पाणिनीयधातुपाठः
- भ्वादिगण 1-1010
- अदादिगण 1011-1106
- दिवादिगण 1107-1246
- स्वादिगण 1247-1280
- तुदादिगण 1281-1437
- रुणादिगण 1438-1462
- तनादिगण 1463-1472
- क्रयादिगण 1473-1533
- चुरादिगण 1534-1943
क्रमः |
धातुः |
धातुपाठक्रमः |
---|---|---|
अ | ||
१ | अंक पदे लक्षणे | 1927 |
२ | अंचु गतिपूजनयोः | 188 |
३ | अंचु गतौ याचने च | 862 |
४ | अंचु विशेषणे | 1738 |
५ | अंजू व्यक्तिमर्षणकान्तिगतिषु | 1458 |
६ | अंस समाघाते | 1918 |
७ | अक कुटिलायां गतौ | 792 |
८ | अकि लक्षणे | 87 |
९ | अक्षू व्याप्तौ | 654 |
१० | अग कुटिलायां गतौ | 792 |
११ | अगि गत्यर्थे | 146 |
१२ | अघि गत्याक्षेपे,गतौ गत्यारम्भे चेत्यपरे | 109 |
१३ | अचि गतौ याचने च इत्यपरे | 862 |
१४ | अचु गतौ याचने च इत्येके | 862 |
१५ | अज गतिक्षेपणयोः | 230 |
१६ | अजि आप्यायने | 1785 |
१७ | अटि गतौ | 261 |
१८ | अट्ट अतिक्रमहिंसयोः | 254 |
१९ | अट्ट अनादरे | 1561 |
२० | अड उद्यमे | 358 |
२१ | अड्ड अभियोगे | 348 |
२२ | अण प्राणने | 1175 |
२३ | अण शब्दे | 444 |
२४ | अत गतौ | 295 |
२५ | अति बन्धने | 61 |
२६ | अथ दौर्बल्ये | 1870 |
२७ | अथ सातत्यगमनो | 38 |
२८ | अद भक्षणे | 1011 |
२९ | अदि बन्धने | 62 |
३० | अन प्राणने | (1070) (1175) |
३१ | अनोरुध कामे | 1174 |
३२ | अन्ध दृष्ट्यपघाते,उपसंहार इत्यन्ये | 1920 |
३३ | अभ्र गत्यर्था | 556 |
३४ | अम गत्यादिषु | 465 |
३५ | अम रोगे | 1720 |
३६ | अय गतौ | 474 |
३७ | अर्क स्तवने,तपन इत्येके | 1643 |
३८ | अर्घ मूल्ये | 161 |
३९ | अर्च पूजायाम् | 204 |
४० | अर्च पूजायाम् | 1808 |
४१ | अर्ज अर्जने | 224 |
४२ | अर्ज प्रतियत्ने | 1725 |
४३ | अर्थ उपयांचायाम् | 1905 |
४४ | अर्द गतौ याचने च | 55 |
४५ | अर्द हिंसायाम् | 1828 |
४६ | अर्व गतौ | 415 |
४७ | अर्व हिंसायाम् | 584 |
४८ | अर्ह पूजायाम् | 740 |
४९ | अर्ह पूजायाम् | 1731 |
५० | अर्ह पूजायाम् | 1830 |
५१ | अल भूषणपर्याप्तिवारणेषु | 515 |
५२ | अव रक्षणगतिकान्तिप्रीतितृप्त्यवगम प्रवेशश्रदणस्वाम्यर्थयाचनक्रियेच्छादीप्त्यवाप्त्यालिंगनहिंसादानभागवृद्धिषु | 600 |
५३ | अवि शब्दे | 378 |
५४ | अश भोजने | 1523 |
५५ | अशू व्याप्तौ संघाते च | 1264 |
५६ | अष गतिदीप्त्यादानेषु इत्येके | 886 |
५७ | अस गतिदीप्त्यादानेषु | 886 |
५८ | अस भुवि | 1065 |
५९ | असु क्षेपणे | 1209 |
६० | अह व्याप्तौ | 1272 |
६१ | अहि आप्यायने | 1797 |
६२ | अहि गतौ | 635 |
आ | ||
६३ | आङः क्रन्द सातत्ये | 1727 |
६४ | आङः शसि इच्छायाम् | 629 |
६५ | आङः शासु इच्छायाम् | 1021 |
६६ | आङः षद पद्यर्थे | 1831 |
६७ | आछि आयामे आयामः दैर्घ्यम् | 209 |
६८ | आप्लृ लम्भने | 1839 |
६९ | आप्लृ व्याप्तौ | 1260 |
७० | आविजी भयचलनयो | 1289 |
७१ | आविजी भयचलनयो | 1460 |
७२ | आस उपवेशने | |
इ | ||
७३ | इंग अध्ययने नित्यमधिपूर्वः | 1046 |
७४ | इक स्मरणे | 1047 |
७५ | इख गत्यर्थे | 140 |
७६ | इखि गत्यर्थे | 141 |
७७ | इगि गत्यर्थे | 153 |
७८ | इण गतौ | 1045 |
७९ | इदि परमैश्वर्ये | 63 |
८० | इन हिंसागत्योः | 1012 |
८१ | इल प्रेरणे | 1660 |
८२ | इल स्वप्नक्षेपणयोः | 1357 |
८३ | इवि व्याप्तौ | 587 |
८४ | इष आभीक्ष्ण्ये | 1525 |
८५ | इष इच्छायाम् | 1351 |
८६ | इष उंछे कणशः आदाने कणिशाद्यर्जनं शिलम् | 680 |
८७ | इष गतौ | 1127 |
ई | ||
८८ | ईक्ष दर्शने | 610 |
८९ | ईखि गत्यर्थे | 142 |
९० | ईङ् गतौ | 1143 |
९१ | ईज गतिकुत्सनयोः | 182 |
९२ | ईट गतौ | 318 |
९३ | ईड स्तुतौ | 1019 |
९४ | ईड स्तुतौ | 1667 |
९५ | ईर क्षेपे | 1810 |
९६ | ईर गतौ | 1018 |
९७ | ईर्क्ष्य ईष्यार्थाः | 510 |
९८ | ईर्ष्य ईष्यार्थाः | 511 |
९९ | ईश ऐश्वर्ये | 1020 |
१०० | ईष गतिहिंसादर्शनेषु | 611 |
१०१ | ईह चेष्टायाम् | 632 |
उ | ||
१०२ | उंभ पूरणे | 1320 |
१०३ | उक्ष सेचने | 657 |
१०४ | उख गत्यर्थे | 128 |
१०५ | उखि गत्यर्थे | 129 |
१०६ | उङ् शब्दे | 951 |
१०७ | उच समवाये | 1220 |
१०८ | उच्छदिर दीप्तिदेवनयोः | 1445 |
१०९ | उच्छि विवासे | 1295 |
११० | उच्छी विवासे | 216 |
१११ | उछि उंछे | 215 |
११२ | उछि उंछे | 1293 |
११३ | उज्झ उत्सर्गे | 1304 |
११४ | उठ उपघाते | 338 |
११५ | उतृदिर हिंसाऽनादरयोः | 1446 |
११६ | उध्रस उंछे | 1742 |
११७ | उध्रस उच्छे | 1524 |
११८ | उन्दी क्लेदने | 1457 |
११९ | उबुन्दिर निशामने | 876 |
१२० | उब्ज आर्जवे | 1303 |
१२१ | उभ पूरणे | 1319 |
१२२ | उर्द मानेमानं परिणामंक्रीडायां च | 20 |
१२३ | उर्वी हिंसार्था | 569 |
१२४ | उलडि उत्क्षेपणे इत्यन्ये | 1542 |
१२५ | उष दाहे | 696 |
१२६ | उहिर अर्दने अर्दनम् पीडनम् | 739 |
ऊ | ||
१२७ | ऊठ उपघाते इत्येके | 338 |
१२८ | ऊन परिहाणे | 1881 |
१२९ | ऊयी तंतुसंताने | 483 |
१३० | ऊर्ज बलप्राणनयोः | 1549 |
१३१ | ऊर्णुञ् आच्छादने | 1039 |
१३२ | ऊष रुजायाम् | 683 |
१३३ | ऊह वितर्के | (648 |
ऋ | ||
१३४ | ऋंफ हिंसायाम् | 1316 |
१३५ | ऋ गतिप्रापणयोः | 936 |
१३६ | ऋ गतौ | 1098 |
१३७ | ऋच स्तुतौ | 1302 |
१३८ | ऋच्छ गतीन्दि्रयप्रलयमूर्तिभावेषु | 1296 |
१३९ | ऋज गतिस्थानार्जनेपार्जनेषु | 176 |
१४० | ऋजि भर्जने | 177 |
१४१ | ऋणु गतौ | 1467 |
१४२ | ऋधु वृद्धौ | 1245 |
१४३ | ऋधु वृद्धौ | 1271 |
१४४ | ऋफ हिंसायाम् | 1315 |
१४५ | ऋषी गतौ | 1287 |
ॠ | ||
१४६ | ॠ गतौ | 1497 |
ए | ||
१४७ | एजृ कम्पने | 234 |
१४८ | एजृ दीप्तौ | 179 |
१४९ | एठ विवाधायाम् | 267 |
१५० | एत्रि संकोचे | 1536 |
१५१ | एध वृद्धौवृद्धि वर्धनं उपचयः | 2 |
१५२ | एषृ गतौ | 618 |
१५३ | एषृ प्रयत्नेन इत्येके | 615 |
ओ | ||
१५४ | ओखृ शोषणालमर्थयोः | 121 |
१५५ | ओणृ अपनयने | 454 |
१५६ | ओप्यायी वृद्धौ | 488 |
१५७ | ओलजी व्रीडायाम् | 1290 |
१५८ | ओलडि उत्क्षेपणे | 1542 |
१५९ | ओलस्जी व्रीडायाम् | 1291 |
१६० | ओवै शोषणे | 921 |
१६१ | ओव्रश्चू छेदने | 1291 |
१६२ | ओहाक् त्यागे | 1090 |
१६३ | ओहाङ् गतौ | 1089 |
क | ||
१६४ | कक लौल्ये | 90 |
१६५ | कक लौल्ये | 1237 |
१६६ | ककि गत्यर्थे | 94 |
१६७ | कख हसने | 120 |
१६८ | कख हसने | 784 |
१६९ | कगे नोच्यते | 791 |
१७० | कच बन्धने | 168 |
१७१ | कचि दीप्तिबन्धनयोः | 169 |
१७२ | कज मद इत्येके | 232 |
१७३ | कटी गतौ | 320 |
१७४ | कटे वर्षावरणयोः | 294 |
१७५ | कठ कृच्छ्रजीवने | 333 |
१७६ | कठि शोके | 264 |
१७७ | कठि शोके | 1846 |
१७८ | कड मदे | 360 |
१७९ | कड मदे | 1380 |
१८० | कडि मदे | 282 |
१८१ | कडि मदे इत्येके | 360 |
१८२ | कड्ड कार्कश्ये | 349 |
१८३ | कण गतौ | 794 |
१८४ | कण निमीलने | 1715 |
१८५ | कण शब्दे | 449 |
१८६ | कत्र शैथिल्ये | 1915 |
१८७ | कथ वाक्यप्रबन्धे | 1851 |
१८८ | कदि आह्वाने रोदने च | 70 |
१८९ | कदि वैकल्य इत्येके | 772 |
१९० | कनी दीप्तिकान्तिगतिषु | 460 |
१९१ | कपि चलने | 375 |
१९२ | कबृ वर्णे | 380 |
१९३ | कमु कान्तौ | 443 |
१९४ | कर्ज व्यथने | 228 |
१९५ | कर्द कुत्सिते शब्दे | 59 |
१९६ | कर्ब गतौ | 420 |
१९७ | कर्व दर्पे | 581 |
१९८ | कल क्षेपे | 1604 |
१९९ | कल गतौ संख्याने च | 1865 |
२०० | कल शब्दसंख्यानयोः | 497 |
२०१ | कष हिंसार्थे | 685 |
२०२ | कस गतिशासनयोः इत्येके | 1024 |
२०३ | कस गतौ | 860 |
२०४ | कसि गतिशासनयोः | 1024 |
२०५ | काक्षि कांक्षायाम् | 667 |
२०६ | काचि दीप्तिबन्धनयोः | 170 |
२०७ | काशृ दीप्तौ | 1162 |
२०८ | काशृ दीप्तौ | 647 |
२०९ | कासृ शब्दकुत्सायाम् | 623 |
२१० | कि ज्ञाने | 1101 |
२११ | किट गतौ | 319 |
२१२ | किट त्रासे | 301 |
२१३ | कित निवासे रोगापनयने च | 993 |
२१४ | किलश्वैत्यक्रीडनयोः | 1353 |
२१५ | कीट वर्णे | 1640 |
२१६ | कील बन्धने | 524 |
२१७ | कुंच कौटिल्यल्पीभावे | 185 |
२१८ | कुंश संश्लेषणे | 1218 |
२१९ | कु शब्दे | 1042 |
२२० | कुक आदाने | 91 |
२२१ | कुङ् शब्दे | 951 |
२२२ | कुङ् शब्दे | 1401 |
२२३ | कुच शब्दे तारे | 184 |
२२४ | कुच संकोचने | 1368 |
२२५ | कुच संपर्चनकौटिल्यप्रतिष्टंभ विलेखनेषु | 857 |
२२६ | कुजु स्तेयकरणे | 199 |
२२७ | कुट कौटिल्ये | 1366 |
२२८ | कुटी वैकल्ये इत्येके | 322 |
२२९ | कुट्ट अनृतभाषणे इत्येके | 1539 |
२३० | कुट्ट छेदनभर्त्सनयोः | 1558 |
२३१ | कुट्ट प्रतापने | 1702 |
२३२ | कुठि गतिप्रतिघाते? | 342 |
२३३ | कुड बाल्ये | 1383 |
२३४ | कुडि अनृतभाषणे इत्यपरे | 1539 |
२३५ | कुडि दाहे | 270 |
२३६ | कुडि भेदने | 1583 |
२३७ | कुडि वैकल्ये | 322 |
२३८ | कुण आमन्त्रणे | 1893 |
२३९ | कुण शब्दापकरणयोः | 1335 |
२४० | कुत्स अवक्षेपणे | 1697 |
२४१ | कुथ पूतीभावे | 1118 |
२४२ | कुथि हिंसासंक्लेशनयोः | 43 |
२४३ | कुद्रि अनृतभाषणे | 1539 |
२४४ | कुन्थ संश्लेषणे | 1514 |
२४५ | कुप क्रोधे | 1233 |
२४६ | कुप भाषार्थे | 1779 |
२४७ | कुबि आच्छादने | 426 |
२४८ | कुबि आच्छादने | 1655 |
२४९ | कुभि आच्छादने इत्येके | 1655 |
२५० | कुमार क्रीडायाम् | 1877 |
२५१ | कुर शब्दे | 1341 |
२५२ | कुर्द क्रीडायां | 21 |
२५३ | कुल संस्त्यानेसंघातेबन्धुषुबन्धुतानुकूल व्यापारेषुच | 842 |
२५४ | कुशि भाषार्थे | 1765 |
२५५ | कुष निष्कर्षे | 1518 |
२५६ | कुसि भाषार्थे | 1763 |
२५७ | कुस्म नाम्नो वा कुत्सितस्मयने। इत्याकुस्मीयाः | 1711 |
२५८ | कुह विस्मापने | 1901 |
२५९ | कूज अव्यक्ते शब्दे | 223 |
२६० | कूट आप्रदाने,अवसादन इत्येके | 1701 |
२६१ | कूट परितापे,परिदाह इत्यन्ये | 1890 |
२६२ | कूट संकोचने | 1896 |
२६३ | कूण संकोचे | 1688 |
२६४ | कूल आवरणे | 525 |
२६५ | कृ विक्षेपे | 1409 |
२६६ | कृ हिंसायाम् | 1496 |
२६७ | कृञ् हिंसायाम् | 1253 |
२६८ | कृञ् हिंसायाम् | 1485 |
२६९ | कृड घनत्वे | 1382 |
२७० | कृत संशब्दने | 1653 |
२७१ | कृती छेदने | 1435 |
२७२ | कृती वेष्टने | 1447 |
२७३ | कृप दौर्बल्ये | 1868 |
२७४ | कृपू सामर्थ्ये | 762 |
२७५ | कृवि हिंसाकरणयोश्च | 598 |
२७६ | कृश तनूकरणे | 1227 |
२७७ | कृष विलेखने | 990 |
२७८ | कृष विलेखने | 1286 |
२७९ | केत श्रावणे निमन्त्रणे | 1895 |
२८० | केपृ कंपने | 368 |
२८१ | केलृ चलने | 537 |
२८२ | कै शब्द | 916 |
२८३ | क्नथ हिंसार्थे | 800 |
२८४ | क्नसु हरणदीप्त्योः | 1113 |
२८५ | क्नुञ् शब्दे | 1480 |
२८६ | क्नूयी शब्दे उन्दे च | 485 |
२८७ | क्मर हुर्च्छने | हूर्च्छनं कौटिल्यं |
२८८ | क्रथ हिंसार्थे | 801 |
२८९ | क्रदि आह्वाने रोदने च | 71 |
२९० | क्रदि वैकल्य इत्येके | 773 |
२९१ | क्रप कृपायां गतौ च | 771 |
२९२ | क्रमु पादविक्षेपे | 473 |
२९३ | क्रीड् विहारे | 350 |
२९४ | क्रुंच कौटिल्यल्पीभावे | 186 |
२९५ | क्रुड निमज्जन इत्येके | 1394 |
२९६ | क्रुध क्रोधे | 1189 |
२९७ | क्रुश आह्वाने रोदने च | 856 |
२९८ | क्लथ हिंसार्थे | 802 |
२९९ | क्लदि आह्वाने रोदने च | 72 |
३०० | क्लदि परिदेवन | 73 |
३०१ | क्लदि वैकल्य इत्येके | 774 |
३०२ | क्लप व्यक्तायां वाचि इत्येके | 1650 |
३०३ | क्लमु ग्लानौ | 1207 |
३०४ | क्लिदि परिदेवने | 15 |
३०५ | क्लिदू आर्द्रीभावे | 1242 |
३०६ | क्लिश उपतापे | 1161 |
३०७ | क्लिशू विवाधने | 1522 |
३०८ | क्लिष आलिंगने | |
३०९ | क्लीवृ अधार्ष्ट्ये | 381 |
३१० | क्लुङ् गतौ इत्येके | 959 |
३११ | क्लेवृ सेवने | 506 |
३१२ | क्लेश अव्यक्तायां वाचि बाधन इति दुर्गः | 607 |
३१३ | क्वण शब्दे | 450 |
३१४ | क्वथे निष्पाके | 846 |
३१५ | क्षणु हिंसायाम् | 1465 |
३१६ | क्षति गतिदानयोः | 769 |
३१७ | क्षपयः च शब्दे इति भोजः | 816 |
३१८ | क्षपि क्षान्त्याम् | 1620 |
३१९ | क्षमु सहने | 1205 |
३२० | क्षमूष् सहने | 442 |
३२१ | क्षर संचलने | 851 |
३२२ | क्षल शौच कर्मणि | 1597 |
३२३ | क्षि क्षये | 236 |
३२४ | क्षि निवासगत्योः | 1407 |
३२५ | क्षि हिंसायाम् | 1276 |
३२६ | क्षिणु हिंसायाम् | 1466 |
३२७ | क्षिप प्रेरणे | 1121 |
३२८ | क्षिप प्रेरणे | 1285 |
३२९ | क्षिप प्रेरणे | 1941 |
३३० | क्षीज अव्यक्ते शब्दे | 237 |
३३१ | क्षीबृ मदे | 382 |
३३२ | क्षीवु निरसने | 567 |
३३३ | क्षीष हिंसायाम् | 1506 |
३३४ | क्षुदिर सम्पेषणे | 1443 |
३३५ | क्षुध बुभुक्षायाम् | 1190 |
३३६ | क्षुभ संचलने | 751 |
३३७ | क्षुभ संचलने | 1239 |
३३८ | क्षुभ संचलने | |
३३९ | क्षुर विलेखने | 1340 |
३४० | क्षेवु निरसने | 568 |
३४१ | क्षै क्षये | 913 |
३४२ | क्षोट क्षेपे | 1875 |
३४३ | क्ष्णु तेजने | 1037 |
३४४ | क्ष्मायी विधूनने | 486 |
३४५ | क्ष्मील निमेषणे | 520 |
३४६ | क्ष्वेलृ चलने | 539 |
ख | ||
१४७ | खच भूतपादुर्भावे | 1531 |
१४८ | खज मन्थे | 232 |
१४९ | खजि गतिवैकल्ये | 233 |
१५० | खट कांक्षायाम् | 309 |
१५१ | खट्ट संवरणे | 1632 |
१५२ | खड भेदने | 1580 |
१५३ | खडि भेदने | 1581 |
१५४ | खडि मंथे | 283 |
१५५ | खद स्थैर्ये हिंसायां च | 50 |
१५६ | खनु अवदारणे | 878 |
१५७ | खर्ज पूजने | 229 |
१५८ | खर्द दन्दशूके दन्तशूककर्तृकक्रिया | 60 |
१५९ | खर्ब गतौ | 421 |
१६० | खर्व दर्पे | 582 |
१६१ | खल संचये | 545 |
१६२ | खष हिंसार्थे | 686 |
१६३ | खादृ भक्षणे | 49 |
१६४ | खिट त्रासे | 302 |
१६५ | खिद दैन्ये | 1170 |
१६६ | खिद दैन्ये | 1449 |
१६७ | खिद् परिघाते | 1436 |
१६८ | खुजु स्तेयकरणे | 200 |
१६९ | खुड सम्बरणे इत्येके | 1388 |
१७० | खुडि खंडने | 1585 |
१७१ | खुर ऐश्वर्यदीप्त्योः | 1340 |
१७२ | खुर छेदने | 1342 |
१७३ | खुर्द क्रीडायां | 22 |
१७४ | खेट भक्षणे | 1874 |
१७५ | खेलृ चलने | 538 |
१७६ | खेवृ सेवने | 506 |
१७७ | खै खदने | 912 |
१७८ | खोऋर् गतिप्रतिघाते | 552 |
१७९ | खोलृ गतिप्रतिघाते | 551 |
१८० | ख्या प्रकथने | 1060 |
ग | ||
१८१ | गज शब्दार्थे, | 1647 |
१८२ | गज शब्दार्थे,मदने च | 246 |
१८३ | गजि शब्दार्थे | 247 |
१८४ | गड सेचने | 777 |
१८५ | गडि वदनैकदेश | 360 |
१८६ | गडि वदनैकदेशे (मुखवयवः,कपोलः गंडस्थलम्) | 65 |
१८७ | गण संख्याने | 1853 |
१८८ | गद व्यक्तायां वाचि | 52 |
१८९ | गदी देवशब्दे | 1860 |
१९० | गन्ध अर्दने | 1684 |
१९१ | गम्लृ गतौ | 982 |
१९२ | गर्ज अव्यक्ते शब्दे | 226 |
१९३ | गर्द शब्दे | 57 |
१९४ | गर्ब गतौ | 422 |
१९५ | गर्व दर्पे | 583 |
१९६ | गर्व माने | 1907 |
१९७ | गर्ह कुत्सायाम् | 636 |
१९८ | गर्ह विनिन्दने | 1845 |
१९९ | गल अदने | 546 |
२०० | गल स्रवणे | 1699 |
२०१ | गल्भ धार्ष्ट्ये | 392 |
२०२ | गल्ह कुत्सायाम् | 637 |
२०३ | गवेष मार्गणे | 1883 |
२०४ | गा स्तुतौ | 1106 |
२०५ | गाङ् गतौ | 950 |
२०६ | गाधृ प्रतिष्ठालिप्सयोर्ग्रन्थे च । | 4 |
२०७ | गाहू विलोडने | (649)0गु |
२०८ | गुंफ ग्रन्थे | 1317 |
२०९ | गु पुरीषोत्सर्गे | 1399 |
२१० | गुङ् अव्यक्ते शब्दे | 949 |
२११ | गुज शब्दे | 1369 |
२१२ | गुजि अव्यक्ते शब्दे | 203 |
२१३ | गुठि वेष्टने इत्येके | 1584 |
२१४ | गुड रक्षायाम् | 1370 |
२१५ | गुडि वेष्टने | 1584 |
२१६ | गुण आमन्त्रणे | 1894 |
२१७ | गुद क्रीडायां | 24 |
२१८ | गुध परिवेष्टने | 1120 |
२१९ | गुध रोषे | 1517 |
२२० | गुप गोपने | 970 |
२२१ | गुप भाषार्थे | 1771 |
२२२ | गुप व्याकुलत्वे | 1234 |
२२३ | गुपू रक्षणे | 395 |
२२४ | गुफ ग्रन्थे | 1317 |
२२५ | गुरी उद्यमने | 1396 |
२२६ | गुर्द क्रीडायां | 23 |
२२७ | गुर्द पूर्वनिकेतने | 1665 |
२२८ | गुर्वी उद्यमने | 574 |
२२९ | गुहू संवरणे | 896 |
२३० | गूर उद्यमने | 1694 |
२३१ | गूरी हिंसागत्योः | 1152 |
२३२ | गृ विज्ञाने | 1707 |
२३३ | गृ शब्दे | 1498 |
२३४ | गृ सेचने | 937 |
२३५ | गृज शब्दार्थे | 248 |
२३६ | गृजि शब्दार्थे | 249 |
२३७ | गृधु अभिकांक्षायाम् | 1246 |
२३८ | गृनिगरणे | 1410 |
२३९ | गृह ग्रहणे | 1899 |
२४० | गृहू ग्रहणे | 650 |
२४१ | गेपृ कंपने | 369 |
२४२ | गेवृ सेवने | 502 |
२४३ | गेषृ अन्विक्षायाम् | 614 |
२४४ | गै शब्दे | 918 |
२४५ | गोम उपलेपने | 1876 |
२४६ | गोष्ट संघाते | 257 |
२४७ | ग्रथि कौटिल्ये | 36 |
२४८ | ग्रन्थ बन्धने | 1825 |
२४९ | ग्रन्थ सन्दर्भ | 1513 |
२५० | ग्रन्थ सन्दर्भ | 1838 |
२५१ | ग्रस ग्रहणे | 1749 |
२५२ | ग्रसु अदने | 630 |
२५३ | ग्रह उपादाने | 1533 |
२५४ | ग्रह ग्रहणे | 1749 |
२५५ | ग्राम आमन्त्रणे | 1892 |
२५६ | ग्रुचु स्तेयकरणे | 197 |
२५७ | ग्लसु अदने | 631 |
२५८ | ग्लह च ग्रहणे | 651 |
२५९ | ग्लुंचु गतौ | 201 |
२६० | ग्लुचु स्तेयकरणे | 198 |
२६१ | ग्लेपृ कंपने | 370 |
२६२ | ग्लेपृ दैन्ये | 366 |
२६३ | ग्लेवृ सेवने | 503 |
२६४ | ग्लेषृ अन्विक्षायाम् इत्येके | 614 |
२६५ | ग्लै हर्षक्षये | 903 |
घ | ||
२६६ | घघ हसने | 159 |
२६७ | घट चेष्टायाम् | 763 |
२६८ | घट भाषार्थे | 1766 |
२६९ | घट संघाते,हन्त्यर्थाश्च | 1723 |
२७० | घटि भाषार्थे | 1767 |
२७१ | घट्ट चलने | 259 |
२७२ | घट्ट चलने | 1630 |
२७३ | घष कांतिकरणे केचित् | 652 |
२७४ | घस्लृ अदने | 715 |
२७५ | घुङ् शब्दे | 951 |
२७६ | घुट परिवर्तने | 746 |
२७७ | घुट प्रतिघाते | 1385 |
२७८ | घुण भ्रमणे | 437 |
२७९ | घुण भ्रमणे | 1338 |
२८० | घुणि ग्रहणे | 435 |
२८१ | घुर भीमार्थशब्दयोः | 1345 |
२८२ | घुषि कांतिकरणे | 652 |
२८३ | घुषिर् अविशब्दने अविशब्दनं अप्रतिज्ञानम् शब्द इति अन्ये | 653 |
२८४ | घुषिर् विशब्दने | 1726 |
२८५ | घूरी हिंसावयोहान्योः | 1155 |
२८६ | घूर्ण भ्रमणे | 438 |
२८७ | घूर्ण भ्रमणे | 1339 |
२८८ | घृ क्षरणदीप्त्योः | 1096 |
२८९ | घृ प्रस्रवणे | 1650 |
२९० | घृ सेचने | 938 |
२९१ | घृणि ग्रहणे | 436 |
२९२ | घृणु दीप्तौ | 1469 |
२९३ | घृवयोहानौ इत्यन्ये | 1494 |
२९४ | घृषु संघर्षे | 708 |
२९५ | घो असने | 1730 |
२९६ | घ्रा गन्धोपादाने | 926 |
ङ | ||
२९७ | ङीङ् विहायसा गतौ | 1135 |
२९८ | ङुङ् शब्दे उङ्,कुङ्,खुङ्,गुङ्,घुङ्,ङुङ् इत्यन्ये । | 951 |
च | ||
२९९ | चंचु गत्यर्थाः | 190 |
३०० | चक तृप्तौ | 783 |
३०१ | चक तृप्तौ प्रतिघाते च | 93 |
३०२ | चकाशृ दीप्तौ | 1074 |
३०३ | चक्क व्यथने | 1595 |
३०४ | चक्षिङ् व्यक्तायां वाचि | 1017 |
३०५ | चट भेदने | 1721 |
३०६ | चटे वर्षावरणयो इत्येक | 294 |
३०७ | चडि कोपे | 278 |
३०८ | चण दाने | 796 |
३०९ | चते याचने | 865 |
३१० | चदि आह्लादे दीप्तौ च | 68 |
३११ | चदे याचने | 865 |
३१२ | चप सान्त्वने | 399 |
३१३ | चपि गत्याम् | 1619 |
३१४ | चमु अदने | 469 |
३१५ | चमु भक्षणे | 1274 |
३१६ | चय गतौ | 478 |
३१७ | चर गत्यर्था,भक्षणेऽपि | 559 |
३१८ | चर संशये | 1745 |
३१९ | चर्करीतं कान्तौ | 1081 |
३२० | चर्च अध्ययने | 1712 |
३२१ | चर्च परिभाषणभर्त्सनयोः | 1299 |
३२२ | चर्च परिभाषणहिंसातर्जनेषु | 717 |
३२३ | चर्ब गतौ | 425 |
३२४ | चर्व अदने | 579 |
३२५ | चल कंपने | 832 |
३२६ | चल भृतौ | 1608 |
३२७ | चल विलसने | 1356 |
३२८ | चलिः कंपने | 812 |
३२९ | चष भक्षणे | 889 |
३३० | चह परिकल्कने | 729 |
३३१ | चह परिकल्कने | 1626 |
३३२ | चह परिकल्कने | 1866 |
३३३ | चायृ पूजानिशामनयोः | 880 |
३३४ | चि आप्यायने | 1794 |
३३५ | चिञ् चयने | 1251 |
३३६ | चिञ् चयने | 1629 |
३३७ | चिट परप्रेष्ये | 315 |
३३८ | चित संचेतने | 1673 |
३३९ | चिति स्मृत्याम् | 1535 |
३४० | चिती संज्ञाने | 39 |
३४१ | चित्र चित्रीकरणे,कदाचिद्दर्शने | 1917 |
३४२ | चिरि हिंसायाम् | 1277 |
३४३ | चिल सम्बरणे | 1355 |
३४४ | चिल्ल शैथिल्ये भावकरणे | 533 |
३४५ | चीक आमर्षणे | 1827 |
३४६ | चीभृ कत्थने | 384 |
३४७ | चीव भाषार्थे | 1774 |
३४८ | चीवृ आदानसंवरणयोः | 879 |
३४९ | चुक्क व्यथने | 1596 |
३५० | चुच्य अभिषवे इत्येके | 513 |
३५१ | चुट छेदने | 1377 |
३५२ | चुट छेदने | 1613 |
३५३ | चुटि छेदने | 1659 |
३५४ | चुट्ट अल्पीभावे | 1560 |
३५५ | चुड सम्बरणे | 1392 |
३५६ | चुडि अल्पीभावे | 325 |
३५७ | चुड्ड भावकरणे | 347 |
३५८ | चुद संचोदने | 1592 |
३५९ | चुप मन्दायां गतौ | 403 |
३६० | चुबि वक्त्रसंयोगे | 429 |
३६१ | चुबि हिंसायाम् | 1635 |
३६२ | चुर स्तेये | 1534 |
३६३ | चुल समुच्छ्राये | 1602 |
३६४ | चुल्ल भावकरणे | 531 |
३६५ | चूरी दाहे | 1158 |
३६६ | चूर्ण प्रेरणे | 1552 |
३६७ | चूर्ण प्रेषणे | 1550 |
३६८ | चूर्ण संकोचने | 1641 |
३६९ | चूष पाने | 673 |
३७० | चृती हिंसाश्रन्थनयोः | 1324 |
३७१ | चेलृ चलने | 536 |
३७२ | चेष्ट चेष्टायाम् | 256 |
३७३ | च्छेद द्वैधीकरणे | 1934 |
३७४ | च्यु सहने,हसने चेत्येके | 1746 |
३७५ | च्युङ् गतौ | 955 |
छ | ||
३७६ | छजि कृच्छ्रजीवने | 1621 |
३७७ | छद अपवारणे | 1833 |
३७८ | छद अपवारणे | 1935 |
३७९ | छद वमने | 1589 |
३८० | छदि संवरणे | 1577 |
३८१ | छदिर ऊर्जने | 813 |
३८२ | छमु अदने | 470 |
३८३ | छष हिंसायाम् | 890 |
३८४ | छिदिर द्वैधीकरणे | 1440 |
३८५ | छिद्र कर्णभेदने,करणभेदने इत्येके | 1924 |
३८६ | छुट छेदने | 1378 |
३८७ | छुड सम्बरणे इत्येके | 1388 |
३८८ | छुप स्पर्शे | 1418 |
३८९ | छुर छेदने | 1372 |
३९० | छृदी संदीपने | 1820 |
३९१ | छो छेदने | 1147 |
ज | ||
३९२ | जक्ष भक्षहनयोः | 1071 |
३९३ | जज युद्धे | 242 |
३९४ | जजि युद्धे | 243 |
३९५ | जट संघाते | 305 |
३९६ | जन जनने | 1105 |
३९७ | जनी प्रादुर्भावे | 1149 |
३९८ | जप व्यक्तायां वाचि,मानसे च | 397 |
३९९ | जभि नाशने | 1716 |
४०० | जभी गात्रविनामे | 388 |
४०१ | जमु अदने | 471 |
४०२ | जर्ज परिभाषणभर्त्सनयोः | 1298 |
४०३ | जर्ज परिभाषणहिंसातर्जनेषु | 718 |
४०४ | जल अपवारणे | 1543 |
४०५ | जल घातने | 833 |
४०६ | जल्प व्यक्तायां वाचि | 398 |
४०७ | जष हिंसार्थे | 688 |
४०८ | जसि रक्षणे,मोक्षण इति केचित् | 1666 |
४०९ | जसु ताडने | 1718 |
४१० | जसु मोक्षणे | 1211 |
४११ | जसु हिंसायाम् | 1668 |
४१२ | जहृ प्रयत्ने | 644 |
४१३ | जागृ निद्राक्षये | 1072 |
४१४ | जारी हिंसावयोहान्योः | 1156 |
४१५ | जि अभिभवे | 946 |
४१६ | जि आप्यायने | 1793 |
४१७ | जि जये | 561 |
४१८ | जिमु अदने | 472 |
४१९ | जिरि हिंसायाम् | 1278 |
४२० | जिवि प्रीणनार्थे | 594 |
४२१ | जिषु सेचने | 697 |
४२२ | जीव प्राणधारणे | 562 |
४२३ | जुगि वर्जने | 157 |
४२४ | जुट बन्धने | 1379 |
४२५ | जुड गतौ | 1326 |
४२६ | जुड प्रेरणे | 1646 |
४२७ | जुतृ भासने | 32 |
४२८ | जुन गतौ | 1326 |
४२९ | जुष परितर्कणे,परितर्पण इत्यन्ये | 1834 |
४३० | जुषी प्रीतिसेवनयोः | 1288 |
४३१ | जूष हिंसायाम् | 681 |
४३२ | जृ वयोहानौ | 1494 |
४३३ | जृ वयोहानौ | 1813 |
४३४ | जृभि गात्रविनामे | 389 |
४३५ | जेषृ गतौ | 616 |
४३६ | जेहृ प्रयत्ने गतावपि | 645 |
४३७ | जै क्षये | 914 |
४३८ | ज्या वयोहानौ | 1499 |
४३९ | ज्युङ् गतौ | 956 |
४४० | ज्रि अभिभवे | 947 |
४४१ | ज्रि वयोहानौ | 1814 |
४४२ | ज्वर रोगे | 776 |
४४३ | ज्वल दीप्तौ | 804 |
४४४ | ज्वल दीप्तौ | 831 |
ज्ञ | ||
४४५ | ज्ञा अवबोधने | 1507 |
४४६ | ज्ञा नियोगे | 1732 |
४४७ | ज्ञा निशानेष्विति पाठांतरम् | 811 |
झ | ||
४४८ | झट संघाते | 306 |
४४९ | झप ज्ञानज्ञापनमारणतोषणनिशान निशामनेषु | 1624 |
४५० | झमु अदने | 472 |
४५१ | झर्झ परिभाषणभर्त्सनयोः | 1300 |
४५२ | झर्झ परिभाषणहिंसातर्जनेषु | 718 |
४५३ | झष आदान संवरणयोः | 891 |
४५४ | झष हिंसार्थे | 689 |
४५५ | झृवयोहानौ इत्येके | (1494) (1490) |
४५६ | झृष् वयोहानौ | 1130 |
ञ | ||
४५७ | ञिइन्धी दीप्तौ | 1448 |
४५८ | ञिक्षि्वदा स्नेहमोचनयोः | 1244 |
४५९ | ञितृषा पिपासायाम् | 1228 |
४६० | ञित्वरा संभ्रमे | 775 |
४६१ | ञिधृषा प्रागल्भ्ये | 1269 |
४६२ | ञिफला विशरणे | 516 |
४६३ | ञिभी भये | 1084 |
४६४ | ञिमिदा स्नेहने | 743 |
४६५ | ञिमिदा स्नेहने | 1243 |
४६६ | ञिश्विदा इत्येके स्नेहमोचनयोः। मोहनयोरित्येके। | 744 |
४६७ | ञिष्विदा अव्यक्ते शब्दे | 978 |
४६८ | ञिष्विदा गात्रप्रक्षरणे इत्येके | 1188 |
४६९ | ञिष्विदा स्नेहमोचनयोः। मोहनयोरित्येके। | 744 |
४७० | ञिस्वप् शये | 1068 |
ट | ||
४७१ | टकि बन्धने | 1638 |
४७२ | टल वैक्लव्ये भयजनितोद्वेगे | 834 |
४७३ | टिकृ गत्यर्थे | 103 |
४७४ | टीकृ गत्यर्थे | 104 |
४७५ | टुओश्वि गतिवृद्ध्योः | 1010 |
४७६ | टुओस्फूर्जा वज्रनिर्घोषे | 235 |
४७७ | टुक्षु शब्दे | 1036 |
४७८ | टुदु उपतापे | 1256 |
४७९ | टुनदि समृद्धौ | 67 |
४८० | टुभ्राजृ दीप्तौ | 823 |
४८१ | टुभ्राशृ दीप्तौ | 824 |
४८२ | टुभ्लाशृ दीप्तौ | 825 |
४८३ | टुमस्जो शुद्धौ | 1417 |
४८४ | टुयाचृ यांचायाम् | 863 |
४८५ | टुवम् उद्गिरणे | 849 |
४८६ | टुवेपृ कंपने | 367 |
४८७ | ट्वल वैक्लव्ये | 835 |
ड | ||
४८८ | डप संघाते | 1676 |
४८९ | डिप क्षेपे | 1232 |
४९० | डिप क्षेपे | 1371 |
४९१ | डिप क्षेपे | 1670 |
४९२ | डिप संघाते | 1677 |
४९३ | डीङ् विहायसा गतौ | 968 |
४९४ | डुकृञ् करणे | 1472 |
४९५ | डुक्रीञ् द्रव्यविनिमये | 1473 |
४९६ | डुदाञ् दाने | 1091 |
४९७ | डुधाञ् धारणपोषणयोः दान इत्यप्येके | 1091 |
४९८ | डुपचष पाके | 996 |
४९९ | डुभृञ् धारणपोषणयोः | 1087 |
५०० | डुमिञ् प्रक्षेपणे | 1250 |
५०१ | डुलभष् प्राप्तौ | 975 |
५०२ | डुवप् बीजसन्ताने छेदनेऽपि | 1003 |
५०३ | डौकृ गत्यर्थे | 98 |
ण | ||
५०४ | णक्ष गतौ | 662 |
५०५ | णख गत्यर्थे | 134 |
५०६ | णखि गत्यर्थे | 135 |
५०७ | णट नृत्यौ,गतावित्यन्ये | 71 |
५०८ | णद अव्यक्ते शब्दे | 54 |
५०९ | णद भाषार्थे | 1778 |
५१० | णभ हिंसायाम् | 752 |
५११ | णभ हिंसायाम् | 1240 |
५१२ | णभ हिंसायाम् | 1520 |
५१३ | णम प्रह्वत्वे प्रणमनेशब्दे च | 981 |
५१४ | णय गतौ | 480 |
५१५ | णल गन्धे, बन्धन इत्येके | 838 |
५१६ | णश अदर्शने | 1194 |
५१७ | णस कौटिल्ये | 627 |
५१८ | णह बन्धने | 1166 |
५१९ | णासृ शब्दे | 625 |
५२० | णिक्ष चुंबने | 659 |
५२१ | णिजि शुद्धौ | 1026 |
५२२ | णिजिर शौचपोषणयोः | 1093 |
५२३ | णिटृ कुत्सासन्निकर्षयोः | 871 |
५२४ | णिदि कुत्सायाम् | 66 |
५२५ | णिल गहने | 1360 |
५२६ | णिवि सेचने | 590 |
५२७ | णिश समाधौ | 722 |
५२८ | णिसि चुम्बने | 1025 |
५२९ | णीञ् प्रापणे | 901 |
५३० | णीव स्थौल्ये | 566 |
५३१ | णु स्तुतौ | 1035 |
५३२ | णुद प्रेरण | 1426 |
५३३ | णुद प्रेरणे | 1282 |
५३४ | णू स्तवने | 1397 |
५३५ | णेटृ कुत्सासन्निकर्षयोः | 872 |
५३६ | णेषृ गतौ | 617 |
त | ||
५३७ | तंचु गत्यर्थाः | 191 |
५३८ | तंचु संकोचने | 1459 |
५३९ | तक गतौ | 1260 |
५४० | तक हसने | 117 |
५४१ | तकि कृच्छ्रजीवने | 118 |
५४२ | तक्ष त्वचने | 665 |
५४३ | तक्षू तनूकरणे | 6550 |
५४४ | तगि गत्यर्थे | 149 |
५४५ | तज तर्जने | 1681 |
५४६ | तट उच्छ्राये | 308 |
५४७ | तड आघाते | 1579 |
५४८ | तड आप्यायने | 1801 |
५४९ | तडि ताडने | 280 |
५५० | तत्रि कुटुम्बधारणे | 1678 |
५५१ | तनु विस्तारे | 1463 |
५५२ | तनु श्रद्धोपकरणयोः | 1840 |
५५३ | तप (पत) ऐश्वर्ये वा | |
५५४ | तप दाहे | 1817 |
५५५ | तप संतापे | 985 |
५५६ | तमु कांक्षायाम् | 1202 |
५५७ | तय गतौ | 479 |
५५८ | तर्क भाषार्थे | 1780 |
५५९ | तर्ज भर्त्सने | 227 |
५६० | तर्द हिंसायाम् | 58 |
५६१ | तल प्रतिष्ठायाम् | 1598 |
५६२ | तसि अलंकरणे | 1729 |
५६३ | तसु उपक्षये | 1212 |
५६४ | तायृ सन्तानपालनयो | 489 |
५६५ | तिक गतौ | 1266 |
५६६ | तिकृ गत्यर्थे | 105 |
५६७ | तिज निशातने | 1652 |
५६८ | तिज निशाने तीक्ष्णीकरणे | 971 |
५६९ | तिपृ क्षरणार्थे | 362 |
५७० | तिम आर्द्रीभावे | 1123 |
५७१ | तिल गतौ | 534 |
५७२ | तिल स्नेहने | 1354 |
५७३ | तिल स्नेहने | 1607 |
५७४ | तिल्ल गतौ इत्येके | 534 |
५७५ | तीकृ गत्यर्थे | 106 |
५७६ | तीर कर्मसमाप्तौ | 1912 |
५७७ | तीव स्थौल्ये | 565 |
५७८ | तुंप हिंसायाम् | 1310 |
५७९ | तुंप हिंसार्थे | 405 |
५८० | तुंफ हिंसायाम् | 1312 |
५८१ | तुंफ हिंसार्थे | 409 |
५८२ | तुज हिंसायाम् | 244 |
५८३ | तुजि पालने | 245 |
५८४ | तुजि भाषार्थे | 1755 |
५८५ | तुजि हिंसाबलादाननिकेतषु | 1566 |
५८६ | तुट कलहकर्मणि | 13706 |
५८७ | तुड तोड़ने | 1386 |
५८८ | तुडि तोडने | 276 |
५८९ | तुडृ तोडने | 351 |
५९० | तुण कौटिल्ये | 1332 |
५९१ | तुण हिंसागतिकौटिल्येषु | 1337 |
५९२ | तुत्थ आवरणे | 1943 |
५९३ | तुद व्यथने | 1281 |
५९४ | तुप हिंसायाम् | 1309 |
५९५ | तुप हिंसार्थे | 404 |
५९६ | तुफ हिंसायाम् | 1311 |
५९७ | तुफ हिंसार्थे | 408 |
५९८ | तुबि अर्दने | 428 |
५९९ | तुबि अर्दने,अदर्शने | 1657 |
६०० | तुभ हिंसायाम् | 753 |
६०१ | तुभ हिंसायाम् | 1241 |
६०२ | तुभ हिंसायाम् | 1521 |
६०३ | तुर त्वरणे | 1102 |
६०४ | तुर्वी हिंसार्था | 570 |
६०५ | तुल उन्माने | 1599 |
६०६ | तुष प्रीतौ | 1184 |
६०७ | तुस शब्दे | 710 |
६०८ | तुहिर अर्दने | 737 |
६०९ | तूडृ तोडने इत्येके | 351 |
६१० | तूण पूरणे | 1689 |
६११ | तूरी गदित्वरणहिंसनयोः | 1151 |
६१२ | तूल निष्कर्षे | 527 |
६१३ | तूष तुष्टौ | 674 |
६१४ | तृंप तृप्तौ | 1308 |
६१५ | तृंफ तृप्तौ | 1308 |
६१६ | तृक्ष गतौ | 661 |
६१७ | तृणु अदने | 1468 |
६१८ | तृन्हू हिंसार्थे | 1350 |
६१९ | तृप तृप्तौ | 1307 |
६२० | तृप तृप्तौ,संदीपन इत्येके | 1819 |
६२१ | तृप प्रीडने | 1195 |
६२२ | तृप्लवनतरणयोः | 969 |
६२३ | तृफ तृप्तौ | 1308 |
६२४ | तृह हिंसायाम् | 1455 |
६२५ | तृहु हिंसार्थे | 1348 |
६२६ | तेज पालने | 231 |
६२७ | तेपृ क्षरणार्थे,कंपने च | 363 |
६२८ | तेवृ देवने देवनं दुखम् | 499 |
६२९ | त्यज हानौ | 986 |
६३० | त्रकि गत्यर्थे | 97 |
६३१ | त्रक्ष गतौ | 660 |
६३२ | त्रख गत्यर्थे केचित् | 155 |
६३३ | त्रदि चेष्टायाम् | 69 |
६३४ | त्रपूष् लज्जायाम् | 374 |
६३५ | त्रस धारणे | 1741 |
६३६ | त्रसि भाषार्थे | 1761 |
६३७ | त्रसी उद्वेगे | 1117 |
६३८ | त्रिखि गत्यर्थे केचित् | 155 |
६३९ | त्रुंप हिंसार्थे | 407 |
६४० | त्रुंफ हिंसार्थे | 411 |
६४१ | त्रुट छेदने | 1375 |
६४२ | त्रुट छेदने | 1698 |
६४३ | त्रुप हिंसार्थे | 406 |
६४४ | त्रुफ हिंसार्थे | 410 |
६४५ | त्रेङ् पालने | 965 |
६४६ | त्रौकृ गत्यर्थे | 99 |
६४७ | त्वंचु गत्यर्थाः | 192 |
६४८ | त्वक्षू तनूकरणे | 656 |
६४९ | त्वगि गत्यर्थे, कंपने च | 150 |
६५० | त्वच संन्ववरणे | 1301 |
६५१ | त्विष दीप्तौ | 1001 |
६५२ | त्सर छद्मगतौ | 554 |
थ | ||
६५३ | थुड सम्बरणे | 1387 |
६५४ | थुर्वी हिंसार्था | 571 |
६५५ | दंड दंडनिपातने | 1926 |
६५६ | दंभु दंभने | 1270 |
६५७ | दंश दशने दंष्ट्राव्यापारे | 989 |
द | ||
६५८ | दक्ष गतिहिंसनयोः | 770 |
६५९ | दक्ष वृद्धौ शीघ्रार्थे | 608 |
६६० | दघ घातने पालने च | 1273 |
६६१ | दघि पालने | 156 |
६६२ | दद दाने | 17 |
६६३ | दध धारणे | 8 |
६६४ | दमु उपशमे | 1203 |
६६५ | दय दानगतिरक्षणहिंसादानेषु | 481 |
६६६ | दरिद्रा दुर्गतौ | 1073 |
६६७ | दल विदारणे | 1751 |
६६८ | दल विशरणे | 548 |
६६९ | दलि च शब्दे इति भोजः | 816 |
६७० | दशि दंशने | 1674 |
६७१ | दशि भाषार्थे | 1764 |
६७२ | दस दर्शनदंशनयो इत्येके | 1675 |
६७३ | दसि आप्यायने | 1784 |
६७४ | दसि दर्शनदंशनयो | 1675 |
६७५ | दसु उपक्षये | 1213 |
६७६ | दह भस्मीकरणे | 991 |
६७७ | दाण् दाने | 930 |
६७८ | दान खंडने | 994 |
६७९ | दाप् लवने लवनं छेदनं | 1059 |
६८० | दाश दाने | 882 |
६८१ | दाशृ दाने | 894 |
६८२ | दाशृ हिंसायाम् | 1279 |
६८३ | दिवि प्रीणनार्थे | 592 |
६८४ | दिवु क्रीडाविजिगीषाव्यवहारद्युति मोददस्वप्नकान्तिगतिषु | 1107 |
६८५ | दिवु परिकूजने | 1700 |
६८६ | दिवु मर्दने | 1724 |
६८७ | दिश अतिसर्जने | 1283 |
६८८ | दिह उपचये | 1015 |
६८९ | दीक्ष मौंडयेज्येपनयननियमव्रतादेशेषु | 609 |
६९० | दीघीङ् दीप्तिदेवनयोः देवनं दुखं | 1076 |
६९१ | दीङ् क्षये | 1134 |
६९२ | दीपी दीप्तौ | 1150 |
६९३ | दुःख तत्कि्रयायाम् | 1930 |
६९४ | दु गतौ | 944 |
६९५ | दुर्वी हिंसार्था | 572 |
६९६ | दुल उल्क्षेपे | 1600 |
६९७ | दुष वैकृत्ये | 1185 |
६९८ | दुह प्रपूरणे | 1014 |
६९९ | दुहिर अर्दने | 738 |
७०० | दृंफ उत्क्लेशे | 1314 |
७०१ | दृ भये | 808 |
७०२ | दृ हिंसायाम् | 1280 |
७०३ | दृङ् आदरे | 1411 |
७०४ | दृप उत्क्लेशे | 1313 |
७०५ | दृप हर्षमोहनयोः | 1196 |
७०६ | दृभ सन्दर्भे | 1822 |
७०७ | दृभी ग्रन्थे | 1323 |
७०८ | दृभी ग्रन्थे | 1821 |
७०९ | दृविदारणे | 1493 |
७१० | दृशिर् प्रेक्षणे | 988 |
७११ | दृह वृद्धौ | 733 |
७१२ | दृहि वृद्धौ | 733 |
७१३ | देङ् रक्षणे | 962 |
७१४ | देवृ देवने | 500 |
७१५ | दैप् शोधने | 924 |
७१६ | दो अवखंडने | 1148 |
७१७ | द्यु अभिगमने | 1040 |
७१८ | द्युत दीप्तौ | 741 |
७१९ | द्यै न्यक्करणे तिरस्कारे | 905 |
७२० | द्यै स्वप्ने | 906 |
७२१ | द्रम गतौ | 466 |
७२२ | द्रा कुत्सायां गतौ | 1054 |
७२३ | द्राक्षि घोरवासिते धोरवासितम् घोरशब्दः | 670 |
७२४ | द्राखृ शोषणालमर्थयोः | 124 |
७२५ | द्राघृ सामर्थ्ये आयामे च | 114 |
७२६ | द्राडृ विशरणे | 287 |
७२७ | द्राहृ निद्राक्षये,निक्षेपे इत्येके | 646 |
७२८ | द्रु गतौ | 945 |
७२९ | द्रुह जिघांसायाम् | 1197 |
७३० | द्रूञ हिंसायाम् | 1481 |
७३१ | द्रेकृ शब्दोत्साहयोः | 78 |
७३२ | द्विष् अप्रीतौ | 1013 |
ध | ||
७३३ | धक्क नाशने | 1594 |
७३४ | धण शब्दे इत्येके | 453 |
७३५ | धन धान्ये | 1104 |
७३६ | धवि गत्यर्थे | 597 |
७३७ | धाऋर् गतिचातुर्ये | 553 |
७३८ | धाडृ विशरणे | 288 |
७३९ | धावु गतिशुद्ध्योः | 601 |
७४० | धि धारणे | 1406 |
७४१ | धिक्ष संदीपनक्लेशनजीवनेषु | 603 |
७४२ | धिणि ग्रहणे | 434 |
७४३ | धिवि प्रीणनार्थे | 593 |
७४४ | धिष शब्दे | 1103 |
७४५ | धीङ् आधारे | 1136 |
७४६ | धुक्ष संदीपनक्लेशनजीवनेषु | 602 |
७४७ | धुञ् कम्पने | 1255 |
७४८ | धुञ् कम्पने इत्येके | 1255 |
७४९ | धुर्वी हिंसार्था | 573 |
७५० | धू विधूनने | 1398 |
७५१ | धूञ् कम्पने | 1487 |
७५२ | धूञ् कम्पने | 1835 |
७५३ | धूप प्रसहने | 1850 |
७५४ | धूप भाषार्थे | 1772 |
७५५ | धूप संतापे | 396 |
७५६ | धूरी हिंसागत्योः | 1152 |
७५७ | धृङ् अवध्वंसने | 960 |
७५८ | धृङ् अवस्थाने | 1412 |
७५९ | धृज गतौ | 219 |
७६० | धृजि गतौ | 220 |
७६१ | धृञ् धारणे | 900 |
७६२ | धृष् कान्तिकरणे | 1639 |
७६३ | धेक दर्शन इत्येके | 1914 |
७६४ | धेट् पाने | 901 |
७६५ | ध्मा शब्दाग्निसंयोगयोः | 927 |
७६६ | ध्यै चिन्तायाम् | 908 |
७६७ | ध्रज गतौ | 217 |
७६८ | ध्रजि गतौ | 218 |
७६९ | ध्रन शब्दे | 459 |
७७० | ध्राक्षि घोरवासिते | 671 |
७७१ | ध्राखृ शोषणालमर्थयोः | 125 |
७७२ | ध्राधृसामर्थ्ये आयामे च केचित् | 114 |
७७३ | ध्रिज गतौ | 217 |
७७४ | ध्रु गतिस्थैर्ययोः | 1400 |
७७५ | ध्रु स्थैर्ये | 943 |
७७६ | ध्रुव गतिस्थैर्ययोः इत्येके | 1400 |
७७७ | ध्रेकृ शब्दोत्साहयोः | 79 |
७७८ | ध्रै तुप्तौ | 907 |
७७९ | ध्वंसु अवस्रंसने,गतौ | 755 |
७८० | ध्वज गतौ | 221 |
७८१ | ध्वजि गतौ | 222 |
७८२ | ध्वण शब्दे | 453 |
७८३ | ध्वन शब्दे | 816 |
७८४ | ध्वन शब्दे | 828 |
७८५ | ध्वन शब्दे | 1889 |
७८६ | ध्वनि च शब्दे इति भोजः | 816 |
७८७ | ध्वाक्षि घोरवासिते | 672 |
७८८ | ध्वृ हूर्च्छने कौटिल्ये | 939 |
न | ||
७८९ | नक्क नाशने | 1593 |
८०० | नट अवस्यन्दने | 1545 |
८११ | नट आप्यायने | 1781 |
८२२ | नट नृतौ | 310 |
८३३ | नत नृत्यौ इत्येके | 781 |
८४४ | नद शब्दे | 56 |
८५५ | नल आप्यायने | 1802 |
८६६ | नाथृ यांचोपतापैश्वर्याशीःषु | 6 |
८७७ | नाधृ यांचोपतापैश्वर्याशीःषु | 7 |
८८८ | निवास आच्छादने | 1885 |
८९९ | निष्क परिमाणे | 1686 |
९१० | नील वर्णे | 522 |
९२१ | नृती गात्रविक्षेपे | 1116 |
९३२ | नृनये | 809 |
९४३ | नृनये | 1495 |
प | ||
९४४ | पक्ष परिग्रहे | 1550 |
९४५ | पच सेचने सेवने च | 163 |
९४६ | पचि विस्तारवचने | 1651 |
९४७ | पचि व्यक्तीकरणे | 174 |
९४८ | पट गतौ | 296 |
९४९ | पट ग्रन्थे | 1856 |
९५० | पट भाषार्थे | 1752 |
९५१ | पठ व्यक्तायां वाचि | 330 |
९५२ | पडि गतौ | 281 |
९५३ | पडि नाशने | 1615 |
९५४ | पण व्यवहारे स्तुतौ च | 439 |
९५५ | पत गतौ | 1861 |
९५६ | पत्लृ गतौ | 845 |
९५७ | पथि गतौ | 1575 |
९५८ | पथे गतौ | 847 |
९५९ | पद गतौ | 1169 |
९६० | पद गतौ | 1898 |
९६१ | पन व्यवहारे स्तुतौ च | 440 |
९६२ | पप अनुपसर्गात् (गतौ) | |
९६३ | पय गतौ | 476 |
९६४ | पर्ण हरितभावे | 1939 |
९६५ | पर्द कुत्सिते शब्दे | 29 |
९६६ | पर्प गतौ | 412 |
९६७ | पर्ब गतौ | 416 |
९६८ | पर्व पूरणे | 577 |
९६९ | पल गतौ | 839 |
९७० | पल्यूल लवनपवनयोः | 1881 |
९७१ | पश बन्धने | 1719 |
९७२ | पसि नाशने | 1616 |
९७३ | पा पाने | 925 |
९७४ | पा रक्षणे | 1056 |
९७५ | पार कर्मसमाप्तौ | 1911 |
९७६ | पाल रक्षणे | 1609 |
९७७ | पि गतौ | 1405 |
९७८ | पिच् क्षरणे | 1434 |
९७९ | पिछ कुट्टने | 1576 |
९८० | पिजि पर्णे सम्पर्चन इत्येके उभयत्रेत्यन्ये,अव्यक्ते शब्दे इतीतरे | 1028 |
९८१ | पिजि भाषार्थे | 1757 |
९८२ | पिजि हिंसाबलादाननिकेतषु | 1567 |
९८३ | पिट अनादरे | 304 |
९८४ | पिट शब्दसंघातयोः | 311 |
९८५ | पिठ हिंसासंक्लेशनयोः | 339 |
९८६ | पिडि संघाते | 274 |
९८७ | पिडि संघाते | 1669 |
९८८ | पिवि सेचने | 588 |
९८९ | पिश अवयवे | 1437 |
९९० | पिष्लृ संचूर्णने | 1452 |
९९१ | पिस गतौ | 1568 |
९९२ | पिसिभाषार्थे | 1762 |
९९३ | पिसृ गतौ | 719 |
९९४ | पीङ् पाने | 1141 |
९९५ | पीड अवगाहने | 1544 |
९९६ | पील प्रतिष्टंभे | 521 |
९९७ | पीव स्थौल्ये | 563 |
९९८ | पुंस अभिवर्धने | 1637 |
९९९ | पुट भाषार्थे | 1753 |
१००० | पुट संश्लेषणे | 1367 |
१००१ | पुट संसर्गे | 1913 |
१००२ | पुटि आप्यायने | 1792 |
१००३ | पुट्ट अल्पीभावे | 1559 |
१००४ | पुड उत्सर्गे | 1384 |
१००५ | पुडि खंडने इत्येके | 326 |
१००६ | पुण कर्मणि शुभ | 1333 |
१००७ | पुण संघाते इत्यन्ये | 1636 |
१००८ | पुथ भाषार्थे | 1775 |
१००९ | पुथ हिंसायाम् | 1119 |
१०१० | पुथि हिंसासंक्लेशनयोः | 44 |
१०११ | पुर अग्रगमने | 1346 |
१०१२ | पुल महत्वे | 841 |
१०१३ | पुल महत्वे | 1601 |
१०१४ | पुष धारणे | 1750 |
१०१५ | पुष पूष्टौ | 700 |
१०१६ | पुष पूष्टौ | 1182 |
१०१७ | पुष पूष्टौ | 1522 |
१०१८ | पुष्प विकसने | 1122 |
१०१९ | पुस्त आदरानादरयोः | 1590 |
१०२० | पूङ् पवने पवित्रीकरणे | 966 |
१०२१ | पूज पूजायाम् | 1642 |
१०२२ | पूञ पवनक | 1482 |
१०२३ | पूयी विशरणे दुर्गन्धे च | 484 |
१०२४ | पूरी आप्यायने | 1151 |
१०२५ | पूरी आप्यायने | 1803 |
१०२६ | पूर्ण संघाते इत्येके | 1636 |
१०२७ | पूर्व पूरणे | 576 |
१०२८ | पूल संघाते | 528 |
१०२९ | पूल संघाते | 1636 |
१०३० | पूष वृद्धौ | 675 |
१०३१ | पृ पूरणे | 1549 |
१०३२ | पृ प्रीतौ | 1258 |
१०३३ | पृ व्यायामे | 1402 |
१०३४ | पृच सयमने | 1807 |
१०३५ | पृची संपर्के | 1462 |
१०३६ | पृची सम्पर्चने | 1030 |
१०३७ | पृजि पर्णे सम्पर्चन इत्येके | 1028 |
१०३८ | पृड सुखने | 1328 |
१०३९ | पृण प्रीणने | 1320 |
१०४० | पृथ प्रक्षेपे | 1554 |
१०४१ | पृपालनपूरणयोः | 1086 |
१०४२ | पृपालनपूरणयोः | 1489 |
१०४३ | पृषु सेचने,हिंसासंक्लेशनयोश्च | 705 |
१०४४ | पेलृ गतौ | 541 |
१०४५ | पेवृ सेवने | 504 |
१०४६ | पेषृ प्रयत्नेन | 615 |
१०४७ | पेसृ गतौ | 720 |
१०४८ | पै शोषणे | 920 |
१०४९ | पैणृ गतिप्रेरणश्लेषणेषु | 458 |
१०५० | पै्रणृ गतिप्रेरणश्लेषणेषु | 458 |
१०५१ | पोथृ पर्याप्तौ | 867 |
१०५२ | प्रच्छ ज्ञीप्सायाम् | 1413 |
१०५३ | प्रथ प्रख्याने प्रसिद्धौ | 765 |
१०५४ | प्रथ प्रख्याने प्रसिद्धौ | 1553 |
१०५५ | प्रस विस्तारे | 766 |
१०५६ | प्रा पूरणे | 1061 |
१०५७ | प्रीङ् प्रीतौ | 1144 |
१०५८ | प्रीञ् तर्पणे | 1836 |
१०५९ | प्रीञ् तर्पणे कान्तौ च | 1474 |
१०६० | प्रुङ् गतौ | 957 |
१०६१ | प्रुड मर्दने | 324 |
१०६२ | प्रुष स्नेहनसेवनपूरणेषु | 1527 |
१०६३ | प्रुषु दाहे | 703 |
१०६४ | प्रेषृ गतौ | 619 |
१०६५ | प्लिह गतौ | 642 |
१०६६ | प्ली गतौ | 1503 |
१०६७ | प्लुङ् गतौ | 958 |
१०६८ | प्लुष दाहे | 1115 |
१०६९ | प्लुष दाहे | 1216 |
१०७० | प्लुष स्नेहनसेवनपूरणेषु | 1528 |
१०७१ | प्लुषु दाहे | 704 |
१०७२ | प्सा भक्षणे | 1055 |
फ | ||
१०७३ | फक्क नीचैर्गतौ | 116 |
१०७४ | फण गतौ | 821 |
१०७५ | फल निष्पत्तौ | 530 |
१०७६ | फुल्ल विकसने | 532 |
१०७७ | फेलृ गतौ | 542 |
ब | ||
१०७८ | बण शब्दे | 459 |
१०७९ | बद स्थैर्ये | 51 |
१०८० | बध बन्धने | 973 |
१०८१ | बध संयमने | 1547 |
१०८२ | बन्ध बन्धने | 1501 |
१०८३ | बर्ब गतौ | 418 |
१०८४ | बर्ह प्राधान्ये | 638 |
१०८५ | बर्ह भाषार्थे | 1769 |
१०८६ | बर्ह हिंसायाम् | 1664 |
१०८७ | बल प्राणने | 1628 |
१०८८ | बल प्राणनेधान्यावरो धने च | 840 |
१०८९ | बल्भ भोजने | 391 |
१०९० | बल्ह प्राधान्ये | 639 |
१०९१ | बल्ह भाषार्थे | 1770 |
१०९२ | बष्क दर्शने | 1916 |
१०९३ | बस्त परिमाणे | 1683 |
१०९४ | बहि वृद्धौ इत्येके | 634 |
१०९५ | बाडृ आप्लाव्ये | 286 |
१०९६ | बाधृ लोडने | 5 |
१०९७ | बाहृ प्रयत्ने | 645 |
१०९८ | बिट आक्रोशे | 317 |
१०९९ | बिदि अवयवे,भिदि इत्येके | 64 |
११०० | बिल सम्बरणे | 1358 |
११०१ | बिस प्रेरणे | 1217 |
११०२ | बुक्क भरणे | 119 |
११०३ | बुक्क भाषणे | 1713 |
११०४ | बुगि वर्जने | 158 |
११०५ | बुध अवगमने | 858 |
११०६ | बुध अवगमने | 1172 |
११०७ | बुधिर बोधने | 875 |
११०८ | बुस उत्सर्गे | 1219 |
११०९ | बृह वृद्धौ | 735 |
१११० | बृह वृद्धौ,शब्दे च | 733 |
११११ | बृहि भाषार्थे | 1768 |
१११२ | बृहिर वृद्धौ चेत्येके | 733 |
१११३ | बेहृ प्रयत्ने | 643 |
१११४ | ब्री वरणे | 1504 |
१११५ | ब्रूञ् व्यक्तायां वाचि | 1044 |
१११६ | ब्रूस हिंसायाम् | 1663 |
भ | ||
१११७ | भंजो आमर्दने | 1453 |
१११८ | भक्ष अदने | 1557 |
१११९ | भक्ष अदने इति मैत्रेयः | 893 |
११२० | भज विश्राणने | 1733 |
११२१ | भज सेवायाम् | 998 |
११२२ | भजि भाषार्थे | 1759 |
११२३ | भट परिभाषणे | 780 |
११२४ | भट भृतौ | 307 |
११२५ | भडि कल्याणे | 1588 |
११२६ | भडि परिभाषणे | 273 |
११२७ | भण शब्दे | 447 |
११२८ | भदि कल्याणे सुखे च | 12 |
११२९ | भर्त्स तर्जने | 1682 |
११३० | भर्व हिंसायाम् | 580 |
११३१ | भल आभंडने | 1700 |
११३२ | भल परिभाषहिंसादानेषु | 495 |
११३३ | भल्ल परिभाषहिंसादानेषु | 496 |
११३४ | भष भर्त्सर्ने | 695 |
११३५ | भस भर्सनदीप्त्योः | 1100 |
११३६ | भसु स्तंभे इति केचित् | 1214 |
११३७ | भा तीप्तौ | 1051 |
११३८ | भाज पृथक्कर्मणि | 1886 |
११३९ | भाम क्रोधे | 441 |
११४० | भाम क्रोधे | 1872 |
११४१ | भाष व्यक्तायां वाचि | 612 |
११४२ | भासृ दीप्तौ | 624 |
११४३ | भिक्ष भिक्षायामलाभे लाभे च | 606 |
११४४ | भिदिर विदारणे | 1439 |
११४५ | भुज पालनाभ्यवहारयोः | 1454 |
११४६ | भुजो कौटिल्ये | 1417 |
११४७ | भुवो अवकल्पने,चिन्तन इत्येके | 1747 |
११४८ | भू प्राप्तावात्मनेपदी | 1844 |
११४९ | भू सत्तायाम् ।‘उदात्तः परस्मैभाषः’। | 1 |
११५० | भूष अलंकरणे | 1730 |
११५१ | भूष अलंकारे | 682 |
११५२ | भृ भर्त्सने | 1491 |
११५३ | भृजी भर्जने | 178 |
११५४ | भृञ् भरणे | 898 |
११५५ | भृशि आप्यायने | 1787 |
११५६ | भृशु अधःपतने | 1224 |
११५७ | भेजृ दीप्तौ | 180 |
११५८ | भेषृ भये गतावित्येके | 883 |
११५९ | भ्यस भये | 628 |
११६० | भ्रंशु अधःपतने | 1225 |
११६१ | भ्रंसु अवस्रंसने गतौ इत्यपि केचित् तालव्यान्त इत्यन्ये | 756 |
११६२ | भ्रक्ष अदने | 892 |
११६३ | भ्रण शब्दे | 452 |
११६४ | भ्रमु अनवस्थाने | 1204 |
११६५ | भ्रमु चलने | 850 |
११६६ | भ्रस्ज पाके | 1284 |
११६७ | भ्राजृ दीप्तौ | 181 |
११६८ | भ्री भये | 1505 |
११६९ | भ्रूण आशाकवशंकयोः | 1690 |
११७० | भ्रेषृ गतौ | 884 |
११७१ | भ्लेषृ गतौ | 885 |
म | ||
११७२ | मकि मंडने | 89 |
११७३ | मख गत्यर्थे | 132 |
११७४ | मखि गत्यर्थे | 133 |
११७५ | मगि गत्यर्थे | 148 |
११७६ | मघि गत्याक्षेपे,गतौ गत्यारम्भे चेत्यपरे,मघि कैतवे धौर्त्यम्च | 111 |
११७७ | मघि मंडने | 160 |
११७८ | मचि धारणोच्छ्रायपूजनेषु | 173 |
११७९ | मठ मदनिवासयोः | 332 |
११८० | मठि पालने | 265 |
११८१ | मठि शोके | 263 |
११८२ | मडि भूषायाम् | 321 |
११८३ | मडि भूषायाम् हर्षे च | 1587 |
११८४ | मडि विभाजने | 271 |
११८५ | मण शब्दे | 448 |
११८६ | मत्रि गुप्तपरिभाषणे, गुप्तभाषणे | 1679 |
११८७ | मथे विलोडने | 848 |
११८८ | मद तृप्तियोगे | 1705 |
११८९ | मदि स्तुतिमोदमदस्वप्नकान्तिगतिषु | 13 |
११९० | मदी हर्षग्लेपनयोः ग्लेपनं दैन्य | 814 |
११९१ | मदी हर्षे | 1208 |
११९२ | मन ज्ञाने | 1176 |
११९३ | मनु अवबोधने | 1471 |
११९४ | मन्थ विलोडने | 42 |
११९५ | मन्थ विलोडने | 1511 |
११९६ | मभ्र गत्यर्था | 558 |
११९७ | मय गतौ | 477 |
११९८ | मर्च शब्दार्थे | 1649 |
११९९ | मर्ब गतौ | 419 |
१२०० | मर्व पूरणे | 578 |
१२०१ | मल धारणे | 493 |
१२०२ | मल्ल धारणे | 494 |
१२०३ | मव बन्धने, विलोडने | 599 |
१२०४ | मव्य बन्धने | 508 |
१२०५ | मश शब्दे रोषकृते च | 724 |
१२०६ | मष हिंसार्थे | 692 |
१२०७ | मसी परिणामे | 1221 |
१२०८ | मस्क गत्यर्थे | 102 |
१२०९ | मह पूजायाम् | 730 |
१२१० | मह पूजायाम् | 1867 |
१२११ | महि आप्यायने | 1799 |
१२१२ | महि वृद्धौ | 634 |
१२१३ | मा माने | 1062 |
१२१४ | माक्षि कांक्षायाम् | 669 |
१२१५ | माङ् माने | 1142 |
१२१६ | माङ् माने शब्दे च | 1088 |
१२१७ | मान (मन) स्तम्भे | |
१२१८ | मान पूजायाम् | 972 |
१२१९ | मान पूजायाम् | 1843 |
१२२० | मार्ग अन्वेषणे | 1846 |
१२२१ | मार्ज शब्दार्थे | 1648 |
१२२२ | माहृ माने | 895 |
१२२३ | मिच्छ उत्क्लेशे | 1297 |
१२२४ | मिजि भाषार्थे | 1756 |
१२२५ | मिदि स्नेहने | 1541 |
१२२६ | मिल संगमे | 1429 |
१२२७ | मिवि सेचने | 589 |
१२२८ | मिश शब्दे रोषकृते च | 724 |
१२२९ | मिश्र सम्पर्के | 1921 |
१२३० | मिष श्लेषणे | 1364 |
१२३१ | मिष स्पर्धायाम् | 1350 |
१२३२ | मिषु सेचने | 699 |
१२३३ | मिह सेचने | 992 |
१२३४ | मी गतौ | 1824 |
१२३५ | मीङ् हिंसायाम् | 1137 |
१२३६ | मीञ् बन्धने | 1476 |
१२३७ | मीमृ गतौ शब्दे च | 468 |
१२३८ | मील निमेषणे | 517 |
१२३९ | मीव स्थौल्ये | 564 |
१२४० | मुच प्रमोचने मोदने च | 1743 |
१२४१ | मुचि कल्कने,कथन इत्यन्ये | 172 |
१२४२ | मुच्लृ मोक्षणे | 1430 |
१२४३ | मुज शब्दार्थे | 250 |
१२४४ | मुजि शब्दार्थे | 251 |
१२४५ | मुट आक्षेपमर्दनयोः | 1374 |
१२४६ | मुट संचूर्णने | 1614 |
१२४७ | मुड मर्दने | 323 |
१२४८ | मुडि खंडने | 326 |
१२४९ | मुडि मार्जने | 275 |
१२५० | मुण प्रतिज्ञाने | 1334 |
१२५१ | मुद संसर्गे | 1740 |
१२५२ | मुद हर्षे | 16 |
१२५३ | मुर संवेष्टने | 1343 |
१२५४ | मुर्छा मोहसमुच्छ्राययोः | 212 |
१२५५ | मुर्वी बन्धने | 575 |
१२५६ | मुष स्तेये | 1530 |
१२५७ | मुस खंडने | 1220 |
१२५८ | मुस्त संघाते | 1631 |
१२५९ | मुह वैचित्ये | 1198 |
१२६० | मूङ् बन्धने | 967 |
१२६१ | मूत्र प्रस्रवणे | 1909 |
१२६२ | मूल प्रतिष्ठायां | 529 |
१२६३ | मूल रोहणे | 1603 |
१२६४ | मूष स्तेये | 676 |
१२६५ | मृ हिंसायाम् | 1492 |
१२६६ | मृक्ष संघाते | 664 |
१२६७ | मृग अन्वेषणे | 1900 |
१२६८ | मृङ् प्राणत्यागे | 1400 |
१२६९ | मृजू शुद्धौ | 1066 |
१२७० | मृजू शौचालंकारयोः | 1848 |
१२७१ | मृड क्षोदे | 1516 |
१२७२ | मृड निमज्जन इत्येके | 1391 |
१२७३ | मृड सुखने | 1327 |
१२७४ | मृण हिंसायाम् | 1331 |
१२७५ | मृद क्षोदे | 1515 |
१२७६ | मृधु उन्दने | 874 |
१२७७ | मृश परामर्शने | 1425 |
१२७८ | मृष तितिक्षायाम् | 1164 |
१२७९ | मृष तितिक्षायाम् | 1849 |
१२८० | मृषु सेचने,सहने च | 707 |
१२८१ | मेङ् प्रणिदाने | 961 |
१२८२ | मेट्ट मेधाहिंसनयोः | 869 |
१२८३ | मेडृ उन्मादे | 293 |
१२८४ | मेधृ मेधाहिंसनयोः संगमे च | 870 |
१२८५ | मेपृ गतौ | 371 |
१२८६ | मेवृ सेवने | 502 |
१२८७ | मोक्ष आसने | 1730 |
१२८८ | म्ना अभ्यासे | 929 |
१२८९ | म्रक्ष म्लेच्छने | 1661 |
१२९० | म्रक्ष संघाते इत्येके | 664 |
१२९१ | म्रद मर्दने | 767 |
१२९२ | म्रुंचु गत्यर्थाः | 193 |
१२९३ | म्रुचु गत्यर्थाः | 195 |
१२९४ | म्लुंचु गत्यर्थाः | 194 |
१२९५ | म्लुचु गत्यर्थाः | 196 |
१२९६ | म्लेच्छ अव्यक्तायां वाचि | 1662 |
१२९७ | म्लेच्छ अव्यक्ते शब्दे | 205 |
१२९८ | म्लेटृ उन्मादे | 292 |
१२९९ | म्लेवृ सेवने | 506 |
१३०० | म्लै हर्षक्षये | 904 |
य | ||
१३०१ | यक्ष पूजायाम् | 1692 |
१३०२ | यज देवपूजनसंतिकरणदानेषु | 1002 |
१३०३ | यत निकारोपस्कारयोः | 1735 |
१३०४ | यती प्रयत्ने | 30 |
१३०५ | यभ मैथुने | 980 |
१३०६ | यम उपरमे | 984 |
१३०७ | यम परिवेषणे | 1625 |
१३०८ | यमोऽपरिवेषणे अभोजने | 819 |
१३०९ | यसु प्रयत्ने | 1210 |
१३१० | या प्रापणे | 1049 |
१३११ | यु जुगुप्सायाम् | 1710 |
१३१२ | यु मिश्रणेऽमिश्रणे च | 1033 |
१३१३ | युच्छ प्रमादे | 214 |
१३१४ | युज संयमने | 1806 |
१३१५ | युज समाधौ | 1177 |
१३१६ | युजिर योगे | 1444 |
१३१७ | युञ् बन्धने | 1479 |
१३१८ | युतृ भासने | 31 |
१३१९ | युध संप्रहारे | 1173 |
१३२० | यूष हिंसायाम् | 679 |
१३२१ | येषृ प्रयत्नेन इत्यप्येके | 615 |
१३२२ | योटृ बन्धे | 291 |
र | ||
१३२३ | रंज रागे | 1167 |
१३२४ | रंज रागे | 999 |
१३२५ | रक आस्वादने | 1736 |
१३२६ | रक्ष पालने | 658 |
१३२७ | रख गत्यर्थे | 136 |
१३२८ | रखि गत्यर्थे | 137 |
१३२९ | रगि गत्यर्थे | 144 |
१३३० | रगे शंकायाम् | 785 |
१३३१ | रघि आप्यायने | 1795 |
१३३२ | रच प्रतियत्ने | 1864 |
१३३३ | रट परिभाषणे | 334 |
१३३४ | रट परिभाषणे परिहासे,सनिन्दोपालंभे | 297 |
१३३५ | रठ परिभाषणे इत्येके | 334 |
१३३६ | रण गतौ | 795 |
१३३७ | रण शब्दे | 445 |
१३३८ | रणि च शब्दे इति भोजः | 816 |
१३३९ | रद विलेखने | 53 |
१३४० | रध हिंसासंराध्योः | 1193 |
१३४१ | रप व्यक्तायां वाचि | 401 |
१३४२ | रफ गतौ | 413 |
१३४३ | रफि गतौ | 414 |
१३४४ | रभ राभस्ये | 974 |
१३४५ | रम क्रीणायां इति माधव | 853 |
१३४६ | रमु क्रीणायां | 853 |
१३४७ | रय गतौ | 482 |
१३४८ | रवि गत्यर्थे | 596 |
१३४९ | रवि शब्दे | 376 |
१३५० | रस आस्वादन स्नेहनयोः | 1931 |
१३५१ | रस शब्दे | 713 |
१३५२ | रह त्यागे | 731 |
१३५३ | रह त्यागे | 1627 |
१३५४ | रह त्यागे | 1858 |
१३५५ | रहि आप्यायने | 1798 |
१३५६ | रहि गतौ | 732 |
१३५७ | रा दाने | 1057 |
१३५८ | राखृ शोषणालमर्थयोः | 122 |
१३५९ | राजृ दीप्तौ | 822 |
१३६० | राध संसिद्धौ | 1262 |
१३६१ | राधृ सामर्थ्ये | 112 |
१३६२ | राधोऽकर्मकाद्वृद्धावेव | 1180 |
१३६३ | रासृ शब्दे | 626 |
१३६४ | रि गतौ | 1404 |
१३६५ | रि हिंसायाम् | 1275 |
१३६६ | रिख गत्यर्थे केचित् | 155 |
१३६७ | रिखि गत्यर्थे केचित् | 155 |
१३६८ | रिगि गत्यर्थे, | 153 |
१३६९ | रिच वियोजनसंपर्चनयोः | 1816 |
१३७० | रिचिर विरेचने | 1441 |
१३७१ | रिफ कत्थनयुद्धनिन्दाहिंसादानेषु रिह इत्येके | 1301 |
१३७२ | रिवि गत्यर्थे | 595 |
१३७३ | रिश् हिंसायाम् | 1420 |
१३७४ | रिष हिंसायाम् | 1231 |
१३७५ | रिष हिंसार्थे | 694 |
१३७६ | री गतिरेषणयोः | 1500 |
१३७७ | रीङ् श्रवणे | 1138 |
१३७८ | रु शब्दे गतिवृद्धिहिंसासु | 1034 |
१३७९ | रुङ् गतिरेषणयोः | 959 |
१३८० | रुच दीप्तावभिप्रीतौ च | 745 |
१३८१ | रुज हिंसायाम् | 1804 |
१३८२ | रुजो भंगे | 1416 |
१३८३ | रुट आप्यायर्ने | 1783 |
१३८४ | रुट प्रतिघाते | 747 |
१३८५ | रुट प्रतिघाते | 748 |
१३८६ | रुट रोषे इत्येके | 1670 |
१३८७ | रुटि स्तेये | 327 |
१३८८ | रुठ उपघाते | 336 |
१३८९ | रुठि गतौ | 345 |
१३९० | रुठि स्तेये | 328 |
१३९१ | रुडि स्तेये | 328 |
१३९२ | रुदिर् अश्रुविमोचने | 1067 |
१३९३ | रुधिर आवरणे | 1438 |
१३९४ | रुप रोषे | 1670 |
१३९५ | रुप विमोहने | 1236 |
१३९६ | रुश हिंसायाम् | 1419 |
१३९७ | रुशि आप्यायने | 1784 |
१३९८ | रुष हिंसायाम् | 1230 |
१३९९ | रुष हिंसार्थे | 693 |
१४०० | रुसि आप्यायने | 1790 |
१४०१ | रुह बीजजन्मनि प्रादुर्भावे च | 859 |
१४०२ | रूक्ष पारुष्ये | 1910 |
१४०३ | रूप रूपक्रियायाम् | 1933 |
१४०४ | रूष भूषायाम् | 678 |
१४०५ | रेकृ शंकायाम् | 80 |
१४०६ | रेट्ट परिभाषणे | 864 |
१४०७ | रेपृ गतौ | 372 |
१४०८ | रेभृ शब्दे | 385 |
१४०९ | रेवृ प्लवगतौ | 507 |
१४१० | रेषृ अव्यक्ते शब्दे | 620 |
१४११ | रै शब्दे | 909 |
१४१२ | रोडृ उन्मादे | |
१४१३ | रौडृ अनादरे | 355 |
ल | ||
१४१४ | लक्ष दर्शनांकनयोः | 1538 |
१४१५ | लख गत्यर्थे | 138 |
१४१६ | लखि गत्यर्थे | 139 |
१४१७ | लग आस्वादने | 1737 |
१४१८ | लगि गत्यर्थे | 145 |
१४१९ | लगे संगे | 786 |
१४२० | लघि गत्यर्थे | 108 |
१४२१ | लघि गत्यर्थे भोजननिवृत्तौ च | 108 |
१४२२ | लघि शोषणे | 156 |
१४२३ | लघिआप्यायने | 17965 |
१४२४ | लछ लक्षणे | 206 |
१४२५ | लज अपवारणे इत्यन्ये | 1543 |
१४२६ | लज प्रकाशने | 1920 |
१४२७ | लज भर्जने | 238 |
१४२८ | लजि आप्यायने | 1784 |
१४२९ | लजि भर्जने | 239 |
१४३० | लट बाल्ये | 298 |
१४३१ | लड उपसेवायाम् | 1540 |
१४३२ | लड विलासे | 359 |
१४३३ | लडिः जिह्वोन्मथने जिह्वया ज्ञापने | 814 |
१४३४ | लडि आप्यायने | 1800 |
१४३५ | लधिभाषार्थे | 1760 |
१४३६ | लप व्यक्तायां वाचि | 402 |
१४३७ | लबि शब्दे अवस्रंसने च | 377 |
१४३८ | लय गतौ | 482 |
१४३९ | लर्ब गतौ | 417 |
१४४० | लल ईप्सायाम् | 1687 |
१४४१ | लल विलासे इत्येके | 359 |
१४४२ | लष कान्तौ | 888 |
१४४३ | लष हिंसायाम् | 1610 |
१४४४ | लस शिल्पयोगे | 1728 |
१४४५ | लस श्लेषणक्रीडनयोः | 710 |
१४४६ | ला आदाने | 1058 |
१४४७ | लाखृ शोषणालमर्थयोः | 123 |
१४४८ | लाछि लक्षणे | 207 |
१४४९ | लाज भर्जने भर्त्सने च | 240 |
१४५० | लाजि भर्जने भर्त्सने च | 241 |
१४५१ | लाधृ सामर्थ्ये | 113 |
१४५२ | लाभ प्रेरणे | 1936 |
१४५३ | लिख अक्षरविन्यासे | 1365 |
१४५४ | लिख गत्यर्थे केचित् | 155 |
१४५५ | लिखि गत्यर्थे केचित् | 155 |
१४५६ | लिगि गत्यर्थे | 155 |
१४५७ | लिगि चित्रीकरणे | 1739 |
१४५८ | लिजि भाषार्थे | 1755 |
१४५९ | लिप उपदेहे | 1433 |
१४६० | लिश अल्पीभावे | 1179 |
१४६१ | लिश गतौ | 1421 |
१४६२ | लिह आस्वादने | 1016 |
१४६३ | ली द्रवीकरणे | 1811 |
१४६४ | ली श्लेषणे | 1501 |
१४६५ | लीङ् श्लेषणे | 1139 |
१४६६ | लुंच अपनयने | 187 |
१४६७ | लुंठ स्तेये | 1563 |
१४६८ | लुंठ स्तेये इति केचित् | 1563 |
१४६९ | लुजि भाषार्थे | 1758 |
१४७० | लुट भाषार्थे | 1754 |
१४७१ | लुट विलोडने | 314 |
१४७२ | लुट विलोडने | 1222 |
१४७३ | लुट संश्लेषणयोःइत्येके | 1381 |
१४७४ | लुटि स्तेये | 328 |
१४७५ | लुठ उपघाते | 337 |
१४७६ | लुठ प्रतिघाते | 749 |
१४७७ | लुठ संश्लेषणयोः | 1381 |
१४७८ | लुठि आलस्ये प्रतिघाते च | 343 |
१४७९ | लुठि गतौ | 346 |
१४८० | लुठि स्तेये | 328 |
१४८१ | लुड विलोडने इत्येके | 314 |
१४८२ | लुड संश्लेषणयोः इत्यन्ये | 1381 |
१४८३ | लुडि स्तेये | 328 |
१४८४ | लुथि हिंसासंक्लेशनयोः | 45 |
१४८५ | लुप विमोहने | 1237 |
१४८६ | लुप्लृ छेदने | 1431 |
१४८७ | लुबि अर्दने | 427 |
१४८८ | लुबि अर्दने,अदर्शने | 1656 |
१४८९ | लुभ गार्ध्ये गार्ध्यम् आकांक्षा | 1238 |
१४९० | लुभ विमोहने | 1305 |
१४९१ | लूञ् छेदने | 1483 |
१४९२ | लूष भूषायाम् | 677 |
१४९३ | लेपृ गतौ | 373 |
१४९४ | लोकृ दर्शने | 76 |
१४९५ | लोकृ भाषार्थे | 1776 |
१४९६ | लोचृ दर्शने | 164 |
१४९७ | लोचृ भाषार्थे | 1777 |
१४९८ | लोडृ उन्मादे | 357 |
१४९९ | लोष्ट संघाते | 258 |
व | ||
१५०० | वंचु गत्यर्था | 189 |
१५०१ | वंचु प्रलम्भने | 1703 |
१५०२ | वकि कौटिल्ये | 88 |
१५०३ | वकि गत्यर्थे | 95 |
१५०४ | वक्ष रोषे । संघात इत्येके | 663 |
१५०५ | वख गत्यर्थे | 130 |
१५०६ | वखि गत्यर्थे | 131 |
१५०७ | वगि गत्यर्थे | 147 |
१५०८ | वघि गत्याक्षेपे,गतौ गत्यारम्भे चेत्यपरे | 110 |
१५०९ | वच परिभाषणे | 1063 |
१५१० | वच परिभाषणे | 1842 |
१५११ | वज गतौ | 252 |
१५१२ | वट ग्रन्थे | 1857 |
१५१३ | वट परिभाषणे | 779 |
१५१४ | वट विभाजने | 1919 |
१५१५ | वट वेष्टने | 300 |
१५१६ | वटि विभाजने | 1586 |
१५१७ | वठ स्थौल्ये | 331 |
१५१८ | वठि एकचर्यायाम् एकचर्या सहायं बिना चरणं | 262 |
१५१९ | वडि विभाजने | 270 |
१५२० | वण शब्दे | 446 |
१५२१ | वद संदेशवचने | 1841 |
१५२२ | वदि अभिवादन स्तुत्योः | 11 |
१५२३ | वन च हिंसार्थे | 803 |
१५२४ | वन शब्दे | 462 |
१५२५ | वन संभक्तौ | 463 |
१५२६ | वनु याचने | 1470 |
१५२७ | वभ्र गत्यर्था | 557 |
१५२८ | वय गतौ | 475 |
१५२९ | वर ईप्सायाम् | 1852 |
१५३० | वर्च दीप्तौ | 162 |
१५३१ | वर्ण प्रेरणे | 1551 |
१५३२ | वर्ण वर्णक्रियाविस्तारगुणवचनेषु | 1938 |
१५३३ | वर्ध छेदनपूरणयोः | 1654 |
१५३४ | वर्ष स्नेहने | 613 |
१५३५ | वर्ह परिभाषणहिंसाच्छादनेषु | 640 |
१५३६ | वल संवरणे संचरणे च | 491 |
१५३७ | वलि च शब्दे इति भोजः | 816 |
१५३८ | वल्क परिभाषणे | 1571 |
१५३९ | वल्ग गत्यर्थे | 143 |
१५४० | वल्ल अव्यक्ते शब्दे | 498 |
१५४१ | वल्ल संवरणे संचरणे च | 492 |
१५४२ | वल्ह परिभाषणहिंसाच्छादनेषु | 641 |
१५४३ | वश कान्तौ | 1080 |
१५४४ | वष हिंसार्थे | 691 |
१५४५ | वस आच्छादने | 1023 |
१५४६ | वस निवासे | 1005 |
१५४७ | वस निवासे | 1942 |
१५४८ | वस स्नेहच्छेदापहरणेषु | 1744 |
१५४९ | वसु स्तंभे | 1214 |
१५५० | वस्क गत्यर्थे | 101 |
१५५१ | वह प्रापणे | 1004 |
१५५२ | वहि वृद्धौ | 633 |
१५५३ | वा गतिबन्धनयोः | 1050 |
१५५४ | वाक्षि कांक्षायाम् | 668 |
१५५५ | वाछि इच्छायाम् | 208 |
१५५६ | वात सुखसेवनयोः,गति सुखसेवनेष्वित्येके | 1882 |
१५५७ | वावृतु वरणे इति केचित् | 1160 |
१५५८ | वाशृ शब्दे | 1163 |
१५५९ | वास उपसेवायाम् | 1884 |
१५६० | वाहृ प्रयत्ने | 645 |
१५६१ | विचिर पृथग्भावे | 1442 |
१५६२ | विच्छ गतौ | 1423 |
१५६३ | विच्छ भाषार्थे | 1773 |
१५६४ | विजिर् पृथग्भावे | 1094 |
१५६५ | विट शब्दे | 316 |
१५६६ | विथृ याचने | 33 |
१५६७ | विद चेतनाख्याननिवासेषु | 1708 |
१५६८ | विद ज्ञाने | 1064 |
१५६९ | विद विचारणे | 1450 |
१५७० | विद सत्तायाम् | 1171 |
१५७१ | विद्लृ लाभ | 1432 |
१५७२ | विध विधाने | 1325 |
१५७३ | विल क्षेपे | 1605 |
१५७४ | विल भेदने | 1359 |
१५७५ | विल भेदने | 1606 |
१५७६ | विश प्रवेशने | 1424 |
१५७७ | विष विप्रयोगे | 1526 |
१५७८ | विषु सेचने | 698 |
१५७९ | विष्क दर्शने | 1940 |
१५८० | विष्क हिंसायाम् | 1685 |
१५८१ | विष्लृ व्याप्तौ | 1095 |
१५८२ | वी गतिप्राप्तिप्रजनकान्त्ये | 1048 |
१५८३ | वीर विक्रान्तौ | 1903 |
१५८४ | वुस्त आदरानादरयोः | 1591 |
१५८५ | वृक आदाने | 92 |
१५८६ | वृक्ष वरणे | 604 |
१५८७ | वृङ् सम्भक्तौ | 1509 |
१५८८ | वृजि वर्जने इत्येके | 1029 |
१५८९ | वृजी वर्जने | 1029 |
१५९० | वृजी वर्जने | 1461 |
१५९१ | वृजी वर्जने | 1812 |
१५९२ | वृञ् आवरणे | 1814 |
१५९३ | वृञ् वरणे | 1254 |
१५९४ | वृञ् वरणे | 1486 |
१५९५ | वृण प्रीणने | 1330 |
१५९६ | वृतु भाषार्थे | 1781 |
१५९७ | वृतु वरणे | 1160 |
१५९८ | वृतु वर्तने | 758 |
१५९९ | वृधु भाषार्थे | 1782 |
१६०० | वृधु वृद्धौ | 759 |
१६०१ | वृवरणे | 1490 |
१६०२ | वृशु वरणे | 1226 |
१६०३ | वृष शक्तिबन्धने | 1700 |
१६०४ | वृषु सेचने हिंसासंक्लेशनयोश्च | 706 |
१६०५ | वृह उद्यमने बृह इत्यन्ये | 1347 |
१६०६ | वेञ् तन्तसन्ताने | 1006 |
१६०७ | वेणृ तिज्ञानचिन्तानिशामनवादित्र ग्रहणेषु । नान्तोऽप्ययम् । | |
१६०८ | वेथृ याचने | 34 |
१६०९ | वेल कालोपदेशे | 1880 |
१६१० | वेलृ चलने | 535 |
१६११ | वेल्ल चलने | 540 |
१६१२ | वेवीङ् वेतिना तुल्ये | 1077 |
१६१३ | वेष्ट वेष्टने | 255 |
१६१४ | व्यक्तायां वाचि | 1009 |
१६१५ | व्यच वाजीकरणे | 1293 |
१६१६ | व्यथ भयसंचलनयोः | 764 |
१६१७ | व्यध ताडने | 1181 |
१६१८ | व्यप क्षेपे | 1638 |
१६१९ | व्यय क्षेपे इत्येके | 1638 |
१६२० | व्यय गतौ | 881 |
१६२१ | व्यय वित्तसमुत्सर्गे | 1932 |
१६२२ | व्युष दाहे | 1114 |
१६२३ | व्युष विभागे | 1215 |
१६२४ | व्येञ् संवरणे | 1007 |
१६२५ | व्रज गतौ | 253 |
१६२६ | व्रज मार्ग संस्कारगत्योः | 1617 |
१६२७ | व्रण गात्रविचूर्णने | 1937 |
१६२८ | व्रण शब्दे | 451 |
१६२९ | व्रीङ् वृणोत्यर्थे | 1140 |
१६३० | व्रीड चोदने लज्जायाम् च | 1126 |
१६३१ | व्रुड सम्बरणे | 1393 |
१६३२ | व्ली वरणे | 1502 |
श | ||
१७३३ | शंब संबन्धने | 1555 |
१७३४ | शंसु स्तुतौ,दुर्गताविति दुर्गः ं | 728 |
१७३५ | शक विभाषितो मर्षणे च | 1187 |
१७३६ | शकि शंकायाम् | 86 |
१७३७ | शक्लृ शक्तौ | 1261 |
१७३८ | शच व्यक्तायां वाचि | 165 |
१७३९ | शट रुजाविशरण्गत्यवसादनेषु | 299 |
१७४० | शठ असंस्कारगत्योः | 1564 |
१७४१ | शठ कैतवे च | 340 |
१७४२ | शठ श्लाघायाम् | 1691 |
१७४३ | शठ सम्यगवभाषणे | 1854 |
१७४४ | शडि ऊर्जायां संघाते | 279 |
१७४५ | शण दाने,गतावित्यन्ये | 797 |
१७४६ | शद्लृ शातने | 855 |
१७४७ | शद्लृ शातने | 1428 |
१७४८ | शप आक्रोशे | 1000 |
१७४९ | शप आक्रोशे | 1168 |
१७५० | शब्द उपसर्गादाविष्कारे | 1714 |
१७५१ | शम आलोचने | 1696 |
१७५२ | शमु उपशमे | 1201 |
१७५३ | शमो दर्शने | (818 |
१७५४ | शर्द गतौ | 423 |
१७५५ | शर्व हिंसायाम् | 585 |
१७५६ | शल गतौ | 843 |
१७५७ | शल चलनसंवरणयोः | 490 |
१७५८ | शल्भ कत्थने | 390 |
१७५९ | शव गतौ | 725 |
१७६० | शश प्लुतगतौ उल्प्लुत्य गमनें | 726 |
१७६१ | शष हिंसार्थे | 690 |
१७६२ | शसु हिंसायाम्ं | 727 |
१७६३ | शाखृ व्याप्तौ | 126 |
१७६४ | शाडृ श्लाघायाम् | 289 |
१७६५ | शान तेजने | 995 |
१७६६ | शासु अनुशिष्टौ | 1075 |
१७६७ | शिक्ष विद्योपादाने | 605 |
१७६८ | शिख गत्यर्थे केचित् | 155 |
१७६९ | शिखि गत्यर्थे केचित् | 155 |
१७७० | शिघि आघ्राणे | 161 |
१७७१ | शिजि अव्यक्तेशब्दे | 1027 |
१७७२ | शिञ् निशाने तीक्ष्णीकरणे | 1249 |
१७७३ | शिट अनादरे | 303 |
१७७४ | शिल उच्छे | 1362 |
१७७५ | शिष असर्वोपयोगे | 1816 |
१७७६ | शिष हिंसार्थे | 687 |
१७७७ | शिष्लृ विशेषणे | 1451 |
१७७८ | शीक आमर्षणे | 1826 |
१७७९ | शीकृ सेचने | 75 |
१७८० | शीङ् स्वप्ने | 1032 |
१७८१ | शीभृ कत्थने | 383 |
१७८२ | शील उपधारणे | 1878 |
१७८३ | शील समाधौ | 523 |
१७८४ | शुंभ भाषणे,भासन इत्येके,हिंसायां इत्यन्ये | 433 |
१७८५ | शुंभ शोभाथे | 1322 |
१७८६ | शुच शोके | 183 |
१७८७ | शुचिर पूतीभावे | 1165 |
१७८८ | शुच्य अभिषवे | 513 |
१७८९ | शुठ आलस्ये | 1644 |
१७९० | शुठ गतिप्रतिघाते | 341 |
१७९१ | शुठि शोषणे | 344 |
१७९२ | शुठि शोषणे | 1645 |
१७९३ | शुध शौचे | 1191 |
१७९४ | शुन गतौ | 1336 |
१७९५ | शुन्ध शुद्धौ | 74 |
१७९६ | शुन्ध शौचकर्मणि | 1832 |
१७९७ | शुभ दीप्तौ | 750 |
१७९८ | शुभ भाषणे भासन इत्येके,हिंसायां इत्यन्ये | 432 |
१७९९ | शुभ शोभाथे | 1321 |
१८०० | शुल्क अतिस्पर्शने अतिसर्जन इत्येके | 1618 |
१८०१ | शुल्ब माने | 1611 |
१८०२ | शुष शोषणे | 1183 |
१८०३ | शूर विक्रान्तौ | 1903 |
१८०४ | शूरी हिंसास्तम्भनयो | 1157 |
१८०५ | शूर्प माने | 1612 |
१८०६ | शूल रुजायां संघोषे च | 526 |
१८०७ | शूष प्रसवे | 678 |
१८०८ | शृधु उन्दने | 873 |
१८०९ | शृधु प्रहसने | 1734 |
१८१० | शृधु शब्दकुत्सायाम् | 760 |
१८११ | शृहिंसायाम् | 1488 |
१८१२ | शेलृ गतौ | 543 |
१८१३ | शेवृ सेवने | 506 |
१८१४ | शै पाके | 918 |
१८१५ | शो तनूकरणे | 1145 |
१८१६ | शोणृ वर्णगत्योः | 455 |
१८१७ | शौटृ गर्वे | 290 |
१८१८ | श्च्युतिर (श्चुतिर) क्षरणे | |
१८१९ | श्च्युतिर आसेचने | 40 |
१८२० | श्नथ हिंसार्थे | 799 |
१८२१ | श्मील निमेषणे | 518 |
१८२२ | श्यैङ् गतौ | 963 |
१८२३ | श्रंभु प्रमादे | 393 |
१८२४ | श्रकि गतौ | 84 |
१८२५ | श्रगि गत्यर्थे | 151 |
१८२६ | श्रण दाने | 798 |
१८२७ | श्रण दाने | 1578 |
१८२८ | श्रथ प्रयत्ने प्रस्थान इत्येके | 1546 |
१८२९ | श्रथ मोक्षणे,हिंसायाम् इत्यन्ये | 1823 |
१८३० | श्रथ हिंसार्थे | 799 |
१८३१ | श्रथि शैथिल्ये | 35 |
१८३२ | श्रन्थ विमोचनप्रतिहर्षयोः | 1510 |
१८३३ | श्रन्थ सन्दर्भे | 1511 |
१८३४ | श्रन्थ सन्दर्भे | 1837 |
१८३५ | श्रमु तपसि खेदे च | |
१८३६ | श्रा पाके | 1053 |
१८३७ | श्रा पाके । मारण तोषण निषामनेषु | 810 |
१८३८ | श्रिञ् सेवायाम् | 897 |
१८३९ | श्रिषु दाहे | 701 |
१८४० | श्रीञ् पाके | 1475 |
१८४१ | श्रु श्रवणे | 942 |
१८४२ | श्रै पाके | 919 |
१८४३ | श्रोणृ संघाते | 456 |
१८४४ | श्लकि गतौ | 85 |
१८४५ | श्लगि गत्यर्थे | 152 |
१८४६ | श्लथ | 799 |
१८४७ | श्लाखृ व्याप्तौ | 127 |
१८४८ | श्लाघ् कत्थने | 115 |
१८४९ | श्लिष श्लेषणे | 1574 |
१८५० | श्लिषु दाहे | 702 |
१८५१ | श्लोकृ संघाते | 77 |
१८५२ | श्लोणृ संघाते | 457 |
१८५३ | श्वकि गत्यर्थे | 96 |
१८५४ | श्वच गतौ | 166 |
१८५५ | श्वचि गतौ | 166 |
१८५६ | श्वठ असंस्कारगत्योः | 1565 |
१८५७ | श्वठ आशुगमने | 549 |
१८५८ | श्वठ सम्यगवभाषणे | 1855 |
१८५९ | श्वभ्र गत्याम् | 1623 |
१८६० | श्वर्त गत्याम् | 1622 |
१८६१ | श्वल्क परिभाषणे | 1570 |
१८६२ | श्वल्ल आशुगमने | 550 |
१८६३ | श्वस प्राणने | 1069 |
१८६४ | श्विता वणे | 742 |
१८६५ | श्विदि श्वैत्ये श्वैत्यं श्वेतस्य भावः | 10 |
ष | ||
१८६६ | षंज संगे | 987 |
१८६७ | षंब संबन्धने | 1555 |
१८६८ | षगे संवरणे | 787 |
१८६९ | षघ हिंसायाम् | 1268 |
१८७० | षच समवाये | 997 |
१८७१ | षट अवयवे | 313 |
१८७२ | षट्ट हिंसायाम् | 1633 |
१८७३ | षण संभक्तौ | 463 |
१८७४ | षणु दाने | 1464 |
१८७५ | षद्लृ विशरणगत्यवसादनेषु | 8540 |
१८७६ | षद्लृ विशरणगत्यवसादनेषु | 1427 |
१८७७ | षप समवाये सम्बन्धे | 400 |
१८७८ | षम अवैकल्ये | 829 |
१८७९ | षर्क्ष आदरे इति केचित | 666 |
१८८० | षर्ज अर्जने | 225 |
१८८१ | षर्ब गतौ | 424 |
१८८२ | षर्व हिंसायाम् | 586 |
१८८३ | षल गतौ | 547 |
१८८४ | षवि सेचने इत्येके | 590 |
१८८५ | षस् स्वप्ने | 1078 |
१८८६ | षस्ज गतौ | 202 |
१८८७ | षस्जि गतौ, आत्मने पद्यपि | 201 |
१८८८ | षस्ति स्वप्ने | 1079 |
१८८९ | षह चक्यर्थे तृप्त्यर्थे | 1128 |
१८९० | षह मर्षणे | 852 |
१८९१ | षह मर्षणे | 1809 |
१८९२ | षान्त्व सामप्रयोगे | 1569 |
१८९३ | षिंभु हिंसार्थे | 431 |
१८९४ | षिञ् बन्धने | 1248 |
१८९५ | षिञ् बन्धने | 1477 |
१८९६ | षिध गत्याम् | 47 |
१८९७ | षिधु संराद्धौ | 1192 |
१८९८ | षिधू शास्त्रे मांगल्ये च | 48 |
१८९९ | षिभु हिंसार्थे | 431 |
१९०० | षिल उच्छें | 1363 |
१९०१ | षिवु तन्तुसन्ताने | 1108 |
१९०२ | षु प्रसवैश्वर्ययोः | 1041 |
१९०३ | षु प्रेरणे | 1408 |
१९०४ | षुञ् अभिषवे | 1247 |
१९०५ | षुट्ट अनादरे | 1562 |
१९०६ | षुह चक्यर्थे तृप्त्यर्थे | 1129 |
१९०७ | षूङ् प्राणिगर्भविमोचने | 1031 |
१९०८ | षूङ् प्राणिप्रसवे | 1132 |
१९०९ | षूद क्षरणे | 25 |
१९१० | षूद क्षरणे | 1717 |
१९११ | षृंभु हिंसार्थे | 431 |
१९१२ | षृक प्रतिघाते | 782 |
१९१३ | षृभु हिंसार्थे | 430 |
१९१४ | षेलृ गतौ इत्येक | 543 |
१९१५ | षेवृ द | 501 |
१९१६ | षै क्षये | 915 |
१९१७ | षो अन्तकर्मणि | 1147 |
१९१८ | ष्टगे संवरणे | 790 |
१९१९ | ष्टन शब्दे | 461 |
१९२० | ष्टभि प्रतिबन्धे | 386 |
१९२१ | ष्टम अवैकल्ये | 830 |
१९२२ | ष्टल स्थाने | 836 |
१९२३ | ष्टिध आस्कन्दने | 1265 |
१९२४ | ष्टिपृ क्षरणार्थे | 364 |
१९२५ | ष्टिबु निरसने | 560 |
१९२६ | ष्टिम आर्द्रीभावे | 1124 |
१९२७ | ष्टिवु निरसने | 1110 |
१९२८ | ष्टीम आर्द्रीभावे | 1125 |
१९२९ | ष्टुच प्रसादे | 175 |
१९३० | ष्टुञ् स्तुतौ | 1043 |
१९३१ | ष्टुप समुच्छ्राये | 1237 |
१९३२ | ष्टुप समुच्छ्राये | 1672 |
१९३३ | ष्टुभु स्तंभे | 394 |
१९३४ | ष्टृक्ष गतौ | 661 |
१९३५ | ष्टेपृ क्षरणार्थे | 365 |
१९३६ | ष्टै वेष्टने | 922 |
१९३७ | ष्ट्यै शब्दसंघातयोः | 911 |
१९३८ | ष्ट्रक्ष गतौ | 661 |
१९३९ | ष्ठा गतिनिवृत्तौ | 928 |
१९४० | ष्णसु निरसने | 1112 |
१९४१ | ष्णा शौचे | 1052 |
१९४२ | ष्णिह प्रीतौ | 1200 |
१९४३ | ष्णिह स्नेहने | 1572 |
१९४४ | ष्णु प्रस्रवणे | 1038 |
१९४५ | ष्णुसु अदने | 1111 |
१९४६ | ष्णुह उद्गिरणे | 1199 |
१९४७ | ष्णै वेष्टने,शोभायां च | 923 |
१९४८ | ष्युगि वर्जने | 156 |
१९४९ | ष्यैङ् वृद्धौ | 964 |
१९५० | ष्वंच परिष्वंगे | 976 |
१९५१ | ष्वद आस्वादने | 18 |
१९५२ | ष्वद आस्वादने | 1805 |
१९५३ | ष्वष्क गत्यर्थे | 100 |
१९५४ | ष्विदा गात्रप्रक्षरणे | 1188 |
स | ||
१९५५ | संकेत आमन्त्रणे | 1891 |
१९५६ | संग्राम युद्धे | 1922 |
१९५७ | सं्रभु विश्वासे | 757 |
१९५८ | सत्र सन्तानक्रियायाम् | 1906 |
१९५९ | समाज प्रीतिदर्शनयोः,प्रीतिसेवनयोरित्येके | 1887 |
१९६० | समी परिणामे इत्येके | 1221 |
१९६१ | सांब संबन्धने इत्येके | 1555 |
१९६२ | साध संसिद्धौ | 1263 |
१९६३ | साम सान्त्वप्रयोगे | 1879 |
१९६४ | सार दौर्बल्ये | 1868 |
१९६५ | सुख तत्कि्रयायाम् | 1929 |
१९६६ | सूच पैशुन्ये | 1873 |
१९६७ | सूत्र वेष्ठने | 1908 |
१९६८ | सूर्क्ष आदरे | 666 |
१९६९ | सूर्क्ष्य ईष्यार्थाः | 509 |
१९७० | सृ गतौ | 935 |
१९७१ | सृ गतौ | 1099 |
१९७२ | सृज विसर्गे | 1178 |
१९७३ | सृज विसर्गे | 1414 |
१९७४ | सृप्लृ गतौ | 983 |
१९७५ | सेकृ गतौ | 81 |
१९७६ | स्कन्दिर् गतिशोषणयोः | 979 |
१९७७ | स्कभि प्रतिबन्धे | 387 |
१९७८ | स्कुञ् आप्रवणे | 1478 |
१९७९ | स्कुदि आप्रवणे आप्लावनं उत्प्लवः उद्धरणं च | 9 |
१९८० | स्खद स्खदने विद्रावणे | 768 |
१९८१ | स्खदिर् अवपरिभ्यां च | 820 |
१९८२ | स्खल संचलने | 544 |
१९८३ | स्खलि च शब्दे इति भोजः | 816 |
१९८४ | स्तन देवशब्दे | 1859 |
१९८५ | स्तृञ् आच्छादने | 1252 |
१९८६ | स्तृञ् आच्छादने | 1484 |
१९८७ | स्तृहु हिंसार्थे | 1349 |
१९८८ | स्तेन चौर्ये | 1897 |
१९८९ | स्तोम श्लाघायाम् | 1923 |
१९९० | स्त्यै शब्दसंघातयोः | 910 |
१९९१ | स्थुड सम्बरणे | 1388 |
१९९२ | स्थूल परिर्बृहणे | 1904 |
१९९३ | स्पदि किंचिच्चलने | 14 |
१९९४ | स्पर्ध संघर्षे | 3 |
१९९५ | स्पश ग्रहणसंश्लेषणयोः | 1680 |
१९९६ | स्पश बाधनस्पर्शनयोः | 887 |
१९९७ | स्पृ प्रितिपालनयोः प्रीतिचलनयोः इत्यन्ये । चलने जीवनं इति स्वामी | 1259 |
१९९८ | स्पृश संस्पर्शने | 1422 |
१९९९ | स्पृह ईप्सायाम् | 1871 |
२००० | स्फर संचलने इत्यन्ये | 1390 |
२००१ | स्फल संचलने इत्येके | 1390 |
२००२ | स्फायी वृद्धौ | 487 |
२००३ | स्फिट्ट हिंसायाम् | 1634 |
२००४ | स्फुट भेदने | 1722 |
२००५ | स्फुट विकसने अवयवविभागे | 260 |
२००६ | स्फुट विकसने अवयवविभागे | 1373 |
२००७ | स्फुटि परिहासे अपि | 1537 |
२००८ | स्फुटि विशरणे इति केचित् | 329 |
२००९ | स्फुटिर विशरणे | 329 |
२०१० | स्फुड सम्बरणे | 1391 |
२०११ | स्फुडि परिहासे | 1537 |
२०१२ | स्फुडि विकसने | 277 |
२०१३ | स्फुर संचलने | 1389 |
२०१४ | स्फुर्छा विस्तृतौ | (213)) |
२०१५ | स्फुल संचलने | 1390 |
२०१६ | स्मय वितर्के | 1693 |
२०१७ | स्मिंङ् अनादरे इत्येके | 1573 |
२०१८ | स्मिंङ् ईषद्धसने | 948 |
२०१९ | स्मिट अनादरे | 1573 |
२०२० | स्मील निमेषणे | 519 |
२०२१ | स्मृ आध्याने | 807 |
२०२२ | स्मृ चिन्तायाम् | 933 |
२०२३ | स्यन्दू प्रस्रवणे | 761 |
२०२४ | स्युमु शब्दे | 826 |
२०२५ | स्रंसु अवस्रंसने अधःपतने | 754 |
२०२६ | स्रकि | 82 |
२०२७ | स्रकि गतौ | 84 |
२०२८ | स्रिवु गतिशोषणयोः | 1109 |
२०२९ | स्रु गतौ | 940 |
२०३० | स्रेकृ गतौ | 82 |
२०३१ | स्रै पाके इति केषुचित्पाठः | 919 |
२०३२ | स्वन अवतंसने | 817 |
२०३३ | स्वन शब्दे | 827 |
२०३४ | स्वर आक्षेपे | 1863 |
२०३५ | स्वर्द आस्वादने | 19 |
२०३६ | स्वृ शब्दोपतापयोःउपतापः रोगः | 932 |
ह | ||
२०३७ | हट दीप्तो | 312 |
२०३८ | हठ प्लुतिशठत्वयोः,बलात्कार इत्यन्ये | 335 |
२०३९ | हद पुरीषोत्सर्गे | 977 |
२०४० | हम्म गतौ | 467 |
२०४१ | हय गतौ | 512 |
२०४२ | हर्य गतिकान्त्योः | 514 |
२०४३ | हल विलेखने आकर्षणे | 837 |
२०४४ | हसे हसने | 721 |
२०४५ | हि गतौ वृद्धौ च | 1257 |
२०४६ | हिक्क अव्यक्ते शब्दे | 861 |
२०४७ | हिट आक्रोशे | 317 |
२०४८ | हिडि गत्यानादरयोः | 268 |
२०४९ | हिल भावकरणे | 1361 |
२०५० | हिवि प्रीणनार्थे | 591 |
२०५१ | हिसि हिंसायाम् | 1456 |
२०५२ | हिसि हिंसायाम् | 1829 |
२०५३ | हु दानादनयोः | 1083 |
२०५४ | हुडि वरणे,हरण इत्येक | 277 |
२०५५ | हुडि संघाते | 269 |
२०५६ | हुडृ गतौ | 352 |
२०५७ | हुर्छा कौटिल्ये | 211 |
२०५८ | हुल गतौ,हिंसायां संवरणे च | 844 |
२०५९ | हूडृ गतौ | 352 |
२०६० | हृ प्रसह्यकरणे | 1097 |
२०६१ | हृञ् हरणे | 899 |
२०६२ | हृष तूष्टौ | 1229 |
२०६३ | हृषु अलीके | 709 |
२०६४ | हृस शब्दे | 711 |
२०६५ | हेठ भूतपादुर्भावे | 1532 |
२०६६ | हेठ विवाधायाम् | 266 |
२०६७ | हेड वेष्टने | (?) |
२०६८ | हेडृ अनादरे | 284 |
२०६९ | होडृ अनादरे | 285 |
२०७० | होडृ गतौ | 354 |
२०७१ | ह्नुङ् अपनयने | 1082 |
२०७२ | ह्मल चलने | 806 |
२०७३ | ह्राद अव्यक्ते शब्दे | 26 |
२०७४ | ह्री लज्जायाम् | 1085 |
२०७५ | ह्रीछ लज्जायाम् | 210 |
२०७६ | ह्रेषृ अव्यक्ते शब्दे | 622 |
२०७७ | ह्लगे संवरणे | 787 |
२०७८ | ह्लप व्यक्तायां वाचि | 1658 |
२०७९ | ह्लस शब्दे | 712 |
२०८० | ह्लादी सुखे च | 26 |
२०८१ | ह्वगे संवरणे | 787 |
२०८२ | ह्वप व्यक्तायां वाचि इत्यन्ये | 1658 |
२०८३ | ह्वल चलने | 805 |
२०८४ | ह्वृ कौटिल्ये | 931 |
२०८५ | ह्वेञ स्पर्धायाम् शब्दे च | 1008 |
२०८६ | ह्वेषृ अव्यक्ते शब्दे | 621 |