-
न | दुः-स्तुती | मर्त्यः | विन्दते | वसु | न | स्रेधन्तम् | रयिः | नशत् | सु-शक्तिः | इत् | मघ-वन् | तुभ्यम् | मावते | देष्णम् | यत् | पार्ये | दिवि // ऋ. वे. ७,३२.२१ //
अभि | त्वा | शूर | नोनुमः | अदुग्धाः-इव | धेनवः | ईशानम् | अस्य | जगतः | स्वः-दृशम् | ईशानम् | इन्द्र | तस्थुषः // ऋ. वे. ७,३२.२२ //
न | त्वावान् | अन्यः | दिव्यः | न | पार्थिवः | न | जातः | न | जनिष्यते | अश्व-यन्तः | मघ-वन् | इन्द्र | वाजिनः | गव्यन्तः | त्वा | हवामहे // ऋ. वे. ७,३२.२३ //
अभि | सतः | तत् | आ | भर | इन्द्र | ज्यायः | कनीयसः | पुरु-वसुः | हि | मघ-वन् | सनात् | असि | भरे--भरे | च | हव्यः // ऋ. वे. ७,३२.२४ //
परा | नुदस्व | मघ-वन् | अमित्रान् | सु-वेदा | नः | वसु | कृधि | अस्माकम् | बोधि | अविता | महाधने | भव | वृधः | सखीनाम् // ऋ. वे. ७,३२.२५ //
इन्द्र | क्रतुम् | नः | आ | भर | पिता | पुत्रेभ्यः | यथा | शिक्ष | नः | अस्मिन् | पुरु-हूत | यामनि | जीवाः | ज्योतिः | अशीमहि // ऋ. वे. ७,३२.२६ //
मा | नः | अज्ञाताः | वृजनाः | दुः-आध्यः | मा | अशिवासः | अव | क्रमुः | त्वया | वयम् | प्र-वतः शश्वतीः | अपः | अति | शूर | तरामसि // ऋ. वे. ७,३२.२७ //
//२१//.

-ऋ. वे. ५:३/२२-
(ऋ. वे. ७,३३)
श्वित्यञ्चः | मा | दक्षिणतः-कपर्दाः | धियम्-जिन्वासः | अभि | हि | प्र-मन्दुः | उत्-तिष्ठन् | वोचे | परि | बर्हिषः | नॄन् | न | मे | दूरात् | अवितवे | वसिष्ठाः // ऋ. वे. ७,३३.१ //
दूरात् | इन्द्रम् | अनयन् | आ | सुतेन | तिरः | वैशन्तम् | अति | पान्तम् | उग्रम् | पाश-द्युम्नस्य | वायतस्य | सोमात् | सुतात् | इन्द्रः | अवृणीत | वसिष्ठान् // ऋ. वे. ७,३३.२ //
एव | इत् | नु | कम् | सिन्धुम् एभिः | ततार | एव | इत् | नु | कम् | भेदम् | एभिः | जघान | एव | इत् | नु | कम् | दाश-राज्ञे | सु-दासम् | प्र | आवत् | इन्द्रः | ब्रह्मणा | वः | वसिष्ठाः // ऋ. वे. ७,३३.३ //
जुष्टी | नरः | ब्रह्मणा | वः | पितॄणाम् | अक्षम् | अव्ययम् | न | किल | रिषाथ | यत् | शक्वरीषु | बृहता | रवेण | इन्द्रे | शुष्मम् | अदधात | वसिष्ठाः // ऋ. वे. ७,३३.४ //
उत् | द्याम्-इव | इत् | तृष्ण-जः | नाथितासः | अदीधयुः | दाश-राज्ञे | वृतासः | वस् इष्ठस्य | स्तुवतः | इन्द्रः | अश्रोत् | उरुम् | तृत्सु-भ्यः | अकृणोत् | ॐ इति | लोकम् // ऋ. वे. ७,३३.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ५:३/२३-
दण्डाइव | इत् | गो--अजनासः | आसन् | परि-च्छिन्नाः | भरताः | अर्भकासः | अभवत् | च | पुरः-एता | वसिष्ठः | आत् | इत् | तृत्सूनाम् | विशः | अप्रथन्त // ऋ. वे. ७,३३.६ //
त्रयः | कृण्वन्ति | भुवनेषु | रेतः | तिस्रः | प्र-जाः | आर्याः | ज्योतिः-अग्राः | त्रयः | घर्मासः | उषसम् | सचन्ते | सर्वान् | इत् | तान् | अनु | विदुः | वसिष्ठाः // ऋ. वे. ७,३३.७ //
सूर्यस्य-इव | वक्षथः | ज्योतिः | एषाम् | समुद्रस्य-इव | महिमा | गभीरः | वातस्य-इव | प्र-जवः | न | अन्येन | स्तोमः | वसिष्ठाः | अनु-एतवे | वः // ऋ. वे. ७,३३.८ //
ते | इत् | निण्यम् | हृदयस्य | प्र-केतैः | सहस्र-वल्शम् | अभि | सम् | चरन्त् इ | यमेन | ततम् | परि-धिम् | वयन्तः | अप्सरसः | उप | सेदुः | वसिष्ठाः // ऋ. वे. ७,३३.९ //
वि-द्युतः | ज्योतिः | परि | सम्-जिहानम् | मित्रावरुणा | यत् | अपश्यताम् | त्वा | तत् | ते | जन्म | उत | एकम् | वसिष्ठ | अगस्त्यः | यत् | त्वा | विशः | आजभार // ऋ. वे. ७,३३.१० //
//२३//.

-ऋ. वे. ५:३/२४-
उत | असि | मैत्रावरुणः | वसिष्ठ | उर्वश्या | ब्रह्मन् | मनसः | अधि | जातः | द्रप्सम् | स्कन्नम् | ब्रह्मणा | दैव्येन | विश्वे | देवाः | पुष्करे | त्वा | अददन्त // ऋ. वे. ७,३३.११ //
सः | प्र-केतः | उभयस्य | प्र-विद्वान् | सहस्र-दानः | उत | वा | स-दानः | यमेन | ततम् | परि-धिम् | वयिष्यन् | अप्सरसः | परि | जज्ञे | वसिष्ठः // ऋ. वे. ७,३३.१२ //
सत्रे | ह | जातौ | इषिता | नमः-भिः | कुम्भे | रेतः | सिसिचतुः | समानम् | ततः | ह | मानः | उत् | इयाय | मद्यात् | ततः | जातम् | ऋषिम् | आहुः | वसिष्ठम् // ऋ. वे. ७,३३.१३ //
उक्थ-भृतम् | साम-भृतम् | बिभर्ति | ग्रावाणम् | बिभ्रत् | प्र | वदाति | अग्रे | उप | एनम् | आध्वम् | सु-मनस्यमानाः | आ | वः | गच्छाति | प्र-तृदः | वसिष्ठः // ऋ. वे. ७,३३.१४ //
//२४//.

-ऋ. वे. ५:३/२५-
(ऋ. वे. ७,३४)
प्र | शुक्रा | एतु | देवी | मनीषा | अस्मत् | सु-तष्टः | रथः | न | वाजी // ऋ. वे. ७,३४.१ //
विदुः | पृथिव्याः | दिवः | जनित्रम् | शृण्वन्ति | आपः | अध | क्षरन्तीः // ऋ. वे. ७,३४.२ //
आपः | चित् | अस्मै | पिन्वन्त | पृथ्वीः | वृत्रेषु | शूराः | मंसन्ते | उग्राः // ऋ. वे. ७,३४.३ //
आ | धूर्षु | अस्मै | दधात | अश्वान् | इन्द्रः | न | वज्री | हिरण्य-बाहुः // ऋ. वे. ७,३४.४ //
अभि | प्र | स्थात | अह-इव | यज्ञम् | याताइव | पत्मन् | त्मना | हिनोत // ऋ. वे. ७,३४.५ //
त्मना | समत्-सु | हिनोत | यज्ञम् | दधात | केतुम् | जनाय | वीरम् // ऋ. वे. ७,३४.६ //
उत् | अस्य | शुष्मात् | भानुः | न | आर्त | बिभर्ति | भारम् | पृथिवी | न | भूम // ऋ. वे. ७,३४.७ //
ह्वयामि | देवान् | अयातुः | अग्ने | साधन् | ऋतेन | धियम् | दधामि // ऋ. वे. ७,३४.८ //
अभि | वः | देवीम् | धियम् | दधिध्वम् | प्र | वः | देव-त्रा | वाचम् | कृणुध्वम् // ऋ. वे. ७,३४.९ //
आ | चष्टे | आसाम् | पाथः | नदीनाम् | वरुणः | उग्रः | सहस्र-चक्षाः // ऋ. वे. ७,३४.१० //
//२५//.

-ऋ. वे. ५:३/२६-
राजा | राष्ट्रानाम् | पेशः | नदीनाम् | अनुत्तम् | अस्मै | क्षत्रम् | विश्व-आयु // ऋ. वे. ७,३४.११ //
अविष्टो इति अस्मान् | विश्वासु | विक्षु | अद्युम् | कृणोत | शंसम् | निनित्सोः // ऋ. वे. ७,३४.१२ //
वि | एतु | दिद्युत् | द्विषाम् | अशेवा | युयोत | विष्वक् | रपः | तनूनाम् // ऋ. वे. ७,३४.१३ //
अवीत् | नः | अग्निः | हव्य-अत् | नमः-भिः | प्रेष्ठः | अस्मै | अधायि | स्तोमः // ऋ. वे. ७,३४.१४ //
स-जूः | देवेभिः | अपाम् | नपातम् | सखायम् | कृध्वम् | शिवः | नः | अस्तु // ऋ. वे. ७,३४.१५ //
अप्-जाम् | उक्थैः | अहिम् | गृणीषे | बुध्ने | नदीनाम् | रजः-सु | सीदन् // ऋ. वे. ७,३४.१६ //
मा | नः | अहिः | बुध्न्यः | रिषे | धात् | मा | यज्ञः | अस्य | स्रिधत् | ऋत-योः // ऋ. वे. ७,३४.१७ //
उत | नः | एषु | नृषु | श्रवः | धुः | प्र | राये | यन्तु | शर्धन्तः | अर्यः // ऋ. वे. ७,३४.१८ //
तपन्ति | शत्रुम् | स्वः | न | भूम | महासेनासः | अमेभिः | एषाम् // ऋ. वे. ७,३४.१९ //
आ | यत् | नः | पत्नीः | गमन्ति | अच्छ | त्वष्टा | सु-पाणिः | दधातु | वीरान् // ऋ. वे. ७,३४.२० //
//२६//.

-ऋ. वे. ५:३/२७-
प्रति | नः | स्तोमम् | त्वष्टा | जुषेत | स्यात् | अस्मे इति | अरमतिः | वसु-युः // ऋ. वे. ७,३४.२१ //
ता | नः | रासन् | राति-साचः | वसूनि | आ | रोदसी इति | वरुणानी | शृणोतु | वराऊत्रीभिः | सु-शरणः | नः | अस्तु | त्वष्टा | सु-दत्रः | वि | दधातु | रायः // ऋ. वे. ७,३४.२२ //
तत् | नः | रायः | पर्वताः | तत् | नः | आपः | तत् | राति-साचः | ओषधीः | उत | द्यौः | वनस्पति-भिः | पृथिवी | स-जोषाः | उभे इति | रोदसी इति | परि | पासतः | नः // ऋ. वे. ७,३४.२३ //
अनु | तत् | उर्वी इति | रोदसी इति | जिहाताम् | अनु | द्युक्षः | वरुणः | इन्द्र-सखा | अनु | विश्वे | मरुतः | ये | सहासः | रायः | स्याम | धरुणम् | धियध्यै // ऋ. वे. ७,३४.२४ //
तत् | नः | इन्द्रः | वरुणः | मित्रः | अग्निः | आपः | ओषधीः | वनिनः | जुषन्त | शर्मन् | स्याम | मरुताम् | उप-स्थे | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,३४.२५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ५:३/२८-
(ऋ. वे. ७,३५)
शम् | नः | इन्द्राग्नी इति | भवताम् | अवः-भिः | शम् | नः | इन्द्रावरुणा | रात-हव्या | शम् | इन्द्रासोमा | सुविताय | शम् | योः | शम् | नः | इन्द्रापूषणा | वाज-सातौ // ऋ. वे. ७,३५.१ //
शम् | नः | भगः | शम् | ॐ इति | नः | शंसः | अस्तु | शम् | नः | पुरम्-धिः | शम् | ॐ इति | सन्तु | रायः | शम् | नः | सत्यस्य | सु-यमस्य | शंसः | शम् | नः | अर्यमा | पुरु-जातः | अस्तु // ऋ. वे. ७,३५.२ //
शम् | नः | धाता | शम् | ॐ इति | धर्ता | नः | अस्तु | शम् | नः | उरूची | भवतु | स्वधाभिः | शम् | रोदसी इति | बृहती | शम् | नः | अद्रिः | शम् | नः | देवानाम् | सु-हवानि | सन्तु // ऋ. वे. ७,३५.३ //
शम् | नः | अग्निः | ज्योतिः-अनीकः | अस्तु | शम् | नः | मित्रावरुणौ | अश्विना | शम् | शम् | नः | सु-कृताम् | सु-कृतानि | सन्तु | शम् | नः | इषिरः | अभि | वातु | वातः // ऋ. वे. ७,३५.४ //
शम् | नः | द्यावापृथिवी इति | पूर्व-हूतौ | शम् | अन्तरिक्षम् | दृशये | नः | अस्तु | शम् | नः | ओषधीः | वनिनः | भवन्तु | शम् | नः | रजसः | पतिः | अस्तु | जिष्णुः // ऋ. वे. ७,३५.५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ५:३/२९-
शम् | नः | इन्द्रः | वसु-भिः | देवः | अस्तु | शम् | आआदित्येभिः | वरुणः | सु-शंसः | शम् | नः | रुद्रः | रुद्रेभिः | जलाषः | शम् | नः | त्वष्टा | ग्नाभिः | इह | शृणोतु // ऋ. वे. ७,३५.६ //
शम् | नः | सोमः | भवतु | ब्रह्म | शम् | नः | शम् | नः | ग्रावाणः | शम् | ॐ इति | सन्तु | यज्ञाः | शम् | नः | स्वराऊणाम् | मितयः | भवन्तु | शम् | नः | प्र-स्वः | शम् | ॐ इति | अस्तु | वेदिः // ऋ. वे. ७,३५.७ //
शम् | नः | सूर्यः | उरु-चक्षाः | उत् | एतु | शम् | नः | चतस्रः | प्र-दिशः | भवन्तु | शम् | नः | पर्वताः | ध्रुवयः | भवन्तु | शम् | नः | सिन्धवः | शम् | ॐ इति | सन्तु | आपः // ऋ. वे. ७,३५.८ //
शम् | नः | अदितिः | भवतु | व्रतेभिः | शम् | नः | भवन्तु | मरुतः | सु-अर्काः | शम् | नः | विष्णुः | शम् | ॐ इति | पूषा | नः | अस्तु | शम् | नः | भवित्रम् | शम् | ॐ इति | अस्तु | वायुः // ऋ. वे. ७,३५.९ //
शम् | नः | देवः | सविता | त्रायमाणः | शम् | नः | भवन्तु | उषसः | वि-भातीः | शम् | नः | पर्जन्यः | भवतु | प्र-जाभ्यः | शम् | नः | क्षेत्रस्य | पतिः | अस्तु | शम्-भुः // ऋ. वे. ७,३५.१० //
//२९//.

-ऋ. वे. ५:३/३०-
शम् | नः | देवाः | विश्व-देवाः | भवन्तु | शम् | सरस्वती | सह | धीभिः | अस्तु | शम् | अभि-साचः | शम् | ॐ इति | राति-साचः | शम् | नः | दिव्याः | पार्थिवाः | शम् | नः | अप्याः // ऋ. वे. ७,३५.११ //
शम् | नः | सत्यस्य | पतयः | भवन्तु | शम् | नः | अर्वन्तः | शम् | ॐ इति | सन्तु | गावः | शम् | नः | ऋभवः | सु-कृतः | सु-हस्ताः | शम् | नः | भवन्तु | पितरः | हवेषु // ऋ. वे. ७,३५.१२ //
शम् | नः | अजः | एक-पात् | देवः | अस्तु | शम् | नः | अहिः | बुध्न्यः | शम् | समुद्रः | शम् | नः | अपाम् | नपात् | पेरुः | अस्तु | शम् | नः | पृश्निः | भवतु | देव-गोपा // ऋ. वे. ७,३५.१३ //
आदित्याः | रुद्राः | वसवः | जुषन्त | इदम् | ब्रह्म | क्रियमाणम् | नवीयः | शृण्वन्तु | नः | दिव्याः | पार्थिवासः | गो--जाताः | उत | ये | यज्ञियासः // ऋ. वे. ७,३५.१४ //
ये | देवानाम् | यज्ञियाः | यज्ञियानाम् | मनोः | यजत्राः | अमृताः | ऋत-ज्ञाः | ते | नः | रासन्ताम् | उरु-गायम् | अद्य | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,३५.१५ //
//३०//.




-ऋ. वे. ५:४/१-
(ऋ. वे. ७,३६)
प्र | ब्रह्म | एतु | सदनात् | ऋतस्य | वि | रश्मि-भिः | ससृजे | सूर्यः | गाः | व् इ | सानुना | पृथिवी | सस्रे | उर्वी | पृथु | प्रतीकम् | अधि | आ | ईधे | अग्निः // ऋ. वे. ७,३६.१ //
इमाम् | वाम् | मित्रावरुणा | सु-वृक्तिम् | इषम् | न | कृण्वे | असुरा | नवीयः | इनः | वाम् | अन्यः | पदवीः | अदब्धः | जनम् | च | मित्रः | यतति | ब्रुवाणः // ऋ. वे. ७,३६.२ //
आ वातस्य | ध्रजतः | रन्ते | इत्याः | अपीपयन्त | धेनवः | न | सूदाः | महः | दिवः | सदने | जायमानः | अचिक्रदत् | वृषभः | सस्मिन् | ऊधन् // ऋ. वे. ७,३६.३ //
गिरा | यः | एता | युनजत् | हरी इति | ते | इन्द्र | प्रिया | सु-रथा | शूर | धायू इति | प्र | यः | मन्युम् | रिरिक्षतः | मिनाति | आ | सु-क्रतुम् | अर्यमणम् | ववृत्याम् // ऋ. वे. ७,३६.४ //
यजन्ते | अस्य | सख्यम् | वयः | च | नमस्विनः | स्वे | ऋतस्य | धामन् | व् इ | पृक्षः | बाबधे | नृ-भिः | स्तवानः | इदम् | नमः | रुद्राय | प्रेष्ठम् // ऋ. वे. ७,३६.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ५:४/२-
आ | यत् | साकम् | यशसः | वावशानाः | सरस्वती | सप्तथी | सिन्धु-माता | याः | सुस्वयन्त | सु-दुघाः | सु-धाराः | अभि | स्वेन | पयसा | पीप्यानाः // ऋ. वे. ७,३६.६ //
उत | त्ये | नः | मरुतः | मन्दसानाः | धियम् | तोकम् | च | वाजिनः | अवन्तु | मा | नः | परि | ख्यत् | अक्षरा | चरन्ती | अवीवृधन् | युज्यम् | ते | रयिम् | नः // ऋ. वे. ७,३६.७ //
प्र | वः | महीम् | अरमतिम् | कृणुध्वम् | प्र | पूषणम् | विदथ्यम् | न | वीरम् | भगम् | धियः | अवितारम् | नः | अस्याः | शातौ | वाजम् | राति-साचम् | पुरम्-धिम् // ऋ. वे. ७,३६.८ //
अच्छ | अयम् | वः | मरुतः | श्लोकः | एतु | अच्छ | विष्णुम् | निसिक्त-पाम् | अवः-भ् इः | उत | प्र-जायै | गृणते | वयः | धुः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,३६.९ //
//२//.

-ऋ. वे. ५:४/३-
(ऋ. वे. ७,३७)
आ | वः | वाहिष्ठः | वहतु | स्तवध्यै | रथः | वाजाः | ऋभुक्षणः | अमृक्तः | अभि | त्रि-पृष्ठैः | सवनेषु | सोमैः | मदे | सु-शिप्राः | मह-भिः | पृणध्वम् // ऋ. वे. ७,३७.१ //
यूयम् | ह | रत्नम् | मघवत्-सु | धत्थ | स्वः-दृशः | ऋभुक्षणः | अमृक्तम् | सम् | यज्ञेषु | स्वधावन्तः | पिबध्वम् | वि | नः | राधांसि | मति-भिः | दयध्वम् // ऋ. वे. ७,३७.२ //
उवोचिथ | हि | मघ-वन् | देष्णम् | महः | अर्भस्य | वसुनः | वि-भागे | उभा | ते | पूर्णा | वसुना | गभस्ती इति | न | सूनृता | नि | यमते | वसव्या // ऋ. वे. ७,३७.३ //
त्वम् | इन्द्र | स्व-यशाः | ऋभुक्षाः | वाजः | न | साधुः | अस्तम् | एषि | ऋक्वा | वयम् | नु | ते | दाश्वांसः | स्याम | ब्रह्म | कृण्वन्तः | हरि-वः | वसिष्ठाः // ऋ. वे. ७,३७.४ //
सनिता | असि | प्र-वतः | दाशुषे | चित् | याभिः | विवेषः | हरि-अश्व | धीभिः | ववन्म | नु | ते | युज्याभिः | ऊती | कदा | नः | इन्द्र | रायः | आ | दशस्येः // ऋ. वे. ७,३७.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ५:४/४-
वासयसि-इव | वेधसः | त्वम् | नः | कदा | नः | इन्द्र | वचसः | बुबोधः | अस्तम् | तात्या | धिया | रयिम् | सु-वीरम् | पृक्षः | नः | अर्वा | नि | उहीत | वाजी // ऋ. वे. ७,३७.६ //
अभि | यम् | देवी | निः-ऋतिः | चित् | ईशे | नक्षन्ते | इन्द्रम् | शरदः | सु-पृक्षः | उप | त्रि-बन्धुः | जरत्-अष्टिम् | एति | अस्ववेशम् | यम् | कृणवन्त | मर्ताः // ऋ. वे. ७,३७.७ //
आ | नः | राधांसि | सवितरिति | स्तवध्यै | आ | रायः | यन्तु | पर्वतस्य | रातौ | सदा | नः | दिव्यः | पायुः | सिसक्तु | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,३७.८ //
//४//.

-ऋ. वे. ५:४/५-
(ऋ. वे. ७,३८)
उत् | ॐ इति | स्यः | देवः | सविता | ययाम | हिरण्ययीम् | अमतिम् | याम् | अशिश्रेत् | नूनम् | भगः | हव्यः | मानुषेभिः | वि | यः | रत्ना | पुरु-वसुः | दधाति // ऋ. वे. ७,३८.१ //
उत् | ॐ इति | तिष्ठ | सवितरिति | श्रुधि | अस्य | हिरण्य-पाणे | प्र-भृतौ | ऋतस्य | वि | उर्वीम् | पृथ्वीम् | अमतिम् | सृजानः | आ | नृ-भ्यः | मर्त-भोजनम् | सुवानः // ऋ. वे. ७,३८.२ //
अपि | स्तुतः | सविता | देवः | अस्तु | यम् | आ | चित् | विश्वे | वसवः | गृणन्ति | सः | नः | स्तोमान् | नमस्यः | चनः | धात् | विश्वेभिः | पातु | पायु-भिः | नि | सूरीन् // ऋ. वे. ७,३८.३ //
अभि | यम् | देवी | अदितिः | गृणाति | सवम् | देवस्य | सवितुः | जुषाणा | अभि | सम्-राजः | वरुणः | गृणन्ति | अभि | मित्रासः | अर्यमा | स-जोषाः // ऋ. वे. ७,३८.४ //
अभि | ये | मिथः | वनुषः | सपन्ते | रातिम् दिवः | राति-साचः | पृथिव्याः | अहिः | बुध्न्यः | उत | नः | शृणोतु | वरूत्री | एकधेनु-भिः | नि | पातु // ऋ. वे. ७,३८.५ //
अनु | तत् | नः | जाः-पतिः | मंसीष्ट | रत्नम् | देवस्य | सवितुः | इयानः | भगम् | उग्रः | अवसे | जोहवीति | भगम् | अनुग्रः | अध | याति | रत्नम् // ऋ. वे. ७,३८.६ //
शम् | नः | भवन्तु | वाजिनः | हवेषु | देव-ताता | मित-द्रवः | सु-अर्काः | जम्भयन्तः | अहिम् | वृकम् | रक्षांसि | स-नेमि | अस्मत् | युयवन् | अमीवाः // ऋ. वे. ७,३८.७ //
वाजे--वाजे | अवत | वाजिनः | नः | धनेषु | विप्राः | अमृताः | ऋत-ज्ञाः | अस्य | मध्वः | पिबत | मादयध्वम् | तृप्ताः | यात | पथि-भिः | देव-यानैः // ऋ. वे. ७,३८.८ //
//५//.

-ऋ. वे. ५:४/६-
(ऋ. वे. ७,३९)
ऊर्ध्वः | अग्निः | सु-मतिम् | वस्वः | अश्रेत् | प्रतीची | जूर्णिः | देव-तातिम् | एति | भेजाते | अद्री इति | रथ्याइव | पन्थाम् | ऋतम् | होता | नः | इषितः | यजाति // ऋ. वे. ७,३९.१ //
प्र | ववृजे | सु-प्रया | बर्हिः | एषाम् | आ | विश्पतीइवेति विश्पती-इव | बीरिटे | इयातेइति | विशाम् | अक्तोः | उषसः | पूर्व-हूतौ | वायुः | पूषा | स्वस्तये | नियुत्वान् // ऋ. वे. ७,३९.२ //
ज्मयाः | अत्र | वसवः | रन्त | देवाः | उरौ | अन्तरिक्षे | मर्जयन्त | शुभ्राः | अर्वाक् | पथः | उरु-ज्रयः | कृणुध्वम् | श्रोता | दूतस्य | जग्मुषः | नः | अस्य // ऋ. वे. ७,३९.३ //
ते | हि | यज्ञेषु | यज्ञियासः | ऊमाः | सध-स्थम् | विश्वे | अभि | सन्तिदेवाः | तान् | अध्वरे | उशतः | यक्षि | अग्ने | श्रुष्टी | भगम् | नासत्या | पुरम्-धिम् // ऋ. वे. ७,३९.४ //
आ | अग्ने | गिरः | दिवः | आ | पृथिव्याः | मित्रम् | वह | वरुणम् | इन्द्रम् | अग्निम् | आ | अर्यमणम् | अदितिम् | विष्णुम् | एषाम् | सरस्वती | मरुतः | मादयन्ताम् // ऋ. वे. ७,३९.५ //
ररे | हव्यम् | मति-भिः | यज्ञियानाम् | नक्षत् | कामम् | मर्त्यानाम् | असिन्वन् | धाता | रयिम् | अवि-दस्यम् | सदासाम् | सक्षीमहि | युज्येभिः | नु | देवैः // ऋ. वे. ७,३९.६ //
नु | रोदसी इति | अभिस्तुतेइत्य् अभि-स्तुते | वसिष्ठैः | ऋत-वानः | वरुणः | मित्रः | अग्निः | यच्छन्तु | चन्द्राः | उप-मम् | नः | अर्कम् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,३९.७ //
//६//.

-ऋ. वे. ५:४/७-
(ऋ. वे. ७,४०)
ओ इति | श्रुष्टिः | विदथ्या | सम् | एतु | प्रति | स्तोमम् | दधीमहि | तुराणाम् | यत् | अद्य | देवः | सविता | सुवाति | स्याम | अस्य | रत्निनः | वि-भागे // ऋ. वे. ७,४०.१ //
मित्रः | तत् | नः | वरुणः | रोदसी इति | च | द्यु-भक्तम् | इन्द्रः | अर्यमा | ददातु | दिदेष्टु | देवी | अदितिः | रेक्णः | वायुः | च | यत् | नियुवैतेइतिनि-युवैते | भगः | च // ऋ. वे. ७,४०.२ //
सः | इत् | उग्रः | अस्तु | मरुतः | सः | शुष्मी | यम् | मर्त्यम् | पृषत्-अश्वाः | अवाथ | उत | ईम् | अग्निः | सरस्वती | जुनन्ति | न | तस्य | रायः | परि-एता | अस्त् इ // ऋ. वे. ७,४०.३ //
अयम् | हि | नेता | वरुणः | ऋतस्य | मित्रः | राजानः | अर्यमा | अपः | धुरितिधुः | सु-हवा | देवी | अदितिः | अनर्वा | ते | नः | अंहः | अति | पर्षन् | अरिष्टान् // ऋ. वे. ७,४०.४ //
अस्य | देवस्य | मीऌहुषः | वयाः | विष्णोः | एषस्य | प्र-भृथे | हविः-भिः | विदे | हि | रुद्रः | रुद्रियम् | महि-त्वम् | यासिष्टम् | वर्तिः | अश्विनौ | इरावत् // ऋ. वे. ७,४०.५ //
मा | अत्र | पूषन् | आघृणे | इरस्यः | वरूत्री | यत् | राति-साचः | च | रासन् | मयः-भुवः | नः | अर्वन्तः | नि | पान्तु | वृष्टिम् | परि-ज्मा | वातः | ददातु // ऋ. वे. ७,४०.६ //
नु | रोदसी इति | अभिस्तुतेइत्य् अभि-स्तुते | वसिष्ठैः | ऋत-वानः | वरुणः | मित्रः | अग्निः | यच्छन्तु | चन्द्राः | उप-मम् | नः | अर्कम् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,४०.७ //
//७//.

-ऋ. वे. ५:४/८-
(ऋ. वे. ७,४१)
प्रातः | अग्निम् | प्रतः | इन्द्रम् | हवामहे | प्रतः | मित्रावरुणा | प्रातः | अश्विना | प्रतः | भगम् | पूषणम् | ब्रह्मणः | पतिम् | प्रतः | सोमम् | उत | रुद्रम् | हुवेम // ऋ. वे. ७,४१.१ //
प्रातः-जितम् | भगम् | उग्रम् | हुवेम | वयम् | पुत्रम् | अदितेः | यः | वि-धतार् | आध्रः | चित् | यम् | मन्यमानः | तुरः | चित् | राजा | चित् | यम् | भगम् | भक्षि | इत् इ | आह // ऋ. वे. ७,४१.२ //
भग | प्र-नेतरितिप्र-नेतः | भग | सत्य-राधः | भग | इमाम् | धियम् | उत् | अव | ददत् | नः | भग | प्र | नः | जनय | गोभिः | अश्वैः | भग | प्र | नृ-भिः | नृ-वन्तः | स्याम // ऋ. वे. ७,४१.३ //
उत | इदानीम् | भग-वन्तः | स्याम | उत | प्र-पित्वे | उत | मध्ये | अह्नाम् | उत | उत्-इता | मघ-वन् | सूर्यस्य | वयम् | देवानाम् | सु-मतौ | स्याम // ऋ. वे. ७,४१.४ //
भगः | एव | भग-वान् | अस्तु | देवाः | तेन | वयम् | भग-वन्तः | स्याम | तम् | त्वा | भग | सर्वः | इत् | जोहवीति | सः | नः | भग | पुरः-एता | भव | इह // ऋ. वे. ७,४१.५ //
सम् | अध्वराय | उषसः | नमन्त | दधिक्रावाइव | शुचये | पदाय | अर्वाचीनम् | वसु-विदम् | भगम् | नः | रथम्-इव | अश्वाः | वाजिनः | आ | वहन्तु // ऋ. वे. ७,४१.६ //
अश्व-वतीः | गो--मतीः | नः | उषसः | वीर-वतीः | सदम् | उच्छन्तु | भद्राः | घृतम् | दुहानाः | विश्वतः | प्र-पीताः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,४१.७ //
//८//.

-ऋ. वे. ५:४/९-
(ऋ. वे. ७,४२)
प्र | ब्रह्माणः | अङ्गिरसः | नक्षन्त | प्र | क्रन्दनुः | नभन्यस्य | वेतु | प्र | धेनवः | उद-प्रुतः | नवन्त | युज्याताम् | अद्री इति | अध्वरस्य | पेशः // ऋ. वे. ७,४२.१ //
सु-गः | ते | अग्ने | सन-वित्तः | अध्वा | युक्ष्व | सुते | हरितः | रोहितः | च | ये | वा | सद्मन् | अरुषाः | वीर-वाहः | हुवे | देवानाम् | जनिमानि | सत्तः // ऋ. वे. ७,४२.२ //
सम् | ॐ इति | वः | यज्ञम् | महयन् | नमः-भिः | प्र | होता | मन्द्रः | रिरिचे | उपाके | यजस्व | सु | पुरु-अनीक | देवान् | आ | यज्ञियाम् | अर-मतिम् | ववृत्याः // ऋ. वे. ७,४२.३ //
यदा | वीरस्य | रेवतः | दुरोणे | स्योन-शीः | अतिथिः | आचिकेतत् | सु-प्रीतः | अग्न् इः | सु-धितः | दमे | आ | सः | विशे | दाति | वार्यम् | इयत्यै // ऋ. वे. ७,४२.४ //
इमम् | नः | अग्ने | अध्वरम् | जुषस्व | मरुत्-सु | इन्द्रे | यशसम् | कृधि | नः | आ | नक्ता | बर्हिः | सदताम् | उषसा | उशन्ता | मित्रावरुणा | यज | इह // ऋ. वे. ७,४२.५ //
एव | अग्निम् | सहस्यम् | वसिष्ठः | रायः-कामः | विश्व-प्स्न्यस्य | स्तौत् | इषम् | रयिम् | पप्रथत् | वाजम् | अस्मे इति | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,४२.६ //
//९//.

-ऋ. वे. ५:४/१०-
(ऋ. वे. ७,४३)
प्र | वः | यज्ञेषु | देव-यन्तः | अर्चन् | द्यावा | नमः-भिः | पृथिवी इति | इषध्यै | येषाम् | ब्रह्माणि | असमानि | विप्राः | विष्वक् | वि-यन्ति | वनिनः | न | शाखाः // ऋ. वे. ७,४३.१ //
प्र | यज्ञः | एतु | हेत्वः | न | सप्तिः | उत् | यच्छध्वम् | स-मनसः | घृताचीः | स्तृणीत | बर्हिः | अध्वराय | साधु | ऊर्ध्वा | शोचींषि | देव-यूनि | अस्थुः // ऋ. वे. ७,४३.२ //
आ | पुत्रासः | न | मातरम् | वि-भृत्राः | सानौ | देवासः | बर्हिषः | सदन्तु | आ | विश्वाची | विदथ्याम् | अनक्तु | अग्ने | मा | नः | देव-ताता | मृधः | करितिकः // ऋ. वे. ७,४३.३ //
ते | सीषपन्त | जोषम् | आ | यजत्राः | ऋतस्य | धाराः | सु-दुघाः | दुहानाः | ज्येष्ठम् | वः | अद्य | महः | आ | वसूनाम् | आ | गन्तन | स-मनसः | यति | स्थ // ऋ. वे. ७,४३.४ //
एव | नः | अग्ने | विक्षु | आ | दशस्य | त्वया | वयम् | सहसावन् | आस्क्राः | राया | युजा | सध-मादः | अरिष्टाः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,४३.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ५:४/११-
(ऋ. वे. ७,४४)
दधि-क्राम् | वः | प्रथमम् | अश्विना | उषसम् | अग्निम् | सम्-इद्धम् | भगम् | ऊतये | हुवे | इन्द्रम् | विष्णुम् | पूषणम् | ब्रह्मणः | पतिम् | आदित्यान् | द्यावापृथ् इवी इति | अपः | स्वः // ऋ. वे. ७,४४.१ //
दधि-क्राम् | ॐ इति | नमसा | बोधयन्तः | उत्-ईराणाः | यज्ञम् | उप-प्रयन्तः | इऌआम् | देवीम् | बर्हिषि | सादयन्तः | अश्विना | विप्राः | सु-हवा | हुवेम // ऋ. वे. ७,४४.२ //
दधि-क्रावाणम् | बुबुधानः | अग्निम् | उप | ब्रुवे | उषसम् | सूर्यम् | गाम् | ब्रध्नम् | मांश्चतोः | वरुणस्य | बभ्रुम् | ते | विश्वा | अस्मत् | दुः-इता | यवयन्तु // ऋ. वे. ७,४४.३ //
दधि-क्रावा | प्रथमः | वाजी | अर्वा | अग्रे | रथानाम् | भवति | प्र-जानन् | सम्-विदानः | उषसा | सूर्येण | आदित्येभिः | वसु-भिः | अङ्गिरः-भिः // ऋ. वे. ७,४४.४ //
आ | नः | दधि-क्राः | पथ्याम् | अनक्तु | ऋतस्य | पन्थाम् | अनु-एतवै | ॐ इति | शृणोतु | नः | दैव्यम् | शर्धः | अग्निः | शृण्वन्तु | विश्वे | महिषाः | अमूराः // ऋ. वे. ७,४४.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ५:४/१२-
(ऋ. वे. ७,४५)
आ | देवः | यातु | सविता | सु-रत्नः | अन्तरिक्ष-प्राः | वहमानः | अश्वैः | हस्ते | दधानः | नर्या | पुरूणि | नि-वेशयन् | च | प्र-सुवन् | च | भूम // ऋ. वे. ७,४५.१ //
उत् | अस्य | बाहू इति | शिथिरा | बृहन्ता | हिरण्यया | दिवः | अन्तान् | अनष्टाम् | नूनम् | सः | अस्य | महिमा | पनिष्ट | सूरः | चित् | अस्मै | अनु | दात् | अपस्याम् // ऋ. वे. ७,४५.२ //
सः | घ | नः | देवः | सविता | सह-वा | आ | साविषत् | वसु-पतिः | वसूनि | वि-श्रयमाणः | अमतिम् | उरूचीम् | मर्त-भोजनम् | अध | रासते | नः // ऋ. वे. ७,४५.३ //
इमाः | गिरः | सवितारम् | सु-जिह्वम् | पूर्ण-गभस्तिम् | ईऌअते | सु-पाणिम् | चित्रम् | वयः | बृहत् | अस्मे इति | दधातु | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,४५.४ //
//१२//.

-ऋ. वे. ५:४/१३-
(ऋ. वे. ७,४६)
इमाः | रुद्राय | स्थिर-धन्वने | गिरः | क्षिप्र-सवे | देवाय | स्वधाव्ने | अषाऌहाय | सहमानाय | वेधसे | तिग्म-आयुधाय | भरत | शृणोतु | नः // ऋ. वे. ७,४६.१ //
सः | हि | क्षयेण | क्षम्यस्य | जन्मनः | साम्-राज्येन | दिव्यस्य | चेतति | अवन् | अवन्तीः | उप | नः | दुरः | चर | अनमीवः | रुद्र | जासु | नः | भव // ऋ. वे. ७,४६.२ //
या | ते | दिद्युत् | अव-सृष्टा | दिवः | परि | क्ष्मया | चरति | परि | सा | वृणक्तु | नः | सहस्रम् | ते | सु-अपिवात | भेषजा | मा | नः | तोकेषु | तनयेषु | रिरिषः // ऋ. वे. ७,४६.३ //
मा | नः | वधीः | रुद्र | मा | परा | दाः | मा | ते | भूम | प्र-सितौ | हीऌइतस्य | आ | नः | भज | बर्हिषि | जीव-शंसे | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,४६.४ //
//१३//.

-ऋ. वे. ५:४/१४-
(ऋ. वे. ७,४७)
आपः | यम् | वः | प्रथमम् | दव-यन्तः | इन्द्र-पानम् | ऊर्मिम् | अकृण्वत | इऌअः | तम् | वः | वयम् | शुचिम् | अरिप्रम् | अद्य | घृत-प्रुषम् | मधु-मन्तम् | वनेम // ऋ. वे. ७,४७.१ //
तम् | ऊर्मिम् | आपः | मधुमत्-तमम् | वः | अपाम् | नपात् | अवतु | आशु-हेमा | यस्मिन् | इन्द्रः | वसु-भिः | मादयाते | तम् | अश्याम | देव-यन्तः | वः | अद्य // ऋ. वे. ७,४७.२ //
शत-पवित्राः | स्वधया | मदन्तीः | देवीः | देवानाम् | अपि | यन्ति | पाथः | ताः | इन्द्रस्य | न | मिनन्ति | व्रतानि | सिन्धु-भ्यः | हव्यम् | घृत-वत् | जुहोत // ऋ. वे. ७,४७.३ //
याः | सूर्यः | रश्मि-भिः | आततान | याभ्यः | इन्द्रः | अरदत् | गातुम् | ऊर्मिम् | ते | सिन्धवः | वरिवः | धातन | नः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,४७.४ //
//१४//.

-ऋ. वे. ५:४/१५-
(ऋ. वे. ७,४८)
ऋभु-क्षणः | वाजाः | मादयध्वम् | अस्मे इति | नरः | मघ-वानः | सुतस्य | आ | वः | अर्वाचः | क्रतवः | न | याताम् | वि-भ्वः | रथम् | नर्यम् | वर्तयन्तु // ऋ. वे. ७,४८.१ //
ऋभुः | ऋभु-भिः | अभि | वः | स्याम | वि-भ्वः | वि-भुमिः | शवसा | शवांसि | वाजः | अस्मान् | अवतु | वाज-सातौ | इन्द्रेण | युजा | तरुषेम | वृत्रम् // ऋ. वे. ७,४८.२ //
ते | चित् | हि | पूर्वीः | अभि | सन्ति | शासा | विश्वान् | अर्यः | उपर-ताति | वन्वन् | इन्द्रः | वि-भ्वा | ऋभुक्षाः | वाजः | अर्यः | शत्रोः | मिथत्या | कृणवन् | वि | नृम्णम् // ऋ. वे. ७,४८.३ //
नु | देवासः | वरिवः | कर्तन | नः | भूत | नः | विश्वे | अवसे | स-जोषाः | सम् | अस्मे इति | इषम् | वसवः | ददीरन् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,४८.४ //
//१५//.

-ऋ. वे. ५:४/१६-
(ऋ. वे. ७,४९)
समुद्र-ज्येष्ठाः | सलिलस्य | मध्यात् | पुनानाः | यन्ति | अनि-विशमानाः | इन्द्रः | या | वज्री | वृषभः | रराद | ताः | आपः | देवीः | इह | माम् | अवन्तु // ऋ. वे. ७,४९.१ //
याः | आपः | दिव्याः | उत | वा | स्रवन्ति | खनित्रिमाः | उत | वा | याः | स्वयम्-जाः | समुद्र-अर्थाः | याः | शुचयः | पावकाः | ताः | आपः | देवीः | इह | माम् | अवन्तु // ऋ. वे. ७,४९.२ //
यासाम् | राजा | वरुणः | याति | मध्ये | सत्यानृते इति | अव-पश्यन् | जनानाम् | मधु-श्चुतः | शुचयः | याः | पावकाः | ताः | आपः | देवीः | इह | माम् | अवन्तु // ऋ. वे. ७,४९.३ //
यासु | राजा | वरुणः | यासु | सोमः | विश्वे | देवाः | यासु | ऊर्जम् | मदन्ति | वैश्वानरः | यासु | अग्निः | प्र-विष्टः | ताः | आपः | देवीः | इह | माम् | अवन्तु // ऋ. वे. ७,४९.४ //
//१६//.

-ऋ. वे. ५:४/१७-
(ऋ. वे. ७,५०)
आ | माम् | मित्रावरुणा | इह | रक्षतम् | कुलाययत् | वि-श्वयत् | मा | नः | आ | गन् | अजकावम् | दुः-दृशीकम् | तिरः | दधे | मा | माम् | पद्येन | रपसा | विदत् | त्सरुः // ऋ. वे. ७,५०.१ //
यत् | वि-जामन् | परुषि | वन्दनम् | भुवत् | अष्ठीवन्तौ | परि | कुल्फौ | च | देहत् | अग्निः | तत् | शोचन् | अप | बाधताम् | इतः | मा | माम् | पद्येन | रपसा | विदत् | त्सरुः // ऋ. वे. ७,५०.२ //
यत् | शल्मलौ | भवति | यत् | नदीषु | यत् | ओषधीभ्यः | परि | जायते | विषम् | विश्वे | देवाः | निः | इतः | तत् | सुवन्तु | मा | माम् | पद्येन | रपसा | विदत् | त्सरुः // ऋ. वे. ७,५०.३ //
याः | प्र-वतः | नि-वतः | उत्-वतः | उदन्-वतीः | अनुदकाः | च | याः | ताः | अस्मभ्यम् | पयसा | पिन्वमानाः | शिवाः | देवीः | अशिपदाः | भवन्तु | सर्वाः | नद्यः | अशिमिदाः | भवन्तु // ऋ. वे. ७,५०.४ //
//१७//.

-ऋ. वे. ५:४/१८-
(ऋ. वे. ७,५१)
आदित्यानाम् | अवसा | नूतनेन | सक्षीमहि | शर्मणा | शम्-तमेन | अनागाः-त्वे | अदिति-त्वे | तुरासः | इमम् | यज्ञम् | दधतु | श्रोषमाणाः // ऋ. वे. ७,५१.१ //
आदित्यासः | अदितिः | मादयन्ताम् | मित्रः | अर्यमा | वरुणः | रजिष्ठाः | अस्माकम् | सन्तु | भुवनस्य | गोपाः | पिबन्तु | सोमम् | अवसे | नः | अद्य // ऋ. वे. ७,५१.२ //
आदित्याः | विश्वे | मरुतः | च | विश्वे | देवाः | च | विश्वे | ऋभवः | च | विश्वे | इन्द्रः | अग्निः | अश्विना | तुस्तुवानाः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,५१.३ //
//१८//.

-ऋ. वे. ५:४/१९-
(ऋ. वे. ७,५२)
आदित्यासः | अदितयः | स्याम | पूः | देव-त्रा | वसवः | मर्त्य-त्रा | सनेम | मित्रावरुणा | सनन्तः | भवेम | द्यावापृथिवी | भवन्तः // ऋ. वे. ७,५२.१ //
मित्रः | तत् | नः | वरुणः | ममहन्त | शर्म | तोकाय | तनयाय | गोपाः | मा | वः | भुजेम | अन्य-जातम् | एनः | मा | तत् | कर्म | वसवः | यत् | चयध्वे // ऋ. वे. ७,५२.२ //
तुरण्यवः | अङ्गिरसः | नक्षन्त | रत्नम् | देवस्य | सवितुः | इयानाः | पि ता | च | तत् | नः | महान् | यजत्रः | विश्वे | देवाः | स-मनसः | जुषन्त // ऋ. वे. ७,५२.३ //
//१९//.

-ऋ. वे. ५:४/२०-
(ऋ. वे. ७,५३)
प्र | द्यावा | यज्ञैः | पृथिवी इति | नमः-भिः | स-बाधः | ईऌए | बृहती इति | यजत्रेइति | /
ते इति | चित् | हि | पूर्वे | कवयः | गृणन्तः | पुरः | मही इति | दधिरे | देवपुत्रेइतिदेव-पुत्रे // ऋ. वे. ७,५३.१ //
प्र | पूर्वजे इतिपूर्व-जे | पितरा | नव्यसीभिः | गीः-भिः | कृणुध्वम् | सदने | ऋतस्य | आ | नः | द्यावापृथिवी इति | दैव्येन | जनेन | यातम् | महि | वाम् | वरूथम् // ऋ. वे. ७,५३.२ //
उतो इति | हि | वाम् | रत्न-धेयानि | सन्ति | पुरूणि | द्यावापृथिवी इति | सु-दासे | अस्मे इति | धत्तम् | यत् | असत् | अस्कृधोयु | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,५३.३ //
//२०//.

-ऋ. वे. ५:४/२१-
(ऋ. वे. ७,५४)
वास्तोः | पते | प्रति | जानीहि | अस्मान् | सु-आवेशः | अनमीवः | भव | नः | यत् | त्वा | ईमहे | प्रति | तत् | नः | जुषस्व | शम् | नः | भव | द्वि-पदे | शम् | चतुः-पदे // ऋ. वे. ७,५४.१ //
वास्तोः | पते | प्र-तरणः | नः | एधि | गय-स्फानः | गोभिः | अश्वेभिः | इन्दो इति | अजरासः | ते | सख्ये | स्याम | पिताइव | पुत्रान् | प्रति | नः | जुषस्व // ऋ. वे. ७,५४.२ //
वास्तोः | पते | शग्मया | सम्-सदा | ते | सक्षीमहि | रण्वया | गातु-मत्या | पाहि | क्षेमे | उत | योगे | वरम् | नः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,५४.३ //
//२१//.

-ऋ. वे. ५:४/२२-
(ऋ. वे. ७,५५)
अमीव-हा | वास्तोः | पते | विश्वा | रूपाणि | आविशन् | सखा | सु-शेवः | एधि | नः // ऋ. वे. ७,५५.१ //
यत् | अर्जुन | सारमेय | दतः | पिशङ्ग | यच्छसे | वि-इव | भ्राजन्ते | ऋष्टयः | उप | स्रक्वेषु | नि | सु | स्वप // ऋ. वे. ७,५५.२ //
स्तेनम् | राय | सारमेय | तस्करम् | वा | पुनः-सर | स्तोतॄन् | इन्द्रस्य | रायसि | किम् | अस्मान् | दुच्छुन-यसे | नि | सु | स्वप // ऋ. वे. ७,५५.३ //
त्वम् | सूकरस्य | ददृहि | तव | दर्दर्तु | सूकरः | स्तोतॄन् | इन्द्रस्य | रायसि | किम् | अस्मान् | दुच्छुन-यसे | नि | सु | स्वप // ऋ. वे. ७,५५.४ //
सस्तु | माता | सस्तु | पिता | सस्तु | श्वा | सस्तु | विश्पतिः | ससन्तु | सर्वे | ज्ञातयः | सस्तु | अयम् | अभितः | जनः // ऋ. वे. ७,५५.५ //
यः | आस्ते | यः | च | चरति | यः | च | पश्यति | नः | जनः | तेषाम् | सम् | हन्मः | अक्षाणि | यथा | इदम् | हर्म्यम् | तथा // ऋ. वे. ७,५५.६ //
सहस्र-शृङ्गः | वृषभः | यः | समुद्रात् | उत्-आचरत् | तेन | सहस्येन | वयम् | नि | जनान् | स्वापयामसि // ऋ. वे. ७,५५.७ //
प्रोष्ठे--शयाः | वह्ये--शयाः | नारीः | याः | तल्प-शीवरीः | स्रियः | याः | पुण्य-गन्धाः | ताः | सर्वाः | स्वापयामसि // ऋ. वे. ७,५५.८ //
//२२//.

-ऋ. वे. ५:४/२३-
(ऋ. वे. ७,५६)
के | ईम् | वि-अक्ताः | नरः | स-नीऌआः | रुद्रस्य | मर्याः | अध | सु-अश्वाः // ऋ. वे. ७,५६.१ //
नकिः | हि | एषाम् | जनूंषि | वेदे | ते | अङ्ग | विद्रे | मिथः | जनित्रम् // ऋ. वे. ७,५६.२ //
अभि | स्व-पूभिः | मिथः | वपन्त | वात-स्वनसः | श्येनाः | अस्पृध्रन् // ऋ. वे. ७,५६.३ //
एतानि | धीरः | निण्या | चिकेत | पृश्निः | यत् | ऊधः | मही | जभार // ऋ. वे. ७,५६.४ //
सा | विट् | सु-वीरा | मरुत्-भिः | अस्तु | सनात् | सहन्ती | पुष्यन्ती | नृम्णम् // ऋ. वे. ७,५६.५ //
यामम् | येष्ठाः | शुभा | शोभिष्ठाः | श्रिया | सम्-मिश्लाः | ओजः-भिः | उग्राः // ऋ. वे. ७,५६.६ //
उग्रम् | वः | ओजः | स्थिरा | शवांसि | अध | मरुत्-भिः | गणः | तुविष्मान् // ऋ. वे. ७,५६.७ //
शुभ्रः | वः | शुष्मः | क्रुध्मी | मनांसि | धुनिः | मुनिः-इव | शर्धस्य | धृष्णोः // ऋ. वे. ७,५६.८ //
सनेमि | अस्मत् | युयोत | दिद्युम् | मा | वः | दुः-मतिः | इह | प्रणक् | नः // ऋ. वे. ७,५६.९ //
प्रिया | वः | नाम | हुवे | तुराणाम् | आ | यत् | तृपत् | मरुतः | वावशानाः // ऋ. वे. ७,५६.१० //
//२३//.

-ऋ. वे. ५:४/२४-
सु-आयुधासः | इष्मिणः | सु-निष्काः | उत | स्वयम् | तन्वः | शुम्भमानाः // ऋ. वे. ७,५६.११ //
शुची | वः | हव्या | मरुतः | शुचीनाम् | शुचिम् | हिनोमि | अध्वरम् | शुचि-भ्यः | ऋतेन | सत्यम् | ऋत-सापः | आयन् | शुचि-जन्मानः | शुचयः | पावकाः // ऋ. वे. ७,५६.१२ //
अंसेषु | आ | मरुतः | खादयः | वः | वक्षः-सु | रुक्माः | उप-शिश्रियाणाः | वि | विद्युतः | न | वृष्टि-भिः | रुचानाः | अनु | स्वधाम् आयुधैर् यच्छमानाः // ऋ. वे. ७,५६.१३ //
प्र | बुध्न्या | वः | ईरते | महांसि | प्र | नामानि | प्र-यज्यवः | तिरध्वम् | सहस्रियम् | दम्यम् | भागम् | एतम् | गृह-मेधीयम् | मरुतः | जुषध्वम् // ऋ. वे. ७,५६.१४ //
यदि | स्तुतस्य | मरुतः | अधिथ | इत्था | विप्रस्य | वाजिनः | हवीमन् | मक्षु | रायः | सु-वीर्यस्य | दात | नु | चित् | यम् | अन्यः | आदभत् | अरावा // ऋ. वे. ७,५६.१५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ५:४/२५-
अत्यासः | न | ये | मरुतः | सु-अञ्चः | यक्ष-दृशः | न | शुभयन्त | मयार्ः | ते | हर्म्ये--स्थाः | शिशवः | न | शुभ्राः | वत्सासः | न | प्र-कीऌइनः | पयः-धाः // ऋ. वे. ७,५६.१६ //
दशस्यन्तः | नः | मरुतः | मृऌअन्तु | वरिवस्यन्तः | रोदसी इति | सुमेके इतिसु-मेके | आरे | गो--हा | नृ-हा | वधः | वः | अस्तु | सुम्रेभिः | अस्मे इति | वसवः | नमध्वम् // ऋ. वे. ७,५६.१७ //
आ | वः | होता | जोहवीति | सत्तः | सत्राची | रातिम् | मरुतः | गृणानः | यः | ईवतः | वृषणः | अस्ति | गोपाः | सः | अद्वयावी | हवते | वः | उक्थैः // ऋ. वे. ७,५६.१८ //
इमे | तुरम् | मरुतः | रमयन्ति | इमे | सहः | सहसः | आ | नमन्ति | इमे | शंसम् | वनुष्यतः | नि | पान्ति | गुरु | द्वेषः | अररुषे | दधन्ति // ऋ. वे. ७,५६.१९ //
इमे | रध्रम् | चित् | मरुतः | जुनन्ति | भृमिम् | चित् | यथा | वसवः | जुषन्त | अप | बाधध्वम् | वृषणः | तमांसि | धत्त | विश्वम् | तनयम् | तोकम् | अस्मे इति // ऋ. वे. ७,५६.२० //
//२५//.

-ऋ. वे. ५:४/२६-
मा | वः | दात्रात् | मरुतः | निः | अराम | मा | पश्चात् | दध्म | रथ्यः | वि-भागे | आ | नः | स्पार्हे | भजतन | वसव्ये | यत् | ईम् | सु-जातम् | वृषणः | वः | अस्ति // ऋ. वे. ७,५६.२१ //
सम् | यत् | हनन्त | मन्यु-भिः | जनासः | शूराः | यह्वीषु | ओषधीषु | विक्षु | अध | स्म | नः | मरुतः | रुद्रियासः | त्रातारः | भूत | पृतनासु | अर्यः // ऋ. वे. ७,५६.२२ //
भूरि | चक्र | मरुतः | पित्र्याणि | उक्थानि | या | वः | शस्यन्ते | पुरा | चित् | मरुत्-भि ः | उग्रः | पृतनासु | साऌहा | मरुत्-भिः | इत् | सनिता | वाजम् | अर्वा // ऋ. वे. ७,५६.२३ //
अस्मे इति | वीरः | मरुतः | शुष्मी | अस्तु | जनानाम् | यः | असुरः | वि-धर्ता | अपः | येन | सु-क्षितये | तरेम | अध | स्वम् | ओकः | अभि | वः | स्याम // ऋ. वे. ७,५६.२४ //
तत् | नः | इन्द्रः | वरुणः | मित्रः | अग्निः | आपः | ओषधीः | वनिनः | जुषन्त | शर्मन् | स्याम | मरुताम् | उप-स्थे | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,५६.२५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ५:४/२७-
(ऋ. वे. ७,५७)
मध्वः | वः | नाम | मारुतम् | यजत्राः | प्र | यज्ञेषु | शवसा | मदन्ति | ये | रेजयन्ति | रोदसी इति | चित् | उर्वी इति | पिन्वन्ति | उत्सम् | यत् | अयासुः | उग्राः // ऋ. वे. ७,५७.१ //
निचेतारः | हि | मरुतः | गृणन्तम् | प्र-नेतारः | यजमानस्य | मन्म | अस्माकम् | अद्य | विदथेषु | बर्हिः | आ | वीतये | सदत | पिप्रियाणाः // ऋ. वे. ७,५७.२ //
न | एतावत् | अन्ये | मरुतः | यथा | इमे | भ्राजन्ते | रुक्मैः | आयुधैः | तनूभिः | आ | रोदसी इति | विश्व-पिशः | पिशानाः | समानम् | अञ्जि | अञ्जते | शुभे | कम् // ऋ. वे. ७,५७.३ //
ऋधक् | सा | वः | मरुतः | दिद्युत् | अस्तु | यत् | वः | आगः | पुरुषता | कराम | मा | वः | तस्याम् | अपि | भूम | यजत्राः | अस्मे इति | वः | अस्तु | सु-मतिः | चनिष्ठा // ऋ. वे. ७,५७.४ //
कृते | चित् | अत्र | मरुतः | रणन्त | अनवद्यासः | शुचयः | पावकाः | प्र | नः | अवत | सुमति-भिः | यजत्राः | प्र | वाजेभिः | तिरत | पुष्यसे | नः // ऋ. वे. ७,५७.५ //
उत | स्तुतासः | मरुतः | व्यन्तु | विश्वेभिः | नाम-भिः | नरः | हवींषि | ददात | नः | अमृतस्य | प्र-जायै | जिगृत | रायः | सूनृता | मघानि // ऋ. वे. ७,५७.६ //
आ | स्तुतासः | मरुतः | विश्वे | ऊती | अच्छ | सूरीन् | सर्व-ताता | जिगात | ये | नः | त्मना | शतिनः | वर्धयन्ति | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,५७.७ //
//२७//.

-ऋ. वे. ५:४/२८-
(ऋ. वे. ७,५८)
प्र | साकम्-उक्षे | अर्चत | गणाय | यः | दैव्यस्य | धाम्नः | तुविष्मान् | उत | क्षोदन्ति | रोदसी इति | महि-त्वा | नक्षन्ते | नाकम् | निः-ऋतेः | अवंशात् // ऋ. वे. ७,५८.१ //
जनूः | चित् | वः | मरुतः | त्वेष्येण | भीमासः | तुवि-मन्यवः | अयासः | प्र | ये | महः-भिः | ओजसा | उत | सन्ति | विश्वः | वः | यामन् | भयते | स्वः-दृक् // ऋ. वे. ७,५८.२ //
बृहत् | वयः | मघवत्-भ्यः | दधात | जुजोषन् | इत् | मरुतः | सु-स्तुतिम् | नः | गतः | न | अध्वा | वि | तिराति | जन्तुम् | प्र | नः | स्पार्हाभिः | ऊति-भिः | तिरेत // ऋ. वे. ७,५८.३ //
युष्माऊतः | विप्रः | मरुतः | शतस्वी | युष्माऊतः | अर्वा | सहुरिः | सहस्री | युष्माऊतः | सम्-राट् | उत | हन्ति | वृत्रम् | प्र | तत् | वः | अस्तु | धूतयः | देष्णम् // ऋ. वे. ७,५८.४ //
तान् | आ | रुद्रस्य | मीऌहुषः | विवासे | कुवित् | नंसन्ते | मरुतः | पुनः | नः | यत् | सस्वर्ता | जिहीऌइरे | यत् | आविः | अव | तत् | एनः | ईमहे | तुराणाम् // ऋ. वे. ७,५८.५ //
प्र | सा | वाचि | सु-स्तुतिः | मघोनाम् | इदम् | सु-उक्तम् | मरुतः | जुषन्त | आरात् | चित् | द्वेषः | वृषणः | युयोत | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,५८.६ //
//२८//.

-ऋ. वे. ५:४/२९-
(ऋ. वे. ७,५९)
यम् | त्रायध्वे | इदम्-इदम् | देवासः | यम् | च | नयथ | तस्मै | अग्ने | वरुण | मित्र | अर्यमन् | मरुतः | शर्म | यच्छत // ऋ. वे. ७,५९.१ //
युष्माकम् | देवाः | अवसा | अहनि | प्रिये | ईजानः | तरति | द्विषः | प्र | सः | क्षयम् | तिरते | वि | महीः | इषः | यः | वः | वराय | दाशति // ऋ. वे. ७,५९.२ //
नहि | वः | चरमम् | चन | वसिष्ठः | परि-मंसते | अस्माकम् | अद्य | मरुतः | सुते | सचा | विश्वे | पिबत | कामिनः // ऋ. वे. ७,५९.३ //
नहि | वः | ऊतिः | पृतनासु | मर्धति | यस्मै | अराध्वम् | नरः | अभि | वः | आ | अवार्त | सु-मतिः | नवीयसी | तूयम् | यात | पिपीषवः // ऋ. वे. ७,५९.४ //
ओ इति | सु | घृष्वि-राधसः | यातन | अन्धांसि | पीतये | इमा | वः | हव्या | मरुतः | ररे | हि | कम् | मो इति | सु | अन्यत्र | गन्तन // ऋ. वे. ७,५९.५ //
आ | चः | नः | बर्हिः | सदत | अवित | च | नः | स्पार्हाणि | दातवे | वसु | अस्रेधन्तः | मरुतः | सोम्ये | मधौ | स्वाहा | इह | मादयाध्वै // ऋ. वे. ७,५९.६ //
//२९//.

-ऋ. वे. ५:४/३०-
सस्वरिति | चित् | हि | तन्वः | शुम्भमानाः | आ | हंसासः | नील-पृष्ठाः | अपप्तन् | विश्वम् | शर्धः | अभितः | मा | नि | सेद | नरः | न | रण्वाः | सवने | मदन्तः // ऋ. वे. ७,५९.७ //
यः | नः | मरुतः | अभि | दुः-हृणायुः | तिरः | चित्तानि | वसवः | जिघांसति | द्रुहः | पाशान् | प्रति | सः | मुचीष्ट | तपिष्टेन | हन्मना | हन्तन | तम् // ऋ. वे. ७,५९.८ //
सान्-तपनाः | इदम् | हविः | मरुतः | तत् | जुजुष्टन | युष्माक | ऊती | रिशादसः // ऋ. वे. ७,५९.९ //
गृह-मेधासः | आ | गत | मरुतः | मा | अप | भूतन | युष्माक | ऊती | सु-दानवः // ऋ. वे. ७,५९.१० //
इह-इह | वः | स्व-तवसः | कवयः | सूर्य-त्वचः | यज्ञम् | मरुतः | आ | वृणे // ऋ. वे. ७,५९.११ //
त्र्यम्बकम् | यजामहे | सुगन्धिम् | पुष्टि-वर्धनम् | उर्वारुकम्-इव | बन्धनात् | मृत्योः | मुक्षीय | मा | अमृतात् // ऋ. वे. ७,५९.१२ //
//३०//.




-ऋ. वे. ५:५/१-
(ऋ. वे. ७,६०)
यत् | अद्य | सूर्य | ब्रवः | अनागाः | उत्-यन् | मित्राय | वरुणाय | सत्यम् | वयम् | देव-त्रा | अदिते | स्याम | तव | प्रियासः | अर्यमन् | गृणन्तः // ऋ. वे. ७,६०.१ //
एषः | स्यः | मित्रावरुणा | नृ-चक्षाः | उभे इति | उत् | एति | सूर्यः | अभि | ज्मन् | विश्वस्य | स्थातुः | जगतः | च | गोपाः | ऋजु | मर्तेषु | वृजिना | च | पश्यन् // ऋ. वे. ७,६०.२ //
अयुक्त | सप्त | हरितः | सध-स्थात् | याः | ईम् | वहन्ति | सूर्यम् | घृताचीः | धामानि | मित्रावरुणा | युवाकुः | सम् | यः | यूथाइव | जनिमानि | चष्टे // ऋ. वे. ७,६०.३ //
उत् | वाम् | पृक्षासः | मधु-मन्तः | अस्थुः | आ | सूर्यः | अरुहत् | शुक्रम् | अर्णः | यस्मै | आदित्याः | अध्वनः | रदन्ति | मित्रः | अर्यमा | वरुणः | स-जोषाः // ऋ. वे. ७,६०.४ //
इमे | चेतारः | अनृतस्य | भूरेः | मित्रः | अर्यमा | वरुणः | हि | सन्ति | इमे | ऋतस्य | ववृधुः | दुरोणे | शग्मासः | पुत्राः | अदितेः | अदब्धाः // ऋ. वे. ७,६०.५ //
इमे | मित्रः | वरुणः | दुः-दभासः | अचेतसम् | चित् | चितयन्ति | दक्षैः | अपि | क्रतुम् | सुचेतसम् | वतन्तः | तिरः | चित् | अंहः | सु-पथा | नयन्ति // ऋ. वे. ७,६०.६ //
//१//.

-ऋ. वे. ५:५/२-
इमे | दिवः | अनि-मिषा | पृथिव्याः | चिकित्वांसः | अचेतसम् | नयन्ति | प्र-व्राजे | चित् | नद्यः | गाधम् | असि | पारम् | नः | अस्य | विष्पितस्य | पर्षन् // ऋ. वे. ७,६०.७ //
यत् | गोपावत् | अदितिः | शर्म | भद्रम् | मित्रः | यच्छन्ति | वरुणः | सु-दासे | तस्मिन् | आ | तोकम् | तनयम् | दधानाः | मा | कर्म | देव-हेऌअनम् | तुरासः // ऋ. वे. ७,६०.८ //
अव | वेदिम् | होत्राभिः | यजेत | रिपः | काः | चित् | वरुण-ध्रितः | सः | परि | द्वेषः-भिः | अर्यमा | वृणक्तु | उरुम् | सु-दासे | वृषणौ | ॐ इति | लोकम् // ऋ. वे. ७,६०.९ //
सस्वरिति | चित् | हि | सम्-ऋतिः | त्वेषी | एषाम् | अपीच्येन | सहसा | सहन्ते | युष्मत् | भिया | वृषणः | रेजमानाः | दक्षस्य | चित् | महिना | मृऌअत | नः // ऋ. वे. ७,६०.१० //
यः | ब्रह्मणे | सु-मतिम् | आयजाते | वाजस्य | सातौ | परमस्य | रायः | सीक्षन्त | मन्युम् | मघ-वानः | अर्यः | उरु | क्षयाय | चक्रिरे | सु-धातु // ऋ. वे. ७,६०.११ //
इयम् | देव | पुरः-हितिः | युव-भ्याम् | यज्ञेषु | मित्रावरुणौ | अकारि | विश्वानि | दुः-गा | पिपृतम् | तिरः | नः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,६०.१२ //
//२//.

-ऋ. वे. ५:५/३-
(ऋ. वे. ७,६१)
उत् | वाम् | चक्षुः | वरुणा | सु-प्रतीकम् | देवयोः | एति | सूर्यः | ततन्वान् | अभि | यः | विश्वा | भुवनानि | चष्टे | सः | मन्युम् | मर्त्येषु | आ | चिकेत // ऋ. वे. ७,६१.१ //
प्र | वाम् | सः | मित्रावरुणौ | ऋत-वा | विप्रः | मन्मानि | दीर्घ-श्रुत् | इयर्ति | यस्य | ब्रह्माणि | सुक्रतूइतिसु-क्रतू | अवाथः | आ | यत् | क्रत्वा | न | शरदः | पृणैथे // ऋ. वे. ७,६१.२ //
प्र | उरोः | मित्रावरुणा | पृथिव्याः | प्र | दिवः | ऋष्वात् | बृहतः | सुदानूइतिसु-दानू | स्पशः | दधाथेइति | ओषधीषु | विक्षु | ऋधक् | यतः | अनि-मिषम् | रक्षमाणा // ऋ. वे. ७,६१.३ //
शंसा | मित्रस्य | वरुणस्य | धाम | शुष्मः | रोदसी इति | बद्बधे | महि-त्वा | अयन् | मासाः | अयज्वनाम् | अवीराः | प्र | यज्ञ-मन्मा | वृजनम् | तिराते // ऋ. वे. ७,६१.४ //
अमूरा | विश्वा | वृषणौ | इमाः | वाम् | न | यासु | चित्रम् | ददृशे | न | यक्षम् | दुहः | सचन्ते | अनृता | जनानाम् | न | वाम् | निण्यानि | अचिते | अभूवन् // ऋ. वे. ७,६१.५ //
सम् | ॐ इति | वाम् | यज्ञम् | महयम् | नमः-भिः | हुवे | वाम् | मित्रावरुणा | स-बाधः | प्र | वाम् | मन्मानि | ऋचसे | नवानि | कृतानि | ब्रह्म | जुजुषन् | इमानि // ऋ. वे. ७,६१.६ //
इयम् | देव | पुरः-हितिः | युव-भ्याम् | यज्ञेषु | मित्रावरुणौ | अकारि | विश्वानि | दुः-गा | पिपृतम् | तिरः | नः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,६१.७ //
//३//.

-ऋ. वे. ५:५/४-
(ऋ. वे. ७,६२)
उत् | सूर्यः | बृहत् | अर्चींषि | अश्रेत् | पुरु | विश्वा | जनिम | मानुषाणाम् | समः | दिवा | ददृशे | रोचमानः | क्रत्वा | कृतः | सु-कृतः | कर्तृ-भिः | भूत् // ऋ. वे. ७,६२.१ //
सः | सूर्य | प्रति | पुरः | नः | उत् | गाः | एभिः | स्तोमेभिः | एतशेभिः | एवैः | प्र | नः | मित्राय | वरुणाय | वोचः | अनागसः | अर्यम्णे | अग्नये | च // ऋ. वे. ७,६२.२ //
वि | नः | सहस्रम् | शुरुधः | रदन्तु | ऋत-वानः | वरुणः | मित्रः | अग्निः | यच्छन्तु | चन्द्राः | उप-मम् | नः | अर्कम् | आ | नः | कामम् | पूपुरन्तु | स्तवानाः // ऋ. वे. ७,६२.३ //
द्यावाभूमी इति | अदिते | त्रासीथाम् | नः | ये | वाम् | जज्ञुः | सु-जनिमानः | ऋष्वेइति | मा | हेऌए | भूम | वरुणस्य | वायोः | मा | मित्रस्य | प्रिय-तमस्य | नृणाम् // ऋ. वे. ७,६२.४ //
प्र | बाहवा | सिसृतम् | जीवसे | नः | आ | नः | गव्यूतिम् | उक्षतम् | घृतेन | आ | नः | जने | श्रवयतम् | युवाना | श्रुतम् | मे | मित्रावरुणा | हवा | इमा // ऋ. वे. ७,६२.५ //
नु | मित्रः | वरुणः | अर्यमा | नः | त्मने | तोकाय | वरिवः | दधन्तु | सु-गा | नः | विश्वा | सु-पथानि | सन्तु | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,६२.६ //
//४//.

-ऋ. वे. ५:५/५-
(ऋ. वे. ७,६३)
उत् | ॐ इति | एति | सु-भगः | विश्व-चक्षाः | साधारणः | सूर्यः | मानुषाणाम् | चक्षुः | मित्रस्य | वरुणस्य | देवः | चर्म-इव | यः | सम्-अविव्यक् | तमांसि // ऋ. वे. ७,६३.१ //
उत् | ॐ इति | एति | प्र-सवीता | जनानाम् | महान् | केतुः | अर्णवः | सूर्यस्य | समानम् | चक्रम् | परि-आविवृत्सन् | यत् | एतशः | वहति | धूर्षु | युक्तः // ऋ. वे. ७,६३.२ //
वि-भ्राजमानः | उषसाम् | उप-स्थात् | रेभैः | उत् | एति | अनु-मद्यमानः | एषः | मे | देवः | सविता | चच्छन्द | यः | समानम् | न | प्र-मिनाति | धाम // ऋ. वे. ७,६३.३ //
दिवः | रुक्मः | उरु-चक्षाः | उत् | एति | दूरे--अर्थः | तरणिः | भ्राजमानः | नूनम् | जनाः | सूर्येण | प्र-सूताः | अयन् | अर्थानि | कृणवन् | अपांसि // ऋ. वे. ७,६३.४ //
यत्र | चक्रुः | अमृताः | गातुम् | अस्मै | श्येनः | न | दीयन् | अनु | एति | पाथः | प्रति | वाम् | सूरे | उत्-इते | विधेम | नमः-भिः | मित्रावरुणा | उत | हव्यैः // ऋ. वे. ७,६३.५ //
नु | मित्रः | वरुणः | अर्यमा | नः | त्मने | तोकाय | वरिवः | दधन्तु | सु-गा | नः | विश्वा | सु-पथानि | सन्तु | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,६३.६ //
//५//.

-ऋ. वे. ५:५/६-
(ऋ. वे. ७,६४)
दिवि | क्षयन्ता | रजसः | पृथिव्याम् | प्र | वाम् | घृतस्य | निः-निजः | ददीरन् | हव्यम् | नः | मित्रः | अर्यमा | सु-जातः | राजा | सु-क्षत्रः | वरुणः | जुषन्त // ऋ. वे. ७,६४.१ //
आ | राजाना | महः | ऋतस्य | गोपा | सिन्धुपती इतिसिन्धु-पती | क्षत्रिया | यातम् | अर्वाक् | इऌआम् | नः | मित्रावरुणा | उत | वृष्टिम् | अव | दिवः | इन्वतम् | जीरदानू इति जीर-दानू // ऋ. वे. ७,६४.२ //
मित्रः | तत् | नः | वरुणः | देवः | अर्यः | प्र | साधिष्ठेभिः | पथि-भिः | नयन्तु | ब्रवत् | यथा | नः | आत् | अरिः | सु-दासे | इषा | मदेम | सह | देव-गोपाः // ऋ. वे. ७,६४.३ //
यः | वाम् | गर्तम् | मनसा | तक्षत् | एतम् | ऊर्ध्वाम् | धीतिम् | कृणवत् | धारयत् | च | उक्षेथाम् | मित्रावरुणा | घृतेन | ता | राजाना | सु-क्षितीः | तर्पयेथाम् // ऋ. वे. ७,६४.४ //
एषः | स्तोमः | वरुण | मित्र | तुभ्यम् | सोमः | शुक्रः | न | वायवे | अयामि | अविष्टम् | धियः | जिगृतम् | पुरम्-धीः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,६४.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ५:५/७-
(ऋ. वे. ७,६५)
प्रति | वाम् | सूरे | उत्-इते | सु-उक्तैः | मित्रम् | हुवे | वरुणम् | पूत-दक्षम् | ययोः | असुर्यम् | अक्षितम् | ज्येष्ठम् | विश्वस्य | यामन् | आचिता | जिगत्नु // ऋ. वे. ७,६५.१ //
ता | हि | देवानाम् | असुरा | तौ | अर्या | ता | नः | क्षितीः | करतम् | ऊर्जयन्तीः | अश्याम | मित्रावरुणा | वयम् | वाम् | द्यावा | च | यत्र | पीपयन् | अहा | च // ऋ. वे. ७,६५.२ //
ता | भूरि-पाशौ | अनृतस्य | सेतूइति | दुरत्येतूइतिदुः-अत्येतू | रिपवे | मर्त्याय | ऋतस्य | मित्रावरुणा | पथा | वाम् | अपः | न | नावा | दुः-इता | तरेम // ऋ. वे. ७,६५.३ //
आ | नः | मित्रावरुणा | हव्य-जुष्टिम् | घृतैः | गव्यूतिम् | उक्षतम् | इऌआभिः | प्रति | वाम् | अत्र | वरम् | आ | जनाय | पृणीतम् | उद्नः | दिव्यस्य | चारोः // ऋ. वे. ७,६५.४ //
एषः | स्तोमः | वरुण | मित्र | तुभ्यम् | सोमः | शुक्रः | न | वायवे | अयामि | अविष्टम् | धियः | जिगृतम् | पुरम्-धीः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,६५.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ५:५/८-
(ऋ. वे. ७,६६)
प्र | मित्रयोः | वरुणयोः | स्तोमः | नः | एतु | शूष्यः | नमस्वान् | तुवि-जातयोः // ऋ. वे. ७,६६.१ //
या | धारयन्त | देवाः | सु-दक्षा | दक्ष-पितरा | असुर्याय | प्र-महसा // ऋ. वे. ७,६६.२ //
ता | नः | स्ति-पा | तनू-पा | वरुण | जरितॄणाम् | मित्र | साधयतम् | धियः // ऋ. वे. ७,६६.३ //
यत् | अद्य | सूरे | उत्-इते | अनागाः | मित्रः | अर्यमा | सुवाति | सविता | भगः // ऋ. वे. ७,६६.४ //
सुप्र-अवीः | अस्तु | सः | क्षयः | प्र | नु | यामन् | सु-दानवः | ये | नः | अंहः | अति-पिप्रति // ऋ. वे. ७,६६.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ५:५/९-
उत | स्व-राजः | अदितिः | अदब्धस्य | व्रतस्य | ये | महः | राजानः | ईशते // ऋ. वे. ७,६६.६ //
प्रति | वाम् | सूरे | उत्-इते | मित्रम् | गृणीषे | वरुणम् | अर्यमणम् | रिशादसम् // ऋ. वे. ७,६६.७ //
राया | हिरण्य-या | मतिः | इयम् | अवृकाय | शवसे | इयम् | विप्रा | मेध-सातये // ऋ. वे. ७,६६.८ //
ते | स्याम | देव | वरुण | ते | मित्र | सूरि-भिः | सह | इषम् | स्वर् इति स्वः | च | धीमहि // ऋ. वे. ७,६६.९ //
बहवः | सूर-चक्षसः | अग्नि-जिह्वाः | ऋत-वृधः | त्रीणि | ये | येमुः | वि दथानि | धीति-भिः | विश्वानि | परिभूति-भिः // ऋ. वे. ७,६६.१० //
//९//.

-ऋ. वे. ५:५/१०-
वि | ये | दधुः | शरदम् | मासम् | आत् | अहः | यज्ञम् | अक्तुम् | च | आत् | ऋचम् | अनाप्यम् | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | क्षत्रम् | राजानः | आशत // ऋ. वे. ७,६६.११ //
तत् | वः | अद्य | मनामहे | सु-उक्तैः | सूरे | उत्-इते | यत् | ओहते | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | यूयम् | ऋतस्य | रथ्यः // ऋ. वे. ७,६६.१२ //
ऋत-वानः | ऋत-जाताः | ऋत-वृधः | घोरासः | अनृत-द्विषः | तेषाम् | वः | सुम्ने | सुच्छर्दिः-तमे | नरः | स्याम | ये | च | सूरयः // ऋ. वे. ७,६६.१३ //
उत् | ॐ इति | त्यत् | दर्शतम् | वपुः | दिवः | एति | प्रति-ह्वरे | यत् | ईम् | आशुः | वहति | देवः | एतशः | विश्वस्मै | चक्षसे | अरम् // ऋ. वे. ७,६६.१४ //
शीर्ष्णः-शीर्ष्णः | जगतः | तस्थुषः | पतिम् | समया | विश्वम् | आ | रजः | सप्त | स्वसारः | सुविताय | सूर्यम् | वहन्ति | हरितः | रथे // ऋ. वे. ७,६६.१५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ५:५/११-
तत् | चक्षुः | देव-हितम् | शुक्रम् | उत्-चरत् | पश्येम | शरदः | शतम् | जीवेम | शरदः | शतम् // ऋ. वे. ७,६६.१६ //
काव्येभिः | अदाभ्या | आ | यातम् | वरुण | द्यु-मत् | मित्रः | च | सोम-पीतये // ऋ. वे. ७,६६.१७ //
दिवः | धाम-भिः | वरुण | मित्रः | च | आ | यातम् | अद्रुहा | पिबतम् | सोमम् | आतुजी इत्य् आतुजी // ऋ. वे. ७,६६.१८ //
आ | यातम् | मित्रावरुणा | जुषाणौ | आहुतिम् | नरा | पातम् | सोमम् | ऋत-वृधा // ऋ. वे. ७,६६.१९ //
//११//.

-ऋ. वे. ५:५/१२-
(ऋ. वे. ७,६७)
प्रति | वाम् | रथम् | नृपती- इतिनृ-पती | जरध्यै | हविष्मता | मनसा | यज्ञियेन | यह् | वाम् | दूतः | न | धिष्ण्यौ | अजीगः | अच्छ | सूनुः | न | पितरा | विवक्मि // ऋ. वे. ७,६७.१ //
अशोचि | अग्निः | सम्-इधानः | अस्मे इति | उपो इति | अदृश्रन् | तमसः | चित् | अन्ताः | अचेति | केतुः | उषसः | पुरस्तात् | श्रिये | द् इवः | दुहितुः | जायमानः // ऋ. वे. ७,६७.२ //
अभि | वाम् | नूनम् | अश्विना | सु-होता | स्तोमैः | सिसक्ति | नासत्या | विवक्वान् | पूर्वीभिः | यातम् | पथ्याभिः | अर्वाक् | स्वः-विदा | वसु-मता | रथेन // ऋ. वे. ७,६७.३ //
अवोः | वाम् | नूनम् | अश्विना | युवाकुः | हुवे | यत् | वाम् | सुते | माध्वी इति | वसु-युः | आ | वाम् | वहन्तु | स्थविरासः | अश्वाः | पिबाथः | अस्मे इति | सु-सुता | मधूनि // ऋ. वे. ७,६७.४ //
प्राचीम् | ॐ इति | देवा | अश्विना | धियम् | मे | अमृध्राम् | सातये | कृतम् | वसु-युम् | विश्वाः | अविष्टम् | वाजे | आ | पुरम्-धीः | ता | नः | शक्तम् | शचीपती इतिशची-पती | शचीभिः // ऋ. वे. ७,६७.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ५:५/१३-
अविष्टम् | धीषु | अश्विना | नः | आसु | प्रजावत् | रेतः | अह्रयम् | नः | अस्तु | आ | वाम् | तोके | तनये | तूतुजानाः | सु-रत्नासः | देव-वीतिम् | गमेम // ऋ. वे. ७,६७.६ //
एषः | स्यः | वाम् | पूर्वगत्वाइव | सख्ये | नि-धिः | हितः | माध्वी इति | रातः | अस्मे इति | अहेऌअता | मनसा | यातम् | अर्वाक् | अश्नन्ता | हव्यम् | मानुषीषु | विक्षु // ऋ. वे. ७,६७.७ //
एकस्मिन् | योगे | भुरणा | समाने | परि | वाम् | सप्त | स्रवतः | रथः | गात् | न | वायन्ति | सु-भ्वः | देव-युक्ताः | ये | वाम् | धूः-सु | तरणयः | वहन्ति // ऋ. वे. ७,६७.८ //
असश्चता | मघवत्-भ्यः | हि | भूतम् | ये | राया | मघ-देयम् | जुनन्ति | प्र | ये | बन्धुम् | सूनृताभिः | तिरन्ते | गव्या | पृञ्चन्तः | अश्व्या | मघानि // ऋ. वे. ७,६७.९ //
नु | मे | हवम् | आ | शृणुतम् | युवाना | यासिष्टम् | वर्तिः | अश्विनौ | इरावत् | धत्तम् | रत्नानि | जरतम् | च | सूरीन् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,६७.१० //
//१३//.

-ऋ. वे. ५:५/१४-
(ऋ. वे. ७,६८)
आ | शुभ्रा | यातम् | अश्विना | सु-अश्वा | गिरः | दस्रा | जुजुषाणा | युवाकोः | हव्यानि | च | प्रति-भृता | वीतम् | नाः // ऋ. वे. ७,६८.१ //
प्र | वाम् | अन्धांसि | मद्यानि | अस्थुः | अरम् | गन्तम् | हविषः | वीतये | मे | त् इरः | अर्यः | हवनानि | श्रुतम् | नः // ऋ. वे. ७,६८.२ //
प्र | वाम् | रथः | मनः-जवा | इयर्ति | तिरः | रजांसि | अश्विना | शत-ऊतिः | अस्मभ्यम् | सूर्यावसूइति | इयानः // ऋ. वे. ७,६८.३ //
अयम् | ह | यत् | वाम् | देव-याः | ॐ इति | अद्रिः | ऊर्ध्वः | विवक्ति | सोम-सुत् | युवभ्याम् | आ | वल्गू इति | विप्रः | ववृतीत | हव्यैः // ऋ. वे. ७,६८.४ //
चित्रम् | ह | यत् | वाम् | भोजनम् | नु | अस्ति | नि | अत्रये | महिष्वन्तम् | युयोतम् | यः | वाम् | ओमानम् | दधते | प्र्यः | सन् // ऋ. वे. ७,६८.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ५:५/१५-
उत | त्यत् | वाम् | जुरते | आश्विना | भूत् | च्यवानाय | प्रतीत्यम् | हविः-दे | अधि | यत् | वर्पः | इतः-ऊति | धत्थः // ऋ. वे. ७,६८.६ //
उत | त्यम् | भुज्युम् | अश्विना | सखायः | मध्ये | जुहुः | दुः-एवासः | समुद्रे | नि ः | ईम् | पर्षत् | अरावा | यः | युवाकुः // ऋ. वे. ७,६८.७ //
वृकाय | चित् | जसमानाय | शक्तम् | उत | श्रुतम् | शयवे | हूयमाना | यौ | अघ्न्याम् | अपिन्वतम् | अपः | न | स्तर्यम् | चित् | शक्ती | अश्विना | शचीभिः // ऋ. वे. ७,६८.८ //
एषः | स्यः | कारुः | जरते | सु-उक्तैः | अग्रे | बुधानः | उषसाम् | सु-मन्मा | इषा | तम् | वर्धत् | अघ्न्या | पयः-भिः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,६८.९ //
//१५//.

-ऋ. वे. ५:५/१६-
(ऋ. वे. ७,६९)
आ | वाम् | रथः | रोदसी इति | बद्बधानः | हिरण्ययः | वृष-भिः | यातु | अश्वैः | घृत-वर्तनिः | पवि-भिः | रुचानः | इषाम् | वोऌहा | नृ-पतिः | वाजिनी-वान् // ऋ. वे. ७,६९.१ //
सः | पप्रथानः | अभि | पञ्च | भूम | त्रि-वन्धुरः | मनसा | यातु | युक्तः | विशः | येन | गच्छथः | देव-यन्तीः | कुत्र | चित् | यामम् | अश्विना | दधाना // ऋ. वे. ७,६९.२ //
सु-अश्वा | यशसा | आ | यातम् | अर्वाक् | दस्रा | नि-धिम् | मधु-मन्तम् | पिबाथः | वि | वाम् | रथः | वध्वा | यादमानः | अन्तान् | दिवः | बाधते | वर्तनि-भ्याम् // ऋ. वे. ७,६९.३ //
युवोः | श्रियम् परि | योषा | अवृणीत | सूरः | दुहिता | परि-तक्म्यायाम् | यत् | देव-यन्तम् | अवथः | शचीभिः | परि | घ्रंसम् | ओमना | वाम् | वयः | गात् // ऋ. वे. ७,६९.४ //
यः | ह | स्यः | वाम् | रथिरा | वस्ते | उस्राः | रथः | युजानः | परि-याति | वर्तिः | तेन | नः | शम् | योः | उषसः | वि-उष्टौ | नि | अश्विना | वहतम् | यज्ञे | अस्मिन् // ऋ. वे. ७,६९.५ //
नरा | गौराइव | वि-द्युतम् | तृषाणा | अस्माकम् | अद्य | सवना | उप | यातम् | पुरु-त्रा | हि | वाम् | मति-भिः | हवन्ते | मा | वाम् | अन्ये | नि | यमन् | देव-यन्तः // ऋ. वे. ७,६९.६ //
युवम् | भुज्युम् | अव-विद्धम् | समुद्रे | उत् | ऊहथुः | अर्णसः | अस्रिधानैः | पतत्रि-भिः | अश्रमैः | अव्यथि-भिः | दंसनाभिः | अश्विना | पारयन्ता // ऋ. वे. ७,६९.७ //
नु | मे | हवम् | आ | शृणुतम् | युवाना | यासिष्टम् | वर्तिः | अश्विनौ | इरावत् | धत्तम् | रत्नानि | जरतम् | च | सूरीन् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,६९.८ //
//१६//.

-ऋ. वे. ५:५/१७-
(ऋ. वे. ७,७०)
आ | विश्व-वारा | अश्विना | गतम् | नः | प्र | तत् | स्थानम् | अवाचि | वाम् | पृथिव्याम् | अश्वः | न | वाजी | शुन-पृष्ठः | अस्थात् | आ | यत् | सेदथुः | ध्रुवसे | न | योनिम् // ऋ. वे. ७,७०.१ //
सिसक्ति | सा | वाम् | सु-मतिः | चनिष्ठा | अतापि | घर्मः | मनुषः | दुरोणे | यः | वाम् | समुद्रान् | सरितः | पिपर्ति | एत-ग्वा | चित् | न | सु-युजा | युजानः // ऋ. वे. ७,७०.२ //
यानि | स्थानानि | अश्विना | दधाथेइति | दिवः | यह्वीषु | ओषधीषु | विक्षु | नि | पर्वतस्य | मूर्धनि | सदन्ता | इषम् | जनाय | दाशुषे | वहन्ता // ऋ. वे. ७,७०.३ //
चनिष्टम् | देवौ | ओषधीषु | अप्-सु | यत् | योग्याः | अश्नवैथेइति | ऋषीणाम् | पुरूणि | रत्ना | दधतौ | नि | अस्मे इति | अनु | पूर्वाणि | चख्यथुः | युगानि // ऋ. वे. ७,७०.४ //
शुश्रुवांसा | चित् | अश्विना | पुरूणि | अभि | ब्रह्माणि | चक्षाथेइति | ऋषीणाम् | प्रति | प्र | यातम् | वरम् | आ | जनाय | अस्मे इति | वाम् | अस्तु | सु-मतिः | चनिष्ठा // ऋ. वे. ७,७०.५ //
यः | वाम् | यज्ञः | नासत्या | हविष्मान् | कृत-ब्रह्मा | स-मर्यः | भवाति | उप | प्र | यातम् | वरम् | आ | वसिष्ठम् | इमा | ब्रह्माणि | ऋच्यन्ते | युव-भ्याम् // ऋ. वे. ७,७०.६ //
इयम् | मनीषा | इयम् | अश्विना | गीः | इमाम् | सु-वृक्तिम् | वृषणा | जुषेथाम् | इमा | ब्रह्माणि | युव-यूनि | अग्मन् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,७०.७ //
//१७//.

-ऋ. वे. ५:५/१८-
(ऋ. वे. ७,७१)
अप | स्वसुः | उषसः | नक् | जिहीते | रिणक्ति | कृष्णीः | अरुषाय | पन्थाम् | अश्व-मघा | गो--मघा | वाम् | हुवेम | दिवा | नक्तम् | शरुम् | अस्मत् | युयोतम् // ऋ. वे. ७,७१.१ //
उप-आयातम् | दाशुषे | मर्त्याय | रथेन | वामम् | अश्विना | वहन्ता | युयुतम् | अस्मत् | अनिराम् | अमीवाम् | दिवा | नक्तम् | माध्वी इति | त्रासीथाम् | नः // ऋ. वे. ७,७१.२ //
आ | वाम् | रथम् | अवमस्याम् | वि-उष्टौ | सुम्न-यवः | वृषणः | वर्तयन्तु | स्यूम-गभस्तिम् | ऋतयुक्-भिः | अश्वैः | आ | अश्विना | वसु-मन्तम् | वहेथाम् // ऋ. वे. ७,७१.३ //
यः | वाम् | रथः | नृपती इतिनृ-पती | अस्ति | वोऌहा | त्रि-वन्धुरः | वसु-मान् | उस्र-यामा | आ | नः | एना | नासत्या | उप | यातम् | अभि | यत् | वाम् | विश्व-प्स्न्यः | जिगाति // ऋ. वे. ७,७१.४ //
युवम् | च्यवानम् | जरसः | अमुमुक्तम् | नि | पेदवे | ऊहथुः | आशुम् | अश्वम् | नि ः | अंहसः | तमसः | स्पर्तम् | अत्रिम् | नि | जाहुषम् | शिथिरे | धातम् | अन्तरि ति // ऋ. वे. ७,७१.५ //
इयम् | मनीषा | इयम् | अश्विना | गीः | इमाम् | सु-वृक्तिम् | वृषणा | जुषेथाम् | इमा | ब्रह्माणि | युव-यूनि | अग्मन् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,७१.६ //
//१८//.

-ऋ. वे. ५:५/१९-
(ऋ. वे. ७,७२)
आ | गो--मता | नासत्या | रथेन | अश्व-वता | पुरु-चन्द्रेण | यातम् | अभि | वाम् | विश्वाः | नि-युतः | सचन्ते | स्पार्हया | श्रिया | तन्वा | शुभाना // ऋ. वे. ७,७२.१ //
आ | नः | देवेभिः | उप | यातम् | अर्वाक् | स-जोषसा | नासत्या | रथेन | युवोः | हि | नः | सख्या | पित्र्याणि | समानः | बन्धुः | उत | तस्य | वित्तम् // ऋ. वे. ७,७२.२ //
उत् | ॐ इति | स्तोमासः | अश्विनोः | अबुध्रन् | जामि | ब्रह्माणि | उषसः | च | देवीः | आविवासन् | रोदसी इति | धिष्ण्येइति | इमे इति | अच्छ | विप्रः | नासत्या | विवक्ति // ऋ. वे. ७,७२.३ //
वि | च | इत् | उच्छन्ति | अश्विनौ | उषसः | प्र | वाम् | ब्रह्माणि | कारवः | भरन्ते | ऊर्ध्वम् | भानुम् | सविता | देवः | अश्रेत् | बृहत् | अग्नयः | सम्-इधा | जरन्ते // ऋ. वे. ७,७२.४ //
आ | पश्चातात् | नासत्या | आ | पुरस्तात् | आ | अश्विना | यातम् | अधरात् | उदक्तात् | आ | विश्वतः | पाञ्च-जन्येन | राया | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,७२.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ५:५/२०-
(ऋ. वे. ७,७३)
अतारिष्म | तमसः | पारम् | अस्य | प्रति | स्तोमम् | देव-यन्तः | दधानाः | पुरु-दंसा | पुरु-तमा | पुराजा | अमर्त्या | हवते | अश्विना | गीः // ऋ. वे. ७,७३.१ //
नि | ॐ इति | प्रियः | मनुषः | सादि | होता | नासत्या | यः | यजते | वन्दते | च | अश्नीतम् | मध्वः | अश्विनौ | उपाके | आ | वाम् | वोचे | विदथेषु | प्रयस्वान् // ऋ. वे. ७,७३.२ //
अहेम | यज्ञम् | पथाम् | उराणाः | इमाम् | सु-वृक्तिम् | वृषणा | जुषेथाम् | श्रुष्टीवाइव | प्र-इषितः | वाम् | अबोधि | प्रति | स्तोमैः | जरमाणः | वसिष्ठः // ऋ. वे. ७,७३.३ //
उप | त्या | वह्नी इति | गमतः | विशम् | नः | रक्षः-हना | सम्-भृता | वीऌउपाणी इतिवीऌउ-पाणी | सम् | अन्धांसि | अग्मत | मत्सराणि | मा | नः | मर्धिष्टम् | आ | गतम् | शिवेन // ऋ. वे. ७,७३.४ //
आ | पश्चातात् | नासत्या | आ | पुरस्तात् | आ | अश्विना | यातम् | अधरात् | उदक्तात् | आ | विश्वतः | पाञ्च-जन्येन | राया | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,७३.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ५:५/२१-
(ऋ. वे. ७,७४)
इमाः | ॐ इति | वाम् | दिविष्टयः | उस्रा | हवन्ते | अश्विना | अयम् | वाम् | अह्वे | अवसे | शचीवसूइतिशची-वसू | विशम्-विशम् | हि | गच्छथः // ऋ. वे. ७,७४.१ //
युवम् | चित्रम् | ददथुः | भोजनम् | नरा | चोदेथाम् | सूनृतावते | अर्वाक् | रथम् | स-मनसा | नि | यच्छतम् | पिबतम् | सोम्यम् | मधु // ऋ. वे. ७,७४.२ //
आ | यातम् | उप | भूषतम् | मध्वः | पिबतम् | अश्विना | दुग्धम् | पयः | मा | नः | मर्धिष्टम् | आ | गतम् // ऋ. वे. ७,७४.३ //
अश्वासः | ये | वाम् | उप | दाशुषः | गृहम् | युवाम् | दीयन्ति | बिभ्रतः | मक्षुयु-भिः | नरा | हयेभिः | अश्विना | आ | देवा | यातम् | अस्मयू इत्य् अस्म-यू // ऋ. वे. ७,७४.४ //
अध | ह | यन्तः | अश्विना | पृक्षः | सचन्त | सूरयः | ता | यंसतः | मघवत्-भ्यः | ध्रुवम् | यशः | छर्दिः | अस्मभ्यम् | नासत्या // ऋ. वे. ७,७४.५ //
प्र | ये | ययुः | अवृकासः | रथाः-इव | नृ-पातारः | जनानाम् | उत | स्वेन | शवसा | शूशुवुः | नरः | उत | क्षियन्ति | सु-क्षितिम् // ऋ. वे. ७,७४.६ //
//२१//.

-ऋ. वे. ५:५/२२-
(ऋ. वे. ७,७५)
वि | उषाः | आवः | दिवि-जाः | ऋतेन | आविः-कृण्वाना | महिमानम् | आ | अगात् | अप | द्रुहः | तमः | आवः | अजुष्टम् | अङ्गिरः-तमा | पथ्याः | अजीगरिति // ऋ. वे. ७,७५.१ //
महे | नः | अद्य | सुविताय | बोधि | उषः | महे | सौभगाय | प्र | यन्धि | चित्रम् | रयिम् | यशसम् | धेहि | अस्मे इति | देवि | मर्तेषु | मानुषि | श्रवस्युम् // ऋ. वे. ७,७५.२ //
एते | त्ये | भानवः | दर्शतायाः | चित्राः | उषसः | अमृतासः | आ | अगुः | जनयन्तः | दैव्यानि | व्रतानि | आपृणन्तः | अन्तरिक्षा | वि | अस्थुः // ऋ. वे. ७,७५.३ //
एषा | स्या | युजाना | पराकात् | पञ्च | क्षितीः | परि | सद्यः | जिगाति | अभि-पश्यन्ती | वयुना | जनानाम् | दिवः | दुहिता | भुवनस्य | पत्नी // ऋ. वे. ७,७५.४ //
वाजिनी-वती | सूर्यस्य | योषा | चित्र-मघा | रायः | ईशे | वसूनाम् | ऋषि-स्तुता | जरयन्ती | मघोनी | उषाः | उच्छति | वह्नि-भिः | गृणाना // ऋ. वे. ७,७५.५ //
प्रति | द्युतानाम् | अरुषासः | अश्वाः | चित्राः | अदृश्रन् | उषसम् | वहन्तः | याति | शुभ्रा | विश्व-पिशा | रथेन | दधाति | रत्नम् | विधते | जनाय // ऋ. वे. ७,७५.६ //
सत्या | सत्येभिः | महती | महत्-भिः | देवी | देवेभिः | यजता | यजत्रैः | रुजत् | दृऌहानि | ददत् | उस्रियानाम् | प्रति | गावः | उषसम् | वावशन्त // ऋ. वे. ७,७५.७ //
नु | नः | गो--मत् | वीर-वत् | धेहि | रत्नम् | उषः | अश्व-वत् | पुरु-भोजः | अस्मे इति | मा | नः | बर्हिः | पुरुषता | निदे | कः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,७५.८ //
//२२//.

-ऋ. वे. ५:५/२३-
(ऋ. वे. ७,७६)
उत् | ॐ इति | ज्योतिः | अमृतम् | विश्व-जन्यम् | विश्वानरः | सविता | देवः | अश्रेत् | क्रत्वा | देवानाम् | अजनिष्ट | चक्षुः | आविः | अकः | भुवनम् | विश्वम् | उषाः // ऋ. वे. ७,७६.१ //
प्र | मे | पन्था | देव-यानाः | अदृश्रन् | अमर्धन्तः | वसु-भिः | इष्कृतासः | अभूत् | ॐ इति | केतुः | उषसः | पुरस्तात् | प्रतीची | आ | अगात् | अधि | हर्म्येभ्यः // ऋ. वे. ७,७६.२ //
तानि | इत् | अहानि | बहुलानि | आसन् | या | प्राचीनम् | उत्-इता | सूर्यस्य | यतः | परि | जारः-इव | आचरन्ती | उषः | ददृक्षे | न | पुनः | यती-इव // ऋ. वे. ७,७६.३ //
ते | इत् | देवानाम् | सध-मादः | आसन् | ऋत-वानः | कवयः | पूर्व्यासः | गूऌहम् | ज्योतिः | पितरः | अनु | अविन्दन् | सत्य-मन्त्राः | अजनयन् | उषसम् // ऋ. वे. ७,७६.४ //
समाने | ऊर्वे | अधि | सम्-गतासः | सम् | जानते | न | यतन्ते | मिथः | ते | ते | देवानाम् | न | मिनन्ति | व्रतानि | अमर्धन्तः | वसु-भिः | यादमानाः // ऋ. वे. ७,७६.५ //
प्रति | त्वा | स्तोमैः | ईऌअते | वसिष्ठाः | उषः-बुधः | सु-भगे | तुस्तु-वांसः | गवाम् | नेत्री | वाज-पत्नी | नः | उच्छ | उषः | सु-जाते | प्रथमा | जरस्व // ऋ. वे. ७,७६.६ //
एषा | नेत्री | राधसः | सूनृतानाम् | उषाः | उच्छन्ती | रिभ्यते | वसिष्ठैः | दीर्घ-श्रुतम् | रयिम् | अस्मे इति | दधाना | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,७६.७ //
//२३//.

-ऋ. वे. ५:५/२४-
(ऋ. वे. ७,७७)
उपो इति | रुरुचे | युवतिः | न | योषा | विश्वम् | जीवम् | प्र-सुवन्ती | चरायै | अभूत् | अग्निः | सम्-इधे | मानुषाणाम् | अकः | ज्योतिः | बाधमाना | तमांसि // ऋ. वे. ७,७७.१ //
विश्वम् | प्रतीची | स-प्रथाः | उत् | अस्थात् | रुशत् | वासः | बिभ्रती | शुक्रम् | अश्वैत् | हिरण्य-वर्णा | सुदृशीक-सन्दृक् | गवाम् | माता | नेत्री | अह्नाम् | अरोचि // ऋ. वे. ७,७७.२ //
देवानाम् | चक्षुः | सु-भगा | वहन्ती | श्वेतम् | नयन्ती | सु-दृशीकम् | अश्वम् | उषाः | अदर्शि | रश्मि-भिः | वि-अक्ता | चित्र-मघा | विश्वम् | अनु | प्र-भूता // ऋ. वे. ७,७७.३ //
अन्ति-वामा | दूरे | अमित्रम् | उच्छ | उर्वीम् | गव्यूतिम् | अभयम् | कृधि | नः | यवय | द्वेषः | आ | भर | वसूनि | चोदय | राधः | गृणते | मघोनि // ऋ. वे. ७,७७.४ //
अस्मे इति | श्रेष्ठेभिः | भानु-भिः | वि | भाहि | उषः | देवि | प्र-तिरन्ती | नः | आयुः | इषम् | च | नः | दधती | विश्व-वारे | गो--मत् | अश्व-वत् | रथ-वत् | च | राधः // ऋ. वे. ७,७७.५ //
यान् | त्वा | दिवः | दुहितः | वर्धयन्ति | उषः | सु-जाते | मति-भिः | वसिष्ठाः | सा | अस्मासु | धाः | रयिम् | ऋष्वम् | बृहन्तम् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,७७.६ //
//२४//.

-ऋ. वे. ५:५/२५-
(ऋ. वे. ७,७८)
प्रति | केतवः | प्रथमाः | अदृश्रन् | ऊर्ध्वाः | अस्याः | अञ्जयः | वि | श्रयन्ते | उषः | अर्वाचा | बृहता | रथेन | ज्योतिष्मता | वामम् | अस्मभ्यम् | वक्षि // ऋ. वे. ७,७८.१ //
प्रति | सीम् | अग्निः | जरते | सम्-इद्धः | प्रति | विप्रासः | मति-भिः | गृणन्तः | उषाः | याति | ज्योतिषा | बाधमाना | विश्वा | तमांसि | दुः-इता | अप | देवी // ऋ. वे. ७,७८.२ //
एताः | ॐ इति | त्याः | प्रति | अदृश्रन् | पुरस्तात् | ज्योतिः | यच्छन्तीः | उषसः | वि-भातीः | अजीजनन् | सूर्यम् | यज्ञम् | अग्निम् | अपाचीनम् | तमः | अगात् | अजुष्टम् // ऋ. वे. ७,७८.३ //
अचेति | दिवः | दुहिता | मघोनी | विश्वे | पश्यन्ति | उषसम् | वि-भातीम् | आ | अस्थात् | रथम् | स्वधया | युज्यमानम् | आ | यम् | अश्वासः | सु-युजः | वहन्ति // ऋ. वे. ७,७८.४ //
प्रति | त्वा | अद्य | सु-मनसः | बुधन्त | अस्माकासः | मघ-वानः | वयम् | च | तिल्विलायध्वम् | उषसः | वि-भातीः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,७८.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ५:५/२६-
(ऋ. वे. ७,७९)
वि | उषाः | आवः | पथ्या | जनानाम् | पञ्च | क्षितीः | मानुषीः | बोधयन्ती | सुसन्दृक्-भिः | उक्ष-भिः | भानुम् | अश्रेत् | वि | सूर्यः | रोदसी इति | चक्षसा | आवर् इत्य् आवः // ऋ. वे. ७,७९.१ //
वि | अञ्जते | दिवः | अन्तेषु | अक्तून् | विशः | न | युक्ताः | उषसः | यतन्ते | सम् | ते | गावः | तमः | आ | वर्तयन्ति | ज्योतिः | यच्छन्ति | सविताइव | बाहू इति // ऋ. वे. ७,७९.२ //
अभूत् | उषाः | इन्द्र-तमा | मघोनी | अजीजनत् | सुविताय | श्रवांसि | वि | दिवः | देवी | दुहिता | दधाति | अङ्गिरः-तमा | सु-कृते | वसूनि // ऋ. वे. ७,७९.३ //
तावत् | उषः | राधः | अस्मभ्यम् | रास्व | यावत् | स्तोतृ-भ्यः | अरदः | गृणाना | याम् | त्वा | जज्ञुः | वृषभस्य | रवेण | वि | दृऌहस्य | दुरः | अद्रेः | और्णोः // ऋ. वे. ७,७९.४ //
देवम्-देवम् | राधसे | चोदयन्ती | अस्मद्र्यक् | सूनृताः | ईरयन्ती | वि-उच्छन्ती | नः | सनये | धियः | धाः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,७९.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ५:५/२७-
(ऋ. वे. ७,८०)
प्रति | स्तोमेभिः | उषसम् | वसिष्ठाः | गीः-भिः | विप्रासः | प्रथमाः | अबुध्रन् | विवर्तयन्तीम् | रजसी इति | समन्तेइतिसम्-अन्ते | आविः-कृण्वतीम् | भुवनानि | विश्वा // ऋ. वे. ७,८०.१ //
एषा | स्या | नव्यम् | आयुः | दधाना | गूध्वी | तमः | ज्योतिषा | उषाः | अबोधि | अग्रे | एति | युवतिः | अह्रयाणा | प्र | अचिकितत् | सूर्यम् | यज्ञम् | अग्निम् // ऋ. वे. ७,८०.२ //
अश्व-वतीः | गो--मतीः | नः | उषसः | वीर-वतीः | सदम् | उच्छन्तु | भद्राः | घृतम् | दुहानाः | विश्वतः | प्र-पीताः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,८०.३ //
//२७//.




-ऋ. वे. ५:६/१-
(ऋ. वे. ७,८१)
प्रति | ॐ इति | अदर्शि | आयती | उच्छन्ती | दुहिता | दिवः | अपो इति | महि | व्ययति | चक्षसे | तमः | ज्योतिः | कृणोति | सूनरी // ऋ. वे. ७,८१.१ //
उत् | उस्रियाः | सृजते | सूर्यः | सचा | उत्-यत् | नक्षत्रम् | अर्चि-वत् | तव | इत् | उषः | वि-उषि | सूर्यस्य | च | सम् | भक्तेन | गमेमहि // ऋ. वे. ७,८१.२ //
प्रति | त्वा | दुहितः | दिवः | उषः | जीराः | अभुत्स्महि | या | वहसि | पुरु | स्पार्हम् | वनन्-वति | रत्नम् | न | दाशुषे | मयः // ऋ. वे. ७,८१.३ //
उच्छन्ती | या | कृणोषि | मंहना | महि | प्र-ख्यै | देवि | स्वः | दृशे | तस्याः | ते | रत्न-भाजः | ईमहे | वयम् | स्याम | मातुः | न | सूनवः // ऋ. वे. ७,८१.४ //
तत् | चित्रम् | राधः | आ | भर | उषः | यत् | दीर्घश्रुत्-तमम् | यत् | ते | दिवः | दुहि तः | मर्त-भोजनम् | तत् | रास्व | भुनजामहै // ऋ. वे. ७,८१.५ //
श्रवः | सूरि-भ्यः | अमृतम् | वसु-त्वनम् | वाजान् | अस्मभ्यम् | गो--मतः | चोदयित्री | मघोनः | सूनृतावती | उषाः | उच्छत् | अप | स्रिधः // ऋ. वे. ७,८१.६ //
//१//.

-ऋ. वे. ५:६/२-
(ऋ. वे. ७,८२)
इन्द्रावरुणा | युवम् | अध्वराय | नः | विशे | जनाय | महि | शर्म | यच्छतम् | दीर्घ-प्रयज्युम् | अति | यः | वनुष्यति | वयम् | जयेम | पृतनासु | दुः-ध्यः // ऋ. वे. ७,८२.१ //
सम्-राट् | अन्यः | स्व-राट् | अन्यः | उच्यते | वाम् | महान्तौ | इन्द्रावरुणा | महावसूइतिमहावसू | / विश्वे | देवासः | परमे | वि-ओमनि | सम् | वाम् | ओजः | वृषणा | सम् | बलम् | दधुः // ऋ. वे. ७,८२.२ //
अनु | अपाम् | खानि | अतृन्तम् | ओजसा | सूर्यम् | ऐरयतम् | दिवि | प्र-भुम् | इन्द्रावरुणा | मदे | अस्य | मायिनः | अपिन्वतम् | अपितः | पिन्वतम् | धियः // ऋ. वे. ७,८२.३ //
युवाम् | इत् | युत्-सु | पृतनासु | वह्नयः | युवाम् | क्षेमस्य | प्र-सवे | मित-ज्ञवः | ईशाना | वस्वः | उभयस्य | कारवः | इन्द्रावरुणा | सु-हवा | हवामहे // ऋ. वे. ७,८२.४ //
इन्द्रावरुणा | यत् | इमानि | चक्रथुः | विश्वा | जातानि | भुवनस्य | मज्मना | क्षेमेण | मित्रः | वरुणम् | दुवस्यति | मरुत्-भिः | उग्रः | शुभम् | अन्यः | ईयते // ऋ. वे. ७,८२.५ //
//२//.

-ऋ. वे. ५:६/३-
महे | शुल्काय | वरुणस्य | नु | त्विषे | ओजः | मिमातेइति | ध्रुवम् | अस्य | यत् | स्वम् | अजामिम् | अन्यः | श्नथयन्तम् | आ | अतिरत् | दभ्रेभिः | अन्यः | प्र | वृणोत् इ | भूयसः // ऋ. वे. ७,८२.६ //
न | तम् | अंहः | न | दुः-इतानि | मर्त्यम् | इन्द्रावरुणा | न | तपः | कुतः | चन | यस्य | देवा | गच्छथः | वीथः | अध्वरम् | न | तम् | मर्तस्य | नशते | परि-ह्वृतिः // ऋ. वे. ७,८२.७ //
अर्वाक् | नरा | दैव्येन | अवसा | आ | गतम् | शृणुतम् | हवम् | यदि | मे | जुजोषथः | युवोः | हि | सख्यम् | उत | वा | यत् | आप्यम् | मार्डीकम् | इन्द्रावरुणा | नि | यच्छतम् // ऋ. वे. ७,८२.८ //
अस्माकम् | इन्द्रावरुणा | भरे--भरे | पुरः-योधा | भवतम् | कृष्टि-ओजसा | यत् | वाम् | हवन्ते | उभये | अध | स्पृधि | नरः | तोकस्य | तनयस्य | सातिषु // ऋ. वे. ७,८२.९ //
अस्मे इति | इन्द्रः | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | द्युम्नम् | यच्छन्तु | महि | शर्म | स-प्रथः | अवध्रम् | ज्योतिः | अदितेः | ऋत-वृधः | देवस्य | श्लोकम् | सवितुः | मनामहे // ऋ. वे. ७,८२.१० //
//३//.

-ऋ. वे. ५:६/४-
(ऋ. वे. ७,८३)
युवम् | नरा | पश्यमानासः | आप्यम् | प्राचा | गव्यन्तः | पृथु-पर्शवः | ययुः | दासा | च | वृत्रा | हतम् | आर्याणि | च | सु-दासम् | इन्द्रावरुणा | अवसा | अवतम् // ऋ. वे. ७,८३.१ //
यत्र | नरः | सम्-अयन्ते | कृत-ध्वजः | यस्मिन् | आजा | भवति | किम् | चन | प्रियम् | यत्र | भयन्ते | भुवना | स्वः-दृशः | तत्र | नः | इन्द्रावरुणा | अधि | वोचतम् // ऋ. वे. ७,८३.२ //
सम् | भूम्याः | अन्ताः | ध्वसिराः | अदृक्षत | इन्द्रावरुणा | दिवि | घोषः | आ | अरुहत् | अस्थुः | जनानाम् | उप | माम् | अरातयः | अर्वाक् | अवसा | हवन-श्रुता | आ | गतम् // ऋ. वे. ७,८३.३ //
इन्द्रावरुणा | वधनाभिः | अप्रति | भेदम् | वन्वन्ता | प्र | सु-दासम् | आवतम् | ब्रह्माणि | एषाम् | शृणुतम् | हविआमनि | सत्या | तृत्सूनाम् | अभवत् | पुरः-हितिः // ऋ. वे. ७,८३.४ //
इन्द्रावरुणौ | अभि | आ | तपन्ति | मा | अघानि | अर्यः | वनुषाम् | अरातयः | युवम् | हि | वस्वः | उभयस्य | राजथः | अध | स्म | नः | अवतम् | पार्ये | दिवि // ऋ. वे. ७,८३.५ //
//४//.

-ऋ. वे. ५:६/५-
युवाम् | हवन्ते | उभयासः | आजिषु | इन्द्रम् | च | वस्वः | वरुणम् | च | सातये | यत्र | राज-भिः | दश-भिः | नि-बाधितम् | प्र | सु-दासम् | आवतम् | तृत्सु-भिः | सह // ऋ. वे. ७,८३.६ //
दश | राजानः | सम्-इताः | अयज्यवः | सु-दासम् | इन्द्रावरुणा | न | युयुधुः | सत्या | नृणाम् | अद्म-सदाम् | उप-स्तुतिः | देवाः | एषाम् | अभवन् | देव-हूतिषु // ऋ. वे. ७,८३.७ //
दाश-राज्ञे | परि-यत्ताय | विश्वतः | सु-दासे | इन्द्रावरुणौ | अशिक्षतम् | श्वित्यञ्चः | यत्र | नमसा | कपर्दिनः | धिया | धी-वन्तः | असपन्त | तृत्सवः // ऋ. वे. ७,८३.८ //
वृत्राणि | अन्यः | सम्-इथेषु | जिघ्नते | व्रतानि | अन्यः | अभि | रक्षते | सदा | हवामहे | वाम् | वृषणा | सुवृक्ति-भिः | अस्मे इति | इन्द्रावरुणा | शर्म | यच्छतम् // ऋ. वे. ७,८३.९ //
अस्मे इति | इन्द्रः | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | द्युम्नम् | यच्छन्तु | महि | शर्म | स-प्रथः | अवध्रम् | ज्योतिः | अदितेः | ऋत-वृधः | देवस्य | श्लोकम् | सवितुः | मनामहे // ऋ. वे. ७,८३.१० //
//५//.

-ऋ. वे. ५:६/६-
(ऋ. वे. ७,८४)
आ | वाम् | राजानौ | अध्वरे | ववृत्याम् | हव्येभिः | इन्द्रावरुणा | नमः-भिः | प्र | वाम् | घृताची | बाह्वोः | दधाना | परि | त्मना | विषु-रूपा | जिगाति // ऋ. वे. ७,८४.१ //
युवः | राष्ट्रम् | बृहत् | इन्वति | द्यौः | यौ | सेतृ-भिः | अरज्जु-भिः | सिनीथः | परि | नः | हेऌअः | वरुणस्य | वृज्याः | उरुम् | नः | इन्द्रः | कृणवत् | ॐ इति | लोकम् // ऋ. वे. ७,८४.२ //
कृतम् | नः | यज्ञम् | विदथेषु | चारुम् | कृतम् | ब्रह्माणि | सूरिषु | प्र-शस्ता | उपो इति | रयिः | देव-जूतः | नः | एतु | प्र | नः | स्पार्हाभिः | ऊति-भिः | तिरेतम् // ऋ. वे. ७,८४.३ //
अस्मे इति | इन्द्रावरुणा | विश्व-वारम् | रयिम् | धत्तम् | वसु-मन्तम् | पुरु-क्षुम् | प्र | यः | आदित्यः | अनृता | मिनाति | अमिता | शूरः | दयते | वसूनि // ऋ. वे. ७,८४.४ //
इयम् | इन्द्रम् | वरुणम् | अष्ट | मे | गीः | प्र | आवत् | तोके | तनये | तूतुजाना | सु-रत्नासः | देव-वीतिम् | गमेम | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,८४.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ५:६/७-
(ऋ. वे. ७,८५)
पुनीषे | वाम् | अरक्षसम् | मनीषाम् | सोमम् | इन्द्राय | वरुणाय | जुह्वत् | घृत-प्रतीकाम् | उषसम् | न | देवीम् | ता | नः | यामन् | उरुष्यताम् | अभीके // ऋ. वे. ७,८५.१ //
स्पर्धन्ते | वै | ॐ इति | देव-हूये | अत्र | येषु | ध्वजेषु | दिद्यवः | पतन्ति | युवम् | तान् | इन्द्रावरुणौ | अमित्रान् | हतम् | पराचः | शर्वा | विषूचः // ऋ. वे. ७,८५.२ //
आपः | चित् | हि | स्व-यशसः | सदः-सु | देवीः | इन्द्रम् | वरुणम् | देवता | धुरितिधुः | कृष्टीः | अन्यः | धारयति | प्र-विक्ताः | वृत्राणि | अन्यः | अप्रतीनि | हन्ति // ऋ. वे. ७,८५.३ //
सः | सु-क्रतुः | ऋत-चित् | अस्तु | होता | यः | आदित्या | शवसा | वाम् | नमस्वान् | आववर्तत् | अवसे | वाम् | हविष्मान् | असत् | इत् | सः | सुविताय | प्रयस्वान् // ऋ. वे. ७,८५.४ //
इयम् | इन्द्रम् | वरुणम् | अष्ट | मे | गीः | प्र | आवत् | तोके | तनये | तूतुजाना | सु-रत्नासः | देव-वीतिम् | गमेम | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,८५.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ५:६/८-
(ऋ. वे. ७,८६)
धीरा | तु | अस्य | महिना | जनूंषि | वि | यः | तस्तम्भ | रोदसी इति | चित् | उर्वी इति | प्र | नाकम् | ऋष्वम् | नुनुदे | बृहन्तम् | द्विता | नक्षत्रम् | पप्रथत् | च | भूम // ऋ. वे. ७,८६.१ //
उत | स्वया | तन्वा | सम् | वदे | तत् | कदा | नु | अन्तः | वरुणे | भुवानि | किम् | मे | हव्यम् | अहृणानः | जुषेत | कदा | मृऌईकम् | सु-मनाः | अभि | ख्यम् // ऋ. वे. ७,८६.२ //
पृच्छे | तत् | एनः | वरुण | दिदृक्षु | उपो इति | एमि | चिकितुषः | वि-पृच्छम् | समानम् | इत् | मे | कवयः | चित् | आहुः | अयम् | ह | तुभ्यम् | वरुणः | हृणीते // ऋ. वे. ७,८६.३ //
किम् | आगः | आस | वरुण | ज्येष्ठम् | यत् | स्तोतारम् | जिघांससि | सखायम् | प्र | तत् | मे | वोचः | दुः-दभ | स्वधावः | अव | त्वा | अनेनाः | नमसा | तुरः | इयाम् // ऋ. वे. ७,८६.४ //
अव | द्रुग्धानि | पित्र्या | सृज | नः | अव | या | वयम् | चकृम | तनूभिः | अव | राजन् | पशु-तृपम् | न | तायुम् | सृज | वत्सम् | न | दाम्नः | वसिष्ठम् // ऋ. वे. ७,८६.५ //
न | सः | स्वः | दक्षः | वरुण | ध्रुतिः | सा | सुरा | मन्युः | वि-भीदकः | अचित्तिः | अस्ति | ज्यायान् | कनीयसः | उप-अरे | स्वप्नः | चन | इत् | अनृतस्य | प्र-योता // ऋ. वे. ७,८६.६ //
अरम् | दासः | न | मीऌहुषे | कराणि | अहम् | देवाय | भूर्णये | अनागाः | अचेतयत् | अचितः | देवः | अर्यः | गृत्सम् | राये | कवि-तरः | जुनाति // ऋ. वे. ७,८६.७ //
अयम् | सु | तुभ्यम् | वरुण | स्वधावः | हृदि | स्तोमः | उप-सृइतः | चित् | अस्तु | शम् | नः | क्षेमे | शम् | ॐ इति | योगे | नः | अस्तु | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,८६.८ //
//८//.

-ऋ. वे. ५:६/९-
(ऋ. वे. ७,८७)
रदत् | पथः | वरुणः | सूर्याय | प्र | अर्णांसि | समुद्रिया | नदीनाम् | सर्गः | न | सृष्टः | अर्वतीः | ऋत-यन् | चकार | महीः | अवनीः | अह-भ्यः // ऋ. वे. ७,८७.१ //
आत्मा | ते | वातः | रजः | आ | नवीनोत् | पशुः | न | भूर्णिः | यवसे | सस-वान् | अन्तः | मही इति | बृहती इति | रोदसी इति | इमे इति | विश्वा | ते | धाम | वरुण | प्रियाणि // ऋ. वे. ७,८७.२ //
परि | स्पशः | वरुणस्य | स्मत्-इष्टाः | उभे इति | पश्यन्ति | रोदसी इति | सुमेके इतिसु-मेके | ऋत-वानः | कवयः | यज्ञ-धीराः | प्र-चेतसः | ये | इषयन्त | मन्म // ऋ. वे. ७,८७.३ //
उवाच | मे | वरुणः | मेधिराय | त्रिः | सप्त | नाम | अघ्न्या | बिभर्ति | विद्वान् | पदस्य | गुह्या | न | वोचत् | युगाय | विप्रः | उपराय | शिक्षन् // ऋ. वे. ७,८७.४ //
तिस्रः | द्यावः | नि-हिताः | अन्तः | अस्मिन् | तिस्रः | भूमिः | उपराः | षट्-विधानाः | गृत्सः | राजा | वरुणः | चक्रे | एतम् | दिवि | प्र-ईङ्खम् | हिरण्ययम् | शुभे | कम् // ऋ. वे. ७,८७.५ //
अव | सिन्धुम् | वरुणः | द्यौः-इव | स्थात् | द्रप्सः | न | श्वेतः | मृगः | तुविष्मान् | गम्भीर-संसः | रजसः | वि-मानः | सुपार-क्षत्रः | सतः | अस्य | राजा // ऋ. वे. ७,८७.६ //
यः | मृऌअयाति | चकुषे | चित् | आगः | वयम् | स्याम | वरुणे | अनागाः | अनु | व्रतानि | अदितेः | ऋधन्तः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,८७.७ //
//९//.

-ऋ. वे. ५:६/१०-
(ऋ. वे. ७,८८)
प्र | शुन्ध्युवम् | वरुणाय | प्रेष्ठाम् | मतिम् | वसिष्ठ | मीऌहुषे | भरस्व | यः | ईम् | अर्वाञ्चम् | करते | यजत्रम् | सहस्र-मघम् | वृषणम् | बृहन्तम् // ऋ. वे. ७,८८.१ //
अध | नु | अस्य | सम्-दृशम् | जगन्वान् | अग्नेः | अनीकम् | वरुणस्य | मंस् इ | स्वः | यत् | अश्मन् | अधि-पाः | ॐ इति | अन्धः | अभि | मा | वपुः | दृशये | निनीयात् // ऋ. वे. ७,८८.२ //
आ | यत् | रुहाव | वरुणः | च | नावम् | प्र | यत् | समुद्रम् | ईरयाव | मध्यम् | अधि | यत् | अपाम् | स्नु-भिः | चराव | प्र | प्र-ईङ्खे | ईङ्खयावहै | शुभे | कम् // ऋ. वे. ७,८८.३ //
वसिष्ठम् | ह | वरुणः | नावि | आ | अधात् | ऋषिम् | चकार | सु-अपाः | महः-भिः | स्तोतारम् | विप्रः | सुदिन-त्वे | अह्वाम् | यात् | नु | द्यावः | ततनन् | यात् | उषसः // ऋ. वे. ७,८८.४ //
क्व | त्यानि | नौ | सख्या | बभूवुः | सचावहे इति | यत् | अवृकम् | पुरा | चित् | बृहन्तम् | मानम् | वरुण | स्वधावः | सहस्र-द्वारम् | जगम | गृहम् | ते // ऋ. वे. ७,८८.५ //
यः | आपिः | नित्यः | वरुण | प्रियः | सन् | त्वाम् | आगांसि | कृणवत् | सखा | ते | मा | ते | एनस्वन्तः | यक्षिन् | भुजेम | यन्धि | स्म | विप्रः | स्तुवते | वरूथम् // ऋ. वे. ७,८८.६ //
ध्रुवासु | त्वा | आसु | क्षितिषु | क्षियन्तः | वि | अस्मत् | पाशम् | वरुणः | मुमोचत् | अवः | वन्वानाः | अदितेः | उप-स्थात् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,८८.७ //
//१०//.

-ऋ. वे. ५:६/११-
(ऋ. वे. ७,८९)
मो इति | सु | वरुण | मृत्-मयम् | गृहम् | राजन् | अहम् | गमम् | मृऌअ | सु-क्षत्र | मृऌअय // ऋ. वे. ७,८९.१ //
यत् | एमि | प्रस्फुरन्-इव | दृतिः | न | ध्मातः | अद्रि-वः | मृऌअ | सु-क्षत्र | मृऌअय // ऋ. वे. ७,८९.२ //
क्रत्वः | समह | दीनता | प्रति-ईपम् | जगम | शुचे | मृऌअ | सु-क्षत्र | मृऌअय // ऋ. वे. ७,८९.३ //
अपाम् | मध्ये | तस्थि-वांसम् | तृष्णा | अविदत् | जरितारम् | मृऌअ | सु-क्षत्र | मृऌअय // ऋ. वे. ७,८९.४ //
यत् | किम् | च | इदम् | वरुण | दैव्ये | जने | अभि-द्रोहम् | मनुष्याः | चरामसि | अच् इत्ती | यत् | तव | धर्म | युयोपिम | मा | नः | तस्मात् | एनसः | देव | रिरिषः // ऋ. वे. ७,८९.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ५:६/१२-
(ऋ. वे. ७,९०)
प्र | वीर-या | शुचयः | दद्रिः | वाम् | अध्वर्यु-भिः | मधु-मन्तः | सुतासः | वह | वायो इति | नि-युतः | याहि | अच्छ | पिब | सुतस्य | अन्धसः | मदाय // ऋ. वे. ७,९०.१ //
ईशानाय | प्र-हुतिम् | यः | ते | आनट् | शुचिम् | सोमम् | शुचि-पाः | तुभ्यम् | वायो इति | कृणोषि | तम् | मर्त्येषु | प्र-शस्तम् | जातः-जातः | जायते | वाज्यस्य // ऋ. वे. ७,९०.२ //
राये | नु | यम् | जज्ञतुः | रोदसी इति | इमे इति | राये | देवी | धिषणा | धाति | देवम् | अध | वायुम् | नि-युतः | सश्चत | स्वाः | उत | श्वेतम् | वसु-धितिम् | निरेके // ऋ. वे. ७,९०.३ //
उच्छन् | उषसः | सु-दिनाः | अरिप्राः | उरु | ज्योतिः | विविदुः | दीध्यानाः | गव्यम् | चित् | ऊर्वम् | उशिजः | वि | वव्रुः | तेषाम् | अनु | प्र-दिवः | सस्रुः | आपः // ऋ. वे. ७,९०.४ //
ते | सत्येन | मनसा | दीध्यानाः | स्वेन | युक्तासः | क्रतुना | वहन्ति | इन्द्रवायूइति | वीर-वाहम् | रथम् | वाम् | ईशानयोः | अभि | पृक्षः | सचन्ते // ऋ. वे. ७,९०.५ //
ईशानासः | ये | दधते | स्वः | नः | गोभिः | अश्वेभिः | वसु-भिः | हिरण्यैः | इन्द्रवायूइति | सूरयः | विश्वम् | आयुः | अर्वत्-भिः | वीरैः | पृतनासु | सह्युः // ऋ. वे. ७,९०.६ //
अर्वन्तः | न | श्रवसः | भिक्षमाणाः | इन्द्रवायू इति | सुस्तुति-भिः | वसिष्ठाः | वाज-यन्तः | सु | अवसे | हुवेम | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,९०.७ //
//१२//.

-ऋ. वे. ५:६/१३-
(ऋ. वे. ७,९१)
कुवित् | अङ्ग | नमसा | ये | वृधासः | पुरा | देवाः | अनवद्यासः | आसन् | ते | वायवे | मनवे | बाधिताय | अवासयन् | उषसम् | सूर्येण // ऋ. वे. ७,९१.१ //
उशन्ता | दूता | न | दभाय | गोपा | मासः | च | पाथः | शरदः | च | पूर्वीः | इन्द्रवायूइति | सु-स्तुतिः | वाम् | इयाना | मार्डीकम् | ईटे | सुवितम् | च | नव्यम् // ऋ. वे. ७,९१.२ //
पीवः-अन्नान् | रयि-वृधः | सु-मेधाः | श्वेतः | सिषक्ति | नि-युताम् | अभि-श्रीः | ते | वायवे | स-मनसः | वि | तस्थुः | विश्वा | इत् | नरः | सु-अपत्यानि | चक्रुः // ऋ. वे. ७,९१.३ //
यावत् | तरः | तन्वः | यावत् | ओजः | यावत् | नरः | चक्षसा | दीध्यानाः | शुच् इम् | सोमम् | शुचि-पा | पातम् | अस्मे इति | इन्द्रवायूइति | सदतम् | बर्हिः | आ | इदम् // ऋ. वे. ७,९१.४ //
नि-युवाना | नि-युतः | स्पार्ह-वीराः | इन्द्रवायूइति | स-रथम् | यातम् | अवार्क् | इदम् | हि | वाम् | प्र-भृतम् | मध्वः | अग्रम् | अध | प्रीणाना | वि | मुमुक्तम् | अस्मे इति // ऋ. वे. ७,९१.५ //
या | वाम् | शतम् | नि-युतः | याः | सहस्रम् | इन्द्रवायूइति | विश्व-वाराः | सचन्ते | आभिः | यातम् | सु-विदत्राभिः | अर्वाक् | पातम् | नरा | प्रति-भृतस्य | मध्वः // ऋ. वे. ७,९१.६ //
अर्वन्तः | न | श्रवसः | भिक्षमाणाः | इन्द्रवायू इति | सुस्तुति-भिः | वसिष्ठाः | वाज-यन्तः | सु | अवसे | हुवेम | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,९१.७ //
//१३//.

-ऋ. वे. ५:६/१४-
(ऋ. वे. ७,९२)
आ | वायो इति | भूष | शुचि-पाः | उप | नः | सहस्रम् | ते | नि-युतः | विश्व-वार | उपो इति | ते | अन्धः | मद्यम् | अयामि | यस्य | देव | दधिषे | पूर्व-पेयम् // ऋ. वे. ७,९२.१ //
प्र | सोता | जीरः | अध्वरेषु | अस्थात् | सोमम् | इन्द्राय | वायवे | पिबध्यै | प्र | यत् | वाम् | मध्वः | अग्रियम् | भरन्ति | अध्वर्यवः | देव-यन्तः | शचीभिः // ऋ. वे. ७,९२.२ //
प्र | याभिः | यासि | दाश्वांसम् | अच्छ | नियुत्-भिः | वायो इति | इष्टये | दुरोणे | नि | नः | रयिम् | सु-भोजसम् | युवस्व | नि | वीरम् | गव्यम् | अश्व्यम् | च | राधः // ऋ. वे. ७,९२.३ //
ये | वायवे | इन्द्र-मादनासः | आदेवासः | नि-तोशनासः | अर्यः | घ्नन्तः | वृत्राणि | सूरि-भिः | स्याम | ससह्वांसः | युधा | नृ-भिः | अमित्रान् // ऋ. वे. ७,९२.४ //
आ | नः | नियुत्-भिः | शतिनीभिः | अध्वरम् | सहस्रिणीभिः | उप | याहि | यज्ञम् | वायो इति | अस्मिन् | सवने | मादयस्व | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,९२.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ५:६/१५-
(ऋ. वे. ७,९३)
शुचिम् | नु | स्तोमम् | नव-जातम् | अद्य | इन्द्राग्नी इति | वृत्र-हना | जुषेथाम् | उभा | हि | वाम् | सु-हवा | जोहवीमि | ता | वाजम् | सद्यः | उशते | धेष्ठा // ऋ. वे. ७,९३.१ //
ता | सानसी इति | शवसाना | हि | भूतम् | साकम्-वृधा | शवसा | शूशु-वांसा | क्षयन्तौ | रायः | यवसस्य | भूरेः | पृङ्क्तम् | वाजस्य | स्थविरस्य | घृष्वेः // ऋ. वे. ७,९३.२ //
उपो इति | ह | यत् | विदथम् | वाजिनः | गुः | धीभिः | विप्राः | प्र-मतिम् | इच्छमानाः | अर्वन्तः | न | काष्ठाम् | नक्षमाणाः | इन्द्राग्नी इति | जोहुवतः | नरः | ते // ऋ. वे. ७,९३.३ //
गीः-भिः | विप्रः | प्र-मतिम् | इच्छमानः | ईटे | रयिम् | यशसम् | पूर्व-भाजम् | इन्द्राग्नी इति | वृत्र-हना | सु-वज्रा | प्र | नः | नव्येभिः | तिरतम् | देष्णैः // ऋ. वे. ७,९३.४ //
सम् | यत् | मही इति | मिथती
इति | स्पर्धमानेइति | तनू-रुचा | शूर-साता | यतैते | अदेव-युम् | विदथे | देवयु-भिः | सत्रा | हतम् | सोम-सुता | जनेन // ऋ. वे. ७,९३.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ५:६/१६-
इमाम् | ॐ इति | सु | सोम-सुतिम् | उप | नः | आ | इन्द्राग्नी
इति | सौमनसाय | यातम् | नु | चित् | हि | परिमम्नाथेइतिपरि-मम्नाथे | अस्मान् | आ | वाम् | शश्वत्-भिः | ववृतीय | वाजैः // ऋ. वे. ७,९३.६ //
सः | अग्ने | एना | नमसा | सम्-इद्धः | अच्छ | मित्रम् | वरुणम् | इन्द्रम् | वोचेः | यत् | सीम् | आगः | चकृम | तत् | सु | मृऌअ | तत् | अर्यमा | अदितिः | शिश्रथन्तु // ऋ. वे. ७,९३.७ //
एताः | अग्ने | आशुषाणासः | इष्टीः | युवोः | सचा | अभि | अश्याम | वाजान् | मा | इन्द्रः | नः | विष्णुः | मरुतः | परि | ख्यन् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,९३.८ //
//१६//.

-ऋ. वे. ५:६/१७-
(ऋ. वे. ७,९४)
इयम् | वामस्य | मन्मनः | इन्द्राग्नी इति | पूर्व्य-स्तुतिः | अभ्रात् | वृष्टिः-इव | अजनि // ऋ. वे. ७,९४.१ //
शृणुतम् | जरितुः | हवम् | इन्द्राग्नी इति | वनतम् | गिरः | ईशाना | पिप्यतम् | धियः // ऋ. वे. ७,९४.२ //
मा | पाप-त्वाय | नः | नरा | इन्द्राग्नी इति | मा | अभि-शस्तये | मा | नः | रीरधतम् | निदे // ऋ. वे. ७,९४.३ //
इन्द्रे | अग्ना | नमः | बृहत् | सु-वृक्तिम् | आ | ईरयामहे | धिया | धेनाः | अवस्यवः // ऋ. वे. ७,९४.४ //
ता | हि | शश्वन्तः | ईऌअते | इत्था | विप्रासः | ऊतये | स-बाधः | वाज-सातये // ऋ. वे. ७,९४.५ //
ता | वाम् | गीः-भिः | विपन्यवः | प्रयस्वन्तः | हवामहे | मेध-साता | सनिष्यवः // ऋ. वे. ७,९४.६ //
//१७//.

-ऋ. वे. ५:६/१८-
इन्द्राग्नी इति | अवसा | आ | गतम् | अस्मभ्यम् | चर्षणि-सहा | मा | नः | दुः-शंसः | ईशत // ऋ. वे. ७,९४.७ //
मा | कस्य | नः | अररुषः | धूर्तिः | प्रणक् | मर्त्यस्य | इन्द्राग्नी इति | शर्म | यच्छतम् // ऋ. वे. ७,९४.८ //
गो--मत् | हिरण्य-वत् | वसु | यत् | वाम् | अश्व-वत् | ईमहे | इन्द्राग्निइति | तत् | वनेमहि // ऋ. वे. ७,९४.९ //
यत् | सोमे | आ | सुते | नरः | इन्द्राग्नी इति | अजोहवुः | सप्ति-वन्ता | सपर्यवः // ऋ. वे. ७,९४.१० //
उक्थेभिः | वृत्र-हन्तमा | या | मन्दाना | चित् | आ | गिरा | आङ्गूषैः | आविवासतः // ऋ. वे. ७,९४.११ //
तौ | इत् | दुः-शंसम् | मर्त्यम् | दुः-विद्वांसम् | रक्षस्विनम् | आभोगम् | हन्मना | हतम् | उद-धिम् | हमना | हतम् // ऋ. वे. ७,९४.१२ //
//१८//.

-ऋ. वे. ५:६/१९-
(ऋ. वे. ७,९५)
प्र | क्षोदसा | धायसा | सस्रे | एषा | सरस्वती | धरुणम् | आयसी | पूः | प्र-बाबधाना | रथ्याइव | याति | विश्वाः | अपः | महिना | सिन्धुः | अन्याः // ऋ. वे. ७,९५.१ //
एका | अचेतत् | सरस्वती | नदीनाम् | शुचिः | यती | गिरि-भ्यः | आ | समुद्रात् | रायः | चेतन्ती | भुवनस्य | भूरेः | घृतम् | पयः | दुदुहे | नाहुषाय // ऋ. वे. ७,९५.२ //
सः | ववृधे | नर्यः | योषणासु | वृषा | शिशुः | वृषभः | यज्ञियासु | सः | वाजिनम् | मघवत्-भ्यः | दधाति | वि | सातये | तन्वम् | ममृजीत // ऋ. वे. ७,९५.३ //
उत | स्या | नः | सरस्वती | जुषाणा | उप | श्रवत् | सु-भगा | यज्ञे | अस्मिन् | मितज्ञु-भिः | नमस्यैः | इयाना | राया | युजा | चित् | उत्-तरा | सखि-भ्यः // ऋ. वे. ७,९५.४ //
इमा | जुह्वानाः | युष्मत् | आ | नमः-भिः | प्रति | स्तोमम् | सरस्वति | जुषस्व | तव | शर्मन् | प्रिय-तमे | दधानाः | उप | स्थेयाम | शरणम् | न | वृक्षम् // ऋ. वे. ७,९५.५ //
अयम् | ॐ इति | ते | सरस्वति | वसिष्ठः | द्वारौ | ऋतस्य | सु-भगे | वि | आवर् इत्य् आवः | वर्ध | शुभ्रे | स्तुवते | रासि | वाजान् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,९५.६ //
//१९//.

-ऋ. वे. ५:६/२०-
(ऋ. वे. ७,९६)
बृहत् | ॐ इति | गायिषे | वचः | असुर्या | नदीनाम् | सरस्वतीम् | इत् | महय | सु-वृक्ति-भि ः | स्तोमैः | वसिष्ठ | रोदसी इति // ऋ. वे. ७,९६.१ //
उभे इति | यत् | ते | महिना | शुभ्रे | अन्धसी इति | अधि-क्षियन्ति | पूरवः | सा | नः | बोधि | अवित्री | मरुत्-सखा | चोद | राधः | मघोनाम् // ऋ. वे. ७,९६.२ //
भद्रम् | इत् | भद्रा | कृणवत् | सरस्वती | अकव-अरी | चेतति | वाजिनी-वती | गृणाना | जमदग्नि-वत् | स्तुवाना | च | वसिष्ठ-वत् // ऋ. वे. ७,९६.३ //
जनीयन्तः | नु | अग्रवः | पुत्रि-यन्तः | सु-दानवः | सरस्वन्तम् | हवामहे // ऋ. वे. ७,९६.४ //
ये | ते | सरस्वः | ऊर्मयः | मधु-मन्तः | घृत-श्चुतः | तेभिः | नः | अविता | भव // ऋ. वे. ७,९६.५ //
पीपि-वांसम् | सरस्वतः | स्तनम् | यः | विश्व-दर्शतः | भक्षीमहि | प्र-जाम् | इषम् // ऋ. वे. ७,९६.६ //
//२०//.

-ऋ. वे. ५:६/२१-
(ऋ. वे. ७,९७)
यज्ञे | दिवः | नृ-सदने | पृथिव्याः | नरः | यत्र | देव-यवः | मदन्ति | इन्द्राय | यत्र | सवनानि | सुन्वे | गमत् | मदाय | प्रथमम् | वयः | च // ऋ. वे. ७,९७.१ //
आ | दैव्या | वृणीमहे | अवांसि | बृहस्पतिः | नः | महे | आ | सखायः | यथा | भवेम | मीऌहुषे | अनागाः | यः | नः | दाता | परावतः | पिताइव // ऋ. वे. ७,९७.२ //
तम् | ॐ इति | ज्येष्ठम् | नमसा | हविः-भिः | सु-शेवम् | ब्रह्मणः | पतिम् | गृणीषे | इन्द्रम् | श्लोकः | महि | दैव्यः | सिसक्तु | यः | ब्रह्मणः | देव-कृतस्य | राजा // ऋ. वे. ७,९७.३ //
सः | आ | नः | योनिम् | सदतु | प्रेष्ठः | बृहस्पतिः | विश्व-वारः | यः | अस्ति | कामः | रायः | सु-वीर्यस्य | तम् | दात् | पर्षत् | नः | अति | सश्चतः | अर् इष्टान् // ऋ. वे. ७,९७.४ //
तम् | आ | नः | अर्कम् | अमृताय | जुष्टम् | इमे | धासुः | अमृतासः | पुराजाः | शुचि-क्रन्दम् | यजतम् | पस्त्यानाम् | बृहस्पतिम् | अनर्वाणम् | हुवेम // ऋ. वे. ७,९७.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ५:६/२२-
तम् | शग्मासः | अरुषासः | अश्वाः | बृहस्पतिम् | सह-वाहः | वहन्ति | सहः | चित् | यस्य | नील-वत् | सध-स्थम् | नभः | न | रूपम् | अरुषम् | वसानाः // ऋ. वे. ७,९७.६ //
सः | हि | शुचिः | शत-पत्रः | सः | शुन्ध्युः | हिरण्य-वाशीः | इषिरः | स्वः-साः | बृहस्पतिः | सः | सु-आवेशः | ऋष्वः | पुरु | सखि-भ्यः | आसुति म् | करिष्ठः // ऋ. वे. ७,९७.७ //
देवी | देवस्य | रोदसी इति | जनित्री इति | बृहस्पतिम् | वावृधतुर् महित्वा | दक्षाय्याय
दक्षता सखायह्क् करद् ब्रह्मणे सुतरासुगाधा // ऋ. वे. ७,९७.८ //
इयम् | वाम् | ब्रह्मणः | पते | सु-वृक्तिः | ब्रह्म | इन्द्राय | वज्रिणे | अकारि | अविष्टम् | धियः | जिगृतम् | पुरम्-धीः | जजस्तम् | अर्यः | वनुषाम् | अरातीः // ऋ. वे. ७,९७.९ //
बृहस्पते | युवम् | इन्द्रः | च | वस्वः | दिव्यस्य | ईशाथेइति | उत | पार्थिवस्य | धत्तम् | रयिम् | स्तुवते | कीरये | चित् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,९७.१० //
//२२//.

-ऋ. वे. ५:६/२३-
(ऋ. वे. ७,९८)
अध्वर्यवः | अरुणम् | दुग्धम् | अंशुम् | जुहोतन | वृषभाय | क्षितीनाम् | गौरात् | वेदीयान् | अव-पानम् | इन्द्रः | विश्वाहा | इत् | याति | सुत-सोमम् | इच्छन् // ऋ. वे. ७,९८.१ //
यत् | दधिषे | प्र-दिवि | चारु | अन्नम् | दिवे--दिवे | पीतिम् | इत् | अस्य | वक्षि | उत | हृदा | उत | मनसा | जुषाणः | उशन् | इन्द्र | प्र-स्थितान् | पाहि | सोमान् // ऋ. वे. ७,९८.२ //
जज्ञानः | सोमम् | सहसे | पपाथ | प्र | ते | माता | महिमानम् | उवाच | आ | इन्द्र | पप्राथ | उरु | अन्तरिक्षम् | युधा | देवेभ्यः | वरिवः | चकर्थ // ऋ. वे. ७,९८.३ //
यत् | योधयाः | महतः | मन्यमानान् | साक्षाम | तान् | बाहु-भिः | शाशदानान् | यत् | वा | नृ-भिः | वृतः | इन्द्र | अभि-युध्याः | तम् | त्वया | आजिम् | सौश्रवसम् | जयेम // ऋ. वे. ७,९८.४ //
प्र | इन्द्रस्य | वोचम् | प्रथमा | कृतानि | प्र | नूतना | मघ-वा | या | चकार | यदा | इत् | अदेवीः | असहिष्ट | मायाः | अथ | अभवत् | केवलः | सोमः | अस्य // ऋ. वे. ७,९८.५ //
तव | इदम् | विश्वम् | अभितः | पशव्यम् | यत् | पश्यसि | चक्षसा | सूर्यस्य | गवाम् | असि | गो--पतिः | एकः | इन्द्र | भक्षीमहि | ते | प्र-यतस्य | वस्वः // ऋ. वे. ७,९८.६ //
बृहस्पते | युवम् | इन्द्रः | च | वस्वः | दिव्यस्य | ईशाथेइति | उत | पार्थिवस्य | धत्तम् | रयिम् | स्तुवते | कीरये | चित् | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,९८.७ //
//२३//.

-ऋ. वे. ५:६/२४-
(ऋ. वे. ७,९९)
परः | मात्रया | तन्वा | वृधान | न | ते | महि-त्वम् | अनु | अश्नुवन्ति | उभे इति | ते | विद्म | रजसी इति | पृथिव्याः | विष्णो इति | देव | त्वम् | परमस्य | वित्से // ऋ. वे. ७,९९.१ //
न | ते | विष्णो इति | जायमानः | न | जातः | देव | महिम्नः | परम् | अन्तम् | आप | उत् | अस्तभ्नाः | नाकम् | ऋष्वम् | बृहन्तम् | दाधर्थ | प्राचीम् | ककुभम् | पृथिव्याः // ऋ. वे. ७,९९.२ //
इरावती इतीरावती | धेनुमती इतिधेनु-मती | हि | भूतम् | सुयवसिनी इतिसु-यवसिनी | मनुषे | दशस्या | वि | अस्तभ्नाः | रोदसी इति | विष्णो इति | एते इति | दाधर्थ | पृथिवीम् | अभितः | मयूखैः // ऋ. वे. ७,९९.३ //
उरुम् | यज्ञाय | चक्रथुः | ॐ इति | लोकम् | जनयन्ता | सूर्यम् | उषसम् | अग्निम् | दासस्य | चित् | वृष-शिप्रस्य | मायाः | जघ्नथुः | नरा | पृतनाज्येषु // ऋ. वे. ७,९९.४ //
इन्द्राविष्णूइति | दृंहिताः | शम्बरस्य | नव | पुरः | नवतिम् | च | श्नथ् इष्टम् | शतम् | वर्चिनः | सहस्रम् | च | साकम् | हथः | अप्रति | असुरस्य | वीरान् // ऋ. वे. ७,९९.५ //
इयम् | मनीषा | बृहती | बृहन्ता | उरु-क्रमा | तवसा | वर्धयन्ती | ररे | वाम् | स्तोमम् | विदथेषु | विष्णो इति | पिन्वतम् | इषः | वृजनेषु | इन्द्र // ऋ. वे. ७,९९.६ //
वषट् | ते | विष्णो इति | आसः | आ | कृणोमि | तत् | मे | जुषस्व | शिपि-विष्ट | हव्यम् | वर्धन्तु | त्वा | सु-स्तुतयः | गिरः | मे | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,९९.७ //
//२४//.

-ऋ. वे. ५:६/२५-
(ऋ. वे. ७,१००)
नु | मर्तः | दयते | सनिष्यन् | यः | विष्णवे | उरु-गायाय | दाशत् | प्र | यः | सत्राचा | मनसा | यजाते | एतावन्तम् | नर्यम् | आविवासात् // ऋ. वे. ७,१००.१ //
त्वम् | विष्णो इति | सु-मतिम् | विश्व-जन्याम् | अप्र-युताम् | एव-यावः | मतिम् | दाः | पर्चः | यथा | नः | सुवितस्य | भूरेः | अश्व-वतः | पुरु-चन्द्रस्य | रायः // ऋ. वे. ७,१००.२ //
त्रिः | देवः | पृथिवीम् | एषः | एताम् | वि | चक्रमे | शत-अर्चसम् | महि-त्वा | प्र | विष्णुः | अस्तु | तवसः | तवीयान् | त्वेषम् | हि | अस्य | स्थविरस्य | नाम // ऋ. वे. ७,१००.३ //
वि | चक्रमे | पृथिवीम् | एषः | एताम् | क्षेत्राय | विष्णुः | मनुषे | दशस्यन् | ध्रुवासः | अस्य | कीरयः | जनासः | उरु-क्षितिम् | सु-जनिमा | चकार // ऋ. वे. ७,१००.४ //
प्र | तत् | ते | अद्य | शिपि-विष्ट | नाम | अर्यः | शंसामि | वयुनानि | विद्वान् | तम् | त्वा | गृणामि | तवसम् | अतव्यान् | क्षयन्तम् | अस्य | रजसः | पराके // ऋ. वे. ७,१००.५ //
किम् | इत् | ते | विष्णो इति | परि-चक्ष्यम् | भूत् | प्र | यत् | ववक्षे | शिपि-विष्टः | अस्मि | मा | वर्पः | अस्मत् | अप | गूहः | एतत् | यत् | अन्य-रूपः | समिथे | बभूथ // ऋ. वे. ७,१००.६ //
वषट् | ते | विष्णो इति | आसः | आ | कृणोमि | तत् | मे | जुषस्व | शिपि-विष्ट | हव्यम् | वर्धन्तु | त्वा | सु-स्तुतयः | गिरः | मे | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,१००.७ //
//२५//.




-ऋ. वे. ५:७/१-
(ऋ. वे. ७,१०१)
तिस्रः | वाचः | प्र | वद | ज्योतिः-अग्राः | याः | एतत् | दुह्रे | मधु-दोघम् | ऊधः | सः | वत्सम् | कृण्वन् | गर्भम् | ओषधीनाम् | सद्यः | जातः | वृषभः | रोरवीति // ऋ. वे. ७,१०१.१ //
यः | वर्धनः | ओषधीनाम् | यः | अपाम् | यः | विश्वस्य | जगतः | देवः | ईशे | सः | त्रि-धातु | शरणम् | शर्म | यंसत् | त्रि-वर्तु | ज्योतिः | सु-अभिष्टि | अस्मे इति // ऋ. वे. ७,१०१.२ //
स्तरीः | ॐ इति | त्वत् | भवति | सूतः | ॐ इति | त्वत् | यथावशम् | तन्वम् | चक्रे | एषः | पितुः | पयः | प्रति | गृभ्णाति | माता | तेन | पिता | वर्धते | तेन | पुत्रः // ऋ. वे. ७,१०१.३ //
यस्मिन् | विश्वानि | भुवनानि | तस्थुः | तिस्रः | द्यावः | त्रेधा | ससुः | आपः | त्रयः | कोशासः | उप-सेचनासः | मध्वः | श्चोतन्ति | अभितः | वि-रप्शम् // ऋ. वे. ७,१०१.४ //
इदम् | वचः | पर्जन्याय | स्व-राजे | हृदः | अस्तु | अन्तरम् | तत् | जुजोषत् | मयः-भुवः | वृष्टयः | सन्तु | अस्मे इति | सु-पिप्पलाः | ओषधीः | देव-गोपाः // ऋ. वे. ७,१०१.५ //
सः | रेतः-धाः | वृषभः | शश्वतीनाम् | तस्मिन् | आत्मा | जगतः | तुस्थुषः | च | तत् | मा | ऋतम् | पातु | शत-शारदाय | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ७,१०१.६ //
//१//.

-ऋ. वे. ५:७/२-
(ऋ. वे. ७,१०२)
पर्जन्याय | प्र | गायत | दिवः | पुत्राय | मीऌहुषे | सः | नः | यवसम् | इच्छतु // ऋ. वे. ७,१०२.१ //
यः | गर्भम् | ओषधीनाम् | गवाम् | कृणोति | अर्वताम् | पर्जन्यः | पुरुषीणाम् // ऋ. वे. ७,१०२.२ //
तस्मै | इत् | आस्ये | हविः | जुहोत | मधुमत्-तमम् | इऌआम् | नः | सम्-यतम् | करत् // ऋ. वे. ७,१०२.३ //
//२//.

-ऋ. वे. ५:७/३-
(ऋ. वे. ७,१०३)
संवत्सरम् | शशयानाः | ब्राह्मणाः | व्रत-चारिणः | वाचम् | पर्जन्य-जिन्विताम् | प्र | मण्डूकाः | अवादिषुः // ऋ. वे. ७,१०३.१ //
दिव्याः | आपः | अभि | यत् | एनम् | आयन् | दृतिम् | न | शुष्कम् | सरसी इति | शयानम् | गवाम् | अह | न | मायुः | वत्सिनीनाम् | मण्डूकानाम् | वग्नुः | अत्र | सम् | एति // ऋ. वे. ७,१०३.२ //
यत् | ईम् | एनान् | उशतः | अभि | अवर्षीत् | तृष्यावतः | प्रावृषि | आगतायाम् | अख्खलीकृत्य | पितरम् | न | पुत्रः | अन्यः | अन्यम् | उप | वदन्तम् | एति // ऋ. वे. ७,१०३.३ //
अन्यः | अन्यम् | अनु | गृभ्णाति | एनोः | अपाम् | प्र-सर्गे | यत् | अमन्दिषाताम् | मण्डूकः | यत् | अभि-वृष्टः | कनिस्कन् | पृश्निः | सम्-पृङ्क्ते | हरितेन | वाचम् // ऋ. वे. ७,१०३.४ //
यत् | एषाम् | अन्यः | अन्यस्य | वाचम् | शाक्तस्य-इव | वदति | शिक्षमाणः | सर्वम् | तत् | एषाम् | समृधाइव | पर्व | यत् | सु-वाचः | वदथन | अधि | अप्-सु // ऋ. वे. ७,१०३.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ५:७/४-
गो--मायुः | एकः | अज-मायुः | एकः | पृश्निः | एकः | हरितः | एकः | एषाम् | समानम् | नाम | बिभ्रतः | वि-रूपाः | पुरु-त्र | वाचम् | पिपिशुः | वदन्तः // ऋ. वे. ७,१०३.६ //
ब्राह्मणासः | अति-रात्रे | न | सोमे | सरः | न | पूर्णम् | अभितः | वदन्तः | संवत्सरस्य | तत् | अहरिति | परि | स्थ | यत् | मण्डूकाः | प्रावृषीणम् | बभूव // ऋ. वे. ७,१०३.७ //
ब्राह्मणासः | सोमिनः | वाचम् | अक्रत | ब्रह्म | कृण्वन्तः | परिवत्सरीणम् | अध्वर्यवः | घर्मिणः | सिस्विदानाः | आविः | भवन्ति | गुह्याः | न | के | च् इत् // ऋ. वे. ७,१०३.८ //
देव-हितिम् | जुगुपुः | द्वादशस्य | ऋतुम् | नरः | न | प्र | मिनन्ति | एते | संवत्सरे | प्रावृषि | आगतायाम् | तप्ताः | घर्माः | अश्नुवते | वि-सर्गम् // ऋ. वे. ७,१०३.९ //
गो--मायुः | अदात् | अज-मायुः | अदात् | पृश्निः | अदात् | हरितः | नः | वसूनि | गवाम् | मण्डूकाः | ददतः | शतानि | सहस्र-सावे | प्र | तिरन्ते | आयुः // ऋ. वे. ७,१०३.१० //
//४//.

-ऋ. वे. ५:७/५-
(ऋ. वे. ७,१०४)
इन्द्रासोमा | तपतम् | रक्षः | उब्जतम् | नि | अर्पयतम् | वृषणा | तमः-वृधः | परा | शृणीतम् | अचितः | नि | ओषतम् | हतम् | नुदेथाम् | नि | शिशीतम् | अत्रिणः // ऋ. वे. ७,१०४.१ //
इन्द्रासोमा | सम् | अघ-शंसम् | अभि | अघम् | तपुः | ययस्तु | चरुः | अग्निवान्-इव | ब्रह्म-द्विषे | क्रव्य-अदे | घोर-चक्षसे | द्वेषः | धत्तम् | अनवायम् | किमीदिने // ऋ. वे. ७,१०४.२ //
इन्द्रासोमा | दुः-कृतः | वव्रे | अन्तः | अनारम्भणे | तमसि | प्र | विध्यतम् | यथा | न | अतः | पुनः | एकः | चन | उत्-अयत् | तत् | वाम् | अस्तु | सहसे | मन्यु-मत् | शवः // ऋ. वे. ७,१०४.३ //
इन्द्रासोमा | वर्तयतम् | दिवः | वधम् | सम् | पृथिव्याः | अघ-शंसाय | तहर्णम् | उत् | तक्षतम् | स्वर्यम् | पर्वतेभ्यः | येन | रक्षः | ववृधानम् | नि-जूर्वथः // ऋ. वे. ७,१०४.४ //
इन्द्रासोमा | वर्तयतम् | दिवः | परि | अग्नि-तप्तेभिः | युवम् | अश्महन्म-भिः | तपुः-वधेभिः | अजरेभिः | अत्रिणः | नि | पर्शाने | विध्यतम् | यन्तु | नि--स्वरम् // ऋ. वे. ७,१०४.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ५:७/६-
इन्द्रासोमा | परि | वाम् | भूतु | विश्वतः | इयम् | मतिः | कक्ष्या | अश्वाइव | वाजि ना | याम् | वाम् | होत्राम् | परि-हिनोमि | मेधया | इमा | ब्रह्माणि | नृपतीइवेतिनृपती-इव | जिन्वतम् // ऋ. वे. ७,१०४.६ //
प्रति | स्मरेथाम् | तुजयत्-भिः | एवैः | हतम् | द्रुहः | रक्षसः | भङ्गुर-वतः | इन्द्रासोमा | दुः-कृते | मा | सु-गम् | भूत् | यः | नः | कदा | चित् | अभि-दासति | द्रुहा // ऋ. वे. ७,१०४.७ //
यः | मा | पाकेन | मनसा | चरन्तम् | अभि-चष्टे | अनृतेभिः | वचः-भिः | आपः-इव | काशिना | सम्-गृभीताः | असन् | अस्तु | असतः | इन्द्र | वक्ता // ऋ. वे. ७,१०४.८ //
ये | पाक-शंसम् | वि-हरन्ते | एवैः | ये | वा | भद्रम् | दूषयन्ति | स्वधाभ् इः | अहये | वा | तान् | प्र-ददातु | सोमः | आ | वा | दधातु | निः-ऋतेः | उप-स्थे // ऋ. वे. ७,१०४.९ //
यः | नः | रसम् | दिप्सति | पित्वः | अग्ने | यः | अश्वानाम् | यः | गवाम् | यः | तनूनाम् | रिपुः | स्तेनः | स्तेय-कृत् | दभ्रम् | एतु | नि | सः | हीयताम् | तन्वा | तना | च // ऋ. वे. ७,१०४.१० //
//६//.

-ऋ. वे. ५:७/७-
परः | सः | अस्तु | तन्वा | तना | च | तिस्रः | पृथिवीः | अधः | अस्तु | विश्वाः | प्रति | शुष्यतु | यशः | अस्य | देवाः | यः | नः | दिवा | दिप्सति | यः | च | नक्तम् // ऋ. वे. ७,१०४.११ //
सु-विज्ञानम् | चिकितुषे | जनाय | सत् | च | असत् | च | वचसी इति | पस्पृधातेइति | तयोः | यत् | सत्यम् | यतरत् | ऋजीयः | तत् | इत् | सोमः | अवति | हन्ति | असत् // ऋ. वे. ७,१०४.१२ //
न | वै | ॐ इति | सोमः | वृजिनम् | हिनोति | न | क्षत्रियम् | मिथुया | धारयन्तम् | हन्ति | रक्षः | हन्ति | असत् | वदन्तम् | उभौ | इन्द्रस्य | प्र-सितौ | शयातेइति // ऋ. वे. ७,१०४.१३ //
यदि | वा | अहम् | अनृत-देवः | आस | मोघम् | वा | देवान् | अपि-ऊहे | अग्ने | किम् | अस्मभ्यम् | जात-वेदः | हृणीषे | द्रोघ-वाचः | ते | निर्-ऋथम् | सचन्ताम् // ऋ. वे. ७,१०४.१४ //
अद्य | मुरीय | यदि | यातु-धानः | अस्मि | यदि | वा | आयुः | ततप | पुरुषस्य | अध | सः | वीरैः | दश-भिः | वि | यूयाः | यः | मा | मोघम् | यातु-धान | इति | आह // ऋ. वे. ७,१०४.१५ //
//७//.

-ऋ. वे. ५:७/८-
यः | मा | अयातुम् | यातु-धान | इति | आह | यः | वा | रक्षाः | शुचिः | अस्मि | इति | आह | इन्द्रः | तम् | हन्तु | महता | वधेन | विश्वस्य | जन्तोः | अधमः | पदीष्ट // ऋ. वे. ७,१०४.१६ //
प्र | या | जिगाति | खर्गलाइव | नक्तम् | अप | द्रुहा | तन्वम् | गूहमाना | वव्रान् | अनन्ताम्न् | अव | सा | पदीष्ट | ग्रावाणः | घ्नन्तु | रक्षसः | उपब्दैः // ऋ. वे. ७,१०४.१७ //
वि | तिष्ठध्वम् | मरुतः | विक्षु | इच्छत | गृभायत | रक्षसः | सम् | पिनष्टन | वयः | ये | भूत्वी | पतयन्ति | नक्त-भिः | ये | वा | रिपः | दधिरे | देवे | अध्वरे // ऋ. वे. ७,१०४.१८ //
प्र | वर्तय | दिवः | अश्मानम् | इन्द्र | सोम-शितम् | मघ-वन् | सम् | सिशाधि | प्राक्तात् | अपाक्तात् | अधरात् | उदक्तात् | अभि | जहि | रक्षसः | पर्वतेन // ऋ. वे. ७,१०४.१९ //
एते | ॐ इति | त्ये | पतयन्ति | श्व-यातवः | इन्द्रम् | दिप्सन्ति | दिप्सवः | अदाभ्यम् | शिशीते | शक्रः | पिशुनेभ्यः | वधम् | नूनम् | सृजत् | अशनिम् | यातुमत्-भ्यः // ऋ. वे. ७,१०४.२० //
//८//.

-ऋ. वे. ५:७/९-
इन्द्रः | यातूनाम् | अभवत् | पराशरः | हविः-मथीनाम् | अभि | आविवासताम् | अभि | इत् | ॐ इति | शक्रः | परशुः | यथा | वनम् | पात्राइव | भिन्दन् | सतः | एति | रक्षसः // ऋ. वे. ७,१०४.२१ //
उलूक-यातुम् | शुशुलूक-यातुम् | जहि | श्व-यातुम् | उत | कोक-यातुम् | सुपर्ण-यातुम् | उत | गृध्र-यातुम् | दृषदाइव | प्र | मृण | रक्षः | इन्द्र // ऋ. वे. ७,१०४.२२ //
मा | नः | रक्षः | अभि | नट् | यातु-मावताम् | अप | उच्छतु | मिथुना | या | किमीदिना | पृथिवी | नः | पार्थिवात् | पातु | अंहसः | अन्तरिक्षम् | दिव्यात् | पातु | अस्मान् // ऋ. वे. ७,१०४.२३ //
इन्द्र | जहि | पुमांसम् | यातु-धानम् | उत | स्त्रियम् | मायया | शाशदानाम् | वि-ग्रीवासः | मूर-देवाः | ऋदन्तु | मा | ते | दृशन् | सूर्यम् | उत्-चरन्तम् // ऋ. वे. ७,१०४.२४ //
प्रति | चक्ष्व | वि | चक्ष्व | इन्द्रः | च | सोम | जागृतम् | रक्षः-भ्यः | वधम् | अस्यतम् | अशनिम् | यातुमत्-भ्यः // ऋ. वे. ७,१०४.२५ //
//९//.